सांख्यिकी परिचय (Statistics Introduction)

सांख्यिकी परिचय (Statistics Introduction)

सांख्यिकी परिचय (Statistics Introduction)

 सांख्यिकी परिचय

सांख्यिकी सिद्धांतों को वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करने का श्रेय जर्मनी विद्वान एवं गणितिज्ञ गाॅटफ्रायड एचेनवाल (आकेनवाल) को हैं। इन्होंने सन् 1749 मे सांख्यिकी की विस्तृत विवेचना प्रस्तुत की थी। सांख्यिकी का जनक गाॅटफ्रायड एचेनवाल को कहा जाता हैं। 

अंग्रेजी के स्टैटिस्टिक्स (Statistics) शब्द का हिंदी अभिप्राय सांख्यिकी है। स्टैटिस्टिक्स शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द स्टेटस (Status), इटैलियन शब्द स्टेटिस्टा (Ststista) या जर्मन भाषा के शब्द स्टेटिस्टिक (Statistik) से हुई है।शाब्दिक दृष्टि से इन शब्दों का अर्थ राज्य (State) ,तथा राजनीतिक कार्य (Politics) होता हे।
भारत में सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक रुप से सांख्यिकी को लोकप्रिय बनाने में प्रो. पी०सी० महालनोबिस का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना में सहायता की जो आज भारत ही नहीं विश्व में सांख्यिकी सिद्धांतों के शिक्षण तथा शोध का एक प्रमुख स्थल है।
" सांख्यिकी वह विज्ञान है जो हमें प्रतिनिधि प्रतिदर्श बनाने, प्रतिदर्श से मिले आंकड़ों के विश्लेषण तथा अर्थ निकालने एवं समग्र के बारे में निष्कर्ष निकालने में मदद करती है।"
सांख्यिकी शब्द का प्रयोग दो रूपों में किया जाता है-- एकवचन और बहुवचन। प्राचीन समय मे जब सांख्यिकी का विकास पूर्णतः नही हो पाया था, तब इसे बहुवचन अर्थात् समंको के रूप मे ही स्वीकार किया जाता था, लेकिन आगे चलकर इस विज्ञान के पूर्ण विकसित होने पर इसे एकवचन अर्थात् सांख्यिकी विज्ञान के रूप मे प्रयोग मे लिया जाने लगा।
एकवचन के रूप मे सांख्यिकी का अर्थ 'सांख्यिकी विज्ञान' के रूप में हैं। बहुवचन के रूप मे 'सांख्यिकी का अर्थ 'आँकड़ों या समंको' के रूप मे हैं।

सांख्यिकी का एकवचन एवं बहुवचन रुप में अन्तर

1. बहुवचन रूप में सांख्यिकी परिमाणात्मक होते हैं जबकि एकवचन रूप में यह विश्लेषण के यंत्र हैं।
2. बहुवचन के रूप में सांख्यिकी विवर्णात्मक है जबकि एकवचन के रूप में यह क्रियात्मक है।
3. बहुवचन के रूप में सांख्यिकी सामूहिक तथ्यों का एकत्रीकरण है, जबकि एकवचन के रूप में एकत्रित तथ्यों का विश्लेषण करके उनसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है।

सांख्यिकी की प्रकृति या प्रवृत्ति

सांख्यिकी की प्रकृति अथवा यह विज्ञान है या कला या दोनों - किसी भी कार्य को सुचारु रुप से करने को ही कला कहते हैं। कला के अंतर्गत विभिन्न नियमों की सहायता से किसी कार्य को सुचारू रूप से संचारित कर, उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है। इस आधार पर हम कह सकते है कि सांख्यिकी कला है।
किसी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते हैं। सांख्यिकी में भी तथ्यो एवं आंकड़ों का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है, अतः यह विज्ञान है।
टिप्पेट के अनुसार," सांख्यिकी विज्ञान तथा कला दोनों है। यह विज्ञान इसलिए है क्योंकि इसकी विधियां मौलिक रूप से व्यवस्थित है और उनका प्रयोग सर्वत्र होता है और वह एक कला भी है क्योंकि इसकी पद्धतियों को सफल उपयोग पर्याप्त सीमा तक सांख्यिकी की योग्यता, विशेष अनुभव व उनके प्रयोग क्षेत्र के ज्ञान पर आश्रित होता हैं ,जैसे अर्थशास्त्र।

सांख्यिकी की सीमाएं


सांख्यिकी का प्रयोग प्राय: विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता है किंतु इसकी कुछ सीमाएं हैं जो निम्नलिखित है- 
1. सांख्यिकी व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन नहीं करती है :- लेकिन तथ्यों के समूहों का अध्ययन करती है।
2. सांख्यिकी गुणात्मक पक्ष का अध्ययन नहीं करती :- सांख्यिकी केवल उन्हीं समस्याओं का अध्ययन करती है जिन्हें संख्या के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। यह गुणात्मक तथ्य जैसे सुन्दरता, ईमानदारी आदि का अध्ययन नहीं करती है।
3. सांख्यिकी केवल औसत रूप में सत्य :- सांख्यिकी के नियम अन्य विज्ञानों की तरह सर्वव्यापक नहीं है। सांख्यिकी विश्लेषण कुछ ही परिस्थितियों में सत्य पाये जाते हैं।
4. सांख्यिकी का दुरुपयोग :- सांख्यिकी का दुरुपयोग हो सकता है। आंकड़े व्यक्ति विशेष के दृष्टिकोण के अनुसार परिवर्तित किए जा सकते हैं और इस प्रकार के आंकड़े समाज को भ्रमित कर सकते हैं।
5. यह किसी क्रिया की एक मात्र विधि नहीं है :- सांख्यिकीय विवेचन द्वारा प्राप्त परिणामों को अंतिम रूप से सही तभी मानना चाहिए जब उन परिणामों की सत्यता अन्य विधियों द्वारा हो जाए।
6. सांख्यिकीय परिणाम में गणितीय शुद्धता नहीं होती :- सांख्यिकी विश्लेषण सामूहिक आंकड़ों पर आधारित होते हैं जिसके कारण प्राप्त परिणाम सामान्य रूप से अनुमानित होते हैं। इसमें अशुद्धता की संभावना रहती है जिसे आसानी से दूर नहीं किया जा सकता है। इसलिए परिणाम बिल्कुल सही होने के स्थान पर अनुमानित होते हैं।

