Class 12 Home Science Jac Board 2025 Answer key

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झारखण्ड अधिविद्य परिषद्

ANNUAL INTERMEDIATE ΕΧΑΜΙΝΑΤΙΟΝ – 2025

Home Science (25.02.2025)

कुल समय : 3 घंटे 15 मिनट

पूर्णांक : 70

सामान्य निर्देश :

1. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग भाग-A तथा भाग-B हैं।

2. भाग-A में 25 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 45 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।

3. परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।

4. भाग-A इसमें 25 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।

5. भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 23 है।

खण्ड-A - प्रश्न संख्या 26-34 अति लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 7 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

खण्ड-B - प्रश्न संख्या 35-42 लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।

खण्ड-C - प्रश्न संख्या 43-48 दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।

6. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

7. जहाँ आवश्यक हो स्वच्छ तथा स्पष्ट रेखाचित्र बनाएँ।

8. परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।

9. परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।

भाग - A (बहुविकल्पीय प्रश्न)

प्रश्न संख्या 1 से 25 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। 1x25= 25

1. वृद्धि का अर्थ है

(A) चलना

(B) बढ़ना

(C) पढ़ना

(D) लड़ना

2. विकास एक निरन्तर चलने वाली है।

(A) प्रक्रिया

(B) प्रयास

(C) गुण

(D) आदेश

3. जन्म के समय कौन-सा टीका लगाया जाता है ?

(A) टिटनस

(B) हैजा

(C) बी.सी.जी.

(D) चेचक

4. तरल आहार कितने प्रकार के होते हैं ?

(A) 2

(B) 5

(C) 6

(D) 8

5. बालक का प्रथम सामाजिक समूह कौन होता है ?

(A) समाज

(B) परिवार

(C) पड़ोसी

(D) दोस्त

6. अत्यधिक वसा होने की अवस्था कहलाती है

(A) ज्वर

(B) मधुमेह

(C) मोटापा

(D) दुबलापन

7. सुरक्षित भविष्य के लिए क्या जरूरी है ?

(A) खर्च

(B) आय

(C) बजट

(D) बचत

8. वस्त्र होने चाहिए

(A) महंगे

(B) आरामदायक

(C) चुस्त

(D) भड़कीले

9. निम्न में से कौन विशिष्ट बालकों का प्रकार नहीं है?

(A) आर्थिक अक्षमता

(B) शारीरिक अक्षमता

(C) सामाजिक अक्षमता

(D) मानसिक अक्षमता

10. शरीर के ऊतकों का मूल आधार क्या है ?

(A) सोडियम

(B) विटामिन

(C) बसा

(D) जल

11. खाद्य पदार्थों पर दिया जाने वाला मानक प्रमाणन चिह्न कौन है ?

(A) एफ.पी.ओ.

(B) वूलमार्क

(C) ओ.आर.एस.

(D) हालमार्क

12. मच्छर के काटने से कौन-सा रोग होता है ?

(A) अतिसार

(B) पोलियो

(C) मलेरिया

(D) कैंसर

13. शारीरिक विकास के लिए क्या जरूरी है ?

(A) शिक्षा

(B) पौष्टिक भोजन

(C) मनोरंजन

(D) ओ.आर.एस. का घोल

14. दूध में अधिकतर क्या मिलाया जाता है ?

(A) चूना

(B) रंग

(C) आटा

(D) पानी

15. उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है ?

(A) 15 मार्च

(B) 1 मई

(C) 10 जून

(D) 20 जुलाई

16. प्राणीज खाद्य पदार्थ है

(A) आलू

(B) सेव

(C) हरी सब्जी

(D) अंडा

17. विनियोग का साधन है

(A) बैंक

(B) कर्ज देना

(C) कपड़े खरीदना

(D) इनमें से कोई नहीं

18. शिशु सदन को किस नाम से बुलाते हैं ?

