Section
- A खण्ड- क
(
अति लघु उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं
पाँच प्रश्नों के उत्तर दें।
1. खाद्य शृंखला क्या है ?
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला - वनस्पति स्रोत से जीवों की एक श्रृंखला में भोजन के हस्तांतरण की
प्रक्रिया को खाद्य श्रृंखला कहते हैं। जैसे- उत्पादक→ शाकाहारी→ मांसाहारी। किसी भी
पारिस्थितिकी तन्त्र के समस्त जीव भोजन के लिए परस्पर एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं।
2. उन देशों के नाम बताइए जो भारत से बड़े हैं ।
उत्तर:
रूस, कनाडा, अमेरिका, चीन, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया क्षेत्रफल में भारत से बड़े हैं।
3. लू को परिभाषित करें ।
उत्तर:
उत्तरी भारत में गर्मियों में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूरब दिशा में चलने वाली प्रचण्ड
उष्ण तथा शुष्क हवाओं को लू कहतें हैं।
4. मृदा क्या है ?
उत्तर:
मृदा भूमि की वह ऊपरी परत हैं जिसका निर्माण मूलरूप से चट्टानों के विखण्डित होने उनमें
वनस्पति व जीवेां के सड़ने, गलने तथा जलवायु की क्रिया से निर्मित अम्लीय पदार्थों
से लाखों वर्षों की प्रक्रिया के बाद मृदा का रूप लेती हैं।
5. हम पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी की दो-तिहाई सतह पानी से ढकी हुई है। इसलिए इसे नीला ग्रह कहा जाता है। अंतरिक्ष
से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की ही दिखाई पड़ती है।
6. पारितंत्र क्या है ?
उत्तर:
एक आत्मनिर्भर कार्यकारी इकाई जिसमे जैविक तथा अजैविक कारक सम्मिलित होते है पारितंत्र
कहलाती है । सभी पारितंत्र एक - दूसरे से जुड़े तथा सम्बंधित होते है। इस प्रकार जीवमंडल
सभी पारिस्थितिक तंत्र का एक बड़ा जाल होता है।
7. गंगा नदी की दो सहायक नदियों के नाम लिखें।
उत्तर:
यमुना, रामगंगा, सरयू, गंडक, कोसी, महानदी और सोन गंगा की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ
है।
Section
- B खण्ड- ख
(
लघु उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं
पाँच प्रश्नों के उत्तर दें।
8. प्रायद्वीपीय नदी तंत्र की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख करें
।
उत्तर:
(1) प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ बहुत प्राचीन हैं। प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपनी
प्रौढावस्था में हैं। इसका तात्पर्य यह है कि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपनी घाटी
को गहरा करने का काम लगभग समाप्त कर चुकी हैं और आधार तल को प्राप्त कर चुकी हैं |
किसी भी नदी का आधार तल समुद्र तल होता है।
(2)
प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ कठोर पठारीय संरचना द्वारा नियंत्रित होने के कारण विसर्पण
नहीं कर पाती हैं | प्रायद्वीपीय भारत की नदियों का मार्ग लगभग निश्चित होता है, अर्थात्
उद्गम से लेकर मुहाने तक अपनी घाटी पर ही प्रवाहित होती हैं | प्रायद्वीपीय भारत की
नदियाँ अपने उद्गम से लेकर मुहाने तक कठोर चट्टानों पर प्रवाहित होती हैं |
(3)
प्रायद्वीपीय भारत के पठार की नदियाँ छोटी हैं क्योंकि उनका उद्गम मुहाने से ज्यादा
दूर नहीं है । प्रायद्वीपीय भारत से निकलने वाली दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी गोदावरी
नदी है, जिसकी लम्बाई 1465 किमी०है |
9. हिमालय पर्वत की तीन विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
1. भारतीय जलवायु पर प्रभाव- भारत के तापमान और वर्षा के वितरण में हिमालय पर्वत का
विशेष महत्व है। हिमालय पर्वत एक अवरोधक का कार्य करता है। यह अरब सागर और बंगाल की
खाड़ी से आने वाली ग्रीष्म मानसून पवनों को रोक देता है, जिससे भारतवर्ष में भारी वर्षा
होती है। इसके अतिरिक्त यह साइबेरिया से आने वाली अति शीत और शुष्क पवनों को रोक देता
है। इस प्रकार हिमालय पर्वत उत्तर भारत के घनी जनसंख्या वाले प्रदेशों की सुरक्षा करता
है। जलवायु विज्ञान के विशेषज्ञों के अनुसार हिमालय पश्चिम से पूर्व की ओर चलने वाली
जेट-स्ट्रीम पवनों को शीत ऋतु में दो भागों में विभक्त कर देता है। इसका भारत में ग्रीष्म
मानसून के आगमन एवं उसकी सफलता में विशेष महत्व है।
2.
