कार्ल मार्क्स का आय वितरण
👉 मार्क्सवादी अतिरेक
मूल्य का सिद्धान्त पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में आय के वितरण की प्रक्रिया को समझाने
के लिए आधार प्रस्तुत करता है।
👉 मार्क्स के अनुसार
श्रम शक्ति ही सभी आर्थिक मूल्यों का स्रोत है।
👉 अतिरेक मूल्य पूंजीपति
की अनार्मित आय होती है।
👉 परिवर्तनशील पूंजी
(Variable Capital) 'V' वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में प्रयुक्त श्रम शक्ति का
मूल्य अर्थात श्रमिकों को न्यूनतम निर्वाह स्तर के बराबर दिया जाने वाला कुल मजदूरी
भुगतान है।
👉 स्थिर पूंजी
(Constant Capital) = वस्तुओं एवं प्रयुक्त पूंजी एवं कच्चे माल का मूल्य ।
👉 अतिरेक मूल्य
(Surplus value) श्रमिकों द्वारा अपने श्रम मूल्य से अधिक उत्पादित किये जाने वाला
वह अतिरेक जो पूंजीपतियों द्वारा अधिग्रहीत कर लिया जाता है। इस प्रकार उत्पादन का
मूल्य स्तर = V+C+S
👉 शुद्ध उत्पादन मूल्य
= V + S
👉 मार्क्स के अनुसार लाभ की दर = `\frac S{C+V}`
👉 पूंजी की प्रासंगिक संरचना = `\frac C{C+V}`
👉 मार्क्स के अनुसार शोषण की दर = `\frac SV` = अतिरेक / परिवर्तनशील पूंजी
👉 उत्पाद समाप्ति प्रमेय (Theorem of product
exhaustion) का प्रतिपादन प्रो० यूलर ने किया।
👉 प्रो० कैलेस्की के अनुसार राष्ट्रीय आय का लाभ तथा
मजदूरी के रूप में वितरण अर्थव्यवस्था में एकाधिकार के अंश पर निर्भर करता है।
👉 कार्ल मार्क्स करते हुए प्रतिफल के नियम पर विश्वास
नहीं करते थे।
👉 मार्क्स के अनुसार श्रम की सुरक्षित सेना मजदूरी की दर को जीवन निर्वाह
के स्तर के ऊपर ले जाने से रोकती है।
👉 प्रतिस्थापन की लोच की व्याख्या प्रो० जे० आर० हिक्स
ने किया।
👉 प्रो० कैलेस्की के अनुसार, राष्ट्रीय आय का लाभ तथा मजदूरी के रूप
में वितरण अर्थव्यवस्था में एकाधिकार के अंश पर निर्भर करता है।
👉 कीन्सवादी वितरण का समष्टि परक सिद्धान्त का नामकरण प्रो० कैल्डोर
ने किया।
👉 लगान = वर्तमान आय - हस्तान्तरण आय।
👉 प्रो० वाकर ने लाभ के लगान सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
👉 प्रो० जे० एस० मिल ने मजदूरी कोष के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
👉 ब्याज दर का निर्धारण उस बिन्दु पर होता है जहाँ पर
IS = LM अर्थात् जहाँ पर IS वक्र LM वक्र के बराबर होता है।
👉 आभास लगान की अवधारणा को प्रो० मार्शल ने विकसित किया।
👉 आभास लगान = TR - TVC
👉 कार्ल मार्क्स के अनुसार शोषण की दर = `\frac SV`
👉 Risk Theory of
Profit का प्रतिपादन प्रो० हाले ने किया है।
👉 लाभ के नव प्रवर्तन
सिद्धान्त की अवधारणा को प्रो० शुम्पीटर ने विकसित किया।
👉 "Supply
always Creates its own demand" का विचार प्रो० जे० वी० से० ने प्रस्तुत किया।
👉 ब्याज की प्राकृतिक
दर के प्रतिपादक विक्सेल हैं।
👉 तरलता जाल की स्थित
