Class XII 4.आगम, उत्पादक का संतुलन और आपूर्ति वक्र

आगम, उत्पादक का संतुलन और आपूर्ति वक्र

प्रश्न :- उत्पादक के संतुलन का क्या अर्थ है ?

उत्तर :- उत्पादक संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें उत्पादक या तो अधिकतम लाभ प्राप्त कर कर रहा है या न्यूनतम हानि उठा रहा है। लाभ अधिकतम तब होता है जब TR तथा TC में अंतर अधिकतम होता है

चित्र में TR और TC का अन्तर AB है। अतः उत्पादक को OQ मात्रा उत्पादन करने पर अधिकतम लाभ प्राप्त होगा और वह संतुलन में होगा

प्रश्न :- किसी प्रतियोगी फर्म के लिए उत्पादक के संतुलन की शर्त्त क्या होती है ?

> पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक फर्म के अल्पकालीन संतुलन की शर्त्त की व्याख्या करें ?

> सीमांत लागत विधि द्वारा उत्पादक का संतुलन समझाइए ?

उत्तर :- संतुलन के दो शर्त है  

(1) MR=MC

(2) MC की रेखा MR रेखा को नीचे से ऊपर जाते हुए काटे ।

चित्र में, E1 बिन्दु पर संतुलन नहीं हो सकता क्योंकि यहां केवल एक ही शर्त पुरा हो रहा है। E बिन्दु पर फर्म संतुलन पर होगा क्योंकि यहा दोनों शर्ते की पूर्ति हो रही है।

हम जानते हैं की

π = R – C

जहां ,   π = लाभ , R = आय , C = लागत

We find first derivatives with Respect to X

`\frac{d\pi}{dx}=\frac{dR}{dx}-\frac{dC}{dx}`

लाभ अधिकतम करने पर ;`\frac{d\pi}{dx}=` 0

`or,\frac{dR}{dx}=\frac{dC}{dx}`

 MR = MC

We find Second derivatives With Respect To X

`\frac{d^2\pi}{dx^2}=\frac{d^2R}{d^2x}-\frac{d^2C}{d^2x}`

लाभ अधिकतम करने पर`\frac{d^2\pi}{dx^2}`< 0

`or,\frac{d^2R}{d^2x}-\frac{d^2C}{d^2x}<0`

`or,\frac{d^2R}{d^2x}<\frac{d^2C}{d^2x}`

`or,\frac{d^2C}{d^2x}>\frac{d^2R}{d^2x}`

`or,\frac d{dx}\left(\frac{dC}{dx}\right)>\frac d{dx}\left(\frac{dR}{dx}\right)`

अतः , Slope of (MC) > Slope of (MR)

प्रश्न :- प्रतियोगी फर्म का औसत आगम (AR) सदा सीमांत आगम (MR) के समान क्यों होता है ?

उत्तर :- प्रतियोगी फर्म का AR वस्तु की कीमत के समान होता है। MR भी वस्तु की कीमत के समान होता है। इसलिए AR सदा MR के समान होता है।

AR = Price

MR = Price

अतः AR = MR

प्रश्न :- पूर्ति लोंच की अवधारणा स्पष्ट करें। निम्नलिखित स्थितियों में पूर्ति विक्रय खींचे ?

1. Elasticity of Supply = 1

2. Elasticity of Supply < 1

3. Elasticity of Supply > 1

उत्तर :- सैम्युलसन  के अनुसार ," पूर्ति की लोच कीमत में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरुप पूर्ति में होने वाले परिवर्तन की प्रतिक्रिया की मात्रा है

1. Es =1,जब ऊपर को उठने वाली सीधी रेखा पूर्ति वक्र उद्गम बिंदु 0 से प्रारंभ होती है

2. Es <1, जब ऊपर को उठने वाली सीधी रेखा पूर्ति वक्र X- अक्ष से आरम्भ होती है।

3. Es >1, जब ऊपर को उठने वाली सीधी रेखा पूर्ति वक्र X- अक्ष से आरम्भ होती है।

प्रश्न :- पूर्ति (आपूर्ति ) नियम की व्याख्या करें ? इसे प्रभावित करने वाले कारक एंव सीमाओं की व्याख्या करें ?

