CLASS-12 |
ECONOMICS |
FM- 40+40=80 |
TIME 3 Hrs. |
सभी प्रश्न अनिवार्य हैं 40 × 1 = 40 अंक
सामान्य निर्देश
> कुल 40 प्रश्न है।
> सभी प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य है।
> प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।
> प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए है। सही विकल्प का चयन कीजिए।
> गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं काटे जाएंगे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1 उपयोगिता का गणनावाचक दृष्टिकोण किसके द्वारा प्रस्तुत किया गया है
?
A. मार्शल
B.
हिक्स
C.
पीगु
D.
किन्स
2 किस समयावधि में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं ?
A.
अति अल्पकाल
B. दीर्घकाल
C.
अल्पकाल
D.
इनमें से कोई नहीं
3 उदासीनता वक्र होता है
A. मूल बिन्दु की ओर उन्नतोदर
B.
मूल बिन्दु की ओर अवनतोदर
C.
A और B दोनों
D.
इनमें से कोई नहीं
4 ऐसी वस्तुएँ जिनका एक दूसरे के बदले प्रयोग किया जाता है, उसे क्या
कहते हैं?
A.
पूरक वस्तुएँ
B.
आरामदायक वस्तुएँ
C. स्थानापन्न वस्तुएँ
D.
आवश्यक वस्तुएँ
5 निम्न में से कौन उत्पत्ति का साधन हैं?
A.
भूमि
B.
श्रम
C.
पूँजी
D. उपर्युक्त सभी
6 MR को प्रदर्शित किया जा सकता है
A.
∆AR/Q
B. ∆TR/∆Q
C.
TR/Q
D.
इनमें से कोई नहीं
7 निम्न में कौन एकाधिकार की विशेषता नहीं है ?
A. एक क्रेता और अनेक विक्रेता
B.
निकट स्थानापन्न का अभाव
C.
नये फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध
D.
इनमें से कोई नहीं
8 मांग वक्र की ढाल होती है
A.
धनात्मक
B. ऋणात्मक
C.
A व B दोनों
D.
इनमें से कोई नहीं
9 एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या है
A.
साधनों का आबंटन
B.
आर्थिक विकास
C.
साधनों का कुशलतम उपयोग
D. उपर्युक्त सभी
10 निम्न में से व्यष्टि अर्थशास्त्र की शाखाएँ कौन सी है :
A.
वस्तु कीमत निर्धारण
B.
साधन कीमत निर्धारण
C.
आर्थिक कल्याण
D. उपर्युक्त सभी
11 पूर्ति बेलोचदार होती है :
A. अति अल्पकाल में
B.
दीर्घ काल में
C.
प्रारंभिक काल में
D.
इनमें से कोई नहीं
12 निम्नलिखित में कौन उत्पत्ति का साधन नहीं है?
A.
भूमि
B.
श्रम
C. मुद्रा
D.
पूँजी
13 माइक्रोज (Micros) किस भाषा का शब्द है ?
A.
अरबी
B. ग्रीक
C.
जर्मन
D.
अंग्रेजी
14 आर्थिक समस्या मूलतः किस तथ्य की समस्या है :
A. चुनाव की
B.
उपभोक्ता चयन की
C.
फर्म चयन की
D.
इनमें से कोई नहीं
15 उपयोगिता की निम्न में से कौन सी विशेषताएँ हैं ?
A.
उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है।
B.
उपयोगिता व्यक्तिपरक होती है।
C.
उपयोगिता का विचार सापेक्षिक है।
D. उपर्युक्त सभी
16 उपयोगिता को मापा जा सकता है।
A. मुद्रा के द्वारा
B.
वस्तुओं के विनिमय द्वारा
C.
वस्तु के वजन द्वारा
D.
इनमें से कोई नहीं
17 निम्न में से कौन 'गोसेन का दूसरा नियम' कहलाता है ?
A.
उपयोगिता वृद्धि नियम
B.