(A) अस्पताल\

(B) स्कूल

(C) क्रैच

(D) सिनेमाघर

19. दो प्राथमिक रंगों को मिलाकर बनता है

(A) द्वितीयक रंग

(B) तृतीयक रंग

(C) चतुर्थक रंग

(D) मध्यवर्ती रंग

20. पानी सोखने की क्षमता होती है

(A) सिल्क चत्र में

(B) पोलिएस्टर वस्त्र में

(C) सूती वस्त्र में

(D) रेनकोट में

21. निम्न में से किस खाते में ब्याज नहीं मिलता है ?

(A) बचत खाता

(B) चालू खाता

(C) सावधि जमा खाता

(D) आवर्ती जमा खात

22. मोबाइल क्रेच घूमती है

(A) बच्चों के साथ

(B) व्यवसायियों के साथ

(C) कर्मियों के साथ

(D) इनमें से कोई नहीं

23. रंग के हल्केपन या गाढ़ेपन को क्या कहा जाता है ?

(A) मूल्य

(B) ह्यू

(C) तीव्रता

(D) प्राथमिक रंग

24. कौन-सी रेखा लंबाई की आभासी होती है ?

(A) खड़ी रेखा

(B) वक्र रेखा

(C) क्रॉस रेखा

(D) पड़ी रेखा

25. दूध सबसे अच्छा स्रोत है

(A) कार्बोहाइड्रेट का

(B) विटामिन-C का

(C) कैल्शियम का

(D) खनिज लवण का

भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड - A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं सात प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक निर्धारित है। 1x7=7

26. संक्रामक रोग किसे कहते हैं?

उत्तर- यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैलता है।

27. वंशानुक्रम क्या है ?

उत्तर - रूथ बैंडिक्ट के अनुसार- "वंशानुक्रम माता-पिता से सन्तान को प्राप्त होने वाले गुणों का नाम है।"

28. असमर्थ बालक किसे कहते हैं ?

उत्तर-जिन बालकों के व्यवहार अथवा क्रियाशीलता के प्रदर्शन की योग्यता में कमी आ जाती है जिससे उसका व्यवहार मनुष्यों के व्यवहार की परिधि में न आता हो, असमर्थ बालक कहलाते हैं।

29. वैकल्पिक देखरेख किसे कहते हैं ?

उत्तर- वैकल्पिक देख-रेख से अभिप्राय है कि माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चे की उचित देखभाल करने के लिए विकल्प का चुनाव करना।

30. पूरक आहार किसे कहते हैं ?

उत्तर- शिशु को दूध के अतिरिक्त दिया जाने वाला आहार पूरक आहार कहलाता है।

31. मूल्यांकन कितने प्रकार का होता है ?

उत्तर - मूल्यांकन भी कार्य-व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण लक्षण है। नियन्त्रण की अपेक्षा मूल्यांकन का व्यवस्थापन प्रक्रिया में अधिक महत्वपूर्ण उपयोग किया जाता है। गृहिणी द्वारा परिवार के सदस्यों को दिए गये विभिन्न कार्यों का निरन्तर मूल्यांकन होना चाहिए, जिससे कार्य-व्यवस्था सुदृढ़ व सफल रहे।

मूल्यांकन निम्नलिखित दो प्रकार का होता है-

(1) सापेक्ष मूल्यांकन - योजना की समाप्ति पर लक्ष्य प्राप्ति की तुलनात्मक विवेचना ही सापेक्ष मूल्यांकन कहलाता है। पिछली योजना से प्राप्त लक्ष्यों को देखते हुए ही वर्तमान के लिए लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। लक्ष्य का स्पष्ट होना उसके मूल्यांकन को सरल बना देता है।

(2) निरपेक्ष मूल्यांकन - बिना तुलना के योजना की सफलता ज्ञात करना निरपेक्ष मूल्यांकन कहलाता है। इसका व्यावहारिक रूप में महत्व कम है क्योंकि प्रबन्धकर्ता किसी कार्य की अच्छाई बुराई का विश्लेषण करता है, तो उसके दिमाग में उस कार्य का परिणाम अवश्य रहता है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से तुलना इस प्रकार हो जाती है।

32. संतुलन कितने प्रकार का होता है ?