में मुद्रा माँग की लोच पूर्णतया बेलोचदार होती है।
👉 सामाजिक द्वैत के
सिद्धान्त का प्रतिपादन जे० एच० बोइक ने किया।
👉 एसियन ड्रामा की
रचना गुन्नार मिर्डल ने की।
👉 Structure of
American Economy नामक पुस्तक की रचना डब्लू० लियोंटिफ ने किया।
👉 Problem of
Capital formation in UDCS नामक पुस्तक की रचना प्रो० नर्क्स ने की।
👉 Accumulation of
Capital नामक पुस्तक की रचना प्रो० जे० राबिन्स ने की।
👉 भारत में श्रम शक्ति
की वर्तमान औसत वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत है।
👉 वर्गसन मापदण्ड कल्याण
अर्थशास्त्र से सम्बन्धित है ।
👉 सीमान्त उपयोगिता
के विचार को प्रो० मार्शल ने विकसित किया।
👉 वाह्य बचतों की अवधारणा
को आर्थिक विकास के सन्दर्भ में सर्वप्रथम प्रो० आर० रोड्स ने विकसित किया।
👉 कीन्स के ब्याज दर
सिद्धान्त में मुद्रा की मात्रा में वृद्धि कभी ब्याज दर को गिरायेगी तथा कभी ब्याज
दर को प्रभावित नहीं कर पायेगी
👉 लाभ के अनिश्चितता
वहन सिद्धान्त के प्रतिपादक प्रो० नाइट हैं।
👉 नाइट के अनुसार लाभ
अनिश्चितता वहन का पुरस्कार है।
👉 आभास लगान का सर्वप्रथम
विचार प्रो० मार्शल ने प्रस्तुत किया।
👉 ब्याज का तरलता अधिमान
सिद्धान्त का प्रतिपादन लार्ड कीन्स ने किया।
👉 केन्सीय तरलता जाल
की दशा में ब्याज दर, निवेश तथा रोजगार पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
👉 रिकार्डो का तुलनात्मक
लागत का सिद्धान्त मूल्य के श्रम सिद्धान्त पर आधारित है।
👉 वर्ष 1998 का नोबेल
अर्थशास्त्र पुरस्कार प्रो० अर्मत्य सेन को दिया गया।
👉 वर्ष 1997 का अर्थशास्त्र
का पुरुष्कार राबर्ट मर्टन को दिया गया।
👉 अर्थशास्त्र में
नोबल पुरस्कार की शुरुआत 1969 से हुई।
👉 प्रथम अर्थशास्त्र
में नोबेल पुरस्कार विजेता जैन टिनवर्जन हैं।
👉 मजदूरी एक प्रकार
का पारिश्रमिक है जो श्रम के बदले प्राप्त होता है।
👉 प्रतिनिधि फर्म का
विचार प्रो० मार्शल ने दिया है।
👉 Wage fund
theory का प्रतिपादन प्रो० पीगू ने किया।
👉 ब्याज के समय अधिमान
सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रो० फिशर ने किया।
👉 लाभ के नव प्रवर्तन
सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रो० शुम्पीटर ने किया।
👉 हीरा-जल विरोधाभास
(Water Dimond Paradox) का प्रयोग सर्वप्रथम एडम स्मिथ ने किया।
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में
नोबेल पुरस्कार की शुरुआत सर्वप्रथम सन् 1969 में हुई जब जैन टिनवर्जन को यह महत्वपूर्ण
पुरस्कार प्रदान किया गया। तब से यह पुरस्कार सतत् प्रदान किया जा रहा है।
अर्थशास्त्री का नाम |
पुरस्कार प्राप्त करने का वर्ष |
जैन
टिनवर्जन |
1969 |
रैगनर
फ्रिश |
1969 |
सैम्यूलसन |
1970 |
साइमन
कुजनेस्ट |
1971 |
केनेथ
जे पैरो |
1972 |
जे०
आर० हिक्स |
1972 |
लियोन्टिक |
1973 |
हेयक |
1974 |
गुन्नार
मिर्डल |
