प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
अर्थशास्त्र (Economics)
अध्याय 2 उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)
1. उपभोक्ता
व्यवहार का अध्ययन किया जाता है-
a. व्यष्टि अर्थशास्त्र
में
b. समष्टि अर्थशास्त्र
c. आय विश्लेषण में
d. इनमे से कोई नहीं
2. किसी वस्तु
के अंदर छुपा वह गुण जो मानवीय आवश्यकता को संतुष्ट करता है, कहते हैं ?
a. उपभोग
b. उत्पादन
c. उपयोगिता
d. गुण
3.
जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है, तब सीमांत उपयोगिता होती है-
a. धनात्मक
b. शून्य
c. ऋणात्मक
d. इनमें से कोई नहीं
4. निम्न में से किसे गोसेन का प्रथम नियम कहा जाता है?
a. मांग
का नियम
b. उपभोक्ता बचत
c. सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम
d. सम सीमांत उपयोगिता नियम
5. सीमांत उपयोगिता को ज्ञात किया जा सकता है?
a. TU/∆Q
b. ∆MU/∆Q
c. ∆Q/∆MU
d. ∆Q/∆TU
6. उपयोगिता
की मुख्य विशेषताएं कौन सी हैं?
a. उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है
b. उपयोगिता का विचार सापेक्षिक
है।
c. उपयोगिता व्यक्तिपरक होती
है
d. उपर्युक्त
सभी
7. उपयोगिता
का क्रमवाचक सिद्धांत के प्रतिपादक कौन है?
a. पीगू
b. हिक्स एवं ऐलन
c. मार्शल
d. रिकार्डो
8. किसी एक वस्तु
की सभी इकाइयों से प्राप्त होने वाली उपयोगिता की योग को क्या
कहते हैं?
a. सीमांत
उपयोगिता
b.
औसत उपयोगिता
c. उपभोक्ता
बचत
d. कुल उपयोगिता
9. जब कुल उपयोगिता घटने लगती है तो सीमांत उपयोगिता होती है-
a. धनात्मक
b. ऋणात्मक
c. शून्य
d. इनमें से कोई नहीं
10. अधिमान वक्र होता है
a. मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर
b.
मूल बिंदु की ओर अवनतोदर
c. दोनों सत्य
d. इनमें से कोई नहीं
11. अधिमान वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होती है क्योंकि-
a. सीमांत प्रतिस्थापन की दर घटती हुई होती है
b. सीमांत प्रतिस्थापन की दर
बढ़ती हुई होती है।
c. सीमांत
प्रतिस्थापन की दर स्थिर होती है
d.
इनमें से कोई नहीं
12. अधिमान वक्र
एक सीधी रेखा होगी यदि -
a. सीमांत प्रतिस्थापन की दर
घटती हुई होगी
b. सीमांत प्रतिस्थापन की दर
बढ़ती हुई होगी
c. सीमांत प्रतिस्थापन
की दर स्थिर होगी
d. सीमांत प्रतिस्थापन की दर
शून्य होगी
13. बजट रेखा
की ढाल कैसी होती है?
a. शुन्य
b. धनात्मक
c. ऋणात्मक
d. अनंत
14. बजट रेखा की ढाल होती है-
a. - Px/Py
b. - Py/Px
c. + Px/Py
d. + Py/Px
15. बजट रेखा का समीकरण होता है?
a. M= P1X1
+ P1X2
b. M= P1X1
+ P2X2
c. M= P1P2
+ X1X2
d. इनमें से कोई नहीं
16. बजट रेखा
अपनी बायीं ओर विवर्तित होगी जब-
a. X वस्तु की कीमत में कमी
होगी
b. Y वस्तु की कीमत में कमी
होगी
c. उपभोक्ता
की आय में कमी होगी
d. उपभोक्ता की आय में वृद्धि
होगी
17. अधिमान वक्र
के अनुसार उपभोक्ता संतुलन उस बिंदु पर होगा जहां-
a. MRSxy = Px/Py
b. अधिमान वक्र मूल बिंदु की
ओर उन्नतोदर होती है
c. a तथा b दोनों
d. इनमें से कोई नहीं
18. एक उपभोक्ता के पास दो वस्तु आम तथा केला के दो संयोग A ( 5 आम 2 केला) तथा B ( 5 आम 3 केला है।
उपभोक्ता दोनों संयोगो के बीच तटस्थ होगा यह कथन -
a. सही
है
b. गलत है
c. मालूम नहीं
d. इनमे से कोई नहीं
19. मांग को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित में कौन से हैं?
a. कीमत
b. आय में परिवर्तन
c. उपभोक्ता की रूचि
d. उपर्युक्त
सभी
20. यदि किसी वस्तु की मांग वक्र D=10-5P है, तो वस्तु की कीमत एक रुपए
प्रति इकाई होने पर वस्तु की मांग क्या होगी?
a. 0
b. 10
c. 15
d. 5
21. कॉफी के
मूल्य में वृद्धि होने से चाय की मांग क्या होगी?
