Class XI Hindi Core Set -1 Model Question Paper 2021-22 Term-2

Class XI Hindi Core Set -1 Model Question Paper 2021-22 Term-2

 

झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)

द्वितीय सावधिक परीक्षा (2021 2022)

सेट- 01

कक्षा- 11

विषय- हिंदी (कोर)

समय 1 घंटा 30 मिनट

पूर्णांक - 40

 

सामान्य निर्देश-:

→  परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें ।

  इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।

सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।

प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।

खंड - 'क'

(अपठित बोध)

01. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए-02+02+02 06

हिमालय के आंगन में उसे प्रथम किरणों का दे उपहार ।

ऊषा ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक हार ।

जगे हम, लगे जगाने विश्वलोक में फैला फिर आलोक

व्योमतम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक ।

बिमल प्राणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत

सप्तवर सप्तसिंधु में उठे छिड़ा तब मधुर साम-संगीत

बजाकर बीज-रुप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय का शीत

अरूण केतन लेकर निज हाथ बरुण पथ में हम बढ़े अभीत।

(क) कविता का उचित शीर्षक लिखिए।

उत्तर: भारत महिमा

(ख) सारी सृष्टि शोकरहित क्यों हो उठी है?

उत्तर: सबसे पहले ज्ञान का उदय भारत में ही हुआ अर्थात सबसे पहले हम जाग्रत हुए। फिर हमने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया। इसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।

(ग) भारत को हिमालय का आंगन क्यों कहा गया है?

उत्तर: जिस प्रकार पहली उषा घर के आंगन में आती है उसी प्रकार प्रतिदिन उषा भारत को सूर्य की किरणों का उपहार देती है जो सबसे पहले हिमालय में आती है। इसलिए इसे भारत का आंगन कहा गया है।

अथवा

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

महानगरों में जो सभ्यता फैली है, वह छिछली और हृदयहीन है। लोगों के पारस्परिक मिलन के अवसर तो बहुत हो गए हैं, मगर इन मिलन में हार्दिकता नहीं होती, मानवीय संबंधों में घनिष्ठता नहीं आ पाती। दफ्तरों, ट्रामों, बसों, रेलों, सिनेमाघरों, सभाओं और कारखानों में आदमी हर समय भीड़ में रहता है, मगर इस भीड़ के बीच वह अकेला होता है। मनुष्य के लिए मनुष्य के भीतर पहले जो माया, ममता और सहानुभूति के भाव थे, वे अब लापता होते जा रहे हैं। देशों की पारस्परिक दूरी घट गई है, लेकिन आदमी और आदमी के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है।

(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।

उत्तर: महानगरों में फैलता अलगाव

(ख) महानगरों की सभ्यता को हृदयहीन क्यों कहा गया है ?

उत्तर: महानगरों की सभ्यता को हृदयहीन इसलिए कहा गया है क्योंकि आज यहाँ लोगों में आपसी घष्ठिता नहीं रही।

(ग) 'हार्दिकता' होने का क्या आशय है ?

उत्तर: स्नेही हार्दिक, सौहार्दपूर्ण, प्रेम से भरा हुआ।

खंड 'ख'

( अभिव्यक्ति और माध्यम तथा रचनात्मक लेखन )

02. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 05+05=10

(क) 'भारतीय किसान' अथवा 'झारखंड के पर्यटन स्थल पर एक निबंध लिखिए।

उत्तर:  "भारतीय किसान"

गाँधी जी का कथन : गाँधी जी ने कहा था-"भारत का हृदय गाँवों में बसता है । गाँवों में ही सेवा और परिश्रम के अवतार किसान बसते हैं। ये किसान ही नगरवासियों के अन्नदाता हैं, सृष्टि-पालक हैं।"

सरल जीवन : भारत के किसान का जीवन बड़ा सहज तथा सरल होता है। उसमें किसी प्रकार की कृत्रिमता नहीं होती । वह अपने जीवन की आवश्यकताओं को सीमित रखता है । रूखा-सूखा भोजन करके भी वह स्वर्गीय सुख का अनुभव करता है । माँ प्रकृति की गोद में उसे बड़ा संतोष मिलता है । प्रकृति से निकट का संबंध होने के कारण भारतीय किसान हृष्ट-पुष्ट तथा स्वस्थ रहता है । वह स्नेहशील, दयालु तथा दूसरों के सुख-दुख में हाथ बँटाता है । वह सात्त्विक जीवन जीता है।

