Class 11 Economics अध्याय 6. रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे Question Bank-Cum-Answer Book

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प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

अर्थशास्त्र (Economics)

6. रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे

पाठ के मुख्य बिन्दु

* लोग आजीविका के लिए कार्य करते हैं।

* प्रत्येक कार्यरत व्यक्ति राष्ट्रीय आय में अपना योगदान देता है।

* श्रमिकों कर्मचारियों मजदूरो के द्वारा संपन्न कार्यकलापों का अध्ययन करने से हमें देश में रोजगार की प्रकृति एवं गुणवत्ता के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।

* श्रम शक्ति का अध्ययन इसलिए भी जरूरी है ताकि आर्थिक विकास की योजनाएं बनाई जा सके।

* किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।

* सकल राष्ट्रीय उत्पाद में योगदान देने वाले सभी कार्यकलापों को हम आर्थिक क्रियाएं कहते हैं।

* जिनके द्वारा आर्थिक क्रियाएं संपन्न की जाती है उन्हें श्रमिक कहा जाता है।

* वर्ष 2017-18 में भारत में कुल श्रम शक्ति का आकार लगभग 471 मिलियन आंका गया है।

* श्रम शक्ति का लगभग 70% पुरुष एवं शेष 30% महिलाएं और बाल श्रमिक हैं।

* श्रमिक जनसंख्या अनुपात एक ऐसा अनुपात है जो देश की जनसंख्या के उस भाग को दर्शाता है जो सक्रिय रूप से उत्पादन प्रक्रिया में अपना योगदान दे रहे हैं।

* यदि श्रमशक्ति भागीदारी में फुषों और महिलाओं की तुलना की जाए तो शहरी क्षेत्रों में यह अंतर बहुत बड़ा हैं, यहाँ केवल 15% महिलाएं आर्थिक क्रिया में संलग्न हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 25% है।

* भारत में प्रत्येक क्षण 100 नागरिकों में लगभग 35 श्रमिक हैं।

* भारतीय अर्थव्यवस्था में एक चिंताजनक स्थिति बनी हुई है जो यह दर्शाती है कि अर्थव्यवस्था में रोजगार सुजन के बिना ही अधिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हो रहा है जिसे 'रोजगारहीन संवृद्धि' का नाम दिया गया है।

* एक वर्गीकरण के अनुसार श्रमिकों को स्व नियोजित एवं भाड़े के श्रमिकों में विभाजित किया जाता है।

* किसी उद्यम के मालिक अथवा संचालक को स्व- नियोजित की श्रेणी में रखा जाता है, जब कि किसी नियोक्ता दवारा काम पर रखे गए श्रमिकों को भाड़े का श्रमिक कहा जाता है।

* भाड़े के श्रमिकों को दो भागों में बांट सकते हैं, अनियत दिहाड़ी मजदूर एवं नियमित वेतन भोगी कर्मचारी।

* एक अन्य वर्गीकरण के अनुसार भारतीय श्रमबल को दो वर्गों में बांटा जाता है, औपचारिक एवं अनौपचारिक।

* 10 से अधिक मजदूरों या कर्मचारियों को रोजगार देनेवाले निजी या सार्वजनिक उद्यम संगठित या औपचारिक क्षेत्र कहलाते हैं, जबकि इससे कम श्रमिकों को रोजगार देने वाले निजी क्षेत्रक असंगठित क्षेत्रक के माने जाते हैं।

* अर्थशास्त्री उन्हें बेरोजगार मानते हैं जो आधे दिन की अवधि में 1 घंटे का रोजगार भी नहीं पा सकते हैं।

* भारत के कई प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है जैसे खुली बेरोज़गारी, प्रच्छन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी एवं अल्प बेरोजगारी इत्यादि।

* भारत में सरकार द्वारा रोजगार सृजन के अवसरों को दो भागों में बांटा जाता है, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष।

* जब सरकार अपने उद्यमों में विभिन्न कार्यों के लिए नियुक्तियां करती है तो उसे प्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों में सम्मिलित किया जाता है, जबकि अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों के अन्तर्गत सरकार परोक्ष रूप से अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन करती है।

