पूँजी निर्माण एवं आर्थिक विकास (Capital Formation And Economic Growth)

पूँजी निर्माण एवं आर्थिक विकास (Capital Formation And Economic Growth)

गरीबी का दुश्चक्र (Circle of Poverty)

प्रश्न:- पूँजी निर्माण से आप क्या समझते है, अर्द्धविकसित देशों के आर्थिक विकास में पूंजी निर्माण की भूमिका की समीक्षा करें?

" पूँजी संचय आर्थिक विकास की कुंजी हैं। इस कथन का विस्तार कीजिए ?

"पूँजी निर्माण  आर्थिक विकास की आवश्यक, लेकिन प्रर्याप्त शर्तें नहीं है।" विवेचना कीजिए ।

उत्तर :- वर्तमान औद्योगिक अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधन के रूप में पूँजी सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व होता है, क्योंकि अर्द्धविकसीत देशों में जनसंख्या की कमी नहीं रहती और न ही भूमि का अभाव रहता है, इसलिए पूँजी के बिना देश का आर्थिक विकास संभव नही होता हैं।

According to Prop Rostow :-

इन्होंने अपनी पुस्तक "Problems of Economic Growth" में लिखा है, कि पूँजी निर्माण केवल लाभ को ही अधिकाधिक करने का विषय नहीं है, यह तो समाज के उस प्रभावशाली दृष्टिकोण का विषय है जिसके अंतर्गत समाज आधारभूत एवं व्यवहारिक विज्ञान तथा अविष्कारो को जोखिम स्वीकार करता है।

इस प्रकार, पूँजी उत्पादन का वह भाग है जिसका प्रयोग भविष्य में उत्पादन के लिए किया जाता है। पूँजी दो प्रकार की होती है-

(a) मूर्त पूँजी :- यह वह पूँजी है, जिसे हम देख सकते है तथा स्पर्श कर सकते हैं, जैसे - भवन, आभूषण, कारखाना आदि ।

(b) अमूर्त पूँजी :- ऐसी पूँजी जिसे न हम देख सकते हैं और न ही स्पर्श कर सकते है, अमूर्त पूँजी कहलाती है, जैसे- काम करने की शारीरिक, मानसिक , यांत्रिक क्षमताएं ।

पूँजी निर्माण

एक निश्चित अवधि में किसी देश में पूँजी के कुल शेष में जो वृद्धि होती है, उसे ही पूँजी निर्माण कहा जाता है। कोई देअपने कुल उत्पादन के एक भाग का प्रयोग देके उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने के लिए करता है जैसे- नए यंत्र एवं उपकरण, यातायात की सुविधाएँ या अन्य किसी परिसम्पति का निर्माण आदि को पूँजी निर्माण कहा जाता है। अतः संक्षेप में हम कह सकते है, कि पूँजी की मात्रा में जो शुद्ध वृद्धि होती है. उसे पूँजी निर्माण कहा जाता है।

पूँजी निर्माण बचत पर निर्भर करता है तथा बचत उपभोपर आय के अतिरेक को कहा जाता हैं।

K = ƒ (S)

S = Y - C

Where,

K = पूँजी निर्माण

S = बचत

Y = आय

C = उपभोग

पूँजी निर्माण किसी भी देश के आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण साधन है। अल्पविकसित देशों में पूँजी निर्माण के फलस्वरूप आर्थिक विकास में होनेवाली वृद्धि को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -

पूँजी निर्माण एवं आर्थिक विकास (Capital Formation And Economic Growth)

आरम्भ में S पर वस्तुओं का उत्पादन स्थिर है, यदि, सरकार द्वारा पूँजी निर्माण के उपाय होते है तो उत्पादन संभावना का वक्र के A बिंदु पर केन्द्रित होता है। इन वस्तुओ के लगने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। जिससे आय के साथ साथ जीवन स्तर ऊंचा रहेगा। अतः उत्पादन संभावना वक्र PP से बढ़कर P1P1 तथा P1P1 से बढ़कर P2P2 पर हो जाएगा | SABCG को मिलाने से SG रेखा प्राप्त होती है। इस तरह  पूँजी निर्माण से दीर्घकाल में राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।

