CLASS- IX Hindi Core Answer Key(TERM II) 2022

CLASS- IX Hindi Core Answer Key(TERM II) 2022

 

Class IX Examination, 2022 ( TERM – II )

HINDI ( A )

सामान्य निर्देश:

(1) परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।

(2) इस प्रश्न पत्र के सभी खंडों के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है,

(3) सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उपांत में अंकित हैं ।

(4) प्रश्नों के उत्तर प्रश्नों के साथ दिये गये निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।

(5) 1 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग एक शब्द या एक वाक्य में दें। 2 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में, 3 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 शब्दों में तथा 5 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें ।

खण्ड - क (अपठित बोध )

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

आज के युग में कम्प्यूटर का आविष्कार एक वरदान की तरह हुआ है। कम्प्यूटर दुनिया के जटिल से जटिल और श्रमसाध्य कार्यों को चुटकी बजाते ही हल कर देता है । कम्प्यूटर भविष्यवाणी तक कर सकता है, मनोरंजन करा सकता है तथा दुनिया की किसी भी जानकारी को पकड़ सकता है । कम्प्यूटर सूचनाओं को मानव-मस्तिष्क से अधिक तीव्र गति से विश्लेषित कर सकता है । कम्प्यूटर को ही संचार के क्षेत्र में आई क्रान्ति का वास्तविक कारण माना जा सकता है । यह एक ऐसा इलेक्ट्रोनिक उपकरण है, जिसमें सूचनाओं का चुंबकीय टेप भरा जाता इसमें चिप कर कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं

प्रश्न 1. कम्प्यूटर आज के युग में वरदान है । कैसे ?

उत्तर: कम्प्यूटर का आविष्कार आज के युग के लिए एक वरदान की तरह हुआ है। यह जटिल-से-जटिल और श्रमसाध्य कार्यों को चुटकी बजाते ही हल कर देता है। साथ ही यह मनोरंजन का भी एक अच्छा और बड़ा साधन बन चुका

प्रश्न 2. कम्प्यूटर क्या-क्या कार्य कर सकता है ?

उत्तर: कौन ऐसा काम है जो कम्प्यूटर नहीं कर सकता है। कम्प्यूटर हर तरह का काम करने में सक्षम है। वह भविष्यवाणी तक कर सकता है, मनोरंजन करा सकता है, आदमी के शरीर का विश्लेषण और अध्ययन कर सकता है तथा दुनिया की किसी भी जानकारी को पकड़ सकता है।

प्रश्न 3. प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शौर्षक दीजिए ।

उत्तर: कम्प्यूटर

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

पथ भूल न जाना पथिक कहीं

पथ में काँटे तो होंगे ही,

दूर्वादल- सरिता, सर होंगे

सुन्दर गिरि-वन-वापी होंगी,

सुन्दर-सुन्दर निर्झर होंगे ।

         सुन्दरता की मृग-तृष्णा में

          पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।।

जब जीवन कठिन कर्म-पगडंडी पर,

राही का मन उन्मुख होगा

जब सपने सब मिट जाएँगे,

कर्तव्य मार्ग सम्मुख होगा ।

         तब अपनी प्रथम विफलता में,

         पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।।

अपने भी विमुख-पराए बन,

आँखों के सम्मुख आएँगे।

पग-पग पर घोर निराशा के,

काले बादल छा जाएँगे।

         तब अपने एकाकीपन में,

         पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।।

प्रश्न 4. किस स्थिति में पथिक के पथ भूलने की आशंका है ?

उत्तर: कवि बता देना चाहता है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं परन्तु उस मार्ग में बहुत से सुहावने दृश्य भी होते हैं जो हमें अपनी ओर आकर्षित करते हैं लेकिन हमें उनके सौन्दर्य के भुलावे में नहीं आना चाहिए। हमें तो केवल अपने कर्तव्य पथ पर आगे ही आगे बढ़ते जाना चाहिए।

प्रश्न 5. राही एकाकीपन का अनुभव कब करता है ?

उत्तर: जब अपने पराये बनकर आ जाते हैं, पग-पग पर निराशाएँ घर करने लगती हैं तब पथिक को एकाकीपन अनुभव होने लगता है।

प्रश्न 6. 'विफलता' शब्द का विलोम क्या होगा

उत्तर: सफलता

खण्ड - ख (पाठ्य-पुस्तकें )

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

प्रश्न 7. एक लकुटी और कामरिया पर कवि रसखान सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?

उत्तर: कवि हर वह काम करने को तैयार है जिससे वह कृष्ण के सान्निध्य में रह सके। इसलिए वह एक लकुटी और कम्बल पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है।

अथवा

मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए ?

