Sociology Model Question Solution Set-1 Term-2 (2021-22)

Sociology Model Question Solution Set-1 Term-2 (2021-22)

द्वितीय सावधिक परीक्षा - 2021-2022 (Second Terminal Examination - 2021-2022)

मॉडल प्रश्नपत्र (Model Question Paper) विषय - समाजशास्त्र (Sub- Sociology),

वर्ग- 12 (Class-12),  पूर्णांक-40 (F.M-40) समय-1:30 घंटे (Time-1:30 hours)

सेट- 1 (Set -1)

सामान्य निर्देश (General Instructions) -

» परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।

» कुल प्रश्नों की संख्या 19 है।

» प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न संख्या 7 तक अति लघूत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।

» प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न संख्या 14 तक लघूतरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।

» प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।

प्रश्न 1. 'वर्ग' को परिभाषित करें।

उत्तर-वर्ग एक समुदाय का कोई भाग है जो सामाजिक स्थिति के आधार पर शेष भाग से पृथक किया जा सके।

प्रश्न 2. समाज से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-समाज एक ऐसा सामाजिक समूह है, जिसमें कुछ अंशों में 'हम की भावना' पाई जाती है तथा जो एक निश्चित भू-भाग में रहता है।

प्रश्न 3. 'जनजाति' को परिभाषित करें।

उत्तर-गिलिन और गिलिन के अनुसार स्थानीय आदिम समूहों के किसी संग्रहको, जो एक सामान्य भू-भाग में निवास करता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और एक सामान्य संस्कृति को व्यक्त करता हो, एक जनजाति कहते हैं।

प्रश्न 4. 'नगरीय समाज' को परिभाषित करें।

उत्तर-नगरीय समाज के अभिप्राय ऐसी केंद्रीयकृत बस्तियों के समूह से है जिसमें सुव्यवस्थित केंद्रीय व्यापार क्षेत्र, प्रासाशनिक इकाई, आवागमन के साधन, संचार सुविधाएँ और अन्य नागरिक सुविधाएँ रहती हैं। जनसंख्या का घनत्व भी नगरीय समाज में अधिक होता है।

प्रश्न 5. 'आधुनिकीकरण' को परिभाषित करें।

उत्तर-पाश्चात्य सभ्यता की नकल के पश्चात उत्पन्न जीवन स्तर में सुधार, शिक्षा में सुधार, नगरीकरण, संचार सुविधा का विकास आधुनिकीकरण कहलाता है । पुरातन विचारों एवं संकिर्णताओं से अपने आपको ऊपर उठाना ही आधुनीकिरण कहहलाता है।

प्रश्न 6. 'सामाजिक संरचना' को परिभाषित करें।

उत्तर-समाज के विभिन्न पायदानों पर समाज की समरसता सामाजिक संरचना कहलाती है। सामाजिक संरचना का तात्पर्य समाज की रचना से है।

प्रश्न 7. सामाजिक असमानता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-सामाजिक तौर पर भेद-भाव की नीति सामाजिक असमानता कहलती है। उदाहरणार्थ नेताओं की एक अपनी जाति है। यह जाति अन्य जातियों को हेयदृष्टि से देखती है।

प्रश्न 8. जाति और जनजाति में अन्तर स्पष्ट करें।

उत्तर-(i) जनजाति में अंतर्विवाह नियम कठोर नहीं होता परंतु जाति में होता है।

(ii) विभिन्न कार्य एवं पेशा के आधार पर श्रम विभाजन ने जाति प्रथा की शुरूआत की। जनजाति निश्चित भू-भाग पर निवास करने का कारण नामित किए गए।

प्रश्न 9. ग्रामीण तथा नगरीय समाज के बीच अन्तर को स्पष्ट करें।

उत्तर-(1) ग्रामीण समाज में असुविधाओं का बोलबाला रहता है किंतु नगरीय समाज में मूल-भूत सुविधाएं मौजूद रहती है।