* वर्तमान समय में भारत की श्रमबल की संरचना में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है, जिससे शहरों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. लोग ……. के लिए आर्थिक कार्य करते हैं।

a. मनोरंजन

b. आराम करने

c. दान करने

d. आजीविका

2. किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य क्या कहलाता है?

a. सकल राष्ट्रीय उत्पाद

b. सकल घरेलू उत्पाद

c. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद

d. शुद्ध घरेलू उत्पाद

3. सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देने वाले सभी कार्यकलापों को हम क्या कहते हैं?

a. आर्थिक क्रियायें

b. गैर- आर्थिक क्रियायें

c. (a) और (b) दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

4. सकल घरेलू उत्पाद में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का मूल्य जोड़ देने पर ------ प्राप्त होता है।

a. शुद्ध विदेशी उत्पाद

b. सकल विदेशी उत्पाद

c. सकल राष्ट्रीय उत्पाद

d. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद

5. निम्नलिखित में से किसे श्रमिक कहा जाएगा?

a. जिन्हें नियोक्ता द्वारा काम के बदले भुगतान किया जाता है

b. जो व्यक्ति स्व-नियोजित होते हैं।

c. जो व्यक्ति किसी कारणवश अस्थायी रूप से काम नहीं कर पाते।

d. उपरोक्त सभी

6. देश की जनसंख्या का वह भाग जो वास्तव में कार्य कर रहा है अथवा कार्य करने के लिए इच्छुक हैं, तो क्या कहलाता है?

a. श्रमबल

b. कार्यबल

c. बेरोजगार

d. नियोक्ता

7. छोटे किसान, कृषि श्रमिक, छोटे व्यावसायी और उनके कर्मचारियों तथा स्व-नियोजित व्यक्तियों को किस क्षेत्रक में रखा जाता है?

a प्राथमिक क्षेत्रक

b. द्वितीयक क्षेत्रक

c. संगठित क्षेत्रक

d. असंगठित क्षेत्रक

8. सकल श्रमबल के जिन श्रमिकों को नियमित आय मिलती है और सरकार श्रम कानूनों द्वारा उनके अधिकारों की रक्षा करती हैं, वह हैं -

a. संगठित क्षेत्र के कर्मचारी

b. असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी

c. सेवा क्षेत्र के कर्मचारी

d. निजी क्षेत्र के कर्मचारी

9. इनमें से संगठित क्षेत्रकों में लगे श्रमिक को चुनें-

a. एक रिक्शाचालक

b. एक सरकारी अस्पताल की नर्स

c. एक कपड़े के दुकान का कर्मचारी जहाँ दो श्रमिक कार्यरत हैं

d. एक सब्जी विक्रेता

10. भारत के संदर्भ में, अधिकांश रोजगार का स्रोत अर्थव्यवस्था का कौन-सा क्षेत्रक है?

a. प्राथमिक क्षेत्रक

b. द्वितीयक क्षेत्रक

c. तृतीयक क्षेत्रक

d. सार्वजनिक क्षेत्र

11. 'जनसंख्या' शब्द का अर्थ है-

a. किसी परिवार विशेष में, किसी समय विशेष पर रह रहे व्यक्तियों की संख्या

b. किसी क्षेत्र विशेष में, किसी समय विशेष पर रह रहे व्यक्तियों की कुल संख्या

c. किसी परिवार विशेष में, किसी समय विशेष पर आर्थिक क्रिया में लगे लोगों की संख्या

d. किसी क्षेत्र विशेष में, किसी समय विशेष पर आर्थिक क्रिया में लगे लोगों की संख्या

12. भारत में रोजगार के औपचारिक क्षेत्रक में सबसे बड़ा रोजगारदाता कौन है?

a. कृषि

b. सेवा

c. निजी

d. बैंक

13. किस संगठन के प्रयासों से भारत सरकार ने अनौपचारिक क्षेत्र के आधुनिकीकरण और इस क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का प्रावधान किया है?

a. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF)

b. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

c. अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)

d. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)

14. देश के द्वितीयक क्षेत्र में कौन औद्योगिक वर्ग आते हैं?