1974 |
जैलंग
कोपमैन्स |
1975 |
कैन्टोरविक |
1975 |
मिल्टन
फ्रीडमैन |
1976 |
मीड |
1976 |
वरटिल
ओहलिन |
1977 |
हरबर्ट
साइमन |
1978 |
शुल्ज |
1979 |
एल०
आर० क्लिन |
1980 |
जेम्स
रोबिन |
1981 |
स्टिगलर |
1982 |
रिचर्ड
स्टोन |
1984 |
फैन्को
मोडिश्लनी |
1985 |
वुकानन |
1986 |
सोलो |
1987 |
एम०
एलास |
1988 |
हावेल्मों |
1989 |
मारकोविटज |
1990 |
मिलर |
1990 |
एफ
शार्प |
1990 |
आर०
एच० कोश |
1991 |
जी०
एस० वेकर |
1992 |
डगलस
लीनार्थ |
1993 |
आर०
डब्लू० फोगल |
1993 |
हरसैनी |
1994 |
जे०
एफ० नाश |
1994 |
सेलटेन |
1994 |
प्रो०
रावर्ट ई० लुकाश जूनियर |
1995 |
प्रो०
जेम्स०ए० मिरलशू तथा प्रो० विलियम विक्र |
1996 |
रावर्ट
मर्टन |
1997 |
प्रो०
अर्मत्य सेन |
1998 |
प्रो०
रावर्ट मुन्डो |
1999 |
कल्याणवादी अर्थशास्त्र (Welfare Economics)
👉 कल्याणकारी अर्थशास्त्र
के विकास में विशेष रूप से मार्शल, पीगू, कैल्डोर, हिक्स, पैरेटो, सिटोवस्की, सैम्यूलसन,
लिटिल, रेडर आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
👉 प्रो० पीगू ने सामान्य
कल्याण तथा आर्थिक कल्याण में भेद किया।
👉 प्रो० मार्शल का
आर्थिक कल्याण का अध्ययन उपभोक्ता बचत रीति पर आधारित है।
👉 Economics of
welfare नामक पुस्तक की रचना प्रो० पीगू ने की।
👉 प्रो० पीगू का कल्याणवादी
अर्थशास्त्र, प्राचीन कलयाणकारी अर्थशास्त्र कहलाता है।
👉 पैरेटो उपयोगिता
की क्रम वाचक माप को स्वीकार करते हैं।
👉 टिण्टनर सामाजिक
कल्याण फलन से सम्बन्धित है।
👉 प्रो० कैल्डोर ने
क्षतिपूरक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
👉 प्रो० ऐरो ने सामाजिक
चयन एवं व्यक्तिगत मूल का विचार प्रस्तुत किया।
👉 सामाजिक कल्याण सिद्धान्त
उपयोगिता के क्रमवाचक विचार पर आधारित है।
👉 प्रो० पैरटो के अनुसार
प्रत्येक उपभोक्ता का क्रमवाचक उपयोगिता फलन दिया हुआ होता है।
👉 प्रो० पीगू के अनुसार
उपयोगिता की अन्तः वैयक्तिक तुलनायें की जा सकती है और इस तुलना में कल्याण में कमी
अथवा वृद्धि को ज्ञात किया जा सकता है।
👉 प्रो० पीगू का मत
है कि आर्थिक कल्याण सामान्य कल्याण का एक अंग है।
👉 पैरेटो ने संभाव्य
कल्याण को प्रस्तुत किया।
👉 लिटिल ने वास्तविक
कल्याण के विचार को प्रस्तुत किया।
👉 नवीन कल्याण अर्थशास्त्र
में सामाजिक कल्याण फलन का सम्बन्ध सैम्यूलसन से है।
👉 प्रो० हिक्स ने द्वितीय
श्रेणी की सामाजिक कल्याण अनुकूलतम दशायें प्रस्तुत की।
👉 कल्याणकारी कल्याण
का सम्बन्ध आर्थिक नीतियों की जाँच से है।
👉 प्रो० मार्शल का
आर्थिक कल्याण अध्ययन उपभोक्ता बचत रीति पर आधारित है।
👉 पीगू ने कल्याणकारी
अर्थशास्त्र का आधार गणनावाचक उपयोगिता बताया है।
👉 पीगू का कल्याणकारी
अर्थशास्त्र प्राचीन कल्याणकारी अर्थशास्त्र कहलाता है।
👉 पीगू के अनुसार राष्ट्रीय
आय तथा राष्ट्रीय कल्याण में सीधा सम्बन्ध है।