a. बढ़ती है
b. घटती है
c. स्थिर रहती है
d. इनमें से कोई नहीं
22. ऐसी वस्तु जिनका एक दुसरे के स्थान पर उपयोग किया जाता है, कहलाती है?
a. स्थानापत्र
वस्तु
b. पूरक
वस्तु
c. आरामदायक
वस्तु
d. घटिया वस्तु
23. स्थानापत्र वस्तु के उदाहरण हैं?
a. चाय तथा कॉफी
b. चाय तथा चीनी
c. दाल
तथा ब्रेड
d. इनमें
से कोई नहीं
24. पूरक वस्तु
के उदाहरण है?
a. चाय तथा चीनी
b. जूते तथा जुराब
c. कलम तथा स्याही
d. उपर्युक्त
सभी
25. मांग में
संकुचन होगा जब -
a. कीमत बढ़ती
है और मांग घटती हैं
b. कीमत बढ़ती है और मांग बढ़ती
है।
c. कीमत स्थिर रहती है और मांग
घटती है
d. कीमत घटती है और मांग स्थिर
रहती है
26. मांग की
कीमत लोच का अर्थ है?
a. कीमत में
परिवर्तन के कारण मांग में परिवर्तन
b. वास्तविक आय में परिवर्तन
c. कीमत में परिवर्तन
d. मांग में परिवर्तन
27. मांग की
लोच कितने प्रकार की होती है?
a. तीन
b. चार
c. पांच
d. छ:
28. यदि मांग
वक्र कीमत अक्ष (Y अक्ष) के समानांतर है तो मांग की लोच होगी?
a. शुन्य
b. एक
c. एक से अधिक
d. अनंत
29. यदि किसी
वस्तु की कीमत में 5% की वृद्धि होने से वस्तु की मांगी गई मात्रा में 12% की कमी होती
है, तो मांग की लोच का मान होगा?
a. 0.416
b. 2.4
c. 2.8
d. 0.9
30. एक वस्तु
का मांग फलन D=1/P है तो मांग वक्र के प्रत्येक बिंदु पर मांग की लोच होगी ?
a. इकाई के बराबर
b. शून्य के बराबर
c. इकाई से कम
d. इकाई से अधिक
31. आवश्यक वस्तु
की मांग की लोच होती है?
a. 0
b. 1
c. एक से अधिक
d. एक से कम
32. रेखा चित्र में मांग की लोच है?
a. अधिक लोचदार
b. इकाई लोचदार
c. कम लोचदार
d. पूर्ण लोचदार
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Question Answer)
प्रश्न 1. उपयोगिता क्या है?
उत्तर-
किसी वस्तु में छुपा वह गुण जिससे किसी आवश्यकता की पूर्ति होती
है उपयोगिता कहलाती है। अलग-अलग वस्तु में उपयोगिता का स्तर अलग-अलग होता है
जो उनके उपभोग की तीव्रता पर निर्भर करती है।
प्रश्न 2. कुल
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- किसी वस्तु की उपयोग
की गई समस्त इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के योग को कुल उपयोगिता कहते हैं।
अर्थात,
TU = ΣMU
जहां,
TU = कुल उपयोगिता
MU = सीमांत उपयोगिता तथा
Σ=
योग
प्रश्न 3. सीमांत
उपयोगिता को स्पष्ट करें।
उत्तर- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त
इकाई का उपयोग करने पर कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत उपयोगिता कहते
हैं।
अर्थात, MU = TUn
-TUn-1
या, MU=∆TU/∆N
जहां,
TU = कुल उपयोगिता
MU = सीमांत उपयोगिता
N= वस्तु की संख्या
प्रश्न 4. उपयोगिता
की गणना वाचक विश्लेषण के प्रतिपादक कौन है?
उत्तर- उपयोगिता की गणना वाचक विश्लेषण के प्रतिपादक अलफ्रेड मार्शल है।
प्रश्न 5. एक
उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपयोग करने का इच्छुक है दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमशः रु०,
4 तथा रु05 प्रति इकाई है तथा उपभोक्ता की आप रु० 20 है बजट रेखा के समीकरण को लिखें
उत्तर- बजट रेखा निम्न होगी
4X + 5Y = 20
प्रश्न 6. मांग
क्या है?
उत्तर- प्रभावपूर्ण इच्छा को
मांग कहते हैं। अर्थात किसी वस्तु की मांग तब होगी जब उपभोक्ता को उस वस्तु को पाने
की इच्छा हो, इच्छा को पूरा करने की योग्यता या साधन हो तथा साधनों को व्यय करने की
तत्परता हो।
प्रश्न 7. मांग
का फलन क्या है?
उत्तर- मांग का फलन किसी वस्तु
की मांगी गई मात्रा तथा उसके विभिन्न निर्धारक तत्वों के बीच के फलनात्मक संबंध को
व्यक्त करता है, अर्थात किसी वस्तु की मांग को प्रभावित करने वाले तत्वों को व्यक्त
करता है।
अर्थात, Dx= f(Px,
Po, Y, G, Pexp, Pn, etc.)
