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आर्थिक विचारों के इतिहास में राष्ट्रीय आय
की विचारधारा बहुत ही पुरानी है।
👉 राष्ट्रीय आय से आशय "किसी एक
वर्ष के अन्तर्गत उत्पादित समस्त अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के बाजार मूल्य के जोड़ से
है।"
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प्रो० मार्शल के शब्दों में किसी देश का श्रम व
पूंजी उस देश के प्राकृतिक साधनों पर कार्य करते हुए प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं
एवं सभी प्रकार की सेवाओं का एक विशुद्ध योग उत्पन्न करते हैं। यही किसी देश की वास्तविक
विशुद्ध वार्षिक आय या आगम या राष्ट्रीय लाभांश है।
👉 राष्ट्रीय आय = वस्तुओं व सेवाओं
का वार्षिक उत्पादन + विदेशी विनियोग से प्राप्त शुद्ध आय - कच्ची सामग्री की लागत-
ह्रास।
👉 प्रो० पीगू के अनुसार- किसी समुदाय
की राष्ट्रीय आय वस्तुगत आय का वह भाग है जिसके विदेशों से प्राप्त आय सम्मिलित हैं
जिसको मुद्रा द्वारा मापा जा सकता है।
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राष्ट्रीय आय = मौद्रिक आय + विदेशों में विनियोगों
से आय।
👉 प्रो० फिशर के अनुसार-राष्ट्रीय लाभांश
या आय में केवल वे ही सेवायें सम्मिलित की जाती हैं जो अन्तिम उपभोक्ता को प्राप्त
होती है चाहे ये वस्तुयें भौतिक अथवा मानव वातावरण से प्राप्त हुई है।
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राष्ट्रीय आय समिति के अनुसार-राष्ट्रीय आय
के अनुमान से बिना दोहरी गिनती के एक दी हुई अवधि में उत्पन्न की जाने वाली वस्तुओं
व सेवाओं की मात्रा की माप की जा सकती है।
👉 राष्ट्रीय आय किसी देश की एक वर्ष या निश्चित
समयावधि की आय है।
👉 यह वस्तुओं व सेवाओं दोनों के द्राव्यिक मूल्य
का योग है।
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इसमें से पूंजी की घिसावट को घटा दिया जाता
है।
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इसमें विदेशों से प्राप्त विशुद्ध आय को जोड़
दिया जाता है।
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राष्ट्रीय आय (NI) = C+I+G-D+ (X-M)
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स्वतंत्रता से पहले राष्ट्रीय आय का अनुमान
प्रथम भारतीय अर्थशास्त्री दादा भाई नौरोजी द्वारा सन 1868 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक
“Poverty & Un British rule in India" के माध्यम से लगाया गया।
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राष्ट्रीय आय लेखांकन का विचार प्रो० कीन्स
ने विकसित किया।
👉 स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार
ने आर्थिक आयोजन के लिए राष्ट्रीय आय से समबन्धित आंकड़ों का महत्व समझते हुए इनका
अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया।
👉 इस राष्ट्रीय समिति का गठन प्रो०
पी० सी० महालनोविस की अध्यक्षता में किया गया। इस समिति में दो सदस्यों के रूप में
प्रो० डी आर० गाडगिल तथा प्रो० वी० के० आर० वी० राव थे।
👉 साइमन कुजनेस्ट, जे० आर० एन० स्टोन और डा० डर्कसन की सेवायें परामर्शदाता के रूप में ली गयी।
👉 इस समिति ने 1948-49,
1949-50 तथा 1950-51 की चालू वर्ष की कीमतों के आधार पर राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया
था।
👉 वर्तमान समय में राष्ट्रीय आय के
आंकलन का कार्य केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (C.S.O.) को सौंप दिया गया है।
👉
प्रारम्भ में केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन ने
राष्ट्रीय आय के आंकलन के लिए उन्हीं रीतियों को प्रयोग में लाया जिसके आधार पर राष्ट्रीय
आय का आंकलन राष्ट्रीय आय समिति करती थी।
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इन रीतियों द्वारा राष्ट्रीय आय के अनुमान
1967-68 तक लगाये गये ।