👉 प्रो० लिटिल ने सम्भाव्य
कल्याण (Potential welfare) ।
👉 सामाजिक कल्याण फलन
का प्रतिपादन प्रो० वर्गसन, सैम्यूलसन एवं टिण्टनर ने किया है।
👉 प्रो० लिटिल ने वास्तविक
कल्याण का विचार प्रस्तुत किया है।
👉 सामाजिक कल्याण फलन
= W= f (U1, U2, U3.........Un) जिसमें
W = सामाजिक कल्याण
U1. U2. ......... Un विभिन्न व्यक्तियों के
लिए क्रमवाचक उपयोगितायें ।
👉 Social Choice
& Individul Value नामक पुस्तक की रचना प्रो० ऐरो ने किया।
👉 पैरेटो का कल्याणकारी
विश्लेषण उपयोगिता के क्रमवाचक विश्लेषण पर आधारित है।
👉 नवीन कल्याणकारी
अर्थशास्त्र का दूसरा नाम क्षतिपूरक सिद्धान्त है जिसे विकसित करने का श्रेय केल्डार,
हिक्स, स्टोवस्की को जाता है।
👉 प्रो० वर्गसन और
सैम्यूलएन ने उपयोगिता के क्रमवाचक विचार के आधार पर सामाजिक कल्याण फलन का विचार प्रस्तुत
किया है।
👉 कल्याणवादी अर्थशास्त्र
आदर्शवादी विज्ञान है।
👉 नवीन कल्याणवादी
अर्थशास्त्र से कैल्डोर, हिक्स स्टोवस्की प्रमुख रूप से सम्बन्धित हैं।
👉 क्षतिपूरक सिद्धान्त
का प्रतिपादन प्रो० ऐरो ने किया है।
👉 ग्राफ ने कल्याण
को चुनाव के साथ जोड़ा है।
👉 पैरेटो के अनुसार
प्रत्येक उपभोक्ता का क्रमवाचक उपयोगिता फलन दिया हुआ होता है।
उपभोग, बचत एवं विनियोग
👉 पूँजी के स्टाक में
वृद्धि होने से पूंजी की सीमान्त दक्षता घटती है।
👉 यदि MEC > ब्याज
दर तो विनियोग पर प्रभाव अनुकूल रहेगा।
👉 सुपर मल्टी प्लायर
(Super Multiplier) का विचार प्रो० हिक्स ने प्रस्तुत किया।
👉 डयूजनबरी ने सापेक्ष
आय परिकल्पना प्रस्तुत की है।
👉 प्रो० पीगू ने मजदूरी
कटौती सिद्धान्त (Wage cut theory) का प्रतिपादन किया है।
👉 प्रो० जे० वी० से०
के अनुसार- ' Supply always creates its own de mand.'
👉 तरलता जाल की स्थिति
का प्रतिपादन प्रो० कीन्स ने किया है।
👉 प्रो० कीन्स के अनुसार
रोजगार सिद्धान्त विकसित देशों पर आधारित है।
👉 ब्याज दर एवं पूँजी
की सीमान्त उत्पादकता (MEC) पर विपरीत सम्बन्ध होता है।
👉 कीन्स के मतानुसार
अर्थव्यवस्था से मन्दी की दशा को दूर करने के लिए सार्वजनिक व्यय को बढ़ाना चाहिए।
👉 अधिक पूंजी निवेश
होने पर MEC घटती है।
👉 त्वरण की धारणा का
प्रतिपादन अफ्तालिय ने किया है।
👉 रोजगार गुणक का प्रतिपादन
प्रो० कीन्स ने किया है।
👉 आय गुणक का प्रतिपादन
प्रो० कान्ह ने किया है।
👉 गुणक स्वतंत्र विनियोग
से सम्बन्धित होता है तथा MPC के साथ सीधा सम्बन्धित होता है।
👉 MPC तथा MPS का योग
(MPC + MPS) = 1 होता है।
👉 कीन्स के अनुसार
बेरोजगारी दूर करने का सबसे प्रभावी तत्व समग्र माँग में वृद्धि है।
👉 General Theory नामक
पुस्तक की रचना 1936 में कीन्स ने की है।
👉 बाजार के नियम से
(Law of Market) जे० वी० से० से सम्बन्धित है
👉 पीगू के अनुसार दीर्घकालीन
बेरोजगारी को मजदूरी दर में कटौती की सहायता से दूर किया जा सकता है।
