पाठ्यपुस्तक आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. "यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज है,
एक ऐसी आवाज, जो किसी सन्त या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की है।" इल्या
इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के सन्दर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार
करें।
उत्तर
: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में हिटलर का शासन था। उस समय अपनी नस्लवादी
नीतियों के कारण हिटलर ने वहाँ रहने वाले साठ लाख यहूदियों को अनेक यातनाएँ झेलने को
विवश किया था। ऐन फ्रैंक भी रिवार की लड़की थी। उसे भी अपने परिवार के साथ दो वर्ष
से भी अधिक समय तक अनेक कष्टों को झेलना पड़ा था। उसी अवधि में उसने उन सब स्थितियों
का वर्णन अपनी डायरी में किया। उस समय यहूदियों को अपने-अपने घरों से भाग कर अज्ञात
स्थानों पर रहना पड़ा था। उन्हें आतंक, भय, भूख-प्यास, पकड़े जाने की चिन्ता एवं हवाई
हमलों के भय से रात-दिन भूमिगत रहना पड़ता था।
वे
न दिन में बाहर आ सकते थे, न रात में निश्चिन्त सो सकते थे। राशन की कमी, बिजली की
कटौती तथा चोर-उचक्कों का भय भी बना रहता था। यातना-गृहों एवं नाजी शिविरों में अमानवीय
व्यवहार किया जाता था। इन सब बातों का सांकेतिक वर्णन ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में
किया है। इसी कारण यह साठ लाख यहूदियों की तरफ से बोलने वाली एक ऐसी आवाज है कवि की
न होकर एक भुक्तभोगी लड़की की है। अतः ऐन फ्रैंक की डायरी को लेकर इल्या इहरनबुर्ग
की उक्त टिप्पणी पूर्णतया उचित तथा एकदम सटीक है।
प्रश्न 2. "काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गम्भीरता से समझ
पाता। अफसोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला।" क्या आपको लगता है कि ऐन के
इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है?
उत्तर
: यह पूर्णतया सत्य है कि लेखक अपनी हृदयगत भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए लिखता
है। यदि किसी को अपने हृदय की बात कहने या किसी भी अन्य व्यक्ति के सामने कहने का अवसर
मिल जाता है, तो उस बात को लिखने की आवश्यकता नहीं रहती है। जब कोई श्रोता न मिले,
तब किसी अन्य पात्र को पत्र द्वारा या कल्पित पात्र ऐन फ्रैंक अज्ञातवास के समय सभी
सदस्यों में से छोटी उम्र की थी। मिसेज वानदान और मिस्टर डसेल प्रायः उसकी नुक्ताचीनी
करते थे।
इस
कारण ऐन उनसे नफ़रत करती थी। उसकी मम्मी भी कोरी उपदेशिका बनी रहती थी। केवल पीटर से
उसकी दोस्ती थी, परन्तु उससे भी संवाद करना ऐन को सरल नहीं लगता था। ऐसे में वह अपनी
भावनाओं को किसी से भी खुलकर व्यक्त नहीं कर पाती थी। इस कारण उसने जन्म दिन पर मिली
किट्टी नामक गुड़िया को लक्ष्य कर अपने हृदयगत भावों को डायरी में लिखना प्रारम्भ किया।
अतः स्पष्ट हो जाता है कि उसके इस कथन में ही उसके डायरी-लेखन का कारण निहित है और
यही यथार्थ कारण भी है।
प्रश्न 3. "प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे
पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें इसकी स्वतन्त्रता स्त्री से छीनकर
हमारी विश्व व्यवस्था ने न सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व विकास के अनेक अवसरों से वंचित
किया है बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की है।" ऐन की डायरी के 13 जून,
1944 के अंश में व्यक्त विचारों के सन्दर्भ में इस कथन का औचित्य ढूँढ़ें।
उत्तर
: स्त्रियों की स्थिति को लेकर ऐन के विचार-ऐन ने अपनी डायरी के उक्त अंश में यह माना
है कि पुरुष अपनी शारीरिक क्षमता के कारण स्त्रियों पर शासन करते हैं, उन्हें घर-बार
से बाँध कर रखते हैं। इससे स्त्रियों को उचित सम्मान नहीं मिलता है। स्त्रियाँ बच्चे
को जन्म देने में जो पीड़ा सहती हैं, वे युद्ध में लड़ने वाले बहादुर सैनिक से कम नहीं
हैं। इस तरह स्त्रियाँ सदैव अपनी कमजोरी के कारण अपमान सहती हैं।
ऐन
यह नहीं कहती है कि स्त्रियों को बच्चे जनना बन्द कर देना चाहिए, क्योंकि प्रकृति चाहती
है कि वे ऐसा करें। ऐन कहती है कि ऐसे मूल्यों और ऐसे व्यक्तियों की भर्त्सना करनी
चाहिए, जो यह मानने को तैयार नहीं होते कि समाज में खूबसूरत और सौन्दर्यमयी स्त्रियों
का कितना महान् और विशिष्ट योगदान है। ऐन यह भी मानती है कि आने वाली शताब्दी में औरतों
के लिए बच्चा पैदा करना अनिवार्य कार्य नहीं रहेगा। तब वे ज्यादा सम्मान और सराहना
की हकदार बनेंगी।
भारत
की वर्तमान स्थिति-ऐन को डायरी लिखे लगभग आठ दशक हो गये हैं। आज भारत में औरतों को
पहले की अपेक्षा अधिक सम्मान मिलने लगा है तथा उनमें सामाजिक जागृति आ रही है। ग्रामीण
क्षेत्रों की अशिक्षित औरतें अभी भी पुरुषों के शासन में रहती हैं और उनका शारीरिक
शोषण भी हो रहा है, परन्तु शहरी समाज में स्त्रियों की स्थिति उत्तरोत्तर महत्त्वपूर्ण
बन रही है। अतः ऐन ने सभी औरतों के लिए जो
कहा
है, वह काफी परिवर्तित हो गया है। अब बच्चे को जन्म देना उनका अधिकार आंशिक रूप से
ऐच्छिक हो गया है।
प्रश्न 4."ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवन्त दस्तावेज
है, तो साथ ही उसके निजी सुख दुःख और भावनात्मक उथल-पुथल का भी। इन पृष्ठों में दोनों