जहां Dx- X वस्तु
की मांगी गई मात्रा
Px - X वस्तु की प्रति इकाई
कीमत
Po- अन्य वस्तु
की कीमत
Y- उपभोक्ता की आय
G- सरकार की नीति
Pexp- भविष्य में
कीमत संबंधी आशा
Pn- जनसंख्या
प्रश्न
8. सामान्य वस्तु से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- जब उपभोक्ता की आय में
वृद्धि होने पर वस्तु की मांग में वृद्धि होती है एवं उपभोक्ता की आय में कमी से वस्तु
की मांग में कमी होती है तो ऐसी वस्तुएं सामान्य वस्तु कहलाती हैं। इस प्रकार यदि वस्तु
सामान्य हो तो उपभोक्ता की आय एवं वस्तु की मांग के बीच धनात्मक संबंध पाया जाता है।
उदाहरण- चावल, गेहूँ आदि।
प्रश्न 9. घटिया
या निम्न कोटि की वस्तु को परिभाषित करें।
उत्तर- जब उपभोक्ता की आप में
वृद्धि होने पर वस्तु की मांग में कमी होती है तथा उपभोक्ता की आय में कमी होने पर
वस्तु की मांग में वृद्धि होती है तो ऐसी वस्तु को घटिया वस्तु कहते हैं। उदाहरण- मोटा
कपड़ा, मोटा अनाज आदि।
प्रश्न 10 मांग
की कीमत लोच का सूत्र लिखें।
उत्तर- मांग की कीमत लोच
या
जहाँ,
Q- मांगी
गयी मात्रा
P- वस्तु की कीमत
Δ- परिवर्तन
Q0 - वस्तु की प्रारंभिक
मात्रा
P0- वस्तु की प्रारंभिक कीमत
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Question Answer)
प्रश्न 1. सीमांत
उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच संबंध को स्पष्ट करें।
उत्तर- सीमांत उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच के संबंध को निम्न रेखा चित्र की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।
ऊपर के रेखा चित्र से स्पष्ट
है.
1. जब कुल उपयोगिता बढ़ती है
तब सीमांत उपयोगिता घटती है।
2. जब कुल उपयोगिता अपनी अधिकतम
बिंदु पर होती है तब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है।
3. जब कुल उपयोगिता घटने लगती
है तब सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है।
प्रश्न 2. घटती
सीमांत उपयोगिता के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर- घटती सीमांत उपयोगिता
का नियम यह बताता है कि किसी एक दिए गए समय में जब उपभोक्ता किसी वस्तु की अतिरिक्त
इकाइयों का उपभोग करता है तो प्रत्येक अगली इकाई से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता
घटती जाती है। इस नियम को गोसेन का प्रथम नियम भी कहते हैं। यह उपभोग का सार्वभौमिक
नियम है।
मान्यताएं
i. वस्तु का उपभोग निरंतर होना
चाहिए।
ii. वस्तु के उपभोग की इकाइयों
का आकार बहुत छोटा या बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए।
iii. वस्तु की सभी इकाइयां
समरूप हो।
iv. स्थानापत्र वस्तु का मूल्य
स्थिर हो।
v. उपभोक्ता के रुचि एवं फैशन
में कोई परिवर्तन ना हो।
vi. उपभोक्ता की आय में कोई
परिवर्तन ना हो।
नियम का तालिका एवं रेखाचित्र
द्वारा निरूपण-
तालिका
:
वस्तु
की इकाइयाँ |
सीमांत
उपयोगिता |
1 |
50 |
2 |
40 |
3 |
30 |
4 |
20 |
5 |
10 |
6 |
0 |
7 |
-10 |
रेखाचित्र
प्रश्न 3. सम
सीमांत उपयोगिता नियम की व्याख्या करें।
उत्तर- सम सीमांत उपयोगिता
नियम के अनुसार जब एक उपभोक्ता एक से अधिक वस्तुओं का उपभोग करता है तो उसे अपनी सीमित