उपयोगिता ह्रास नियम
C. समसीमांत उपयोगिता नियम
D.
उत्पत्ति समता नियम
18 जब X वस्तु की कीमत में परिवर्तन Y वस्तु की मांग को प्रभावित करता
है, तब यह मांग कहलाती है
A.
कीमत मांग
B.
आय मांग
C.
तिरछी मांग
D.
इनमें से कोई नहीं (ये सभी)
19 उत्पादन फलन में उत्पादन किसका फलन है ?
A.
कीमत का
B. उत्पत्ति के साधनों का
C.
कुल व्यय का
D.
उपर्युक्त सभी
20 मौद्रिक लागत में निम्न में से किसे सम्मिलित किया जाता है ?
A.
सामान्य लाभ
B.
व्यक्त लागतें
C.
अव्यक्त लागतें
D. उपर्युक्त सभी
21 समष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत निम्न में से किसका अध्ययन किया जाता
है ?
A.
आय एवं रोजगार सिद्धान्त
B.
सामान्य कीमत स्तर एवं मुद्रा स्फीति
C.
व्यापार चक्र का सिद्धान्त
D. उपर्युक्त सभी
22 पूँजी के स्टॉक की वृद्धि कहलाती है।
A.
पूँजी ह्मस
B. पूँजी लाभ
C. पूँजी निर्माण
D.
इनमें से कोई नहीं
23 प्रवाह के अंतर्गत निम्न में से कौन शामिल है ?
A.
उपभोग
B.
आय
C.
निवेश
D. उपर्युक्त सभी
24 प्राथमिक क्षेत्र में सम्मिलित होता है।
A. कृषि
B.
खुदरा व्यापार
C.
लघु उद्योग
D.
यातायात
25 NNPMP निम्न में से किसके बराबर होगा ?
A. GNPMP - घिसावट
B.
GNPMP + घिसावट
C.
GNPMP+ अप्रत्यक्ष कर
D.
इनमें से कोई नहीं
26 राष्ट्रीय आय में निम्न में से किसे शामिल किया जाता है।
A.
लगान, मजदूरी
B.
लगान, वेतन
C.
लगान, लाभ
D. लगान, मजदूरी, वेतन, ब्याज, लाभ
27 एक अर्थव्यवस्था में कौन सा क्षेत्र सम्मिलित होता है ?
A.
प्राथमिक
B.
द्वितीयक
C.
तृतीयक
D. उपर्युक्त सभी
28 राष्ट्रीय आय की गणना में निम्न में से किसे सम्मिलित नहीं किया
जाता है ?
A.
पुरानी वस्तुओं का क्रयविक्रय
B.
मध्यवर्ती वस्तुएँ
C. A और B दोनों
D.
इनमें से कोई नहीं
29 RBI का राष्ट्रीयकरण किस वर्ष हुआ ?
A.
1947
B. 1949
C.
1950
D.
1952
30 कीन्स के अनुसार, अर्थव्यवस्था में आय एवं रोजगार का संतुलन स्तर
कहाँ स्थापित होगा ?
A.
AD > AS
B.
AS > AD
C. AD = AS
D.
इनमें से कोई नहीं
31 कीन्स ने अर्थव्यवस्था में न्यून मांग की दशा को किस नाम से पुकारा
है ?
A.
पूर्ण रोजगार संतुलन
B. अपूर्ण रोजगार संतुलन
C.
A और B दोनों
D.
इनमें से कोई नही
32 पंजाब नेशनल बैंक निम्न में से क्या है ?
A. व्यापारिक बैंक
B.
केन्द्रीय बैंक
C.
निजी बैंक
D.
सहकारी बैंक
33 साख मुद्रा का विस्तार होता है जब नकद कोष अनुपात
A. घटता है
B.
बढ़ता है
C.
A और B दोनों
D.
इनमें से कोई नही
34 निम्न में से किस वर्ष भारत में व्यावसायिक बैंको का राष्ट्रीयकरण
हुआ ?