भूमिका

आर्थिक विकास में पूँजी निर्माण की भूमिका को स्पष्ट करते हुए प्रो० Rostow ने ठीक ही कहा है कि किसी भी अर्थव्यवस्था के Take off Stage में पहुंचने के पूर्व यह आवश्यक है कि "राष्ट्रीय आय मे शुद्ध विनियोग की मात्रा 5% से बढ़कर 10% हो जाए, जिससे प्रतिव्यक्ति वास्तविक उत्पादन में निश्चित वृद्धि हो।"

पूँजी निर्माण एवं आर्थिक विकास में घनिष्ट संबंध है. आर्थिक विकास में पूँजी निर्माण निम्नलिखित भूमिका निभाता है।

1. राष्ट्रीय आय में वृद्धि :-पूँजी विनियोग के बिना राष्ट्रीय आय में वृद्धि संभव नही होता।

Y = C + I + A

Where,

Y = आय

C = उपभोग

I = निवेश

A = स्वायत्त व्यय ( स्वायत्त उपभोग + स्वायत्त निवेश)

C = cY

I=VdYdtI=VdYdt

Y=cY+VdYdt+AY=cY+VdYdt+A

VdYdt=Y-cY-AVdYdt=YcYA

dYdt=Y(1-c)V-AVdYdt=Y(1c)VAV [ c = MPC]

dYdt=sYV-AVdYdt=sYVAV [ s = MPS or, 1-c = s]

dYdt=sYV-AV.ssdYdt=sYVAV.ss

dYdt=sYV-sV.AsdYdt=sYVsV.As

dYdt=ρY-ρ.AsdYdt=ρYρ.As [ρ=sVρ=sVwarranted Rate of Growth

dYdt=ρ(Y-As)dYdt=ρ(YAs)-----(1)

Try Ȳ for all Y

0=ρ(ˉY-As)0=ρ(¯¯¯YAs)------(2)

ˉY-As=0¯¯¯YAs=0

ˉY=AS¯¯¯Y=AS

Subtract (2) from (1)

dYdt=ρ(Y-ˉY)dYdt=ρ(Y¯¯¯Y)

dydt=ρy[dYdt=dydt,Y-ˉY=y]dydt=ρy[dYdt=dydt,Y¯¯¯Y=y]

Dividing both side by y

1ydydt=ρ1ydydt=ρ

Multiplier both side by dt

1ydy=ρdt1ydy=ρdt

logey=ρt+Alogey=ρt+A

y=eρt+Ay=eρt+A

y=eρt.eAy=eρt.eA

Initially when t = O

y0=eρ(0).eAy0=eρ(0).eA

y0=e0.eAy0=e0.eA

y0=eA[e0=1]y0=eA[e0=1]

y=y0eρty=y0eρt

पूँजी निर्माण से अन्य संरचना का निर्माण होता है आधारभूत एवं भारी उद्योगो की स्थापना होती है। यातायात के साधनो आदि का विकास किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि होता हैं।

देश के आर्थिक विकास में पूँजी की भूमिका को निम्नलिखित समीकरण द्वारा दिखलाया जाता है :-

Y = ƒ (K, L, N, T)

Where,

Y = शुद्ध आय की उपज

K = मशीनों की वर्तमान मात्रा

L = श्रम की मात्रा

N = भूमि की मात्रा

t = तकनीकी प्रगति की अवधि

भूमि को स्थिर रखने पर,

ΔY = VΔK + WΔL +  ΔY’

