झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021-2022)
प्रतिदर्श प्रश्न पत्र सेट- 02
कक्षा-12 |
विषय- समाजशास्त्र |
समय- 1 घंटा 30 मिनट |
पूर्णांक- 40 |
सामान्य
निर्देश:
»
परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।
»
इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
»
सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।
»
प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक
प्रश्न 1. 'समुदाय' की परिभाषा दें।
उत्तर-समुदाय
एक ऐसा सामाजिक समूह है, जिसमें कुछ अंशों में 'हम की भावना' पाई जाती है तथा जो एक
निश्चित भू-क्षेत्र में निवास करता है।
प्रश्न 2. जातिवाद क्या है ?
उत्तर-जातिवाद
एक उग्र भावना है जो एक जाति के सदस्यों को बिना किसी कारण के अपनी जाति के लोगों का
पक्ष लेने के लिए प्रेरित करती है। चाहे इससे अन्य समूहों के हित में कितनी ही बाधा
क्यों न पहुँचती हो।
प्रश्न 3. 'नातेदारी' की परिभाषा हैं?
उत्तर-नातेदारी
सामाजिक उद्देश्यों के लिए स्वीकृत वंश संबंध है तथा यह सामाजिक संबंधों के प्रथागत
रूप का एक विशेष आधार है।
प्रश्न 4. पिछड़े वर्ग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-अन्य
पिछड़े वर्ग का तात्पर्य हिंदू और मुस्लिम समुदाय की उन निम्न जातियों से है जो अनुसूचित
जातियों न होने के बाद भी सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी हुई हैं।
प्रश्न 5. राष्ट्रवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-राष्ट्रवाद
एक विशेष भौगोलिक प्रदेश या क्षेत्र के प्रति मनोवैज्ञानिक भावनात्मक लगाव है जो वहां
के लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है।
प्रश्न 6. 'भूमण्डलीकरण' की परिभाषा दें ?
उत्तर-भूमंडलीकरण
का तात्पर्य विश्व की अर्थव्यवस्था में एकीकरण की प्रक्रिया से है।
प्रश्न 7. 'औद्योगीकरण' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-औद्योगीकरण
एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा आर्थिक रूप से उपयोगी वस्तुओं का अधिक से अधिक उत्पादन
करके लोगों की योग्यता और सेवाओं का सर्वोत्तम उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 8. धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-धर्मनिरपेक्षता
वह नीति है जो धार्मिक सहिष्णुता, समानता और भाईचारे पर आधारित होती है। यह सभी नागरिकों
को, उनकी जाति, धर्म लिंग और विश्वासों पर विचार किये बिना, अपने धर्म के अनुसार आचारण
करने की स्वतंत्रता देती है।
प्रश्न. 9. 'राज्य' की परिभाषा दें?
उत्तर-राज्य
एक ऐसी समिति है जो कानून और शासनाधिकार के द्वारा कार्य करती है तथा जिसे एक निश्चित
भू-भाग के अंदर सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए सर्वोच्च अधिकार प्राप्त होते
हैं।
प्रश्न 10. क्षेत्रीय दल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-क्षेत्रीय
दल ऐसे राजनीतिक अथवा गैर-राजनीतक दल होते हैं जिनका किसी विशेष भौगोलिक अथवा सांस्कृतिक
प्रदेश से भावनात्मक लगाव होता है।
प्रश्न 12. 'जन संचार' की परिभाषा दें?
उत्तर-जनसंचार
के विविध रूप हैं-टेलीविजन, रेडियो, समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ, चलचित्र, दूरसंचार
एवं इलेक्ट्रोनिक मिडिया ।
प्रश्न 13. 'ग्रामीण समाज' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-ग्रामीण
समुदाय एक ऐसा समुदाय है जिसमें सभी लोग एक छोटे से केंद्र के चारों ओर संगठित होते
हैं तथा जिनके बीच सामान्य और प्राथमिक संबंध होते हैं।
प्रश्न 14. 'प्रभुसत्ता' की परिभाषा दें?