> पूर्ति से आपका क्या अभिप्राय है ? पूर्ति े नियम का वर्णन करें

> वस्तु की पूर्ति के तीन कारकों की सूची बनाएं

> पूर्ति को प्रभावित करने वाले कारक की व्याख्या करें

उत्तर :- यदि अन्य बातें समान रहे तो किसी वस्तु की कीमत बढ़ने से उसकी पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत घटने से पूर्ति भी घट जाती है, उसे पूर्ति का नियम कहते हैं

प्रो. डुली के शब्दों में," पूर्ति का नियम बताता है कि जितनी कीमत अधिक होगी उतनी ही पूर्ति अधिक होती है और कीमत कम होने पर पूर्ति कम हो जाती है"

   पूर्ति के नियम को एक अनुसूची द्वारा दर्शाता दिखा सकते हैं जिसे पूर्ति अनुसूची कहते हैं

वस्तु की कीमत

1

2

3

4

5

6

पूर्ति

100

200

300

400

500

600

तालिका से स्पष्ट है कि मूल्य के बढ़ने पर पूर्ति भी बढ़ती जाती है।

चित्र में , मूल्य बढ़ने पर पूर्ति भी बढ़ती जाती है तथा मूल्य घटने पर पूर्ति भी घटती हैं। अतः मूल्य और पूर्ति के बीच सीधा संबंध होता है। मूल्य और पूर्ति बिन्दुओं को मिलाने से हमें S वक्र प्राप्त होता है जो पूर्ति वक्र को दर्शोता है।

                                                मान्यता

(1) उत्पादन के साधनों की पूर्ति तथा कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता (2) उत्पादन की तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होता (3 फर्म के उद्देश्य में परिवर्तन नहीं होता (4) अन्य वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता (5) भविष्य में वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने की संभावना नहीं है

                                 पूर्ति वक्र को प्रभावित करने वाले कारक

1. वस्तु की कीमत:- वस्तु की पूर्ति और कीमत के बीच सीधा संबंध होता है

2. संबंधित वस्तुओं की कीमत:- अन्य वस्तुओं की कीमत में होने वाली वृद्धि के फलस्वरुप वे फर्मों के लिए अधिक लाभदायक हो जाएगीइसके फलस्वरूप फर्म उनकी अधिक पूर्ति करेंगी इसके विपरीत जिस वस्तु की कीमत में वृद्धि नहीं होती वह अपेक्षाकृत कम लाभदायक होगी। इसलिए र्म उसकी पूर्ति कम करेगी

3. फर्मो की संख्या:- किसी वस्तु की बाजार पूर्ति फर्मों की संख्या पर भी निर्भर करती है। फर्मों की संख्या अधिक होने पर पूर्ति अधिक होती है तथा संख्या कम रहने पर पूर्ति कम

4. फर्म के उद्देश्य:- यदि फर्म का उद्देश लाभ को अधिकतम करना है तो केवल अधिक कीमत पर ही अधिक पूर्ति की जाएगी, इसके विपरीत यदि फर्म का उद्देश्य बिक्री या रोजगार को अधिकतम करना है तो वर्तमान पर भी अधिक पूर्ति की जाएगी।

5. तकनीक में परिवर्तन:-  उत्पादन तकनीक में सुधार होने के फलस्वरूप प्रति इकाई उत्पादन लागत में कमी होती है तथा लाभ में वृद्धि होती हैइसके फलस्वरूप पूर्ति में वृद्धि होती है

6. सरकारी नीति:-  अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि होने के फलस्वरूप सामान्यत पूर्ति कम होती है। इसके विपरीत अनुदानो के कारण पूर्ति में वृद्धि होती है

                                      सीमा ( अपवाद )

1. भविष्य में कीमतें:- जब विक्रेता को इस बात का भय हो कि वस्तु की कीमतों में भारी गिरावट आने वाली है तो वह कम कीमत पर ही अधिक वस्तु बेचने को तैयार होगी

2. कृषि वस्तु:- प्राय: कृषि की वस्तुओं के उत्पादन पर भी या नियम लागू नहीं होता, क्योंकि उनकी पूर्ति मूल्य बढ़ने पर एक दम नहीं बढ़ाई जा सकती