उत्तर - संतुलन का अर्थ है- समता, स्थिरता और विशिष्टता। सन्तुलन नमूने को सौन्दर्य, आकर्षण एवं संतुलित अनुपात प्रदान करता है। किसी भी नमूने में सेन्टर से हर ओर रंग व आकार एक समान दिखाई देना चाहिए। सन्तुलन दो प्रकार का होता है-

(a) औपचारिक सन्तुलन - औपचारिक संतुलन में वस्त्र का नमूना बराबर हिस्सों में बँटा प्रतीत होता है। इस प्रकार नमूने के दोनों भागों में समान भार का आकर्षण होता है।

(b) अनौपचारिक संतुलन - अनौपचारिक संतुलन में वस्त्र के नमूने के दोनों भागों में समान क्रमबद्धता नहीं पाई जाती है और न ही समान आकर्षण होता है। असमान रंगों तथा डिजाइन से ऐसा तालमेल बिठाया जाता है कि वह संतुलित और आकर्षक दिखाई देता है।

33. जल में घुलनशील विटामिनों के नाम बताइए।

उत्तर- जल में घुलनशील विटामिन बी (B)  व सी (C) हैं।

34. डी.पी.टी. का टीका किन-किन रोगों से रक्षा करता है ?

उत्तर-डी. पी. टी. का टीका तीन बीमारियों से संरक्षण प्रदान करता है।

(1) डिप्थीरिया (2) काली खाँसी (3) टिटनेस

खण्ड - B (लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें। 3x6=18

35. धन व्यवस्था का क्या अर्थ है ?

उत्तर - परिवार के वित्तीय संसाधनों का योजनाबद्ध और कुशल प्रबंधन करना धन व्यवस्था है। इसमें निम्नलिखित पहलू शामिल हैं -

1. बजट बनाना- आय और व्यय का अनुमान लगाना। आवश्यकताओं और इच्छाओं को प्राथमिकता देना। खर्चों को नियंत्रित करने के लिए योजना बनाना।

2. बचत और निवेश- भविष्य की आवश्यकताओं और लक्ष्यों के लिए धन बचाना। बचत को सही जगहों पर निवेश करके उसे बढ़ाना।

3. ऋण प्रबंधन- ऋण लेने से बचना या उसे सीमित करना। ऋणों का सही समय पर भुगतान करना।

4. वित्तीय सुरक्षा- बीमा और अन्य वित्तीय साधनों के माध्यम से अप्रत्याशित खर्चों से सुरक्षा प्राप्त करना।

5. वित्तीय निर्णय लेना- खरीदारी, निवेश और अन्य वित्तीय मामलों में सही निर्णय लेना।

36. अंशकालीन नौकरी से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - एक ऐसी नौकरी जो पूर्णकालिक नौकरी से कम समय के लिए होती है। इसमें काम के घंटे, दिन या सप्ताह कम होते हैं। अंशकालीन नौकरी को पार्ट-टाइम जॉब भी कहते हैं।

अंशकालीन नौकरी में ड्यूटी के पूरे घंटे काम नहीं करना पड़ता, कुछ निश्चित घंटे ही काम करना पड़ता है तथा उसी के अनुसार पैसे मिलते हैं; जैसे स्कूल या कॉलेज में एक-दो घंटे पढ़ाना, किसी दफ्तर में टाइप का काम करना, किसी कारखाने या दुकान में हिसाब-किताब रखना, किसी दुकान पर कुछ घंटे काम करना।

37. आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- परिवार के विभिन्न सदस्यों के लिए तथा भिन्न-भिन्न समय पर कैसा भोजन तैयार करना है, इसे सोच-समझकर बनाया जाता है। इस सोच, समझ, आयोजन, योजना बनाने की प्रक्रिया को आहार-आयोजन कहा जाता है।

38. विवेकपूर्ण व्यय से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - विवेकपूर्ण व्यय का मतलब है कि आप अपनी आय को सोच-समझकर खर्च करें। इसमें अनावश्यक खर्चों से बचना और केवल आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करना शामिल है।

विवेकपूर्ण व्यय के कुछ महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार हैं -

1. बजट बनाना

2. आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर करना

3. तुलना करना

4. गुणवत्ता पर ध्यान देना

5. भविष्य के लिए बचत करना

39. विनियोग से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- जिस बचत राशि पर ब्याज अथवा प्रीमियम प्राप्त होता है, उसे विनियोग या निवेश कहते हैं।

40. जल का हमारे शरीर में क्या महत्व है ?

