नैल्सन का निम्न संतुलन पाश सिद्धान्त (Nelson's Theory of Low-level Equilibrium Trap)

नैल्सन का निम्न संतुलन पाश सिद्धान्त (Nelson's Theory of Low-level Equilibrium Trap)

आर० आर० नैल्सन ने अल्पविकसित देशों के लिए निम्न संतुलन पाश का सिद्धान्त विकसित किया। लीबन्स्टीन के क्रान्तिक-न्यूनतम प्रयत्न सिद्धान्त की भांति, नेल्सन का सिद्धान्त भी माल्थम की इस उपकल्पना पर आधारित है किकिसी देश की प्रति व्यक्ति आय के न्यूनतम जीवन निर्वाह-स्तर' से बढ़ जाने पर जनसंख्या बढ़ने लगती है। परन्तु जब जनसंख्या की वृद्धि-दर"एक उच्च भौतिक सीमा" पर पहुंच जाती है, तो प्रति व्यक्ति आय में और वृद्धियां होने पर यह (जनसंख्या वृद्धि-दर) गिरने लगती है।

नेल्सन के अनुसार "अल्पविकसित देशों के रोग की पहचान यह है कि वह प्रति व्यक्ति आय का ऐसा स्तर है जो निर्वाह आवश्यकताओं पर या उनके निकट पहुंचकर स्थिर हो जाता है।" प्रति व्यक्ति आय के स्थिर संतुलन स्तर पर, बचत की दर और परिणामतः शुद्ध निवेश की दर एक नीचे स्तर पर रहती है। जब कुल राष्ट्रीय आय की वृद्धि-दर बढ़ाकर बचत एवं निवेश की दर बढ़ाने के प्रयत्न किए जाते हैं तो उनके साथ जनसंख्या वृद्धि की दर भी ऊंची हो जाती है तो प्रति व्यक्ति आय को पीछे धकेल कर उसको स्थिर संतुलन स्तर पर पहुंचा देती है। इस प्रकार अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाएं निम्न संतुलन पाश की जकड़ में फंस जाती हैं।

नैल्सन ने चार सामाजिक एवं प्रौद्योगिक स्थितियों का उल्लेख क्रिया है जो पाश करने में सहायक होती हैं। वे ये हैं:

(i) प्रति व्यक्ति आय के स्तर तथा जनसंख्या वृद्धि की दर में ऊंचा सहसंबंध।

(ii) अतिरिक्त प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाते हुए प्रति व्यक्ति निवेश में लगाने की न्यून प्रवृत्ति।

(iii) अकृषि योग्य कृष्य भूमि (uncultiviable arable land) की दुर्लभता।

(iv) उत्पादन के अदक्ष तरीके।

उसने दो कारण और बताए हैं-सांस्कृतिक निष्क्रियता तथा आर्थिक निष्क्रियता। सांस्कृतिक निष्क्रियता से आर्थिक निष्क्रयता और आर्थिक निष्क्रियता से सांस्कृतिक निष्क्रियता आती है। अल्पविकसित देशों के आर्थिक विकास के अध्ययन से पता चलता है कि ऊपर बताई गई स्थितियों की उपस्थिति के कारण अधिकांश अल्पविकसित देश निम्न संतुलन पाश में जकड़े हुए आय के निम्न स्तर पर किसी अर्थव्यवस्था का पाशन समझाने के लिए नेल्सन ने संबंधों के तीन सैट प्रयोग किए हैं। प्रथम, आय पूँजी स्टॉक, प्रौद्योगिकी स्तर तथा जनसंख्या आकार का फलन है। हसरे, शुद्ध निवेश यह पूँजी है जो औद्योगिक क्षेत्र में औजारों एवं उपकरणों के स्टॉक में बढ़ोत्तरियों के रूप में हुई बचतों (जमा) कृषिगत भूमि की मात्रा में नई भूमि की बढ़ोत्तरी होगी। हुई बचतों से निर्मित होती है। तीसरे, "यदि प्रति व्यक्ति आय नीची हो तो मृत्यु-दर में परिवर्तनों के कारण जनसंख्या वृद्धि की दर में अल्पकालीन परिवर्तन होते हैं, और प्रति आय के स्तर में परिवर्तनों के कारण मृत्यु दर में परिवर्तन होते है। फिर भी, जब प्रति व्यक्ति आय एक बार निर्वाह आवश्यकताओं के स्तर से भली प्रकार ऊपर पहुंच जाती है, तो प्रति व्यक्ति आय में होने वाली और वृद्धियों का मूल्य दर पर प्रभाव नहीं के बराबर होता है।'