A.
1947
B.
1955
C. 1969
D.
2000
35 मुद्रा पूर्ति का नियमन कौन करता है ?
A.
भारत सरकार
B.
वाणिज्यिक बैंक
C. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
D.
योजना आयोग
36 प्राथमिक घाटे को व्यक्त किया जाता है
A.
राजकोषीय घाटा-राजस्व घाटा
B.
राजस्व घाटा-ब्याज भुगतान
C. राजकोषीय घाटा- ब्याज भुगतान
D.
पूँजीगत व्यय-राजस्व व्यय
37 निम्न में से कौन एक कर प्राप्तियाँ नहीं है
A.
आयकर
B.
निगम कर
C.
सीमा शुल्क
D. फीस
38 निम्न में से असंतुलित बजट है
A.
अतिरेक बजट
B.
घाटे का बजट
C. A और B दोनों
D.
इनमें से कोई नहीं
39 जिस कर प्रणाली में करों की दर आय वृद्धि के साथ साथ घटती जाती है,
उसे क्या कहते हैं ?
A.
आनुपातिक कर प्रणाली
B.
प्रगतिशील कर प्रणाली
C. प्रतिगामी कर प्रणाली
D.
इनमें से कोई नहीं
40 भुगतान शेष के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौन सी मदें सम्मिलित होती
है ?
A.
दृश्य मदें
B.
अदृश्य मदें
C.
पूँजी अंतरण
D. उपर्युक्त सभी
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 5x2 = 10
किन्हीं पाँच प्रश्न का उत्तर दें
1. व्यक्तिगत इकाई का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में होता है
?
उत्तर
: व्यष्टि अर्थशास्त्र
2. सीमांत प्रतिस्थापन की दर क्या है ?
उत्तर
: लैफ्टविच के शब्दों में, “X की Y के लिए सीमान्त प्रतिस्थापन दर (MRSxy) वस्तु Y
की वह मात्रा है जिसका X की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई को प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता
त्याग करने को तत्पर है।"
3. अवसर लागत की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर
: किसी दूसरी वस्तु की वह मात्रा है जिसे पहली वस्तु का उत्पादन करने के लिए छोड़ना
पड़ता है।
4. FAD खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया
?
उत्तर
: अमर्त्य सेन
5. उपभोग वस्तु को परिभाषित करें।
उत्तर
: उपभोग वस्तुओं को उन वस्तुओं के रूप में माना जाता है जो अंतिम उपभोग के लिए सबसे
उपयुक्त होती हैं।
6. हस्तान्तरण भुगतान क्या है ?
उत्तर
: एक हस्तांतरण भुगतान एक मौद्रिक भुगतान है जिसके लिए कोई सामान या सेवाओं का आदान-प्रदान
नहीं किया जाता है।
7. सीमांत उपभोग की प्रवृत्ति क्या है ?
उत्तर
: आय के परिवर्तन के कारण उपभोग में परिवर्तन के अनुपात को सीमांत उपभोग प्रवृत्ति
(MPC) कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न 5×3
किन्हीं पाँच प्रश्न का उत्तर दें
8. गिफिन विरोधाभास क्या है ?
उत्तर
: गिफिन वस्तुएं वह वस्तुएं होती हैं जिनकी कीमत बढ़ने पर मांग मात्रा घटती नहीं है
तथा जिन पर उपभोक्ता अपनी आय का अधिक भाग व्यय करता है यह वस्तुएं जीवन की अनिवार्य
वस्तुएं होती है जैसे गेहूं चावल चना इत्यादि
कुछ
दशाएं ऐसी होती है जिनमें मांग का नियम लागू नहीं होता अर्थात कीमत के गिरने से वस्तु
की मांग की मात्रा नहीं बढ़ती तथा कीमत बढ़ने पर मांग बढ़ती है इस दशाओं को मांग के
नियम के अपवाद कहते हैं
इसकी
सर्वप्रथम व्याख्या राँबर्ट गिफिन ने की है इसका नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया
9. कॉफी के मूल्य में कमी का चाय की मांग पर क्या प्रभाव होगा ?