👉 1948-49 से 1967-68 तक के राष्ट्रीय
आय के अनुमान रुढ़ अंक माला (Conventioanal Series) में मिलते हैं।
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राष्ट्रीय आय के ये अनुमान प्रचलित और
1948-49 की कीमतों के आधार पर तैयार किये गये।
👉 अगस्त 1967 में केन्द्रीय सांख्यिकीय
संगठन ने राष्ट्रीय आय की आंकलन रीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये और साथ ही राष्ट्रीय
आय की रूढ़ माला को बन्द कर दिये ।
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राष्ट्रीय आय की संशोधित अंक माला 1960-61 से
प्रारम्भ होती है।
👉 इस अंक माला में राष्ट्रीय आय के
आंकड़े प्रचलित कीमतों के अलावा 1960-61 की कीमतों के आधार पर तैयार किये गये।
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आधार वर्षों को पहले 1960-61 से 1970-71 तथा
बाद में 1980-81 रखा गया है ।
👉 अब एक संशोधित अंक माला उपलब्ध है जिसमें
1980-81 की कीमतों पर 1950-51 से 1993-94 तक के राष्ट्रीय आय के अनुमान प्रस्तुत किये
गये हैं।
👉 केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन अब प्रत्येक वर्ष
राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी जिसे 'white paper' भी कहा जाता है, प्रकाशित करता है जिसमें
देश की राष्ट्रीय आय के विभिन्न पहलुओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की
जाती है।
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प्राथमिक क्षेत्र - कृषि क्षेत्र, वनिकी, मत्स्य
पालन तथा खनन क्षेत्र।
👉 द्वितीयक क्षेत्र-विनिमार्ण, निर्माण,
विद्युत, गैस और जल आपूर्ति।
👉 तृतीयक क्षेत्र- परिवहन, भण्डारण
और संचार, रेलवे, व्यापार, होटल, बैंकिंग तथा बीमा, वास्तविक सम्पदा, भवनों का स्वामित्व,
सार्वजनिक प्रशासन और सुरक्षा तथा अन्य सेवायें।
👉
राष्ट्रीय आय से सम्बद्ध अवधारणायें -
♥️ सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
♥️ शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP)
♥️ सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)
♥️ विशुद्ध राष्ट्रीय आय (NNP)
♥️ राष्ट्रीय आय (National Income)
♥️ व्यक्तिगत आय (Prsonal Income)
♥️ व्यय योग्य आय (Prsonal Dis posable
Income)
♥️ प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)
♥️ राष्ट्रीय आय प्रचलित कीमतों पर तथा स्थिर कीमतों
पर।
👉 सकल घरेलू उत्पाद (Gross
Domestic Product) - सकल घरेलू उत्पाद से हमारा आशय एक देश की घरेलू सीमा (भौगोलिक
सीमा) में एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य से है।
👉 सकल घरेलू उत्पाद की गणना बाजार कीमत पर किये
जाने के कारण इसे बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद भी कहा जाता है।
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सकल घरेलू उत्पाद (बाजार कीमतों पर) सरकार द्वारा
प्रयुक्त वस्तुयें एवं सेवायें + व्यक्तिगत सरल पूंजी निर्माण + उपभोक्ता द्वारा व्यय
की गयी वस्तुयें एवं सेवायें + शुद्ध निर्यात।
👉
G.N.P. = GDP + E-M
👉
बन्द अर्थव्यवस्था में - (GDP = GNP) सकल घरेलू
उत्पाद = सकल राष्ट्रीय उत्पाद
👉
GNP = GDP + विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय
♥️ GNP में मूल्य ह्रास सम्मिलित रहता है।
♥️ GNP में केवल चालू वर्ष का उत्पादन सम्मिलित
है।
♥️ GNP में अन्तिम उत्पादन सम्मिलित है।
♥️ GNP में हस्तान्तरण भुगतान सम्मिलित नहीं
है।
♥️ GNP को मुद्रा में व्यक्त किया जाता है।
♥️ निःशुल्क सेवाओं को GNP में सम्मिलित नहीं
करते।
♥️ गैर कानूनी आय को GNP में सम्मिलित नहीं करते।
👉 शुद्ध घरेलू उत्पाद (Net Domestic
Product) - सकल घरेलू उत्पाद में से घिसावट व्यय को घटाने के बाद जो राशि बचती है उसे
शुद्ध घरेलू उत्पाद कहते हैं।
♥️ शुद्ध घरेलू उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद - ह्मस
