Class 12 Economics अध्याय 5 बाज़ार संतुलन Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 Economics अध्याय 5 बाज़ार संतुलन Question Bank-Cum-Answer Book
Class 12 Economics अध्याय 5 बाज़ार संतुलन Question Bank-Cum-Answer Book

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

अर्थशास्त्र (Economics)

अध्याय 5 बाज़ार संतुलन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. किसी वस्तु का मूल्य निर्धारित होता है -

a. मांग द्वारा

b. पूर्ति द्वारा

c. मांग एवं पूर्ति द्वारा

d. सरकार द्वारा

 

2. बाजार मूल्य पाया जाता है-

a. अल्पकालीन बाजार में

b. दीर्घकालीन बाजार में

c. अति दीर्घकालीन बाजार में

d. इनमें से कोई नहीं

 

3. निम्नलिखित में से किसने कहा था कि "किसी वस्तु की कीमत मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है

a. जेवेन्स

b. वालरस

c. मार्शल

d. इनमें से कोई नहीं

 

4. संतुलन कीमत के निर्धारक घटक निम्नलिखित में कौन से है?

a. वस्तु की मांग

b. वस्तु की पूर्ति

c. a और b दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

 

5. कीमत उस बिंदु पर निर्धारित होती है जहां-

a. वस्तु की मांग अधिक हो

b. वस्तु की पूर्ति अधिक हो

c. वस्तु की मांग और पूर्ति बराबर हो

d. इनमें से कोई नहीं

 

6. निम्नलिखित में किसने कीमत निर्धारण प्रक्रिया में समय तत्व का विचार प्रस्तुत किया?

a. रिकार्डो

b. वालरस

c. मार्शल

d. जे. के. मेहता

 

7. संतुलन की स्थिति में होता है ?

a. विक्रय की कुल मात्रा खरीदी जाने वाली मात्रा के बराबर होती है

b. बाजार पूर्ति बाजार मांग के बराबर होती है

c. ना ही फर्म, ना ही उपभोक्ता विचलित होना चाहते हैं।

d. उपरोक्त सभी

 

8. एक पूर्ण प्रतियोगि बाजार में यदि फर्में बाजार में निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन कर सकती है तो संतुलन कीमत सदैव होती है?

a. फर्मों के सीमांत लागत के बराबर होगी

b. फर्मों के न्यूनतम औसत लागत के बराबर होगी

c. फर्मों के कुल लागत के बराबर होगी

d. फर्मों के सीमांत और औसत लागत के बराबर होगी

 

9. यदि किसी कीमत पर बाजार पूर्ति बाजार मांग से अधिक है, तो उस कीमत पर बाजार में क्या होगा ?

a. अधिपूर्ति होगी

b. अधिमांग होगी

c. a तथा b दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

 

10. पूर्ति वक्र अपरिवर्तित रहने पर जब मांग वक्र दांए ओर शिफ्ट होती है तो फर्मों की संख्या स्थिर होने पर संतुलन मात्रा में वृद्धि होती है तथा संतुलन कीमत में होगी?

a. गिरावट होगी

b. वृद्धि होगी

c. अपरिवर्तित होगी

d. इनमें से कोई नहीं

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Question Answer)

1. संतुलन को परिभाषित करें ?

उत्तर- वह स्थिति जिसमें परिवर्तन की कोई प्रवृत्ति नहीं पाई जाती है । बाजार उस स्थिति में संतुलन में माना जाता है जब बाजार मांग एवं बाजार पूर्ति बराबर होती है।

2. बाजार कीमत किसे कहते हैं?

उत्तर - वह कीमत जो बाजार में एक निश्चित समय पर पाई जाती है । बाजार कीमत सामान्य कीमत के ऊपर नीचे घूमती रहती है।

3. कीमत निर्धारण करने वाली शक्तियां लिखें ?

उत्तर - कीमत निर्धारण करने वाली दो शक्तियां (i) मांग शक्ति तथा (ii) पूर्ति शक्ति है।

4. किन किन विधियों द्वारा सरकार बाजार कीमत पर नियंत्रण रख सकती है ?

उत्तर-

(i) कीमत नियंत्रण तथा राशनिंग

(ii) न्यूनतम कीमत निर्धारण

5. भारत सरकार प्रत्येक वर्ष किन वस्तुओं की कीमत निर्धारित करती है?

