आर्थिक नियोजन की आवश्यकता (Need for Financial Planning)

आर्थिक नियोजन की आवश्यकता (Need for Financial Planning)

आर्थिक नियोजन की आवश्यकता (Need for Financial Planning)

आर्थिक नियोजन की आवश्यकता (Need for Financial Planning)

प्रश्न:-आर्थिक नियोजन से आप क्या समझते हैं। एक विकासशील देश में आर्थिक नियोजन की आवश्यकता की विवेचना करें ?

आर्थिक आयोजन से आप क्या समझते है। एक विकासशील देश में आर्थिक आयोजन की आवश्यकता की विवेचना करें ?

उत्तर :- आर्थिक नियोजन वह प्रक्रिया है जिसे अपना कर कोई देश अन्य व्यय एवं अन्य समय में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकता है। आर्थिक संसाधनों का प्रयोग एवं उसका समायोजन इस प्रकार किया जाता है कि यह आर्थिक विकास की गति को तीव्र कर देता है।

प्रो. हाॅयक के अनुसार, "आर्थिक नियोजन का अर्थ एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा उत्पादक क्रियाओं का निर्देश होता है"।

प्रो बारबरा वूटन के अनुसार, "आर्थिक नियोजन एक ऐसी पद्धति है, जिसमे विपिन संयंत्र का प्रयोग जानबूझ कर इस प्रकार किया जाता है कि ऐसा ढाँचा बने जो इनको स्वतंत्र छोड़ने पर बनने वाले ढाँचे से भिन्न हो"

पुनः इन्ही के अनुसार, "किसी सार्वजनिक अधिकारी द्वारा आर्थिक प्राथमिकताओं का सचेत, विवेकपूर्ण तथा इच्छानुसार किया गया चयन तथा निर्धारण ही आर्थिक नियोजन कहा जाता है"।

इस प्रकार हम कह सकते है कि 'आर्थिक नियोजन का मतलब एक केन्द्रीय सार्वजनिक अधिकारी द्वारा उपलब्ध साधनों के विवेकपूर्ण प्रयोग एव आर्थिक शक्तियों के युक्तिपूर्ण नियंत्रण द्वारा एक निश्चित समय मे पूर्व निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करना है जिससे अधिकतम सामाजिक कल्याण सम्भव हो ।

आर्थिक नियोजन की विशेषताएं

आर्थिक नियोजन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है:-

(1) केन्द्रीय योजना अधिकारी :- आर्थिक नियोजन को कार्यान्वित करने तथा एक निश्चित निर्णय लेने के लिए एक केन्द्रीय नियोजन संस्था अथवा अधिकारी होता है। यह अधिकारी या तो स्वयं सरकार हो सकती है या उसके द्वारा नियुक्त कोई अन्य संस्था। भारत में सरकार ने इसके लिए योजना आयोग की नियुक्ति की है।

(2) एक निश्चित उद्देश्य (लक्ष्य):- आर्थिक नियोजन का एक निश्चित उद्देश्य होता है। उद्देश्य का निर्धारण खूब सोच विचार कर किया जाता है। फिर इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रयास किए जाते है जिससे जनता को अधिकतम सामाजिक कल्याण की प्राप्ति हो।

(3) समय की एक निश्चित अवधि:- आर्थिक नियोजन समय की एक निश्चित अवधि के लिए तैयार किया जाता है। भारत में आर्थिक योजनाओं की अवधि 5 वर्षों की होती है।

(4) आर्थिक प्राथमिकताओं का निर्धारण :- योजना के अन्तर्गत देश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न आर्थिक कार्यक्रमों को उनकी तीव्रता के क्रम में रख कर एक सूची तैयार की जाती है जिसे आर्थिक प्राथमिकताओ का निर्धारण कहते है। योजना के साधनों का व्यय इन्ही आर्थिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है।

(5) विवेक पूर्ण निर्णय :- योजना के अन्तर्गत उत्पादन के साधनों का भिन्न-भिन्न उपयोगों में वितरण करना पड़ता है। ऐसा करते समय नियोजन अधिकारी को विवेकपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है।

(6) राज्य द्वारा हस्तक्षेप :- आर्थिक नियोजन की प्रमुख विशेषता  यह है कि इसमे राज्यों द्वारा हस्तक्षेप किया जाता है।

(7) दीर्घकालीन प्रक्रिया:- आर्थिक नियोजन की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है। इसमे एक के बाद एक योजनाएं चलायी जाती है।

आर्थिक नियोजन की आवश्यकता एवं महत्त्व

विश्व के सभी देश में अपने सीमित साधनों से अत्याधिक लाभ प्राप्त करने एवं आर्थिक विकास करने के लिए नियोजन की आवश्यकता बढ़ती ही जा रही है। इसलिए

प्रो. रॉबिन्स ने कहा है, 'आर्थिक नियोजन हमारे युग की अचूक दवा है। आर्थिक नियोजन कल्याणकारी राज्य के आदर्शों को प्राप्त करने का एकमात्र साधन है"।

आर्थिक नियोजन का महत्त्व वर्तमान समय में इतना बढ़ गया है कि अर्थशास्त्री, राजनेता, राष्ट्रवादी वं साधारण जनता आदि सभी इसके समर्थक है।

आर्थिक नियोजन की बढ़ती हुई आवश्यकता एवं महत्त्व के कारणों को दो भागों में बाँटा जा सकता है

