झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021 2022)
सेट- 02
कक्षा- 11 |
विषय- हिंदी (ऐच्छिक) |
समय 1 घंटा 30 मिनट |
पूर्णांक - 40 |
सामान्य निर्देश-:
→ परीक्षार्थी
यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें ।
→ इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों
का उत्तर देना अनिवार्य है।
→ सभी प्रश्न के लिए निर्धारित
अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।
→ प्रश्नों के उत्तर उसके साथ
दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।
खंड
- 'क'
(अपठित
बोध)
01.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 02+02+02=06
हमारे
चारों ओर प्रकृति का जो समूचा रूप दिखाई पड़ता है या महसूस होता है, वही पर्यावरण है।
प्रकृति और मानव का चिरंतन संबंध है। कहा जाता है कि मानव प्रकृति के पाँच तत्वों-
भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश से निर्मित हुआ है। इन्हीं तत्वों के आपसी संतुलन, इनकी
एक-दूसरे की अनिवार्यता से बने वातावरण को हम पर्यावरण के रूप में जान सकते हैं। पर्यावरण
अशुद्ध होना ही प्रदूषण है। प्रदूषण की समस्या आज की एक बड़ी समस्या है। यह समस्या
विज्ञान की देन है। बढ़ते हुए उद्योग- धंधों से यह पनपी है। जब तक शहर नहीं बने थे,
प्रदूषण का नामोनिशान नहीं था। प्रकृति में संतुलन बना हुआ था। वायु और जल शुद्ध थे,
धरती उपजाऊ थी।
(क) प्रदूषण की समस्या विज्ञान की देन है- कैसे?
उत्तर:
विज्ञान के कारण उद्योग धंधे बढ़े हैं, शहर बनने लगे हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा
है।
(ख) पर्यावरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
हमारे चारों ओर प्रकृति का जो समूचा रूप दिखाई पड़ता है या महसूस होता है, वहीं पर्यावरण
है।
(ग) पर्यावरण और प्रदूषण में क्या संबंध है?
उत्तर:
पर्यावरण अशुद्ध होना ही प्रदूषण है।
अथवा
निम्नलिखित
पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
छोड़ो
मत अपनी आन सीस कट जाए।
मत
झुको अनय पर भले व्योम फट जाए
दो
बार नहीं यमराज कंठ धरता है,
मरता
है जो एक ही बार मरता है ।
तुम
स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे।
जीना
हो तो मरने से नहीं डरो रे।
(क) 'अनय' का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताएँ कि अनय के सम्मुख क्यों नहीं
झुकना चाहिए?
उत्तर:
'अनय' का अर्थ अत्याचार या अन्याय होता है। अन्य के सम्मुख झुकने से हमारी आन बान शान
(मर्यादा) खत्म हो जाती है।
(ख) मरण के मुख पर चरण धरों का आशय स्पष्ट कीजिए
उत्तर:
इसका अर्थ है कि वह मौत से ना डरे अपितु मौत को अपने चरणों में गिरा दो अर्थात उसे
अपने वश में कर लो।
(ग) पद्यांश में कवि क्या प्रेरणा दे रहा है?