आय से अधिकतम संतुष्टि उस बिंदु पर प्राप्त होगी जहां वह अपनी आय को विभिन्न वस्तुओं
पर इस प्रकार व्यय करे कि प्रत्येक वस्तु से प्राप्त सीमांत उपयोगिता एवं उनके कीमत
का अनुपात आपस में बराबर हो जाए। इसे गोसेन का द्वितीय नियम भी कहते हैं। अतः कुल संतुष्टि
अधिकतम होगी, यदि प्रत्येक वस्तु से प्राप्त सीमांत उपयोगिता एवं उनके कीमत का अनुपात
एक दूसरे के बराबर हो।
अर्थात
उदाहरण : माना कि वस्तु की
प्रति इकाई कीमत रु०2 है
माना किy वस्तु की प्रति इकाई
कीमत रु० 3 है
माना कि 2 वस्तु की प्रति इकाई
कीमत रु० 4
तथा उपभोक्ता की आय रु० 25
वस्तु
की ईकाईयाँ |
Mux |
Muy |
Muz |
|
|
|
1 |
32 |
39 |
48 |
16 |
13 |
12 |
2 |
28 |
33 |
40 |
14 |
11 |
10 |
3 |
24 |
30 |
36 |
12 |
10 |
9 |
4 |
20 |
24 |
32 |
10 |
8 |
8 |
5 |
16 |
21 |
28 |
8 |
7 |
7 |
स्पष्ट है कि जब उपभोक्ता
x की चार इकाइयों की 3 इकाइयों तथा z की दो इकाइयों का उपभोग करेगा तो उसे अपनी आय
रु० 25 से अधिकतम संतुष्टि
TU= (ΣMUx+ ΣMUy + ΣMUz)
TU =( 32+28+24+20) +
(39+33+30) + (48+40)
TU = 294 इकाई प्राप्त होगी।
प्रश्न 4. मांग
तालिका क्या है? उदाहरण दें।
उत्तर- मांग की तालिका किसी
वस्तु के विभिन्न कीमतों पर उसकी मांगी गई मात्रा का सारणी के द्वारा निरूपण है। मांग
की तालिका दो प्रकार की होती है
i. व्यक्तिगत मांग तालिका एवं
ii. बाजार मांग तालिका।
उदाहरण: व्यक्तिगत मांग तालिका
कीमत |
मांगी
गई मात्रा |
10 |
10 |
08 |
15 |
06 |
18 |
04 |
20 |
बाज़ार
मांग तालिका
माना की बाज़ार में तीन उपभोक्ता
हैं A, B तथा C
कीमत |
A की मांगी गयी मात्रा |
B की मांगी गयी मात्रा |
C की मांगी गयी मात्रा |
बाजार मांग (A+B+C) |
10 |
10 |
8 |
0 |
18 |
08 |
15 |
12 |
5 |
32 |
06 |
18 |
15 |
7 |
40 |
04 |
20 |
20 |
9 |
49 |
प्रश्न 5. मांग
के नियम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट करें
उत्तर- मांग का नियम यह बताता है कि अन्य तत्वों के स्थिर होने पर किसी वस्तु की कीमत में कमी से उसकी मांगी गई मात्रा बढ़ती है एवं विलोमशः अर्थात कीमत तथा वस्तु की मांगी गयी मात्रा के बीच विपरीत संबंध पाया जाता है।
जहां, D = वस्तु की माँग, f
=फलन तथा P = वस्तु की कीमत
मान्यताएं-
1. अन्य वस्तु की कीमत स्थिर
हो।
2. उपभोक्ता की आय में कोई
परिवर्तन ना हो।
3. उपभोक्ता की रूचि तथा अधिमान
स्थिर हो।
4. सरकार की नीति में कोई परिवर्तन
ना हो।
प्रश्न 6. मांग
में संकुचन तथा मांग में कमी के बीच अंतर को बताए।
उत्तर-
मांग
में संकुचन |
मांग
में कमी |
i. जब किसी वस्तु की कीमत
में वृद्धि से उसकी मांगी गई मात्रा में कमी होती है तो इसे मांग का संकुचन कहते
हैं। |
i. जब कीमत स्थिर हो तथा
अन्य तत्वों में परिवर्तन से समान कीमत पर कम मात्रा की मांग की जाती है तो इसे मांग
में कमी कहते हैं। |
ii. इसका कारण कीमत में परिवर्तन
है। |
ii. इसका कारण अन्य तत्वों
में परिवर्तन होना है। |
iii. इससे मांग वक्र में
दाएं से बाएं नीचे से ऊपर की ओर गति के द्वारा दर्शाया जाता है। |
iii. इसे मांग वक्र में बाएं
ओर परिवर्तन द्वारा दर्शाया जाता है। |
|
प्रश्न 7. मांग
में वृद्धि के तीन कारण को लिखें?