सांख्यिकी की विशेषताएं 

1 . समंक तथ्यों के समूह होते हैं :- श्री होरेस स्क्रिस्ट के विचारों से समंक किसी व्यक्ति या वस्तु विशेष के लिए नही होते हैं अपितु वे किसी समूह के तथ्यों को प्रदर्शित करते हैं। अर्थात् यह एक व्यक्ति के लिए कोई संख्या दी जाये तब वह समंक नही होगा, लेकिन एक समूह के लिए दी जाये तब समंक कहलाने लगेगी।
2. सांख्यिकी साधन प्रस्तुत करती है, निष्कर्ष नही :- सांख्यिकी केवल साधन प्रस्तुत करती है, निष्कर्ष नही। यदि अनुसन्धानकर्ता की भावना पक्षपातपूर्ण हो, तो सांख्यिकी निष्कर्ष अशुद्ध हो जाते है, क्योंकी ऐसी दशा मे अनुसन्धानकर्ता सदैव ऐसा प्रयास करता है कि परिणाम उसकी पूर्व धारणा के अनुसार हो।
3. समंको की गणना अथवा अनुमान द्वारा संकलित किया जाता है :- होरेस स्क्रिस्ट का विचार है कि समंको का संकलन या तो साधारण गणना के आधार पर किया जाता है या फिर पूर्व घटनाओं एवं अनुभवो के आधार पर अनुमान लगाकर किया जाता है। यदि समंक संकलन का क्षेत्र सीमित है, तब गणना विधि के द्वारा और यदि क्षेत्र विस्तृत है, तब अनुमानित आधार पर इनका संकलन किया जाता है।
4. गणितीय शुद्धता का अभावा :- सांख्यिकी के नियम केवल औसतन ही सही होते है, उनमे गणितीय शुद्धता का अभाव पाया जाता हैं।
5. संकलन सुव्यवस्थित तरीके से हुआ हो :- समंको का संकलन स्क्रिस्ट के अनुसार सुव्यवस्थित ढंग से होना चाहिए। यदि उनका संकलन योजनानुसार नही किया गया है तब वे समंक नही कहलायेंगे।
6. सजातीय आवश्यक :- सांख्यिकी समंको की तुलना हेतु उनका सजातीय होना आवश्यक है। कपड़ों और जूतों की तुलना संभव नही हैं।
7. समंक अंको अथवा संख्या मे व्यक्त किये जाते हैं :- समंक हमेशा अंकों मे अथवा संख्या मे प्रस्तुत किये जाते है। यदि कोई तथ्य संख्या मे प्रस्तुत नही किया गया है, तब वह समंक नही होगा।

सांख्यिकी का महत्व 


1. व्यक्तिगत अनुभवों मे वृद्धि :- सांख्यिकी पद्धति के अभाव मे अनुसन्धानकर्ता द्वारा निकाले गये निष्कर्ष केवल अनुमान मात्र होते है। उनमे दृढता नही होती। सांख्यिकी पद्धति अनुसन्धानकर्ता के ज्ञान व अनुभव मे वृद्धि करती हैं।
2. जटिल तथ्यों को सरल बनाना :- अनुसंधान के दौरान संकलित जानकारी अत्यन्त जटिल तथा अव्यवस्थित होती हैं। सामान्य व्यक्ति न उसे समझ सकता है और न कोई निष्कर्ष ही निकाल सकता है।
3. सामान्य नियमों का निर्माण :- सांख्यिकी पद्धति से मिले परिणामों को छोटे अथवा विशेष क्षेत्र पर नियम रूप मे लागू किया जा सकता है एवं क्षेत्र यदि विस्तृत है तो उस सम्बन्ध मे विभिन्न नियम भी इन परिणामों के आधार पर बनाये जा सकते है।
4. संक्षिप्त व्याख्या :- सांख्यिकी अनुसंधान के निष्कर्षों व परिणामों मे से अनावश्यक एवं अवांछित सामग्री हटाकर उन्हें संक्षिप्त एवं सरल रूप मे प्रस्तुत करता हैं।
5. सामाजिक समस्याओं के समाधान मे सहायक :- सांख्यिकी कि सहायता से देश में अशिक्षा, बेकारी, अपराध, भिक्षावृत्ति आदि सामाजिक समस्याओं के सम्बन्ध मे जानकारी प्राप्त की जाती है। साथ ही इन समस्याओं के समाधान के उपाय तथा वे उपाय कहां तक सफल हुए है, इनका पता भी सांख्यिकी की मदद से लगाया जा सकता है।
6. भविष्य के लिए पूर्वानुमान :- सांख्यिकी के द्वारा पूर्वानुमान भी लगाये जाते है। इसमे वर्तमान तथ्यों का विश्लेषण करके प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर भविष्य के लिए अनुमान लगाये जाते है।


 