उत्तर : यदि कॉफी की कीमत में कमी हो जाए तो ऐसी स्थिति में उपभोक्ता चाय के स्थान पर कॉफी का प्रतिस्थापन करना चाहेगा। अतः चाय की मांग घट जाएगी और मांग वक्र बायी ओर खिसक जाएगा।
10. निम्न तालिका को पूरा करें
उत्पादन
इकाई |
कुल
लागत (TC) |
औसत
लागत (AC) |
सीमांत
लागत (MC) |
1 |
20 |
20 |
- |
2 |
38 |
19 |
18 |
3 |
50 |
16.66 |
12 |
4 |
60 |
15 |
10 |
5 |
72 |
14.4 |
12 |
6 |
85 |
14.16 |
13 |
11. सीमांत बचत की प्रवृत्ति तथा सीमांत उपभोग की प्रवृत्ति में क्या
संबंध है ?
उत्तर
: सीमांत बचत प्रवृत्ति : आय में होने वाले परिवर्तन
(∆Y)
के कारण बचत में होने वाले परिवर्तन (∆C)
के अनुपात को सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS) कहते हैं।
MPS=ΔSΔYMPS=ΔSΔY
ΔS = बचत में परिवर्तन ,
ΔY = आय में परिवर्तन
सीमांत
उपभोग प्रवृत्ति : आय में होने वाले
परिवर्तन के फलस्वरुप उपभोग में होने वाले परिवर्तन के अनुपात को सीमांत उपभोग प्रवृत्ति
कहते हैं।
MPC=ΔCΔYMPC=ΔCΔY
∆C
= उपभोग में परिवर्तन , ΔY
= आय में परिवर्तन
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) तथा सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS) के सम्बंध को निम्नलिखित समीकरण की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।
हम जानते हैं कि ΔY = ΔC + ΔS
∴MPC+MPS=ΔCΔY+ΔSΔY
=ΔC+ΔSΔY+ΔYΔY=1
⸫ MPC + MPS = 1
MPC = 1 - MPS
MPS = 1 - MPC
समीकरण से स्पष्ट है कि सीमांत बचत प्रवृत्ति तथा सीमांत उपभोग प्रवृत्ति का योग सदैव 1 के बराबर होता है।
MPS तथा MPC के उपर्युक्त संबंध से स्पष्ट है कि आय के दो मुख्य कार्य है - उपभोग तथा बचत। उपभोग और बचत मिलकर आय के बराबर होते हैं।
12. 'अवस्फीतिक अंतराल' क्या है?
उत्तर
: किसी अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार संतुलन की स्थिति को बनाए रखने के लिए जितनी
समग्र माँग की आवश्यकता होती है यदि समग्र माँग उससे कम हो तो इन दोनों के अंतर को
अवस्फीतिक अंतराल कहा जाता है।
अवस्फीतिक
अंतराल को पूर्ण रोजगार के लिए आवश्यक वांछित (Desired) समग्र माँग” तथा “अपूर्ण रोजगार
से संबंधित आयोजित (Planned) समग्र माँग" के अंतर द्वारा मापा जाता है।
अवस्फीतिक
अंतराल = ADF - ADU
(जहां,
ADF = पूर्ण रोजगार के लिए आवश्यक समग्र माँग, ADU = अपूर्ण
रोजगार से संबंधित समग्र माँग)
अवस्फीतिक अंतराल वास्तव में न्यून माँग ही है जिसे चित्र में FC द्वारा दिखाया गया है।