उत्तर-प्रभुसत्ता
का अर्थ राज्य की एक ऐसी सत्ता से है जो किसी भी दूसरे राज्य से पूरी तरह स्वतंत्र
होती है तथा जिसका उपयोग राज्य अपने कानूनों के अनुसार किसी भी तरह कर सकता है । इस
सत्ता को पूरी दुनिया से मान्यता मिली होती है
प्रश्न 15. 'परियोजना कार्य' को परिभाषित करें।
उत्तर-जब
हम किसी विषय का अध्ययन करने के लिए कोई परियोजना बनाते हैं, तब हमें बहुत व्यवस्थित
ढंग से अपने कार्य को पूरा करना होता है। इसके लिए विभिन्न चरणों से होकर गुजरना पड़ता
है । वे चरण निम्नलिखित हैं-
(a)
विषय का चुनाव,
(b)
अध्ययन क्षेत्र का निर्धारण,
(c)
सूचनाओं का चुनाव,
(d)
अध्ययन की विधियों में प्रविधियों का निर्धारण,
(e)
अवधारणाओं का स्पष्टीकरण,
(f)
तथ्यों का संकलन,
(g)
तथ्यों का संकलन,
(h)
निष्कर्षीकरण या सामान्यीकरण और अंत में रिपोर्ट प्रस्तुत करना,
(i)
परिशिष्ट (संदर्भ ग्रंथ सूची) आदि ।
प्रश्न 16. कृषक समाज की विशेषताओं का वर्णन करें
उत्तर-कृषक
समाज की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i),
कृषक समाज का समरूप समाज है।
(ii)
आजीविका का मुख्य स्रोत उनकी भूमि होती है।
(iii)
कृषक समाज में स्तरीकरण का अभाव होता है
(iv)
कृषक समाज अपनी आवश्यकताओं के लिए कस्बों के कुलीन वर्ग पर निर्भर करता है।
(v)
कृषक समाज को आर्थिक आधार पर गाँव को दूसरी समूह से अलग किया जा सकता है।
(vi)
ग्रामीण जीवन में कृषकों की स्थिति श्रमिकों की तरह होती है।
(vii)
कृषक समाज अपने उपभोग के लिए उत्पादन करता है ।
(viii)
कृषक समाज में व्यवसायिक विशेषीकरण नहीं होता है ।
प्रश्न 17. नगरीकरण के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर-भारतीय
समाज पर नगरीकरण के निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं-
(i)
औद्योगीकरण-नगरों का विकास हो जाने के कारण औद्योगीकरण की प्रक्रिया बढ़ गई है। कारखानों
की स्थापना से गंदी बस्तियों का विस्तार, हड़ताल, बिजली, पानी, यातायात, निवास और भोजन
की समस्याएँ आदि उत्पन्न होती हैं।
(ii)
एकाकी परिवारों में वृद्धि-नगरीकरण के कारण भारत में संयुक्त परिवारों का तेजी से विघटन
हो रहा है और एकाकी परिवारों में वृद्धि हो रही है।
(iii)
संबंधों में औपचारिकता-नगरों की जनसंख्या अधिक होती है। यहाँ संबंध मात्र औपचारिकता
रह जाते हैं।
(iv)
फैशन में वृद्धि-नगरीकरण के कारण सामाजिक जीवन में बनावट आ गई है। चमक-दमक, सजावट व
आकर्षण का महत्त्व बढ़ गया है.जिससे फैशन में वृद्धि हो रही है।
(v)
सामाजिक विजातीयता-नगर के लोग स्थायी संबंधों की स्थापना करने में असफल रहे हैं। नगर
के लोगों में पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले संबंधों का अभाव पाया जाता है। नगरों में विभिन्न
प्रकार के व्यक्ति निवास करते हैं जो उद्देश्यों तथा संस्कृति में समान नहीं होते।
इससे सामाजिक विजातीयता बढ़ती है।
(vi)
द्वितीयक समूहों की प्रधानता-नगरीकरण के कारण भारत में परिवार, पड़ोस आदि प्राथमिक
समूह प्रभावहीन होते जा रहे हैं । वहाँ पर समितियों, संस्थाओं और विभिन्न सामाजिक संगठनों
के द्वारा ही सामाजिक संबंधों की स्थापना होती है।
(vii)
सामाजिक नियंत्रण का अभाव-नगरीकरण के कारण व्यक्तिवादी विचारों और भावनाओं का विकास
हुआ है। प्राचीन रीति-रिवाज प्रभावहीन हो गये हैं। जिसके फलस्वरूप सामाजिक नियंत्रण
का अभाव पाया जाता है।
(viii)
भौतिकवादी विचारधारा का विकास-भारत में अध्यात्मकवाद की भावना पर अधिक बल दिया जाता
था, परन्तु नगरों के विकास होने पर लोगों में भौतिकवाद की भावना का विकास हुआ है ।
समाज में सहयोग की भावना कम हो रही है और विभेदीकरण की प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली होती
जा रही
(ix)
श्रम विभाजन और विशिष्टीकरण-नगरीकरण और औद्योगीकरण के विकास के कारण आज कुशल कारीगरों
का महत्त्व बढ़ रहा है जिससे श्रम विभाजन और विशिष्टीकरण बढ़ा है
(x)
सामाजिक गतिशीलता-नगरीकरण के सामाजिक गतिशीलता को प्रोत्साहित किया है। यातायात और
संचार साधनों के विकसित होने से लोग काम और व्यापार के सिलसिले में एक स्थान से दूसरे
स्थान पर आ-जा सकते हैं
प्रश्न 18. भारत में कृषआंदालेन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें?