का फर्क मिट गया है।" इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति या असहमति तर्कपूर्वक
व्यक्त करें।
उत्तर
: डायरी-लेखन ऐसी विधा है, जिसमें अपने जीवन के भोगे गये क्षणों एवं घटनाओं का वर्णन
करने के साथ ही आसपास के परिवेश का भी वर्णन प्रसंगानुसार स्वाभाविक शैली में किया
जाता है। ऐन ने भी अपनी डायरी में द्वितीय विश्व युद्ध की विभिन्न स्थितियों एवं घटनाओं
का वर्णन साक्षात् भुक्तभोगी और प्रत्यक्षदृष्टा के रूप में किया है। उस समय हिटलर
के नस्लवाद के कारण लाखों यहूदियों को अनेक यातनाओं का सामना करना पड़ा।
ऐन
के परिवार के समान ही अन्य यहूदी परिवारों को आत्मरक्षार्थ अज्ञात या गुप्त स्थानों
पर लम्बे समय तक रहना पड़ा। उस समय हिटलर ने जो क्रूरता दिखाई, ब्रिटिश सेना ने जो
साहस दिखाया, टर्की ने मध्यस्थता की और नीदरलैण्ड ने जो अमानवीय आचरण किया, उन सभी
घटनाओं का ऐन ने सांकेतिक उल्लेख किया है। ये सब बातें ऐतिहासिक दस्तावेज हैं। साथ
ही ऐन ने अपने निजी जीवन को लेकर, अपने सुख-दुःखों और भावनात्मक उथल-पुथल को लेकर बीच-बीच
में अनुभूतिमय वर्णन किया है।
उसके
द्वारा डायरी में किया गया ऐसा यथार्थ क्रमिक वर्णन इतना घुल-मिल गया है कि दोनों में
अन्तर नहीं रह गया है। अतः उक्त कथन से हम पूर्णतया सहमत हैं। इसमें ऐतिहासिक घटनाओं
के साथ ही निजी जीवन के सुख-दुःख के क्षणों का सुन्दर वर्णन किया गया है, जिससे दोनों
में फर्क मिट गया है।
प्रश्न 5. ऐन ने अपनी डायरी 'किट्टी' (एक निर्जीव गुड़िया) को सम्बोधित
चिट्ठी की शक्ल में लिखने की जरूरत क्यों महसूस की होगी?
उत्तर
: जब 12 जून, 1942 को ऐन का तेरहवाँ जन्मदिन मनाया गया, तो उसे सफेद और लाल कपड़े की
जिल्दवाली एक नोटबुक और एक गुड़िया उपहार में दी गई। तभी उसने तय किया कि वह उस नोटबुक
को अपनी डायरी बनायेगी। तब उसने उस गुड़िया को किट्टी नाम से सम्बोधित करके लिखना प्रारम्भ
किया। इसके एक महीने बाद ही अज्ञातवास में जाने की नौबत आ गयी। वहाँ पर भी ऐन ने उसी
तरह डायरी लिखना जारी रखा।
ऐन
ने किट्टी को ही सम्बोधित कर चिट्ठी के रूप में डायरी इसलिए लिखी कि वह गुड़िया उसे
अत्यधिक प्रिय थी। उसे वह अपनी सहेली एवं मित्र मानती थी। अज्ञातवास में तो सभी आठ
सदस्यों में वही सबसे छोटी थी। परिवार के अन्य लोग सामयिक बातों पर चर्चा करते थे।
मिस्टर डसेल उसके कामों की नुक्ताचीनी करते थे, मम्मी उसे उपदेश देने लगती थी।
वे
लोग उसके मनोभावों की उपेक्षा करते थे। इस कारण ऐन का लगाव अपनी गुड़िया एवं डायरी-लेखन
से हो गया था। एकान्त गुप्तवास में समय व्यतीत करने का यही अच्छा साधन था। इसलिए उसने
डायरी का लेखन गुड़िया को सम्बोधित कर लिखा, जो कि उसकी किशोरावस्था की अनुभूति के
कारण उचित ही मानना चाहिए।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. द्वितीय विश्व-युद्ध के समय किन परिवारों को किसके प्रभाव
के कारण किस प्रकार की यातनाएँ सहनी पड़ी थीं?
उत्तर
: द्वितीय विश्व-युद्ध के समय हॉलैंड के यहूदी परिवारों को जर्मनी के प्रभाव के कारण
अकल्पनीय यातनाएँ सहनी पड़ी थीं।
प्रश्न 2. जर्मनी का शासक कौन था? उसने किसके माध्यम से लाखों यहदियों
को मौत के घाट उतारा था?
उत्तर
:जर्मनी का शासक हिटलर था। उसने गैस-चैंबर व फायरिंग स्क्वायड के माध्यम से लाखों यहूदियों
को मौत के घाट उतारा था।
प्रश्न 3. ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में क्या लिपिबद्ध किया है?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक ने द्वितीय महायुद्ध काल में गुप्त आवास में बिताए दो वर्षों का जीवन अपनी
डायरी में लिपिबद्ध किया है।
प्रश्न 4. फ्रैंक परिवार में कुल कितने सदस्य थे और वे कौन थे?
उत्तर
: फ्रैंक परिवार में कुल चार सदस्य थे जिसमें माता-पिता, तेरह वर्षीय ऐन, व उसकी बड़ी
बहिन मार्गोट थी।
प्रश्न 5. वान दम्पति ने गुप्त आवास में कितने वर्ष बिताए थे? उस परिवार
में कितने सदस्य थे?
उत्तर
: वान दम्पति ने गुप्त आवास में दो वर्ष बिताए थे। उस परिवार में कुल तीन सदस्य थे।
वान दम्पति के अलावा उनका सोलह वर्ष का बेटा पीटर था।
प्रश्न 6. ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में किस काल की घटनाओं को लिपिबद्ध
किया है?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में 2 जून, 1942 से पहली अगस्त सन् 1944 तक की अमानवीय घटनाओं
को लिपिबद्ध किया है।
प्रश्न 7. ऐन फ्रैंक ने अपनी चिट्टियों में किसको संबोधित किया है?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक ने अपनी चिट्ठियों में किट्टी नामकं उस गुड़िया को संबोधित किया है जो
उसे अच्छे दिनों में जन्म दिन पर उपहार में मिली थी।
प्रश्न 8. ऐन फ्रैंक की लिपिबद्ध डायरी को किसने प्रकाशित कराया?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक की लिपिबद्ध डायरी को उसके पिता ओटो फ्रैंक ने उसकी मृत्यु के बाद
1947 में प्रकाशित कराया।
प्रश्न 9. मिस्टर वान दान कौन थे? उन्हें भूमिगत क्यों होना पड़ा?
उत्तर
: मिस्टर वान दान यहुदी थे। वे ओटो फ्रैंक के व्यवसाय में साझीदार थे। जर्मनों के अत्याचारों
के कारण उन्हें भूमिगत होना पड़ा था।
प्रश्न 10. ऐन को दरवाजे की घंटी क्यों नहीं सुनाई दी थी?
