मैरिस का वृद्धि अधिकतमीकरण (Marris’ Growth Maximization Theory)
मैरिस का वृद्धि अधिकतमीकरण (Marris’ Growth Maximization Theory)
रोबिन मैरिस ने अपनी पुस्तक 'The Economic Theory of
Managerial Capitalism' (1964) में फर्म का एक सुव्यवस्थित वृद्धि अधिकतमीकरण
सिद्धान्त भी विकसित किया है। मैरिस इस प्रस्थापना पर विचार करता है कि आधुनिक
बड़ी फर्में प्रबन्धकों द्वारा चलाई जाती हैं और शेयरधारक मालिक हैं जो फर्मों के
प्रबन्ध के बारे में निर्णय लेते हैं। प्रबन्धक का उद्देश्य होता है फर्म की
वृद्धि दर को अधिकतम करना, जबकि शेयरधारकों का उद्देश्य होता है अपने लाभांश और
शेयर कीमतों में वृद्धि करना। फर्म की ऐसी वृद्धि दर और शेयर कीमतों के बीच सम्बन्ध
स्थापित करने के लिए मैरिस एक सतत अवस्था (steady state) मॉडल विकसित करता है
जिसमें प्रबन्धक एक स्थिर वृद्धि दर चुनता है जिस पर फर्म के विक्रय, लाभ,
परिसम्पत्तियों, आदि में वृद्धि होती हैं, क्योंकि इससे उन्हें अपनी पूंजी पर उचित
प्रतिफल प्राप्त होता है। इस तरह प्रबन्धक एवं शेयरधारक दोनों ही फर्म की सन्तुलित वृद्धि
दर की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। @@ मान्यताएं (Assumtions) मैरिस का मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है : (1) कीमत ढांचा तथा उत्पादन लागतें दी हुई हैं। (2) अल्पाधिक…