चित्र
द्वारा न्यून माँग एवं अवस्फीतिक अंतराल की स्थिति ज्ञात होती है। इस चित्र में आय
तथा रोजगार के स्तर को OX अक्ष पर तथा समग्र माँग को OY अक्ष पर दिखाया गया है। AS
समग्र पूर्ति वक्र है तथा ADF और ADU समग्र माँग वक्र हैं। इस
चित्र में पूर्ण रोजगार स्तर पर आवश्यक माँग के स्तर को ADF रेखा द्वारा
दिखाया गया है। संतुलन के इस स्तर पर F बिंदु पर समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति बराबर
है एवं OX अक्ष से ज्ञात होता है कि OM द्वारा श्रम का पूर्ण रोजगार प्रकट हो रहा है।
ADU वक्र अर्थव्यवस्था में न्यून माँग को प्रकट करती है। ADF
और ADU के अंतर FC के द्वारा न्यून माँग या अवस्फीतिक अंतराल ज्ञात होता
है।
न्यून
माँग (Deficient Demand) = अवस्फीतिक अंतराल (Deflationary Gap) = ADF
- ADU = FC
13. 'मुद्रा पूर्ति क्या है ?' इसके विभिन्न घटकों का उल्लेख करें।
उत्तर
: मुद्रा की पूर्ति एक स्टॉक अवधारणा है। किसी भी समय बिंदु
पर जनता के पास उपलब्ध मुद्रा का स्टॉक की मुद्रा की पूर्ति कहलाता है।
23 जून 1998 में डाॅ. वाई. वी. रेड्डी की अध्यक्षता में गठित कार्यदल ने मुद्रा आपूर्ति के संकेतकों ( M1 , M2 , M3 , M4 ) की सिफारिश की।
1.
M1 = जनता के पास ( करेन्सी,
नोट तथा सिक्के) + बैंको की मांग जमाऐ
( चालू और बचत खातों की ) + रिजर्व बैंक
के पास अन्य जमाये
2.
M2 = M1 + डाकघरों की बचत बैंक जमाये
3.
M3 = M1 + बैंकों की सावधि जमाये
4.
M4 = M3 + डाकघर की कुल जमाये
मुद्रा
की पूर्ति मुद्रा अधिकारियों द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्धारित की जाती है। मुद्रा
की पूर्ति के दो निर्धारक तत्व हैं - व्यावसायिक बैंकों की जमा राशि तथा लोगों द्वारा
रखी जाने वाली मुद्रा की मात्रा
सूत्र से ,
M = D + C
----------(1)
जहां , M = मुद्रा की मात्रा , D = बैंको की मांग जमा राशि, C = लोगों के पास मुद्रा
की मात्रा।
शक्तिशाली मुद्रा तीन तत्त्वो से निर्धारित
होती है - लोगों द्वारा नकद मुद्रा की मांग (C) बैंकों द्वारा रिजर्व अनुपात की मांग (RR), एवं
बैंको द्वारा अतिरिक्त रिजर्व की मांग (ER)
सूत्र से,
H = C + RR + ER --------------------(2)
यदि हम CD को Cr ,RD को RRr तथा ERD ERr से प्रतिस्थापित कर दे तो सूत्र निम्न प्रकार होगा -
14. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बीच क्या अंतर है ?