उत्तर- मांग में वृद्धि के
तीन कारण निम्नलिखित हैं-
i. उपभोक्ता की आय में वृद्धि
होने से वह समान कीमत पर अधिक मात्रा की मांग करेगा।
ii. स्थानापत्र वस्तु की कीमत
में वृद्धि होने पर वह एक विशेष वस्तु की अधिक मात्रा की मांग करेगा।
iii. पूरक वस्तु की कीमत में
कमी होने पर वह समान कीमत पर वस्तु की मांग अधिक करेगा।
प्रश्न 8. मांग
की लोच की विभिन्न श्रेणियों को स्पष्ट करें।
उत्तर- मांग की लोच की श्रेणियां
होती है। यह निम्न है-
i. पूर्ण लोचदार मांग- जब वस्तु की कीमत में थोड़ी वृद्धि से मांग घटकर शून्य हो जाए, तो इसे पूर्ण लोचदार मांग कहते हैं। इसे ed = Infinity (∞) से दर्शाते हैं।
ii. पूर्ण बेलोचदार मांग कीमत में होने वाले किसी भी परिवर्तन से यदि मांग में कोई परिवर्तन ना आए. अर्थात कीमत में कमी या वृद्धि से मांगी गई मात्रा समान बनी रहे तो, इसे पूर्ण बेलोचदार मांग कहते हैं। इसे ed=0 से दर्शाते हैं।
iii. इकाई लोचदार मांग जब कीमत में आनुपातिक परिवर्तन से मांगी गई मात्रा में समान आनुपातिक परिवर्तन हो, तो इसे मांग की इकाई लोच कहते हैं। इसे ed = 1 से दर्शाते हैं।
iv. सापेक्षिक बेलोचदार मांग जब कीमत में आनुपातिक परिवर्तन से मांगी गई मात्रा में अनुपात से कम परिवर्तन हो, तो इसे बेलोचदार मांग कहते हैं। इसे ed<1 से दर्शाते हैं।
v. सापेक्षिक लोचदार मांग कीमत में आनुपातिक परिवर्तन से मांगी गई मात्रा में अनुपात से ज्यादा परिवर्तन हो, तो इसे लोचदार मांग कहते हैं। इसे ed>1 से दर्शाते हैं।
प्रश्न 9. स्थानापत्र
वस्तु एवं पूरक वस्तु को परिभाषित कीजिए? उदाहरण दीजिये ।
उत्तर- स्थानापत्र वस्तु स्थानापत्र
वस्तु ऐसी वस्तुएं होती है जो एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग की जाती है। जैसे चाय और
कॉफी, चावल और रोटी।
पूरक वस्तु पूरक वस्तु ऐसी
वस्तु होती है जिनका प्रयोग एक साथ होता है। जैसे कार एवं पेट्रोल, पेन एवं स्याही
प्रश्न 10. जब
कोई वस्तु 5 रू0 में बिक रही थी तो उसकी माँग 100 इकाइयाँ थी। अब वस्तु का मूल्य बदलकर
8 रु० हो जाता है जिसके फलस्वरूप माँग घटकर 50 इकाइयाँ हो जाती है मांग की मूल्य लोच
की गणना करें।
उत्तर- दिया हुआ है-
प्रारंभिक कीमत Po=5
प्रारंभिक मात्रा Qo=100
नयी कीमत P1 =
8
नयी मात्रा Q1 = 50
अतः ΔP = P1-P0
= 8-5, ΔP = 3
ΔQ = Q1-Q0
= 50-100, ΔQ =-50
ed = (-)-50 /
3 x 5/100 = 5/6
ed = 0.83 ans
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Question Answer)
प्रश्न 1. अधिमान
वक्र से आप क्या समझते हैं? अधिमान वक्र की विशेषताओं को स्पष्ट करें।
उत्तर- अधिमान वक्र- यह दो
वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाता है जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त
होती है। क्योंकि सभी संयोग समान संतुष्टि स्तर के होते हैं एक उपभोक्ता इन संयोगों
के बीच तटस्थ होता है। अधिमान वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है तथा यह मूल बिंदु की ओर
उन्नतोदर होते हैं क्योंकि MRS ऋणात्मक होता है।
मान्यताएं-
1. उपभोक्ता एक सामान्य व्यक्ति
हैं जिसका उद्देश्य अपनी उपयोगिता को अधिकतम करना है।
ii. उपयोगिता क्रम वाचक है।
iii. उपभोक्ता की आय तथा X
एवं वस्तु की कीमत स्थिर है।
iv. उपभोक्ता का अधिमान तथा
वस्तु के लिए चाहत स्थिर है।
v. MRS ऋणात्मक होता है।
vi. IC वक्र मूल बिंदु की ओर
उन्नतोदर होती है।
तालिका एवं रेखा चित्र द्वारा
अधिमान वक्र की व्याख्या
तालिका
संयोग |
X
वस्तु |
Y
वस्तु |
MRS |
A |
1 |
20 |
- |
B |
2 |
15 |
1:5 |
C |
3 |
11 |
1:4 |
D |
4 |
8 |
1:3 |
E |
5 |
6 |
1:2 |
F |
6 |
5 |
1:1 |
रेखाचित्र
अधिमान वक्र की विशेषताएं-
i. अधिक ऊंचा अधिमान वक्र अधिक संतुष्टि को दर्शाता है।
हम जानते हैं की अधिक वस्तु
से अधिक संतुष्टि प्राप्त होती है। रेखा चित्र में IC1 पर स्थित संयोग A की तुलना में
IC 2 पर स्थित संयोग C में एक वस्तु या दोनों वस्तु की मात्रा अधिक होगी। इसलिए संयोग
A की तुलना में संयोग अधिक संतुष्टि प्रदान करेगा। अतः ऊंचा अधिमान वक्र ऊंची संतुष्टि
प्रदान करता है।