उत्तर: मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में निम्नलिखित परिवर्तन हुएलगीं जो बढ़कर आँधी में बदल गईं।

1. ठंडी हवाएँ चलने

2. गली में धूल उड़ने लगी।

3. ऊँचे पेड़ों की चोटियाँ तथा शाखाएँ झुकने-उठने लगीं।

4. लताएँ हवा में लहराने लगीं।

5. क्षितिज पर बादल घिर आए।

6. बिजली चमकने लगी।

7. जोरदार वर्षा शुरू हो गई।

प्रश्न 8. 'कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए ।

उत्तर: कविता के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि तत्कालीन समाज में अंग्रेज़ों द्वारा भारतीय कैदियों को तरह-तरह की यातनाएँ दी जाती थी; जैसे-उन्हें अंधेरी कोठरी में जंजीरों से बाँधकर रखा जाता था, उस कोठरी का क्षेत्र बहुत सीमित था, वहाँ कैदियों का रहना मुश्किल था तथा इस काल कोठरी में रोना भी गुनाह था। ऐसा करने से अंग्रेज़ों द्वारा सज़ा दी जाती थी।

प्रश्न 9. मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे । क्यों?

उत्तर: मैना अपने मकान की बचाना चाहती थी क्योंकि यह मकान उसे बहुत प्रिय था। यह उसकी पैत्रिक धरोहर थी। अंग्रेज़ उस मकान को नष्ट कर देना चाहते थे क्योंकि यह मकान नानाजी जैसे और भी क्रांतिकारियों का ठिकाना हो सकता था। नाना जी ने अंग्रेज़ी सरकार को बहुत हानि पहुँचाई थी तथा अनेक अंग्रेज़ नर-नारियों की हत्या की थी।

प्रश्न 10. लेखिका ( महादेवी वर्मा ) ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?

उत्तर: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है

1. धार्मिक स्वभाव-लेखिका की माँ नियमित रूप से पूजापाठ करती थीं। वे ईश्वर में आस्था रखती थीं। वे मीराबाई के पद तथा प्रभातियाँ गाती थीं।

2. संस्कारी महिला - लेखिका की माँ अच्छे गुणों वाली महिला थीं, जिनका असर लेखिका पर भी पड़ा।

3. हिंदी-संस्कृत की ज्ञाता-लेखिको की माँ को हिंदी-संस्कृत का अच्छा ज्ञान था।

4. धार्मिक सहिष्णुता-लेखिका की माँ धर्म सहिष्णु महिला थीं। उन्होंने जवारा के नवाब के परिवार से अच्छे संबंध बनाकर रखा।

प्रश्न 11. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की - समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए

उत्तर: समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है। उमा चरित्रवान है। वह शिक्षित लड़की है। उसके पिता रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद से उमा की शिक्षा की बात छिपा जाते हैं परंतु गोपाल प्रसाद के पूछने पर वह अपनी शिक्षा के बारे में दृढ़तापूर्वक बता देती है। इसके विपरीत शंकर स्वयं तो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है, परंतु वह नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी भी उच्च शिक्षा प्राप्त हो । अतः समाज को शंकर जैसे व्यक्तित्व की जरूरत नहीं है ।

शंकर जैसे व्यक्तित्व से हमें न अच्छे समाजोपयोगी स्वस्थ विचारधारा वाले नागरिक मिलेंगे और न ही इनसे समाज और राष्ट्र की उन्नति में योगदान की अपेक्षा की जा सकती है। वास्तव में समाज को उमा जैसे साहसी, स्पष्टवादीनी तथा उच्च चरित्र वाले व्यक्तितत्व की आवश्यकता है।

अथवा

माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?

उत्तर: माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी, फटेहाली और आवश्यकता की मजबूरी को प्रकट करता है। माटीवाली दिनभर के अथक परिश्रम के बाद भी इतना नहीं कमा पाती थी कि जिससे वह अपना तथा अपने बूढ़े बीमार पति का पेट भर सकें। इस प्रकार की मजदूरी से उसका जीवन-निर्वाह तक कठिन हो जाता है।

खण्ड - ग. ( रचना लेखन)

प्रश्न 12. अपनी वार्षिक परीक्षा की तैयारी का वर्णन करते हुए पिताजी को एक पत्र लिखिए ।

उत्तर: 22 नवम्बर 2020

प्रिय पिताजी,

आप को मेरा प्रणाम,

                 नमस्कार पिताजी बहुत दिनों बाद आपको पत्र लिख रही हूँ पढ़ाई करते करते मुझे आपसे बात करने का मौका ही नहीं मिला इसलिए मैं आज आप को पत्र लिख रही हूँ आपने मुझे महारानी लक्ष्मी विद्यालय में दाखिला दिलवाया मैं सच्चे मन से और लगन से पढ़ाई करती हूँ मुझे परीक्षा में अच्छे गुण भी मिलते हैं आपको मैं यह बताना चाहती हूँ कि आपकी बेटी अपेक्षित और जागरूक नागरिक बन गई है और मुझे कहने में ही बहुत खुशी होती है कि मैं आप जैसी पिता के बेटी हूँ।