उत्तर:
इस पद्यांश के माध्यम से कवि हमें अन्याय, दुख, अत्याचार से लड़ने की प्रेरणा दे रहा
है।
खंड
- 'ख'
(अभिव्यक्ति
और माध्यम तथा रचनात्मक लेखन)
02.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 05+05=10
(क) कंप्यूटर साक्षरता का महत्व' अथवा 'राष्ट्रीय एकता विषय पर एक निबंध
लिखिए।
उत्तर: 'कम्प्यूटर साक्षरता का महत्व'
वर्तमान
युग-कंप्यूटर युग : वर्तमान युग कंप्युटर युग है । यदि भारतवर्ष पर नजर दौड़ाकर देखें
तो हम पाएँगे कि आज जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रवेश हो गया है।
बैंक, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, डाकखाने, बड़े-बड़े उद्योग, कारखाने, व्यवसाय, हिसाब-किताब,
रुपये गिनने की मशीनें तक कंप्यूटरीकृत हो गई हैं। अब भी यह कंप्यूटर का प्रारंभिक
प्रयोग है। आने वाला समय इसके विस्तृत फैलाव का संकेत दे रहा है।
कंप्यूटर
की उपयोगिता : आज मनुष्य-जीवन जटिल हो गया है। सांसारिक गतिविधियों, परिवहन और संचार-उपकरणों
आदि का अत्यधिक विस्तार हो गया है। आज व्यक्ति के संपर्क बढ़ रहे हैं, व्यापार बढ़
रहे हैं. गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, आकांक्षाएँ बढ़ रही हैं, साधन बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप
सब जगह भागदौड़ और आपाधापी चल रही है।
स्वचालित
गणना-प्रणाली : इस 'पागल गति' को सुव्यवस्था देने की समस्या आज की प्रमुख समस्या है।
कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है, जो कैसी भी अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती
है । हड़बड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर रामबाण औषधि है। क्रिकेट
के मैदान में अंपायर की निर्णायक भूमिका हो, या लाखों-करोड़ों-अरबों की लंबी-लंबी गणनाएँ,
कंप्यूटर पलक झपकते ही आपकी समस्या हल कर सकता है । पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी
हड़बड़ाकर काम करते थे । परिणामस्वरूप काम कम, तनाव अधिक होता था । अब कंप्यूटर की
सहायता से काफी सुविधा हो गई है।
कार्यालय
तथा इंटरनेट में सहायक : कंप्यूटर ने फाइलों की आवश्यकता कम कर दी है। कार्यालय की
सारी गतिविधियों चिप में बंद हो जाती हैं। इसलिए फाइलों के स्टोरों की जरूरत अब नहीं
रही । अब समाचार-पत्र भी इंटरनेट के माध्यम से पढ़ने की व्यवस्था हो गई है। विश्व के
किसी कोने में छपी पुस्तक, फिल्म, घटना की जानकारी इंटरनेट पर ही उपलब्ध है । एक समय
था जब कहते थे कि विज्ञान ने संसार को कुटुंब बना दिया है। कंप्यूटर ने तो मानों उस
कुटुंब को आपके कमरे में उपलब्ध करा दिया है।
नवीनतम
उपकरणों में उपयोगिता : आज टेलीफोन, रेल, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि उपकरणों के बिना नागरिक
जीवन जीना कठिन हो गया है। इन सबके निर्माण या संचालन में कंप्यूटर का योगदान महत्त्वपूर्ण
है । रक्षा-उपकरणों, हजारों मील की दूरी पर सटीक निशाना बाँधने, सूक्ष्म-से-सूक्ष्म
वस्तुओं को खोजने में कंप्यूटर का अपना महत्त्व है । आज कंप्यूटर ने मानव-जीवन को सुविधा,
सरलता, सुव्यवस्था और सटीकता प्रदान की है। अत: इसका महत्त्व बहुत अधिक है।
कम्प्यूटर
के प्रचलन के साथ व्यापक बेरोजगारी की सम्भावना व्यक्त की गयी थी। लेकिन यह आशंका निर्मूल
साबित हुई है । कम्प्यूटर ने असीमित संभावनाओं के द्वारा खोल दिये हैं । किन्तु इसके