3. पुराने स्टॉक की सफाई:- जब व्यापारी पुराने स्टॉक खत्म करके नई वस्तुओं का स्टॉक रखना चाहता है तो वह कीमत कम करके अधिक वस्तु बेचेगा

4. कलात्मक वस्तुएं:- कलात्मक वस्तुऐ के संबंध में भी या नियम लागू नहीं होता। दुर्लभ चित्रों की कीमत बढ़ने पर भी पूर्ति नहीं बढ़ाई जा सकती

प्रश्न :- पूर्ति के मात्रा में वृद्धि( विस्तार) और पूर्ति में वृद्धि के बीच अंतर स्पष्ट करें ?

उत्तर :- पूर्ति में वृद्धि:- जब उत्पादक कीमत के अतिरिक्त अन्य बातों के कारण अधिक इकाइयों की पूर्ति करता है। इसे पूर्ति में वृद्धि कहते हैं। इस अवस्था में उत्पादक की पूर्ति अनुसूची बदल जाती है तथा उसका पूर्ति वक्र दायी ओर खिसक जाता है

चित्र में मूल्य OP पर OQ1 मात्रा की पूर्ति होती हैमूल्य OP पर OQ2 मात्रा की पूर्ति होती है। इसे पूर्ति में वृद्धि कहेंगे

पूर्ति में विस्तार:- जब वस्तु की कीमत में वृद्धि के कारण उत्पादक अधिक इकाइयों की पूर्ति करते हैं तो इसे पूर्ति में विस्तार कहा जाता है। इस अवस्था में उत्पादक उसी पूर्ति वक्र पर नीचे से ऊपर की ओर सरक जाता है

प्रश्न :- पूर्ति के संकुचन और पूर्ति में कमी के बीच अंतर कीजिए ?

उत्तर :- पूर्ति में संकुचन:- अन्य बातें समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत के कम होने के फलस्वरूप उसकी पूर्ति कम हो जाती है तो पूर्ति में होने वाली कमी को पूर्ति का संकुचन कहते हैं। इस अवस्था में उत्पादक उसी पूर्ति वक्र पर ऊपर से नीचे की ओर सक जाता है

पूर्ति में कमी:- वस्तु की कीमत समान रहने पर यदि किसी वस्तु की पूर्ति कम हो जाती है अथवा कीमत बढ़ने पर भी पूर्ति समान रहती है तो इस परिवर्तन को पूर्ति में कमी कहा जाता है। इस स्थिति में पूर्ति वक्र बाई ओर खिसक जाता है

प्रश्न :-कुल आगम ( आय ) , औसत आगम तथा सीमांत आगम की परिभाषा दें तथा इसके बीच संबंधों की व्याख्या करें ?

उत्तर :- कुल आगम (TR):- सभी बेची गई इकाइयों से प्राप्त कुल राशि को कुल आगम कहते हैंयदि कीमत (P) तथा बिक्री की मात्रा (Q) है तो उस स्थिति में

TR =P (AR) . Q. ; or MR

औसत आगम (AR):- औसत आगम, कुल आगम को बेची गई मात्रा से विभाजित करके ज्ञात किया जा सकता है

`AR=\frac{TR}Q`

सीमांत आगम (MR):- सीमांत आगम अतिरिक्त बेची गई इकाई से प्राप्त कुल आगम में वृद्धि है            

 MR = TRn - TRn-1   or, `MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`

चित्र में  TR (कुल आगम) जब अधिकतम होता है तो MR (सीमांत आगम) शून्य होता है, जब MR ऋणात्मक होता है तो TR घटना शुरू करता है। MR धनात्मक शून्य तथा ऋणात्मक हो सकता है परंतु AR धनात्मक ही होता है। औसत आगम शून्य उस अवस्था में होता है जब वस्तु मुफ्त में ही दी जाए। वास्तविक जीवन में ऐसा नहीं होता। जब AR शून्य होता है तो TR भी शून्य होता है।

                                                तालिका से

बेची गई इकाई (Q)

1

2

3

4

5

6

7

कीमत(P)

10

9

8

7

6

5

4

कुल आगम ( TR)

10

18

24

28

30

30

28

औसत आगम (AR)

10

9

8

7

6

5

5

सीमांत आगम (MR)

10

8

6

4

2

0

-2

प्रश्न :- पूर्ति की लोंच से करता अभिप्राय है ? इसकी माप तथा प्रभावित करने वाले कारक बताएं ?

