चाभी-काठी खोरठा नाटक (श्रीनिवास पाजुरी)

चाभी-काठी खोरठा नाटक (श्रीनिवास पाजुरी)
चाभी-काठी खोरठा नाटक (श्रीनिवास पाजुरी)
पात्र-परिचय पुरुष पात्र 1. शंभु : एक क्रांतिकारी युवक (नायक) 2. कालूराम : साहूकार / जमींदार 3. बाबा : गाँव का एक बूढ़ा 4. नाती : एक लड़का 5. राघो : शहरी युवक 6. रतीराम : शहरी युवक 7. संतू : कालूराम का लठैत 8. सिंह जी : कालूराम का लठैत 9. श्रीपति : ग्रामीण 10. फकीरा : कालूराम का मुंशी 11. जादू : ग्रामीण 12. मोती (चुटरा बाप) : बिदूषक 13. खेपा : ग्रामीण 14. रोहण : कालूराम का बेटा स्त्री पात्र 1. शोहागी : शंभू की माँ 2. समरी : ग्रामीण 3. चुटरी माय : विदुषक की पत्नी 4. दमयन्ती : एक शिक्षित युवती 5. करमी : दलाल औरत पहिल दृश्य शम्भु - ओह! गरीबी की अभिशाप ! गरीब के समीन हीन दृष्टि देखत- तुच्छ बुझथ विद्या, बुद्धि तेज एकर आगू बेकार एकदम बेकार। कोइ मानुष नाय बुझथ- कोइ आँइख नाय लगये। चाहे ऊ पंडित होक-गुणवान होक ज्ञानवान होक रूपवान होक कुलवान होक ओह! साँपेक दिष झरे, किन्तु गरीबीक विष झारले नाय झरे, इ जुवान के असमर्थ बूढ़ा कर देय। गली-गली भीख मँगाइ छोड़े। एकर चलते मानुष की नाय करे? सुन्दरी रूप बेंचे । अबोध शिशु गली-गली भीख माँगे। हे भगवान! इ कौन पापेक प्रायश्चित। हमर ऐसन गुणवान लोग के गरीबीक आगी झुलसे होवे है। ओह! कि आ…