22.PGT आर्थिक विकास के विभिन्न माॅडल (Different Models of Economic Development)

आर्थिक विकास के विभिन्न माॅडल (Different Models of Economic Development)

➡️ The Technique of output input का प्रतिपादन लियोन्टिफ (Leontief) ने किया।

➡️ Incremantal Capital output ratio (ICOR) Increment in Capital increment in output.

➡️ शुम्पीटर ने अपने विकास माडल में नवप्रवर्तन की भूमिका पर विशेष जोर दिया।

➡️ माल्यस जनसंख्या सिद्धान्त के संदर्भ में विशेष योगदान दिया।

➡️ प्रदर्शन प्रभाव (Demonstration effect) से जेम्स डयूजनवरी सम्बन्धित है।

➡️ आर्थिक विकास श्रम की असीमित पूर्ति के साथ विकास का एक माडल है, जिसका प्रतिपादन डल्लू ए. लेविस ने किया।

➡️ रोस्टोव के सिद्धान्त में परिपेता की ओर अग्रसर होना स्वयं स्फूर्ति की अवस्था के पश्चात् आता है।

➡️ यदि नियोजित निवेश की अपेक्षा नियोजित बचत अधिक है तो उत्पादन घटेगा।

➡️ सन्तुलित विकास सिद्धान्त के अनुसार अल्प विकास का प्राथमिक कारण बाजार का लघु आकार होना है।

➡️ The Golden age of full employment Equilbrium सिद्धान्त का प्रतिपादन श्रीमती जान राबिन्सन ने विकसित किया।

➡️ क्रान्तिक न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त की अवधारणा को प्रो० लेबस्टीन ने विकसित किया।

➡️ बड़े धक्के का सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रो० आर० रोडान ने किया है।

➡️ गरीबी के दुष्चक्र की अवधारणा प्रो० नर्क्स से सम्बन्धित है।

➡️ The stages of Econome growth the thwry पुस्तक की रचना प्रो0 डल्लू रोस्टोव ने किया।

➡️ हेरोड के विकास मॉडल में पूर्ण रोजगार के लिए G = GW = GN की दशा आवश्यक है।

➡️ असन्तुलित विकास के प्रवर्तक प्रो0 हर्ष मैन है।

➡️ हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों की प्रमुख विशेषतायें वैश्वीकरण, निजीकरण तथा उद्योगों के लाइसेंस की अनिवार्यता से मुक्ति है।

➡️ राष्ट्रीय विकास परिषद् का गठन 1952 में किया गया।

➡️ द्वितीय पंचवर्षीय योजना का माडल प्रो० पी०सी महान लोविस ने तैयार किया।

➡️ योजना आयोग का अध्यक्ष सदैव वर्तमान प्रधानमंत्री होता है।

➡️ लाभ का तरलता अभियान सिद्धान्त का प्रतिपादन लार्ड कीन्स ने किया

➡️ कीन्सीय तरलता जाल की स्थिति में ब्याज दर, निवेश तथा रोजगार पर कोई प्रभाव नहीं होगा।

➡️ रोस्टोव के सिद्धान्त में परिपेता की अवस्था के पहले स्फूर्ति के पूर्व की अवस्था आती है।

➡️ प्रबल प्रयास का सिद्धान्त वाह्य मितव्ययिता पर आधारित है।

➡️ क्रान्तिक न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त का प्रतिपादन एच लाइवेंस्टीन ने किया है।

➡️ प्रो० शुम्पीटर ने विकास में साहसी की भूमिक पर जोर दिया है।

➡️ असन्तुलित विकास की अवधारणा की वकालत प्रो0 हर्श मैन ने पुरजोर शब्दों में की है।

➡️ किण्डल वर्जर ने प्रो० रोस्टोव को आर्थिक विकास की अवस्थाओं को (Corpertz) 'S' के शक्ल की कहा है।

➡️ रोस्टोव के अनुसार परिपेता की अवस्था दीर्घकालीन अवस्था है।

➡️ परम्परागत समाज विकास की निष्क्रिय अवस्था है।

➡️ आर्थिक विकास प्रक्रिया में सन्तुलित क्षेत्रीय विकास के समर्थक प्रो० मिर्डल हैं।

➡️ सन्तुलित विकास प्रक्रिया के प्रमुख समर्थक प्रो० लुइस हैं।

➡️ जान राविन्सन ने आर्थिक विकास प्रक्रिया में स्वर्ण युग का विचार प्रदान किया है।

➡️ आर्थिक विकास का सामाजिक द्वैतवाद (Social Dulism) का सिद्धान्त प्रो० बोइक ने प्रस्तुत किया।

