11th_भूगोल_मासिक_परीक्षा_2021-22

11th_भूगोल_मासिक_परीक्षा_2021-22

झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् रांची झारखंड।

मासिक परीक्षा 2021-22

कक्षा : 11

विषय : भूगोल

माह : फरवरी

समय :2 घंटे

पूर्णांक - 40

 

सामान्य निर्देश-

सभी प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य हैं।

प्रश्न संख्या 1 से 10 तक बहुविकल्पीय है। सभी प्रश्न एक अंक के हैं। सही विकल्प का चयन करें।

प्रश्न संख्या 11 से 14 तक दो-दो अंक के हैं। (एक वाक्य में उत्तर दें।)

प्रश्न संख्या 15 से 18 तक तीन अंक के हैं। (50 शब्दों में उत्तर दें।)

प्रश्न संख्या 19 एवं 20 तक पांच-पांच अंक के हैं। (100 शब्दों में उत्तर दें।)

 

प्रश्न 1. भारत का कुल क्षेत्रफल कितना है?

(क) 30,87,263 वर्ग किमी.।

(ख) 32,87,263 वर्ग किमी.।

(ग) 32,90,342वर्ग किमी.।

(घ) 32,92,263 वर्ग किमी.।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा भारत का मानक याम्योत्तर है?

(क) 69 डिग्री 30 मिनट पूर्व।

(ख) 75 डिग्री 30 मिनट पूर्व।

(ग) 82 डिग्री 30 मिनट पूर्व।

(घ) 90 डिग्री 30 मिनट पूर्व।

प्रश्न 3. क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में भारत का कौन सा स्थान है?

(क) पाँचवा।

(ख) दूसरा।

(ग) सातवाँ।

(घ) तीसरा।

प्रश्न 4. भारत की मुख्य भूमि की उत्तर से दक्षिण अधिकतम लंबाई कितनी है?

(क) 3214 किलोमीटर

(ख) 3540 किलोमीटर

(ग) 2510 किलोमीटर

(घ) 2933 किलोमीटर

प्रश्न 5. हिमालय की उत्पत्ति से पूर्व यहाँ क्या था ?

(क) गोंडवानालैंड।

(ख) लौरेंशिया शिल्ड।

(ग) विस्तृत मैदान।

(घ) टेथिस सागर।

प्रश्न 6. प्रसिद्ध "फूलों की घाटी" किस राज्य में स्थित है?

(क) कर्नाटक।

(ख) उत्तराखंड

(ग) बिहार।

(घ) झारखंड

प्रश्न 7. नीलगिरी पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?

(क) अनाईमुडी।

(ख) गुरु शिखर

(ग) दोदाबेटा।

(घ) महेंद्रगिरी।

प्रश्न 8 भारत में स्थित हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?

(क) कंचनजंगा।

(ख) महेंद्रगिरी।

(ग) नंगा पर्वत।

(घ) दोदाबेटा।

प्रश्न 9. पाक जल डमरूमध्य किन दो देशों के मध्य स्थित है?

(क) भारत और श्रीलंका।

(ख) भारत और पाकिस्तान।

(ग) भारत और बांग्लादेश।

(घ) भारत और मालदीव।

प्रश्न 10. आंध्र प्रदेश में स्थित तटीय भाग क्या कहलाता है?

(क) कोंकण तट।

(ख) कोरोमंडल तट।

(ग) मालाबार तट।

(घ) उत्तरी सरकार तट।

प्रश्न 11. क्षेत्रफल के आधार पर विश्व में, भारत से बड़े 6 देशों के नाम बताएं?

उत्तर: भारत का विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवाँ स्थान है। इससे बड़े छः अन्य देश हैं-

(1) रूस,

(2) संयुक्त राज्य अमेरिका,

(3) कनाडा,

(4) चीन,

(5) ब्राजील,

(6) आस्ट्रेलिया।

प्रश्न 12. भारत की लंबी तट रेखा के किन्ही दो लाभ को लिखें?