प्रयोग में सतर्क, सचेत और सावधान रहने की आवश्यकता है । यह एक ऐसा साधन है जिसका राष्ट्र
की प्रगति में अमूल्य योगदान है । लेकिन, एक बात स्मरणीय है कि कम्प्यूटर साधन भर है
साध्य नहीं । मानव के ऊपर इसे महत्व देना अनुचित होगा।
(ख) प्राचार्य को पत्र लिखकर विद्यालय में वाचनालय के लिए हिंदी और
अंग्रेजी के एक-एक दैनिक समाचार पत्र मँगवाने के लिए आवेदन पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
प्रधानाचार्य
महोदय
+2
जिला स्कूल रांची
विषय-हिंदी और अंग्रेजी के एक-एक दैनिक समाचार पत्र मँगवाने के संबंध
में।
महोदय,
सविनय
निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की ग्यारहवीं कक्षा का छात्र हूँ। इस विद्यालय का
पुस्तकालय अत्यंत समृद्ध है। यहाँ बहुत सारी पुस्तकें हैं, पर इनमें से अधिकांश कहानियों
की पुस्तकें है। देश दुनिया में रोज क्या हो रहा है इससे हम सभी अनजान बने हुए हैं।
और हमारी वाक्पटुता भी कमजोर हो रही है।
अतः
आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय के पुस्तकालय और वाचनालय के लिए हिंदी और अंग्रेजी के
एक-एक दैनिक समाचार पत्र मँगवाकर कृतार्थ करें ताकि हम छात्र भी इनसे लाभान्वित हो
सकें।
सधन्यवाद
आपका
आज्ञाकारी शिष्य
विनय
कुमार
ग्यारहवीं-बी,
अनु. - 10
(ग) समाचार लेखन के लिए आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समाचार के प्रमुख तत्त्वों में नवीनता, निकटता, प्रभाव, जनरूचि, टकराव, महत्त्वपूर्ण
लोग, उपयोगी जानकारियाँ, विलक्षणता, पाठकवर्ग और नीतिगत ढाँचा शामिल हैं। किसी घटना,
विचार और समस्या के समाचार बनने की संभावना तब और बढ़ जाती है जब उपर्युक्त तत्त्वों
में से कुछ या सभी तत्त्व शामिल हों।
(i)
नवीनता : किसी घटना, विचार और समस्या का समाचार बनने के लिए यह आवश्यक है कि वह नया
और ताजा हो। समाचार के संदर्भ में नवीनता का अभिप्राय उसका सम-सामयिक अथवा समयानुकूल
होना जरूरी
(ii)
निकटता : यह सामान्य सी बात है कि सबसे निकट के लोग, वस्तु या घटना से ही, मनुष्य का
विशेष लगाव होता है, अथवा उसमें उसकी रूचि होती है। निकटता के संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय
है कि समाचार के लिए केवल भौगोलिक निकटता ही महत्त्व की नहीं है बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक
निकटता का संबंध भी महत्त्वपूर्ण होता है।
(iii)
प्रभाव : किसी धाटना से जितने ही अधिक लोग प्रभावित होंगे, उससे उसके समाचार बनने की
संभावना उतनी ही अधिक होगी।
(iv)
जनरूचि : कोई घटना तभी समाचार बनता है जब पाठकों/दर्शका या श्रोताओं का एक बहुत बड़ा
समूह उसके बारे में जानने में रूचि रखता है। यह जनरूचि समाचार का एक ऐसा तत्त्व है
जिसको लक्ष्य में रखकर ही का समाचारपत्र किसी घटना-विशेष को समाचार बनाकर अपने समाचार
पत्र छापते हैं।
(v)
पाठक वर्ग: साधारणतया प्रत्येक समाचार संगठन, दूरदर्शन चैनल या रेडियो आदि के एक खास
वर्ग के पाठक/दर्शक और श्रोता होते हैं। समाचार माध्यम समाचारों का चयन करते समय अपने
पाठकों/दर्शकों और श्रोताओं का रूचियों का खास ख्याल रखते हैं।
(घ) पत्रकारिता किसे कहते हैं? पत्रकारिता के प्रकारों को लिखिए।
उत्तर: ज्ञान और विचारों का समीक्षात्मक टिप्पणियों के
साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचा ही पत्रकारिता है।
पत्रकारिता
के निम्नलिखित प्रकार हैं-
(i)
खोजपरक या खोजी पत्रकारिता (ii) विशेषीकृत पत्रकारिता (ii) वाचडॉग पत्रकारिता (iv)
एडवोकेसी पत्रकारिता एवं (v) वैकल्पिक पत्रकारिता ।
(1)
खोजपरख या खोजी पत्रकारिता ! खोजी पत्रकारिता द्वारा सार्वजनिक महत्त्व के मामलों में
भष्टाचार, गड़बड़ी, अनियमितताओं और अनैतिकताओं को उजागर करने का प्रयत्न किया जाता
है। खोजी पत्रकारिता का ही नया रूप टेलीविजन में 'स्टिंग आपरेशन' के रूप में सामने
आया है।
(ii)
विशेषीकृत पत्रकारिता :, इसके लिए पत्रकार से किसी व्यापक क्षेत्र में विशेषज्ञता की
अपेक्षा की जाती है। पत्रकारिता के विषयानुसार विशेषज्ञता के प्रमुख क्षेत्र हैं-'संसदीय
पत्रकारिता', 'न्यायालय पत्रकारिता', 'आर्थिक पत्रकारिता', 'विज्ञान और विकास पत्रकारिता',
'अपराध फैशन तथा फिल्म पत्रकारिता' ।
(iii)
वाचडॉग पत्रकारिता : 'बाँचडॉग पत्रकारिता' का मुख्य काम और जवाबदेही सरकार के कामकाजों
और गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी है। जहाँ कहीं भी कोई गड़बड़ी नजर आये वह उसको उद्घाटित
करें।
(iv)
एडवोकेसी पत्रकारिता : एडवोकेसी या पक्षधर पत्रकारिता का संबंध विशेश विचारधारा, मान्यता
या मुद्दों से होता है। एडवोकेसी पत्रकारिता के संचालक समाचार संगठन अपने विशेष उद्देश्यों,
मुद्दों और विचारधारा को जोर-शोर से उठाते हैं उनके पक्ष में जनमत की दिशा मोड़ने की
कोशिश करते हैं। कभी-कभी किसी विशिष्ट मुद्दे पर जनमत बनाकर उसके अनुकूल प्रतिक्रिया
करने या (निर्णय) लेने के लिए दबाव बनाते हैं।
(v)
वैकल्पिक पत्रकारिता : पत्रकारिता को जो रूप स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने
और उसकी सोच को अभिव्यक्त करने का प्रयत्न करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता
है। इस तरह की मीडिया को न तो पूँजीपतियों का बरदहस्त प्राप्त होता है और न ही सरकार
का रक्षा कवच ही उसे मिलता है। वह तो पाठकों के सहयोग पर ही साँस लेती है।
खंड - 'ग' (पाठ्यपुस्तक)
03.
निम्नलिखित में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए - 05
(क) नभ तारक-सा खंडित पुलकित
यह क्षूर-धारा को चूम रहा
वह अंगारों का मधु-रस पी
केसर- किरणों-सा झूम रहा,
अनमोल बना रहने को कब टूटा कंचन हीरक पिघला?
उत्तर:
प्रसंग :- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा-I में महादेवी वर्मा द्वारा
रचित 'सब आँखो के आँसू उजले' से लिया गया है। इसमें कवियित्रीं ने सोने और हीरे के
माध्यम से जीवन के सत्य को समझाते हुए कहती है कि:-
व्याख्या
:- जिस प्रकार आकाश में तारा टुटकर प्रसन्न होता है उसी प्रकार हीरा भी चाकू के धार
को चुमकर प्रसन्न होता है, और वह टूटकर ही चमकता है। तथा सोना आग की भट्ठी में जलकर
ही केशर के किरणो की भाँति झूमता है। अर्थात दोनो अपने- अपने ढंग से लोकप्रिय हैं।
लोकप्रिय रहने के लिए ना तो हीरा कभी पिघलता है और ना ही सोना कभी टूटता है। अर्थन
सभी अपने- अपने ढंग से सपने को सच कर रहे हैं।
काव्य
सौदर्य:-
→
भाषा
तत्सम प्रधान खड़ी बोली है।
→
कविता में संगीतात्मकता है।
→
लाक्षणिक था,चित्रमय था और बिंबधर्मिता है।
(ख) देख अंधेरा नयन दूखते,
दुश्चिंता में प्राण सूखते।
सन्नाटा गहरा हो जाता
जब-जब स्वान शृंगाल भूकते!