उत्तर - भारत सरकार प्रत्येक वर्ष अनेक कृषि वस्तुओं की न्यूनतम कीमत निर्धारित करती है ।

6. बाजार में आधिक्य की स्थिति कब उत्पन्न होती है ?

उत्तर- बाजार में आधिक्य की स्थिति तब उत्पन्न होती है जबकि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम कीमत सामान्य कीमत से अधिक होती है।

7. राशनिंग से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - राशनिंग से अभिप्राय है कि एक निश्चित अवधि में एक वस्तु की अधिकतम मात्रा खरीदने पर सीमा लगाना ।

8. कालाबाजारी का क्या अर्थ है?

उत्तर कालाबाजारी किसी आकस्मिक स्थिति के चलते वस्तु-विशेष की कमी आ रही हो उसका लाभ उठाते हुए वस्तुओं को ऊँचे दामों पर बेच कर अनुचित लाभ कमाने की प्रक्रिया कालाबाजारी कहलाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Question Answer)

प्रश्न 1. संतुलन को परिभाषित करें। किस स्थिति में बाजार को संतुलन अवस्था में कहा जाता है?

उत्तर:- संतुलन उस स्थिति को कहते हैं जब किसी प्रकार के परिवर्तन होने की प्रवृत्ति नहीं होती। मांग तथा पूर्ति की दशा में किसी में न तो मांग में और न ही पूर्ति में परिवर्तन लाने की प्रवृत्ति होती है और न ही कीमत में परिवर्तन होने की प्रवृत्ति होती है। बाजार उस समय दशा में संतुलन अवस्था में होता है जब बाजार में कुल मांग कुल पूर्ति के बराबर होगी। संतुलन बाजार में शून्य आधिक्य मांग तथा शून्य आधिक्य पूर्ति की स्थिति होती है।

प्रश्न 2. एक बाजार में फर्म की संतुलन संख्या किस प्रकार निर्धारित होती है, जब उन्हें निर्बाध प्रवेश तथा वहिर्गमन की अनुमति हो ।

उत्तर- बाजार में फर्मों की संख्या निर्धारित करने के लिए संतुलन कीमत पर मांगी गई तथा बेची गई मात्रा को प्रत्येक फर्म की पूर्ति की गई मात्रा से विभाजित किया जाता है। सूत्र के रूप में

फर्म की संख्या= संतुलन कीमत पर बेची तथा खरीदी गई मात्रा ÷ प्रत्येक फर्म द्वारा पूर्ति की गई मात्रा

मान लीजिए संतुलन कीमत पर खरीदी तथा बेची गई वस्तु की मात्रा 350 इकाइयां है और प्रत्येक फर्म 50 इकाइयों की पूर्ति करती है तब फर्म की संख्या की गणना निम्र प्रकार होगी-

फर्म की संख्या = 350 ÷ 50=7

प्रश्न 3. एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में श्रम की इष्टतम मात्रा किस प्रकार निर्धारित होती है?

उत्तर- श्रम बाजार में श्रम की मांग फर्म द्वारा की जाती है। फर्म से अभिप्राय श्रमिकों के कार्य के घंटों से है न कि श्रमिकों की संख्या से । प्रत्येक फर्म का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना है। फर्म को अधिकतम लाभ तभी प्राप्त होता है जब मजदूरी श्रम की सीमांत आगम उत्पादकता के बराबर होती है।

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में सीमांत आगम कीमत के बराबर होती हैं और कीमत सीमांत उत्पाद के मूल्य के बराबर होती है। अतः श्रम के इष्टतम चयन की शर्त मजदूरी दर तथा सीमांत उत्पाद के मूल्य में समानता है।

प्रश्न 4. वस्तु बाजार में तथा श्रम बाजार में मांग तथा पूर्ति वक्र किस प्रकार भिन्न होती हैं?