उत्तर: 1. भारत की सम्पूर्ण तटरेखा द्वीप समूहों सहित 7,516.6 किलोमीटर है। देश की बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के रूप में लम्बी तटरेखा समुद्री यातायात और पर्यावरणीय दृष्टि से लाभदायक है।

2. लम्बी तटरेखा जहाँ एक ओर सस्ता जल यातायात प्रदान करती है वहीं यह समुद्री संसाधन प्रदान करने और स्थानीय जलवायु की दृष्टि से भी लाभप्रद होती है।

प्रश्न 13. खादर भूमि से आपका क्या तात्पर्य है?

उत्तर: बाढ़ की नवीन जलोढ़ मिट्टी से निर्मित निचले मैदानों को खादर कहते हैं। यह संपूर्ण भाग बाढ़ का मैदान है।

अथवा

बांगर भूमि से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: पुराने जलोढ़ अवसादों से निर्मित उच्च आकार के भू स्थल को बांगर कहते हैं। ऊँचाई के कारण बाढ़ का जल यहाँ तक नहीं पहुँचता है।

प्रश्न 14. भारत के पश्चिम तटीय मैदान पर डेल्टा का निर्माण क्यों नहीं होता है?

उत्तर: भारत के पश्चिमी भागों में बहने वाली नदियों की ढाल काफी तीव्र है, इसलिए ये नदियाँ अपने मुहाने पर अनेक भागों में न बहकर एक भाग में बहती हैं। अर्थात ये नदियाँ डेल्टा न बनाकर ज्वारनदमुख बनाती हैं। इसलिए पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई भी डेल्टा नहीं है।

प्रश्न 15. भाबर तथा तराई क्षेत्र में क्या अंतर है?

उत्तर: भाबर

•> उत्तर भारत में शिवालिक के गिरिपद प्रदेश में सिंधु नदी से तीस्ता नदी तक के क्षेत्र को 'भाबर' कहा जाता है। यह भू-भाग हिमालयी नदियों द्वारा लाए गए पत्थर, कंकड़, बजरी आदि के जमाव से बना है।

•> इसकी चौड़ाई सामान्यतः 8 से 10 किमी. है।

•> इस भू-भाग में छोटी नदियाँ पत्थर, कंकड़, बजरी के ढेर के नीचे से प्रवाहित होने के कारण अदृश्य हो जाती हैं।

•> यह क्षेत्र कृषि के लिये उपयुक्त नहीं होता है।

तराई

•> यह क्षेत्र भाबर प्रदेश के दक्षिण का दलदली क्षेत्र है तथा बारीक कंकड़, पत्थर, रेत तथा चिकनी मिट्टी से बना है। इसकी चौड़ाई सामान्यतः 10 से 20 किमी. है।

•> भाबर क्षेत्र में जो नदियाँ अदृश्य हो जाती हैं, वे तराई क्षेत्र के धरातल में पुनः दृश्यमान हो जाती हैं। वर्षा की अधिकता के कारण तराई का विस्तार पश्चिम की अपेक्षा पूर्व में अधिक पाया जाता है।

•> इस क्षेत्र में ढाल की कमी के कारण पानी बिखरा हुआ बहता है, जिससे इस क्षेत्र की भूमि सदैव नम रहती है एवं कृषि के लिये विशेषकर-गन्ना, चावल एवं गेहूँ हेतु अधिक उपयुक्त है।

प्रश्न 16. उपमहाद्वीप किसे कहते हैं ? भारतीय उपमहाद्वीप में सम्मिलित देशों के नाम लिखें।

उत्तर: पृथ्वी पर मौजूद ऐसा भूभाग जो किसी महाद्वीप का हिस्सा होते हुए भी प्राकृतिक रूप से उससे अलग प्रतीत होता है उपमहाद्वीप कहलाता है जैसे भारतीय उपमहाद्वीप एशिया महाद्वीप का हिस्सा होते हुए भी प्राकृतिक रूप से हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के द्वारा एशिया से अलग किया गया है।

उपमहाद्वीप" आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करता है, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव और श्रीलंका शामिल है। इसमें कभी-कभी अफगानिस्तान को भी शामिल किया जाता है।

प्रश्न 17. भारत की सबसे पूर्वी भाग अरुणाचल प्रदेश और सबसे पश्चिमी भाग गुजरात के स्थानीय समय में 2 घंटे का अंतर क्यों है?