(ii) ग्रामीण समाज में गरीबी व्याप्त है। जबकि शहरी समाज खुशहाल होता है।

प्रश्न 10. स्त्री समानता पर प्रकाश डालें।

उत्तर-समाज में स्त्रियों की स्थिति आज भी अच्छी नहीं है। स्त्रियों के साथ - आज भी भारतीय समाज भेदभाव रखता है। राजनीति में आज स्त्रियों की कमी है। नौकरी पेशा वाली महिलाओं को हम हेयदृष्टि से देखते हैं । अतः जरूरत है। स्त्री समानता की। हमें स्रियों को जागरूक बनाना होगा। नौकरियों में आरक्षण प्रदान कर इनकी दशा में सुधार लाया जा सकता है। स्त्री समानता द्वारा ही भारत का चतुर्दिक विकास संभव है।

प्रश्न 11. जाति-व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना करें।

उत्तर-जाति व्यवस्था की विशेषताएँ-

(i) जातियों में खंडात्मक विभाजन,

(ii) जाति जन्म पर आधारित है।

(iii) जाति अंतर्विवाहित समूह है।

(iv) जाति में उच्च-निम्न क्रम पाया जाता है।

(v) जाति एक बंद वर्ग है।

प्रश्न 12. जाति एवं वर्ग के बीच अन्तर को स्पष्ट करें।

उत्तर-(i) जाति में जात की प्रधानता होती है जबकि वर्ग में वर्ग की ।

(ii) जैसे ब्राह्मण एक जाति है जबकि छात्रों का समूह एक वर्ग है।

(iii) जाति के कुछ अपने वसुल होते हैं। वर्ग का नहीं।

(iv) जाति में विवाह संपन्न होते हैं वर्ग इसे नहीं मानता है।

प्रश्न 13.जनजातीय समस्याओं के कारणों पर प्रकाश डालें।

उत्तर-जनजातिय समस्याओं के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

(i) इनमें शिक्षा का अभाव है।

(ii) इनकी आर्थिक स्थिति बदतर

(iii) मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

(iv) सरकारी कार्यक्रमों को लागू करने में सरकार भी रूची कम लेती है।

प्रश्न 14.बिरसा आन्दोलन से आप क्या समझते है ?

उत्तर-1871-72 में संथालों का विद्रोह अंग्रेजी शासन के विरुद्ध उभरा। इसका नेतृत्व बिरसा ने किया। अत: इस आंदोलन को बिरसा आदोलन भी कहते हैं। अंग्रेजों ने बिरसा को गिरफ्तार कर लिया। आंदोलन फिर भी जारी रहा। अंत में अंग्रेजों ने बिरसा भगवान को फाँसी दे दी।

प्रश्न 15. हरित क्रान्ति से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-भारत में योजनाओं की अवधि में अपनाए गए कृषि सुधारों के फलस्वरूप 1967-68 में अनाज के उत्पादन में 1966-67 की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत वृद्धि हुई। किसी एक वर्ष अनाज के उत्पादन में इतनी अधिक वृद्धि होना एक क्रांति के समान था। इसलिए अर्थशास्त्रियों ने आज के उत्पादन में होने वाली इस वृद्धि को हरित क्रांति का नाम दिया। हरित क्रांति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली भारी वृद्धि से है जो कृषि की नई नीति अपनाने के कारण हुई है। अतः हरित क्रांति शब्द सन् 1968 में होने वाले इस आश्चर्यजनक परिवर्तन के लिए प्रयोग में लाया जाता है जो भारत में साचाल के उत्पादन में हुआ और अब भी जारी है। हरित क्रांति के फलस्वरूप कृषि उत्पादन में काफी वृद्धि हुई और इसका प्रभाव दीर्घकाल में कृषि उत्पादन के ऊँचे स्तर को बनाए रखने में देखा जा सकता है।

हरित क्रांति के प्रभाव (Effeet of Green Revolution)-भारतीय अर्थव्यवस्था पर हरित क्रांति के बहुत ही आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले इसके फलस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया आधार प्राप्त हुआ है। हरित क्रांति के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित है।

(i)  उत्पादन में वृद्धि : हरित क्रांति के फलस्वरूप फसलों के उत्पादन में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई। 1967-68 के वर्ष जिसे हरित क्रांति का वर्ष कहा जाता है में अनाज का उत्पादन 950 लाख टन हो गया।