उत्तर
: ऐन को दरवाजे की घंटी सुनाई नहीं दी, क्योंकि वह बाल्कनी में धूप में अलसाई सी बैठी
पढ़ रही थी।
प्रश्न 11. मार्गोट के मना करने पर भी ऐन ने दरवाजा क्यों खोल दिया
था?
उत्तर
: मार्गोट के मना करने पर भी ऐन ने दरवाजा इसलिए खोल दिया था, क्योंकि उसने मिस्टर
वानदान और हैलो को बाहर बात करते हुए देख लिया था।
प्रश्न 12. ए.एस. एस. से बुलाए जाने का नोटिस किसके लिए आया था?
उत्तर
: ए.एस.एस. से बुलाए जाने का नोटिस ऐन के पापा के बजाय मार्गोट के लिए ही आया था जबकि
मार्गोट ने गलत समझ लिया था।
प्रश्न 13. मिएज अपने थैले में कौन-कौन सी चीजें लेकर आयी थी?
उत्तर
:मिएज अपने साथ जूतों, ड्रेसों, जैकेटों, अंगूलिए को तथा स्टाकिंग्स को थैले में डालकर
लाया था।
प्रश्न 14. ऐन ने घर से बाहर जाते समय अपने शरीर पर ढेर सारे कपड़े
क्यों पहने?
उत्तर
: यहूदियों के लिए अटैची या अन्य सूटकेस लेकर बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं था। अतः
उसने तन पर कई-कई कपड़े पहन कर अपना सामान छिपाने के स्थान पर पहुंचाया।
प्रश्न 15. हिटलर के शासन में यहूदियों को क्या पहनने के लिए विवश किया
गया था?
उत्तर
: हिटलर के शासन में यहूदियों को अपनी पहचान के लिए 'पीला सितारा' पहनने के लिए विवश
किया गया था।
प्रश्न 16. ऐन के परिवार वालों ने दो वर्ष कहाँ छिप कर गुजारे थे?
उत्तर
: ऐन के परिवार वालों ने ऐन के पिता के आफ़िस के पीछे स्थित दुमंजिले मकान में छिपकर
अपने दो वर्ष गुजारे थे।
प्रश्न 17. ऐन के पिता को अपना अज्ञातवास एक सप्ताह पहले क्यों शुरू
करना पड़ गया था?
उत्तर
: ऐन की 16 वर्षीय बहिन के लिए मार्गोट हेतु ए.एस.एस. से बुलावा आ गया। इस अनियमित
बुलावे के कारण पिता को अपना अज्ञातवास एक सप्ताह पहले शुरू करना पड़ गया था।
प्रश्न 18. अज्ञातवास के लिए जाते समय ऐन के घरवालों को किसकी देखभाल
की चिन्ता थी?
उत्तर
: अज्ञातवास के लिए जाते समय ऐन के घरवालों को उनकी पालतू बिल्ली की चिन्ता थी। उसका
नाम 'मुतजै' था।
प्रश्न 19. गोल्डश्क्टि कौन था?
उत्तर
: गोल्डश्क्ड्टि तीस वर्ष का विधुर था जो ऐन के पिता के मकान में बने ऊपर वाले कमरे
में किराए पर रहता था।
प्रश्न 20. ऐन के पिता ने अपनी बिल्ली के लिए क्या प्रबंध किया?
उत्तर
: ऐन के पिता ने अपनी बिल्ली की देखभाल के लिए अपने पड़ोसी से बातचीत कर रखी थी। जाते
समय उन्होंने अपने अपने किराएदार के लिए नोट छोड़ा कि वे उसे पड़ोसी तक पहुँचा दें।
प्रश्न 21.आफ़िस के हवादार और रोशनी वाले कमरे में कौन-कौन काम करते
थे?
उत्तर
: आफ़िस के हवादार और रोशनी वाले कमरे में बेप, मिएप और मिस्टर क्लीमैन दिन में काम
करते थे।
प्रश्न 22. ऐन के परिवार को सूरज और चाँद के दर्शन क्यों नहीं हो पाते
थे?
उत्तर
: ऐन के परिवार को सूरज और चाँद के दर्शन इसलिए नहीं हो पाते थे क्योंकि उन्हें अपनी
खिड़कियों को ब्लैक आउट वाले परदों से ढकना पड़ता था
प्रश्न 23. मिस्टर डसेल और माँ की डाँट-फटकार सुनकर ऐन के मन में क्या
प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर
: मिस्टर डसेल और माँ की डाँट-फटकार सुनकर ऐन को कभी हँसी और कभी अचानक रोना आ जाता
था।
प्रश्न 24. हिल्वर सम में किन लोगों के लिए राशन कार्ड जारी किए गए
थे?
उत्तर
: हिल्वर सम में ऐसे लोगों के लिए राशन कार्ड जारी किए गए थे, जो अज्ञातवास में रह
रहे हों, उन्हें राशन खरीदने में सुविधा हो सके।
प्रश्न 25. अज्ञातवास में रह रहे सभी लोगों से रजिस्ट्रार ने क्या आग्रह
किया?
उत्तर
: अज्ञातवास में रह रहे सभी लोगों से रजिस्ट्रार ने आग्रह किया कि फलाँ दिन एक अलग
मेज पर आकर वे अपने कार्ड ले जाएं।
प्रश्न 26. केबिनेट मंत्री मिस्टर बोल्के स्टोन ने लंदन से डच प्रसारण
में क्या कहा था?
उत्तर
: कैबिनेट मंत्री ने अपने डच प्रसारण में कहा था कि युद्ध के बाद युद्ध का वर्णन करने
वाली डायरियों और पत्रों का संग्रह किया जाएगा।
प्रश्न 27. 'डायरी के पन्ने' के आधार पर पीटर का स्वभाव कैसा था?
उत्तर
:'डायरी के पन्ने' के आधार पर पीटर का स्वभाव सहनशील, शान्तिप्रिय और सहज आत्मीयता
से पूरित था। उसके मन में ऐन के प्रति लगाव था।
प्रश्न 28. द्वितीय विश्व-युद्ध प्रारम्भ होने पर हिटलर की किन नीतियों
के कारण यहूदियों पर अत्याचार होने लगे थे?
उत्तर
: द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ होने पर हिटलर की नस्लवादी नीतियों के कारण यहूदियों
पर अत्याचार होने लगे थे।
प्रश्न 29. हिटलर और सैनिकों की बातचीत के रेडियो प्रसारण में किस तरह
की बातें सुनाई देती थीं?
