झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021-2022)
प्रतिदर्श प्रश्न पत्र सेट- 03
कक्षा-12 |
विषय- हिंदी (ऐच्छिक) |
समय- 1 घंटा 30 मिनट |
पूर्णांक- 40 |
सामान्य
निर्देश:
»
परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।
»
इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
»
सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।
»
प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।
खंड
- 'क' (अपठित बोध)
01. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
02+02+02= 06
भारतीय समाज में नारी की स्थिति सचमुच विरोधाभासपूर्ण रही है । संस्कृति
पक्ष से उसे 'शक्ति' माना गया है तो लोक पक्ष से उसे 'अबला' कहा गया है। सदियों के
संस्कारों की जड़ें इतनी गहरी होती है कि उन्हें न तो कुछ वर्षों की शैक्षणिक प्रगति
खोद सकती है, न कुछेक आंदोलनों से उन्हें हिलाया जा सकता है। अतः स्थिति पूर्ववत ही
बनी रही। यह स्थिति कई मामलों में अब भी उलझी हुई है और दिशा अस्पष्ट है, क्योंकि यहाँ
हर प्रश्न को पश्चिमी आईने में देखा गया। तटस्थ समाजशास्त्रीय दृष्टि इस बारे में नहीं
रही। हमारे यहाँ विभिन्न समाजों में स्त्रियों की स्थिति और प्रगति बहुत कुछ स्थानीय,
सामुदायिक व जातीय परंपराओं पर आधारित है।
(क) हमारे देश में नारियों की स्थिति पूर्ववत ही क्यों बनी हुई है
?
उत्तर:
सदियों के परंपराओं से जकड़ने, अशिक्षा आदि के कारण हमारे देश में नारियों की स्थिति
पूर्ववत् ही बनी हुई है।
(ख) स्त्रियों को सांस्कृतिक रूप से किसकी संज्ञा दी गई है ?
उत्तर:
स्त्रियों को सांस्कृतिक रूप से शक्ति की संज्ञा दी गई है।
(ग) उपर्युक्त गदयांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए ।
उत्तर:
नारी की स्थिति।
अथवा
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
रण- बीच चौकड़ी भर-भर कर
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था।
गिरता न कभी चेतक - तन पर
राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर
या आसमान पर घोड़ा था।
जो तनिक हवा से बाग़ हिली
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था।
(क) चेतक कौन था ?
उत्तर:
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम 'चेतक' था।
(ख) चेतक को निराला क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
चेतक की चौकड़ी अद्भुत थी। वह वायु वेग से दौड़ता था। इसी कारण उसे निराला कहा गया
है।
(ग) राणा की पुतली फिरी नहीं तब तक चेतक मुड़ जाता था' - पंक्ति में
चेतक की क्या विशेषता बताई गई है?
उत्तर:
चेतक की दौड़ अपूर्व थी। पलक झपकते ही बुहत दूर चला जाता था। राणा के पलक झपकते ही
वह मुड़कर दूर चला जाता था।
खंड
- 'ख' (अभिव्यक्ति और माध्यम)
02. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 05+05=10
(क) स्वच्छता अभियान' अथवा 'मेरी प्रिय पुस्तक' विषय पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर: "स्वच्छता अभियान"
स्वच्छ
भारत अभियान एक देशव्यापी स्वच्छता अभियान है जिसका उद्देश्य देश भर में लोगों को स्वच्छता
को लेकर जागरूक करना है, महात्मा गाँधी ने सर्वप्रथम देश को अपने आस-पास को स्वच्छ
बनाए रखने की शिक्षा दी थी, इसलिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा
गाँधी की 145वीं जयंती पर 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी।
इस
अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत में सार्वजनिक शौचालयों को बनवाकर लोगों को खुले में
शौच करने से रोकना है जिससे खुले में फैल रही गन्दगी से मुक्ति मिल सके। स्वच्छ भारत
मिशन का लक्ष्य 2019 तक 1.2 करोड शौचालयों को बनवाकर देश को शौच-मुक्त भारत घोषित करना
है। गाँवों में धुआँ-युक्त वातावरण को समाप्त करने हेतु उज्ज्वला योजना द्वारा गैस
का कनेक्शन भी दिया जा रहा है। हर प्रकार से भारत को प्रदूषण मुक्त करने का उद्देश्य
है।
इसलिए
हर साल 2 अक्टूबर को सभी स्कूलों तथा कार्यालयों में स्वच्छ भारत अभियान के लिए कार्यक्रम
रखे जाते हैं और इस दिन विद्यार्थियों को स्वच्छ रहने तथा अपने आस-पास की स्वच्छता
बनाये रखने की शिक्षा दी जाती है।
इस
अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने साफ शहरों की सूची भी जारी करने की घोषणा की थी
जिससे यह पता चलता है कि कौन-सा शहर सफाई में कितनी प्रगति कर रहा है। स्वच्छता में
भगवान् का वास होता है अतः हम सभी को मिलजुल कर यह कोशिश करना चाहिए कि हम अपने मोहल्ले,
गली तथा गाँव की सफाई में अपना पूरा योगदान दें।
अथवा
"मेरी प्रिय पुस्तक"
गोदान
का मूल्यांकन करते हुए बड़े-बड़े आलोचकों द्वारा की गई बड़ी-बड़ी बातों की एक लम्बी
श्रृंखला है, परंतु मुझे सबसे अधिक आकर्षित करती है उसकी स्वाभाविक यथार्थता । जमींदारी
तथा महाजनी व्यवस्था के बीच पिसते एक आम आदमी की त्रासदी का जितना तटस्थ, आत्मीय और
स्वाभाविक चित्रण प्रेमचन्द ने गोदान में प्रस्तुत किया है वह हिन्दी उपन्यासों में
उनके बाद कभी देखने को नहीं मिला।
'गोदान'
को अन्य विशेषताओं में ग्राम्य-समाज तथा कृषि-संस्कृति का यथार्थ चित्रण उल्लेखनीय
महत्त्व रखता है। वर्ग-विभेद, शोषण, भाईचारा, स्वार्थ, पुरुष, नारी, जमीन्दार, साहूकार,
क्षक और बुद्धिजीवी इन सबका प्रतिनिधि चित्रण प्रस्तुत कर प्रेमचन्दजी ने प्रमाणित
कर दिया है कि कृषि-संस्कृति ही नहीं, शहरी बुद्धिजीवी वर्ग का अनुभव भी उन्होंने अत्यंत
निकटता के साथ प्राप्त किया था और अपने अनुभवों को महाकाव्यात्मक समग्रता के साथ उपन्यासों
के रूप में प्रस्तुत कर देने में उन्हें पूरी दक्षता प्राप्त थी।
'गोदान'
का नायक होरी एक सरल-सीधा व्यक्ति है। प्रतिष्ठा तथा सज्जनता के मूल्य की रक्षा के
लिए किसी भी सीमा तक जाकर कष्ट सहन कर लेना उसका स्वाभाव है। वह विनोदी स्वभाव का भी
है और उसमें कुछ भावनात्मक कमजोरियां भी हैं जिनमें एक प्रमुख है पारंपरिक मूल्यों
में आस्था और उनकी रक्षा के लिए किसी भी कष्ट या अभाव को अपने माथे पर स्वीकार कर लेना
। उसकी पत्नी धनिया प्रायः विद्रोही स्वभाव की औरत है और होरी की जीवन-पद्धति से वह
बार-बार अपनी असहमति प्रकट करती जाती है, परंतु होरी को नकार कभी नहीं पाती। द्वार
पर अपनी एक गाय पालने की लालसा लिए होरी चल बसता है तो ब्राह्मण द्वारा गोदान आवश्यक
बताने पर वह उस रुपये को आंचल के खुंट से खोलकर दे देती है जो होरी ने गाय खरीदने के
लिए जमा कर रखे थे। इस प्रसंग में प्रकट करुण नाटकीय व्यंग्य पाठक को स्तब्ध कर जाता
है।
यह
संसार शील तथा रूप-रंग की विविधताओं से भरा हुआ है और 'गोदान' में यह विविधता पूरी