(ii)  किसानों की समृद्धि:  हरित क्रांति के फलस्वरूप किसानों की अवस्था में काफी सुधार हुआ । उनका जीवन स्तर पहले से ऊंचा हो गया । कृषि एक लाभदायक व्यवस्था माना जाने लगा। किसानों की समृद्धि से औद्योगिक उत्पादों की मांग भी तेजी से बढ़ी है।

(iii) पूँजीवादी खेती को प्रोत्साहन: वे किसान जिनके पास 10 हेक्टेयर या इससे अधिक भूमि थी और साधन संपन्न थे उन्होंने पूँजीवादी खेती को प्रोत्साहित किया।

(iv) खाद्य समाग्री के आयात में कमी: हरित क्रांति के फलस्वरूप भारत में खाद्य सामग्री के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ी और विदेशों से खाद्य सामग्री का आयात कम हो गया।

(v) उद्योगों का विकास : हरित क्रांति के कारण उद्योगों के विकास पर काफी उचित प्रभाव पड़ा है। कृषि यंत्र उद्योगों का तेजी से विकास हुआ । रासायनिक खाद और ट्रैक्टर आदि बनाने के कारखाने खोले गये । डीजल इंजन, पंपसैट आदि के नये कारखाने स्थापित किए

(vi) आर्थिक विकास और स्थिरता का आधार : भारत जैसे देश में जहाँ 29% राष्ट्रीय आय कृषि से प्राप्त होती है, सरकारी बजट और यातायात पर कृषि का बहुत अधिक प्रभव पड़ता है। कृषि उत्पादन में होने वाली वृद्धि से देश में आर्थिक विकास, स्थिरता और आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को पूरा करने में सहायता मिलती है।

(vii) विचारधारा में परिवर्तन : भारत जैसे अल्पविकसित देश में जहाँ अधिकतर किसान अनपढ़ रूढ़िवादी और अंधविश्वासी हैं, हरित क्रांति का एक बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। लोग अब विज्ञान के महत्व को समझने लगे हैं। भारतीय किसानों ने शीघ्रता से कृषि की नई तकनीक को अपनाया है। वे नये विचारों और तकनीकों को ग्रहण कर रहे हैं।

प्रश्न 16. भूमंडलीकरण के सकारात्मक परिणामों की विवेचना करें।

उत्तर-भूमंडलीकरण मुक्त बाजार की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया है। मुक्त बाजार में व्यापार और पूँजी का मुक्त प्रवाह है तथा लोगों का राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार जाना शामिल है। इसलिए भूमंडलीकरण की पहचान नई विश्व व्यापार व्यवस्था तथा व्यावसायिक बाजारों के खुलने से है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने भूमंडलीकरण के प्रसार में काफी मदद की है।

सकारात्मक प्रभाव : भूमंडलीकरण की स्थिति में आतरिक व्यवस्था में विदेशी निवेश प्रचुर मात्रा में होता है। जिन देशों में आतंरिक संसाधनों की कमी होती है उन देशों में विदेशी पूँजी आर्थिक विकास की गति से तेज बना देती है। भूमंडलीकरण से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है, अधिक रोजगार और अधिक आर्थिक विकास जनता के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

अर्थव्यवस्था में उदारीकरण वंचित समूहों के लिए एक नई आशा उत्पन्न करेगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भूमंडलीकरण व्यावसायिक हिस्सेदारी के बीच सहयोग और भाई-चारा बढ़ाता है। सरकारों के बीच भी सहयोग में वृद्धि करता है।