उत्तर: भारत का देशांतरीय विस्तार 68°7' पूर्व से लेकर 97°25'पूर्व तक है। भारत में देशांतरी विस्तार 30° पूर्व तक है। अर्थात अक्षांस और देशांतर का विस्तार लगभग 30° है। सूरज की किरणें एक देशांतर को पार करने में चार मिंट का समय लगाती है। अर्थात् 30° के देशांतर को पार करने में कुल 30 x 4 = 120 मिनट = 2 घंटे का समय लगता है। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की और घूमती है इसलिए उत्तरांचल प्रदेश में सूर्य पहले दीखता है जबकि गुजरात में सूर्य दो घंटे बाद दिखता है।

गुजरात और अरुणाचल प्रदेश की घड़ी एक ही समय दर्शाती है क्योंकि 82°30 पूर्व देशांतर रेखा को भारत की मानक याम्योत्तर माना गया है।

प्रश्न 18. भारत की स्थलीय सीमा रेखा किन किन देशों के साथ लगती है?

उत्तर: भारत की कुल स्थलीय सीमा 15,106 किलोमीटर है, इसमें 92 जिले और 17 राज्य शामिल हैं। भारत की स्थलीय सीमा पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफ़ग़ानिस्तान  लगती है।

प्रश्न 19. भारत के भू-आकृतिक खंडों को मानचित्र की सहायता से दर्शाए।

उत्तर: भारतीय उपमहाद्वीप उच्चावच के दृष्टिकोण से विभिन्न स्थलाकृतियों का अनोखा सम्मिश्रण है। ये सभी उच्चावच भिन्न-भिन्न समयांतरालों पर हुए भूगर्भिक हलचलों व बाह्य कारकों का सम्मिलित परिणाम हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप की वर्तमान भू-वैज्ञानिक संरचना व इसके क्रियाशील भू-आकृतिक प्रक्रम मुख्यत: अंतर्जनित व बहिर्जनिक बलों तथा प्लेट के क्षैतिज संचरण की अंत:क्रिया के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आए हैं। भू-वैज्ञानिक संरचना व शैल समूह की भिन्नता के आधार पर भारत को तीन भू-वैज्ञानिक खंडों में विभाजित किया जाता है,

भौतिक लक्षणों पर आधारित हैं- जो प्रायद्वीपीय खंड हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वतमालाएँ

* सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान किसी स्थान की भू-वैज्ञानिक संरचना, प्रक्रिया और विकास की अवस्था का परिणाम है। भारत में धरातलीय विभिन्नताएँ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं जिसके आधार पर भारत को निम्नलिखित भौगोलिक आकृतियों में विभाजित किया जाता है-

उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी हिमालय

यह उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक लगभग 2,500 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है। इसकी रचना टर्शियरी काल के अल्पाइन भूसंचलन के कारण हुई है।

पूर्व की अपेक्षा पश्चिमी भाग अधिक चौड़ा है, जो पश्चिम में लगभग 400 किलोमीटर तथा पूर्व में लगभग 160 किलोमीटर तक चौड़ा है। इसका प्रमुख कारण पूर्व में अभिसारी सीमांत पर दबाव बल का अधिक होना है।

पूर्व में दबाव बल के अधिक होने के कारण पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अधिक ऊँचे हैं। यही कारण है कि 'माउंट एवरेस्ट' और 'कंचनजंगा' जैसी ऊँची पर्वत चोटियाँ पूर्वी हिमालय में ही विद्यमान हैं। इसके साथ ही, हिमालय की श्रेणियाँ भारत की ओर उत्तल तथा तिब्बत की ओर अवतल हो गई हैं।

* प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार, हिमालय की उत्पत्ति यूरेशियन प्लेट और भारतीय प्लेट के आपस में टकराने तथा इन दोनों प्लेटों के बीच में स्थित 'टेथिस सागर' के अवसादों में वलन पड़ने के कारण हुई है।

उत्तर से दक्षिण की ओर फैले उत्तरी पर्वतीय प्रदेश को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-

* ट्रांस हिमालय;

* वृहद् हिमालय या आंतरिक हिमालय;

