केन्स का उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम (Keynes' Psychological law of Consumption)
केन्स का उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम (Keynes' Psychological law of Consumption)
प्रश्न - उपभोग फलन क्या है? केन्स के उपभोग
संबंधी म नोवैज्ञानिक
नियम का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। ☞ की न्स का
उपभोग संबंधी मनोवैज्ञानिक सिद्धांत को स्पष्ट करें। उपभोग फलन को निर्धारित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करें। ☞ उपभोग प्रक्रिया
से आप क्या समझते है ? उपभोग प्रक्रिया को निर्धारित करने वाले तत्त्वों की व्याख्या
करें। उत्तर - J.M. K eyn e s ने अपनी पुस्तक
"The General Theory of Employment Interest and Mon ey' (1936) में
उपभोग के मनोवैज्ञानिक नियम का प्रतिपादन किया। यह नियम काल्पनिक नहीं, वरन् वास्तविक
है। इ सकी सत्यता उपभोक्ताओं के व्यावहारिक जीवन में दिखाई
पड़ती है। यह नियम इस समान प्रवृत्ति को प्रकर करता है कि जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग
से भी वृद्धि होती है। लेकिन उपभोग में उतनी वृद्धि नहीं होती जितनी आय में होती है। केन्स के अनुसार " समाज का मनोविज्ञान ऐसा
होता है कि जब कुल वास्तविक आय में वृद्धि की जाती है तो कुल उपभोग में भी वृद्धि
की जाती है लेकिन उतनी नहीं जितनी की आ य में।"