a. कृषि एवं विनिर्माण

b. विनिर्माण

c. विद्युत, गैस एवं जलापूर्ति

d. (b) और (c) दोनों

15. कितने कर्मचारियों को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठान संगठित क्षेत्र के माने जाते हैं?

a. 10 व्यक्तियों से कम

b. 10 या 10 व्यक्तियों से अधिक

c. 20 व्यक्तियों से कम

d. 20 या 20 व्यक्तियों से अधिक

16. निम्न समीकरणों में से कौन बेरोजगारी की धारणा को दर्शाता है?

a. बेरोजगारों की संख्या = श्रमशक्ति + रोजगारों की संख्या

b. बेरोज़गारों की संख्या = श्रमशक्ति - रोज़गारों की संख्या

c. बेरोजगारों की संख्या = श्रमशक्ति X रोजगारों की सख्या

d. बेरोज़गारों की संख्या = श्रमशक्ति / रोज़गारों की संख्या

17. निम्नांकित दशाओं में से किस दशा को खुली बेरोजगारी की दशा कह सकते हैं?

a. योग्यता एवं इच्छा रहते हए भी काम के अभाव के कारण व्यक्ति बिना रोजगार का रह जाता है

b. काम करने की योग्यता के अभाव के कारण बिना रोजगार का रह जाता है

c. जब व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी रोजगार में नहीं रहता है

d. जब श्रमिक काम तो कर रहा होता है परंतु उसकी सीमांत उत्पादकता शून्य होती है

18. निम्नांकित दशाओं में से किस दशा को प्रच्छन्न बेरोजगारी की दशा कह सकते हैं?

a. योग्यता एवं इच्छा रहते हुए भी, काम के अभाव के कारण व्यक्ति बिना रोजगार का रह जाता है

b. काम करने की योग्यता के अभाव के कारण बिना रोजगार का रह जाता है

c. जब व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी रोजगार में नहीं रहता है

d. जब श्रमिक काम तो कर रहा होता है परंतु परंतु परन्तु उसका सीमांत उत्पादन में योगदान शून्य होता है

19. कृषि क्षेत्र में अधिकतर किस प्रकार की बेरोजगारी देखी जाती है?

a. खुली बेरोज़गारी

b. मौसमी बेरोजगारी

c. प्रच्छन्न बेरोजगारी

d. शिक्षित बेरोजगारी

20. अर्थशास्त्री किसे बेरोजगार मानते हैं?

a. जिसे साल में एक महीने का रोजगार भी नहीं मिल पाता

b. जिसे सप्ताह में 1 दिन का रोजगार भी नहीं मिल पाता

c. महीने में 7 दिन रोजगार का नहीं मिल पाता

d. जिसे आधे दिन की अवधि में 1 घंटे का रोजगार भी नहीं मिल पाता

21. जब श्रमिकों को साल के कुछ विशेष महीनों में बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है, उसे क्या कहते है?

a. प्रच्छन्न बेरोजगारी

b. छुपी हुई बेरोजगारी

c. संस्थागत बेरोजगारी

d. मौसमी बेरोजगारी

22. कुछ महिलाओं को श्रमिक वर्ग में शामिल क्यों नहीं किया जाता है?

a. उन्हें नकद के रूप में मजदूरी दी जाती है

b. उन्हें अनाज के रूप में मजदूरी दी जाती है

c. उन्हें नकद अथवा अनाज के रूप में कोई मजदूरी नहीं दी जाती है है

d. जो सब्जी बेचने का काम करती है

23. भारत में बेरोजगारी के आँकड़ों के मुख्य स्रोत हैं-

a. भारत की जनगणना रिपोर्ट

b. राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय की रिपोर्ट

c. रोजगार और प्रशिक्षण महानिदेशालय की रिपोर्ट

d. उपरोक्त सभी

24. मांग में परिवर्तन के कारण कुछ उद्यम उत्पादन बंद कर देते हैं तो किस प्रकार की बेरोजगारी उत्पन्न होने की संभावना होती है?