उत्तर - शरीर में जल का निम्नलिखित कार्य है-

(i) शरीर का निर्माण कार्य शरीर के पूरे भार का 56% भाग जल का होता है। गुर्दे में 83%, रक्त में 85%, मस्तिष्क में 79%, मांसपेशियाँ में 72%, जिगर में 70% तथा अस्थियाँ में 25% जल होता है।

(ii) तापक्रम नियंत्रक के रूप में जल शरीर के तापक्रम को नियंत्रित रखता है।

(iii) घोलक के रूप में यही माध्यम है जिससे पोषक तत्त्वों को कोषों तक ले जाया जाता है तथा चयापचय के निरर्थक पदार्थों को निष्काषित किया जाता है। पाचन क्रिया में जल का प्रयोग होता है। मूत्र में 96% जल होता है। मल-विसर्जन में इसकी आवश्यकता होती है। इसकी कमी से कब्जियत होती है।

(iv) स्नेहक कार्य - यह शरीर के अस्थियों के जोड़ों में होने वाले रगड़ से बचाता है। संधियों के चारों तरफ थैलीनुमा ऊतक में यह उपस्थित होता है, जिसके नष्ट होने से संधियाँ जकड़ जाती हैं।

(v) शरीर के निरूपयोगी पदार्थों को बाहर निकालना शरीर के विषैले पदार्थों को मूत्र तथा पसीने द्वारा यह बाहर निकालने में सहायक होता है।

41. कार्य सरलीकरण क्या है ?

उत्तर- कार्य सरलीकरण से आशय है-कार्य की निश्चित मात्रा को पूरा करने के लिए समय एवं ऊर्जा की कम मात्रा का उपयोग करना। यह भी कहा जा सकता है कि निर्धारित समय एवं ऊर्जा की मात्रा के अन्तर्गत यथा सम्भव अधिक से अधिक कार्य करने की विधि को कार्य-सरलीकरण कहते हैं। इस प्रकार कार्य के सरलीकरण में समय एवं ऊर्जा के व्यवस्थापन को मिश्रित कर दिया जाता है। कार्य के सरलीकरण के लिए कार्य करने की सर्वाधिक सरल एवं शीघ्र सम्पन्न होने वाली विधि को सम्मिलित किया जाता है। किसी कार्य को करने में व्यय होने वाले समय तथा ऊर्जा को कम करने के लिए कार्य करने की विधि में सुधार लाना पड़ता है। इसके लिए अनुभव एवं सूझ-बूझ से लाभ उठाया जा सकता है।

42. मौसमी खाद्य पदार्थों का प्रयोग क्यों किया जाना चाहिए ?

उत्तर - मौसमी खाद्य पदार्थों का प्रयोग क्यों किया जाना चाहिए, इसके कई कारण हैं:

1. पोषण मूल्य- मौसमी फल और सब्जियां अपने चरम पर काटी जाती हैं, जब वे सबसे अधिक पौष्टिक होते हैं। उनमें विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है। मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हमारे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

2. बेहतर स्वाद- मौसमी फल और सब्जियां अपने प्राकृतिक वातावरण में उगती हैं, जिससे उनका स्वाद अधिक ताज़ा और स्वादिष्ट होता है। जब फल और सब्जियां मौसम में नहीं होती हैं, तो उन्हें अक्सर लंबी दूरी तक ले जाया जाता है, जिससे उनका स्वाद और पोषण मूल्य कम हो जाता है।

3. पर्यावरण के लिए अच्छा- मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से स्थानीय किसानों का समर्थन मिलता है और लंबी दूरी के परिवहन से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है। जब हम मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो हम एक स्थायी खाद्य प्रणाली का समर्थन करते हैं।

4. किफ़ायती- जब फल और सब्जियां मौसम में होती हैं, तो वे आमतौर पर अधिक प्रचुर मात्रा में होती हैं और इसलिए सस्ती होती हैं। मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हम पैसे बचा सकते हैं।