उत्तर
: हिटलर और सैनिकों की बातचीत के रेडियो प्रसारण में प्रायः युद्ध-क्षेत्र की घटनाओं
और सैनिकों के घायल होने की बातें सुनाई देती थीं।
प्रश्न 30. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नीदरलैण्ड्स व जर्मनी का आम
जीवन कैसा हो गया था?
उत्तर
: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नीदरलैण्ड्स व जर्मनी का आम जीवन एकदम पूरी तरह से
अव्यवस्थित हो गया था।
प्रश्न 31. 'युद्ध काल में मनुष्यों की नैतिकता समाप्त हो गयी थी।'
इस कथन की ऐन फ्रैंक द्वारा दिए गये उदाहरणों के आधार पर लिखिए।
उत्तर
: युद्ध काल में लूट-पाट करने, युवतियों के साथ दुर्व्यवहार होना यातना शिविरों में
अमानवीय पीड़ा देने आदि से नैतिकता समाप्त हो गयी थी।
प्रश्न 32. "प्रकृति ही तो ऐसा वरदान है जिसका कोई सानी नहीं।"
ऐन फ्रैंक ने प्रकृति के संबंध में ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक ने प्रकृति के संबंध में ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि प्रकृति के नाना दृश्यों
से हमारे मन को आनन्द और शान्ति मिलती है। इसे कोई भी प्राप्त कर सकता है।
प्रश्न 33. ऐन फ्रैंक प्रकृति के संबंध में क्या सोचती थी?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक सोचती थी कि प्रकृति अपने सम्पूर्ण सौन्दर्य को बिना भेदभाव के सब में
वितरित करती है और अमीर-गरीब सभी को आनन्दित करती है।
प्रश्न 34. फ्रैंक परिवार के कितने सदस्यों को नाजियों की नस्लवादी
आग में आहुति देनी पड़ी थी?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक, मार्गोट और माँ को नाजियों की नस्लवादी साम्प्रदायिक आग में अपनी आहुति
देनी पड़ी थी।
प्रश्न 35. ऐन फ्रैंक की डायरी को 'एक भोक्ता' की दृष्टि से क्यों देखा
जाता है?
उत्तर
: द्वितीय विश्व युद्ध में यहूदी परिवारों ने जो भोगा उसका यथार्थ वर्णन होने से उस
डायरी की 'एक भोक्ता' की संवेदना से देखा जाता है।
प्रश्न 36. 'जीवन का सच्चा आनन्द' ऐन फ्रैंक किसमें मानती है?
उत्तर
:ऐन फ्रैंक मानती है कि जीवन का सच्चा आनन्द स्वतंत्रता में है और स्वतंत्र रूप से
प्रकृति-दर्शन में है।
प्रश्न 37. ऐन फ्रैंक के अनुसार प्रकृति हमें क्या देती है?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक के अनुसार प्रकृति हमें निरपेक्ष भाव से शान्ति और आनन्द देती है और विविध
गुणों को अपनाने का संदेश देती है।
प्रश्न 38. पुरुषों ने औरतों पर किस आधार पर शासन किया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
: पुरुष घर में कमा कर लाता है और परिवार की जीविका चलाता है तथा जो चाहे कर सकता है।
इन आधारों पर पुरुषों ने औरतों पर शासन किया है।..
प्रश्न 39. ऐन फ्रैंक कैसे लोगों की भर्त्सना करती है? पाठ के आधार
पर बताइए।
उत्तर
: ऐन फ्रेंक ऐसे लोगों की भर्त्सना करती है जो यह मानने को तैयार नहीं हैं कि समाज
में खूबसूरत और सौन्दर्यमयी औरतों का योगदान कितना महान और मुश्किल होता है।
प्रश्न 40. "मेरा विश्वास है कि अगली सदी आने तक यह मान्यता बदल
चुकी होगी।" ऐन फ्रैंक ने किस मान्यता के बदल जाने पर विश्वास व्यक्त किया है?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक ने विश्वास व्यक्त किया है कि अगली सदी तक औरतों का काम केवल बच्चा पैदा
करना न रहेगा। वे अन्य कार्यों में भी सम्मान की हकदार होंगी।
प्रश्न 41.जिएज एंड कम्पनी ने अपने एक हजार गिल्डर के नोटों का निपटान
किस प्रकार किया?
उत्तर
: जिएज एंड कम्पनी ने आगामी वर्षों के संभावित कर के रूप में एक हजार गिल्डर के नोटों
को सरकारी खजाने में जमा करा दिया।
प्रश्न 42. ऐन फ्रैंक के घर वाले उसके कौन-कौन से शौकों पर खुश नहीं
थे?
उत्तर
:ऐन फ्रैंक के फिल्मी कलाकारों और फिल्मों के बारे में जानना तथा नई-नई केश-सज्जा करना
ऐसे शौक थे। जिन्हें घर वाले पसंद नहीं करते थे।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. फ्रैंक परिवार ने तत्काल गोपनीय स्थान पर जा छिपने का निर्णय
क्यों लिया? 'डायरी के पन्ने' पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर
: द्वितीय विश्व युद्ध के समय हिटलर जर्मनी का शासक था। उसकी नस्लवादी नीतियों के कारण
यहूदियों पर अत्याचार होने लगे थे। उन्हें तरह-तरह के कष्ट, यातनाएँ सहनी पड़ती थीं।
उसके साथ ढोर-डकारों जैसा अमानवीय व्यवहार किया जाता था। ऐन फ्रैंक का परिवार भी यहूदी
था।
एक
दिन ऐन की बड़ी बहिन मार्गोट को ए.एस.एस. से बुलावा आया था। उस समय मार्गोट सोलह वर्ष
की नवयुवती थी। उसके बुलावा आने का आशय उत्पीड़न ही था। परिवार इस बुलावे को कैसे सहन
कर सकता था। इस बुलावे से भयभीत होकर, फ्रैंक परिवार ने तत्काल गोपनीय स्थान पर जाने
का निर्णय लिया ताकि वे अपने आपको सुरक्षित रख सकें और क्रूर शासक के द्वारा किए जा
रहे अन्याय और अत्याचारों से बच सकें।
प्रश्न 2. हिटलर के नस्लवाद के कारण यहुदियों के प्रति जन-भावना कैसी
थी? 'डायरी के पन्ने' पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर
: जर्मन लोग यहूदियों से बहुत घृणा करते थे। वे यहूदियों को अनेक तरह से यातनाएँ देते
थे। उनके शासन में यहूदियों को गाड़ी पर आना-जाना भी मना था। परन्तु कुछ सभ्य जन पीड़ित
यहूदियों के प्रति करुणा भी रखते थे। वे उनकी लाचारी को देखकर भले ही कुछ न कर पाते
थे किन्तु उनकी आँखों में यहूदियों के प्रति सहानुभति की भावना ए नागरिकों ने यहदियों
और भमिगत रहने वाले लोगों की तरह-तरह से सहायता भी की थी।
हिल्वर
सम ने तो भूमिगत रहने वाले लोगों के लिए राशन कार्ड भी जारी किए थे जिससे उन्हें आसानी
से राशन खरीदने में सुविधा हो सके। लेकिन हिटलर की खुफ़िया पुलिस (गेस्टापो) ऐसे छिपे
हुए लोगों को खोजकर यातना शिविरों में ले जाती थी। इस तरह उस समय यहदियों के प्रति
मिली-जुली जन भावना थी।
प्रश्न 3. अज्ञातवास के दौरान ऐन फ्रैंक और परिजनों का जीवन कैसा हो
गया था?