उत्तर :- सैम्युलसन के अनुसार ," पूर्ति की लोंच कीमत में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप पूर्ति में होने वाले परिवर्तन की प्रतिक्रिया की मात्रा है।"

माप

पूर्ति की लोंच को मापने की दो विधियां निम्नलिखित हैं -

1.आनुपातिक ( या प्रतिशत ) विधि :- इस विधि के अनुसार, पूर्ति की लोंच (Es) वस्तु की पूर्ति की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात है।

Es = वस्तु की पूर्ति में प्रतिशत या आनुपातिक परिवर्तन / कीमत में प्रतिशत या आनुपातिक परिवर्तन

Es = पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन/ प्रारम्भिक पूर्ति की मात्रा/ कीमत में परिवर्तन/प्रारम्भिक कीमत 

`E_s=\frac{\frac{Q_1-Q}Q}{\frac{P_1-P}P}`

`E_s=\frac{\frac{\Delta Q}Q}{\frac{\Delta P}P}=\frac{\Delta Q}Q\times\frac P{\Delta P}`

2. ज्यामितिय विधि :- इस विधि के अनुसार पूर्ति की लोंच पूर्ति वक्र के उद्गम पर निर्भर करती है। यह मान्यता लेते हुए कि पूर्ति वक्र सीधी और धनात्मक ढलान वाली रेखा होती है,हम पूर्ति की लोंच की तीन सम्भव स्थितियों की कल्पना कर सकते हैं

स्थिति 1 :

P (आरंभिक कीमत ) = OS                

 P1 (नई कीमत ) = OS1

Q (आरंभिक मात्रा ) = OL

Q1 (नई मात्रा ) = OL

`=\frac{LL_1}{SS_1}\times\frac{OS}{OL}` 

`=\frac{BC}{AC}\times\frac{OS}{OL}`.......(1)

(LL1 = BC )

 ( SS1 = AC )

 ΔABC तथा ΔAOL एक दूसरे के समरुप है। अतः उनकी भुजाओं का अनुपात भी समान होना चाहिए।

 `=\frac{BC}{AC}\times\frac{OL}{AL}`.......(2)

समी० (1) के स्थान पर समी० (2) को प्रतिस्थापन करने

`E_s=\frac{OL}{AL}\times\frac{OS}{OL}`

क्योंकि OS = AL , हम कह सकते हैं..........

`E_s=\frac{OL}{AL}\times\frac{AL}{OL}` 1 (इकाई )

स्थिति 2 : 

स्थिति 3 :

पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले कारक

1. लागत:- यदि उत्पादन लागत घटती है तो उत्पादक को पूर्ति बढ़ाने से अधिक लाभ होगा, पूर्ति लोचदार होगी।

2.  समय तत्व:-  समय जितना ही लंबा होगा, वस्तु की पूर्ति की लोच उतनी ही अधिक होगी और समय जितना ही कम होगा वस्तु की पूर्ति की लोच उतनी ही अधिक बेलोचदार होगी।

3. उत्पादन प्रणाली:- जिन वस्तुओं के उत्पादन में अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं होती उनकी पूर्ति लोचदार होती है तथा इसके विपरीत स्थिति में बेलोचदार होती है।

4. वस्तु की प्रकृति:- जो वस्तुएं शीघ्र नष्ट होने वाली होती है, उनकी पूर्ति पूर्णतया बेलोचदार होती है, परंतु जो वस्तुएं टिकाऊ होती है उनकी पूर्ति लोचदार होती है।

5. भावी कीमतों में परिवर्तन:-  यदि उत्पादक को वस्तु की भावी कीमत के अधिक होने की आशा है तो वस्तु के वर्तमान पूर्ति में कमी कर देंगे, जिसके कारण पूर्ति बेलोचदार हो जाएंगी।