निष्पक्षता से पाठक के समक्ष परोस दी गयी है फिर भी इतना तो स्पष्ट हो जाता है कि प्रेमचन्द
जी की पक्षधरता आम जन के साथ है। होरी तथा धनिया के अलावा गोबर, झुनिया, राय साहब
(जमीन्दार), मिस्टर मेहता, मिस मालती, दातादीन, मातादीन, सिलिया आदि 'गोदान' के प्रमुख
चरित्र हैं जो सामाजिक विडंबनाओं के अनेक पक्ष उद्घाटित करते चले जाते हैं। होरी आदि
किसान-मजदूर वर्ग जमीन्दारी लगान, नजराना आदि से तो परेशान है ही परन्तु आपसी राग-द्वेष
की भी उसमें कमी नहीं है। जमीन्दार वर्ग की आय का आधार तो गाँव है परन्तु उसका सारा
ताम-झाम शहरों में और शहरीरीति का है। उसमें भी आपसी टकराव तथा खींच-तान कम नहीं है
। गोदान में चित्रित समाज एक ऐसा समाज है जो अपनी स्वस्थता गाँव और शहर दोनों में खो
चुका है । मानवीयता तथा सज्जनता में विश्वास करने वाला घाटे में रहता तथा मारा जाता
है ।
अंततः
'गोदान' में आम जन में जमीन्दार वर्ग तथा महाजनों' के प्रति विकसित हो रही विद्रोह-भावना
का चित्रण किया गया है, जिसका प्रमुख प्रतिनिधि गोबर बनता है, परन्तु उसका पक्ष अंतत:
कमजोर पड़ जाता है और होरी की पारंपरिकता कायम रह जाती है। इस विडंबना का चरम रूप होरी
के खेत से बेदखल हो मजदूर बन जाने तथा उसकी मृत्यु में दिखायी पड़ता है।
प्रेमचन्द
ने 'गोदान' लिखकर प्रमाणित कर दिया था कि महाकाव्यात्मक रचना का नायक कोई आम आदमी भी
बन सकता है । होरी जैसा सजीव पात्र हिन्दी कथा-साहित्य में दूसरा नहीं मिलता।
(ख) अपने नगर की सड़कों की दुर्दशा का चित्रण करते हुए नगरपालिका अध्यक्ष
को शिकायती पत्र लिखें।
उत्तर:
सेवा में,
अध्यक्ष महोदय
नगरपालिका, दुमका
विषय
: आदर्श रोड की दुर्दशा
महोदय,
मैं आपका ध्यान इस क्षेत्र की सड़कों की
दुर्दशा की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। इस क्षेत्र का नाम तो आदर्श रोड, दुमका है परन्तु
यहाँ की सड़कों को देखकर मन क्षुब्ध हो उठता है। इस क्षेत्र की सड़कों में बड़े-बड़े
गड्ढे बन गये हैं। नित्य ही अनेक वाहन इनके कारण दुर्घटनाग्रस्त होते हैं तथा अनेक
व्यक्ति मृत्यु की गोद में जाने के लिए विवश होते हैं।
बरसातों
में इन गड्ढों में पानी भर जाता है तथा अनेक दुर्घटनाएं होती हैं। वर्षा ऋतु के बाद
इन सड़कों पर गड्ढ़ों की संख्या इतनी बढ़ जाती है कि इनपर वाहन चलाना मृत्यु को निमंत्रण
देने से कम नहीं होता। रात में तो इस सड़क पर चलना और भी खतरनाक है।
सड़क
की दुर्दशा के कारण हमारे क्षेत्र का आवागमन ठप्प पड़ गया है। कृपया इस क्षेत्र की
सड़कों की मरम्मत करने का शीघ्र आदेश दें।
धन्यवाद।
दिनांक
: 20.03.2022
भवदीय
क्षेत्र निवासी
आदर्श रोड,दुमका
(ग) नया राशन कार्ड बनवाने के लिए जिला-आपूर्ति पदाधिकारी को एक प्रार्थना-पत्र
लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
जिला आपूर्ति पदाधिकारी,
जामताड़ा।
विषय-नया
राशन कार्ड बनवाने के संबंध में।
महोदय,
मैं गाँधी चौक जामताड़ा का रहने वाला हूँ।
मेरा राशन कार्ड पूरी तरह से भर गया है। अगले महीने राशन लेने से पहले नया राशन कार्ड
बनवाना आवश्यक एवं अपेक्षित है।
आप
निवेदन है कि शीघ्र नया राशन कार्ड निर्गत करने की कृपा करें। पुराने राशन कार्ड की
छायाप्रति संलग्न है। इसके लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा।