उत्तर
: अज्ञातवास के दौरान ऐन फ्रैंक व उसके परिजनों का जीवन एकदम नीरस हो गया था। वे लोग
कहीं आ जा नहीं सकते थे। सब लोग डरे-डरे व सहमे रहते थे। वे घूम-फिर कर वही बातें दोहराते
थे। खाना खाते समय उनके ' बीच जो बातें होती थीं। उनका विषय अच्छा खाना होता था या
फिर राजनीति। इसके अतिरिक्त मम्मी या मिसेज़ वानदान अपने बचपन की उन कहानियों को लेकर
बैठ जाती थी जो हम हजार बार सुन चुके थे। या फिर मिस्टर डसैल शुरू हो जाते थे।
वे
खूबसूरत रेस के घोड़े, उनकी चार्लोट का महँगा वॉर्ड रोल, लीक करती नावों, चार बरस की
उम्र में तैर सकने वाले बच्चे, दर्द करती माँसपेशियाँ और डरे हुए मरीज़ आदि के संबंध
में उनके किस्से हुआ करते थे। ये सारी बातें सबको रट चुकी थीं। कोई भी लतीफ़ा नया नहीं
होता था। किसी भी लतीफे को सुनने से पहले ही हमें उसकी पंचलाइन पता होती थी। नतीज़न
लतीफा सुनाने वाले को अकेले ही हँसना पड़ता था। परिणामस्वरूप सभी का जीवन बोरियत वाला
एवं कष्टमय बन गया था।
प्रश्न 4. "पापा का चेहरा पीला पड़ चुका था। वे नर्वस थे।"
ऐन ने इसका क्या कारण बताया?
उत्तर
: लेखिका ने बताया है कि उसके पिता एक स्थान पर घबराए हुए दृष्टिगत होते हैं। जिसके
कारण उनके पापा का चेहरा पीला पड़ चुका था और वे नर्वस से प्रतीत हो रहे थे। इसका कारण
यह था कि एक रात उनके घर के नीचे वाले गोदाम में चोरी और लूटमार की नियत से कुछ सेंधमार
घुस आए थे। उन्होंने गोदाम के किवाड़ के फट्टे को तोड़ दिया था और लूटमार में लग गए
थे। पिताजी, मिस्टर वानदान और पीटर लपक कर नीचे पहुँच गए।
बिना
सोचे-समझे मिस्टर वान-दान चिल्लाए, 'पुलिस'। पुलिस का नाम सुनते ही सेंधमार भाग गए।
फट्टे को दोबारा उसी जगह पर लगाया गया ताकि पुलिस को इस गैप का पता न चले। लेकिन अगले
क्षण फिर सेंधमारों द्वारा फट्टा वापस गिरा दिया गया और वे लौटकर फिर से चोरी करने
में जुट गए। इस सारे दृश्य की अनुभूति करके लेखिका के पिता को लगा कि उनके अज्ञातवास
का पता चल जाता।
प्रश्न 5. अज्ञातवास में रहते हुए ऐन को अपने सोलहवें जन्मदिन पर क्या
उपहार मिले थे? बताइए।
उत्तर
: अज्ञातवास में रहते हुए ऐन को सोलहवें जन्म दिन पर काफ़ी उपहार मिले थे। स्प्रेगर
की पाँच खंडों वाली कलात्मक इतिहास पुस्तक, चूड़ियों का एक सेट, दो बेल्ट, एक रूमाल,
दरी के दो कटोरे, जैम की शीशी, शहद वाले दो छोटे बिस्किट, मम्मी-पापा की तरफ से वनस्पति
विज्ञान की एक किताब मार्गोट की तरफ से सोने का एक ब्रेसलेट, वानदान परिवार की तरफ
से स्टिकर एलबम, डसेल की तरफ से बायोमाल्ट और मीठे मटर, मिएप की तरफ से मिठाई, बेप
की तरफ से मिठाई लिखने के लिए कॉपियाँ, कुगलर की तरफ से मारिया तेरेसा नाम की किताब
तथा क्रीम से भरे चीज के तीन स्लाइस, पीटर की तरफ से पीओनी फूलों का खूबसूरत गुलदस्ता
मिला था।
प्रश्न 6. हिटलर और सैनिकों की बातचीत के रेडियो प्रसारण से जर्मनी
के सैनिकों के बारे में क्या अनुमान होता था?