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्त्व


अर्थशास्त्र का सांख्यिकी से घनिष्ठ संबंध है। सन 1696 ईस्वी में ही 'अर्थशास्त्र और सांख्यिकी ' के बीच घनिष्ठ संबंध सामने आया जब सर विलियम पैटी की पुस्तक 'राजनीतिक गणित' का प्रकाशन हुआ था। वर्तमान में प्रत्येक आर्थिक समस्या के समाधान के लिए सांख्यिकी विधियों का प्रयोग आवश्यक है। प्रो. मार्शल ने सांख्यिकी के महत्व को बहुत पहले ही स्वीकार करते हुए कहा था, "सांख्यिकी वे तृण है जिनसे मुझे अन्य अर्थशास्त्रियों की भांति ईंटें बनानी पड़ती है।"
अर्थशास्त्र के विभिन्न शाखाओं में सांख्यिकी का महत्व निम्नलिखित है -
1. उपभोग के क्षेत्र में :- उपभोग के आंकड़ों द्वारा विभिन्न आय वर्ग और उनके उपभोग व्यय के द्वारा औसत और सीमांत उपभोग की प्रकृति का अनुमान लगाया जा सकता है। 'मांग का नियम' और 'मांग की लोच' भी सांख्यिकी पर निर्भर है। 
2. उत्पादन के क्षेत्र में :- उत्पादन के समंक मांग एवं पूर्ति में समायोजन करने में सहायता पहुंचाते हैं। उत्पादन के समंक कुल उत्पादिता और साधनों की सीमांत उत्पादकता का बोध कराते हैं। यही नहीं आज विश्व के प्रगतिशील राष्ट्र में उत्पादन की गणना के आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं जिनके आधार पर राष्ट्रीय आय का आकलन किया जाता है।
3. विनिमय के क्षेत्र में :- विनिमय के क्षेत्र में समंको के माध्यम से कीमत निर्धारण के नियम, लागत मूल्य, आयात निर्यात, देश के भुगतान संतुलन आदि का विश्लेषण किया जाता है।
4. वितरण के क्षेत्र में :- समंको की सहायता से राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। उत्पादन के विभिन्न साधनों के बीच राष्ट्रीय आय का वितरण किस प्रकार होता है, इसको ज्ञात करने में सांख्यिकी सहायता करती है।
5. राजस्व के क्षेत्र में :- राज्य की आय और व्यय के विवरण को प्रदर्शित करने वाले पत्र को बजट कहते हैं। बजट सांख्यिकी पत्र है। सरकार की कर नीति, राजकोषीय नीति, घाटे की वित्त व्यवस्था, कर-देय क्षमता के निर्धारण आदि सभी सांख्यिकीय तथ्यों पर आधारित है।

सांख्यिकी के उद्देश्य या कार्य–

वर्तमान युग में सांख्यिकी के अनगिनत कार्य हैं। मुख्य रूप से इसके कार्यों को हम निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं -
1. यह जटिल तथ्यों को सरल तथा स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करती है :- सांख्यिकीय विधियों की सहायता से जटिल आंकड़ों को सरल तथा अस्पष्ट बनाया जा सकता है जिससे उन्हें सुगमता पूर्वक समझा जा सकता है, जैसे- जटिल आंकड़ों को औसत एवं प्रतिशत के रूप में दिखाया जा सकता है।
2. यह तुलना में सहायक है :- सांख्यिकी की सहायता से आंकड़ों की तुलना की जा सकती है, वहीं वह उन आंकड़ों में दिए गए संबंध को भी स्पष्ट करती है। विभिन्न देशों के विभिन्न परिस्थितियों के आंकड़ों की तुलना आर्थिक निष्कर्षों के लिए जरूरी होती है।
3. संबंधों के अध्ययन में सांख्यिकी सहायक :- यह सह-संबंध या दो से अधिक चरों के बीच क्रियात्मक संबंध को दर्शाता है, जैसे - बच्चों की उम्र और उनके वजन के बीच का संबंध, मांग एवं पूर्ति के बीच संबंध। 
4. पूर्वानुमान करने में सहायक :- सांख्यिकी जानकारियों के विश्लेषण के आधार पर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। उदाहरणार्थ, भविष्य में अर्थव्यवस्था की स्थिति का अनुमान वर्तमान एवं भूतकाल के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर किया जा सकता है।
5. सिद्धांतों के बनाने एवं जांच करने में सहायक :- किसी सिद्धांत की जांच में सांख्यिकी आंकड़े एवं विधियां सहायक होती हैं, जैसे- विज्ञापन से वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि होती है अथवा नहीं, की जांच संबंधित आंकड़ों के संकलन एवं तुलना द्वारा किया जा सकता है।
6. सांख्यिकी नीतियों के निर्माण में सहायक :- सांख्यिकी की सहायता से अनेक नीतियों का निर्माण किया जा सकता है,जैसे- वेतन - उत्पादन नीति, आयात - निर्यात नीति।
7. यह समस्या को निश्चयात्मकता प्रदान करती है :- हम सही रूप में संख्यात्मक प्रदर्शन द्वारा ही समस्या की गहनता से परिचय हो सकते हैं, केवल सामान्य कथन समस्या की निश्चित गंभीरता को प्रकट करने में समर्थ नहीं होता है।
8. कारण - परिणाम संबंध :- विभिन्न विधियों के माध्यम से सांख्यिकी चरों के बीच कारण एवं परिणाम के बीच संबंध को स्थापित करता है।

सांख्यिकी का दुरुपयोग

व्यापार एवं अर्थशास्त्र विश्लेषण में सांख्यिकी का प्रयोग किया जाता है, इसके बावजूद लोगों में सांख्यिकी के प्रति विश्वास की भावना व्याप्त नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह आंकड़ों को अपने ढंग से प्रस्तुत करती है। यह उसी प्रकार संभव है जिस प्रकार एक चालाक व्यक्ति अपने पक्ष में तर्क रखता है। ऐसा कहा जाता है कि सांख्यिकी की सहायता से कुछ भी साबित किया जा सकता है।

यद्यपि राजनीतिक दल अथवा सरकार अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए सांख्यिकी का दुरुपयोग करते हैं, फिर भी शिक्षाविदों और विशेषकर वाणिज्य एवं अर्थशास्त्र के छात्रों को चाहिए कि सांख्यिकी का प्रयोग सावधानीपूर्वक करें।

सांख्यिकी के उपयोग में काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है अन्यथा भ्रामक निष्कर्ष निकल सकते हैं। सांख्यिकी के गलत उपयोग के बारे में एक कहानी कही जाती है। एक सांख्यिकीविद् नदी पार करने गया था उसने किनारे से लेकर बीच तक की गहराई का औसत निकाला जो कि 5' निकला। उसकी अपनी ऊंचाई 6' थी। अतः उसने निष्कर्ष निकाला कि वह नदी पार कर सकता है। परंतु वह बीच नदी में जाकर डूब गया। सांख्यिकी के इस तरह के गलत उपयोग हो सकते हैं। अतः सांख्यिकी के उपयोग करने में काफी सतर्कता बरतनी चाहिए। अगर सांख्यिकी का उपयोग वैज्ञानिक ढंग से किया जाए तो इससे निकले निष्कर्ष काफी हद तक समस्याओं के समाधान में मदद कर सकते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. बहुवचन में सांख्यिकी STATISTICS का अर्थ है