परिश्रमी: भारत का किसान बड़ा परिश्रमी है। वह गर्मी-सर्दी तथा वर्षा की परवाह किए बिना अपने कार्य में जुटा रहता है । जेठ की दोपहरी, वर्षा ऋतु की उमड़ती-घुमड़ती काली मेघ-मालाएँ तथा शीत ऋतु की हाड़ कंपा देने वाली वायु भी उसे अपने कर्तव्य से रोक नहीं पाती । भारतीय किसान का जीवन कठोर तथा कष्टपूर्ण है।

अभाव: भारतीय कृषक का जीवन अभावमय है । दिन-रात कठोर परिश्रम करने पर भी वह जीवन की आवश्यकताएँ नहीं जुटा पाता । न उसे पेट-भर भोजन मिलता है और न शरीर ढंकने के लिए पर्याप्त वस्त्र । अभाव और विवशता के बीच ही वह जन्मता है तथा इसी दशा में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

दुरवस्था के कारण : निरक्षरता भारतीय कृषक की पतनावस्था का मूल कारण है । शिक्षा के अभाव के कारण वह अनेक कुरीतियों से घिरा है । अंधविश्वास और रूदियाँ उसके जीवन के अभिन्न अंग बन गए हैं। आज भी वह शोषण का शिकार है। वह धरती की छाती को फाड़कर, हल चलाकर अन्न उपजाता है कि उसके परिश्रम का फल व्यापारी लूट ले जाता है। उसकी मेहनत दूसरों को सुख समृद्धि प्रदान करती है।

निष्कर्ष : देश की उन्नति किसान के जीवन में सुधार से जुड़ी है। किसान ही इस देश की आत्मा है । अतः उसके उत्थान के लिए हमें हर संभव प्रयत्न करना चाहिए। किसान के महत्त्व को जानते हुए ही लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था-'जय जवान जय किसान ।' जवान देश की सीमाओं को सुरक्षित करता है, तो किसान उस सीमा के भीतर बस रहे जन-जन को समृद्धि प्रदान करता है।

(ख) अपनी रचना प्रकाशन के लिए किसी समाचार पत्र या पत्रिका के संपादक को पत्र लिखिए।

उत्तर: सेवा में,

         दैनिक जागरण

         रांची

विषय -- अपनी रचना के प्रकाशन हेतु ।

महोदय,

आपके दैनिक पत्रिका में मैं हर दिन लोगों की रचना पढ़ता हूं जो बहुत प्रेरणा दायक होता है। मैंने भी कल एक रचना लिखी है जो मैं आपके जागरण में प्रकाशन करवाना चाहता हूं। मैं भी चाहता हूं कि मेरी रचनाओं से और लोग भी प्रेरणा ले ताकि मैं और भी रचना लिखी सकूं।

आशा करता हूं कि आप इस नए लेखक के बात को समझेंगे और मेरी रचना को आपके दैनिक जागरण में स्थान अवश्य देंगे।

20.05.2022

आपका विश्वासी

अंकित राज

(ग) कोरोना से बचाव के उपाय बताते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।

उत्तर: C- 15,

        सिद्धार्थनगर,बीसलपुर।

        दिनांक…..

प्रिय मित्र अक्षय,

नमस्ते।

आशा करता हूं कि आप सकुशल होंगे। गत दिन मुझे आपका पत्र प्राप्त हुआ। जिसमें आपने कोरोना वायरस से बचने के उपायों के विषय में जानकारी लेने की उत्सुकता जताई है।

मित्र, इस महामारी से बचने के लिए मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से आवश्यक है। साथ ही अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने का प्रयास कीजिए। घर में रहकर लॉकडॉउन के नियमों का पालन कीजिए। आवश्यकता होने पर ही घर से बाहर निकलने का कष्ट कीजिए। समय समय पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।

इसके अतिरिक्त सामाजिक दूरी का ध्यान रखें। सामान्यतः दो गज की दूरी बनाकर रखें।

उम्मीद करता हूं कि आप इन उपायों को पालन करेगें। इन उपायों के द्वारा आप कोरोना वायरस के संक्रमण से काफी हद तक दूर रह सकते हैं।