उत्तर : हिटलर और सैनिकों की बातचीत के रेडियो प्रसारण में प्रायः युद्ध क्षेत्र की घटनाओं और सैनिकों के घायल होने के संबंध में ही उनकी बातें सुनाई देती थीं। दोनों के मध्य रेडियो प्रसारण में होने वाली बातें कुछ करुणाजनक थीं। हिटलर और सैनिकों के बीच सवालों-जवाबों का सिलसिला चलता था।
हिटलर
घायल सैनिक से उसका नाम, घायल बताता था कि "दोनों पैर बरफ़ की वजह से गल गये है
और बाँए बाजू की हड्डी टूट गयी है।" यह कहते हुए घायल सैनिक को गर्व की अनुभूति
होती थी। भाव यह है कि "जितने घाव, उतना ज्यादा गर्व।" इतना ही नहीं वे सब
हिटलर से मिलने से उत्साहित भी थे। सैनिकों में युद्ध का प्रबल उन्माद था और वे अपनी
वीर-गाथा को अपने घावों को दिखाते हुए व्यक्त करते थे। उस प्रसारण को सुनकर ऐन को यही
अनुमान होता था।
प्रश्न 7. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आम जीवन में किस तरह की अराजकता
थी? 'डायरी के पन्ने' पाठ . के आधार पर बताइए।
उत्तर
: द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान नीदरलैण्ड व जर्मनी का आम जीवन एकदम अव्यवस्थित हो
गया था। युद्ध काल में होने वाली भयंकर गोलाबारी से इमारतें भी काँप उठती थीं। डर के
मारे दरवाजे और खिड़कियाँ बन्द करके एक कोने में दुबकना पड़ता था। मृत्यु कब आ जाए
इसकी आशंका हर समय सताती रहती थी। घर-घर में बीमारियाँ फैल रही थीं। लोगों में भुखमरी
फैल गयी थी।
सब्जियों
और राशन की कमी हो गयी, लोगों को सब्जियों और सभी प्रकार के घरेलू सामानों के लिए लाइनों
में खड़े होना पड़ता था। चोरी, झपटमारी और सेंधमारी जोरों पर थी। स्थिति यह हो रही
थी डॉक्टर अपने मरीजों को नहीं देख पाते थे, क्योंकि उन्होंने पीठ मोड़ी नहीं कि उनकी
कारें और साइकिलें चुरा ली जाती थीं। बिजली की कटौती होती थी। आम लोग फटे-पुराने कपड़े
और घिसे-पिटे जूते पहन कर ही काम चला रहे थे। लोगों ने अंगूठियाँ आदि को उतारकर रख
दिया था। इस तरह उस समय सब ओर अराजकता थी।
प्रश्न 8. ऐन ने अपनी डायरी में किट्टी को क्या-क्या जानकारियाँ दीं?
'डायरी के पन्ने पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर
:'डायरी के पन्ने' पाठ में किट्टी ऐन को उपहार में मिली एक गुड़िया है। ऐन ने किट्टी
को संबोधित करकेअपनी डायरी में गुप्त आवास में दो वर्षों तक भोगे गए हर कष्ट की जानकारियाँ
दी हैं। किस तरह उसकी बहिन मार्गोट को ए.एस.एस. से बुलाए जाने का नोटिस मिला। उस अनपेक्षित
व्यवहार की आशंका के कारण किस प्रकार उन्हें घर से भागकर गोपनीय स्थान पर जाना पड़ा।
वहाँ
किस तरह दो साल तक छिपे रहकर जीवन बिताना पड़ा। उस समय किस तरह सभी परिवार के सदस्य
क्या-क्या करके अपना समय काटते थे और समस्या पर विचार करते थे। इसके साथ ही गोपनीय
आवासों में किस प्रकार चोर, लुटेरे आदि अपनी गतिविधियों को अन्जाम देते थे। किस प्रकार
भूखे-प्यासे रहना पड़ता था। किस प्रकार हिटलर की खुफिया पुलिस के भय से सावधान रहना
पड़ता था आदि, उसने इन सब प्रमुख बातों की जानकारियाँ दीं।
प्रश्न 9. ऐन की डायरी से उसकी किशोरावस्था के बारे में क्या पता चलता
है? 'डायरी के पन्ने' के आधार पर लिखिए।
उत्तर
: ऐन की डायरी किशोर मन की ईमानदार अभिव्यक्ति है। डायरी से यह पता चलता है कि किशोरावस्था
में मन अनेक विचारों एवं कल्पनाओं से घिरा रहता है। उनको अपनी चिट्ठियों और मिलने वाले
उपहारों से अधिक लगाव होता है। इसके साथ ही उन्हें अपनी किताबों तथा दोस्तों से भी
अधिक लगाव रहता है। वे जो कुछ भी करना चाहते हैं, उसे बड़े लोग प्रायः नकारते हैं,
जैसे ऐन का केश-विन्यास जो फिल्मी सितारों की नकल करके बनाया जाता था।
इस
अवस्था में बड़ों द्वारा बात-बात पर उन्हें टोका जाता है। उनकी यह बात किशोरों को बहुत
ही नागवार गुजरती है। इस संबंध में स्वयं ऐन का कथन है कि "मेरे दिमाग में हर
समय इच्छाएँ, विचार, आशय तथा डाँट फटकार ही चक्कर खाते रहते हैं। मैं सचमुच उतनी घमण्डी
नहीं हूँ जितना लोग समझते हैं।' किशोर बड़ों की अपेक्षा अधिक ईमानदारी से जीते हैं।
उन्हें जीने के लिए सुन्दर, स्वस्थ वातावरण चाहिए। इसके साथ ही उनमें भविष्य को लेकर
अनेक कल्पनाएँ उभरती हैं।
प्रश्न 10. 'डायरी के पन्ने' के आधार पर बताइए कि ऐन बहुत प्रतिभाशाली
तथा परिपक्व थी।
उत्तर
: ऐन बहुत प्रतिभाशाली और परिपक्व थी। इसका परिचय हमें उसकी डायरी से मिल जाता है।
उसमें किशोरावस्था की चंचलता कम और सहज शालीनता का भाव अधिक था। वह अपनी बहिन की बेचैनी
को सहज समझ सकती थी। उसने अपने स्वभाव और अंतरंग पर नियंत्रण पा लिया था। इसी कारण
वह सकारात्मक, परिपक्व और सुलझी हुई सोच के साथ हमेशा आगे बढ़ती थी। उसे बड़ों की बातें
अक्सर बुरी लगती थीं।
लेकिन
वह उन बातों को धीरज के साथ और सम्मान करने की दृष्टि से सहन कर जाती थी। पीटर के प्रति
अपने अंतरंग भावों को भी वह सहेज कर केवल अपनी डायरी में व्यक्त करती है। अपनी इन भावनाओं
को वह किशोरावस्था में भी जिस मानसिक स्तर से सोचती थी वह वास्तव में सराहनीय है। यदि