(अ) सांख्यिकी विज्ञान से

(ब) समंकों से

(स) सांख्यिकी मापों से

(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2. सांख्यिकी है

(अ) गणना का विज्ञान

(ब) अनुमानों एवं सम्भाविताओं का विज्ञान

(स) समंकों के निर्वाचन एवं विश्लेषण का विज्ञान√

(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3. सांख्यिकी गणना अथवा साध्यों का विज्ञान है’ यह परिभाषा है

(अ) बाउले की

(ब) क्राउडन की

(स) जान ग्रिफिन की

(द) पार्सेन की

प्रश्न 4. अंग्रेजी भाषा में सांख्यिकी को कहते हैं

(अ) STATISTICS √

(ब) STATISTIK

(स) STATISTA

(द) ये सभी

प्रश्न 5. सर्वप्रथम Statistics शब्द का प्रयोग किया गया

(अ) 1749√

(ब) 1759

(स) 1748

(द) 1740

प्रश्न 6. सांख्यिकी की विषय सामग्री को कितने भागों में बाँटा है?

(अ) तीन

(ब) दो√

(स) चार

(द) पाँच

प्रश्न 7. “सांख्यिकी अनुमानों एवं सम्भाविताओं का विज्ञान है” यह परिभाषा दी है

(अ) बाउले ने

(ब) सैलिगमैन ने

(स) बांडिग लॉन ने√

(द) स्पीयरमैन ने

प्रश्न 8. वर्गीकृत समंकों या आँकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है

(अ) प्रस्तुतीकरण में

(ब) सारणीयन में

(स) निर्वचन में

(द) समंकों के वर्गीकरण में

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी का अर्थ लिखिये।

उत्तर: सांख्यिकी वह शास्त्र है जिसका सम्बन्ध सार्थक संख्याओं से है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी का बहुवचन के रूप में अर्थ लिखिए।

उत्तर: सांख्यिकी का बहुवचन रूप में अर्थ सांख्यिकी के बहुवचन समूह अथवा समंकों से हैं।

प्रश्न 3. समंकों का अर्थ लिखिये।

उत्तर: समंक का अर्थ प्रतिदर्शज है। जिसका अर्थ समष्टि के संख्यात्मक गुणों को बताने वाली संख्याओं के अनुमान है।

प्रश्न 4. सांख्यिकी की कोई दो सीमाएँ लिखिए।

उत्तर:

1.केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन,

2.समूहों का अध्ययन, व्यक्तिगत इकाई का नहीं।

प्रश्न 5. व्यावहारिक सांख्यिकी का प्रयोग किन-किन क्षेत्रों में किया जाता है?

उत्तर: व्यावहारिक सांख्यिकी का प्रयोग अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाज शास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान आदि क्षेत्रों में किया जाता है।

प्रश्न 6. सांख्यिकी का जनक कौन है?

उत्तर: जर्मन विद्वान गणितज्ञ गाटफ्रायड एचेनवाल

प्रश्न 7. सांख्यिकी को एकवचन के रूप में परिभाषित कीजिए।

उत्तर: “सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रह किये गए आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना तथा निर्वचन करने की रीतियों से सम्बन्धित है।”

प्रश्न 8. सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी भाषा के किस शब्द से निकला हुआ है?

उत्तर: State (राज्य) शब्द से।

प्रश्न 9. लैटिन भाषा में State को क्या कहते हैं?

उत्तर: Status

प्रश्न 10. जर्मन भाषा में State को क्या कहते है?

उत्तर: Statistik.

प्रश्न 11. सांख्यिकी का गहरा सम्बन्ध किससे रहा है?

उत्तर: राज्य से।

प्रश्न 12. भारत के किस प्राचीन ग्रन्थ में सांख्यिकी का प्रयोग मिलता है।

उत्तर: कौटिल्य के अर्थशास्त्र में।

प्रश्न 13. सांख्यिकी का जनक कहाँ का निवासी था?

उत्तर-जर्मन का।

प्रश्न 14. सांख्यिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कब किया गया?

उत्तर: 1749 में।

प्रश्न 15. अंग्रेजी शब्द STATISTICS का प्रयोग हिन्दी में कितने प्रकार से होता है?

उत्तर: तीन प्रकार से।

प्रश्न 16. समंक क्या है?

उत्तर: समंक तथ्यों का अंकों के रूप में किया गया संग्रह मात्र है।

प्रश्न 17. कैसे तथ्यों पर आधारित ज्ञान वास्तविक तथा यथार्थ माना जाता है?

उत्तर: संख्यात्मक तथ्यों पर आधारित ज्ञान वास्तविक तथा यथार्थ होता है।

प्रश्न 18. राज्य में किसके आधार पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है?

उत्तर: राज्य में संख्यात्मक विवेचन के आधार पर ही सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है।

प्रश्न 19. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अनेक तथ्य सांख्यिकी से सम्बन्धित मिलते हैं। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कौटिल्य के अर्थशास्त्र में शासन, सामाजिक व्यवस्था, युद्ध व्यवस्था आदि से सम्बन्धित अनेक तथ्य सांख्यिकी से सम्बन्धित मिलते हैं।

प्रश्न 20. State को रोमन भाषा तथा इटली भाषा में क्या कहते हैं?

उत्तर: State को रोमन भाषा में Stato, तथा इटली भाषा में Statista कहा जाता है।

प्रश्न 21. STATISTICS के हिन्दी में प्रयोग कौन-कौन से हैं?

उत्तर: आँकड़े समंक, सांख्यिकी और प्रतिदर्शज तीन प्रकार हैं।

प्रश्न 22. सांख्यिकी की विषय सामग्री को कौन से दो भागों में बाँटा गया है?

उत्तर: सांख्यिकीय विधियाँ, व्यावहारिक सांख्यिकी।

प्रश्न 23. सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये? इसका अध्ययन कहाँ किया जाता है?