सधन्यवाद।

 

तुम्हारा स्नेही मित्र,

रमेश कुमार,

हजारीबाग।

(घ) रिपोर्ट लेखन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए |

उत्तरः रिपोर्ट अपने आप में एक ऐसा दस्तावेज़ है जिसका महत्त्व मात्र समसामयिक नहीं होता अपितु संबंधित क्षेत्र में सुदूर भविष्य तक भी इसकी उपयोगिता रहती है। रिपोर्ट की विशेषताओं का विवेचन नीचे किया जा रहा है –

1. कार्य योजना-रिपोर्टर को पहले पूरी योजना बनानी चाहिए। विषय का अध्ययन करके उसके उद्देश्य को समझना चाहिए। इसकी प्रारंभिक रूपरेखा बनाने से रिपोर्ट लिखने में सहायता मिलती है।

2. तथ्यात्मकता-रिपोर्ट तथ्यों का संकलन होता है। इसलिए सबसे पहले विषय से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी लेनी पड़ती है। इसके लिए पुराने रिपोर्टों, फाइलों, नियम-पुस्तकों, प्रपत्रों के द्वारा आवश्यक सूचनाएँ इकट्ठी की जाती हैं। सर्वेक्षण तथा साक्षात्कार द्वारा आँकड़ों और तथ्यों को प्राप्त किया जाता है। इन तथ्यों को रिकार्ड किया जाए और आवश्यकता पड़े तो इनके फोटो भी लिए जा सकते हैं।

3. प्रामाणिकता-तथ्यों का प्रामाणिक होना अत्यंत आवश्यक है। किसी विषय, घटना अथवा शिकायत आदि के बारे में जो तथ्य जुटाए जाएँ, उनकी प्रामाणिकता से रिपोर्ट की सार्थकता बढ़ जाती है।

4. निष्पक्षता-रिपोर्ट एक प्रकार से वैधानिक अथवा कानूनी दस्तावेज़ बन जाती है। इसलिए रिपोर्टर का निर्णय विवेकपूर्ण होना अत्यंत आवश्यक है। रिपोर्ट लिखते समय या प्रस्तुत करते समय रिपोर्टर प्रत्येक तथ्य, वस्तुस्थिति, पक्ष-विपक्ष, मत-विमत का निष्पक्ष भाव से अध्ययन करे और फिर उसके निष्कर्ष निकाले। इस प्रकार प्रत्येक स्थिति में उसका यह नैतिक दायित्व हो जाता है कि वह नीर-क्षीर विवेक का परिचय दे। इससे रिपोर्ट उपयोगी होगा और मार्गदर्शक भी सिद्ध होगा।

5. विषय-निष्ठता-रिपोर्ट का संबंधित प्रकरण पर ही केंद्रित होना अपेक्षित है। यदि किसी विषय-विशेष पर रिपोर्ट लिखा जाना है तो उससे संबंधित तथ्यों, कारणों और सामग्री आदि तक ही सीमित रखना चाहिए। इसमें प्रकरण को एक सूत्र की तरह प्राप्त तथ्यों में पिरोया जाए, जिससे प्रकरण अपने-आप में स्पष्ट होगा।

6. निर्णयात्मकता-रिपोर्ट मात्र विवरण नहीं होती। इसलिए रिपोर्टर को संबंधित विषय का विशेष जानकार होना आवश्यक है। यदि वह विशेषज्ञ होगा तो साक्ष्यों और तथ्यों का सही या गलत अनुमान लगा पाएगा तथा उनका विश्लेषण करने में समर्थ होगा। साथ ही वह प्राप्त तथ्यों, साक्ष्यों और तर्कों का सम्यक परीक्षण कर पाएगा और अपने सुझाव तथा निर्णय भी दे पाएगा।

7. संक्षिप्तता और स्पष्टता-रिपोर्ट लिखते समय यह ध्यान रखा जाए कि उसमें अनावश्यक विस्तार न हो। प्रत्येक तथ्य या साक्ष्य का संक्षिप्त और सुस्पष्ट विवरण दिया जाए। यदि रिपोर्ट काफी लंबा हो गया हो तो उसका सार दिया जाए जिससे प्राप्त तथ्यों और सुक्षावों पर ध्यान तुरंत आकृष्ट हो सके। लेकिन अस्पष्ट सूचना या विवरण से उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता। अत: रिपोर्ट संक्षिप्त होते हुए भी अपने आप में स्पष्ट और पूर्ण होनी चाहिए।