ऐन में ऐसी सधी हुई परिपक्वता न होती तो हमें युद्ध काल की ऐसी दर्द-भरी दास्तान पढ़ने
को नहीं मिल सकती थी।
प्रश्न 11. 'डायरी के पन्ने' के आधार पर ऐन और पीटर दोनों के संबंधों
पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
:'डायरी के पन्ने के आधार पर ऐन और पीटर दोनों हमउम्र थे। उन दोनों में एक-दूसरे के
प्रति सहज आकर्षण था। पीटर स्वभाव से सहनशील, शान्तिप्रिय और सहज आत्मीयता रखने वाला
था। उसके मन में ऐन के प्रति अत्यधिक लगाव था। वह लगाव गर्ल-फ्रैंड के रूप में न होकर
एक दोस्त के रूप में ही था। ऐन भी उससे प्रेम करती थी वह उसके सामने कुछ भी कह सकती
थी। वह ऐन की ऐसी आपत्तिजनक बातें भी सुन लेता था जिन्हें वह अपनी माँ से भी नहीं सुन
सकता था।
वह
प्रायः अपने बारे में मौन रहता था। ऐन के कुरदने पर भी वह अपने मन का हाल नहीं बताता
था। इसीलिए ऐन उसे घुन्ना मानती थी। धर्म के प्रति नास्तिक होना, खाने के बारे में
बातें करना आदि बातों से ऐन पीटर को नापसन्द भी करती थी। इस तरह ऐन और पीटर के संबंध
स्नेहपूर्ण होते हुए भी कुछ मतभेद से ग्रस्त थे। फिर भी ऐन उसे न पाकर तड़पने लगती
थी।
प्रश्न 12. "ऐन फ्रैंक औरतों को भी सैनिकों के समान सम्मानित दर्जा
दिए जाने के पक्ष में थी।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर
: ऐन फ्रैंक की सोच थी कि औरतों को भी सैनिकों के समान सम्मानित दर्जा दिया जाना चाहिए।
इस संबंध में उन्होंने लिखा है "कई देशों में तो उन्हें बराबरी का हक दिया जाने
लगा है। कई लोगों ने, कई औरतों ने, और कुछेक पुरुषों ने भी इस बात को महसूस किया है
कि इतने लंबे अरसे तक इस तरह की वाहियात स्थिति को झेलते जाना गलतर पर ऐन का मानना
था कि आमतौर पर यद्ध में लडने वाले सैनिकों को जितनी तकलीफें एवं यन्त्रणा भोगनी पड़ती
है, उससे कहीं अधिक तकलीफें औरतें बच्चे को जन्म देते समय झेलती हैं।
बच्चा
जनने के बाद औरत का आकर्षण कम हो जाता है और कई बार पुरुष उस औरत एवं बच्चे को एक तरफ
धकिया देता है। मानव जाति का विकास करने वाली औरत का वैसा सम्मान नहीं किया जाता जैसा
कि सैनिकों का सम्मान किया जाता है। स्त्रियों के साथ ऐसा व्यवहार अनुचित है। सैनिकों
के समान ही औरतों को सम्मान का दर्जा दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 13. "मैं इस विराट अन्याय के कारण जानना चाहती हूँ।"
ऐन फ्रैंक ने किसे विराट अन्याय माना है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
: नाजियों ने यहूदियों पर अनेक अत्याचार युद्ध के दौरान किए, जर्मन पुलिस ने यहूदियों
की औरतों के साथ दुराचार भी किया। इसी बात को ध्यान में रखकर ऐन फ्रैंक के मस्तिक में
एक प्रश्न उभरता रहा कि औरतों के साथ पुरुष वर्ग द्वारा अन्याय क्यों किया जाता है?
इस संबंध में उसने माना कि पुरुषों ने औरतों पर शासन किया है, क्योंकि वे पुरुषों की
तुलना में शारीरिक रूप से कम सक्षम हैं। पुरुष ही कमा कर लाता है, बच्चे पालता-पोसता
है और जो उसके मन में आए वह औरतों के साथ वैसा ही व्यवहार करता है।
स्थिति
यहाँ तक बन जाती है, जब बच्चा जनने के बाद उसका शरीर अपना आकर्षण खो देता है, तो उसको
एक ओर धकिया दिया जाता है, उसके बच्चे भी उसे छोड़ देते हैं। वह औरत ही रंतरता को बनाए
रखने में इतनी तकलीफ़ों से गुजरती है और संघर्ष करती है। जबकि पुरुष औरतों को बच्चा
पैदा करने और भोगेच्छा पूरी करने वाली मानते हैं। पुरुषों का यह व्यवहार विराट अन्याय
है।
प्रश्न 14."शिक्षा, काम तथा प्रगति ने औरतों की आँखें खोली हैं।"
'डायरी के पन्ने' पाठ के इस कथन की समीक्षा वर्तमान समाज की नारी को देखते हुए कीजिए।
अथवा
"शिक्षा, काम तथा प्रगति ने औरतों की आँखें खोली हैं।" ऐन
फ्रैंक के इस कथन को वर्तमान परिप्रेक्ष्य के आधार पर तर्क सहित समझाइए।
उत्तर
:'डायरी के पन्ने' में ऐन फ्रैंक द्वारा 1942 से 1944 के समाज में नारी की अत्यन्त
दयनीय स्थिति को चित्रित . किया गया है और आकांक्षा व्यक्त की गई है कि औरतों को भी
सैनिकों के समान सम्मानित दर्जा दिया जाना चाहिए। यह सत्य है कि आधुनिक युग में शिक्षित
नारी ने अपने कार्यों से समाज की प्रगति के नये प्रतिमानों को सुशोभित किया है। आज
इक्कीसवीं सदी में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ अनेक सामाजिक अवरोधों को तोड़कर
नारी ने सफलता का नया अध्याय न रचा हो। उसने अपनी शिक्षा के बल पर पुरुष वर्ग के समान
उन्नति ही नहीं की बल्कि आज वह पुरुषों से कन्धों से कन्धा मिलाकर हर क्षेत्र में प्रगति
कर आगे बढ़ रही है। इस आधार पर सहज कहा जा सकता है कि आज की नारी ने प्रत्येक क्षेत्र
में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है।
प्रश्न 15. "कई बार कोई रहस्यमयी ताकत हम दोनों को पीछे की तरफ़
खींचती है।" ऐन फ्रैंक ने इस कथन से किस प्रसंग का उल्लेख किया है?
उत्तर
: ऐन फ्रैंक ने इस कथन से पीटर के प्रति अपने प्रेम भाव के प्रसंग का उल्लेख किया है.