ii. अधिमान वक्र नीचे की ओर झुका होता है अथार्त अधिमान वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है।
ऊपर के रेखाचित्र में चित्र
॥ तथा ॥ में संयोग A की तुलना में संयोग B में क्रमश: X वस्तु वस्तु X तथा Y दोनों
वस्तु की मात्रा अधिक है। अतः संयोग A की तुलना में संयोग B से उपभोक्ता को अधिक संतुष्टि
प्राप्त होगी। इसलिए इनके अनुसार अधिमान वक्र न तो x अक्ष के समानांतर न अक्ष के समानांतर
ओर न हीं उपर चढ़ता हो सकता है। जबकि रेखा चित्र IV में संयोग A की तुलना में संयोग
B में वस्तु की मात्रा में कमी एवं x वस्तु की मात्रा में वृद्धि हो रही है. अतः ऐसा
हो सकता है की दोनों संयोगो से उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त हो। अतः अधिमान वक्र
नीचे की ओर झुका होता है अर्थात अधिमान वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है।
iii. IC वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर है।
IC वक्र की एक मान्यता है कि
सीमांत प्रतिस्थापन की दर (MRS) घटती हुई होती है। रेखाचित्र I तथा II में यह क्रमशः
स्थिर एवं बढ़ता हुआ है तथा रेखाचित्र III में घटता हुआ है। अतः अधिमान वक्र मूल बिंदु
की ओर उन्नतोदर होता है।
iv. अधिमान वक्र एक दूसरे को ना तो स्पर्श करते हैं और ना काटते हैं।
अधिमान वक्र की यह मान्यता
है की अधिक ऊंचा अधिमान वक्र अधिक संतुष्टि को प्रदान करता है। ऊपर के रेखा चित्र में
संयोग A तथा C अधिमान वक्र IC1 पर स्थित हैं जिससे संतुष्टि स्तर 1 प्राप्त
हो रहा है। अधिमान वक्र IC2 पर स्थित संयोग B तथा C हैं जिससे संतुष्टि
स्तर 2 प्राप्त हो रहा है संयोग पर दोनों वक्र एक दुसरे को स्पर्श करते है जहा दोनों
ही संतुष्टि स्तर प्राप्त हो रहा है। जो कि संभव नहीं है। अतः दो अधिमान वक्र एक दूसरे
को ना तो स्पर्श कर सकते हैं और ना काट सकते हैं।
प्रश्न 2. अधिमान
वक्र की सहायता से उपभोक्ता संतुलन की व्याख्या करें।
उत्तर- एक उपभोक्ता सन्तुलन
की अवस्था में तब होता है जब वह अपनी सीमित आय की सहायता से वस्तुओं की दी गयी कीमत
पर खरीदकर अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करने में सफल हो जाता है। उपभोक्ता की कीमत रेखा
उपभोक्ता की आय एवं वस्तुओं की दी गयी कीमतों से निर्धारित होती है। प्राप्त कीमत रेखा
के साथ उपभोक्ता ऊँचे अधिमान वक्र पर पहुँचने का प्रयास करता है। उपभोक्ता का संतुलन
उस बिंदु पर होता है जहा उपभोक्ता के सन्तुलन की दोनों शर्तें एवं निम्न मान्यताएं
पूरी होती है
मान्यताएं
i. दो वस्तु है जिनकी कीमत
और उपभोक्ता की आय स्थिर है।
ii. MRS की दर घटती हुई है।
iii. उपभोक्ता एक विवेकशील
प्राणी है जो अपनी संतुष्टि को अधिकतम करना चाहता है।
iv. उपभोक्ता को विभिन्न अधिमान
संयोगो की पूरी जानकारी है।
उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्ते
-
i. उदासीनता वक्र कीमत रेखा
को स्पर्श करे इसका अर्थ है की मात्रात्मक रूप में X वस्तु की Y वस्तु के लिए सीमान्त
प्रतिस्थापन दर X तथा Y वस्तुओं की कीमतों के अनुपात के बराबर होनी चाहिए
IC वक्र की ढाल = बजट रेखा
की ढाल
ie. MRSxy = Px/
Py
ii. अधिमान वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर इसका अर्थ है की संतुलन बिंदु पर MRSxy घटती हुई होनी चाहिए।
रेखा चित्र से स्पष्ट है कि
उपभोक्ता का संतुलन e बिंदु पर प्राप्त होगा। क्योंकि इस बिंदु पर उपभोक्ता अधिकतम
संभव संतुष्टि IC3 को प्राप्त कर रहा है। दी गई आय पर उपभोक्ता a,b,c तथा
d संयोग को भी खरीद सकता है किंतु उनसे प्राप्त संतुष्टि IC3 की तुलना में
कम होंगे। उपभोक्ता को IC4 के बिंदु पर और अधिक संतुष्टि प्राप्त होगी,
किंतु दी गई है पर वह C4 को प्राप्त नहीं कर सकता है। अतः दी गई आय पर उपभोक्ता को
अधिकतम संभव संतुष्टि IC3 के e बिंदु पर प्राप्त होगी। जहां उपभोक्ता संतुलन
की दोनों शर्तें पूरी हो रही हैं- अधिमान वक्र बजट रेखा को स्पर्श कर रहा है एवं अधिमान
वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर है।
प्रश्न 3. मांग
के नियम क्या है? मांग को प्रभावित करने वाले तत्व को बताएं।