उत्तर: सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये इसका अध्ययन व्यावहारिक साख्यिकी में किया जाता है।

प्रश्न 24. व्यावहारिक समंक किससे सम्बन्धित होते

उत्तर: व्यावहारिक समंक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाज शास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान आदि से सम्बन्धित होते हैं।

प्रश्न 25. व्यावहारिक सांख्यिकी के दो भागों के नाम बताइए।

उत्तर: व्यावहारिक सांख्यिकी को दो भागों में बाँटा गया है :

वर्णात्मक सांख्यिकी, वैज्ञानिक व्यावहारिक सांख्यिकी।

प्रश्न 26. सांख्यिकी की कोई दो सीमाएं लिखिए।

उत्तर: केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही विवेचन ,समूहों का अध्ययन, व्यक्तिगत ईकाई का नहीं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: सांख्यिकी (Statistics) शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है-(i) एकवचन में तथा (ii) बहुवचन में। एकवचन में सांख्यिकी का आशय सांख्यिकी विज्ञान से लगाया जाता है जबकि बहुवचन से इसका आशय समंकों से लगाया जाता है। सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रह किये गए आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना तथा निर्वचन की रीतियों से सम्बन्धित है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी के क्षेत्र को संक्षेप में समझाइए।

उत्तर: प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र सीमित था। परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। सांख्यिकी की विषय सामग्री को दो क्षेत्रों में बाँटा गया है :

a.सांख्यिकीय विधियाँ : सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उन्हें उचित रूप में प्रस्तुत करके तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में सहायता मिलती है।

b.व्यावहारिक सांख्यिकी : सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये? इसका अध्ययन व्यावहारिक सांख्यिकी में किया जाता है। व्यावहारिक समंक, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाजशास्त्र, प्रशासन आदि से सम्बन्धित होते हैं।

प्रश्न 3. सांख्यिकीय विधियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर: सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उचित रूप से प्रस्तुत करके उन्हें तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में भी सहायता मिलती है।

सांख्यिकीय विधियों में समंकों का संकलन करना, समंकों का वर्गीकरण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण, निर्वचन, पूर्वानुमान को शामिल किया जाता है जो कि क्रमबद्ध रूप से कार्य करते हैं।

प्रश्न 4. सांख्यिकी की कोई दो सीमाओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: सांख्यिकी की दो सीमाएँ निम्नलिखित है :

a. केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन : सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन करती है। गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं करती। अर्थात् सांख्यिकी के अन्तर्गत केवल उन्हीं समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जिनकों संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सके। गुणात्मक तथ्य प्रकट करने वाले तथ्यों का प्रत्यक्ष रूप से विश्लेषणात्मक अध्ययन सांख्यिकी के अन्तर्गत नहीं किया जाता है।

b. सांख्यिकी नियम केवल औसत रूप से और दीर्घकाल में ही सत्य : सांख्यिकी नियम भौतिकी, रसायन विज्ञान अथवा खगोल शास्त्र के नियमों की भाँति पूर्ण रूप से सत्य नहीं होते तथा वे हमेशा सभी परिस्थितियों में लागू नहीं होते। वे केवल औसत रूप में समूहों में दीर्घकाल में ही लागू होते हैं।

प्रश्न 5. सांख्यिकी का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध संक्षिप्त में समझाइए।

उत्तर: सांख्यिकी और अर्थशास्त्र में गहरा सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों एवं सिद्धान्तों की नींव में सांख्यिकी समंक ही है। अर्थशास्त्र के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों स्वरूपों में सांख्यिकी अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है। आर्थिक नियमों का परीक्षण करने हेतु आगमन-निगमन प्रणाली समंकों पर ही आधारित है।

अर्थशास्त्र में जनसंख्या का सिद्धान्त, मुद्रा परिमाण सिद्धान्त, वितरण के सिद्धान्त आदि का प्रतिपादन सांख्यिकी द्वारा ही सम्भव हुआ है और इसकी जाँच सांख्यिकी विधियों द्वारा ही सम्भव है। व्यावहारिक अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय विकास की योजनाओं के निर्माण में, उनकी प्रगति का मूल्यांकन करने में सांख्यिकीय समंक आवश्यक होते हैं।

प्रश्न 6. सांख्यिकी के सम्बन्ध में ब्रिटिश विद्वान लार्ड केल्विन के विचारों को बताइए।

उत्तर: सांख्यिकी के सम्बन्ध में ब्रिटिश विद्वान लार्ड केल्विन ने लिखा है-“जिस विषय के सम्बन्ध में आप बात कर रहे हैं यदि आप उसे माप सकते हैं तथा संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप उस विषय में कुछ जानते हैं। किन्तु जब आप उसे माप नहीं सकते जब आप उसे संख्याओं में व्यक्त नहीं कर सकते तो आपका ज्ञान अल्प असन्तोषजनक प्रकृति का है।”

प्रश्न 7. सांख्यिकी विज्ञान को राज्य तन्त्र का विज्ञान क्यों कहा है?

उत्तर: राज्य की नीतियाँ समंकों पर आधारित होने के कारण सांख्यिकी विज्ञान को राज्य तन्त्र का विज्ञान या सम्राटों का विज्ञान कहा गया है। राजा विभिन्न विषयों से सम्बन्धित आँकड़े एकत्र कर उन पर आधारित निर्णय लेता है तथा भविष्य की नीतियाँ बनाता है।

प्रश्न 8. सांख्यिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ, कब और किसने किया?

उत्तर: सांख्यिकी का जनक जर्मन विद्वान गणितज्ञ गाटफ्रायड एचेनवाल ने 1749 में सर्वप्रथम Statistics शब्द का प्रयोग किया तथा सांख्यिकी को ज्ञान की विशिष्ट शाखा के रूप में स्थापित एवं विकसित किया।

प्रश्न 9. आधुनिक युग में समंकों का अधिक प्रयोग होने का क्या कारण है?