6.  प्राकृतिक बाधाये :- पूर्ति की लोच को प्राकृतिक बाधाओं का भी प्रभाव पड़ता है। प्रकृति पूर्ति पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा देती है।उदाहरण के लिए यदि हम शीशम की लकड़ी की पूर्ति बढ़ाना चाहते हैं तो उसके पेड़ तैयार होने में कई वर्ष लग जाएंगे। इसकी  पूर्ति में वृद्धि सुगमता से नहीं की जा सकती। इसलिए शीशम की लकड़ी की पूर्ति कम लोचदार होगी।

प्रश्न :- आपूर्ति वक्र को िसका सकने वाले तीन कारक बताएं ?

> पूर्ति में परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ? पूर्ति में परिवर्तन के तीन कारकों का उल्लेख करें

उत्तर :- जब कीमत के अलावा, किन्ही अन्य कारकों में परिवर्तन होने पर वस्तु की अधिक या कम मात्रा बेची जाती है तो उसे पूर्ति वक्र का खिसकाव अथवा पूर्ति में परिवर्तन कहा जाता है

  पूर्ति में परिवर्तन के कारण

(A) पूर्ति में वृद्धि ( या पूर्ति वक्र नीचे अथवा बाएं से दाएं खिसकने ) के कारण:- (a) उत्पादन तकनीक में सुधार (b) उत्पादन के साधनों की कीमत में कमी अर्थात उत्पादन लागत कम होना (c) बाजार में फर्मो की संख्या का बढ़ जाना।

पूर्ति में वृद्धि मुख्यतः वस्तु के मूल्य के अन्य घटकों की वजह से होती है एवं ऐसा होने पर पूर्ति वक्र दायीं और खिसक जाता है।

(B) पूर्ति में कमी (या पूर्ति वक्र ऊपर खिसकने ) के कारण:- (a) उत्पादन तकनीक का पुराना, अनुत्पादक एवं चलन से बाहर हो जाना (b) उत्पादन के साधनों की कीमत बढ़ जाना (c) बाजार में फर्मो की संख्या कम हो जाना।

जब पूर्ति में कमी आती है तो यह उस वस्तु के मूल्य के अन्य जो घटक होते हैं उनमें परिवर्तन की वजह से आती है। जब ऐसा होता है तो पूर्ति वक्र अपनी जगह से खिसक कर बायीं और चला जाता है।

प्रश्न :- एक फर्म की मांग वक्र पूर्ण प्रतियोगिता में पूर्णतया लोचदार तथा एकधिकारिक प्रतियोगिता में कम लोचदार क्यों होती है ?

 पूर्ण प्रतियोगिता में

पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में फर्म कीमत स्वीकारक होती है, निर्धारक नहीं होती। यदि एक फर्म बाजार कीमत से अधिक कीमत रखेगी तो ग्राहक को खोने का भय बना रहेगा। इसलिए र्म की मांग वक्र पूर्णतया लोचदार है

चित्र से स्पष्ट होता है कि कीमत OP पर फर्म कितनी भी  मात्रा बेंच सकता है। पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में वस्तु की कीमत स्थिर रहेगी चाहे वस्तु की मांग OA हो या OB  हो या शून्य  हो जाए

एकाधिकारी प्रतियोगिता

 एकाधिकारी की मांग वक्र नीचे की ओर झुकी अर्थात कम लोचदार होती है।वह कम  कीमत पर अधिक मात्रा बेच सकता है। पूर्ण प्रतियोगी प्रथम की भांति एकाधिकारी फर्म निश्चित कीमत पर जितनी चाहे मात्रा नहीं बेंच सकती

चित्र से स्पष्ट है कि जब एकाधिकारी OP कीमत निर्धारित करता है तो मांगी गई मात्रा OQ है। इसके विपरीत यदि वह कीमत कम करके OP1 कर देता है तो मांगी गई मात्रा बढ़कर OQ1  हो जाती है।

प्रश्न :- एकाधिकारी के औसत आय तथा सीमांत आय वक्र खींचें ?