a. अल्प बेरोजगारी

b. संरचनात्मक बेरोजगारी

c. खुली बेरोज़गारी

d. छुपी हुई बेरोजगारी

25. निम्न में से कौन बेरोजगारी का एक कारण नहीं है?

a. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि

b. कृषि पर अत्यधिक निर्भरता

c. कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास

d. धीमा आर्थिक विकास

26. बेरोजगारी और में प्रत्यक्ष संबंध है।

a. निर्धनता

b. आर्थिक विकास

c. प्रति व्यक्ति आय

d. इनमें से कोई नहीं

27. भारत में अधिकांश श्रमबल निम्नलिखित में से किस वर्ग में आते हैं?

a. स्वनियोजित

b. अनियत श्रमिक

c. नियमित वेतनभोगी कर्मचारी

d. सरकारी कर्मचारी

28. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कब लागू किया गया है?

a. 2000

b. 2002

c. 2006

d. 2010

29. सरकार द्वारा रोजगार सृजन हेतु विभिन्न प्रयासों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है, वे हैं-

a. प्रत्यक्ष कदम

b. अप्रत्यक्ष कदम

c. (a) और (b) दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

30. सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों, सरकारी उद्‌द्योगों एवं सरकारी कंपनियों में की जाने वाली नियुक्तियां रोजगार सृजन के लिए किस प्रकार के प्रयास कहे जाएंगे?

a. प्रत्यक्ष कदम

b. अप्रत्यक्ष कदम

c. (a) और (b) दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

31. निम्न में से कौन सरकार द्वारा प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराया जाने वाला रोजगार सृजन का अवसर कहा जाएगा?

a. सड़कों का निर्माण करने के लिए नियमित मजदूरों की नियुक्ति करना।

b. सरकारी उद्यम में मैकेनिकों की नियुक्ति करना।

c. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के अंतर्गत अकुशल श्रमिकों को दिहाड़ी उपलब्ध कराना।

d. उपर्युक्त सभी।

32. निम्न में से कौन सरकार दवारा अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराया जाने वाला रोजगार सृजन का अवसर कहा जाएगा?

a. सरकारी स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति करना।

b. सरकारी विभागों में प्रशासकीय कार्यों के लिए नियुक्ति करना।

c. सरकारी कंपनी में इंजीनियर की नियुक्ति करना।

d. कुएं और बांधों का निर्माण करने के लिए अनियत मजदूरों की नियुक्ति करना।

33. भारत में पंचवर्षीय काल के दौरान 'रोजगारहीन संवृद्धि' की धारणा क्या दर्शाती है?

a. भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन के बिना अधिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हो रहा है।

b. भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन के साथ अधिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हो रहा है।

c. भारतीय अर्थव्यवस्था में कम रोजगार सृजन के साथ बहुत कम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हो रहा है।

d. भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक रोजगार सृजन के साथ बहुत कम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हो रहा है।

34. इनमें से कौन संस्था देश के विभिन्न भागों में स्थित रोजगार कार्यालयों के माध्यम से औपचारिक क्षेत्र में रोजगार संबंधी जानकारियां एकत्रित करता है?

a. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय

b. संसदीय मामलों का मंत्रालय

c. संघीय श्रम मंत्रालय

d. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

35. निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में अधिक महिलाएं कार्यरत हैं?

a. प्राथमिक क्षेत्रक

b. द्वितीयक क्षेत्रक

c. तृतीयक क्षेत्रक

d. सेवा क्षेत्रक

36. वर्ष 2017-18 के आँकड़ों के अनुसार भारत में कुल श्रम शक्ति का कितना प्रतिशत औपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं?

a. 1%

b. 6%

c. 20%

d. 25%

37. ऐसे रोज़गार के अवसर जिसके अन्तर्गत सरकार एवं श्रमिक संघों द्वारा श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है, वे इनमें से किस वर्ग में आते हैं?

a. स्वनियोजित वर्ग या क्षेत्रक

b. औपचारिक वर्ग या क्षेत्रक

c. अनौपचारिक वर्ग या क्षेत्रक

d. अनियत मजदूर वर्ग

38. निम्नलिखित में से कौन औपचारिक क्षेत्र में मिलने वाली रोज़गार की विशेषता हैं?