उत्तर: आधुनिक युग में समंकों का अधिक प्रयोग होने के निम्नलिखित कारण हैं :

a. वर्तमान में समंकों की माँग बढ़ रही है।

b. समंकों पर आधारित निष्कर्ष से समय श्रम की बचत होती है।

सांख्यिकीय विधियों के प्रयोग से शोधकार्यों की लागत में कमी आई है।

प्रश्न 10. सांख्यिकी (Statistics) शब्द का दूसरा अर्थ किन विधियों से है?

उत्तर: सांख्यिकी शब्द को दूसरा अर्थ उन विधियों से है जिनका प्रयोग सांख्यिकी में किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी सिद्धान्त एवं युक्तियाँ आती हैं जो मात्रा सम्बन्धी विवरण को संकलन, विश्लेषण तथा निर्वचन में काम आती है।

प्रश्न 11. सेलिगमैन के अनुसार सांख्यिकी की परिभाषा दीजिए।

उत्तर: सेलिगमैन के अनुसार, “सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रहित किये गये आँकड़ों का संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना एवं व्याख्या करने की रीतियों का विवेचन करता है।”

प्रश्न 12. सांख्यिकी के क्षेत्र को बताते हुए सांख्यिकी और विज्ञान का सम्बन्ध बताइए।

उत्तर: प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था। सांख्यिकी का जन्म राजाओं के विज्ञान के रूप में हुआ। परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। वास्तव में प्रत्येक विज्ञान में एक साधन के रूप में सांख्यिकी विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है। यह कथन सही है कि विज्ञान सांख्यिकी के बिना अधूरा है तथा सांख्यिकी विज्ञान के बिना।।

प्रश्न 13. सांख्यिकी विधियाँ क्या हैं?

उत्तर: सांख्यिकी विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उन्हें उचित रूप से प्रस्तुत करके उन्हें तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में भी सहायता मिलती है। कार्य सरलता से हो जाता है तथा समय एवं श्रम की बचत होती है।

प्रश्न 14. सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत कौन-कौन से कार्य किये जाते हैं? क्रम से बताइये।

उत्तर: सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं :

समंकों का संकलन करना,

समंकों का वर्गीकरण,

सारणीयन,

प्रस्तुतीकरण,

विश्लेषण,

निर्वचन,

पूर्वानुमान।

प्रश्न 15. व्यावहारिक सांख्यिकी में क्या अध्ययन किया जाता है?

उत्तर: सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में कैसे प्रयोग किया जाये? इसका अध्ययन व्यावहारिक सांख्यिकी में किया . जाता है। व्यावहारिक समंक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाजशास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान आदि से सम्बन्धित होते हैं। अर्थात् इसमें सांख्यिकी के सिद्धान्तों के प्रयोग के बारे में बताया जाता है। अतः यह सांख्यिकी का प्रयोगात्मक भाग है।

प्रश्न 16. ‘अयोग्य व्यक्ति के हाथ में सांख्यिकीय रीतियाँ बहुत खतरनाक औजार हैं।” स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: सांख्यिकीय रीतियों द्वारा अयोग्य तथा अनभिग्य व्यक्ति या तो निष्कर्ष नहीं निकाल पाएंगे या फिर गलत निष्कर्ष निकाल सकते हैं। अत: यूल तथा कैन्डाल ने सत्य ही कहा है कि अयोग्य व्यक्ति के हाथ में ये रीतियाँ बहुत खतरनाक औजार हैं।

प्रश्न 17. स्पष्ट कीजिए कि सांख्यिकीय रीति समस्या के अध्ययन की एकमात्र रीति नहीं है।

उत्तर: सांख्यिकीय रीति की प्रत्येक प्रकार की समस्या का एकमात्र हल नहीं माना जा सकता है। अत: सांख्यिकीय रीति द्वारा प्राप्त परिणामों को तभी सही मानना चाहिए जबकि उनकी पुष्टि अन्य प्रमाणों की सहायता से भी कर ली जाए। क्योंकि यही एकमात्र हल नहीं है।

प्रश्न 18. सांख्यिकीय में समूहों का अध्ययन किया जाता है, व्यक्तिगत इकाइयों का नहीं।” स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: सांख्यिकीय में संख्यात्मक तथ्यों की सामूहिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे देश की औसत प्रतिव्यक्ति आय। इसमें व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन नहीं किया जाता है। स्पष्ट है कि औसत प्रतिव्यक्ति आय सामूहिक विशेषता बताती है कि व्यक्तिगत। यह निर्धन, भिखारी, अमीर, गरीब, की व्यक्तिगत आय पर प्रकाश नहीं डालती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी का अर्थ बताते हुए इसके क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: सांख्यिकी का अर्थ : अंग्रेजी भाषा में सांख्यिकी को STATISTICS कहते हैं। सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द State (राज्य) से निकला हुआ है। लैटिन भाषा के State को Status रोमन भाषा में Stato जर्मन भाषा में Statistik तथा इटली भाषा में Statista कहा जाता है। इन सभी शब्दों का अर्थ राज्य से है। राज्य से सांख्यिकी का गहरा सम्बन्ध है। यह शब्द अनेक बार राज्य कार्य में निपुण व्यक्ति के लिए भी प्रयोग हुआ है। भारत में सांख्यिकी का प्रयोग अनेक प्राचीन ग्रन्थों जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र आदि में मिलता है। अंग्रेजी शब्द STATISTICS का प्रयोग हिन्दी में तीन प्रकार से होता है-आँकड़े, समंक, सांख्यिकी और प्रतिदर्शज। साधारण प्रयोग में यह आँकड़ों के अर्थ में होता है। सांख्यिकी शब्द का दूसरा अर्थ उन विधियों से है जिनका प्रयोग सांख्यिकी में किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी सिद्धान्त एवं युक्तियाँ (Device) आती हैं। जो मात्रा सम्बन्धी विवरण का संकलन, विश्लेषण तथा निर्वचन में काम आती है। Statistics (सांख्यिकी) शब्द का दूसरा प्रयोग सांख्यिकी के बहुवचन समूह अथवा समंकों के रूप में भी होता है; जैसे-जनसंख्या समंकों के रूप में।