खंड - 'ग' (पाठ्यपुस्तक)

03. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य सौंदर्य लिखिए- 05

(क) कलकत्ता मैं कभी न जाने दूँगी

       कलकत्ते पर बजर गिरे।

उत्तर: प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं त्रिलोचन द्वारा रचित कविता 'चम्पा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती' से अवतरित है। कवि चम्पा को पढ़ने के लिए प्रेरित करता है, पर वह न पढ़ने की जिद पर अड़ी है।

व्याख्या-कवि चम्पा को पढ़ने का परामर्श देता है और उसे भविष्य की ऊँच-नीच समझाता है। वह उससे कहता है कि एक दिन तुम्हारा ब्याह हो जाएगा, तुम्हारा गौना भी होगा, तब तुम पति के घर चली जाओगी। तुम्हारा पति कुछ दिन तो तुम्हारे साथ रहेगा, फिर काम धंधा करने के लिए वह कलकत्ता (कोलकाता) चला जाएगा। यह कलकत्ता बहुत दूर है। तुम्हें उस तक अपना संदेशा भेजना होगा, भला न पढ़-लिखने की स्थिति में तुम उस तक अपना संदेशा कैसे भेज पाओगी? जब उसका पत्र आएगा, तब तुम उसे पढ़ भी नहीं पाओगी। अत: विचार कर लो, पढ़ लेना बहुत अच्छा है।

चम्पा ने कवि को उत्तर दिया कि तुम तो बहुत झूठे हो। तुम तो पढ़-लिखकर भी झूठ बोलते हो। मैं कभी ब्याह ही नहीं करूंगी। इसके बावजूद भी यदि मेरा ब्याह हो ही गया तो मैं अपने पति को अपने साथ ही रखूँगी और उसे कभी कलकत्ता नहीं जाने दूँगी। ऐसे कलकत्ते पर बजर गिरे, जो मेरे पति को मुझसे अलग करे।

काव्य सौंदर्य:

चम्पा अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त है।

वह संघर्षशील है।

→ सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।

छंद-अलंकार बंधन-मुक्त भाषा प्रयुक्त है।

(ख) अपने चेहरे पर

       संथाल परगना की माटी का रंग

      भाषा में झारखंडीपन

      ठंडी होती दिनचर्या में

      जीवन की गर्माहट

उत्तर: प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘आओ, मिलकर बचाएँ’ से उद्धृत है। यह कविता संथाली कवयित्री निर्मला पुतुल द्वारा रचित है। यह कविता संथाली भाषा से अनूदित है। कवयित्री अपने परिवेश को नगरीय अपसंस्कृतिक से बचाने का आहवान करती है।

व्याख्या-कवयित्री कहती है कि हमें अपनी संस्कृति को बचाना है। हमारे चेहरे पर संथाल परगने की मिट्टी का रंग झलकना चाहिए। भाषा में बनावटीपन न होकर झारखंड का प्रभाव होना चाहिए। कवयित्री कहती है कि शहरी संस्कृति से इस क्षेत्र के लोगों की दिनचर्या धीमी पड़ती जा रही है। उनके जीवन का उत्साह समाप्त हो रहा है। उनके मन में जो खुशियाँ थीं, वे समाप्त हो रही हैं।

काव्य सौंदर्य:

कवयित्री में परिवेश को बचाने की तड़प मिलती है।

भाषा प्रवाहमयी है।

उर्दू मिश्रित खड़ी बोली है।

काव्यांश मुक्त छद तथा तुकांतरहित है।

प्रतीकात्मकता है।

भाषा प्रवाहमयी है।

काव्यांश मुक्त छंद तथा तुकांतरहित है।

04. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए -03+03= 06

(क) कमीज न होने पर लोग पाँवों से पेट क्यों ढक लेते हैं?