भीत-भावना भोर सुनहरी
नयनो के न निकट लाती है !
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा-I में नरेन्द्र शर्मा द्वारा, रचित
'नींद उचट जाती है' से लिया गया है। इसमें कवि ने जीवन और वास्तविक अधेरा के बारे में
बताते हुए कहते हैं, कि-
व्याख्या-
अंधेरा को देखकर हमारी आँखे दुखने लगती हैं, जब रात को बरे- बुरे सपने आने लगते हैं तो उनके प्राण सुखने
लगते हैं। जब रात में कुत्ते और सियार भौंकने लगते हैं तो उस समय पूरा सन्नाटा छा जाता
है। मन के डर के सामने सुनहरी भोर नहीं आती है। अर्थात जीवन में केवल अंधेरा है। सुख
काल्पनिक है।
काव्य
सौदर्य:
→
कविता
की भाषा सरल एवं स्पष्ट है ।
→
कविता
में
संगीतात्मकता
है।
→
संस्कृत,तद्भव,देशज,
आंचलिक
तथा
अरबी-फारसी
शब्दों
की
प्रधानता
है।
→
जब-जब
मे
पुनरुक्ति
अनुप्रास
अलंकार
है।।
→
भीत
भावना
में
अनुप्राप्त
अलंकार
है।
04.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दें- 03+03 06
(क) 'जाग तुझको दूर जाना' स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण
गीत है। इस
कथन के आधार पर कविता
की मूल संवेदना लिखिए।
उत्तर:
'जाग तुझको दूर जाना' कविता महादेवी वर्मा द्वारा स्वाधीनता आंदोलन के समय रची गई थी
इसमें देशवासी आजादी तो चाहते थे परंतु वे अंग्रेजों से प्रत्यक्ष लड़ाई करने से डरते
थे। अत: महादेवी वर्मा ने अपने गीत के माध्यम से देशवाशियों को जागृत करने का प्रयास
किया है। साथ ही यह कविता मानव को विपरित परिस्थितियों में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे
रही है। इसमें यह कहा गया है कि भले ही तुम्हारे मार्ग में हिमालय आ जाए, भूकंप क्यों
न आ जाए, चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा क्यो न छा जाए, आसमान में बिजली भी क्यों न कड़कने
लगे लेकिन आपको हिम्मत नहीं हारना है। आपको हमेशा अपने पथ पर आगे बढ़ते रहना है।
(ख) बादलों का वर्णन करते हुए कवि नागार्जुन को कालिदास की याद क्यों
आती है?