उत्तर-भारत
में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने प्रवेश किया एवं औद्योगीकरण आरंभ हुआ । सन् 1860 में बंगाल
और 1917 में चम्पारण में नील की खेती करने के लिए कृषक आंदोलन आरंभ हुआ। 1919 में गुजरात
के खेड़ा में कृषक आंदोलन आरंभ हुआ। 1920-22 में कृषक आंदोलन 'किसान सभा' और 'एका'
नाम से आरंभ हुआ। इसी तरह 1836-96 का मालाबार आंदोलन, तथा 1930-51 का तेलंगाना आंदोलन
हुआ। स्वतंत्रता के बाद 'पलामू मुक्ति संघर्ष' तथा 'बंधुआ मुक्ति मोर्चा' जैसे आंदोलन
बंधुआ मजदूरी के विरोध में हुआ। इसके अतिरिक्त चौधरी चरण सिंह, देवी लाल, राजनारायण,
नाना देशमुख, महेन्द्र सिंह टिकैत ने किसान आंदोलन किया ।
प्रश्न 19. दलित आंदोलन के विभिन्न चरणों का वर्णन करें?
उत्तर-(i)
दलित आंदोलन का पहला चारण-भक्ति आंदोलन-भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत आचार्य रामानुज,
रामानंद, कबीर, नानक, रैदास, धन्ना सेठ, नामदेव, चैतन्य एवं तुकाराम थे ।
(ii)
दूसरा चरण-ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज और आर्य समाज की स्थापना-प्रमुख चिंतक राजाराम
मोहन राय, देवेन्द्र नाथ टैगोर, केशवचंद्र सेन, रानाडे, दयानंद सरस्वती।
(iii)
तीसरा चरण-सत्यशोधक समाज-ज्योतिबा फूले, रामकृष्ण मिशन, स्वामी विकेकानंद, नारायण स्वामी
का 'श्री नारायण धर्म परिपालन, द्रविड़ आंदोलन आदि।
(iv)
चौथा चरण-गाँधीजी का अस्पृश्यता उन्मूलन, ठक्कर बाबा का 'हरिजन सेवक संघ' आदि ।
(v)
पांचवा चरण-डॉ० भीमराव अम्बेडकर का दलित आंदोलन एवं 2002 का 21सूत्री दलित एजेंडा जिसे
'भोपाल घोषणा पत्र' भी का जाता है।
प्रश्न 20. चिपको आंदोलन पर प्रकाश डालें।
उत्तर-राजस्थान
के जोधपुर शहर से 25 किलोमीटर दूर 'खेजरली' गाँव की एक महिला अमृता बिश्नोई ने तत्कालीन
जोधपुर रिसायत के महाराज अभय सिंह द्वारा भेजे गये लकड़हारे को खेजरी का पेड़ काटने
नहीं दिया ओर वापस भेद दिया । उसने यह कहा कि पेड़ काटना ही है तो पहले मुझे काटना
हो और यह कहते हुए अमृता बिश्नोई खेजरी के पेड़ से चिपक गयी । यहाँ से चिपको आंदोलन
आरंभ हुआ ।
अमृता बिश्नोई द्वारा खेजरी वृक्षों की रक्षा के लिए प्रारंभ किया गया चिपको आंदोलन समाप्त नहीं हुआ। सन् 1972 में पुनः इस आंदोलन की पुनरावृत्ति बचनी देवी एवं गौरा देवी के त्याग से आरंभ हुआ । इस प्रकार चिपको आंदोलन वृक्षों की रक्षा से संबंधित है । सुंदर लाल बहुगुण ने चिपको आंदोलन को एक वैचारिक आधार प्रदान किया।