तिथि-24
मार्च 2022
भवदीय
सुभाष
(घ) एक अच्छी रिपोर्ट की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
रिपोर्ट (प्रतिवेदन) की विशेषताएँ : एक अच्छे रिपोर्ट की निम्नलिखित विशेषताएँ गुण
है-
(1)
तथ्यात्मकता रिपोर्ट की प्रमुख विशेषता है।
(2)
रिपोर्ट के तथ्यों का प्रमाणिक होना, उसकी दूसरी विशेषता है।
(3)
रिपोर्ट का अतथ्यात्मक, भ्रामक, अप्रामाणिक या अनुत्तरदायित्वपूर्ण होना बहुत बड़े
अहित का कारण बन सकता है। अतः प्रतिवेदन का तथ्यपूर्ण, सत्य, प्रामाणिक ओर दायित्वपूर्ण
होना उसकी परम विशेषता मानी जा सकती है।
(4)
निर्णयात्मकता भी रिपोर्ट की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
(5)
विसंगतिहीनता और विरोधाभासीहीनता रोपोर्ट का एक विशिष्ट गुण है।
(6)
विषयनिष्ठता (Subjectivity) रिपोर्ट की विशेषता मानी जाती है।
अत:
रिपोर्ट में 'मैं' या 'हम' का प्रयोग अवांछनीय है।
(7)
रिपोर्ट (प्रतिवेदन) का संक्षिप्त, सुगठित और उपयोगी होना भी परमावश्यक है।
खंड
- 'ग' (पाठ्यपुस्तक)
03. निम्नलिखित में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- 05
(क) तुम्ह बिनु कंता धनि हरूई तन तिनुवर भाडोल।
तेहि पर बिरह जराई के
चहै उड़ावा झोल।।
उत्तर:
प्रस्तुत काव्यांश मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित बारहमासा से लिया गया है। बागमती
अपने पति रत्नसेन के वियोग में अत्यन्त कमजोर हो गई है। वह विरह रूपी पवन से भी डरने
लगी है कि कहीं वह उसे उड़ाकर न ले जाए।
(ख) जननी निरखति बान धनुहियाँ।
बार-बार उर नैननि लावति
प्रभुजू की ललित पनहियाँ।।
उत्तर:
प्रस्तुत पद 'अंतरा' (भाग-2) के 'तुलसीदास' शीर्षक (पाठ) के 'पद' से संकलित है। उक्त
काव्यांश तुलसीदास जी की 'गीतावली' से समाकलित है। यहाँ कौशल्या राम-वन-गमन पश्चात्
उनके बचपन की वस्तुओं को देखकर दु:खी हो रही है।
व्याख्या
: श्रीराम वन को जा चुके हैं। माता कौशल्या उनके विरह में व्याकुल है। वे रघुनंदन के
बचपन की वस्तुओं को देख-देखकर उनका स्मरण कर रही है। वे श्रीराम के बचपन के छोटे-छोटे
धनुष-वाण को देख रही है। प्रभु श्रीराम के शैशव की जातियाँ बार-बार अपने हृदय पर लगा
रही है।
04. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दें- 03+03= 06
(क) 'हारेहु खेल जितवाहिं मोही' - भरत के इस कथन का क्या आशय है?
उत्तर:
भरत के इस कथन का आशय यह है कि जब चारों भाई एक साथ खेलते हैं तब राम जान-बूझकर भी
उनसे (भरत से) हार जाया करते थे ताकि वे दु:खी नहीं हो पाएँ।
(ख) वृक्षों से पत्तियाँ तथा वनों से ढाँखें किस माह में गिरते हैं?
इससे विरहिणी का क्या संबंध है?
उत्तर:
वृक्षों की पत्तियों और वनों से बाँचे फागुन (पतझर) के महीने में गिरते हैं। इस कारण
पत्रविहीन शाखाएँ उदास-उदास नजर आती है। इसी तरह फागुन के आते ही प्रिय के वियोग में
तड़पती विरहणियों की उदासी दूनी होकर बढ़ जाती है।
(ग) कवि ने किस प्रकार की पुकार से ‘कान खोलि है' की बात कही है?
उत्तर:
कवि को विश्वास है कि उसके हृदय से निकली प्रेम भरी पुकार एक न एक दिन उसके (प्रियतमा
के) कान खोल देगी।
05. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दें- 03+03= 06
(क) कहानी में लेखक ने शेर को किस बात का प्रतीक बताया है?