 

आपकी प्यारी बेटी

अथवा

छात्रावास में स्थान हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक को एक आवेदन पत्र लिखिए

उत्तर: सेवा में,

         प्रधानाध्यापक महोदय,

       +2 उ०वि०गोपीकान्दर

द्वारा: वर्ग शिक्षक

विषय: छात्रावास में स्थान देने के संबंध में

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं राकेश कुमार +2 उ०वि०गोपीकान्दर का नियमित छात्र हूं, कारण यह है कि मेरा गांव इस कॉलेज से बहुत दूर स्थित है! जिसके कारण आने जाने में असुविधाएं होती है तथा वहां पर वाहन की सुविधाएं जल्द उपलब्ध नहीं होती है। महोदय मैं एक निर्धन परिवार से हूं। जिसके कारण में किसी अन्य छात्रावास में नहीं रह सकता हूं, कृपया आप मुझे विद्यालय द्वारा स्थापित छात्रावास में जगह उपलब्ध कराने की कृपा करें।

अतः श्रीमान से नम्र निवेदन है कि उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर मुझे छात्रावास में जगह उपलब्ध कराने की कृपा की जाए इसके लिए मैं आपका सदा आभारी बना रहूंगा।

आपका विश्वासी छात्र

नाम : राकेश कुमार

कक्षा नौवीं

क्रमांक संख्या : 20

प्रश्न 13. दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखें :

(क) वृक्षारोपण का महत्व :

संकेत बिन्दु – वृक्ष जरूरी है, वृक्ष पूजनीय, उपसंहार ।

उत्तर: वृक्षारोपण का शाब्दिक अर्थ है। वृक्ष लगाकर उन्हें उगाना इसका प्रयोजन करना है। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना। मानव के जीवन को सुखी, सम्रद्ध व संतुलित बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का अपना विशेष महत्व है। मानव सभ्यता का उदय तथा इसका आरंभिक आश्रय भी प्रकृति अर्थात वन व्रक्ष ही रहे हैं। मानव को प्रारम्भ से प्रकृति द्वारा जो कुछ प्राप्त होता रहा है। उसे निरन्तर प्राप्त करते रहने के लिए वृक्षारोपण अती आवश्यक है।

वृक्ष जरुरी है: वनों से हमे भवन निर्माण की सामग्री मिलती है औषधीय, जड़ी बूटियां, गोंद, घास, तथा जानवरों का चारा भी वनों से ही प्राप्त होता है।वन तापमान को सामान्य बनाने में सहायक एवं भूमि को बंजर होने से रोकता है वनों से लकड़ी, कागज, फर्नीचर, दवाईया, सभी के लिए हम वनों पर ही निर्भर है। वन हमे दूषित वायु को ग्रहण करके शुद्ध एवं जीवन दायक वायु प्रदान करता है, जितनी वायु और जल जरूरी है उतना ही आवश्यक वृक्ष होते हैं इसलिए वनों के साथ ही वृक्षारोपण सभी जगह करना जरूरी है और कई तरह के लाभ देने वाले वनों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य।

वृक्ष पूजनीय: हमारे भारत देश में जहां वृक्षारोपण का कार्य होता है वही इन्हें पूजा भी जाता है। कई ऐसे वृक्ष है, जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है, जैसे नीमका पेड़, पीपल का पेड़, आंवला, बरगद आदी को शास्त्रों के अनुसार पूजनीय कहलाते है और साथ ही धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष प्रकृति के सभी तत्वों की विवेचना करते हैं। जिन वृक्ष की हम पूजा करते है वो औषधीय गुणों का भंडार भी होते हैं, जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते है। आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य की भोजन की पूर्ति होती थी, वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन ओर संतुष्टि मिलती है गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं।

” मूलतः ब्रह्मा रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिनः

अग्रतः शिव रूपाय अश्वव्याय नमो नमः.”

