16. नमक
लेखिका -परिचय
रजिया सज्जाद जहीर का जन्म 15 फरवरी 1917 को राजस्थान के
अजमेर जिले में हुआ था।
स्नातक तक की शिक्षा उन्होंने घर में रहकर ही प्राप्त की।
तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने उर्दू में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त
की।
आधुनिक उर्दू कथा साहित्य में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।
कहानी उपन्यास के साथ-साथ उर्दू बाल साहित्य में भी उन्होंने समान रचना की है।
उनकी कहानियों में सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का सहज
सामंजस्य है।
उनकी रचनाओं में सामाजिक सद्भाव और धार्मिक सहिष्णुता को
प्रमुखता से उभारा गया है।
आज के आधुनिक समाज में बदलते हुए पारिवारिक मूल्यों के विघटन
की पीड़ा को अपने कथा-साहित्य में उन्होंने प्रमुखता से स्थान दिया है।
प्रमुख रचनाएँ:- जर्द गुलाब (उर्दू कहानी संग्रह)।
पुरस्कार- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, उर्दू अकादमी उत्तर प्रदेश पुरस्कार, अखिल भारतीय
लेखिका संघ अवार्ड आदि।
रजिया जी की भाषा सहज, सरल और मुहावरेदार है। उन्होंने कई
अन्य भाषाओं से उर्दु में कुछ पुस्तकों का भी अनुवाद किया है। उनकी कुछ कहानियों का
अनुवाद हिंदी में भी हुआ है।
उर्दू साहित्य की प्रख्यात लेखिका का निधन 18 सितंबर
1980 को हो गया।
पाठ - परिचय
'नमक' कहानी रजिया सज्जाद जहीर द्वारा रचित एक उत्कृष्ट कहानी
है। यह भारत-पाक विभाजन के बाद सरहद के दोनों तरफ के विस्थापित लोगों के दिलों को टटोलती
एक मार्मिक कहानी है। दिलों को टटोलने की इस कोशिश में उन्होंने अपने-पराए देश-परदेश
की कई प्रचलित धारणाओं पर सवाल खड़े किए हैं।
विस्थापित होकर आई सिख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती
हैं और सौगात के तौर पर वहाँ का लाहौरी नमक ले आने की फरमाइश करती हैं। सफ़िया का बड़ा
भाई पाकिस्तान में एक बहुत बड़ा पुलिस अफसर है। सफ़िया के नमक को ले जाने पर वह उसे
गैर-कानूनी बताता है। लेकिन सफ़िया वहाँ से नमक ले जाने की जिद्द करती है। वह नमक को
एक फलों की टोकरी में डालकर कस्टम अधिकारियों से बचना चाहती है।
भारत आने के लिए फर्स्ट क्लास के वेटिंग रूम में बैठी थी।
वह मन-ही-मन में सोच रही थी कि उसके किन्नुओं की टोकरी में नमक है, यह बात केवल वही
जानती है, लेकिन वह मन-ही-मन कस्टम वालों से डरी हुई थी। कस्टम अधिकारी सफ़िया को नमक
ले जाने की इजाजत देता है तथा देहली को अपना वतन बताता है, तथा सफ़िया को कहता है कि
"जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त
मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता
ठीक हो जाएगा।" रेल में सवार होकर सफ़िया पाकिस्तान से अमृतसर पहुँची। वहाँ भी
उसका सामान कस्टम वालों ने चेक किया।
भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दासगुप्त ने सफ़िया को कहा कि
"मेरा वतन ढाका है।" और उसने यह भी बताया कि जब भारत-पाक विभाजन हुआ था,
तभी वे भारत में आए थे। इन्होंने भी सफ़िया को नमक अपने हाथ से सौंपा। इसे देखकर सफ़िया
सोचती रही कि किसका वतन कहाँ है?
इस कहानी के माध्यम से लेखिका ने बताया है कि राष्ट्र-राज्यों
की नई सीमा रेखाएँ खींची जा चुकी हैं और मजहबी आधार पर लोग इन रेखाओं के इधर-उधर अपनी
जगहें मुकर्रर कर चुके हैं, इसके बावजूद ज़मीन पर खींची गई रेखाएँ उनके अंतर्मन तक
नहीं पहुंच पाई हैं।
प्रश्न-अभ्यास
1. सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर:-
क्योंकि पाकिस्तान से भारत में चोरी छिपे नमक ले जाना गैर-कानूनी है तथा पकड़े जाने
पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसी कारण से सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले
जाने से उसको मना किया।
2. नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफिया के मन में क्या द्वंद्व
था?