a. इस क्षेत्र के श्रमिकों की आय नियमित नहीं होती

b. इस क्षेत्र के श्रमिकों को बिना क्षतिपूर्ति के काम से नहीं निकाला जा सकता है

c. इस क्षेत्र के श्रमिकों को सरकार द्वारा किसी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलता

d. उपरोक्त सभी

39. वर्तमान में 'राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन' को किस नाम से जाना जाता है?

a. भारत का महापंजीकार

b. भारत की जनगणना

c. राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय

d. रोजगार और प्रशिक्षण महानिदेशालय

40. वर्तमान समय में कार्यस्थलों की अवधारणा में किस प्रकार का बदलाव हो रहा है?

a. सड़क कार्यस्थलों में परिवर्तित हो रहे हैं।

b. खेत-खलिहान कार्यस्थलों में परिवर्तित हो रहे हैं।

c. खेल के मैदान कार्यस्थलों में परिवर्तित हो रहे हैं।

d. लोगों के घर कार्यस्थलों में परिवर्तित हो रहे हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. श्रमिक किसे कहते हैं?

उत्तर- सभी व्यक्ति जो विभिन्न प्रकार के आर्थिक क्रिया कलापों में संलग्न होते हैं, श्रमिक कहलाते हैं।

2. श्रम-बल से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- यह व्यक्तियों की वह संख्या है जो वास्तव में काम कर रहे हैं अथवा काम करने के इच्छुक हैं।

3. अर्थव्यवस्था की किन क्रियाकलापों को आर्थिक क्रिया कहते हैं?

उत्तर- अर्थव्यवस्था की वे क्रियाकलाप जो राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय में योगदान देती है, उसे आर्थिक क्रिया कहते हैं।

4. सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य, सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।

5. ग्रामीण बेरोजगारी का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर- ग्रामीण बेरोजगारी का एक उदाहरण प्रच्छन्न बेरोजगारी या छुपी हुई बेरोजगारी है।

6. शहरों में पाए जाने वाली बेरोजगारी का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर- शहरों में पाए जाने वाली बेरोजगारी का एक उदाहरण अल्प बेरोजगारी है।

7. यदि व्यक्ति योग्य होने के बावजूद रोजगार पाना नहीं चाहता तो उसे किस प्रकार का बेरोजगार कहेंगे?

उत्तर- यदि व्यक्ति योग्य होने के बावजूद रोजगार पाना नहीं चाहता तो उसे ऐच्छिक बेरोजगार कहते हैं।

8. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के अंतर्गत कितने दिनों की रोजगार उपलब्ध करवाने की गारंटी दी जाती है?

उत्तर- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के अंतर्गत 100 दिनों की रोजगार उपलब्ध करवाने की गारंटी दी जाती है।

9. न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा की उपलब्धता न होने के कारण रोजगार का स्वरूप कैसा हो जाता है?

उत्तर- न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा की उपलब्धता न होने के कारण रोजगार का स्वरूप अनौपचारिक हो जाता है।

10. वर्तमान समय में भारत के किस क्षेत्रक में रोजगार के नए अवसरों का सृजन हो रहा है?

उत्तर- वर्तमान समय में भारत के सेवा क्षेत्रक में रोजगार के नए अवसरों का सृजन हो रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. बेरोजगारी की अवधारणा को समझाइये।

उत्तर- बेरोज़गारी वह अवस्था है जब व्यक्ति में काम करने की योग्यता, काम करने की क्षमता और काम करने की इच्छा रहते हुए भी प्रचलित मज़दूरी दर पर उस व्यक्ति को रोज़गार नहीं मिल पाता है। एक धारणा के अनुसार अर्थशास्त्री उसे बेरोज़गार मानते है जिसे आधे दिन की अवधि में 1 घंटे का रोजगार भी नहीं मिल पाता। भारत के संदर्भ जब बेरोज़गारी की बात की जाती है तो व्यक्ति यहाँ लंबे समय तक बेरोज़गार नहीं रह पाते। उन्हें कोई भी ऐसा काम स्वीकार करना पड़ता है जो जोखिमों भरे, अस्वच्छ अथवा असुविधापूर्ण होते है। इस प्रकार यह देश की एक बहुत बड़ी आर्थिक एवं सामाजिक समस्या है, जब देश के योग्य श्रमबल को इच्छा रहते हुए भी अपनी आवश्यकता अनुसार रोज़गार नहीं मिलता।

2. स्वनियोजित और भाड़े के श्रमिक में क्या अंतर है?