प्रश्न 17. भारत में क्षेत्रीयतावाद के कारणों की विवेचना करें।

उत्तर-क्षेत्रवाद  : क्षेत्रवाद किसी राजय के विभिन्न क्षेत्रों के नागरिकों के एक संकुचित धारणा है जिसके कारण किसी क्षेत्र विशेष के व्यक्ति राष्ट्र की तुलना में अपने ही क्षेत्र के हितों और स्वार्थों की पूर्ति की माँग करने लगते हैं। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद देश के सभी क्षेत्रों का विकास संतुलित रूप से नहीं हो पाया जिसके कारण क्षेत्रीय भावनाओं को बल मिला और क्षेत्रवाद का उदय हुआ। स्वतंत्र कश्मीर, खालिस्तान, पृथक् नागालैण्ड आदि की मांग उठने लगी। दक्षिण भारत में भी भाषा एवं अन्य कारणों के पृथक् राज्यों की मांग उठने लगी। प्रारंभ में द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) पार्टी ने भारत से पृथक होने की धमकी देना शुरू किया। 1963 में भारत सरकार ने कानून को पास करके विघटनकारी शक्तियों को नियंत्रित किया। इससे द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने संघ से अलग होने की माँग छोड़ दी परन्तु राज्य के लिए अधिक अधिकार की मांग की। इसी प्रकार अकाली दल ने 1950 से 1960 तक पंजाबी सूबे की मांग की जाने लगी। 1983 से 1992 तक उग्रवादियों द्वारा हिंसक कार्यवाही की जाती रही। असम राज्य के मिजोरम पहाड़ी नेता भारत संघ से अलग होने की मांग कर रहे हैं। क्षेत्रवाद के कारण समय-समय पर भाषा के आधार पर भी राज्य की मांग की जाती रही है। 1953 में भाषा के आधार पर आन्ध्रप्रदेश की स्थापना हुई। 1956 में भाषा के आधार पर 19 राज्यों का गठन हुआ और बाद में राज्यों की स्थापना की गई।

क्षेत्रीय असंतुलन क्षेत्रवाद का कारण : क्षेत्रीय असंतुलन ही क्षेत्रवाद का सबसे बड़ा कारण है। देश के कोई भाग उपजाऊ है तो कोई पथरीला, कोई रेगिस्तानी है तो कोई पहाड़ी। देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। क्षेत्र के असंतुलन से क्षेत्र के लोगों में असंतोष पैदा होते हैं। क्षेत्रीय असंतुलन के कारण ही क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का जन्म होता है और वे राष्ट्रीय हितों की अपेक्षा क्षेत्रीय हितों की पूर्ति की माँग करने लगते हैं। असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड आदि देश के कुछ ऐसे भाग हैं जहाँ आर्थिक विकास पर्याप्त नहीं हुआ। सीमाओं और नदी जल बंटवारे के कारण भी वैमनस्य पैदा होता है और इस प्रकार क्षेत्रीय असन्तुलन क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 18.संचार तथा सामाजिक परिवर्तन पर प्रकाश डालें।

उत्तर-आधुनिक युग में संचार साधनों का सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण स्थान है। यह जनमत तथा जन-चेतना का सशक्त माध्यम है। संचार साधनों के द्वारा लोक संस्कृति को जीवंत करने का कार्य किया जा रहा है। कम्प्यूटर, इंटरनेट आदि के विकास से संबंधित अनेकानेक प्रकार के वैज्ञानिक यंत्र विकसित हो रहे हैं।

संचार साधनों के विकास ने मानव अधिकार संबंधी सूचना तीव्रतम गति से फैलाने में मदद की है। युवा वर्ग के विकास, क्रियाशीलता, ज्ञान, नौकरी, प्रतियोगी परीक्षाओं आदि से संबंधी आवश्यक सूचनाएँ टी०वी०, रेडियो, अखबार, इंटरनेट आदि से प्राप्त होती है।

अतः स्पष्ट है कि आधुनिक संचार माध्यमों ने ज्ञान, विज्ञान, सूचना, अनुभव आदि को आसान बना दिया है जिसका प्रभाव मानव समाज तथा संस्कृति को तीव्र गति से प्रभावित करने में योगदान दे रहा है।

प्रश्न 19. अल्पसंख्यकों के लिए सरकार के प्रयलों पर प्रकाश डालें।

उत्तर-(i) शिक्षा के क्षेत्र में निःशुल्क उच्चतर शिक्षा लागू की गई है।

(ii) तृतीय पंचवर्षीय योजना में छात्राओं हेतु निःशुल्क छात्रावास योजना लागू की गई है।

(iii) जनजातीय विकास योजनाओं को लागू किया गया है।

(iv) इनकी आर्थिक समस्या हल हेतु NAREGA योजना शुरू की गई है।

(v) इन्हें इंदिरा आवास प्रदान किया जा रहा है।

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