5. स्वास्थ्य लाभ- मौसमी खाद्य पदार्थों में शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। मौसमी खाद्य पदार्थ खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मौसमी खाद्य पदार्थ खाने से शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है।

6. स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन- मौसमी खाद्य पदार्थ स्थानीय किसानों द्वारा उगाए जाते हैं। मौसमी खाद्य पदार्थ खाने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

7. प्रकृति के साथ जुड़ाव- मौसमी खाद्य पदार्थ खाने से हम प्रकृति के करीब महसूस करते हैं। मौसमी खाद्य पदार्थ खाने से हमें प्रकृति के चक्रों के बारे में जानकारी मिलती है।

खण्ड - C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें। 5x4=20

43. रेडिमेड वस्त्र की लोकप्रियता का कारण बताइए।

उत्तर - उपभोक्ताओं की अधिक मांग के कारण रेडिमेड वस्त्र की आवश्यकता बढ़ी है। रेडिमेड वस्त्र की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है-

1. समय की बचत- रेडिमेड वस्त्र खरीदने से व्यक्ति के समय की बचत होती है। वह एक बार बाजार में जाकर अपनी आवश्यकता एवं आर्थिक स्थिति के अनुरूप वस्त्रों का चुनाव कर लेता है उसे दर्जियों के कई चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। दर्जी एक वस्त्र के सिलने में बहुत समय लगाता है।

2. तैयार वस्त्र सस्ते होते हैं- यदि बाजार से कपड़ा खरीदकर वस्त्र सिलवाया जाये तो बाजार में मिलने वाले उसी किस्म के तैयार वस्त्रों से वह महँगा पड़ता है। तैयार वस्त्र अधिक संख्या में बनाये जाते हैं इसलिए उनके लिए इकट्ठा कपड़ा खरीद लिया जाता है इससे कपड़ा सस्ता मिल जाता है। उनकी कटाई एक पैटर्न पर होती है। उन्हें सिलने के लिए दर्जी को थोक में कपड़े दे दिए जाते हैं इसलिए कम कीमत पर सिलाई हो जाती है। इससे रेडिमेड वस्त्र सस्ते पड़ते हैं।

3. दर्जियों की परेशानियों से बचना- सिले-सिलाए वस्त्र खरीदने पर व्यक्ति दर्जियों की परेशानी से बचता है। वह एक बार ही अपनी रुचि के अनुसार वस्त्र खरीद लेता है। उसकई बार दर्जी के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। रेडीमेड वस्त्रों की दुकानों पर ही दर्जी होते हैं वे तत्काल फिटिंग भी कर देते हैं।

4. जल्दी में तैयार वस्त्र ही उचित चुनाव होते हैं - कई बार हमें तत्काल वस्त्रों की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में हम तैयार वस्त्रों द्वारा ही अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।

5. चुनाव के लिए बाजार में अनेक अच्छे डिजाइन मिलते हैं- रेडीमेड वस्त्रों में विभिन्न डिजाइन मिलते हैं और व्यक्ति अपनी मन-पसन्द तथा शारीरिक फिटिंग के अनुरूप उनका चुनाव कर सकता है। अन्यथा कपड़ा खरीदने के बाद डिजाइन का चुनाव करना पड़ता है।

44. बच्चों के शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का उल्लेख करें।

उत्तर - शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों का संक्षिप्त विवेचन निम्नलिखित है-

1. वंशानुक्रम- स्वस्थ माता-पिता की सन्तान भी स्वस्थ होती है। जो माता-पिता विभिन्न रोगों से ग्रस्त होते हैं और शारीरिक दृष्टि से दुर्बल होते हैं, उनके बच्चे भी शारीरिक दृष्टि से दुर्बल ही होते हैं। अत: उनका शारीरिक विकास भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाता।

