माननीय उच्च न्यायालय में हुए OPS पर सुनवाई एवं उसका पुरानी पेंशन बहाली की प्रक्रिया पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार-विमर्श एवं आगे के रणनीति पर चर्चा।

माननीय उच्च न्यायालय में हुए OPS पर सुनवाई एवं उसका पुरानी पेंशन बहाली की प्रक्रिया पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार-विमर्श एवं आगे के रणनीति पर चर्चा।

राज्य के सरकारी कर्मचारियों के पेंशन भुगतान से जुड़े मामले की सुनवाई शुक्रवार को हाईकोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान राज्य के वित्त सचिव सशरीर अदालत के समक्ष हाजिर हुए। कोर्ट को वित्त सचिव ने जानकारी दी कि न्यू पेंशन स्कीम से ओल्ड पेंशन स्कीम में जाने वाले कर्मचारियों का जो पैसा पहले पेंशन निधि में जमा है, उसे वापस लेने के लिए इस समय कौन सी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जिसपर कोर्ट ने उन्हें यह निर्देश दिया कि ओल्ड पेंशन स्कीम में शामिल होने के लिए आवेदन देने की तिथि को बढ़ाया जाए।

कोर्ट के निर्देश पर वित्त सचिव ने मौखिक रूप से कहा कि वह इसका निर्देश जारी करेंगे। इसके साथ ही अदालत ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि कर्मचारियों के अंशदान लेने का मामला इस याचिका के आदेश से प्रभावित होगी। प्रार्थी खुशबु खातून और अन्य की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने अदालत में बहस की। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने दलील पेश की। अदालत ने इस मामले में पेंशन के अंशदान की राशि जमा कर रही संस्था को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

झारखंड में पुरानी पेंशन बहाली का मामाल हाईकोर्ट पहुंच गया है। आज इस NPS के अंशदान को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सुनवाई हुई। पुरानी पेंशन लागू किए जाने से संबंधित मामले सुनवाई में इस बात को उठाया गया कि सरकार की ओर से कर्मियों से लिए जाने वाले अंडरटेकिंग में ऐसी शर्त लगाना उचित नहीं है कि अगर सरकार न्यू पेंशन के अंशदान वापस नहीं ले पाएगी तो कर्मी उस पर दावा नहीं कर सकते है। प्रार्थी खुशबु खातून और अन्य की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने अदालत में बहस की. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने दलील पेश की। अदालत ने इस मामले में पेंशन के अंशदान की राशि जमा कर रही संस्था को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने इस मामले में सरकार की ओर से मांगी गयी हलफनामा देने को कहा है। कोर्ट ने सरकार को कर्मचारियों से मांगी गयी अंडरटेकिंग देने की मियाद को बढ़ाने को भी कहा है। कोर्ट के निर्देशानुसार सुनवाई के दौरान राज्य के वित्त सचिव कोर्ट में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि न्यू पेंशन स्कीम के तहत जमा किये अंशदान को वापस लाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। इसके लिए केंद्र के न्यू पेंशन स्कीम ट्रस्ट से बातचीत कर रही है। इसके बाद अदालत ने न्यू पेंशन से संबंधित तीन एजेंसियों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है।

 वित्त सचिव ने NPS के तहत जमा राशि लाने के प्रयासों की दी जानकारी

सुनवाई के दौरान राज्य के वित्त सचिव मौजूद रहे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वित्त सचिव ने बताया कि NPS से OPS स्कीम में जाने वाले कर्मचारियों का जो पैसा पहले पेंशन निधि में जमा है, उसे वापस लेने के लिए सरकार प्रयासरत है। सरकार को प्रयासों और प्रक्रियाओं की भी जानकारी दी गयी। जिसपर कोर्ट ने उन्हें यह निर्देश दिया कि ओल्ड पेंशन स्कीम में शामिल होने के लिए आवेदन देने की तिथि को बढ़ाया जाए। कोर्ट के निर्देश पर वित्त सचिव ने मौखिक रूप से कहा कि वह इसका निर्देश जारी करेंगे। इसके साथ ही अदालत ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि कर्मचारियों के अंशदान लेने का मामला इस याचिका के आदेश से प्रभावित होगी।

कुछ माह पूर्व सरकार ने इसे कैबिनेट से पारित कर लागू करने की कवायद शुरू कर दी है। हेमंत सोरेन ने कैबिनेट बैठक के बाद जब इसे लागू करने की घोषणा की थी तो कर्मचारियों ने जमकर जश्न मनाया था। सरकार ने इस मामले में सभी कर्मियों को 15 नवंबर तक शपथ पत्र देने को कहा है। इस मामले में उक्त निर्णय से पहले ही जमशेदपुर के कई शिक्षकों की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया था कि उनकी नियुक्ति भले ही वर्ष 2004 के बाद हुई है। लेकिन नियुक्ति का विज्ञापन और प्रक्रिया वर्ष 2004 से पहले शुरू की गई थी। ऐसे में उन्हें भी पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए, लेकिन अब सरकार से निर्णय की वजह से नई स्थितियां पैदा हो गई है।