उत्तर:
कहानी में लेखक ने शेर को एक ऐसी व्यवस्था का प्रतीक बताया है जिसको सत्ता झूठे प्रचार
की पुख्ता नींव पर टिकी हुई होती है । इसी प्रचार के वशीभूत होकर जंगल के सभी जानवर
(जनता) स्वेच्छा से उसके मुंह में समाते चले जाते हैं अर्थात् बिना किसी प्रतिरोध के
वे सत्ता (व्यवस्था) के उत्पीड़न को सहते हैं।
(ख) आधुनिक भारत के 'नए शरणार्थी' किन्हें कहा गया है?
उत्तर:
निर्मल वर्मा ने विस्थापन पर बहुत गम्भीर चित्र खींचा है। जिन लोगों के गाँवों को बड़े-बड़े
बाँधों, कल-कारखानों एवं बिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए उजाड़ दिया गया उन गाँवों
के लोग अपनी परम्परा, परिवेश, प्रकृति और संस्कृति से सदा के लिए कट और विस्थापित होकर
बड़ी औद्योगिक कॉलोनियों या महानगरों के स्लमों में दयनीय जिन्दगी जीने को विवश हो
गये। ऐसे ही लोगों को निर्मल वर्मा ने आधुनिक भारत के 'नये शरणार्थी' कहा है।
(ग) 'मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत, अनूठी है, इधर बाँधों उधर लग जाती
है।' कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) मंदा देवी मंदिर में ऐसी मान्यता है कि मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
(ii)
पारो भी मन के भीतर यही कामना करते हुए गाँठ बाँधती है कि भगवान संभव से मिला दे।
(iii)
अभी कहती है कि उसकी मनोकामना उसे साक्षात् देखकर पूरी हो जाती है।
(iv)
पारो को लगता है कि वह गाँठ कितनी अनूठी है। कितनी अद्भूत है। कितनी आश्चर्यजनक है।
अभी बाँधी अभी फल की प्राप्ति हुई।
(v)
उसका मन फूला नहीं समाता ।
(vi)
वह अत्यंत प्रसन्न होती है, स्वयं को भाग्यशाली समझती है कि मंसा देवी ने उसकी मनोकामना
शीघ्र ही पूरी कर दी।
06. 'घनानंद' अथवा 'विश्वनाथ त्रिपाठी की किन्हीं दो रचनाओं के नाम
लिखें। 02
उत्तर:
घनानंद : सुजान सागर, विरह लीला।
विश्वनाथ त्रिपाठी : बदलते समय के रूप,
अंतिम दो।
07. फूल केवल गंध ही नहीं देते दवा भी करते हैं; कैसे? 03
उत्तर:
नाना प्रकार के फूलों की अपनी सुगंध और सुवास होती है। लेकिन भारतीय फूल केवल गंध के
लिए ही नहीं जाने जाते । उनका उपयोग अनेक रोगों के उपचार में दवा के रूप में भी होता
है। अपने देश में फूलों की गंध से साँप, महामारी, देवी और चुडैल आदि का सम्बन्ध जोड़ा
जाता है। गुड़हल के फूल को देवी का फूल कहते हैं। नीम के फूल और पत्ते चेचक में रोगी
के पास रखे जाते हैं । बैर का फूल सूंघने से बरें, ततैये के दंश की पीड़ा शांत होती
है। इस प्रकार अनेक प्रकार के फूलों का इस देश में अनेक प्रकार के रोगों के उपचार में
उपयोग होता है।
अथवा
मालवा में जब सब जगह बरसात की झड़ी लगी रहती है, तब मालवा के जनजीवन
पर इसका क्या असर पड़ता है?