* लघु हिमालय या मध्य हिमालय;

शिवालिक या बाह्य हिमालय;

* उत्तर-पूर्वी हिमालय।

उत्तर-दक्षिण के अतिरिक्त हिमालय का नदी घाटियों की सीमाओं के आधार पर प्रादेशिक विभाजन किया जा सकता है। प्रादेशिक विभाजन की संकल्पना 'सिडनी बुर्रार्ड' ने दी थी।

* पंजाब हिमालय- सिंधु-सतलुज नदी के बीच, लंबाई-560 किमी. (कश्मीर हिमालय + हिमाचल हिमालय) - (काराकोरम, लद्दाख, पीरपंजाल, जास्कर व धौलाधर पर्वत श्रेणियाँ)।

* कुमाऊँ हिमालय- सतलुज-काली नदी के बीच, लंबाई-320 किमी. (भागीरथी व यमुना का उद्गम स्रोत, नंदा देवी चोटी इस पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी है) ।

* नेपाल हिमालय- काली-तीस्ता नदी के बीच, लंबाई-800 किमी. (माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा, धौलागिरी, मकालू पर्वत श्रेणियाँ)।

* असम हिमालय- तीस्ता-दिहांग-ब्रह्मपुत्र नदी के बीच , लंबाई- 750 किमी., (कुला-कांगड़ी, नामचा बारवा, नगापहाड़ी का क्षेत्र)

प्रश्न 20. प्रायद्वीप से आप क्या समझते हैं? भारत के प्रायद्वीप पठार की किन्हीं तीन विशेषताओं को लिखें।

उत्तर: प्रायद्वीप (संस्कृत: प्रायद्वीप; प्राय=लगभग, द्वीप=द्वीप) प्रायद्वीप भूमि के वो भाग होते हैं जिनके तीन तरफ जल तथा एक ओर स्थल होती है।

विशेषता:

1. प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है।

2. यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था तथा यही कारण है कि यह प्राचीनतम भूभाग का एक हिस्सा है।

3. इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं। इस पठार के दो मुख्य भाग हैं- 'मध्य उच्चभूमि तथा 'दक्कन का पठार ।

4. नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है।

अथवा

हिंद महासागर के शीर्ष पर स्थित भारत की केंद्रीय स्थिति क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: दक्षिण का पठार हिन्द महासागर में शीर्षवत फैला हुआ है और पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों के साथ-साथ पूर्व एशिया के देशो में भी पूर्वी तट के माध्यम से निकटतम सम्बन्ध बनाए हुए है। हिन्द महासागर में किसी भी देश की तटीय सीमा भारत जैसी नहीं है। भारत की इसी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण एक महासागर का नाम इसके नाम पर रखा गया है। हिन्द महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति से इसे निम्न प्रकार लाभ प्राप्त हुआ है:

(i) भारत का विश्व के देशों के साथ युगों पुराना सम्बन्ध है परन्तु समुद्री मार्गों की अपेक्षा स्थलीय मार्गो से उसके सम्बन्ध अधिक पुराने है।

(ii) इन मार्गों से विचारो और वस्तुओं का आदान-प्रदान होता रहा उपनिषदो के विचार, रामायण तथा पंचतंत्र की कहानिया, भारतीय अंक एवं दसमलव प्रणाली आदि संसार के विभिन्न भागो तक पहुँच सकी। मसाले, मलमल आदि कपड़े तथा व्यापार के अन्य सामान भारत से विभिन्न देशों में ले जाये जाते थे।

(iii) उत्तर में परवर्तीय दर्रे विदेशियों और प्राचीन यात्रियों को मार्ग प्रदान कर रहे थे। भारत की उपजाऊ घाटी ने बहुत से विदेशियों और विजेताओं को अपनी ओर आकर्षित किया।

(iv) मध्यकाल में आने वाले मंगोलो, तुर्को अरबों और पारसियों ने भारत में स्थापत्य कला को समृद्ध किया यूनानी स्थापत्यकला तथा पश्चिमी एशिया की वास्तुकला के प्रतीक मीनारों और गुलबंदो का प्रभाव हमारे देश के विभिन्न भागों में देखा गया।

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