उत्तर- मांग का नियम यह बताता
है कि, अन्य तत्वों के स्थिर होने पर किसी वस्तु की कीमत में कमी से उसकी मांगी गई
मात्रा बढ़ती है तथा कीमत में वृद्धि से मांग में कमी होती है। अर्थात एक वस्तु की
कीमत तथा वस्तु की मांगी गई मात्रा के बीच विपरीत संबंध पाया जाता है।
जहां, D = वस्तु की माँग, f =फलन तथा P = वस्तु की कीमत
मान्यताएं
i. अन्य वस्तु की कीमत स्थिर
हो।
ii. उपभोक्ता की आय में कोई
परिवर्तन ना हो।
iii. उपभोक्ता की रुचि तथा
अधिमान स्थिर हो।
iv. सरकार की नीति में परिवर्तन
ना हो।
मांग को प्रभावित करने वाले
तत्व-
i. वस्तु की कीमत-
किसी वस्तु की कीमत और मांग के बीच विपरीत संबंध पाया जाता है अर्थात कम कीमत पर लोगों
द्वारा वस्तु की अधिक मात्रा की मांग की जाती है एवं विलोमशः
ii. अन्य वस्तु की कीमत-
अन्य वस्तु की कीमत किसी विशेष वस्तु की मांग को दो तरह से प्रभावित करती है। एक वस्तु
की कीमत में वृद्धि से किसी विशेष वस्तु की मांग बढ़ जात है. यह स्थानापत्र वस्तु होती
है। जैसे चाप एवं कॉफी ।
अन्य वस्तु की कीमत में वृद्धि
से किसी विशेष वस्तु की मांग में कमी हो जाती है ये पूरक वस्तु कहलाती है। जैसे कार
एवं पेट्रोल
iii. उपभोक्ता की आय-
सामान्यतः एक उपभोक्ता की आप और सामान्य वस्तु की मांग के बीच प्रत्यक्ष एवं सीधा संबंध
पाया जाता है अर्थात आय में वृद्धि से वस्तु की मांग बढ़ जाती है। उपभोक्ता की आप और
घटिया या गिफिन वस्तुओं की मांग के बीच विपरीत संबंध पाया जाता है अर्थात आय में वृद्धि
से इन वस्तु की मांग घट जाती है।
iv. रुचि एवं अधिमान-
किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा एवं उपभोक्ता की रुचि तथा अधिमान के बीच प्रत्यक्ष संबंध
पाया जाता है यदि किसी वस्तु के लिए उपभोक्ता की रूचि और अधिमान पक्ष में हो तो उस
वस्तु की मांग अधिक होगी।
v. भविष्य में कीमत संबंधी
आशा-
किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा और उसकी भविष्य में कीमत संबंधी आशा के बीच प्रत्यक्ष
और सीधा संबंध पाया जाता है। अर्थात यदि उपभोक्ता यह आशा करता है कि किसी वस्तु की
कीमत निकट भविष्य में कम होगी तो वह उस वस्तु की वर्तमान मांग कम कर देगा एवं विलोमश:।
vi. सरकारी नीति- सरकार
किसी वस्तु पर कर लगाकर उसकी मांग को कम या सब्सिडी देकर किसी वस्तु की मांग को बढ़ा
सकती है। कर लगाने से वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती है जबकि सब्सिडी देने पर वस्तु
की कीमत में कमी आती है।
vii. जनसंख्या-
वस्तु क मांगी गई मात्रा एवं जनसंख्या के बीच सीधा संबंध पाया जाता है जनसंख्या में
वृद्धि से वस्तु की मांग बढ़ जाती है जबकि जनसंख्या में कर्मी से वस्तु की मांग कम हो
जाती है।
प्रश्न 4 मांग
की रेखा नीचे दाहिनी ओर क्यों गिरती है?
उत्तर- मांग वक्र की ढाल ऋणात्मक
होती है अर्थात यह वक्र बाएं से दाएं नीचे गिरती है जिसका अर्थ है कि कीमत कम होने
पर अधिक वस्तुएं खरीदी जाती है और कीमत अधिक होने पर कम वस्तुएं खरीदी जाती है।
मांग वक्र की ढाल ऋणात्मक होने
या मांग की रेखा के नीचे दाहिनी और गिरने के कारण निम्न हैं। -
i. आय प्रभाव किसी
वस्तु की कीमत में कमी होती है तो उसकी पूर्व की मात्रा को क्रय करने पर उपभोक्ता को
पहले से कम व्यय करना पड़ता है। इससे उपभोक्ता की वास्तविक आय बढ़ जाती है जिससे वह
वस्तु की अधिक मात्रा को क्रप कर सकता है।
ii. प्रतिस्थापन प्रभाव जब
किसी वस्तु की कीमत में कमी होती है तो वह अन्य वस्तु की तुलना में सस्ती हो जाती है।
सामान्यतः उपभोक्ता महंगी वस्तु की जगह सस्ती वस्तु को प्रतिस्थापित करता है। जिससे
वस्तु की मांगी गई मात्रा बढ़ जाती है तथा कीमत बढ़ने पर मांग घट जाती है।
iii. घटती सीमांत उपयोगिता
का नियम एक उपभोक्ता किसी वस्तु के लिए उतनी ही कीमत देना चाहता
है जितना उस वस्तुं से सीमांत उपयोगिता प्राप्त होती है। जब उपभोक्ता वस्तु की अगली
इकाई खरीदेगा तो उससे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता कम होगी तो वह उस वस्तु की अगली इकाई
को तभी खरीदेगा जब उसे उसके लिए कम कीमत देनी पड़े। अतः कीमत में कमी से मांग बढ़ेगी।