(NDP = GDP - D)
👉
सकल घरेलू उत्पाद = उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पाद
+ उपभोक्ता सेवाओं का उत्पादन + पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन + पूंजीगत सेवाओं का उत्पादन
।
👉
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National
product) -सकल राष्ट्रीय उत्पाद, राष्ट्रीय आय की एक प्रमुख अवधारणा है। आय से सम्बन्धित
सबसे व्यापक अवधारणा है।
👉
सकल राष्ट्रीय आय से हमारा आशय अर्थव्यवस्था
में एक निश्चित वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से होता है।
इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय भी सम्मिलित की जाती है।
👉
सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद +
विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय
GNP = GDP + E-M
👉
अर्थव्यवस्था में सकल राष्ट्रीय आय का मूल्य
सदैव सकल राष्ट्रीय व्यय और सकल राष्ट्रीय उत्पाद के समान होता है।
GNI =GNE = GNP
👉
अप्रत्यक्ष करों को, जैसे उत्पादन कर, बिक्री
कर, आयात-निर्यात कर आदि को GNP में शामिल किया जाता है।
👉
[साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा साधन
आय पर राष्ट्रीय उत्पाद] = [लगान + मजदूरी + लाभ + परोक्ष कर + मूल्य ह्मस]
👉
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (G.N.P.) = वर्ष के दौरान
उत्पन्न समस्त अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्यों का योग + अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार से प्राप्त शुद्ध आय
👉 सकल राष्ट्रीय व्यय = पारिवारिक उपभोग
(C) + सकल घरेलू निजी विनियोग (I) + सकल सरकारी व्यय (a) + विशुद्ध विदेशी विनियोग
(X-M)
GNE = C+I+G+(X-M)
👉
सकल राष्ट्रीय आय = लगान + मजदूरी + ब्याज
+ लाभ + अप्रत्यक्ष कर + मूल्य ह्मस
GNI = (a+b+c+d+e+f)
👉
अत: GNP = GNE = GNI क्योंकि तीनों विधियों
से प्राप्त मौद्रिक मूल्य एक समान है।
👉
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(GNP) के बीच अन्तर को समझने के लिए हमें दो अवधारणाओं को समझना होगा - घरेलू सीमा,
राष्ट्रीयता
👉
सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद +
निर्यात - आयात
(GNP = GDP + E-M)
👉
यदि विदेशों से शुद्ध आय धनात्मक है तो उसे
GDP में जोड़ा जायेगा और ऐसी दशा में GNP का मूल्य GDP से अधिक होगा।
👉
यदि विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय ऋणात्मक हैं
तो G.D.P. से घटाया जायेगा, ऐसी दशा में GNP > GDP
👉
एक बन्द अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय उत्पाद
समान होता है क्योंकि ऐसी अर्थव्यवस्था का बाहरी जगत से कोई सम्बन्ध न होने के कारण
उसकी आयात व निर्यात की राशि शून्य होती है।
विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product)
👉 सकल राष्ट्रीय उत्पाद से (GNP) से एक वर्ष विशेष के मूल्य ह्रास या घिसाई व्यय (Depriciation) को घटा दे तो जो धनराशि शेष बचती है उसे विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (N.N.P.) कहते हैं।
👉
(N.N.P.) को बाजार मूल्य दर राष्ट्रीय आय
(National income at market Price) भी कहा जाता है।
👉
विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्य ह्रास (N.N.P. = G.N.P. - Depriciation)
👉
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद और शुद्ध घरेलू उत्पाद
में अंतर
शुद्ध घरेलू उत्पाद (G.D.P.) |
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (N.N.P.) |
1. शुद्ध घरेलू उत्पाद का क्षेत्र सीमित होता है क्योंकि इसमें केवल अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत उत्पादित वस्तुएं एवं सेवायें शामिल की जाती है। |
1. NNP का क्षेत्र विस्तृत होता है, इसमें विदेशों से प्राप्त आय भी शामिल की जाती है। |
2. शुद्ध घरेलू उत्पाद का सम्बन्ध किसी देश की भौगोलिक सीमा से होता है। |