अर्थात इसके मूल रूप में ब्रह्मा मध्य में विष्णु ओर अग्र भाग में शिव का वास होता है, इसी कारण अश्व्यय नामधारी वृक्ष को नमन किया जाता है।

उपसंहार: आज हमारे देशवासी वनों तथा वृक्षों की महत्ता को एक स्वर से स्वीकार कर रहे हैं वन महोत्सव हमारे राष्ट्र की अनिवार्य आवश्यकता है, देश की समृद्धि में हमारे वृक्ष का भी महत्वपूर्ण योगदान है इसलिए इस राष्ट के हर नागरिक को अपने लिए और अपने राष्ट्र के लिए वृक्षारोपण करना बहुत जरूरी है।

(ख) बेरोजगारी की समस्या :

संकेत बिन्दु – कारण, दुष्परिणाम, समाधान ।

उत्तर: बेरोज़गारी का अर्थ – ‘रोज़गार’ शब्द में ‘बे’ उपसर्ग और ‘ई’ प्रत्यय के मेल से ‘बेरोज़गारी’ शब्द बना है, जिसका अर्थ है वह स्थिति जिसमें व्यक्ति के पास काम न हो अर्थात जब व्यक्ति काम करना चाहता है और उसमें काम करने की शक्ति, सामर्थ्य और योग्यता होने पर भी उसे काम नहीं मिल पाता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश में लाखों-हज़ारों नहीं बल्कि करोड़ों लोग इस स्थिति से गुजरने को विवश हैं।

कारण – बेरोज़गारी बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें सर्वप्रमुख कारण हैं- देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकारी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा रोज़गार के जितने पद और अवसर सृजित किए जाते हैं वे अपर्याप्त सिद्ध होते हैं। परिणामतः यह समस्या सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती ही जाती है।

दुष्परिणाम: कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बेरोज़गार व्यक्ति खाली होने से अपनी शक्ति का दुरुपयोग असामाजिक कार्यों में लगाता है। वह असामाजिक कार्यों में शामिल होता है और कानून व्यवस्था भंग करता है। ऐसा व्यक्ति अपना तथा राष्ट्र दोनों का विकास अवरुद्ध करता है। ‘बुबुक्षकः किम् न करोति पापं’ भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता है अर्थात भूखा व्यक्ति चोरी, लूटमार, हत्या जैसे सारे पाप कर्म कर बैठता है। अत: व्यक्ति को रोज़गार तो मिलना ही चाहिए।

समाधान: बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार और बेरोज़गारों के साथ-साथ प्राइवेट उद्योग के मालिकों को सामंजस्य बिठाते हुए ठोस कदम उठाना होगा। इसके लिए सरकार को रोजगार के नवपदों का सृजन करना चाहिए। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नवपदों के सृजन से समस्या का हल पूर्णतया संभव नहीं है, क्योंकि बेरोजगारों की फ़ौज बहुत लंबी है जो समय के साथसाथ बढ़ती भी जा रही है। सरकार को माध्यमिक कक्षाओं से तकनीकी शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि युवा वर्ग डिग्री लेने के बाद असहाय न महसूस करे।

सरकार को स्वरोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत कम दरों पर कर्ज देना चाहिए तथा युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हुए इन उद्योगों का बीमा भी करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह लघु एवं कुटीर उद्योगों के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन आदि को भी बढ़ावा दे। प्राइवेट उद्यमियों को चाहिए कि वे युवाओं को अपने यहाँ ऐसी सुविधाएँ दे कि युवाओं का सरकारी नौकरी से आकर्षण कम हो। युवा वर्ग को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए तथा उनकी उच्च शिक्षा बाधक नहीं बल्कि सफलता के मार्ग का साधन है जिसका प्रयोग वे समय आने पर कर सकते हैं। अभी जो भी मिल रही है उसे पहली सीढ़ी मानकर शुरुआत तो करें। इसके अलावा उच्च शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा अवश्य ग्रहण करें ताकि स्वरोजगार और प्राइवेट नौकरियों के द्वार भी उनके लिए खुले रहें।

प्रश्न 14. बढ़ती महँगाई के संबंध में दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए ।

उत्तर:

रमेश : अरे सुरेश भाई कहां से आ रही हो?

सुरेश: अरे भाई रमेश में बाजार से आया हूं।

रमेश : अच्छा सब्जी लेने गए थे क्या?

सुरेश: हाँ भाई गया तो सब्जी लेने ही थी लेकिन केवल दो ही सब्जी ला पाया।

रमेश: क्यों आज बाजार बंद है क्या?

सुरेश: नहीं नहीं भाई बाजार तो खुला है लेकिन सब्जियों के दाम इतने बढ़ गए हैं कि अब उन्हें खरीदना पहुंच से बाहर होता जा रहा है।

रमेश: अच्छा हाँ ! वह तो है मैंने भी कल ही प्याज के दाम पूछे तो मैं हैरान रह गया  ₹140 किलो प्याज।

सुरेश: हाँ भाई और आलू का और मटर गाजर गोभी इन सब का भी यही हाल है।  ना जाने इस महंगाई से कब निजात मिलेगी।

रमेश: हाँ भगवान ही जाने हमें कब चैन से खाने को मिलेगा।

सुरेश: चलो मिलते हैं फिर।

रमेश: हाँ ठीक है ।

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