संबंधों के इन सैटों के दिए हुए होने पर, चित्र में भाग (A),(B) और (C) की सहायता से नैल्सन का सिद्धान्त स्पष्ट किया जा सकता है। भाग (A) में y/pप्रति व्यक्ति आय के स्तर से संबंध रखता है जोकि क्षैतिज अक्ष पर मापी गई है, और dp/p जनसंख्या वृद्धि की प्रतिशत दर जा अनुलम्ब अक्ष पर मापी गई है। भैतिज अक्ष S'  बिन्दु, प्रति व्यक्ति आय का न्यूनतम जीवन निगाह-स्तर है जहां पर कि जनसंख्या का वृद्धि वक्र (dp/p) प्रति व्यक्ति आय के स्तर के बराबर है। इस स्तर पर जनसंख्या स्थिर है।

परन्तु S' बिन्दु के बाई ओर जनसंख्या घट रही है। यदि हम जनसंख्या के वृद्धि वक्र के साथ-साथ S' से ऊपर की ओर चलें, तो न्यूनतम निर्वाह-स्तर से ऊपर प्रति व्यक्ति आय बढ़ने पर, जनसंख्या की वृद्धि-दर "एक उच्च भौतिक सीमा" U तक बढ़ती चलती है। कुछ समय तक, इस स्तर पर प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ-साथ जनसंख्या बढ़ेगी और फिर बिन्दु M से गिरना शुरू हो जाएगी।

भाग (B) ,dk/p बचतों में से निवेश की प्रति व्यक्ति दर है जो अनुलम्ब अक्ष पर मापी गई है। वक्र dk/p निवेश का वृद्धि वक्र है जो निवेश की प्रति व्यक्ति दर को प्रति व्यक्ति आय विभिन्न स्तरों से जोड़ता है। यह वक्र क्षैतिज अक्ष को X बिन्दु पर काटता है, जोकि शून्य बचत का स्तर है। इस बिन्दु के बाई ओर को निवेश ऋणात्मक है। दूसरी ओर, यदि हम निवेश के वृद्धि-वक्र के साथ-साथ X बिन्दु से ऊपर की ओर चलेंगे तो निवेश की प्रति व्यक्ति दर जनसंख्या की वृद्धि-दर की उच्च भौतिक सीमा से भी आगे बढ़ जाएगी, जैसाकि भाग (A) में U बिन्दु द्वारा दिखाया गया है

भाग (C) में, यथापूर्व, क्षैतिज अक्ष प्रति व्यक्ति आय का स्तर मापता है। अनुलम्ब अक्ष पर जनसंख्या वृद्धि की दर तथा कुल आय में वृद्धि की दर मापी गई हैं। dy/y आय का वृद्धि-वक्र है और dp/p प्रति व्यक्ति आय के विविध स्तरों पर जनसंख्या का वृद्धि वक्र है। S बिन्दु इस प्रकार खींचा गया है कि यह X आय के शून्य बचत स्तर और S' प्रति व्यक्ति आय के न्यूनतम निर्वाह-स्तर के बराबर है, जिससे S=X=S'/S निम्न संतुलन पाश का, शून्य वृद्धि-दर का वह बिन्दु है जहां आय की वृद्धि-दर (dy/y) क्षैतिज अक्ष पर जनसंख्या की वृद्धि-दर (dp/p) के बराबर हो जाती है। S से परे प्रति व्यक्ति आय में होने वाली किसी भी वृद्धि के लिए, आय की वृद्धि-दर की अपेक्षा जनसंख्या की वृद्धि-दर अधिक ऊंची होगी, जो अर्थव्यवस्था को पीछे धकेल कर S पर पहुंचा देगी