सांख्यिकी का क्षेत्र : प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था। सांख्यिकी का जन्म राजाओं के विज्ञान के रूप में हुआ परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। वास्तव में प्रत्येक विज्ञान में एक साधन के रूप में सांख्यिकीय विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है। यह कहना सही है कि विज्ञान सांख्यिकी के बिना अधूरा है। तथा सांख्यिकी विज्ञान के बिना।

सांख्यिकी की विषय सामग्री को दो भागों में बाँटा जाता है :

1. सांख्यिकीय विधियाँ (Statistical Methods)

2. व्यावहारिक सांख्यिकी (Applied Statistics)

1. सांख्यिकीय विधियाँ : सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उन्हें उचित रूप से प्रस्तुत करके उन्हें तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में भी सहायता मिलती है। सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत निम्न कार्य आते हैं

a. समंकों का संकलन करना : इसके अन्तर्गत यह निश्चित किया जाता है कि अनुसन्धान के लिए समंक कहाँ से, कितने एवं किस ढंग से एकत्रित किये जायें।

b. समंकों का वर्गीकरण करना : समंकों को व्यवस्थित कर प्रस्तुत किया जाता है। वर्गीकृत समंकों या आँकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है।

c. सारणीयन : समंकों को व्यवस्थित कर प्रस्तुत किया जाता है। वर्गीकृत समंकों यो आँकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है।

d. प्रस्तुतीकरण : व्यवस्थित समंकों की सरल, सुव्यवस्थित एवं तुलना योग्य बनाने के लिये उन्हें बिन्दु तथा चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ताकि मस्तिष्क पर उनकी छाप पड़े।

e. विश्लेषण : समंकों का विश्लेषण सांख्यिकीय विधियों; जैसे-केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप, अपकिरण, सह-सम्बन्ध आदि के माध्यम से किया जाता है।

f. निर्वचन : इनके अन्तर्गत जाँच के विषय के सम्बन्ध में निर्वचन किया जाता है; जैसे-दो तथ्यों के बीच सह-सम्बन्ध है या नहीं।

g. पूर्वानुमान : भूत एवं वर्तमान के विश्लेषण के आधार पर भविष्य के बारे में पूर्वानुमान लगाये जाते हैं तथा पूर्व घोषणाएँ की जाती हैं।

2. व्यावहारिक सांख्यिकी : सांख्यिकीय विधियाँ सैद्धान्तिक ज्ञान प्रदान करती हैं। सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये? इसका अध्ययन व्यावहारिक सांख्यिकी में किया जाता है। उदाहरणार्थ-जनसंख्या, राष्ट्रीय आय, औद्योगिक उत्पादन, मूल्य, मजदूरी आदि के आँकड़े व्यावहारिक समंक हैं। व्यावहारिक समंक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाज शास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान आदि से सम्बन्धित होते हैं। व्यावहारिक सांख्यिकी को दो भागों में बाँटा जाता हैं :

a. वर्णात्मक सांख्यिकी : इसके अन्तर्गत किसी क्षेत्र से सम्बन्धित भूतकाल तथा वर्तमानकाल में संकलित समंकों का अध्ययन किया जाता है।

b. वैज्ञानिक व्यावहारिक सांख्यिकी : इसके अन्तर्गत विभिन्न विषयों के कुछ वैज्ञानिक नियमों के प्रतिपादन के उद्देश्य से व्यावहारिक समंकों को एकत्रित किया जाता है। मांग के नियम, व्यापार चक्र का अध्ययन इसी के उदाहरण हैं।

व्यावहारिक सांख्यिकी के अन्तर्गत विभिन्न व्यावसायिक समस्याओं का अध्ययन, विश्लेषण एवं समाधान हेतु सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाता है अर्थात् सांख्यिकी का क्षेत्र काफी व्यापक है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी को संक्षेप में समझाइए। इसके अर्थशास्त्र से सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए। वर्तमान समय में सांख्यिकी का महत्त्व क्या है?

उत्तर: सांख्यिकी का अर्थ : अंग्रेजी भाषा में सांख्यिकी को STATISTICS कहते हैं। सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द State (राज्य) से निकला हुआ है। लैटिन भाषा के State को Status रोमन भाषा में Stato जर्मन भाषा में Statistik तथा इटली भाषा में Statista कहा जाता है। इन सभी शब्दों का अर्थ राज्य से है। राज्य से सांख्यिकी का गहरा सम्बन्ध है। यह शब्द अनेक बार राज्य कार्य में निपुण व्यक्ति के लिए भी प्रयोग हुआ है। भारत में सांख्यिकी का प्रयोग अनेक प्राचीन ग्रन्थों जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र आदि में मिलता है। अंग्रेजी शब्द STATISTICS का प्रयोग हिन्दी में तीन प्रकार से होता है-आँकड़े, समंक, सांख्यिकी और प्रतिदर्शज। साधारण प्रयोग में यह आँकड़ों के अर्थ में होता है। सांख्यिकी शब्द का दूसरा अर्थ उन विधियों से है जिनका प्रयोग सांख्यिकी में किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी सिद्धान्त एवं युक्तियाँ (Device) आती हैं। जो मात्रा सम्बन्धी विवरण का संकलन, विश्लेषण तथा निर्वचन में काम आती है। Statistics (सांख्यिकी) शब्द का दूसरा प्रयोग सांख्यिकी के बहुवचन समूह अथवा समंकों के रूप में भी होता है; जैसे-जनसंख्या समंकों के रूप में।

सांख्यिकी का महत्व या उपयोगिता : आधुनिक सभ्यता के युग में सांख्यिकी का महत्त्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है। आज जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ किसी-न-किसी रूप में सांख्यिकी का प्रयोग होता हो। यही कारण है कि आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक समस्याओं के सुलझाने में सांख्यिकी विज्ञान की सहायता ली जाती है। इतना ही नहीं वैज्ञानिक, प्रशासकीय अन्य विश्लेषणों में भी आजकल सांख्यिकी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। डॉ. बाउले ने ठीक कहा है, “सांख्यिकी का ज्ञान किसी विदेशी भाषा अथवा बीजगणित के ज्ञान की भाँति है, जो किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में, उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