उत्तर- वे व्यक्ति जो अपने उद्यम या व्यापार में कार्य करता है, स्वनियोजित कहे जाएंगे। किसी मिल का मालिक, कपड़े की दुकान का मालिक इत्यादि। भारत का लगभग 50% श्रमबल स्वनियोजित की श्रेणी में आता है।

भाड़े के श्रमिक में वह श्रमिक आते हैं जो नियोक्ता दवारा उत्पादन कार्य में लगाए जाते हैं और उसके बदले में पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं। भाड़े के श्रमिकों को दो भागों में बांटा जा सकता है-

(i) अनियत श्रमिक- ऐसे श्रमिक जो अपने रोजगारदाता से दैनिक अथवा अनुबंध के आधार पर मजदूरी पाते हैं। परन्तु इनके रोजगार में कोई नियमितता नहीं रहती है। इन्हें अनियत दिहाड़ी मजदूर कहा जाता है। यह अक्शल श्रमिक श्रेणी में आते हैं। जैसे भूमिहीन कृषि मजदूर, विनिर्माण मजदूर इत्यादि। इन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिलता क्योंकि अधिकतर ये श्रमिक असंगठित क्षेत्रकों से जुड़े रहते हैं।

(ii) नियमित वेतनभोगी कर्मचारी- वैसे श्रमिक जिन्हें नियोक्ता दवारा नियमित रूप से काम पर रखा जाता है और उन्हें नियमित वेतन दिया जाता है। ऐसे श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ प्राप्त होते हैं। जैसे फैक्टरी में काम करनेवाला मैकेनिक, सरकारी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक और अन्य कर्मी इत्यादि।

3. श्रमबल और कार्यबल में क्या अंतर है? यह बेरोजगारी की धारणा से कैसे संबंधित है?

उत्तर- किसी अर्थव्यवस्था में व्यक्तियों की वह संख्या जिनमे काम करने की योग्यता है और काम करने के इच्छुक हैं अथवा वास्तव में काम कर रहे हैं, श्रमबल कहलाता है। इसमें रोजगार प्राप्त व्यक्ति और बेरोजगार व्यक्ति दोनों ही सम्मिलित रहते हैं।

कार्यबल, व्यक्तियों की उस संख्या को दर्शाता है जो वास्तव में काम कर रहे होते हैं। कार्यबल में उन व्यक्तियों शामिल नहीं किया जाता जो काम करने की इच्छुक हैं, परंतु रोजगार में नहीं है। अर्थात् बेरोजगार श्रमबल को कार्यबल में शामिल नहीं किया जाता है।

कार्यबल के सदस्य ही आर्थिक गतिविधियों में शामिल होते हैं और राष्ट्रीय आय में अपना योगदान देते हैं।

बेरोजगारी की धारणा को श्रमबल और कार्यबल के अंतर के रूप में व्याख्या की जाती है,

बेरोजगार श्रमबल = श्रमबल - कार्यबल

4. मौसमी बेरोज़गारी किसे कहते हैं?

उत्तर- मौसमी बेरोज़गारी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली बेरोज़गारी है। यहाँ की जाने वाले कृषि-कार्य मौसम पर आधारित होते हैं। यह वह स्थिति है जिसमें साल के कुछ विशेष महीनों में कृषि का कार्य करने वाले किसान और कृषि-मज़दूर बेरोज़गार रहते हैं। इन विशेष मौसमों में यदि उन किसानों और मज़दूरों के पास काम का कोई अन्य अवसर उपलब्ध नहीं हो पाता तो बेरोज़गारी का स्तर बढ़ जाने की संभावना रहती है। मौसमी बेरोज़गारी को मुख्यतः अस्थायी बेरोज़गारी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

5. श्रमिक जनसंख्या अनुपात क्या होता है?