उत्तर :- एकाधिकारी की स्थिती मे उत्पादक वस्तु की अधिक मात्रा बेचने के लिए प्रति इकाई कीमत में कमी कर देता है। जिससे फर्म की कुल आय तो बढ़ती है परंतु औसत आय और सीमांत आय में कमी होती चली जाती है। इसे तालिका से स्पष्ट कर सकते हैं

बेची गई इकाईयां(Q)

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

कीमत(P)

10

9

8

7

6

5

4

3

2

1

कुल आय(TR)

10

18

24

28

30

30

28

24

18

10

औसत आय(AR)

10

9

8

7

6

5

4

3

2

1

सीमांत आय (MR)

10

8

6

4

2

0

-2

-4

-6

-8

चित्र से,

एकाधिकार में AR रेखा मांग एवं मूल्य की रेखा होती है। AR तथा MR दोनों रेखाएं नीचे की ओर झुकती है। परंतु MR रेखा AR रेखा से दुगनी गति से झुकती है। इसे गणितीय रूप से सिद्ध कर सकते हैं।

According to Figure Slope of

MR = 2 ( Slope of AR )

Let, TR = ax – bx2---------------(1)

`AR=\frac{TR}x=\frac{ax}x-\frac{bx^2}x=a-bx`

`Slope\;of\;AR=\frac{d(AR)}{dx}=-b`-------(2)

Again,  TR = ax – bx2

MR = 1st Order derivatives of TR

`\frac{d(TR)}{dx}=MR=a-2bx`

Slope of MR =`\frac{d\left(MR\right)}{dx}`=-2b .......(3)

From equation (2) and (3) we get

Slope of MR = 2 ( slope of AR )

प्रश्न :- चाय के मूल्य में कमी चीनी की मांग को कैसे प्रभावित करती है ? चित्र का प्रयोग करें ?

> पूरक वस्तु की कीमत में कमी का वस्तु के मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है चित्र का प्रयोग करें ?

उत्तर :- पूरक वस्तु की कीमत में कमी से संबंधित वस्तु की मांग में वृद्धि हो जाती है। इसके कारण संबंधित वस्तु का मांग वक्र दायी ओर खिसक जाएगा। अगर चाय की कीमत घट जाऐ तो चीनी की मांग में वृद्धि होगी तथा चीनी का मांग वक्र दायी ओर खिसक जाएगा

प्रश्न :- कॉफी के मूल्य में वृद्धि किस प्रकार चाय की मांग को प्रभावित करती है। चित्र का प्रयोग करें ?

> प्रतिस्थापक वस्तु की कीमत में वृद्धि का वस्तु की मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर :- चाय और कॉफी दो पेयो में से कॉफी के दाम में वृद्धि हो जाती है, तब स्वभाविक रूप से कॉपी की मांग कम तथा चाय की मांग अधिक होगी। यहां चाय कॉफी का प्रतिस्थापक वस्तु है

चित्र में, कॉफी की प्रारंभिक कीमत ₹200 किलो पर चाय की मांग OQ थी, कॉफी के दाम बढ़ने के कारण चाय की मांग OQ1  हो गयी।

 किसी वस्तु के प्रतिस्थापक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से उस वस्तु का मांग वक्र दाहिनी ओर खिसक जाता है

प्रश्न :- निम्नलिखित तालिका को पूरा करें ?

उत्पादन

1

2

3

4

5

कीमत

7

6

4

2

1

कुल आय

7

12

12

8

5

सीमांत आय

7

5

0

- 4

- 3

प्रश्न :- एक वस्तु का मूल्य ₹10 प्रति इकाई है और उसकी पूर्ति मात्रा 4000 इकाई है। उसकी पूर्ति का मूल्य लोच 2 रु.है। वह मूल्य ज्ञात कीजिये जिस पर हम इसकी पूर्ति मात्रा 6000 इकाई होगी।

उत्तर :-

`E_s=\frac{\Delta Q}{\Delta P}\times\frac PQ`

यहां

ES = कीमत लोच = 2

Q = पूर्ति में परिवर्तन = Q1 - Q = 6000 - 4000 इकाई

P =  मूल्य में परिवर्तन = P1 - P = P1 - 10 रु.

P = आरंभिक मूल्य = 10 रु.

