सांख्यिकी में एक ऐसी राशी या संख्या मालूम करते हैं
जो आंकड़ों का सर्वश्रेष्ठ रूप से प्रतिनिधित्व करें, ऐसा तब होता है जब दो आंकड़े
समूह वर्गीकृत अवस्था में दिए गए हो और जब हम उसकी तुलना करें उसे केंद्रीय प्रवृत्ति
कहते हैं।
क्राॅक्सटन
व काॅउडेन के अनुसार," समंको
के विस्तार में माध्य एक ऐसा अकेला मूल्य है जो श्रेणी के समस्त मूल्यों का प्रतिनिधित्व
करने हेतु प्रयुक्त किया जाता है। चूंकी माध्य समंको के विस्तार
के अंतर्गत होता है , इसलिए इसे कभी कभी केंद्रीय मूल्य का
माप भी कहा जाता है।"
केंद्रीय प्रवृत्ति के माप निम्न प्रकार की
होती है
1. समान्तर माध्य :- किसी श्रेणी के सभी पदों के योग को पदों की संख्या से भाग देने पर
जो मान प्राप्त होता है उसे समान्तर माध्य या अंकगणितीय माध्य
कहते हैं।
2. माध्यिका :- चाऊ के अनुसार," माध्यिका जैसा कि इसका नाम प्रकट करता है, श्रेणी के मध्य पद का मूल्य
होता है, जब मदो को उनके आकार के आधार पर व्यवस्थित किया गया
हो।"
3. बहुलक :- केन्नी के अनुसार," चर का वह मूल्य जो एक वितरण में अत्यधिक बार आता है, उसे बहुलक कहते हैं।
समान्तर माध्य (Arithmetic Average or Mean)
सेक्रिस्ट के अनुसार," एक समंकमाला के पदों के मूल्यों के जोड़ में उनकी संख्या से भाग देने पर प्राप्त संख्या माध्य कहलाती है।"
समान्तर
माध्य दो प्रकार के होते हैं :-
1. सरल समान्तर माध्य :- इसमें पदमाला
के सभी पदों को समान महत्व दिया जाता है।
2. भारित समान्तर माध्य :- जब पदों
को आवश्यकतानुसार भार देकर समान्तर माध्य निकाला जाये तो इसे भारित माध्य कहते हैं।
माध्य ( Mean )
सूत्र
(
Formula )
व्यक्तिगत श्रेणी (IS)
प्रत्यक्ष विधि (DM)
ˉX=ΣXn
लघु विधि ( SM )
ˉX=A+Σdxn
खण्डित श्रेणी (DS)
प्रत्यक्ष विधि (DM)
ˉX=ΣƒxΣƒ
लघु विधि ( SM )
ˉX=A+ΣƒdxΣƒ
सतत श्रेणी (CS)
प्रत्यक्ष विधि (DM)
ˉX=ΣƒxΣƒ
लघु विधि ( SM )
ˉX=A+ΣƒdxΣƒ
पद विचलन विधि
( Step Deviation Method)
Mean (X̅ ) = A+ΣfdxIΣf×i
X̅ = माध्य , Σ = कुल जोड़ , n = पदों की संख्या , A= कल्पित माध्यम , I = विचलन को साझा संख्या से भाग लेंगे, ƒ =बारंबारता , dx = कल्पित माध्य की सहायता से प्राप्त विचलन
Individual Series
(Direct
Method)
x : 10, 20,30,40,50
उत्तर :- x : 10 20 30 40 50 = 150
ΣX = 150 n = 5 ˉX = ?