2. वातावरण- बालक के शारीरिक विकास में वातावरण का विशेष योगदान रहता है। खुली हवां, पर्याप्त धूप और शान्त तथा स्वच्छ वातावरण शारीरिक विकास के लिए पूर्णतया अनुकूल होता है। इसके विपरीत जो बालक प्रकाशहीन, सीलन भरे तथा तंग मकानों में रहते हैं, उनका शारीरिक विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता और वे प्रायः विभिन्न रोगों से ग्रस्त रहते हैं। क्रो एवं क्रो के अनुसार, बालक के प्राकृतिक विकास में वातावरण के तत्त्व सहायक या बाधक होते हैं।”

3. पौष्टिक भोजन- पौष्टिक भोजन का भी शारीरिक विकास पर विशेष प्रभाव पड़ता है। पौष्टिक भोजन से बालक के विभिन्न अंगों का उचित विकास होता है। प्रत्येक बालक का वजन, ऊचाई तथा शारीरिक शक्ति बहुत कुछ पौष्टिक भोजन पर निर्भर करते हैं। जिन बालकों को पौष्टिक भोजन मिलता है, उनका विकास भी समुचित होता रहता है। पौष्टिक भोजन के अभाव में बालक के विभिन्न अंगों का समुचित विकास नहीं होता और अनेक रोग आक्रमण कर देते हैं।

4. नियमित दिनचर्या- यमित दिनचर्या शारीरिक विकास का प्रमुख तत्त्व है। जो बालक समय से सोते-उठते हैं, समय से भोजन करते एवं खेलते हैं, उनका शारीरिक विकास अन्य बालकों की अपेक्षा उत्तम ढंग से होता है। नियमित दिनचर्या स्वास्थ्य की आधारशिला है।

5. व्यायाम और खेलकूद- व्यायाम और खेलकूद शारीरिक विकास के लिए परम आवश्यक हैं। व्यायाम और खेलकूद से शरीर के रक्त का परिभ्रमण उचित ढंग से होता है तथा मांसपेशियों में दृढ़ता आती है।

6. निद्रा और विश्राम- शरीर के समुचित विकास के लिए निद्रा और विश्राम का सर्वाधिक महत्त्व है। शैशवकाल में शिशु का अधिकांश समय सोने में ही व्यतीत होता है। बालक और किशोरों को भी निद्रा के लिए पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। आवश्यकता से अधिक देर तक पढ़ना, बालकों और किशोरों के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ है। विभिन्न शोध कार्यों से ज्ञात हुआ है कि यह उनके शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है।

7. सुरक्षा की भावना- यदि बालक में सुरक्षा की भावना नहीं है तो उसका शारीरिक विकास उचित ढंग से नहीं होगा। सुरक्षा की भावना के अभाव में बालक भय और चिन्ता से ग्रस्त हो जाता है। इस प्रकार उसमें आत्मविश्वास की भावना लुप्त हो जाती है। परिणामस्वरूप उसका विकास स्वाभाविक ढंग से नहीं हो पाता।

8. सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार- बालक की मन:स्थिति का उसके स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है। जिन बालकों को ताड़ना और उपेक्षापूर्ण व्यवहार मिलता है, उनका शारीरिक विकास उचित ढंग से नहीं हो पाता। अनाथ बालक इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। शिक्षक को यह बात ध्यान में रखकर बालकों के साथ यथासम्भव प्रेम और सहानुभूति का व्यवहार करना चाहिए।

9. दोषपूर्ण सामाजिक परम्पराएँ- अल्प आयु में बालकों और बालिकाओं का विवाह हो जाना शारीरिक विकास के लिए घातक है। जिन बालक-बालिकाओं का विवाह 13 या 15 वर्ष की आयु में हो जाता है, उनका स्वास्थ्य तीव्रता से नष्ट होने लगता है।

10. अन्य कारक- शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कुछ अन्य कारक इस प्रकार हैं।