उत्तर
: प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में मुख्य अंतर निम्नलिखित
है -
1. अंतिम भार :- प्रत्यक्ष कर का अंतिम भार उसी व्यक्ति
को उठाना पड़ता है जो सरकार के कर का भुगतान करता है। इसके
विपरीत अप्रत्यक्ष कर जिसका सरकार को भुगतान एक व्यक्ति करता है किंतु अंतिम भार किसी अन्य व्यक्ति को उठाना पड़ता है।
2. कर का टालना :- प्रत्यक्ष
कर
को दूसरे व्यक्तियों पर नहीं टाला जा सकता जबकि अप्रत्यक्ष
कर को दूसरे व्यक्तियों पर टाला जा सकता है।
3. प्रगतिशीलता :- प्रत्यक्ष
कर साधारणतः प्रगतिशील होते हैं।
इनका वास्तविक भार निर्धन व्यक्तियों की तुलना में धनी व्यक्तियों पर अधिक पड़ता
है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर साधारणतः
प्रतिगामी होते हैं। इसका वास्तविक भार निर्धन व्यक्तियों
पर धनी व्यक्तियों की तुलना में अधिक पड़ता है।
प्रत्यक्ष
कर का उदाहरण :- आयकर, संपत्ति कर, निगम कर
अप्रत्यक्ष
कर का उदाहरण :- बिक्री कर, सीमा शुल्क, उत्पादन शुल्क
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 3×5=15
किन्हीं तीन प्रश्नों का उत्तर दें
15. मांग की तालिका एवं मांग वक्र की सहायता से मांग के नियम की व्याख्या
कीजिए ।
उत्तर : मांग का नियम मूल्य तथा मांग के बीच के विपरीत संबंध को व्यक्त करता है। मार्शल के शब्दों में ,"मांगी गई मात्रा मूल्य में कमी के साथ बढ़ती है तथा मूल्य में वृद्धि के साथ घटती है।"
किसी दिए हुए समय में भिन्न-भिन्न मूल्य पर किसी वस्तु की जितनी मांग की जाती है उसकी एक सूची तैयार करें तो उसे ही मांग की तालिका कहते हैं।
कीमत | 8 | 6 | 4 | 2 |
मांग मात्रा | 2 | 3 | 4 | 5 |
तालिका से स्पष्ट है कि जब कीमत घटती है तो वस्तु की मांग मात्रा में वृद्धि होती है।
चित्र से स्पष्ट है कि X अक्ष पर वस्तु X के लिए मांग मात्रा तथा Y अक्ष पर X वस्तु के मूल्य को दर्शाया गया है। मूल्य घटने से मात्रा बढ़ती जाती है। इसलिए DD मांग की रेखा ऊपर से नीचे दाहिनी ओर गीरती है।
16. 'पूर्ति का विस्तार' एवं 'पूर्ति का संकुचन को उपयुक्त रेखाचित्र
की सहायता स्पष्ट करें ।
उत्तर : पूर्ति में विस्तार:- जब
वस्तु
की कीमत में वृद्धि के कारण उत्पादक अधिक इकाइयों की पूर्ति करते हैं तो इसे पूर्ति
में विस्तार कहा जाता है। इस अवस्था में उत्पादक उसी पूर्ति
वक्र पर नीचे से ऊपर की ओर सरक जाता है।
पूर्ति में संकुचन:-अन्य बातें समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत के कम होने के फलस्वरूप उसकी पूर्ति कम हो जाती है तो पूर्ति में होने वाली कमी को पूर्ति का संकुचन कहते हैं। इस अवस्था में उत्पादक उसी पूर्ति वक्र पर ऊपर से नीचे की ओर सरक जाता है।
17. उत्पादक संतुलन से क्या अभिप्राय है ? तालिका एवं रेखाचित्र की
सहायता कुल लागत (TC) कुल आगम (TR) के संदर्भ में उत्पादक संतुलन
की व्याख्या करें।
उत्तर :- उत्पादक संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें उत्पादक या तो अधिकतम लाभ प्राप्त कर कर रहा है या न्यूनतम हानि उठा रहा है। लाभ अधिकतम तब होता है जब TR तथा TC में अंतर अधिकतम होता है।
चित्र में TR और TC का अन्तर AB है। अतः उत्पादक को OQ मात्रा उत्पादन करने पर अधिकतम लाभ प्राप्त होगा और वह संतुलन में होगा।
18. न्यून मांग के क्या कारण हैं ? न्यून मांग का उत्पादन, रोजगार एवं