उत्तरः-सफिया
यह निश्चित नहीं कर पा रही थी कि नमक को कस्टम वालों से बता कर ले जाये या छुपा कर।
बता कर ले जाने पर पकड़े जाने का डर था और नहीं बताने पर भी पकडे जाने का डर था। इसी
प्रकार का द्वंद्व सफिया के मन में चल रहा था।
3. जब सफिया अमृतसर पल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के
पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े
थे?
उत्तरः-जब
सफिया नमक ले जाने का कारण का उल्लेख करते हुए कस्टम अधिकारियों से सिख बीबी के प्रसंग
को बताती है तो वह अधिकारी उनकी भावना से अभिभूत हो जाता है और उसे भी अपने वतन की
याद आ जाती है। यही कारण है कि जब सफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो वह ऑफिसर सीढ़ी
के पास सिर झुकाए अपने वतन की याद में खोया हुया था।
4. लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है जैसे
उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं।
उत्तर:-
जब पाकिस्तानी अधिकारी कहता है- 'लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा।'
तथा
जब सुनीलदास गुप्ता कहता है-'मेरा वतन ढाका है।' ये सारे कथन उस सामाजिक यथार्थ को
उद्घाटित करता है कि चाहे विभाजन या आजीविका या किसी भी कारण से व्यक्ति दूसरे देश
में हो पर उसके मन के अंदर उसकी मातृभूमि से जुड़ा हुआ ममत्व सदैव स्थायी होता है।
वह चाहकर भी अपनी जन्मभूमि को नहीं भूल पाता।
5. नमक ले जाने के बारे में सफिया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार
पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-
पाकिस्तान से भारत नमक लाने वक्त सफिया के मन में कई विचार उठ रहे थे। जिससे उनके चरित्र
के बारे में पता चलता है।
वायदे
की पक्की-
सफिया
एक सैयद मुसलमान थी और वह अपना दिया हुआ वादा हर हाल में निभाना चाहती थी। इसीलिए वो
चोरी छुपे या कस्टमर अधिकारियों को बताकर भारत नमक लाना चाहती थी।
ईमानदार
महिला -
सफिया
बहुत ही ईमानदार महिला थी। वो नमक को चोरी छुपे भारत नहीं ले जाना चाहती थी। इसीलिए
वो हिंदुस्तान और पाकिस्तान, दोनों देशों के कस्टम अधिकारियों को सभी बातें सच-सच बता
कर नमक की पुड़िया को भारत लाने में कामयाब हो जाती है।
भावनाओं का ख्याल -
यह जानते हुए कि पाकिस्तान से भारत नमक लाना गैरकानूनी है
फिर भी वो सिर्फ सिख बीवी की भावनाओं का ख्याल करते हुए किसी भी हाल में लाहौरी नमक
लाकर उन्हें भेंट करना चाहती थी।
साहसिक निर्णय -
अपने भाई के मना करने के बाद भी उसने पहले नमक की पुड़िया
को कीनू की टोकरी के तले में छुपाकर और फिर कस्टम अधिकारियों को बता कर भारत ले जाने
का साहसिक निर्णय लिया।
6. मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन
और जनता बँट नहीं जाती है-उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिये इसकी पुष्टि करें।
उत्तर:- यह निर्विवाद सत्य है कि मानचित्र पर एक लकीर खींच
देने भर से जमीन और जनता नहीं बंट जाती है। क्योंकि जो व्यक्ति जहाँ जन्म लेता है वहां
के परिवेश और वातावरण से उसका आंतरिक जुड़ाव होता है। वह स्थान उसके लिए मात्र जमीन
का टुकड़ा न होकर उसके प्राणों से भी बढ़कर होता है। यही कारण है कि इस कहानी में पाकिस्तानी
कस्टम अधिकारी तथा भारतीय कस्टम अधिकारी क्रमशः देहली और ढाका को अपना वतन मानते है।
सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती हैं। इन तीनों को अपने वतन से लगाव है। सिख बीबी
लाहौर का नमक चाहती है। भारतीय कस्टम अधिकारी को ढाका के नारियल पानी की याद आती है
तथा पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी देहली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों को सलाम का पैगाम भेजता
है।
7. नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित
भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?