उत्तरः- श्रमिकों की मजदूरी तथा वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण मांग तथा पूर्ति शक्तियों के अंतर्गत एक जैसी विधि से होता है। श्रम बाजार तथा वस्तु बाजार में मूल अंतर उनकी मांग तथा पूर्ति के स्रोतों से है। वस्तु बाजार में वस्तु की मांग परिवारों द्वारा की जाती है परंतु वस्तु की पूर्ति फर्म करती हैं। जबकि श्रम बाजार में श्रम की पूर्ति परिवारों द्वारा की जाती है और फर्म श्रम की मांग करती है। वस्तु बाजार में वस्तु का अभिप्राय वस्तु की मात्रा से है जबकि श्रम बाजार में श्रम का अभिप्राय श्रमिकों द्वारा किए गए काम करने की घंटों से है न कि श्रमिकों की संख्या से ।

प्रश्न 5. पूर्ति तथा मांग वक्रों का उपयोग करते हुए दर्शाइए कि जूतों की कीमतों में वृद्धि, खरीदी व बेची जाने वाली मोजों की जोड़ी की कीमतों को तथा संख्या को किस प्रकार प्रभावित करती है?

उत्तर- जूते तथा मोजे पूरक वस्तुएं हैं। पूरक वस्तुएं वैसी वस्तुएं होती हैं जिनका प्रयोग एक साथ किया जाता है। जूतों की कीमत में वृद्धि होने से जूतों की मांग में कमी आएगी जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है -

जूतों की मांग में कमी आने की परिणाम स्वरूप मोजों की मांग कम हो जाएगी। मांग में कमी आने के फलस्वरूप मोजों की कीमतों में कमी आएगी जैसा कि चित्र में दिखाया गया है-

प्रश्न 6. मांग वक्र में शिफ्ट का कीमत पर अधिक तथा मात्रा पर कम प्रभाव होता है, जबकि फर्म की संख्या स्थिर रहती है । उस स्थितियों की तुलना करें जब निर्वाध प्रवेश तथा वहिर्गमन की अनुमति हो तो क्या करें।

उत्तर:- मांग वक्र में खिसकाव होने पर कीमत में परिवर्तन होता है। मान लीजिए मांग वक्र दाई ओर खिसकता है इस स्थिति में कीमत में अधिक वृद्धि होगी परंतु मात्रा पर कम प्रभाव पड़ेगा जैसा कि चित्र में दिखाया गया है-

इसका मुख्य कारण फर्म की संख्या का निश्चित होना है। नई फर्म के प्रवेश करने पर प्रतिबंध है। वर्तमान फर्में उत्पादन में अधिक वृद्धि नहीं कर सकेंगे । मांग में वृद्धि होने पर कीमत में अधिक वृद्धि होगी और मात्रा में कम वृद्धि होगी। इसके विपरीत मांग वक्र के दाएं और खिसकने पर कीमत में वृद्धि होगी कीमत में वृद्धि होने पर लाभ में वृद्धि होगी जिससे उद्योग में नई फर्म का प्रवेश होगा। नई फर्म के प्रवेश से पूर्ति में वृद्धि होगी उद्योग में नई फर्म का तब तक प्रवेश होता रहेगा जब तक कीमत कम होकर संतुलन कीमत के बराबर नहीं हो जाती। अतः उस बाजार में जहां पर फर्म के प्रवेश तथा बाहर जाने की स्वतंत्रता है वहां मांग वक्र के दाएं और खिसकने पर कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और मात्रा पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।

प्रश्न 7. चित्र की सहायता से वस्तु की पूर्ति बढ़ने पर उसकी संतुलन कीमत तथा मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या कीजिए ।

अथवा

चित्र की सहायता से पूर्ति वक्र की दाई और खिसकाव का वस्तु के संतुलन कीमत तथी मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या कीजिए।

उतर:- यदि मांग के स्थिर होने पर वस्तु की पूर्ति बढ़ती है तो संतुलन कीमत घटती है इसे चित्र द्वारा दर्शाया गया है-


चित्र में वस्तु की माँग तथा पूर्ति को X- अक्ष पर तथा कीमत को Y-अक्ष पर दिखाया गया है। DD माँग वक्र है तथा SS मूल पूर्ति वक्र है। मूल संतुलन बिन्दु है। SS बढ़कर S1S1 हो जाता है। इससे अधिपूर्ति उत्पन्न होती है। नई पूर्ति वक्र S1S1, माँग वक्र DD को E1 विन्दु पर काटता है, जो नया संतुलन बिन्दु है। इस संतुलन बिन्दु पर, कीमत OP से घटकर OP1 हो जाती है तथा उत्पादन OQ से OQ1 हो जाता है। इस प्रकार यदि पूर्ति बढ़ती है जबकि माँग स्थिर रहती है, तो संतुलन कीमत घटती है तथा उत्पादन मात्रा बढ़ जाती है।