उत्तर:
लेखक के 128 वर्षों के अखबारी रिकॉर्ड के अनुसार 1878 ई. से सन् 2006 ई. के बीच
1899 ई. ही एक ऐसा साल था जिस साल वहाँ केवल 15.75 इंच वर्षा हुई थी। यह वर्ष पूरे
भारतवर्ष के लिए घोर दुष्काल का काल था। इस घोर विपत्ति के समय में भी मालवा में मारवाड़
(राजस्थान) से लोग चले आये थे। इसके बावजूद खाने के लिए पर्याप्त अन्न भंडार और पीने
के लिए भरपूर पानी था। 128 वर्षों के बीच एक साल अतिवृष्टि का था। सन् 1973 ई. में
वहाँ 77 इंच वर्षा हुई थी। मालवा के लोग न कभी भूखे रहे, न प्यासे मरे क्योंकि न्यूनतम
वर्षा के साल से पूर्व खूब पानी पड़ा था और बाद में भी खूब वर्षा हुई थी। इसका मूल
कारण यह था कि मालवा के लोगों ने नदी, नाले और तालाबों को संभाल कर रखा था। इस कारण
संकट के समय को भी वहाँ के लोग आराम से काट लेते थे। विकास की वर्तमान अपसभ्यता ने
सारी स्थिति को उलट कर रख दी है। मालवा में यदि आज औसत पानी भी पड़ता है तो लोग कहते
हैं कि ज्यादा पानी गिर गया लेकिन सच तो यह है कि वहाँ अब पहले जैसी वर्षा नहीं होती
। यही कारण है कि चालीस इंच की वर्षा भी मालवावासी को 'अति' लगती है। मालवा में वर्षा
ऋतु में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती थी, जिसे देखकर मन प्रसन्न हो जाता था।
कुएँ-बाबड़ी
और तालाब-तलैया सभी पानी से लबालब भरे रहते थे। इसलिए वहाँ कभी-भी भूगर्भीय जलस्रोत
नहीं सूखे । वहाँ फसलों की बहार देखते बनती थी और उसकी विपुलता मन में आश्वस्ति का
भाव जगाती थी कि कभी-भी अन्न-जल की कमी के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। लोग मस्त
होकर दशहरा-दीपावली मनाते थे। एक समय वर्षा मालवा और मालववासियों की प्राणधारा रही।
वर्षा ने वहाँ के जन-जीवन को गहरे तक प्रभावित कर रखा था। लेकिन उसी वर्षा के अभाव
के कारण देश के अन्य भागों की तरह मालवा में भी हाहाकार मचा हुआ
08. 'हमारी आज की सभ्यता इन नदियों को अपने गंदे पानी के नाले बना रही
है क्यों और कैसे? 02
उत्तर:
नदी, नालों और तालाब में पानी जब सालों भर भरे रहते हैं और बरसात का पानी भी अगर रुका
रहता है तो धरती के गर्भ के पानी को जीवंत रखा जा सकता है। यही जीवंतता धरती को हरी-भरी
रखती है। दुष्काल में काम आती है। नदी का सदानीरा रहना जीवन के स्रोत का सदा जीवित
रहना है लेकिन स्वतंत्र भारत के नियोजक और इंजीनियर या तो इस बात को समझ नहीं पाये
या इनकी जानबूझकर उपेक्षा की। फलतः उन्होंने नदियों, नालों और तालाबों के गाद भरने
दिए । तालाबों को भरकर इमारतें और कारखाने खड़े कर दिये। फलत: जमीन का जल स्तर काफी
नीचे तक गिरता चला गया। धरती गरम होने लगी। पर्यावरण गरम होने लगा। आज पानी के लिए
चारों तरफ 'हाय-हाय' मची है। यही कारण है कि प्रभाष जोशी विकास की औद्योगिक सभ्यता
को उजाड़ की अपसभ्यता मानते हैं।
अथवा
गर्मी और लू से बचने के उपायों का विवरण दीजिए। क्या आप भी इन उपायों
से परिचित हैं?
उत्तर:
लेखक ने पाठ में ग्रामीण परिवेश का चित्रण किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी-मोटी
बीमारियों का उपचार घर में ही कर लिया जाता है। पाठ में गर्मी तथा लू से बचने के कुछ
उपाय बताए हैं-
(क)
प्याज द्वारा इलाज : लेखक की माँ गर्मियों के मौसम में लू से बचने के लिए उसकी धोती
या कमीज से गाँठ लगाकर प्याज बाँध देती थी।
(ख) कच्चे आम द्वारा इलाज : कच्चे आम का पन्ना लू तथा गर्मी से बचने की एक दवा थी। लेखक की माँ लू से बचने के लिए कच्चे आम की विभिन्न प्रकार से प्रयोग करती है। जैसे-गुड़ या चीनी मिलाकर उसके शरबत पीना, देह. में लेपना, कच्चे आम को भूनकर या उबालकर उससे सिर धोना।