सदानीरा नदियों का स्त्रोत- हिमालय पर्वत से बहुत सी नदियाँ निकली हैं। मुख्य रूप से
इन नदियों का जल स्रोत हिमालय पर्वत के हिमनद, झरनें एवं झीलें हैं। ये सभी सदानीरा
नदियाँ हैं। इनमें वर्ष भरर पानी भरा रहता है। इन नदियों से भारत की घनी आबादी का जीवकोपार्जन
होता है।
3.
प्रतिरक्षा- भारतीय इतिहास में भारत की उत्तरी सीमा से कभी कोई आक्रमण नहीं हुआ। अतः
हिमालय पर्वत का प्रतिरक्षा की दृष्टि से विशेष महत्व है। वर्तमान में भारत में चीन,
तिब्बत, नेपाल तथा भूटान की सीमाओं तक सुगम और उच्च कोटि के मार्ग बनाये गये हैं।
10. उत्तरी मैदान की विशेषता क्या है ?
उत्तर:
1. उत्तरी मैदान भारत की सर्वाधिक नवीन भू आकृतिक विशेषता है।
2.
वे तीन नदियों – सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र द्वारा लाए गए जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित
हुए हैं।
3.
यह उत्तरी मैदानों को विश्व का सर्वाधिक वृहद जलोढ़ भूभाग बनाता है।
4.
ये मैदान पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3,200 किमी क्षेत्र तक विस्तृत हैं।
5.
इन मैदानों की औसत चौड़ाई 150-300 किमी के मध्य होती है। जलोढ़ निक्षेपों की अधिकतम
गहराई 1,000-2,000 मीटर के मध्य होती है।
11. उत्पादक और उपभोक्ता में अंतर स्पष्ट करें ।
उत्तर:
उत्पादक
(1)
ऐसे जीव जो प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से अपना भोजन बनाते हैं उन्हें उत्पादक कहते
हैं।
(2)
हरे पौधे उत्पादक जीव कहलाते हैं।
उपभोक्ता
(1)
ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहते हैं।
(2)
सारे जंतु उपभोक्ता कहलाते हैं।
12. भारतीय जलवायु को प्रभावित करनेवाले कारक क्या हैं ?
उत्तर:
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं।
(क)
स्थिति एवं अक्षांशीय विस्तार: भारत मोटे तौर पर उ.से 30 उत्तर अक्षांशों के मध्य स्थित
है। कर्क वृत्त देश के मध्य से होकर जाता है। विषुवत् वृत्त के पास होने के कारण दक्षिणी
भागों में वर्ष भर उच्च तापमान पाये जाते हैं। दूसरी ओर उत्तरी भाग गर्म शीतोष्ण पेटी
में स्थित है। अतः यहां खासकर शीतकाल में निम्न तापमान पाये जाते हैं।
(ख)
समुद्र से दूरी: प्रायद्वीपीय भारत अरब सागर, हिन्द महासागर तथा बंगाल की खाड़ी से
घिरा हुआ है। अतः भारत के तटीय प्रदेशों की जलवायु सम या अनुसमुद्री है। इसके विपरीत
जो प्रदेश देश के आंतरिक भागों में स्थित हैं. वे समुद्री प्रभाव से अछूते हैं। फलस्वरूप
उन प्रदेशों की जलवायु अति विषम या महाद्वीपीय है।
(ग)
उत्तर पर्वतीय श्रेणियाँ: हिमालय व उसके साथ की श्रेणियाँ जो उत्तर-पश्चिम में कश्मीर
से लेकर उत्तर-पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई हैं. भारत को शेष एशिया से अलग
करती है। ये श्रेणियों शीतकाल में मध्य एशिया से आने वाली अत्यधिक ठन्डी व शुष्क पवनों
से भारत की रक्षा करती हैं। साथ ही वर्षादायिनी दक्षिण पश्चिमी मानसून पवनों के सामने
एक प्रभावी अवरोध बनती है, ताकि वे भारत की उत्तरी सीमाओं को पार न कर सकें। इस प्रकार,
ये श्रेणियों भारतीय उपमहाद्वीप तथा मध्य एशिया के बीच एक जलवायु विभाजक का कार्य करती
है।
(घ)
उच्चावच लक्षण:- धरातल पर उच्चावच लक्षण जैसे पर्वत, पठार, पहाड़ी भी जलवायु को प्रभावित
करते हैं। पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढलान पर स्थित कोंकण, कन्नड और मालाबार तट पर भारी
वर्षा होती है। वहीं पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलान पर कम वर्षा होती है। वृष्टि छाया
क्षेत्र बनता है। उसी तरह हिमालय के कारण शीत ऋतु में ध्रुव से आने वाली ठंडी पवन से
भारत में बचाव होता है।
13. पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई डेल्टा क्यों नहीं है ?