2. N.N.P का सम्बन्ध निवासियों और उनकी राष्ट्रीयता से होता है। |
3. G.D.P. = कुल घरेलू उत्पाद - मूल्य ह्रास |
3. NNP = G.N.P. - D |
4. G.D.P. का सम्बन्ध बन्द अर्थव्यवस्था से होता है। |
4. N.N.P. का सम्बन्ध अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से होता है क्योंकि इसमें आयात व निर्यात का मुख्य स्थान होता है। |
👉 राष्ट्रीय आय = लगान + मजदूरी + वेतन
+ ब्याज + लाभ
👉
साधन लागत पर राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद - अप्रत्यक्ष कर + सरकारी सहायता
👉
साधन लागत पर राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर
कुल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्य ह्मस - अप्रत्यक्ष कर + सरकारी सहायता ।
👉
साधन लागत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC)
= बाजार लागत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (G.N.P.mp) - अप्रत्यक्ष कर + अनुदान
।
👉
वैयक्तिक आय = व्यक्तिगत आय = राष्ट्रीय आय
- निगम कर - अवितरित व्यवसायिक लाभ - सामाजिक सुरक्षा अंशदान + अन्तरण भुगतान।
👉 व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय – व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर
राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित विभिन्न अवधारणाओं के सूत्र
👉
सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) = Cp
+ Cg + lp + lg
👉 शुद्ध घरेलू उत्पाद (N.D.P.) = सकल घरेलू उत्पाद
- ह्मस
NDP = G.D.P. - D.
👉 सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) = सकल
घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय
GNP = G.D.P + E - M
GNP = C+l+G+(X-M)
👉 साधन लागत पर G.N.P. अथवा साधन आय
पर राष्ट्रीय उत्पाद = लगान + मजदूरी + ब्याज + लाभ + परोक्ष कर + मूल्य ह्मस
N.N.P. = G.N.P. - D
N.I. = Rent + wages + Intrest + Profit
NI = NNP – Indirect Taxes + Govt. Subsidies.
N.I. = GNP – Depriciation - Indirect Taxes + Subsidies.
👉
व्यक्तिगत आय = राष्ट्रीय आय - निगम कर - अवितरित
व्यवसायिक लाभ - सामाजिक सुरक्षा अंशदान + अन्तरण भुगतान।
👉 व्यय योग्य आय या स्वायत्त आय = व्यक्तिगत आय - व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर।
राष्ट्रीय आय मापने की विधियाँ
👉 देश की राष्ट्रीय आय को तीन वैकल्पित विधियों
द्वारा मापा जा सकता है -
♥️ उत्पादन विधि,
♥️ आय विधि,
♥️ व्यय गणना विधि
👉
उत्पादन प्रणाली- एक वर्ष में देश में जिन अन्तिम
वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है उनका मूल्य जोड़ लिया जाता है।
👉
प्रो० साइमन कुजनेस्ट उत्पादन प्रणाली को वस्तु सेवा पद्धति (Commodity
Service Method) कहा है।
👉
आय प्रणाली - देश में विभिन्न वर्गों की अर्जित
आय को जोड़ दिया जाता है। जैसे -
♥️ मजदूरी एवं पारिश्रमिक
♥️ स्वनियुक्ति आय
♥️ कर्मचारियों के कल्याण के लिए अंशदान
♥️ लाभांश
♥️ ब्याज
♥️ अतिरिक्त लाभ
♥️ लगान, किराया
♥️ सरकारी उद्यमों से लाभ
♥️ विदेशी साधनों की शुद्ध आय
👉
व्यय प्रणाली - एक वर्ष में अर्थव्यवस्था में
होने वाले व्यय के कुल प्रवाह का योग किया जाता है।
👉 कीन्स के अनुसार - GNP = GNE =
GNI.
👉
कीन्स के अनुसार राष्ट्रीय आय = A-U
[कुल राष्ट्रीय उत्पादन]- [ कुल प्रयोग लागत]
👉
बाजार मूल्य पर राष्ट्रीय आय = मजदूरी एवं वेतन
+ ब्याज + कर्मचारियों की अन्य सुविधायें + लगान + अतिरिक्त सुविधायें + विदेशों से
शुद्ध आय + प्रत्यक्ष कर + सामाजिक सुरक्षा अंशदान ।
👉
सामाजिक लेखांकन पद्धति का विकास रिचर्ड स्टोन
ने किया।
👉 राष्ट्रीय आय लेखांकन का विचार कीन्स ने प्रस्तुत
किया।
👉
प्रो० कुजनेस्ट उत्पादन रीति को वस्तु सेवा
पद्धति माना।
👉 NDPFC= NDPmc
- अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता।
👉
GNP = C +I+G+E.