👉 यदि MPC = 0.8 हैं
तो
MPS का मान = 0.2 होगा।
👉 यदि MPC = 0.5 है
तो गुणक (K) का मान-
`K=\frac1{1-MPC}=\frac1{1-0.5}`
`K=\frac1{0.5}=\frac{10}5`=2
👉 यदि MPS = 0.8 है
तो K का मान
`K=\frac1{MPS}=\frac1{0.8}=\frac{10}8=1.25`
👉 निवेश एवं पूंजी
क्रमशः प्रवाह एवं स्टाक हैं।
👉 प्रो० जे० आर० हिक्स
का Super multiplier विचार स्वतः विनियोग एवं सन्तुलन उत्पादन के बीच अनुपात बताता
है।
👉 कीन्स मौद्रिक मजदूरी
कटौती के स्थान पर वास्तविक मजदूरी कटौती के पक्षधर हैं।
👉 प्रो० हेगन के अनुसार
'से' का बाजार नियम प्रतिष्ठित रोजगार सिद्धान्त का केन्द्रीय स्तम्भ है।
👉 प्रो० से० के नियम
का समर्थन रिकार्डो, मिल तथा पीगू ने किया है।
👉 प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों
ने बेरोजगारी की समस्या पर विशेष उल्लेख नहीं किया।
👉 कीन्स का रोजगार
सिद्धान्त प्रभावपूर्ण मांग पर आधारित है।
👉 केवल वह कुल माँग
जो कुल पूर्ति के बराबर होती है, प्रभावपूर्ण माँग कहलाती है।
👉 विनियोग को प्रभावित
करने वाले तत्वों में MEC तथा ब्याज की दर है।
👉 MEC से अभिप्राय
नयी पूंजी परिसम्पत्ति द्वारा लागतों को निकाल कर प्राप्त होने वाली अधिकतम भावी आय
से है।
👉 कीन्स के अनुसार
ब्याज एक निश्चित समय में तरलता परित्याग का पारितोषिक है।
👉 कीन्स के रोजगार
सिद्धान्त में गुणक प्रक्रिया का विशेष महत्व है।
👉 गुणक का आकार सदैव
MEC पर निर्भर करता है।
👉 यदि MPC अधिक है
तो K का मान अधिक होगा तथा इसके विपरीत कम होगा।
👉 (APS) औसत उपभोग प्रवृत्ति =
👉 MPC = `\frac{\Delta C}{\Delta Y}`
👉 MEC हमेशा सकारात्मक होती है परन्तु इकाई से कम।
👉 अल्पकाल में APC
> MPC
👉 दीर्घकाल में
APC = MPC
👉 दीर्घकाल में उपभोग प्रवृत्ति में परिवर्तन लगभग
उसी अनुपात में होता है जितना की आय में आता है।
👉 निरपेक्ष आय उप कल्पना
का विचार कीन्स ने दिया है।
👉 सापेक्ष आय उपकल्पना
का सर्वप्रथम प्रतिपादन जेम्स एस० ड्यूजनबरी ने सर्वप्रथम 1949 में किया।
👉 Income Saving
& the Theory of Consumer Behaviour नामक पुस्तक की रचना जेम्स ड्यूजनबरी ने की
है।
👉 स्थायी आय परिकल्पना
का विकास मिल्टन फ्रीडमैन ने 1957 में किया।
👉 जीवन चक्र उप कल्पना
का विकास मोडिगशलियानी एल्बर्ट एण्डो तथा ब्रम्बर्ग ने किया।
👉 वास्तविक विनियोग
वह विनियोग है जिसके फलस्वरूप साधनों की माँग तथा रोजगार में वृद्धि होती है।
👉 पूंजी से अभिप्राय
कुल पूंजीगत वस्तुओं के स्टाक से है ।
👉 विनियोग से अभिप्राय
एक वर्ष की अवधि में पूंजीगत स्टाक में वृद्धि से है।
👉 पूंजी की सीमान्त उत्पादकता, किसी पूंजी परिसम्पत्ति की भावी पूर्ति और कीमत का अनुपात है।
👉 प्रतिशत दर ज्ञात
करने के लिए
MEC = `\frac YP` x 100
👉 MEC एक प्रत्याशित
दर है जो भविष्य में अनिश्चितताओं के अधीन होती है।
👉 पूंजी की सीमान्त
उत्पादकता को प्रभावित करने वाले तत्व-