Q = आरंभिक पूर्ति = 4000 इकाई

`2=\frac{2000}{P_1-10}\times\frac{10}{4000}=\frac2{P_1-10}\times\frac{10}4`

`2=\frac5{P_1-10}`

2P1 – 20 = 5   ;  2P1 = 5 + 20   ;     2P1 = 25

`P_1=\frac{25}2=12.5`

अतः कीमत 12.5 रु. प्रति इकाई होगी।

प्रश्न :- किसी वस्तु की कीमत ₹5 प्रति इकाई तथा 600 इकाई की इसकी पूर्ति मात्रा होती है। यदि कीमत बढ़कर ₹6 प्रति इकाई हो जाए तो पूर्ति मात्रा 25% बढ़ जाती है। पूर्ति की कीमत लोच ज्ञात करें ?

उत्तर :-  

आरंभिक कीमत (P) = 5 रु. ;        

आरंभिक मात्रा (Q) = 60

 नई कीमत (P1) = 6      

नई मात्रा (Q1) = `600\times\frac{25}{100}=150`

मूल्य में परिवर्तन = P1 – P = 6 – 5 = 1 रु.

मात्रा में परिवर्तन = 600 + 150 = 750 = 750 – 600 = 150

`E_s=\frac{\Delta Q}{\Delta P}\times\frac PQ`

`E_s=\frac{150}1\times\frac5{600}=\frac{75}{60}=1.25`

अतः पूर्ति की कीमत लोच इकाई से अधिक है

प्रश्न - निम्नलिखित आँकड़ों से पूर्ति की लोच ज्ञात कीजिए :

कीमत (Price)

5

10

पूर्ति (Supply)

15

45

उत्तर–  `E_s=\frac{\Delta S}{\Delta P}\times\frac PS`

S = पूर्ति में परिवर्तन = S1 - S = 45 – 15 = 30 इकाई

P =  मूल्य में परिवर्तन = P1 - P = 10 – 5 = 5 रु.

P = आरंभिक मूल्य = 5 रु.

S = आरंभिक पूर्ति = 15 इकाई

`E_s=\frac{\Delta S}{\Delta P}\times\frac PS`

`E_s=\frac{30}5\times\frac5{15}=2`

अतः पूर्ति की कीमत लोच इकाई से अधिक है

प्रश्न :- व्यक्तिगत पूर्ति एवं बाजार पूर्ति में अंतर बताइए ?

उत्तर :- व्यक्तिगत पूर्ति एवं बाजार पूर्ति में निम्नलिखित अंतर है

1. परिभाषा :- व्यक्तिगत पूर्ति से अभिप्राय है कि किसी वस्तु की एक फर्म द्वारा बाजार में की गई पूर्तिइसके विपरीत बाजार पूर्ति से अभिप्राय है कि किसी वस्तु की बाजार में उन सभी फर्मों द्वारा की गई पूर्ति जो उस वस्तु का उत्पादन या बिक्री करती है

2. पूर्ति अनुसूची :-  व्यक्तिगत पूर्ति अनुसूची एक फर्म द्वारा विभिन्न कीमतों पर की जाने वाले पूर्ति को प्रकट करती है। उदाहरण -

व्यक्तिगत पूर्ति अनुसूची

आइसक्रीम की कीमत (रुपये)

5

10

15

20

पूर्ति की मात्रा (इकाइयां)

0

10

20

30

बाजार पूर्ति अनुसूची से अभिप्राय बाजार में किसी विशेष वस्तु का उत्पादन या पूर्ति करने वाली सभी फर्मो की पूर्ति के जोड़ से है

बाजार पूर्ति अनुसूची

आइसक्रीम की कीमत (रु.)

5

10

15

20

फर्म A द्धारा की गई पूर्ति (इकाइयां)

0

10

20

30

फर्म B द्धारा की गई पूर्ति (इकाइयां)

0

5

10

20

बाजार पूर्ति (इकाइयां)

0

15

30

50

3. पूर्ति वक्र :- व्यक्तिगत पूर्ति वक्र बाजार में एक फर्म की पूर्ति तालिका को आलेख के रूप में प्रकट करती है।

बाजार पूर्ति वक्र बाजार में किसी एक वस्तु का उत्पादन करने वाली सभी फर्मों के पूर्ति वक्रो का समस्तरीय जोड़ है।

प्रश्न :- कीमत पूर्ति लोच क्या है ? या कितने प्रकार की होती है ?