प्रश्न 8 चित्र की सहायता से वस्तु की माँग की कम होने पर संतुलन कीमत तथा मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या कीजिए।

अथवा

चित्र की सहायता से माँग वक्र के बाईं ओर खिसकाव का वस्तु की संतुलन कीमत तथा मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर:- पूर्ति स्थिर रहते हुए, यदि वस्तु की माँग घट जाती है, तो सन्तुलन कीमत तथा उत्पादन घट जाएगा। इसे चित्र में दर्शाया गया-

चित्र में मांगी गई मात्रा तथा पूर्ति की मात्रा को X- अक्ष पर तथा कीमत को Y- अक्ष पर दिखाया गया। DD मूल माँग वक्र तथा SS मूल पूर्ति वक्र है। संतुलन विन्दु है। मांग में कमी को DD वक्र सेD1D1बाई ओर खिसकाव द्वारा दर्शाया जाता है। यह EA इकाईयों की कम मांग उत्पन्न करता है। विक्रेताओं के बीच प्रतियोगिता होगी। इससे कीमत गिरकर OP से OP1 हो जाती है। तथा संतुलन उत्पाद OQ से OQ1 हो जाएगा। इसलिए, जब मांग वक्र बाई ओर खिसकता है संतुलन कीमत तथा उत्पादन दोनों गिरता(घटता) है।

प्रश्न 9. संतुलन कीमत क्या है? रेखाचित्र बनाइएँ ।

उत्तर:- संतुलन कीमत वह कीमत है जिस पर मांग तथा पूर्ति एक-दूसरे के बराबर होते हैं या जहां क्रेता की खरीद तथा विक्रेताओं की बिक्री एक- दूसरे के समान होती है। पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में संतुलन कीमत का निर्धारण मांग तथा पूर्ति की शक्तियों द्वारा होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Question Answer)

प्रश्न 1. संतुलित बाजार में एक वस्तु की पूर्ति में वृद्धि का संतुलन कीमत पर पड़ने वाला प्रभाव को चित्रे की सहायता से दर्शाइए।

उत्तर - संतुलित बाजार में एक वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होने से पूर्ति वक्र अपनी दाएं और अर्थात नीचे की ओर खिसक जाती है। पूर्ति में वृद्धि होने से मांग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसी स्थिति में मांग वक्र में कोई परिवर्तन नहीं होता है, जैसा कि नीचे रेखा चित्र में दर्शाया गया है

चित्र में DD वक्र तथा SS वक्र क्रमशः प्रारंभिक मांग वक्र तथा पूर्ति वक्र एक दूसरे को E बिंदु पर काटते हैं। जहां संतुलन कीमत OP और संतुलन मात्रा OQ है। पूर्ति में वृद्धि होने से पूर्ति वक्र अपनी दाई ओर खिसक जाती है, अब नयी पूर्ति वक्र S1S1 है जो मांग वक्र DD को E1 बिंदु काटती है जहां संतुलन कीमत OP1 है जो पहले की संतुलन कीमत OP से कम है। संतुलन मात्रा OQ1 है जो पूर्व की संतुलन मात्रा OQ से अधिक है। इस प्रकार यह निष्कर्ष प्राप्त होता है की पूर्ति में वृद्धि होने तथा मांग के अपरिवर्तित रहने पर संतुलन कीमत में कमी और संतुलन मात्रा में वृद्धि होती है।

प्रश्न 2. एक वस्तु की मांग और पूर्ति में परिवर्तन संतुलन कीमत को किस प्रकार प्रभावित करती है? सचित्र समझाइए ।

उत्तर- एक वस्तु की मांग और पूर्ति में परिवर्तन संतुलन कीमत पर प्रभाव डालती है। इससे संतुलन कीमत में परिवर्तन आ भी सकता है और नहीं भी। यह इन दोनों वक्रों के परिवर्तन के अनुपात पर निर्भर करता है। इसकी दो स्थिति हो सकती है. संतुलन कीमत में परिवर्तन हो भी सकता है और नहीं भी। यहां हम दोनों स्थिति पर चर्चा करेंगे। पहली स्थिति संतुलन कीमत में परिवर्तन आता है और दूसरी स्थिति संतुलन कीमत में परिवर्तन नहीं आता है।