उत्तर:
प्रस्तुत प्रश्न हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा-1 मे नागार्जुन द्वारा रचित 'बादल को घिरते
देखा है' से लिया गया है। इसमें बादल को देखकर कवि को कालिदास की याद आती है क्योंकि
कालिदास ने अपनी विरह रचना' मेघदूत' मे धनकुबेर, यक्ष, तथा उनका नगर अलकापुरी का वर्णन
किया है। जिसमे यक्ष को एक वर्ष के तड़ीपार का दण्ड मिलता है तो यक्ष मेघ के माध्यम
से अपनी प्रेमिका तक संदेश पहुंचाते है। लेकिन कवि नागार्जुन को कहीं भी वह धनकुबेर,
वह नगर दिखाई नहीं पड़ता है और ऐसा लगता है कि यक्ष ने जिस बादलों के माध्यम से अपनी
प्रिया तक संदेश भेजा था वह बादल भी इधर ही पर्वतों में बरस रहा है। इसलिए बादल को
देखकर नागार्जुन को कालिदास की याद आती है।
(ग) 'रिश्ते हैं, लेकिन खुलते नहीं - कवि के सामने ऐसी कौन-सी विवशता
है जिससे आपसी रिश्ते भी
नहीं खुलते हैं? 'घर में
वापसी कविता के आधार पर लिखिए |
उत्तर:
प्रस्तुत प्रश्न हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा-1 में सुदामा पांडे 'धूमिल' द्वारा रचित
'घर की वापसी' से लिया गया है। इसमें कभी कहते हैं रिश्ते हैं लेकिन खुलते नहीं है
अर्थात कवि के घर के लोग खुलकर भी एक दूसरे से बात नहीं कर पाते हैं जिसका मुख्य कारण
है गरीबी। गरीबी के कारण लोग एक दूसरे से दूर रहते हैं, खुल कर बात नहीं कर पाते हैं
तथा चाहकर भी एक दूसरे के लिए कुछ कर नहीं पाते हैं।
05.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दें- 03+03 06
(क) ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में शुमार क्यों नहीं
किया गया? तर्कसहित उत्तर लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत प्रश्न हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा-1 से संकलित हैं। इसमें सुधा अरोड़ा ज्योतिबा
फुले के बारे में लिखते हुए बताते हैं कि हम जिन पांच समाज सुधारको का नाम प्राय: सुनते
हैं उनमें ज्योतिबा फुले का नाम शुमार नहीं है क्योकि इस सूचि को बनाने वाले उच्च वर्ग
के लोग है जो जातिवाद एंव पूंजीवाद को कायम रखना चाहते हैं। परंतु ज्योतिबा फुले नें
इन ब्राह्मणवादी एवं पूँजीवादी मानसिकता पर हल्ला बोल दिये है इसलिए इनका नाम समाज
सुधारको की सूचि में शामिल नहीं किया गया।
(ख) 'खानाबदोश' कहानी में आज के समाज की किन समस्याओं को रेखांकित किया
गया है?
उत्तर:
प्रस्तुत प्रश्न हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा-I मे ओमप्रकाश वाल्मिकि द्वारा रचित खानाबदोश
कहानी से अवतरित हैं। इसमें लेखक ने वर्तमान समाज के कई समस्याओं को रेखाकिंत किया
है। जो इस प्रकार है:
(i)
मजदूरों का शोषण हर क्षेत्र में होता है। आज भी मजदूर यातना और शोषण झेलने के लिए विवश
है।
(ii)
मजदूर आज भी निम्न स्तर का जीवन जीते हैं उनके पास कई मूलभूत सुविधाओं का आभाव होता
है।
(iii)
निम्न वर्ग की स्त्री आज भी सुरक्षित नहीं है उन पर हमेशा बड़े लोगों की बुरी नजर पड़ी
रहती है।
(ग) 'जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार हिंदुस्तानी
लोगों को कोई चलाने वाला हो' से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के
लिए क्यों कहा है ?