उत्तर: यहाँ के लोग इतने दीन-हीन और यथास्थितिवादी हो चुके हैं कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करते। वे हर अभाव को चुपचाप सह लेते हैं। वे अपने में ही सिकुड़कर जैसे-तैसे जीने को ही अपनी नियति बना लेते हैं। इनमें संघर्ष करने की इच्छा मर चुकी है। जो है उसी में संतोष करते हैं और कुछ नहीं भी है, तो भी खाली पेट ही संतोष करके सो जाते हैं अर्थात कमीज न होने पर लोग पाँवों से पेट क्यों ढक लेते हैं

(ख) पठित कविता में चंपा की किन विशेषताओं का चित्रण है?

उत्तर: कवि ने चंपा की निम्न विशेषताओं का वर्णन किया है –

1. चंपा एक ग्रामीण बाला है। उसका स्वभाव नटखट, चंचल और शरारती है कभी-कभी वह शरारतवश खूब ऊधम मचाती है और कवि की कलम और कागज को चुराकर छिपा देती है।

2. चंपा अबोध बालिका है, वह पढ़ाई-लिखाई का महत्त्व नहीं समझती।

3. चंपा का स्वभाव मुखर और विद्रोही भी है। कवि के समझाने पर भी वह पढ़ना-लिखना नहीं चाहती और अपनी मन की बात को बिना छिपाए मुँह पर कह देती है।

4. चंपा में परिवार के साथ मिलकर रहने की भावना है। वह परिवार को तोड़ना नहीं चाहती।

(ग) 'भाषा में झारखंडीपन' से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: संथाली आदिवासियों की मातृभाषा संथाली है। वे दैनिक व्यवहार में जिस संथाली भाषा का प्रयोग करते हैं, उसमें उनके राज्य झारखंड की पहचान झलकती है। उनकी भाषा से यह पता लग जाता है कि वे झारखंड राज्य के निवासी हैं।कवयित्री भाषा के इसी स्थानीय स्वरुप की रक्षा करने को कहती है। कवयित्री चाहती है कि संथाली लोग अपनी भाषा की स्वाभाविक विशेषता को नष्ट न करें।

05. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए -03+03 06

(क) धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंदी क्यों नहीं समझता था?

उत्तर: धनराम और मोहन दोनों अलग-अलग जाति के थे। धनराम के हृदय में बचपन से ही अपनी छोटी जाति को लेकर हीनभावना समा गई थी। इसके साथ-साथ वह मोहन की बुद्धिमानी को भी बहुत अच्छी तरह समझता था। अतः जब मोहन उसे मास्टर जी के कहने पर मारता या सज़ा देता, तो वह इन दोनों कारणों से उसे अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझता है। उसे लगता है कि मोहन यह सब करने का अधिकारी है।

(ख) इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता है, क्यों?

उत्तर: स्पीति की भौगोलिक तथा प्राकृतिक स्थितियाँ ऐसी नहीं कि लोग वहाँ खुलकर जीवन-यापन कर सकें। यहाँ वर्षा नाममात्र के लिए ही होती है तथा लगभग आठ-नौ महीने बर्फ पड़ती रहती है। परिवहन तथा संचार के साधनों का अभाव पाया जाता है। इतिहास में आने के लिए ऐसी उल्लेखनीय घटनाओं तथा परिस्थितियों का होना जरूरी है, जिसकी यहाँ कमी है| यही कारण है कि इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता।

(ग) रजनी धारावाहिक की पठित कड़ी में किस समस्या का चित्रण हुआ है?

उत्तर: रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या शिक्षा का व्यवसायीकरण है। स्कूल के अध्यापक बच्चों को ज़बरदस्ती ट्यूशन पढ़ने के लिए विवश करते हैं तथा ट्यूशन न लेने पर वे उनको कम अंक देते हैं।

06. प्रेमचंद अथवा त्रिलोचन की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए। 02

उत्तर: प्रेमचंद की रचना: 1. पूस की रात 2. पंच परमेश्वर

         त्रिलोचन की रचना: 1. धरती , 2. मैं उस जनपद का कवि हूं।

07. पठित पाठ के आधार पर बतलाएँ कि घरों में काम करने वाली महिलाओं का जीवन कितना जटिल और कठिन होता है? 03

उत्तर: घरों में काम करने वालों के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है-

घरेलू नौकरों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती। उनकी नौकरी कभी भी खत्म हो सकती है।

उन्हें गदे व सस्ते मकानों में रहना पड़ता है, क्योंकि ये अधिक किराया नहीं दे पाते।