उत्तर:
भारत के पश्चिमी भागों में बहने वाली नदियों की ढाल काफी तीव्र है, इसलिए ये नदियाँ
अपने मुहाने पर अनेक भागों में न बहकर एक भाग में बहती हैं। अर्थात ये नदियाँ डेल्टा
न बनाकर ज्वारनदमुख बनाती हैं। इसलिए पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई भी डेल्टा नहीं है।
14. महासागरों का मानव के लिए किन्ही तीन महत्व का उल्लेख करें।
उत्तर
1. महासागर परिवहन के लिए एक सस्ता और आसान विकल्प प्रदान करते हुए महाद्वीपों को जोड़ते
हैं।
2.
महासागर मौसम और जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्षा
के अलावा, वायुमंडल को अपनी अधिकांश गर्मी महासागरों से प्राप्त होती है। सूरज समुद्र
के पानी को गर्म करता है, और वे बदले में, गर्मी को वायुमंडल में स्थानांतरित करते
हैं। तब वातावरण दुनिया भर में गर्मी वितरित करता है।
3.
चूंकि समुद्र का पानी भू-भागों की तुलना में अधिक धीरे-धीरे गर्मी को अवशोषित और खो
देता है, तापमान का वैश्विक संतुलन बना रहता है क्योंकि यह गर्मियों में गर्मी को अवशोषित
करता है और इसे सर्दियों में छोड़ता है। वैश्विक तापमान के इस नियमन के बिना, हमारी
जलवायु मंगल की तरह बेहद ठंडा होगी।
4.
महासागर हमारी जलवायु को संतुलित रखने का काम करता है। ग्लोब की यात्रा करने वाली ठंडी
और गर्म धाराएं विश्व के तापमान को प्रभावित करती हैं।
5.
तट पर चलने वाली हवाएँ नमी से भरी होती हैं, इसलिए समुद्र के पास स्थित क्षेत्रों में
बहुत अधिक वर्षा होती है जबकि दूर स्थित स्थानों में आमतौर पर कम वर्षा होती है।
6.
महासागर तटीय क्षेत्रों के तापमान को भी नियंत्रित करते हैं (भूमि और समुद्री हवाएं
समुद्र के पास के स्थानों के तापमान को काफी मध्यम रखती हैं)।
Section
- C
खण्ड-
ग
(
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं
तीन प्रश्नों के उत्तर दें।
15. मृदा संरक्षण के कुछ उपाय सुझाइए ।
उत्तर:
मिट्टी का कटाव मृदा अपरदन कहलाता है, अर्थात मिट्टी के ऊपरी परत का हटना या मिट्टी
के उर्वरा शक्ति में कमी होने मृदा अपरदन कहते हैं। वर्तमान समय में मिट्टी के ऊपरी
परत के कटाव के साथ-साथ मृदा प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या बन गई है। जिसका कुप्रभाव
कृषि उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण असंतुलन पर भी पड़ रहा है।
मृदा
अपरदन के रोकथाम के उपाय:- मृदा अपरदन के रोकथाम के लिए निम्न उपायों को करना अति आवश्यक
है :-
(A)
पर्वतीय एवं पठारी क्षेत्र में सीढ़ीनुमा खेती।
(B)
वृक्षारोपण।
(
C ) अति चारण से बचाव।
(D)
समुच्चय जुताई ।
(E)
15 से 20% ढाल प्रवणता पर भूमि उपयोग नहीं करना ।
(F)
स्थानांतरित कृषि पर प्रतिबंध ।
(G)
सामाजिक वानिकी कार्यक्रम |
(H)
मरुस्थलीय प्रदेशों में वृक्षों की रक्षा मेखला लगाकर ।
(I)
कृषि अनुत्पादक भूमि पर चारागाह का निर्माण करके।
(J)
भूमि उपयोग के समन्वित योजना बनाकर।
(K)
मिश्रित कृषि एवं बहु फसलें कृषि को बढ़ावा देकर।
(L)
भारत सरकार के केंद्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड के सलाह मानकर।
(M)
आम नागरिकों को जागरूक बनाकर।
(N)
समय-समय पर मिट्टी की जांच करा कर ।
16. जलीय चक्र के विभिन्न तत्व किस प्रकार अंतर्सम्बन्धित हैं ?
