12th अंतरा 19. रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)

12th अंतरा 19. रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)
12th अंतरा 19. रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)
रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्) प्रश्न 1. लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है? अथवा रामविलास शर्मा ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है? अथवा 'यथास्मै रोचते विश्वम्' के लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है? उत्तर : प्रजापति ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण करते हैं। कवि अपनी काव्य-सृष्टि का निर्माण करता है। कवि को जैसा रुचता है वैसे ही वह अपनी रुचि के अनुकूल संसार अपने काव्य जगत में बनाता है। अपने काव्य-जगत का निर्माता होने के कारण ही उसको प्रजापति के समान बताया गया है। प्रश्न 2. 'साहित्य समाज का दर्पण है' इस प्रचलित धारणा के विरोध में लेखक ने क्या तर्क दिए हैं? उत्तर : कवि का काम यथार्थ जीवन को प्रतिबिंबित करना मात्र होता तो वह प्रजापति का दर्जा न पाता। प्रजापति ने जो संसार बनाया उससे असन्तुष्ट होकर ही कवि नया संसार (समाज) रचता है। इससे यह सिद्ध होता है कि साहित्य समाज का दर्पण नहीं है। उसमें यथार्थ का ही नहीं आदर्श का भी चित्रण होता है। ट्रेजेडी नाटक में मनुष्य जैसे होते हैं उससे बढ़कर दिखाए जाते हैं अतः साहित्य को समाज का दर्पण कहना ठीक नहीं है। कवि अप…