उत्तर:- "नमक" कहानी के आधार पर भारत और पाक की
जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मोहब्बत का नमकीन स्वाद धुला हुआ साफ साफ नजर आता है।
सफिया हिंदुस्तान में रहती हैं मगर उसके तीनों सगे भाई, रिश्तेदार, दोस्त, सभी पाकिस्तान
में रहते हैं जिनसे मिलने वो पाकिस्तान आती जाती रहती है।
विभाजन के वक्त भारत आई सिख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना
वतन मानकर उससे भावनात्मक जुड़ाव महसूस करती हैं तो एक पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी अपना
वतन देहली (दिल्ली) बताता है। ये सब बातें दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच खींची
मजबूत सरहद की लकीर भी लोगों को उनके भावनात्मक जज्बातों से अलग नहीं कर पाई।
क्यों कहां गया?
प्रश्न 1. क्या सब कानून, हुकूमत के ही होते
हैं। कुछ मोहब्बत, मुरौबत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते हैं ?
उत्तर सभी कानूनों से ऊपर दया, प्रेम व इंसानियत को माना
गया है। और इंसानियत की भावना को दुनिया में सबसे श्रेष्ठ स्थान दिया गया है क्योंकि
इंसानियत से ही दुनिया के सभी लोगों को अपना बनाया जा सकता है।
सबको प्रेम, भाईचारा, सद्भावना के मजबूत बंधन में बंधा जा
सकता हैं।
बिना इंसानियत के तो इंसान पशु के समान ही है। इसीलिए सफिया
कहती हैं कि सारे कानून हुकूमत के नहीं होते हैं बल्कि ये दुनिया प्रेम, मोहब्बत, इंसानियत
के कानूनों पर ही टिकती व चलती है।
प्रश्न 2. भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे
उस पर हावी हो रही थी ?
उत्तर सफिया के भाई ने जब उसे बताया कि वह नमक भारत नहीं
ले जा सकती क्योंकि भारत नमक ले जाना गैरकानूनी है तो उसे बहुत अधिक गुस्सा आया। मगर
कुछ समय बाद जब उसका गुस्सा उतरा तो उसने भावना के स्थान पर अपनी बुद्धि से काम लेना
शुरू किया।
उसने भारत नमक ले जाने के सारे विकल्पों के बारे में सोचना
शुरू किया। अंत में उसने नमक की पुड़िया को कीनू की टोकरी के तले में छुपाकर भारत ले
जाने का साहसिक निर्णय लिया।
प्रश्न 3. मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर
जाती है कि कानून हैरान रह जाता है?
उत्तर- नमक की पुडिया के बारे में सब कुछ सच - सच जानने के
बाद यह शब्द पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी ने सफिया से कहे। उसका मानना था कि कानून अपनी
जगह है और इंसानी भावनाएं अपनी जगह।
मगर कभी-कभी इंसानियत के खातिर कानून को भी तोड़ देने में
कोई बुराई नहीं है क्योंकि प्रेम व इंसानियत दुनिया के सभी कानूनों से ऊपर है।
प्रश्न 4. हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही
कुछ और है ?
उत्तर- भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दास गुप्त आज भी ढाका
को ही अपना वतन मानते हैं। लेखिका की बात सुनकर उन्हें भी अपने वतन की जमीन, नमक व
पानी की याद हो आती है और वो भावुक होकर यह बात कहने लगते हैं।
समझाइए तो जरा
प्रश्न 1. फिर पलकों से कुछ सितारे टूट कर
दूधिया आंचल में समा जाते हैं?
उत्तर- उपरोक्त पंक्ति में लेखिका के कहने का अभिप्राय यह
है कि जब भी किसी व्यक्ति को अपने प्रियजन या अपने वतन की याद आती है तो उसकी आंखों
से आंसू बह निकलते हैं।
इस कहानी में, सिख बीबी आज भी अपना वतन लाहौर को ही मानती
हैं और वहाँ की याद आते ही उनकी आंखों से आंसू बह कर उनके सफेद दुपट्टे में गिर जाते
हैं।
प्रश्न 2. किसका वतन कहां है वह जो, कस्टम
के इस तरफ है या उस तरफ ?
उत्तर- अमृतसर के पुल को पार करते हुए सफिया यही सोच रही
थी सिख बीबी अपना वतन आज भी लाहौर को मानती हैं तो पाकिस्तान का एक कस्टम अधिकारी दिल्ली
को अपना वतन मानता है। और एक भारतीय कस्टम अधिकारी ढाका को अपना वतन बताता है।
इन तीनों व्यक्तियों की जन्मभूमि व कर्मभूमि अलग-अलग है लेकिन
तीनों ही व्यक्तियों को अपनी जन्मभूमि से बेहद लगाव है। इनका मन आज भी अपनी जन्मभूमि
में बसा है और उसको याद कर आज भी ये लोग भावुक हो उठते हैं।