उत्तर:
प्रस्तुत प्रश्न हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक अंतरा -I मे भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा
रचित भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? से लिया गया है। इसमे लेखक कहते हैं कि अगर
हिन्दुस्तानी लोगो को कोई चलानेवाला हो तो ये क्या नहीं कर सकते हैं। अर्थात हिन्दुस्तानी
विश्व के हर संभव- असंभव कार्य को कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें अपने मूल खराबियों को खोजने की आवश्यकता है। क्योंकि
मूल खराबि खोज लेगे तो इससे मेरा देश सुधर जाएगा । ये खराबी हमारे देश, धर्म, जाति
में छुपा हुआ है जिन्हें ढूँढ-ढूँढ कर खतम करना होगा। इसमें कुछ लोग बदनाम हो सकते
हैं, जाति से बाहर जा सकते हैं, कैद हो सकते हैं, जान से मारे जा सकते हैं, लेकिन मेरा
देश सुधर जाएगा।
06. सुधा अरोड़ा अथवा महादेवी वर्मा की किन्ही दो रचनाओं के नाम लिखिए।
02
उत्तर:
सुधा अरोडा- शुद्ध विराम, काला शुक्रवार
महादेवी वर्मा - पथ के साथी, अतीत के चलचित्र
07.प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में क्या फर्क
आया है? पाठ के आधार पर बताएं। 03
उत्तर:
मकबूल फिदा हुसैन द्वारा रचित हुसैन की कहानी अपनी जबानी में हम यह देखते हैं कि पहले
प्रचार प्रसार के लिए तांगे पर इश्तिहार लगाकर ब्रास बैंड के साथ पूरे शहर के गली कूचों
मे घुमाया जाता था साथ ही फिल्मी इश्तिहार एवं हीरो हिरोईन का फोटो मुफ्त में बाँटा
जाता था। परंतु आज कल प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञापन तथा ब्रांड एंबेस्टर के रूप मे
फ़िल्मी कलाकारों एवं खिलाड़ियो का सहारा लेती है।
अथवा
हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी' पाठ में मकबूल के पिता के व्यक्तित्व की
कौन कौन सी बातें- उभरकर आई है?
उत्तर:
प्रस्तुत प्रश्न हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक अंतरा -I मे मकबूल फिदा हुसैन द्वारा
रचित हुसैन की कहानी अपनी जबानी से अवतरित है। इसमें मकबूल के पिता की निम्न विशेषता
बताई गई हैं:-
→
भविष्य के प्रति चिंतित :- जब मकबूल के दादा जी की मृत्यु हो गई तो मकबूल के पिता को
अपने बेटे की चिंता होने लगी और इसलिए वे लेखक
को बड़ौदा के बोर्डिग स्कूल में भेजने का निर्णय किया।
→
धार्मिक प्रवृत्ति :- मकबूल के पिता धार्मिक प्रकृति के व्यक्ति थे। वे चाहते थे कि
उनका बेटा पढ़ाई के साथ-साथ 'तालीम' की शिक्षा भी ले, रोजा- नमाज को समझें तथा अच्छा
आचरण सीखें।
→
दूरदर्शी सोच :- जब लेखक ने अपने पिता को प्रसिद्ध चित्रकार बेंद्रे से मिलवाया तो
बेंद्रे ने मकबूल के चित्रकारी की तारीफ की तो तुरंत उनके पिता ने मकबूल के लिए, विनसर
न्युटन से ऑयल ट्यूब और कैनवास मंगवाने का आर्डर भिजवा दिया और मकबूल के अच्छे भविष्य
की नींव रखी।
08. आप इस बात को कैसे कह सकते हैं कि लेखक का अपने दादा से विशेष लगाव
रहा? 02
उत्तर:
पाठ के आधार पर हमेशा यह पता चलता है कि लेखक का अपने दादा जी से विशेष लगाव रहा क्योंकि
जब उनके दादा जी की मृत्यु हुई तो वह दिन भर दादा जी के कमरे में ही बंद रहता था, उन्हीं
की बिस्तर पर उनकी अड़चन ओढ़कर सोता था। हमेशा गुमसुम रहता था, किसी से बात भी नहीं
करता था। अत: इन प्रतिक्रियाओं के आधार पर हम यह कह सकते है कि लेखक का अपने दादा जी
से विशेष लगाव रहा।
अथवा
'हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी' पाठ में किन-किन चित्रकारों का जिक्र
हुआ है? 3
उत्तर:
प्रस्तुत पाठ 'हुसैन की कहानी अपनी जबानी' में निम्न चित्रकारों का जिक्र हुआ है- वीरेंद्र साहब और बेंद्रे