(A) विचारधाराओं से संबंधित कारण और

(B) आर्थिक कारण

(A) विचारधाराओं से संबंधित कारण

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कारण है

(1) विवेकीकरण का सिद्धांत :- मनुष्य एव विवेकशील प्राणी है। यह प्रत्येक कार्य सोच समझ कर करना चाहता है जो नियोजन के बिना संभव नहीं है।

(2) समाजवादी विचारधारा:- समाजवादी समाज में आर्थिक अवसरों की समानता, सम्पत्ति का समान वितरण एवं आर्थिक आवश्यकताओं की संतुष्टि में समानता आवश्यक है जो नियोजन से ही संभव है।

(3) राजनीतिक विचारधारा :- युद्ध के समय अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त हो जाती है। अतः ऐसे समय में आर्थिक नियोजन के द्वारा ही आर्थिक स्थायित्व एवं विकास को बनाया रखा जा सकता है।

(B) आर्थिक कारण

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कारण है :-

(1) अनियोजित अर्थव्यवस्था के दोषों को दूर करने के लिए :- अनियोजित अर्थव्यवस्था में व्यापार चक्र, प्राकृतिक साधनों की त्रुटिपूर्ण दोहन, धन का असमान वितरण निर्धनों का शोषण आदि अनेक दोष पाये जाते है। इन्हीं दोषों को दूर करने के लिए नियोजन की आवश्यकता महसूस की जाती है।

(2) साधनों के समुचित उपयोग के लिए :- केन्द्रीय सत्ता देश के समस्त प्राकृतिक एवं मानवीय साधनों का सर्वेक्षण कर प्राथमिकता के आधार पर इसका अधिकतम प्रयोग करती है जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

(3) बेरोजगारी दूर करने के लिए :- अर्द्धविकसीत देशो में प्रर्याप्त मात्रा में बेरोजगारी पायी जाती है। आर्थिक नियोजन के न्तर्गत उत्पादन प्रक्रिया को नियमित कर रोजगार के अवसरों में वृद्धि कर बेरोजगारी दूर की जा सकती है।

(4) संतु‌लित आर्थिक विकास के लिए:- संतु‌लित आर्थिक विकास के लिए अर्थव्यवस्था के प्रत्येक अंग का संतुलित विकास आवश्यक होता है। आर्थिक नियोजन से कम समय, कम श्रम एवं व्यय से आर्थिक विकास की गति को तीव्रतर बनाया जा सकता है।

(5) कृषि एवं उद्योगों के विकास के लिए:- अर्द्धविकसित देशो में कृषि पिछड़ी हुई दशा में रहती है तथा उद्योग धंधों का समुचित विकास नहीं हुआ रहता है। कृषि एवं उद्योग एक दूसरे के पूरक है अतः आर्थिक नियोजन को अपनाकर कृषि एवं उद्योग का तेजी से विकास किया जा सकता है।

(6) आर्थिक स्थिरता बनाये रखने के लिए:- स्वतंत्र अर्थव्यवस्था में मूल्य, बचत एवं विनियोग आदि में उतार- चढ़ाव आते रहते है। अतः आर्थिक स्थिरता बनाये रखना कठिन हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में आर्थिक स्थिरता बनाये रखने के लिए आर्थिक नियोजन की आवश्यकता पड़ती है।

(7) सामाजिक कल्याण के लिए :- आर्थिक नियोजन में पूरे समाज के लाभ के लिए काम किये जाते है। इसमे व्यक्तिगत लाभ के लिए काम नहीं किया जाता है।

(8) वर्ग संघर्ष का अंत :- अनियोजित अर्थव्यवस्था में वर्ग संघर्ष चलते है। पूँजीपति श्रमिकों का शोषण करते है। अतः श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकारी हस्तक्षेप जरूरी है।

(9) आर्थिक विषमता की समाप्ति के लिए:- अनियोजित अर्थव्यवस्था में आर्थिक विषमता पायी जाती है अर्थात् आय एवं धन का वितरण असमान रहता है। इसलिए आर्थिक नियोजन अपना कर आर्थिक विषमता समाप्त की जा सकती है।

(10) बड़े पैमाने पर उत्पादन :- बड़े पैमाने पर उत्पादित वस्तुओं के वितरण आदि के संबंध मे बहुत बड़े पैमाने पर प्रबंध करना आवश्यक होता है जो निजी उद्योगपति अकेले नहीं कर सकते है। इसलिए इसमे सरकारी योगदान जरूरी है।

(11) उत्पादन समस्या का समाधान :- बढ़ती जनसंख्या के कारण जनसाधारण की आवश्यकताओ की वस्तु का उत्पादन कैसे करना है और कितना करना है। यह आयोजन द्वारा ही संभव है न कि पूँजीपतियों के द्वारा।

(12) तकनीकि विकास के लिए:-उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकि विकास होना जरूरी होता है। इसके लिए प्रशिक्षण एवं शिक्षा में सुधार जरूरी है। ऐसा आर्थिक नियोजन में ही संभव है।

निष्कर्ष

वर्तमान समय में नियोजित अर्थव्यवस्था के गुणो के कारण विश्व मे आर्थिक नियोजन महत्त्वपूर्ण एवं लोक प्रिय हो गया है। यह अर्थव्यवस्था के विकास एव इसकी समस्त समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी है।

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