12th Sanskrit 5. शुकनासोपदेशः JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 5. शुकनासोपदेशः JCERT/JAC Reference Book 5.
शुकनासोपदेशः अधिगम- प्रतिफलानि 1. पाठ्यपुस्तकागतान् गद्यपाठान् अवबुध्य तेषां सारांशं वक्तुं
लेखितुं च समर्थः अस्ति। (पुस्तक में आए हुए गद्य पाठों को समझकर उनका सारांश बोलने
और लिखने में समर्थ होते हैं।) 2. तदाधारितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतेन वदति लिखति
च । (उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में बोलते और लिखते
हैं।) 3. अपठितगद्यांशं पठित्वा तदाधारित प्रश्नानामुत्तरप्रदाने
सक्षमः अस्ति (अपठित गद्यांश को पढ़कर उसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने
में सक्षम होते हैं।) पाठपरिचयः - प्रस्तुत 'शुकनासोपदेशः' नामक यह पाठ महाकवि बाणभट्ट रचित
'कादम्बरी' के गद्यांश से लिया गया है। इस अंश का नायक राजकुमार चन्द्रापीड है, जो
सत्व, शौर्य और आर्जव भावों से युक्त है। शुकनास एक अनुभवी मन्त्री हैं जो राजकुमार
चन्द्रापीड को राज्याभिषेक के पूर्व वात्सल्यभाव से उपदेश देते हैं। वे उसे युवावस्था
में सुलभ रूप, यौवन, प्रभुता एवं ऐश्वर्य से उद्भूत दोषों के विषय में सावधान कर देना
उचित समझते हैं। इसे युवावस्था में प्रवेश कर रहे समस्त युवकों को प्रदत्त 'दीक्षान्त
भाषण' कहा जा सकता है। पाठ…