Mean (ˉX) = Σxn =1505=30
(Shortcut Method)
x | A=30 dx |
---|---|
10 | -20 |
20 | -10 |
30 | 0 |
40 | 10 |
50 | 20 |
Σdx=0 |
Mean = A+Σdxn = 30+05 =30+0=30
Discrete Series
(Direct Method)
x | ƒ |
---|---|
4 | 4 |
6 | 3 |
3 | 4 |
2 | 2 |
8 | 3 |
13 | 4 |
उत्तर :-
x | ƒ | ƒx |
---|---|---|
4 | 4 | 16 |
6 | 3 | 18 |
3 | 4 | 12 |
2 | 2 | 4 |
8 | 3 | 24 |
13 | 4 | 52 |
Σƒ=20 | Σƒx=126 |
Mean = ΣfxΣf = 12620 = 6.3
(Shortcut Method)
x | ƒ | A=3 dx |
ƒdx |
---|---|---|---|
4 | 4 | 1 | 4 |
6 | 3 | 3 | 9 |
3 | 4 | 0 | 0 |
2 | 2 | -1 | -2 |
8 | 3 | 5 | 15 |
13 | 4 | 10 | 40 |
Σƒ=20 | Σƒdx=66 |
C.I | ƒ |
---|---|
0-10 | 3 |
10-20 | 2 |
20-30 | 3 |
30-40 | 1 |
40-50 | 2 |
50-60 | 1 |
उत्तर :-
C.I | ƒ | MV x |
ƒx |
---|---|---|---|
0-10 | 3 | 5 | 15 |
10-20 | 2 | 15 | 30 |
20-30 | 3 | 25 | 75 |
30-40 | 1 | 35 | 35 |
40-50 | 2 | 45 | 90 |
50-60 | 1 | 55 | 55 |
=12 | =300 |
(Shortcut Method)
C.I | ƒ | MV dx |
A=25 dx |
ƒdx |
---|---|---|---|---|
0-10 | 3 | 5 | -20 | -60 |
10-20 | 2 | 15 | -10 | -20 |
20-30 | 3 | 25 | 0 | 0 |
30-40 | 1 | 35 | 10 | 10 |
40-50 | 2 | 45 | 20 | 40 |
50-60 | 1 | 55 | 30 | 30 |
=12 | =0 |
प्रश्न :- निम्न आंकड़ों से समांतर माध्य प्राप्त करें।
कर्मचारियों की संख्या = 05
मजदूरी
: 50,55,60,70,85
> पांच कर्मचारियों द्धारा अर्जित प्रतिदिन की मजदूरी निम्न हैं
मजदूरी : 50,55,60,70,85
समांतर माध्य की गणना कीजिए।
उत्तर :-
समान्तर माध्य की विशेषता
1. किसी श्रेणी के वास्तविक समान्तर माध्य से लिये गये विभिन्न पदों के विचलनों का योग सदैव शून्य होता है। अर्थात Σ(X - X̅ ) = 0
2. किसी श्रेणी
के प्रत्येक पद में यदि एक स्थिर राशि जोड़ी जाए, घटाई जाए, गुणा की जाए अथवा भाग की जाए तो समान्तर
माध्य पर भी क्रमशः समान प्रभाव पड़ता है।
X |
स्थिर राशि 5 जोड़ने पर X + 5 |
स्थिर राशि 5
घटाने पर X – 5 |
स्थिर राशि 5 से गुणा करने पर X × 5 |
स्थिर राशि 5 से भाग करने पर |
5 |
5+5 =10 |
5-5 =0 |
5×5=25 |
5/5=1 |
10 |
10+5 =15 |
10-5=5 |
10×5=50 |
10/5=2 |
15 |
15+5 =20 |
15-5=10 |
15×5=75 |
15/5=3 |
20 |
20+5 =25 |
20-5=15 |
20×5=100 |
20/5=4 |
25 |
25+5 =30 |
25-5=20 |
25×5=125 |
25/5=5 |
ΣX = 75 |
ΣX = 100 |
ΣX = 50 |
ΣX = 375 |
ΣX = 15 |
X̅ = 15 |
X̅ = 20 |
X̅ = 10 |
X̅ = 75 |
X̅ = 3 |
निष्कर्ष |
माध्य भी 5 बढ़ जाता है |
माध्य भी 5 घट जाता है |
माध्य भी 5 गुणा बढ़ जाता है |
माध्य भी 5 गुणा कम हो जाता है |
3. वास्तविक समान्तर माध्य से श्रेणी के विभिन्न पदों के विचलनों के वर्गों का योग न्यूनतम होता है।
4. यदि किन्हीं दो श्रेणियों के लिए समान्तर माध्य और पदों की संख्या ज्ञात हो तो दोनों श्रेणियों का सामूहिक समानांतर माध्य ज्ञात किया जा सकता है।
उदाहरण - फैक्ट्री A के 25 श्रमिकों की औसत मजदूरी ₹54 तथा फैक्ट्री B के 35 श्रमिकों की औसत मजदूरी ₹50 है। दोनों फैक्ट्रियों के श्रमिकों की सामूहिक औसत मजदूरी क्या है ?