🔥 लागत सीमा व माँग
का स्वरूप
🔥 आय में परिवर्तन
🔥 उपभोग प्रवृत्ति
🔥 सरल सम्पत्ति
🔥 कुल विनियोग की मात्रा
🔥 जनसंख्या
🔥 नये क्षेत्रों का
विकास
🔥 तकनीकी प्रगति
🔥 उत्पादन क्षमता
🔥 कीन्स मुद्रा की
माँग को तरलता पसन्दगी कहते हैं।
👉 सट्टे का अर्थ बाजार
की अनिश्चितताओं से लाभ उठाना है।
👉 LP वक्र के आधार
अक्ष के समानान्तर होने पर ब्याज की दर न्यूनतम होगी ऐसी दशा में लोग मुद्रा को तरल
रूप में रखेंगे, इस अवस्था को कीन्स ने तरलता जाल की संज्ञा दी है।
👉 सट्टेबाजी उद्देश्य
के लिए मांगी गयी मुद्रा की मात्रा व्याज दर से प्रभावित होती है।
👉 लेन-देन तथा सतर्कता
उद्देश्य के लिए मांगी गयी मुद्रा की मात्रा ब्याज दर से प्रभावित नहीं होती।
👉 ब्याज दर तथा मुद्रा
की मात्रा में विपरीत सम्बन्ध होता है।
👉 जब तक MEC > r
तब तक उद्यमी विनियोग बढ़ाते रहेंगे।
👉 जब MEC < r तब
उद्यमी विनियोग घटायेंगे।
👉 जब MEC = r तब साम्य
का बिन्दु होगा।
👉 गुणक का विचार सर्वप्रथम
R.F Kahin (आर० एफ० कान्ह) ने विकसित किया है।
👉 कान्ह (Kahn) ने
रोजगार गुणक का विकास किया है।
👉 प्रो० कीन्स ने रोजगार
गुणक के स्थान पर विनियोग गुणक का विकास किया।
👉 K = `\frac{\Delta Y}{\Delta I}`
जिसमें K = गुणक
ΔΥ = आय में वृद्धि
∆I = विनियोग में वृद्धि
👉 यदि MPC =`\frac{1}2` तो K का मान 2 होगा।
👉 यदि MPC = 0.8 तो
K = 5 होगा।
`MPC=\frac{\Delta C}{\Delta Y}` तथा `MPC=\frac{\Delta S}{\Delta Y}`
👉 MPC गुणक (K) में
सीधा व प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है।
👉 सामान्यतया MPC शून्य
नहीं होती।
👉 जब MPC = 1 तो K
का मान अनन्त होता है।
👉 साधारणतया K का मान
ईकाई या अनन्त नहीं होता। प्राय: इसका मान अनन्त और इकाई के मध्य होता है।
👉 गुणक प्रक्रिया में
समय अन्तराल नहीं होता।
👉 कीन्स का विनियोग
गुणक स्थैतिक धारणा है।
👉 प्रो० हैन्सन ने
वास्तविक गुणक (True Multiplier) का प्रतिपादन किया है।
👉 त्वरण सिद्धान्त
(Accilirator) का सबसे पहली बार प्रतिपादन 1971 में जे० एम० क्लार्क ने किया है।
👉 लेकिन इसे वैज्ञानिक रूप देने का श्रेय पीगू, कुजनेस्ट, हैरोड, सेम्यूलसन को जाता है।
👉
👉 पहले गुणक क्रियाशील
होता है बाद में त्वरण क्रियाशील होता है।
👉 K, MPC पर निर्भर
करता है।
👉 K, विनियोग वृद्धि
के कारण आय तथा रोजगार में हुए परिवर्तनों को दिखाता है।
👉 त्वरक उपभोग में
हुए परिवर्तनों के विनियोग पर पड़ने वाले प्रभाव को मापता है।
👉 त्वरक का मूल्य पूँजी
उत्पाद अनुपात पर निर्भर करता है। यह तकनीकी कारकों पर निर्भर करता है।
👉 त्वरण अल्प विकसित
देशों में कार्यशील नहीं होता।
👉 गुणक स्वतंत्र विनियोग
का परिणाम है जबकि त्वरण प्रेरित विनियोग।
👉 वस्तु बाजार में
सन्तुलन (S=I) पर होता है।
👉 मुद्रा बाजार में
सन्तुलन (L=M) पर होता है।
👉 IS = LM पर वस्तु