अनुपातिक वृद्धि करने पर

ΔYY=VKY.ΔKK+WLY.ΔLL+ΔY1YΔYY=VKY.ΔKK+WLY.ΔLL+ΔY1Y

ΔYYΔYYऊपज की वृद्धि की वार्षिक आनुपातिक दर

ΔKKΔKK= मशीनों की मात्रा में वृद्धि की वार्षिक आनुपातिक दर

ΔLLΔLL= श्रमिको की जनसंख्या में होनेवाली वृद्धि की वार्षिक आनुपातिक दर

ΔYYΔYY= तकनीकी प्रगति के कारण ऊपज में होने वाली वृद्धि की वार्षिक अनुपातिक दर

V = शुद्ध सीमांत उत्पाद

यदि,

ΔYYΔYY= y

ΔKK = k

ΔLL = l

ΔYY = r

VKY = U

WLL = Q

y = Uk + Ql + r

Where

U = पूँजी के आनुपातिक सीमांत उपयोगिता ।

K = पूँजी के आनुपातिक वृद्धि ।

Q = श्रम की आनुपातिक सीमांत उपयोगिता ।

l = श्रम की आनुपातिक वृद्धि ।

r = तकनीकि विकास के फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि

पूँजी निर्माण एवं आर्थिक विकास (Capital Formation And Economic Growth)

उपयुक्त चित्र में 45° की रेखा पूँजी स्टाॅक की वृद्धि दर पर Ay वक्र राष्ट्रीय आय की कुल वृद्धि दर को स्पष्ट कर रहा है। जब पूँजी स्टॉक की वृद्धि दर OE है, तो राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर BD+DE = BE है। यहाँ जनसंख्या वृद्धि तथा तकनीकी प्रगति के कारण BD तया पूँजी संचय के कारण DE राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। परंतु इस बिंदु पर y > K है। इस स्तर पर K तब तक बढ़ता रहता है जब तक H बिंदु पर संतुलन व्याप्त नहीं हो जाता। इस बिंदु पर y = K संतुलन व्याप्त है। अतः इस आधार पर क्रमिक वृद्धि दर को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।

y = Uk + Ql + r

or, HF = GF X HF + HG

or, HF - GF X HF = HG

or, HF (1- GF) = HG

or,HF=HG1-GF

or,OF=HG1-GF

K=Ql+r1-U

इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि राष्ट्रीय आय में वृद्धि के लिए जनसंख्या वृद्धि तकनीकी वृद्धि तथा पूँजी संचय पर बल देना चाहिए।

2. प्राकृतिक साधनों का उचित प्रयोग :- अल्पविकसीत देशो मे प्राकृतिक साधनों की प्रचुरता होती है, लेकिन इन प्राकृतिक साधनों के प्रयोग के लिए पूँजी परिसम्पिति का होना अति आवश्यक है। प्रर्याप्त पूँजी एवं आधुनिक तकनीक से ही हम अपने प्राकृतिक साधनों का उचित प्रयोग कर सकते हैं।

3. मानवीय पूँजी निर्माण :- किसी देश के आर्थिक विकास मे मानवीय संसाधन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है मानवीय संसाधन के गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए हमें पूँजी की आवश्यकता होती है तथा हम मानवीय शिक्षा तनीकी नैतिक शिक्षा आदि का प्रसार कर मानवीय पूँजी का निर्माण कर देश का आर्थिक विकास कर सकते हैं।

साइमन क्रुजनेटस के अनुसार :- "देश का प्रमुख पूँजी स्टॉक जनता का चरित्र प्रशिक्षण एवं कार्यकुशलता है, जिसे अभौतिक पूँजी निर्माण कहा जाता है।

4. तकनीकि (प्राविधिकी) प्रगति :- नवीन तकनीकि विकास के बिना देश का आर्थिक विकास संभव नहीं होता है। लेकिन पूँजी निर्माण के बिना दे का तकनीकि विकास संभव नहीं हो सकता ।

पूँजी निर्माण एवं आर्थिक विकास (Capital Formation And Economic Growth)

उपर्युक्त चित्र में पूँजी निर्माण के फलस्वरूप तकनीकी विकास होता है तथा तकनीकी विकास के कारण उत्पादन फलन में OM से ON विस्थापन संभव हुआ है. ON वक्र के P बिन्दु पर ढाल अधिक है OM वक्र के Q बिंदु की तुलना में।