समान्तर माध्य के गुण
1. यह समझने
एवं गणना करने में सरल होता है।
2. माध्य सम्पूर्ण श्रेणी का प्रतिनिधि होता है। 3. इसका मूल्य हमेशा निश्चित होता है,
यह व्यक्तिगत पक्षपात से प्रभावित नहीं होता है। 4. इसका प्रयोग बीजगणितीय गणनाओं में किया जाता है। 5. तुलना के लिए
यह एक अच्छा आधार है। 6.
माघ्य की गणना करने में आंकड़ों को व्यवस्थित करना
आवश्यक नहीं है। 7. यह एक परिकल्पित मूल्य है, जबकि माध्यिका और बहुलक स्थिति संबंधी मूल्य होते
हैं। 8. यह प्रतिदर्श के परिवर्तनों
से बहुत कम प्रभावित होता है। 9. यह एक
आदर्श औसत की प्राय: सभी शर्तों को पूरा करता है।
समान्तर
माध्य के दोष
1.यह कभी-कभी भ्रामक और असंगत परिणाम देता है। 2. समांतर माध्य में सीमांत मूल्य का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। 3. समान्तर माध्य की गणना किसी एक मूल्य की कमी से ज्ञात नहीं किया जा सकता है। 4. समान्तर माध्य वह मूल्य हो सकता है, जिसका श्रेणी में कोई अस्तित्व न हो। उदाहरण के लिए 4 , 8 तथा 9 का औसत 7 होता है तो श्रेणी में नहीं है। 5. समान्तर माध्य की गणना केवल अवलोकनों द्वारा नहीं किया जा सकता है। इसमें गणितीय गणनाओं की आवश्यकता पड़ती है। 6. इसे पक्षपात वाला औसत कहा जाता है क्योंकि इसपर बड़े मूल्यों का अधिक एवं छोटे मूल्यों का कम प्रभाव पड़ता है।
भारित समान्तर माध्य (Weighted Arithmetic Average)
सरल
समांतर
माध्य का एक प्रमुख दोष यह है कि इसमें श्रेणी के प्रत्येक पद को समान महत्व दिया जाता
है परंतु व्यवहार में एक श्रेणी के विभिन्न पदों का अलग-अलग सापेक्षिक महत्व होता है
- किसी पद का अधिक महत्व होता है, किसी का कम। अतः भारित समांतर
माध्य में पदों को उनके सापेक्षिक महत्व के अनुसार भार देकर औसत की गणना की जाती है। अतः भारों के आधार पर निर्धारित किया गया समांतर माध्य भारित समान्तर माध्य कहलाता है। भारित माध्य की गणना करने की आवश्यकता
तब पड़ती है जब समूह के पद एक दूसरे
के समान होते हुए भी महत्व के दृष्टिकोण से सजातीय नहीं होते। सूत्र से
¯Xw=ΣWXΣW
भारित समान्तर माध्य के उपयोग
1. भारित माध्य का व्यवहार कारखानों एवं अन्य संस्थानों में मजदूरों एवं वेतन की गणना के लिए किया जाता है क्योंकि इससे विभिन्न प्रकार के कामगारों के बीच उनकी योग्यता एवं महत्वो के अनुसार अन्तर करने में सहूलियत होती है। 2. बोडों, विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थाओं के परीक्षाफलों की तुलना करने में यह एक महत्वपूर्ण विधि है। 3. प्रमाणीकृत जन्म एवं मृत्यु दरों की गणना में इसका प्रयोग किया जाता है। 4. निर्देशकों के निर्माण में भी भारित माध्य का प्रयोग होता है।