👉
NNPmp = GNPmp - घिसावट
👉
NNPFC = NNPmp -अप्रत्यक्ष
कर + आर्थिक सहायता ।
👉
राष्ट्रीय
आय की गणना का महत्व
♥️ लोगों के जीवन स्तर के बारे में ज्ञान
♥️ आर्थिक नीति के निर्धारण में सहायक
♥️ आर्थिक उन्नति का तुलनात्मक महत्व
♥️ आर्थिक नियोजन के महत्व
♥️ देश के आर्थिक कल्याण का सूचक
♥️ समाज के विभिन्न वर्गों में आय के वितरण का
अनुमान
♥️ आय-व्यय और बचत का अनुमान
♥️ अर्थव्यवस्था के दोषों को दूर करने में सहायक
👉
राष्ट्रीय आय के मापने में कठिनाइयाँ-
♥️ मूल्यांकन सम्बन्धी कठिनाइयाँ
♥️ हस्तान्तरण आय तथा उत्पादित आय में भेद
♥️ आय ज्ञात करना कठिन
♥️ विश्वसनीयता का अभाव
♥️ बचत समंकों का अभाव
♥️ अशिक्षा एवं अन्धविश्वास
♥️ दोषपूर्ण व्यवसायिक वर्गीकरण
♥️ क्षेत्रीय विविधता
♥️ पारिभाषिक कठिनाइयाँ
सामाजिक लेखांकन (Social Accounting)
👉 सामाजिक आय लेखा, वह विधि है जिसके
द्वारा सामूहिक आर्थिक क्रियाओं को समझा और मापा जाता है।
👉 राष्ट्रीय आय लेखांकन को राष्ट्रीय आय लेखा
अथवा लेखांकन को सामाजिक लेखा, राष्ट्रीय आय लेखा तथा राजनैतिक अंक गणित कहते हैं।
👉 राष्ट्रीय आय लेखा अर्थव्यवस्था के
विभिन्न क्षेत्रों का अन्तर सम्बन्ध व्यक्त करने वाली एक सांख्यिकीय विधि है ताकि सम्पूर्ण
अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति को अच्छी तरह समझ सके।
👉 राष्ट्रीय आय लेखा एक ओर आर्थिक क्रियाओं के
स्तर को मापता है, दूसरी ओर विभिन्न आर्थिक क्रियाओं के अन्तर्सम्बन्ध में स्पष्ट करता
है।
विशेषतायें
👉
यह लेखांकन के दोहरा लेखा सिद्धान्त पर आधारित
है।
👉
इसके द्वारा सामूहिक आर्थिक क्रिया को समझा
जाता है।
👉
ये
विभिन्न क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था के कार्य निष्पादन को बताते हैं।
👉 सामाजिक लेखांकन में अर्थव्यवस्था की आर्थिक
क्रियाओं को 5 भागों में बाँटा जाता है- उत्पादन, उपभोग, पूंजी, सरकार द्वारा किये
गये लेनदेन, शेष विश्व के साथ किये गये लेन-देन।
👉
17वीं शताब्दी में राष्ट्रीय लेखा की अवधारणा
का अभ्युदय हुआ।
👉
सर विलियम पेटी ने 1676 में अपनी पुस्तक
Political Arithmetick लिखी।
👉
सन् 1960 तक राष्ट्र संघ ने ऐसी लेखा प्रणाली
का विकास किया जिसकी सहायता से विभिन्न देशों की आर्थिक क्रियाओं का तुलनात्मक अध्ययन
सरलता से किया जाता है।
👉 1950 में सरकार ने राष्ट्रीय न्यायदर्श
सर्वेक्षण निदेशालय का गठन किया।
👉 C.S.O. प्रतिवर्ष राष्ट्रीय आय को श्वेत पत्र प्रकाशित कर रहा है।