➡️ बड़े धक्के का सिद्धान्त जिसका प्रतिपादन आर, रोडान ने किया है यह माँग की अविभाज्यता, उत्पादन फलन की अविभाज्यता तथा बचत की पूर्ति में अविभाज्यता पर आधारित है।

➡️ सोलों का माडल दीर्घकालीन वृद्धि की प्रवृत्ति से सम्बन्धित है।

➡️ Theory of back wash effect का प्रतिपादन प्रो० मिर्डन ने किया।

➡️ नेल्सन ने निम्न सन्तुलन पाश्व सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।

➡️ लेविन्स्टीन ने आवश्यक न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त प्रतिपादन किया ।

➡️ प्रो० रोस्टोव ने आर्थिक विकास की अवस्थाओं को 5 भागों में बाँटा हैं।

➡️ प्रो0 राबिन्स के अनुसार जब जनसंख्या वृद्धि दर पूँजी संचयन दर से अधिक हो जाती है तब अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी का आकार बढ़ता है।

➡️ श्रीमती जान राविन्स स्वर्ण युग के विचार से सम्बन्धित हैं।

➡️ सिगमा प्रभाव का विचार प्रो० डोमर ने प्रस्तुत किया।

➡️ हैरड के विकास माडल में आय की वृद्धि = APS / Capital output ration.

➡️ आर्थिक विकास के लिए अहस्तक्षेप की नीति आवश्यक हैं, इस विचार का प्रतिपादन एडम स्मिथ ने किया।

➡️ स्मिथ के अनुसार उत्पत्ति का सबसे सक्रिय एवं आवश्यक साधन श्रम हैं

➡️  स्मिथ के अनुसार कृषक, व्यापारी, उत्पादक सभी विकास के दूत हैं।

➡️ स्मिथ के अनुसार स्थैतिक अवस्था आर्थिक विकास की अन्तिम अवस्था है।

➡️ रिकाड़ों के अनुसार पूँजीपति के लाभ को अधिकतम करने की शर्त न्यूनतम मजदूरी, करों से मुक्ति तथा स्वतंत्र व्यापार है।

➡️ रिकार्डों के अनुसार विकास के लिए सबसे आवश्यक क्षेत्र कृषि है।

➡️ प्रतिष्ठित विचारधारा के अनुसार लाभ की प्रवृत्ति सदैव घटने की होती हैं।

➡️ कार्ल मार्क्स के अनुसार सामाजिक परिवर्तन आर्थिक संकीर्णता का परिणाम है।

➡️ कार्ल मार्क्स वैज्ञानिक समाजवाद से सम्बन्धित है।

➡️ आर्थिक विकास के क्रम में समाजवाद की पूर्ववर्ती के एवं परावर्ती अवस्थायें क्रमशः साम्राज्यवाद तथा साम्यवाद है।

➡️ कार्ल मार्क्स के अनुसार लाभ की दर `r=\frac sv`

➡️ मील के विकास मॉडल में विकास का वास्तविक सूचक प्रति व्यक्ति वास्तविक आय है।

➡️ प्रो० शुम्पीटर के अनुसार उद्यम आर्थिक विकास का केन्द्र बिन्दु तथा प्रेरणा स्त्रोत होता है।

➡️ कीन्स की विचारधारा विकसित किन्तु पूँजीवादी देश के आर्थिक विकास से सम्बन्धित है।

➡️ हैरड डोमर का विकास माडल कीन्स के मौलिक समीकरण का विस्तृत रूप है।

➡️ हैरड डोमर विकास मॉडल पूँजी के माँग तथा पूर्ति दोनों पक्षों पर बल देता है।

➡️ हैरड ने अपने विकास मॉडल में प्रावैगिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करनेमें गुणक तथा त्वरक दोनों घटकों का प्रयोग किया है।

➡️ हैरड के अनुसार सतत विकास के लिए GW = Cn आवश्यक है।

➡️ हैरड के विकास माडल में पूर्ण रोजगार सन्तुलन के लिए आवश्यक दशा G = Gn = Gw

➡️ यदि G > GW तब अर्थव्यवस्था में स्फीति की दशा होगी।

➡️ यदि G < Gw तब अर्थव्यवस्था में मंदी की दशा उत्पन्न होगी।

➡️ डोमर ने अपने विकास माडल में सिगमा प्रभाव का विचार प्रस्तुत किया।

➡️ डोमर ने अपने विकास माडल में पूँजी उत्पाद अनुपात एवं गुणक का व्युत्क्रम का प्रयोग किया।

