स्पियरमैन की कोटि या श्रेणी- अन्तर विधि (Spearman's Rank Differences Method)

स्पियरमैन की कोटि या श्रेणी- अन्तर विधि (Spearman's Rank Differences Method)

स्पियरमैन की कोटि या श्रेणी- अन्तर विधि (Spearman's Rank Differences Method)

गणना की दृष्टि से यह एक सरलतम विधि है क्योंकि यह श्रेणी के मूल्यों के क्रम (ranks) पर आधारित है। यह रीति ऐसी परिस्थितियों के लिए अधिक उपयुक्त है जहाँ तथ्यों का प्रत्यक्ष संख्यात्मक माप सम्भव न हो तथा उन्हें केवल एक निश्चित कोटि क्रम के अनुसार रखा जा सके।

`\rho=1-\frac{6\Sigma d^2}{N(N^2-1)}` 

प्रश्न :- निम्न संमको से रैंक सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए

अंग्रेजी में प्राप्तांक अर्थशास्त्र में प्राप्तांक
46 30
56 60
39 40
45 50
54 70
58 65
36 39
40 52

X

Rx

Y

Ry

d (Rx -Ry )

d2

46

4

30

8

-4

16

56

2

60

3

-1

1

39

7

40

6

1

1

45

5

50

5

0

0

54

3

70

1

2

4

58

1

65

2

-1

1

36

8

39

7

1

1

40

6

52

4

2

4

 

 

 

 

 

Σd2 =28

`\rho=1-\frac{6\Sigma d^2}{N(N^2-1)}` `=1-\frac{6(28)}{8(8^2-1)}`

`=1-\frac{168}{504}=1-0.33=0.67`

प्रश्न :- निम्न संमको से रैंक सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए

गणित में प्राप्तांक अर्थशास्त्र में प्राप्तांक
36 20
46 50
29 30
35 40
44 60
48 55
26 29
30 42

X

Y

Rx

Ry

d (Rx -Ry )

d2

36

20

4

8

-4

16

46

50

2

3

-1

1

29

30

7

6

1

1

35

40

5

5

0

0

44

60

3

1

2

4

48

55

1

2

-1

1

26

29

8

7

1

1

30

42

6

4

2

4

 

 

 

 

 

Σd2 =28

`\rho=1-\frac{6\Sigma d^2}{N(N^2-1)}` `=1-\frac{6(28)}{8(8^2-1)}`

`=1-\frac{168}{504}=1-0.33=0.67`

कोटी सह-सम्बन्ध : जब दिये गये क्रम बराबर हों :- कभी-कभी दो या अधिक पदों का एक ही मूल्य होता है। ऐसी स्थिति में श्रेणी सह-सम्बन्ध गुणांक निकालने के लिए सूत्र में संशोधन करना पड़ेगा। सूत्र

`\rho=1-\frac{6[\Sigma d^2+\frac(1)12(m_1^3-m_1)\]}{N(N^2-1)}`

जहां m उस पद की संख्या है जो एक से अधिक बार आया है। यहां यह ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि दोनों श्रेणियों में कुल जितनी बार क्रमों का औसत निकाला जाता है, ठीक उतने ही बार `\frac1{12}`(m3 – m) का पद सूत्र में जोड़ा जाता है

`\rho=1-\frac{6[\Sigma d^2+\frac{1}{12}(m_1^3-m_1)+\frac{1}{12}(m_2^3-m_2)+...\]}{N(N^2-1)}`

प्रश्न :- निम्न संमको से रैंक सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए

X Y
1 4
2 3
3 2
2 4
3 5
4 6
3 2
2 3

X

Rx

Y

Ry

d (Rx -Ry )

d2

1

8

4

3.5

4.5

20.25

2

6

3

5.5

0.5

0.25

3

3

2

7.5

-4.5

20.25

2

6

4

3.5

2.5

6.25

3

3

5

2

1

1

4

1

6

1

0

0

3

3

2

7.5

-4.5

20.25

2

6

3

5.5

0.5

0.25

 

 

 

 

 

Σd2=68.50

m=3,m=3           m=2,m=2,m=2

`\[\rho=1-\frac{6\[68.50+\frac(1)12(24)+\frac(1)12(24)+\frac(1)12(6)+\frac(1)12(6)+\frac(1)12(6)]}{8(8^2-1)}\]`

`\rho=1-\frac{6(68.50+2+2+\frac(1)2+\frac(1)2+\frac(1)2)}{8(63)}`

`\rho=1-\frac{6(68.50+4+1.5)}{8(63)}`

`\rho=1-\frac{6(74)}{8(63)}=1-\frac{37}{42}=1-0.8=0.2`

गुण

1. यदि आंकड़े गुणात्मक प्रकृति,जैसे - क्षमता, कुशलता, सुन्दरता, ईमानदारी, अच्छाई आदि से सम्बन्धित हों तो उनके सह-सम्बन्ध ज्ञात करने की यह सबसे उपयुक्त विधि है।

2. पियर्सन के सह-सम्बन्ध गुणांक की तुलना में स्पियरमैन के गुणांक की गणना करना तथा समझना सरल है।

3. यदि श्रृंखलाएं श्रेणीबद्ध हों तो केवल इसी पद्धति द्वारा सह-सम्बन्ध गुणांक की गणना की जाती है

4. यदि मूल्यों की दोहरी गणना न हो तो इस विधि से प्राप्त परिणाम पियर्सन विधि के परिणाम के समान होते हैं।

दोष

1. यह विधि समूह आवृत्ति बंटन के गुणांक की गणना के लिए अनुपयुक्त है केवल व्यक्तिगत मूल्यों के लिए उपयुक्त होती है

2.  विधि उस समय कठिन एवं प्राय: अनुपयुक्त हो जाती है जब मदों की संख्या 30 से अधिक हो ऐसी अवस्था में पियर्सन विधि को प्राथमिकता दी जाती है

3.  विधि श्रेणी प आधारित होती है अतः इसमें निश्चिता की कमी पायी जाती है

4.  पियर्सन विधि की तुलना में यह कम शुद्ध है क्योंकि इसमें चरों से संबंधित पूर्ण सूचना का प्रयोग नहीं किया जाता

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