12th Sanskrit 6. सूक्तिसुधा JCERT/JAC Reference Book

12th Sanskrit 6. सूक्तिसुधा JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 6. सूक्तिसुधा JCERT/JAC Reference Book
6. सूक्तिसुधा अधिगम-प्रतिफलानि 1. संस्कृतश्लोकान् उचितबलाघातपूर्वकम् छन्दोऽनुगुणम् उच्चारयति । (श्लोकों का छन्दानुसार उचित लय के साथ सस्वर वाचन करते हैं।) 2. श्लोके प्रयुक्तानां सन्धियुक्तपदानां विच्छेदं करोति। (श्लोक में प्रयुक्त सन्धियुक्तपदों का विच्छेद करते हैं।) 3. श्लोकान्वयं कर्तुं समर्थः अस्ति। (श्लोक का अन्वय करने में समर्थ होते हैं।) पाठपरिचय- संस्कृत साहित्य में सूक्तियों का समृद्ध भण्डार है। सूक्ति का अर्थ है सुन्दर वचन, सुधा का अर्थ है अमृत, सूक्तिसुधा का अर्थ है सुन्दर वचन रूपी अमृत। इस पाठ में पण्डितराज जगन्नाथ, महाकवि माघ, भारवि, प्रसिद्ध नाटककार भवभूति तथा महाकवि भर्तृहरि की सूक्तियाँ संकलित हैं। ये सूक्तियाँ आज भी हमारे जीवन के लिए बहुमूल्य उपयोगी एवं पथप्रदर्शक हैं। विभिन्न विषयों से सम्बन्धित सूक्तियाँ निश्चित रूप से छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगी। प्रस्तुत पाठ के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्लोक के रचयिता पण्डितराज जगन्नाथ, चतुर्थ श्लोक के महाकवि माघ, पंचम श्लोक के भवभूति, षष्ठ श्लोक के महाकवि भारवि एवं सप्तम, अष्टम, नवम, दशम, एकादश व द्वादश श्लोकों के रचयिता भर्तृहरि हैं…