iv. वस्तु के वैकल्पिक प्रयोग वस्तु
के वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं। जब वस्तु महंगी होती है तो उसका प्रयोग केवल अधिक
उपयोगी कार्य के लिए ही किया जाता है जैसे-जैसे कीमत कम होती है उसका उपयोग अन्य कम
उपयोगी कार्यों के लिए भी किया जाता है जिससे उसकी मांग बढ़ती जाती है।
v. उपभोक्ता की संख्या जब
वस्तु की कीमत बढ़ती है तो उसके उपभोक्ताओं की संख्या कम हो जाती है क्योंकि वस्तु
कुछ उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाता है। इसी प्रकार जब वस्तु की कीमत कम होती
है तो नए उपभोक्ता बाज़ार में जुड़ जाते हैं। अतः कीमत में कमी से मांग बढ़ जाती है।
प्रश्न 5. मांग
की लोच से आप क्या समझते हैं? मांग की लोच की माप की विभिन्न विधियों को स्पष्ट करें।
उत्तर- मांग की लोच मांग के
नियम का परिमाणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन से उसकी
मांगी गई मात्रा में कितना परिवर्तन होता है यह मांग की लोच द्वारा ज्ञात किया जा सकता
है। इसकी व्याख्या मार्शल द्वारा की गयी है।
मार्शल के अनुसार "मांग
की लोच का बाजार में कम या अधिक होना इस बात पर निर्भर करता है कि वस्तु की कीमत में
एक निश्चित मात्रा में परिवर्तन होने पर उसकी मांग में सापेक्ष सेअधिक या कम अनुपात
में परिवर्तन होता है।"
मांग की लोच का अर्थ मांग की
कीमत लोच से ही लिया जाता है जब वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणाम स्वरूप मांग
की मात्रा में आनुपातिक परिवर्तन की माप की जाती है तो उसे मांग की कीमत लोच कहते हैं।
मांग की लोच कीमत में परिवर्तन से मांग में होने वाली परिवर्तन की मात्रा एवं दिशा
दोनों को बताता है।
मांग की लोच की माप की विधियां
i. आनुपातिक विधि या प्रतिशत
विधि
मांग की लोच के माप की प्रतिशत या आनुपातिक विधि का प्रतिपादन प्रोफेसर फ्लाक्स ने
किया है। इस विधि के अनुसार मांग की लोच को ज्ञात करने के लिए मांग में होने वाले आनुपातिक
या प्रतिशत परिवर्तन को कीमत में होने वाले आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन से भाग दिया
जाता है।
माना,
प्रारंभिक कीमत - Po
प्रारंभिक मांग- Qo
नई कीमत- P1
नई मांग- Q1
कीमत में परिवर्तन - ΔP =
P1-P0
मांग में परिवर्तन - ΔQ =
Q1-Q0
कीमत में आनुपातिक परिवर्तन
- ΔP/Po
मांग में आनुपातिक परिवर्तन
- ΔQ/Q0
आनुपातिक विधि
प्रतिशत विधि
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन
– ΔP/ P0 x 100
मांग में प्रतिशत परिवर्तन – ΔQ/Q0 x 100
अन्य बातें समान रहने पर माँग
की लोच, माँग में प्रतिशत परिवर्तन तथा कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को बतलाती
है।
ii. कुल व्यय विधि
- मांग की लोच की माप की कुल व्यय विधि का प्रतिपादन प्रोफेसर मार्शल द्वारा किया गया।
इस विधि में यह ज्ञात किया जाता है कि वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से कुल व्यय
में कितना और किस दिशा में परिवर्तन हुआ है। कीमत में परिवर्तन तथा व्यय में परिवर्तन
की दिशा के आधार पर मांग की लोच का आकलन किया जाता है। इस विधि में मांग की लोच की
केवल 3 श्रेणियों का आकलन किया जा सकता है- इकाई के बराबर लोच, इकाई से अधिक लोच एवं
इकाई से कम लोच।
इस विधि को निम्न तालिका के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता
iii. बिंदु विधि या ज्यामितीय
विधि
- इस विधि द्वारा हम एक रेखिय मांग वक्र के किसी बिंदु पर मांग की लोच ज्ञात कर सकते
हैं। मांग की रेखा पर कोई भी बिंदु मांग की रेखा को दो भागों में बांट देती है एक बिंदु
के ऊपर का रेखा खंड तथा दूसरा बिंदु के नीचे का रेखा खंड। मांग की लोच को ज्ञात करने
के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है।
ed= निचला रेखा खंड / उपर का रेखा खंड
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अध्याय
व्यष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र
अध्याय 1
अध्याय 2
अध्याय 3
अध्याय 4
अध्याय 5
अध्याय 6
Solved Paper 2023
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