जोकि स्थिर संतुलन का बिन्दु है। इस प्रकार अर्थव्यवस्था निम्न संतुलन पाश में जकड़ जाती है। "प्रति व्यक्ति आय में दी हुई वृद्धि के प्रति जनसंख्या वृद्धि की दर जितनी शीघ्रता से प्रतिक्रिया- दिखाएगी और निवेश में वृद्धि के प्रति कुल आय में वृद्धि की दर जितनी धीरे प्रतिक्रिया दिखाएगी, उतना ही यह निम्न संतुलन पाश अधिक मजबूत होगा।" इस "पाश" से मुक्त होने के लिए अर्थव्यवस्था को प्रति व्यक्ति आय स्तर (y/p)' से परे ऐसी "असतत छलांग" की आवश्यकता है जिससे वह अस्थिर संतुलन L के नए बिन्दु पर पहुंच जाए। इस बिन्दु से परे, जनसंख्या वृद्धि-दर-जो उच्च भौतिक सीमा पर स्थिर है- की अपेक्षा आय अधिक ऊंची दर से बढ़ती है। इस प्रकार (y/p)' स्तर से पूरे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि तब तक संचयी रहती है जब तक कि अर्थव्यवस्था (y/p)" स्तर पर नहीं पहुंच जाती, जहां नए स्थिर संतुलन बिन्दु N पर जनसंख्या की वृद्धि- -दर आय की वृद्धि-दर के बराबर हो जाती है। पुनः N बिन्दु से परे, जनसंख्या की वृद्धि-दरसे आय की वृद्धि-दर को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से और कदम उठाए जाने जरूरी है।

निम्न संतुलन पाश से बचने के लिए नेल्सन ने अनेक साधन लक्ष्य किए हैं। प्रथम, देश में अनुकूल सामाजिक-राजनैतिक वातावरण होना चाहिए। दूसरे, मितव्ययिता तथा उद्यम वृत्ति पर अधिक बल देकर सामाजिक ढांचे में परिवर्तन लाया जाए। अधिक उत्पादन के लिए और प्रोत्साहन दिए जाएं। परिवार का आकार सीमित रखने के लिए भी प्रोत्साहन दिए जाएं। तीसरे आय के वितरण में परिवर्तन लाने के लिए कदम उठाएं जिससे निवेशक धन संचय कर सकें चौथे, एक सर्वव्यापी सरकारी निवेश कार्यक्रम होना चाहिए। पाँचवे, विदेशों से कोष प्राप्त करके आय तथा पूंजी बढ़ाई जाए। अन्तिम, विद्यमान साधनों को अधिक पूर्णता से उपयोग में लाने के लिए उत्पादन की सुधरी तकनीकें काम में लाई जाएं, ताकि दिए हुए उपकरणों से आय बढ़ जाए।

अल्पविकसित देशों में निम्न संतुलन पाश से बचने के लिए इस बात की आवश्यकता है कि ये सभी कदम एक साथ उठाए जाएं ताकि जनसंख्या की वृद्धि-दर की तुलना में आम की वृद्धि-दर अधिक हो। जब किसी निश्चित न्यूनतम प्रति व्यक्ति आय स्तर से ऊपर एक बार यह स्थिति उपलब्ध हो जाएगी, तो और सरकारी प्रयत्न के बिना भी तब तक सतत वृद्धि होती चलेगी जब तक कि प्रति व्यक्ति आय का एक नया उच्च स्तर नहीं आ जाता।

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