प्रो. वॉकर का यह कथन अक्षरशः सत्य प्रतीत होता है कि “एक चौंकाने वाली सीमा तक हमारी संस्कृति सांख्यिकीय संस्कृति बन चुकी है।” सेक्राइस्ट ने भी सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए कहा है कि “व्यापार, सामाजिक नीति तथा राज्य से सम्बन्धित शायद ही कोई ऐसी समस्या हो, जिसको समझने के लिये समंकों की आवश्यकता पड़ती हो।”

सांख्यिकी का क्षेत्र : प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था। सांख्यिकी का जन्म राजाओं के विज्ञान के रूप में हुआ परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। वास्तव में प्रत्येक विज्ञान में एक साधन के रूप में सांख्यिकीय विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है। यह कहना सही है कि विज्ञान सांख्यिकी के बिना अधूरा है। तथा सांख्यिकी विज्ञान के बिना।

सांख्यिकी का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध : सांख्यिकी और अर्थशास्त्र का गहरा सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों एवं सिद्धान्तों की नींव में सांख्यिकी समंक ही हैं। प्रोफेसर मार्शल ने लिखा है-समंक वे कण है जिनसे प्रत्येक अर्थशास्त्री की। भाँति मुझे भी (आर्थिक नियमों की) ईंटें बनानी पड़ती हैं। अर्थशास्त्र के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों स्वरूपों में सांख्यिकी अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है। आर्थिक नियमों का परीक्षण करने हेतु आगमन-निगमन प्रणाली समंकों पर ही आधारित है। अर्थशास्त्र में जनसंख्या का सिद्धान्त, मुद्रा परिमाण सिद्धान्त, वितरण के सिद्धान्त आदि का प्रतिपादन सांख्यिकी द्वारा ही सम्भव हुआ है और इसकी जाँच सांख्यिकीय विधियों द्वारा ही सम्भव है। व्यावहारिक अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय विकास की योजनाओं के निर्माण में, उनकी प्रगति का मूल्यांकन करने में सांख्यिकी समंक आवश्यक होते हैं। योजनाओं की सफलता को प्रदर्शित करने हेतु चित्रों आरेखों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3. सांख्यिकी को परिभाषित कीजिए। सांख्यिकी की सीमाओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: सांख्यिकी की परिभाषा : सांख्यिकी की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। क्वेट्लेट ने 1869 में सांख्यिकी की परिभाषाओं की सूची बनाई थी। जॉन ग्रिफिन ने लिखा है, “सांख्यिकी को परिभाषित करना कठिन है।”

बाउले के अनुसार : “सांख्यिकी गणना का विज्ञान है। एक अन्य स्थान पर बाउले ने लिखा है कि “सांख्यिकी को उचित रूप से साध्यों का विज्ञान कहा जा सकता है।”

सेलिगमैन के अनुसार : “सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रहित किये गये आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना एवं व्याख्या करने की रीतियों का विवेचन करता है। सांख्यिकी के क्षेत्र में यह परिभाषा व्यापक मानी जाती है। उपर्युक्त सभी परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि अर्थशास्त्रियों की भाँति सांख्यिकी में भी विषय की परिभाषा के रूप में मतभेद है। यह मतभेद इसलिए भी है क्योंकि सांख्यिकी की आदर्श परिभाषा देना सरल कार्य नहीं है।

सांख्यिकी की सीमाएँ : सांख्यिकी की निम्नलिखित सीमाएँ हैं :

a. केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन : सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन करती है। गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं करती। अर्थात् सांख्यिकी के अन्तर्गत केवल उन्हीं समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जिनको संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सके; जैसे-आयु, ऊँचाई, उत्पादन, मूल्य, मजदूरी आदि। गुणात्मक स्वरूप प्रकट करने वाले तथ्य का प्रत्यक्ष रूप से विश्लेषणात्मक अध्ययन सांख्यिकी के अन्तर्गत नहीं किया जाता।

b. समूहों को अध्ययन, व्यक्तिगत ईकाई का नहीं : सांख्यिकी के अन्तर्गत संख्यात्मक तथ्यों की सामूहिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे-देश की औसत प्रति व्यक्ति आय। यह औसत प्रति व्यक्ति आय केवल सामूहिक विशेषताओं पर ही प्रकाश डालती है।

c. समस्या के अध्ययन की एक मात्र रीति नहीं : सांख्यिकीय रीति समस्या के अध्ययन की एकमात्र रीति नहीं है। सांख्यिकीय रीति को प्रत्येक प्रकार की समस्या का सर्वोत्तम हल करने की एकमात्र रीति नहीं समझना चाहिए। सांख्यिकी रीति द्वारा प्राप्त परिणामों को तभी सही मानना चाहिए जब अन्य रीतियों के द्वारा जैसे प्रयोग निगमन आदि की सहायता से या अन्य प्रमाणों से यह पुष्ट हो जाए।

d. प्राप्त निष्कर्ष भ्रामक हो सकते है : सांख्यिकी निष्कर्षों को भली भाँति समझने के लिए उनके सन्दर्भो का भी अध्ययन करना आवश्यक है अन्यथा वे असत्य सिद्ध हो सकते हैं।

e. सांख्यिकी नियम केवल औसत रूप से और दीर्घकाल में ही सत्य : सांख्यिकी नियम भौतिकी, रसायन विज्ञान अथवा खगोल शास्त्र के नियमों की भाँति पूर्ण रूप से सत्य नहीं होते तथा वे हमेशा तथा सभी परिस्थितियों में लागू नहीं होते। वे केवल औसत रूप में समूहों में दीर्घकाल में ही लागू होते हैं।

f. विशेषज्ञ ही प्रयोग करें : सांख्यिकी की एक सीमा यह भी है कि इसका प्रयोग विशेषज्ञों को ही करना चाहिए। क्योंकि अयोग्य या अनभिज्ञ व्यक्ति इसकी रीतियों के प्रयोग से भ्रामक अथवा गलत निष्कर्ष निकाल सकते हैं।

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