क्योंकि ऐन हमउम्र पीटर को बहुत चाहती थी। पीटर स्वभाव से सहनशील, शान्तिप्रिय और सहज
आत्मीयता रखने वाला नवयुवक था। उसके मन में भी ऐन के प्रति अत्यधिक लगाव था। ऐन बताती
है कि वह उसके कमरे में एक-दो दिन के लिए न जा पाऊं तो मेरी बुरी हालत हो जाती थी अर्थात्
मैं उसके लिए काफ़ी तड़पने लगती थी। इस तरह उन दोनों का स्नेह एक दोस्त की तरह निरन्तर
बढ़ता जाता था। परन्तु साथ ही किसी अज्ञात ताकत के कारण से ऐन फ्रैंक पीटर से कुछ नफ़रत
भी करती थी। इसी कारण वह उसकी कई बातें पसन्द नहीं करती थी और उससे निराश हो जाती थी।
डायरी के पन्ने (सारांश)
लेखिका-परिचय
- ऐन फ्रैंक का जन्म जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में सन् 1929 ई. में हुआ था। यह यहूदी
परिवार की सदस्य थी और इसके पिता ओटो फ्रैंक हालैंड में कारोबार करते थे। द्वितीय विश्व-युद्ध
प्रारम्भ होने पर हिटलर की नाजी पार्टी ने यहूदी-विरोधी प्रदर्शन किये। तब नीदरलैण्ड
पर जर्मनी का कब्जा होने से यहूदी परिवारों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया। अतः
आत्म-सुरक्षा की दृष्टि से फ्रैंक परिवार सन् 1942 में अज्ञातवास में चला गया।
उसी
दौरान गुप्त आवास में बिताये दिनों के अनुभवों को ऐन ने अपनी डायरी में लिपिबद्ध किया।
सन् 1945 में नाजियों के यातना शिविर में ऐन की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के बाद उसके
पिता ने सन् 1947 में उस डायरी को प्रकाशित कराया, जो कि पहले डच भाषा में थी, फिर
सन् 1952 में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गई। इसमें यहूदियों की पीड़ा एवं यातना
शिविरों की क्रूरता का जीवन्त चित्रण हुआ है।
पाठ-सार
- यह पाठ 'डायरी' शैली का श्रेष्ठ उदाहरण है। इसमें जुलाई, 1942 से लेकर जून, 1944
तक के दस दिनों का उल्लेख किया गया है। डायरी का यह अंश काफी विस्तृत है। इसमें अज्ञातवास
में भोगी गई विवशताओं, अभावों एवं यातनाओं का स्वानुभूतिमय वर्णन पत्राचार रूप में
किया गया है। इसका सार अतीव संक्षेप में दिया जा रहा -
1. बुधवार, 8 जुलाई, 1942-डायरी के इस पन्ने पर ऐन फ्रैंक ने किट्टी को लक्ष्य करते हुए लिखा कि अज्ञात स्थान पर जाने के लिए अच्छी तरह सामान पैक किया गया। वे सब लोग नियत समय पर घर से चल पड़े।
2.
गुरुवार, 9 जुलाई, 1942-ऐन फ्रैंक ने इस पन्ने पर लिखा कि वह मम्मी-पप्पा के साथ छिपने
वाले स्थान पर गई। यह स्थान उसके पापा के ऑफिस में ही था। उसमें रास्ते, सीढ़ियाँ एवं
कक्ष एकदम सुरक्षित थे।
3.
शुक्रवार, 10 जुलाई, 1942-इस पन्ने पर ऐन फ्रैंक ने अज्ञातवास वाले स्थान का वर्णन
कर वहाँ की सफाई करने, राशन की व्यवस्था करने के साथ अपनी व्यस्तता के सम्बन्ध में
लिखा।
4.
शनिवार, 28 नवम्बर, 1942-इस पन्ने पर ऐन फ्रैंक ने अज्ञातवास के दौरान राशन अधिक खर्च
करने तथा अन्य साथियों के व्यवहार आदि का उल्लेख किया।
5.
शुक्रवार, 19 मार्च, 1943-इस पन्ने पर ऐन फ्रैंक ने गुप्त आवास के बाहर की दुनिया के
बारे में उल्लेख किया और मिस्टर डसेल के द्वारा ड्रिल मशीन लाने और रेडियो परं हिटलर
की घायल सैनिकों से हुई बातों का समावेश किया।
6.
शुक्रवार, 23 जनवरी, 1944 - इस दिन की दिनचर्या को लेकर ऐन फ्रैंक ने राजसी परिवारों
की वंशावली के सम्बन्ध में तथा अपनी केश-सज्जा के विषय में लिखा।
7.
बुधवार, 28 जनवरी, 1944 - इस दिन के पन्ने पर ऐन फ्रैंक ने अपनी तथा अपने साथ के लोगों
की ऊबभरी मानसिकता का तथा अज्ञातवासियों को राशन कार्ड मिलने से सम्बन्धित बात का उल्लेख
किया।
8.
बुधवार, 29 मार्च, 1944 - इस दिन के पन्ने पर ऐन ने कैबिनेट मन्त्री मिस्टर बोल्के
स्टीन के लन्दन से प्रसारित भाषण का उल्लेख किया और हालैण्ड के समाज में गिरी हुई नैतिकता
आदि का वर्णन किया। अप्रेल, 1944-इस दिन के पन्ने पर ऐन ने युद्ध की स्थिति के साथ
रात में उनके घर में हुई सेंधमारी का विवरण लिखा।
10.
मंगलवार, 13 जून, 1944-इस दिन की डायरी के पन्ने पर ऐन ने लिखा कि अब मैं पन्द्रह वर्ष
की हो गई हूँ। कल मुझे जन्म-दिन पर ढेर सारे उपहार मिले। मौसम अब बेहद खराब रहने लगा
है। मुझे पीटर से दोस्त की तरह प्यार हो गया। समाज में पुरुषों के समान महिलाओं को
सम्मान मिलना चाहिए। सम्भवतः अगली सदी में स्त्री पुरुष में अन्तर रखने की परम्परा
मिट जायेगी तथा औरतों को अधिक सम्मान प्राप्त होगा। इसी अभिलाषा के साथ ऐन की डायरी
का यह अंश समाप्त हो जाता है।
कठिन-शब्दार्थ :
अलसाई
= आलस्य से भरी।
हर्गिज
= बिल्कुल।
नियति
= भाग्य।
स्टाकिंग्स
= परी टाँगों तक लम्बी जुराबें।
विधुर
= जिसकी पत्नी मर गई हो वह।
अल्लम-गल्लम
= उल्टी-सीधी, अव्यवस्थित।
दास्तान
= कहानी, विवरण।
गलियारा
= संकरा रास्ता।
पैसेज
= गलियारा।
गुसलखाना
= स्नानागार।
गरीबखाना
= साधारण आवास भवन।
तरतीब
= व्यवस्थित, क्रम से।
खरदिमाग
= खराब दिमाग, अक्खड़।
तुनकमिजाज
= शीघ्र नाराज होने वाला।
वंश
वृक्ष = परिवार की परम्परा का आरेख।
बाजू
= हाथ।
फलाँ
= अमुक।
प्रहसन
= हास्य-नाटिका।
सेंधमारी
= दीवार में छेद करके चोरी करना।
ढिठाई
= धृष्टता।
हिकारत
= घृणा।
वाहियात
= मूर्खतापूर्ण।
अलंकृत
= सुशोभित।