पहली स्थिति - संतुलन कीमत में परिवर्तन आता है-

i. जब पूर्ति में वृद्धि मांग में वृद्धि की तुलना में अधिक हो - पूर्ति में वृद्धि मांग में वृद्धि की तुलना में अधिक होती है तो वस्तु की संतुलन कीमत में कमी आती है। इसे हम निम्न रेखा चित्र से स्पष्ट कर सकते हैं।

रेखा चित्र से स्पष्ट है प्रारंभिक कीमत OP है यह भी स्पष्ट है कि पूर्ति में वृद्धि मांग में हुई वृद्धि से अधिक है नई संतुलन बिंदु E1 पर कीमत OP1 है जो प्रारंभिक कीमत की तुलना में कम है।

ii. जब मांग में वृद्धि पूर्ति में वृद्धि की तुलना में अधिक हो जब मांग में वृद्धि पूर्ति में हुई वृद्धि से अधिक होती है तो इस स्थिति में संतुलन कीमंत और मात्रा दोनों में वृद्धि होगी।

रेखा चित्र से स्पष्ट है कि प्रारंभिक संतुलन E बिंदु पर है जहां संतुलन कीमत OP और मात्रा OQ है स्पष्ट है मांग में वृद्धि पूर्ति में वृद्धि की तुलना में अधिक है। नई संतुलन बिंदु E1 पर कीमत पहले की तुलना में बढ़कर OP1 हो जाती है और मात्रा भी बढ़कर OQ1 हो जाती है।

iii. जब मांग में कमी पूर्ति में कमी की तुलना में कम हो - जब मांग में कमी और पूर्ति में भी कमी होती है लेकिन पूर्ति में कमी मांग में कमी की तुलना में अधिक हो तो कीमत पहले की तुलना में बढ़ जाती है जैसा कि नीचे के रेखा चित्र से स्पष्ट है।

रेखा चित्र से स्पष्ट है कि मांग और पूर्ति दोनों में कमी होती है किंतु पूर्ति में कमी मांग की तुलना में अधिक है प्रारंभिक संतुलन स्तर पर कीमत OP है। नई संतुलन स्तर E1 पर कीमत बढ़कर OP1 हो जाती है जो पहले से अधिक है।

iv. जब मांग में कमी पूर्ति में कमी की तुलना में अधिक हो - जब मांग और पूर्ति दोनों मैं कमी होती है लेकिन मांग में अधिक कमी तो कीमत में कमी होती है जैसा कि रेखा चित्र से स्पष्ट है।

रेखा चित्र से स्पष्ट है कि मांग और पूर्ति दोनों में कमी होती है लेकिन मांग में कमी पूर्ति में कमी की तुलना में अधिक है इस स्थिति में कीमत में कमी होती है। चित्र में प्रारंभिक कीमत OP है तथा नई कीमत OP1 है जो पहले से कम है।

दूसरी स्थिति जब संतुलन कीमत पर कोई प्रभाव ना हो-

v. जब मांग और पूर्ति दोनों में समान वृद्धि हो जब मांग और पूर्ति दोनों में वृद्धि समान अनुपात में होती है तो संतुलन कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं। रेखा चित्र से स्पष्ट है परिवर्तन के पूर्व और बाद कीमत समान OP बनी हुई है।

vi. जब मांग और पूर्ति दोनों में समान अनुपात में कमी हो-

जब मांग और पूर्ति दोनों में समान अनुपात में कमी होती है तो कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता है । रेखा चित्र से स्पष्ट है परिवर्तन के पूर्व और बाद में कीमत समान OP बनी हुई है।

प्रश्न 3. मान लीजिए कि नमक की मांग तथा पूर्ति वक्र को इस प्रकार

दिया गया है

qD=1000-P

qS = 700-2P

संतुलन कीमत तथा मात्रा ज्ञात कीजिए।

उत्तर- दिया हुआ है,

नमक की मांग qD = 1000 - P

नमक की पूर्ति qS= 700 + 2P

संतुलन स्तर पर,

qD=qS

1000 - P = 700 + 2P

1000 -700=2P+P

300 = 3P

P = 300/3

P = 100

संतुलन कीमत P = 100

संतुलन मात्रा के लिए,

qD = q = 1000 - P

= 1000 - 100

q = 900

संतुलन मात्रा q = 900

अतः संतुलन कीमत P = 100

संतुलन मात्रा q = 900 उत्तर

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

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