12th अंतरा 11. घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)

12th अंतरा 11. घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)
12th अंतरा 11. घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)
घनानंद के कवित्त / सवैया प्रश्न 1. कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो लें सुजान को' क्यों कहा है? उत्तर : इस पंक्ति में नायक (कवि घनानंद) की विरह-विह्वलता का चित्रण है। कवि की प्रेमिका सुजान ने निरन्तर उनकी उपेक्षा की है। विरह की प्रबलता के कारण उनकी जीने की इच्छा ही समाप्त हो गई है। उनके प्राण अब शरीर से निकलना चाहते हैं। बस, अपनी प्रियतमा का संदेश सुनने की अभिलाषा में ही प्राण अभी तक अटके हुये हैं। प्रश्न 2. कवि मौन होकर प्रेमिका के कौन से प्रण पालन को देखना चाहता है? उत्तर : कवि मौन होकर भी प्रेमिका से प्रेमव्रत का पालन करने की अपेक्षा करता है और यह देखना चाहता है कि वह अपने प्रेम प्रण का पालन करती है या नहीं। वह कवि की दशा देखकर कुछ बोलती है अथवा चुप ही बनी रहती है। प्रश्न 3. कवि ने किस प्रकार की पुकार से 'कान खोलि है' की बात कही है? उत्तर : प्रेमिका सुजान घनानंद की करुण पुकार को अनसुना कर रही है पर उन्हें विश्वास है कि मेरी यह करुण पुकार कभी न कभी तो सुजान के कानों में पड़ेगी ही। सुजान कब तक कानों में रुई लगाए रहेगी, कभी न कभी तो घनानंद की करुण पुकार को सनेगी ही. यही कवि क…