➡️ डोमर का विकास माडल सन्तुलित तकनीक पर आधारित है।

➡️ जर्मन अर्थशास्त्री फेडरिक लिस्ट ने 1844 में आर्थिक व्यवस्था के क्रमिक विकास की निम्न अवस्थाओं का उल्लेख किया है। जैसे-जंगली अवस्था, चारागाह अवस्था, कृषि अवस्था, उद्योग अवस्था तथा उद्योग निर्माण व्यावसायिक अवस्था।

➡️ कोलिन क्लार्क ने विकास की तीन अवस्थायें प्रतिपादित की है यथा - कृषि उद्योग अवस्था, निर्माणकारी उद्योग अवस्था, तथा सेना उद्योग अवस्था ।

➡️ कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष को विकास का आधार माना है।

➡️ प्रो0 एगले के अनुसार विकास की निम्न चार अवस्थायें - गृह -गृह अवस्था, गिल्ड अवस्था, घरेलू अवस्था, तथा फैक्ट्री अवस्था ।

➡️ प्रो० वाकर ने आर्थिक विकास की तीन अवस्थायें प्रतिपादित की हैं जो निम्नलिखित हैं-गृह अर्थ व्यवस्था, शहरी अर्थ व्यवस्था, राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था ।

➡️ हैरड तथा डोमर ने विकसित देशों के संदर्भ में आर्थिक विकास के माडल प्रस्तुत किये।

➡️ हैरड के अनुसार APS = MPS

➡️ वास्तविक विकास की दर वह दर है जिस पर देश विकास कर रहा है।

➡️ पूर्ण रोजगार साम्य के लिए G = Gn = Gw

➡️ यदि G> Gw तो C< Cr होगी तथा अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन स्फीति की स्थिति उत्पन्न होगी।

➡️ यदि G > Gw तो C< Cr तो अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन मंदी।

➡️ Gw > Gn तो दीर्घकालीन गति हीनता की स्थिति होगी।

➡️ Gw < Gn तो दीर्घकालीन स्फीति की दशा होगी।

➡️ डोमर का माडल पूँजी स्टाक समायोजन (Capital Stock adjust-ment modal) माना जाता है।

➡️ डोमर के अनुसार आय में वृद्धि = बचत प्रवृत्ति/पूँजी उत्पाद अनुपात।

➡️ दोनों अर्थशास्त्रियों ने (Harrod-Domar) बन्द अर्थव्यवस्थाओं की कल्पना की है।

➡️ सरकारी हस्तक्षेप का अभाव माना है।

➡️ हेरेड के अनुसार आय में वृद्धि MPC/ पूँजी उत्पाद अनुपात।।

➡️ प्रो0 सिंगर का मत है कि हैरड डोमर माडल विकसित देशों के लिए आशावादी मॉडल है तथा अर्द्धविकसित देशों के लिए निराशवादी मॉडल है।

➡️ पी. एल. रावत का मत है कि मनुष्य आर्थिक क्रियाओं का आदि अन्त दोनों है।

 आर्थिक विकास के स्त्रोत

➡️ सभी अर्थशास्त्री विकास के लिए प्राकृतिक साधनों को अनिवार्य और आवश्यक नहीं मानते।

➡️ प्राकृतिक साधनों का विदोहन उद्यमशीलता तथा अनुकूल सामाजिक परिस्थितियों के लिए आवश्यक है।

➡️ पूँजी निर्माण का अभिप्राय भौतिक पुनर्निर्मित उत्पादन के स्टाक में वृद्धि है।

➡️ आर्थर लुइस के अनुसार पूँजी निर्माण आर्थिक विकास की केन्द्रीय समस्या है।

➡️ पूँजी निर्माण प्रक्रिया में अदृश्य बेरोजगारी एक आन्तरिक स्त्रोत है।

➡️ प्रो0 मार्क्स के अनुसार अदृश्य बेरोजगारी में श्रम की सीमान्त उत्पादकता शून्य होती है।

➡️ गुन्नार मिर्डल, आर्थिक विकास में विदेशी व्यापार को अवरोधक मानते हैं।

➡️ प्रो० जे. एस. मिल विदेशी व्यापार को आर्थिक विकास में सहायक मानते हैं।

➡️ प्रो० हैबरलर के अनुसार विदेशी व्यापार अर्द्धविकसित देशों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार से लाभान्वित करता है।

➡️ प्रो0 हर्ष मैन के अनुसार जनसंख्या का दबाव आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है।

➡️ कोल एवं डूवर के अनुसार जनसंख्या की लगातार वृद्धि आर्थिक विकास के लिए बाधक होती है।

➡️ साम्यवादी अर्थव्यवस्था में जन ऋण का कोई महत्व नहीं है। क्योंकि ऐसी अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत पूँजी का कोई महत्व नही है।