उत्तर- देश की जनसंख्या का वह प्रतिशत जो उत्पादन क्रिया में अपना योगदान देता है, श्रमिक जनसंख्या अनुपात कहलाता है। यह देश के कार्यबल से संबंधित होता है। कार्यबल में उन सभी व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जो वास्तव में रोज़गार में लगे हुए होते हैं। सहभागिता दर को कार्यबल और कुल जनसंख्या के अनुपात के रूप में मापा जाता है।

श्रमिक जनसंख्या अनुपात = (कार्यबल /कुल जनसंख्या) X 100

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. भारत में बढ़ती हुई बेरोजगारी के कारणों की व्याख्या करें।

उत्तर- भारत में बढती बेरोजगारी के कई कारण हो सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख कारण दिए जा रहे हैं:-

i) जनसंख्या वृद्धि- भारत में आबादी का तेजी से वृद्धि होना एक मुख्य कारण है जो बेरोजगारी को बढ़ावा देता है। लोगों की संख्या ज्यादा होने के कारण रोजगार संभावनाएं सीमित हो जाती हैं।

ii) औद्योगिक सुस्ती- भारत के औद्योगिक क्षेत्र विकास पर्याप्त न होने के कारण रोजगार की कमी होती है। निजी क्षेत्र में निवेश की कमी, तकनीकी नवाचारों की अभाव, अप्रगतिशीलता, सरकारी और प्रशासनिक कामकाज की समस्याएं उदयोगों को संकट में डालती हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।

iii) शिक्षा पद्धति में असंतुलन- बेरोजगारी का एक और मुख्य कारण है पर्याप्त रोजगार योग्यता और कौशल की कमी होना। भारत में शिक्षा क्षेत्र में सुधार की जरूरत है ताकि युवाओं को उचित ज्ञान और कौशल प्राप्त हो सके और वे अच्छे रोजगार के लिए तैयार हो सकें।

iv) वेतन संबंधित मुद्दे- भारत में मजदूरों को कई मुद्दों जैसे कम वेतन, अधिक काम का दबाव, बराबर वेतन का अवसर न होना, और श्रम कानून की कमजोरी के कारण बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है।

v) श्रमिकों की माँग आपूर्ति में सामंजस्यता का अभाव- कुछ क्षेत्र में अधिक मजदूरों की सामूहिकता के कारण अपने आवश्यकता के मुकाबले अधिक रोज़गार अवसर प्राप्त होते हैं, जबकि कुछ क्षेत्र में कई लोग रोजगार के अवसरों की कमी के साथ रहते हैं।

ये कुछ मुख्य कारण हैं जो भारत में बेरोजगारी के बढ़ते मायनों पर प्रभाव डालते हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए, नौकरियाँ बढ़ाने, उद्योगों को संकट से बाहर लेने, शिक्षा में सुधार करने, और कौशल विकास को प्राथमिकता देने जैसे उपाय अवश्य अपनाए जाने चाहिए।

2. भारत सरकार दद्वारा अपनाई जाने वाली विभिन्न रोजगार सृजन के उपायों का वर्णन करें।

उत्तर- भारत सरकार ने विभिन्न रोजगार सरकारी योजनाएं और उपायों की शुरुआत की है, जो लोगों को रोजगार के मौके प्रदान करते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं का उल्लेख किया गया है-

i) प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY)- इस योजना के अंतर्गत, बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऋण और प्रशिक्षण के साथ उद्योग शुरू करने का मौका प्रदान किया जाता है।

ii) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)- इस योजना के अंतर्गत, ग्रामीण क्षेत्रों में जिन लोगों को रोजगारों की आवश्यकता होती है, उन्हें मनरेगा के माध्यम से काम करने का मौका मिलता है।

iii) प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)- यह योजना कौशल विकास और प्रशिक्षण के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी पाने की क्षमता प्रदान करती है। इसके अंतर्गत, विभिन्न कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं और उद्यमियों की मांगों के अनुसार प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का चयन किया जाता है।