इन लोगों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है। नौकरानियों को अकसर शोषण का शिकार होना पड़ता है।

इन लोगों के साथ मकान मालिक अशिष्ट व्यवहार करते हैं।

बेबी की तरह इन्हें सुबह से देर रात तक काम करना पड़ता है।

अन्य समस्याएँ

अपूर्ण भोजन व दवाइयों के अभाव में ये अकसर बीमार रहते हैं।

धन के अभाव में इनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। उन्हें कम उम्र में ही दूसरों के यहाँ काम करना पड़ता है।

ये अकसर आर्थिक संकट में फँसे रहते हैं।

अथवा,

तातुश के परिवार ने बेबी कि जिंदगी को सँवारने में कैसे सहायता की?

उत्तर: तातुश के संपर्क में आने से पहले बेबी कई घरों में काम कर चुकी थी। उसका जीवन कष्टों से भरा था। तातुश के परिवार में आने के बाद उसे आवास, वित्त, भोजन आदि समस्याओं से राहत मिली। यहाँ उसके बच्चों का पालन-पोषण ठीक ढंग से होने लगा। यदि उसकी जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन अंधकारमय होता। उसे गंदी बस्ती में रहने के लिए विवश होना पड़ता। उसके बच्चों को शिक्षा शायद नसीब ही नहीं होती, क्योंकि उसके पास आय के स्रोत सीमित होते। बच्चे या तो आवारा बन जाते या बाल मजदूर बनते। अकेली औरत होने के कारण उसे समाज के लोगों के मात्र अश्लील व्यवहार का ही सामना नहीं करना पड़ता, अपितु उसे अवारा लोगों के शोषण का शिकार भी होना पड़ सकता था। बड़ा लड़का तो शायद ही उसे मिल पाता। उसके पिता भी उसे याद नहीं करते और माँ की मृत्यु का समाचार भी नहीं मिलता। इस तरह बेबी का जीवन चुनौतीपूर्ण तथा अंधकारमय होता।

08. ‘आलो आँधारि’ पाठ में स्त्री-पुरुष संबंध की किस समस्या पर प्रकाश डाला गया है? 02

उत्तर: पाठ में ऐसे अनेक अंश हैं जिनसे ज्ञात होता है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं।

1. बेबी के प्रति उसके आस-पड़ोस के लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं था। वे सदा उससे पूछा करते कि उसका स्वामी कहाँ है? मकान मालकिन उससे पूछती कि वह कहाँ गई थी? क्यों गई थी? आदि।

2. मकान मालकिन का बड़ा बेटा उसके द्वार पर आकर बैठ जाता है और इस तरह की बातें कहता है जिनका अर्थ था कि यदि वह चाहे तभी बेबी उस घर में रह सकती है।

3. कुछ लोग जानबूझकर उसके स्वामी के विषय में प्रश्न पूछा करते थे, इसी बात पर उसे ताने देते या छेड़ते थे।

4. जब झुग्गियों पर बुलडोजर चलाया गया तो सभी अपना सामान समेटकर दूसरे घरों में चले गए, पर वह अकेली बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे बैठी रही।

उपर्युक्त अंशों से स्पष्ट होता है कि पुरुष स्त्री पर ज्यादती करे तो भी पूरे समाज की ज्यादतियों से बचने का एक सुरक्षा कवच तो है ही।

वर्तमान समय में स्त्रियों की स्थिति में काफी बदलाव आया है। शिक्षा वे कानूनों के कारण स्त्रियों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। अब वे अकेली रहकर भी जीवन यापन कर सकती हैं।

अथवा

लेखिका के बाबा ने चलते समय क्या कहा?

उत्तर: लेखिका के बाबा कभी शायद ही उससे मिलने आए हों। अब जब उन्हें कहीं से पता चला कि बेबी लेखन कार्य कर रही है तो वे लेखिका से मिलने आए। चलते समय उन्होंने लेखिका के बड़े लड़के से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि तुम लोग और भी तरक्की करो। बाबा ने लेखिका से कहा कि अब उसके सुख के दिन आने वाले हैं। उसका लड़का बड़ा हो रहा है। वही एक दिन उसे सुख देगा। अभी वह थोड़ा कष्ट और उठा ले, बाद में सुख ही सुख है।

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