➡️ अर्द्ध विकसित समाज में जब लोगों की आय बढ़ती है तो वे बढ़ी हुई आय का अधिकांश भाग उपयोग कर डालते हैं। इस प्रक्रिया को अर्थशास्त्र में सीमान्त उपयोग प्रवृत्ति कहते हैं।

➡️ विनियोग दर बढ़ने पर पूँजी उत्पाद अनुपात घटता है।

➡️ यदि पूँजी उत्पाद अनुपात 3 :1 है तथा विकास का लक्ष्य 5 प्रतिशत है तब 15 प्रतिशत विनियोग किया जाना चाहिए।

➡️ आर्थिक विकास की आरम्भिक स्थिति में पूँजी उत्पाद अनुपात अधिक होता है।

➡️ सीमान्त पूँजी उत्पाद अनुपात एक प्रावैगिक धारणा है।

➡️ औसत पूँजी उत्पाद अनुपात एक स्थैतिक धारणा है।

➡️ पूँजी उत्पाद अनुपात 5 : 1 होने पर पूँजी गुणांक 5 होगा।

➡️ श्रीमती वूटन के अनुसार योग्य दृढ एवं ईमानदार प्रशासन आर्थिक विकास की पहली कसौटी है।

➡️ छिपी बेरोजगारी पूँजी निर्माण की गति को घटाती है।

➡️ प्रो0 लुइस केअनुसार आर्थिक विकास के लिए राष्ट्रीय आय का 10 से 15 प्रतिशत भाग विनियोग किया जाना चाहिए।

➡️ क्रेयर्नक्रास के अनुसार आर्थिक विकास तब तक असम्भव है जब तक यह लोगों के मस्तिष्क के साथ नहीं जुड़ता ।

➡️ गालब्रैथ के अनुसार अल्प विकसित देशों की गरीबी का मुख्य कारण विकास के प्रति चाह, इच्छा एवं लाभ लालसा न जाग्रत होना है।

➡️ प्रो0 नाइट के अनुसार आर्थिक विकास की प्रक्रिया में सामाजिक घटक महत्वपूर्ण होता है।

➡️ मानवीय पूँजी निर्माण में शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सामाजिक क्षेत्रों का व्यय सभी सम्मिलित होते हैं।

➡️ प्रो0 राइट के अनुसार आर्थिक विकास की प्रक्रिया में आर्थिक तत्वों की अपेक्षा सामाजिक तत्वों से अधिक प्रभावित होती है।

➡️ स्मिथ अनुसार श्रमशासित आर्थिक विकास का प्रमुख निर्धारक है।

➡️ प्रो०साइमन कुजनेस्ट के अनुसार पूँजी एवं निर्माण आर्थिक विकास की अनिवार्य अपरिपेता है।

➡️ शुम्पीटर ने नव को आर्थिक विकास प्रक्रिया में वरीयता प्रदान की है।

➡️ श्रीमती जान राबिन्स के अनुसार आर्थिक विकास को स्वतः प्रारम्भ होने वाली प्रक्रिया बताया है।

➡️ विश्व बैंक अपने सदस्य राष्ट्रों को विशिष्ट परियोजनाओं की पूर्ति हेतु विदेशी सहायता प्रदान करता है।

➡️ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अपने सदस्य राष्ट्रों को भुगतान क्षेत्र में उत्पन्न हुए असन्तुलन को दूर करने के लिए ऋण प्रदान करता है।

➡️ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अपने सदस्य राष्ट्रों को भुगतान क्षेत्र में उत्पन्न हुए असन्तुलन को दूर करने के लिए ऋण प्रदान करता है।

➡️ कठोर ऋणों का शोधन विदेशी मुद्रा में किया जाता है।

➡️ कोमल ऋणों का शोधन देश की मुद्रा में किया जाता है।

➡️ विकास दर की गणना के लिए (हैरड-डोमर) निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है।

`\frac{S_t}{Y_t}\times\frac OC`जिसमें St = निश्चित अवधि में राष्ट्रीय बचत

Yt = निश्चित अवधि में राष्ट्रीय आय

`\frac OC` पूँजी उत्पाद अनुपात का व्युत्क्रम

➡️ यदि विकास दर का लक्ष्य = 4 प्रतिशत 

`\frac OC` = 5: 1 तब विनियोग की गणना g = `\frac{S_t}{Y_t}\times\frac OC`

or, `4\%=\frac{S_t}{Y_t}\times\frac{1}5`

`\frac4{100}=\frac{S_t}{Y_t}\times\frac{1}5`

`\frac{S_t}{Y_t}=\frac{20}{100}` = 20 अर्थात् 20 प्रतिशत

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