वाईजमन - पीकॉक सिद्धांत (Wisemar-peacock Hypothesis)

वाईजमन - पीकॉक सिद्धांत (Wisemar-peacock Hypothesis)
वाईजमन - पीकॉक सिद्धांत (Wisemar-peacock Hypothesis)
इस सिद्धांत को जैक वा इ जम न (Jack Wiseman) और एलन टी-पीकॉक (Allen T. Peacock) ने ब्रिटेन के 1890 से 1955 तक के लोक व्यय के इतिहास के आधार पर 1961 में अपनी पुस्तक 'The Economic Analysis of Government Related Themes में प्रकाशित किया। पुन: 1852-1958 में अपनी पुस्तक 'The Growth of Public Expenditure in united kingdom' में प्रस्तुत किया। इन लेखों की सिद्धांत की मुख्य बात यह है कि सार्वजनिक व्यय में वृद्धि एक समान गति से तथा निरंतर रूप में नहीं होती वरन् कभी कम तो कभी अधिक तेजी के साथ होती है और यह होने वा ली वृद्धि अनियमित रूप में छलांग लगाते हुए होती है जैसे - मकान की सीढ़ियां। चित्र से चित्र से स्पष्ट है कि समय के साथ PA तक सार्वजनिक व्यय स्थिर दर पर होता है लेकिन कुछ समय के पश्चात् यह व्यय विस्थापन प्रभाव के कारण A से B तक की वृद्धि हो जाती है और यह क्रम अनियमित रूप से छलांग लगाती रहती है। इन अर्थशास्त्रियों के अनुसार पहले राजकीय व्यय में वृद्धि के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा तथा रूकावट राजकीय आय में वृद्धि प्रस्तुत करता था, किंतु अब परिवर्तित परिस्थितियों में यह बाधा समाप्त हो गयी है…