कीमतों पर क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर
:
न्यून
माँग उत्पन्न होने के कारण
किसी भी देश में न्यून माँग की स्थिति निम्नलिखित
कारणों से उत्पन्न हो सकती है-
(1)
सरकार द्वारा चलन मुद्रा पूर्ति में कमी करने अथवा बैंकों द्वारा साख निर्माण को घटा
देने के कारण देश में कुल मुद्रा की पूर्ति में कमी।
(2)
बैंक दर में वृद्धि से निवेश माँग में कमी।
(3)
करों में वृद्धि के परिणामस्वरूप व्यय योग्य आय एवं उपभोग माँग में कमी।
(4)
सार्वजनिक व्यय में कमी।
(5)
बचत प्रवृत्ति में वृद्धि के कारण उपभोग माँग में कमी।
(6)
निर्यात माँग में कमी।
न्यून
माँग के प्रभाव
(A)
उत्पादन पर प्रभाव -
(i)
न्यून माँग के कारण उत्पादक वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन घटाने के लिए बाध्य होंगे।
(ii)
न्यून माँग के कारण अपनी वर्तमान उत्पादन क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पायेंगे।
(iii)
न्यून माँग के कारण देश के उत्पत्ति के साधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो पायेगा।
(iv)
न्यून माँग के कारण पहले से कार्य कर रही कुछ फर्में अपना कार्य बन्द कर देंगी।
(v)
न्यून माँग के कारण उत्पादन की लागत में वृद्धि होगी ।
(B)
रोजगार पर प्रभाव -
माँग
की कमी के कारण उत्पादकों को वस्तुओं एवं सेवाओं के अपने उत्पादन में कमी करनी पड़ेगी।
इसका सामान्य प्रभाव यह होगा कि देश में रोजगार के स्तर में कमी आ जायेगी।
(C)
कीमतों पर प्रभाव -
न्यून
माँग के कारण देश में कीमत स्तर में कमी आ जायेगी जिससे उत्पादकों के लाभ के मार्जिन
में कमी आ जायेगी तथा उपभोक्ताओं को कम कीमत पर वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्राप्त हो सकेंगी।
19. केन्द्रीय बैंक की साख नियंत्रण की मौद्रिक नीतियों का उल्लेख करें।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक
द्वारा साख नियन्त्रण के लिए अपनाये जाने वाले उपायों को दो मुख्य शीर्षकों के
अन्तर्गत देखा जा सकता है –
1.
परिमाणात्मक विधियाँ (Quantitative Methods)
2. गुणात्मक विधियाँ (Qualitative Methods)
1. परिमाणात्मक
विधियाँ (Quantitative Methods) – इस प्रकार के उपायों द्वारा केन्द्रीय
बैंक प्रत्यक्ष रूप में व्यापारिक बैंकों की साख निर्माण की शक्ति को प्रभावित
करता है। इस श्रेणी की विधियाँ निम्नलिखित हैं –
(a) बैंक दर नीति
(Bank Rate Policy) – बैंक दर ब्याज की वह दर होती है जिस पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक
बैंकों को स्वीकृत प्रतिभूतियों के आधार पर अथवा प्रथम श्रेणी के बिलों की
पुनर्कटौती द्वारा ऋण प्रदान करता है। जब केन्द्रीय बैंक को साख का विस्तार करना
होता है तो केन्द्रीय बैंक, देर में बैंक कमी कर देता है तथा साख का संकुचन करने
के लिए बैंक दर को बढ़ा देता है। इसके द्वारा केन्द्रीय बैंक अपने अधीनस्थ बैंकों
की ऋण देने की क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। साख नियन्त्रण का यह
सबसे अधिक प्रचलित तरीका है।
(b) खुले बाजार की
क्रियाएँ (Open Market Operations) – केन्द्रीय बैंक जब सरकारी प्रतिभूतियों
का क्रय-विक्रय करता है तो इसे खुले बाजार की क्रियाएँ कहते हैं। केन्द्रीय बैंक