    कोई दुर्घटना या आकस्मिक बीमारी।

    दूषित और अस्वस्थ जलवायु।

    बालकों में हस्तमैथुन जैसे कुटेवों का विकसित होना।

उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि बालक के शारीरिक विकास को विभिन्न कारक प्रभावित करते हैं। इन कारकों में से किसी एक या अधिक कारकों की अवहेलना हो जाने अथवा उनमें असामान्यता ओ जाने की स्थिति में बालक के शारीरिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। शारीरिक विकास का घनिष्ठ सम्बन्ध बालक के विकास के अन्य सभी पक्षों से भी होता है; अत: शारीरिक विकास के अवरुद्ध हो जाने अथवा असामान्य हो जाने की दशा में बालक के सम्पूर्ण विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले सभी कारकों का ज्ञान बाल-मनोवैज्ञानिकों के लिए आवश्यक एवं लाभकारी है। बाल-मनोवैज्ञानिक इन कारकों को सामान्य रखकर बालक के सम्पूर्ण विकास को सुचारु बना सकता है।

45. एक आदर्श क्रेच में उपलब्ध सुविधाओं का उल्लेख करें।

उत्तर-शिशु सदन द्वारा निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं-

(i) क्रैच बच्चों या छात्रों को मेज पर बैठकर खाने के ढंग सिखाते हैं।

(ii) बहुत छोटे बच्चों को क्रैच के स्टाफ द्वारा भोजन खिलाया जाता है।

(iii) क्रैच प्रत्येक छोटे बच्चे को चारपाई प्रदान करते हैं।

(iv) क्रैच बच्चों को औषधि तथा प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करते हैं।

बच्चों को शिशु सदन में रखने से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

(i) विकासरूपीय उचित शैक्षिक कार्यक्रम होते हैं।

(ii) प्रदानकर्ता प्रायः बाल-विकास में प्रशिक्षित होते हैं।

(iii) बच्चे को अपनी आयु का मित्र समूह मिल जाता है।

(iv) विशेष सेवाएँ तथा घटनाएँ प्रस्तुत हो सकती हैं।

46. रेशमी वस्त्रों की धुलाई एवं संग्रह विधि का उल्लेख करें।

उत्तर-

रेशमी वस्त्रों की धुलाई

तीव्र क्षार, रगड़ एवं अधिक ताप के उपयोग से रेशम के तन्तु दुर्बल व बेकार हो जाते हैं। अतः मूल्यवान् रेशमी वस्त्रों की या तो ड्राइक्लीनिंग करानी चाहिए अथवा उन्हें विधिपूर्वक धोना चाहिए। रेशमी वस्त्रों को क्षारहीन साबुन से अथवा उत्तम गुणवत्ता वाले डिटर्जेण्टों से गुनगुने पानी में धोनी चाहिए। ईजी अथवा रीठों का सत रेशमी वस्त्रों को धोने के लिए प्रयुक्त करना चाहिए। सफेद एवं रंगीन रेशमी वस्त्रों को अलग-अलग धोना चाहिए।

धोने की विधिः

एक प्लास्टिक के टब अथवा बाल्टी में हल्का गर्म पानी लेकर उसमें डिटर्जेण्ट पाउडर घोलकर झाग बना लेते हैं। रीठे का प्रयोग करते समय बीज निकालकर रीठों को पानी में उबाल लेते हैं। अब इस पानी को ठण्डा कर झाग उत्पन्न कर लेते हैं। रेशमी वस्त्रों को उपर्युक्त किसी भी प्रकार के झागदार पानी में डुबो देते हैं। अब इन्हें हाथों से हल्के-हल्के मलकर एवं दबाकर इनका मैल निकाल देते हैं। यह प्रक्रिया दो या तीन बार दोहराते हैं। अन्तिम बार हल्के रंग के वस्त्रों के लिए एक चम्मच मेथिलेटिड स्प्रिट व गहरे र के वस्त्रों के लिए एक चम्मच सिरका एक लीटर पानी में मिलाकर खंगालने से इन वस्त्रों में स्वाभाविक चमक आ जाती है।

निचोड़ना एवं सुखानाः

रेशमी वस्त्रों को या तो हल्के-हल्के दबाकर उनका पानी निकालना चाहिए अथवा तौलिये में लपेटकर निचोड़ना चाहिए। अब इन्हें सावधानीपूर्वक फैलाकर छाँव में सुखाना चाहिए। हल्के से नम रहने पर मध्यम गर्म इस्त्री से इनकी सलवटें दूर की जा सकती हैं।