iv) अटल इनोवेशन मिशन योजना (AIM)- नीति आयोग दवारा नवाचार बढ़ाने के लिए यह कार्यक्रम शुरू की गई है। यह योजना उद्योगों के विकास और नए आविष्कारों के संवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। यह भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी उ‌द्योगों के विकास में मदद करती है, जिससे नए रोजगार के मौके प्राप्त हो सकते हैं।

v) पीएम स्वनिधि योजना- इस योजना के दवारा केंद्र सरकार छोटे व्यवसायियों एवं दुकानदारों, जिन्हें हॉकर भी कहा जाता है, कार्यशील पूँजी के लिए ऋण प्रदान करती है। लाभूक से इस वित्तीय सहायता के लिए किसी प्रकार की अन्य (कोलेट्रल) माँग नहीं की जाती है।

ये केवल कुछ उपाय और योजनाएं हैं जो भारत सरकार दद्वारा अपनाई गई हैं। इसके अलावा और भी कई योजनाएं हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन करने के लिए संचालित की जाती हैं।

3. भारत में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को कौन-कौन सी समस्यायों का सामना करना पड़ता है?

उत्तर- 10 से कम मजदूरों या कर्मचारियों को रोजगार देनेवाले निजी उद्दम, असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र कहलाते हैं। इसके अंतर्गत छोटे किसान, छोटे व्यावसायी, स्वनियोजित व्यक्ति एवं अनियत मजदुर इत्यादि शामिल हैं। भारत के 94 प्रतिशत श्रमिक इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। इनकी कुछ मुख्य समस्यायें निम्नलिखित हैं-

i) सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव - इस क्षेत्र में काम रहे श्रमिकों को बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी और भविष्यनिधि जैसी सामाजिक सुरक्षा उपायों की सुविधा नहीं मिल पाती है। जिससे उन्हें आपातकाल एवं सेवा निवृत्ति के आर्थिक जोखिमों का सामना करना पड़ता है।

ii) कम एवं अनियमित आय - अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को कम वेतन प्राप्त होता है, जो उनके और उनके परिवार के रोज़मर्रा के खर्चों को पूरा भी नहीं कर पाता। उनको मिलने वाला वेतन अनियमित होता है।

iii) रोज़गार सुरक्षा का अभाव असंगठित वर्ग के कर्मियों को अस्रक्षित रोज़गार शर्तों का सामना करना पड़ता है। उन्हें बिना क्षतिपूर्ति के कभी भी काम से निकल दिया जा सकता है। re

iv) असुरक्षित कार्यस्थितियाँ सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं के अनुपस्थिति में इस वर्ग के श्रमिकों का कार्यक्षेत्र में अनुचित व्यवहार, लंबी कार्य-अवधि एवं अन्य प्रकार के शोषण का सामना करना पड़ता है। यह अवस्थाएँ उन्हें अपने कौशलों को विकसित करने से रोक देता है।

v) संगठन का अभाव इस क्षेत्र के मज़दूरों को अपने अधिकारों को रक्षा करने के लिए असरदार संगठन एवं क़ानूनी संरक्षण के लिए उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता।

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि असंगठित क्षेत्रों के मज़दूरों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके रोजगार की गुणवत्ता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन इस क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। 

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

क्र०स०

अध्याय का नाम

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी

1.

परिचय

2.

आँकड़ों का संग्रह

3.

आँकड़ों का संगठन

4.

आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

5.

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप

6.

सहसंबंध

7.

सूचकांक

8.

सांख्यिकीय विधियों के उपयोग

भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास

1.

स्वतंत्रता के पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

2.

भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90)

3.

उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण एक समीक्षा

4.

भारत में मानव पूँजी का निर्माण

5.

ग्रामीण विकास

6.

रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे

7.

पर्यावरण और धारणीय विकास

8.

भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

Jac Board Class 11 Economics (Arts) 2023 Answer key

Jac Board Class 11 Economics (Sci._Comm.) 2023 Answer key

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