उत्तर:
समुद्र का जल वाष्प बनकर बादल के रूप में परिणत होकर विभिन्न अवरोधों से टकराकर वर्षा
कराता है और यह वर्षा का पानी नदी और नालों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है और
पुनः समुद्र का जल जलवाष्प बनकर वर्षा कराता है। इस तरह की क्रियाएँ बार-बार होती रहती
हैं, इसे जलीय चक्र कहा जाता है। जलीय चक्र में एक तत्व दूसरे तत्व से अंतर संबंधित
हैं। जल एक चक्र के रूप में महासागर से धरातले पर और धरातल से महासागर तक पहुँचता है।
जलीय चक्र के तत्व वायु, जल, पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे आवश्यक तत्व हैं। पृथ्वी पर
जल का वितरण असमान है। जलीय चक्र जल के वितरण की असमानता को कम करता है। क्योंकि जलवाष्प
वर्षा के रूप में परिणत होकर विभिन्न क्षेत्रों में जल वितरित करता है। इस तरह से चल
चक्र महासागरों, वायुमंडल, भूपृष्ठ, अधःस्तल और जीवों के बीच अंतरसंबंध स्थापित करता
है।
17. भारत के ग्रीष्म ऋतु की प्रमुख विशेषताओं को बताइए ।
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में धूलभरी गर्म और शुष्क हवाएँ चलती हैं जिन्हें ‘लू’ कहते हैं। ये हवायें
दिन के समय उत्तर एवं उत्तर पश्चिम भारत में गतिशील रहती हैं। ये देर शाम तक गतिशील
रहती हैं। इस हवा का मानव स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव होता है।उत्तर भारत में मई के महीने
में धूलभरी आँधियाँ चलती हैं। ये धूलभरी आंधियाँ तापमान घटाकर लोगों को राहत पहुँचाती
हैं। आँधियों के बाद ठण्डी हवा चलती है और कभी-कभी हल्की वर्षा भी होती है। ग्रीष्म
ऋतु के दौरान कभी-कभी तेज हवाओं के साथ गरजवाली मूसलधारे वर्षा भी होती है। कभी-कभी
वर्षा के साथ ओला वृष्टि भी होती है।
18. हिन्द महासागर में भारत की केन्द्रीय स्थिति के लाभ की व्याख्या
करें ।
उत्तर:
हिंद महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति से इसे इस प्रकार लाभ हुआ है-
→
भारत हिंद महासागर के मध्य में स्थित है, इसलिए यह यूरोप को पश्चिम और पूर्वी एशिया
से जोड़ता है।
→
हिंद महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति ने भारत को पश्चिमी तट से पश्चिम एशिया,
अफ्रीका और यूरोप के साथ और पूर्वी तट से दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया के साथ घनिष्ठ
संबंध स्थापित करने में मदद की है।
→
यूरोप और पूर्वी एशिया के बीच समुद्री व्यापार भारत से होकर गुजरता है।
→
हिंद महासागर में किसी अन्य देश के पास भारत (7516.6 किमी) जितना समुद्र तट नहीं है।
→
भारत की ऐसी रणनीतिक स्थिति के कारण और यह हिंद महासागर में कई छोटे देशों के लिए सुरक्षा
प्रदाता है।
19. पारिस्थितिक असन्तुलन को रोकने के महत्वपूर्ण उपायों की चर्चा कीजिए
।
उत्तर:
पारिस्थितिक असंतुलन के नियंत्रण के उपाय:- प्राकृतिक कारणों से हुए असंतुलन को पारिस्थितिकी
तंत्र अन्य भाग में परिवर्तन करके संतुलन कर लेती है, लेकिन मानव द्वारा इतना व्यापक
परिवर्तन कर दिया है कि यह प्रदूषण का रूप ले लिया है। इसके असंतुलन को रोकने के महत्वपूर्ण
उपाय निम्न है:-
(A)
जीव जंतु एवं पेड़ पौधों का संरक्षण |
(B)
जैव विविधता वाले क्षेत्र में प्रतिबंध
(C)
वन लकड़ी एवं वन जीव के स्थानीय एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध |
(D)
जीव जंतु एवं पेड़ पौधों के मूल आवास का संरक्षण एवं प्रतिबंध
(E)
वन एवं वन्य जीव संरक्षण के कानून का कड़ाई से पालन ।
(F)
वृक्षारोपण
(G)
जैविक कृषि
(H)
जनसंख्या नियंत्रण
(I)
प्रदूषण रहित उद्योग की स्थापना
(J) आम नागरिकों को पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के प्रति जागरूकता।