रेशमी के कपड़ों को संगृहीत करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(i) रेशमी कपड़ों को पहले ड्राइक्लीन करवा लेना चाहिए या घर पर हल्के डिटर्जेण्ट से धो लेना चाहिए ताकि धूल व धब्बे हट जायें।

(ii) इनको पॉलीथीन या मलमल के कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए।

(iii) इनके बीच में लौंग, नीम के सूखे पत्ते उनकी सतह पर रखना चाहिए, जिससे कीड़े या फफूँदी आदि न लगे।

(iv) गन्दे या पसीने युक्त कपड़े नहीं रखने चाहिए।

(v) कपड़ों को संग्रह से पूर्व धूप लगवा लें ताकि उनमें नमी न रहे।

47. मिलावट को परिभाषित कीजिए। खाद्य मिलावट से बचने के उपाय बताइए।

उत्तर- मिलावट एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता का स्तर निम्न हो जाता है। इसे इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है- "खाद्य पदार्थ में कोई मिलता-जुलता पदार्थ मिलाने अथवा उसमें से कोई तत्व निकालने या उसमें कोई हानिकारक तत्व मिलाने से खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता में परिवर्तन लाने को मिलावट कहा जा सकता है।

खाद्य पदार्थों में मिलावट आकस्मिक व उद्देश्यपूर्ण हो सकती है। उद्देश्यपूर्ण मिलावट अधिक लाभ कमाने के लिए की जाती है तथा आकस्मिक लापरवाही के कारण हो जाती है। जैसे दुर्घटनावश किसी हानिकारक तत्व का खाद्य पदार्थ में मिल जाना।

रोजमर्रा के आहार में मिलावट तेजी से बढ़ रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कारण व्यापारी अपना लाभ बढ़ाने के लिए इस तरह के कुचक्र चलाते हैं। आप निम्नलिखित उपायों से अपने आपको मिलावट से बचा सकतेहैं-

(1) विश्वसनीय दुकानों से ही सामान खरीदें, ऐसी दुकानें जहाँ बिक्री अधिक होती है व उनकी विश्वसनीयता पर भरोसा है तो सामान वहीं से खरीदें।

(2) उच्च स्तर की सामग्री खरीदें क्योंकि उसकी गुणवत्ता अधिक होती है। सही मार्का वाली सामग्री से पूरी कीमत वसूल हो जाती है।

48. भोजन पकाते, परोसते और खाते समय हमें किन किन नियमों का पालन करना चाहिए।

उत्तर - भोजन पकाने, परोसने और खाने में निम्नलिखित नियमों का पालन करता चाहिए-

(1) भोजन पकाते समय स्वच्छता - रसोईघर में काम शुरू करने से पहले हाथों को धोना चाहिए। नाखून बढ़े न हों, वस्त्र साफ-सुथरे हों कोई संक्रमण न हो। बाभोजन के ऊपर खाँसना, छींकना नहीं चाहिए। पकाने के पहले भोज्य पदार्थों अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। जैसे- अनाजों से कंकड़-पत्थर निकाल सेना, सब्जियों फलों को काटने से पहले धो लेना चाहिए। पकाने में ऐसा बर्तन प्रयोग करना चाहिए जिनकी धातु का भोजन पर प्रभाव न पड़े। पके हुए भोजन को ढककर उचित तापमान पर संग्रह करना चाहिए।

(2) भोजन परोसते समय स्वच्छता - भोजन स्वच्छ बर्तनों में और स्वच्छ जगह पर परोसा जाना चाहिए। बर्तनों का प्रयोग इस प्रकार करना चाहिए कि उनके किनारों के सम्पर्क में ऊँगली व अँगूठे न आने पाएँ। परोसने वाला व्यक्ति साफ-सुथरा होना चाहिए।

(3) खाने के समय स्वच्छता - खाने वाले व्यक्ति को भी व्यक्तिगत सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। भोजन करने से पहले हाथ-पाँव धो लेने चाहिए। नाखून कटे होने चाहिए। भोजन करने के बाद भी हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए और कुल्ला करना चाहिए।

1. कार्य, आजीविका तथा जीविका
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4. खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन
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12. फ़ैशन डिज़ाइन और व्यापार
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