उत्तर :- कीमत पूर्ति लोच किसी वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के कारण पूर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का माप है।

पूर्ति की लोच पांच प्रकार की होती हैं -

1. पूर्णतया लोचदार पूर्ति :- जब मूल्य में कमी होने पर पूर्ति घटकर शून्य हो जाए तथा मूल्य में अल्प वृद्धि होने पर पूर्ति में अन्नत वृद्धि हो जाए तो यह पूर्णतया लोचदार पूर्ति होती है

 2. इकाई के समान लोचदार पूर्ति :- जिस अनुपात में मूल्य में परिवर्तन हो उसी अनुपात में पूर्ति में परिवर्तन हो तो इसे समान लोचदार  पूर्ति कते हैं

`E_s=\frac{\Delta Q}{\Delta P}\times\frac PQ`.....(1)

यदि P1  को प्रारंभिक कीमत और S1 को प्रारंभिक मात्रा मान लिया जाए तब

`E_s=\frac{bc}{ac}\times\frac{op_1}{os_1}` .....(2)

`E_s=\frac{bc}{ac}\times\frac{s_1b}{os_1}` ....(3) 

Δbca तथा Δos1b समान त्रिभुजे है। इसलिए इनकी भुजाओं का अनुपात बराबर होना चाहिए।

⸫ `\frac{bc}{ac}\times\frac{os_1}{s_1b}` ....(4)

समीकरण (4) और (3) से

`E_s=\frac{os_1}{s_1b}\times\frac{s_1b}{os_1}=1` 

3. लोचदार पूर्ति :- जिस अनुपात में मूल्य में परिवर्तन हो रहा हो उससे अधिक अनुपात में पूर्ति में परिवर्तन हो तो उससे लोचदार पूर्ति कहते हैं।

`E_s=\frac{bc}{ac}\times\frac{op_1}{os_1}` .....(1)

`E_s=\frac{bc}{ac}\times\frac{s_1b}{os_1}` ....(2) 

Δbca तथा Δps1b समान त्रिभुजे है अर्थात इनकी भुजाओं का अनुपात समान होना चाहिए।

⸫ `\frac{bc}{ac}\times\frac{ps_1}{s_1b}` ....(3)

समीकरण (3) और (2) से

`E_s=\frac{ps_1}{s_1b}\times\frac{s_1b}{os_1}` 

`E_s=\frac{ps_1}{os_1}`

चित्र से स्पष्ट है ,  ps1> os1

`E_s=\frac{ps_1}{os_1}>1`

या     Es > 1

4. बेलोचदार पूर्ति :- जिस अनुपात में मूल्य में परिवर्तन हो रहा हो उससे कम अनुपात में पूर्ति में परिवर्तन हो तो उसे बेलोचदार पूर्ति कहते हैं।

`E_s=\frac{bc}{ac}\times\frac{op_1}{os_1}` .....(1)

`E_s=\frac{bc}{ac}\times\frac{s_1b}{os_1}` ....(2) 

Δbca तथा  ΔLs1b समान त्रिभुज है 

⸫ `\frac{bc}{ac}\times\frac{Ls_1}{s_1b}` ....(3)

समीकरण (3) और (2) से

`E_s=\frac{Ls_1}{s_1b}\times\frac{s_1b}{os_1}` 

`E_s=\frac{Ls_1}{os_1}`

चित्र से स्पष्ट है ,  Ls1> os1

`E_s=\frac{Ls_1}{os_1}<1`

या     Es < 1

5. पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति :- जब मूल्य में कमी अथवा वृद्धि का पूर्ति पर कुछ भी प्रभाव न पड़े तो इसे पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति कहते हैं।

प्रश्न :- निम्न तालिका से कुल आगम , सीमांत आगम और औसत आगम की गणना कीजिए। वस्तु का बाजार मूल्य ₹10 है

मात्राएं

1

2

3

4

5

6

कुल आगम

10

20

30

40

50

60

सीमांत आगम

10

10

10

10

10

10

औसत आगम

10

10

10

10

10

10

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