बाजार तथा मुद्रा बाजार में एक साथ साम्य स्थापित होता है।
👉 IS वक्र नीचे की
ओर इसलिए होता है क्योंकि आय में वृद्धि होती है। फलत: ब्याज दर गिर जाती है।
👉 LM वक्र अर्थव्यवस्था
में मौद्रिक क्षेत्र में सन्तुलन को व्यक्त करता है।
👉 LM वक्र दायीं ओर
इसलिए उठता है क्योंकि आप स्तर में वृद्धि के साथ तरलता पसन्दगी बढ़ती है। फलतः ब्याज
की दर बढ़ती है।
👉 IS-LM वक्रों की सहायता से हम ब्याज की दर का निर्धारण करते हैं।
व्यापार चक्र (Trade Cycle)
👉 व्यापार चक्र का
सम्बन्ध उन्हीं उतार चढावों से है जो व्यवसायिक जगत में होते हैं।
👉 A Treatise on
money नामक पुस्तक की रचना कीन्स ने किया है।
👉 प्रो० वेन्हम के
अनुसार व्यापार चक्र वैभव विपन्नता का वह काल है जिसके पश्चात अवसाद अथवा मन्दी का
काल होता है।
👉 हेन्सन का कहना है
कि अमेरिका में 1807 से लेकर 1937 तक में लगभग 37 छोटे व्यापार चक्र उत्पन्न हुए।
👉 वोल्डिंग के अनुसार
व्यापार चक्र की पाँच अवस्थायें होती हैं-अवसाद, पुनरुद्धार, पूर्ण रोजगार, अभिवृद्धि
तथा अवरोध ।
👉 व्यापार चक्र-
🔥 शान्ति की अवस्था
फिर सुधार
🔥 बढ़ता हुआ व्यापारिक
विश्वास
🔥 समृद्धि योजना
🔥 अधिव्यवस्था
🔥 ऐंठन
🔥 दबाव
🔥 निष्चेष्ठा
🔥 अतियोग
🔥 शान्ति में पुनः
अन्त
👉 व्यापार चक्र की पहली अवस्था अवसाद है।
👉 प्रो० हाब्सन ने
अति बचत सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है।
👉 हाट्रे ने शुद्ध
मौद्रिक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है।
👉 प्रो० हाट्रे के
अनुसार व्यापार चक्र एक शुद्ध मौद्रिक घटना है।
👉 हेयक ने अधि विनियोग
(Over investment) सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है।
👉 कीन्स के अनुसार व्यापार चक्र की क्रियाशीलता का प्रमुख कारण-
👉 प्रो० सैम्यूलसन
ने एक अवधि समय परिचता (One period lag) MPC (α) और त्वरक (β)
के विभिन्न मूल्य मानकर व्यापार चक्रों से सम्बन्धित एक गुणक त्वरक मॉडल बनाया है।
👉 जब गुणक तथा त्वरण
का मान समान हो जाता है तो अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव एक निश्चित समय के बाद आयेंगे
तथा गति भी समान होगी तथा उतार-चढ़ाव का अंश भी समान होगा।
👉 आधुनिक अर्थशास्त्री
हैरड, सेम्यूलसन, हिक्स तथा हैन्सन ने व्यापार चक्र का गुणक तथा त्वरक सिद्धान्त का
प्रतिपादन किया।
👉 हैरड ने विकास विश्लेषण
प्रस्तुत किया है।
👉 व्यापार चक्र को
नियंत्रित करने के लिए निम्न उपाय अपनायें जा सकते हैं -
🔥 प्रशुल्क एवं राजकोषीय
नीति
🔥 मौद्रिक नीति
🔥 भौतिक नियंत्रण तथा
अन्य उपाय अपनाये जाने चाहिए।
👉 प्रो० फिशर ने कीमत
नियंत्रण को स्फीति का मुकाबला करने के लिए उत्तम साधन माना है।
👉 प्रो० ए० डब्ल्यू० फिलिप्स ने 1916 और 1957 के मध्य बिट्रेन में मजदूरी दरों और बेरोजगारी स्तरों के बीच बने रहने वाले सम्बन्ध के बारे में अध्ययन किया।