को जब साख का विस्तार करना होता है तो वह सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने लगता है
और जब साख का संकुचन करना होता है तो वह सरकारी प्रतिभूतियों को बेचना प्रारम्भ कर
देता है। प्रतिभूति खरीदने से बैंकों के पास नकद कोष बढ़ जाते हैं और वे ज्यादा ऋण
देने में समर्थ हो जाते हैं। इसी प्रकार प्रतिभूतियाँ बैंकों को बेचने पर उनके नकद
कोष कम हो जाते हैं जिससे उनकी ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है।
(c) नकद कोषानुपात में
परिवर्तन (Change in CRR) – नकद कोषानुपात में परिवर्तन करके भी केन्द्रीय बैंक साख निर्माण
की मात्रा को प्रभावित करता है। जब उसे साख का विस्तार करना होता है तो वह इस
अनुपात को घटा देता है। तथा साख का संकुचन करने के लिए इसे बढ़ा देता है।
(d) तरल कोषानुपात में
परिवर्तन (Change in SLR) – साख की मात्रा को बढ़ाने के लिए इस अनुपात में भी कमी कर दी जाती
है तथा साख की मात्रा को घटाने के लिए इस अनुपात को बढ़ा दिया जाता है।
2. गुणात्मक विधियाँ
(Qualitative Methods) – केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए कुछ गुणात्मक उपाय भी
अपनाये जाते हैं जो निम्न प्रकार है –
(a) चयनात्मक साख
नियन्त्रण (Selective Credit Control) -चयनात्मक साख नियन्त्रण के अन्तर्गत
केन्द्रीय बैंक उन क्षेत्रों में उदार साख नीति अपनाता है जहाँ साख विस्तार करने
की आवश्यकता है तथा जहाँ साख का संकुचन करने की आवश्यकता होती है, उन क्षेत्रों
में कठोर साख नीति अपनायी जाती है।
(b) साख की राशनिंग
(Credit Rationing) – इस विधि के अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक विभिन्न क्षेत्रों के लिए
वहाँ की आवश्यकताओं का मूल्यांकन करकें साख निर्माण की अधिकतम सीमा निश्चित कर
देता है। इससे बैंकों की साख निर्माण की शक्ति सीमित हो जाती है। साख का की
राशनिंग निम्न तरीके से की जा सकती है –
1.
किसी बैंक के लिए बिलों का पुन: भुनाने की सुविधा को पूरी तरह समाप्त
कर देना।
2.
बैंकों के बिलों की पुनर्कटौती की सीमा निश्चित करके
3.
विभिन्न उद्योगों या व्यवसायों को दिये जाने वाले ऋण की सीमा निश्चित
करके अथवा कोटा निर्धारित करके।
(c) नैतिक दबाव (Moral
Pressure) – केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए नैतिक दबाव की नीति
भी। अपनायी जाती है। इसके अन्तर्गत वह सलाह देकर या मार्गदर्शन प्रदान करके अपनी
नीति को लागू कराता है। बैंक प्रायः केन्द्रीय बैंक की सलाह को मानकर ही कार्य
करते हैं।
(d) प्रचार
(Advertisement) – कभी-कभी केन्द्रीय बैंक प्रचार के माध्यम से भी साख को नियन्त्रित
करने का कार्य करता है। केन्द्रीय बैंक पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा तथा भाषणों
के माध्यम से भी प्रचार कार्य करता है।
(e) प्रत्यक्ष
कार्यवाही (Direct Action) – केन्द्रीय बैंक द्वारा बैंकों के विरुद्ध सीधी कार्यवाही भी की जा
सकती है। केन्द्रीय बैंक ऐसा प्रायः तभी करता है जब कोई बैंक उसके आदेशों का पालन
नहीं करता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक ऐसे बैंक को ऋण देने पर रोक लगा देता
है अथवा व्यापारिक बिलों की पुनर्कटौती नहीं करता है। उससे ऊँची ब्याज दर वसूल
सकता है। इन उपायों के अपनाने पर दोषी बैंक स्वत: केन्द्रीय बैंक के आदेशों का
पालन करने के लिए मजबूर हो जाता है।