इस प्रकार तकनीकी विकास के कारण आर्थिक विकास होता है जो पूँजी निर्माण से संभव होता है।

5. पूँजी उत्पाद अनुपात :- पूँजी निर्माण के फलस्वरूप आर्थिक विकास की गति पूँजी उत्पाद अनुपात से निर्धारित होती है। किसी उत्पादन की एक इकाई उत्पादित करने के लिए आवश्यक पूँजी निपज अनुपात कहा जाता है। जबकि उत्पादन में ईकाई वृद्धि प्राप्त करने के लिए पूँजी में आवश्यक वृद्धि को सीमांत पूँजी अनुपात कहा जाता है।

पूँजी निपज अनुपात =αβ

Where,

α = पूँजी

β = उत्पादन

पूँजी निर्माण एवं आर्थिक विकास (Capital Formation And Economic Growth)

OAOB>OROS

AB का पूँजी निपज अनुपात अधिक RS की तुलना मे उस देश की विकास गति तीव्रतर होगी जहाँ पूँजी निप अनुपात कम होगा।

6. पूँजी निर्माण की प्रक्रिया :- पूँजी निर्माण की प्रक्रिया में तीन अवस्थाएं होती है

a. बचत

b. विनियोग

c. वित्तिय प्रक्रिया।

हम जानते हैं कि पूँजी निर्माण बचत पर निर्भर करता है तथा बचत आय एवं उपभोग का अन्तर है।

Y = C+S

इसलिए S = Y - C

DY=SK-DL

Where,

Y = राष्ट्रीय आय

S = बचत

L = जनसंख्या

K = पूँजी निपज अनुपात

C = उपभोग

पूँजी निर्माण के लिए बचत आवश्यक होती है, लेकिन बचत को गतिमान करने के लिए वित्तिय संस्थाओं का विकास आवश्यक होता है, बचत को गतिमानकरने  के बाद देश में साहसी वर्ग होना चाहिए, जो अतिरिक्त बचत को उत्पादन विनियोग मे लगा सके।

7. मुद्रा स्फीति पर रोक :- पूँजी निर्माण द्वारा मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण रख जा सकता है. मुद्रा स्फीति का मुख्य कारण खाद्यान्नो तथा उपभोक्ता वस्तुओं की कमी का होना है क्योंकि आय जब बढ़ती है, तो उसके द्वारा खाद्यान्नो एवं उपभोक्ता वस्तुओं की अधिक मांग की जाती है। लेकिन इनकी पूर्ति में मांग के अपेक्षा कम वृद्धि होती है।

8. विदेशी सहायता से मुक्ति :- पूँजी निर्माण से देश आत्मनिर्भर होने लगता है, तथा विदेशी ऋणों का भार कम हो जाता है।

9. कुचक्र का विघटन :- अल्पविकसीत देशो मे विभिन्न प्रकार के कुचक्र पार जाते है, इसे चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं

गरीबी का दुश्चक्र (Circle of Poverty)गरीबी का दुश्चक्र (Circle of Poverty)

उपर्युक्त कुचक्र को पूँजी निर्माण से विघटित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

पूँजी उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण साधन होता है जिसके बिना अर्थव्यवस्था के किसी क्षेत्र मे उत्पादन संभव नहीं है। अधिकांश अर्थशास्त्रीयों जैसे Rostow, Harrod-Dommer ने पूँजी निर्माण एवं विनियोग को आर्थिक विकास का सार्वधिक महत्वपूर्ण तत्व माना है।

लेकिन दूसरी ओर कुछ अर्थशास्त्रियों जो आर्थिक विकास के लिए पूँजी निर्माण को उतना महत्व नहीं देते। प्रो. Nurkse के अनुसार,"पूँजी विकास की आवश्यक शर्त है, लेकिन यह प्रर्याप्त शर्त नहीं है"।

अतः हम कह सकते है कि " पूँजी निर्माण आर्थिक विकास की कुंजी हैं।"

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