याचिकाकर्ता की तरफ से नियुक्त वकील ने कोर्ट में बताया कि एनपीएस 2004 के बाद लागू की गई है। इसके लिए कर्मियों का अंशदान भी लिया गया है, जो NSDL नाम की एजेंसी के पास जमा है। ऐसे में उक्त अंशदान को कैसे वापस लाया जाएगा। मालूम हो कि पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए झामुमो ने विधानसभा चुनाव में जनता से वादा किया था। सरकार बनने के बाद से ही बड़े पैमाने पर कर्मचारी इसे लागू करने की मांग कर रहे थे।

अभी अभी 4.11.2022 को 10.30 बजे रात्रि को प्रांतीय टीम के साथ आपातकालीन बैठक की समाप्ति हुई। आज रांची उच्च न्यायालय के द्वारा वित्त सचिव को बिना किसी सूचना सम्प्रेषित किए हुए कोर्ट में उपस्थित होने का फरमान जारी किया गया। यह निश्चित रूप से नव OPS धारियों के लिए अच्छी बात नहीं है। इसलिए जब तक न्यायालय का कोई उल्टा सीधा निर्णय न आ जाए। उससे पूर्व 70 प्रतिशत लोगों का OPS में Conversation करा लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिससे कि कोर्ट भी कुछ विपरीत आदेश न दे सके।

इसके लिए पूरी तरह से QRT Team की जवाबदेही निर्धारित की गई। Surver की क्षमता एक समय में 3000 है जबकि आज एक साथ 5000 लोगों ने इसका उपयोग किया। अतः Surver लोड नहीं ले पाने के कारण दिन भर Slow रहा।

गोड्डा का Conversation rate काफी कम रहा। आज शाम के 08.00  बजे तक कुल 327 लोगों ने ही Apply किया और केवल 163 लोगों का ही DDO के द्वारा Forward किया गया।

अतः QRT Team को निर्देशित किया जाता है कि वे जैसे भी हो दिन-रात या रात में Conversation का काम कराके दिनांक 15/11/2022 तक कम से कम 2000 कर्मचारियों का GPF no. Allot करवाना सुनिश्चित करें। ज्ञात है कि QRT Team की सूची सरकार के साथ साथ प्रांतीय टीम को भी है। अतः QRT Team के सदस्य कुंभकर्णी नींद से जागें और 15 नवंबर तक दिया गया लक्ष्य को प्राप्त करें।

साथियों,

आज दिनांक 4 नवंबर 2022 को संध्या 8:30 बजे प्रांतीय कमेटी, जिला कार्यकारिणी एवं जिला QRT टीम की आपातकालीन बैठक संपन्न हुई।

बैठक में पूर्व निर्धारित विचारणीय बिंदुओं पर निम्नांकित निर्णय लिए गए:-

01. माननीय उच्च न्यायालय में पेंशन के मुद्दे पर आज हुए सुनवाई पर विचार विमर्श किया गया।

चर्चा के दौरान सदस्यों का स्पष्ट मंतव्य है कि NPS to OPS प्रक्रिया के पहले चरण को पूरा किए बिना इस विषय को न्यायालय में लेकर जाना कर्मचारियों को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला कदम साबित हो सकता है।

जैसा कि सरकार ने अपने अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि वह एनएसडीएल से पैसे वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी ऐसी स्थिति में सरकार के द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा के उपरांत ही यह विषय न्यायालय में जाना चाहिए था, NMOPS ने अपने अगले कदम को लेकर रणनीति बनाई हुई है।

फिर भी विषय वस्तु अभी स्पष्ट नहीं है कि न्यायालय कि में वर्ष 2004 से पहले के विज्ञापन वाले विषय पर सुनवाई चल रही है अथवा समस्त कर्मचारियों को लेकर स्थिति स्पष्ट होते ही एनएमओपीएस के द्वारा इस पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी ।

02. प्रक्रिया की धीमी गति को लेकर चिंता व्यक्त की गई। अभी तक राज्य की मात्र 12000 कर्मचारियों ने ही फॉर्म अप्लाई किया है।

गति को तीव्र करने हेतु प्रत्येक जिले में जिला कमेटी के द्वारा *कैंप लगाकर* की NPS to OPS प्रक्रिया में तेजी लाने का निदेश दिया गया। कर्मचारी यदि इस विषय को लेकर सक्रिय नहीं हुए तो *नवंबर माह का वेतन भी विलंबित सकता है।* हालांकि एनएमओपीएस का यह प्रयास रहेगा कि ऐसा ना हो।

03. बैठक में जुड़े सदस्यों के द्वारा प्रक्रिया के दौरान आने वाली समस्याओं के संदर्भ में कई बिंदुओं को स्पष्ट किया गया, इनमें से कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नांकित है -

क. भविष्य निधि निदेशालय के पत्रांक 1081 के आलोक में कर्मचारी के द्वारा डॉक्यूमेंट अपलोड करने से पूर्व निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी का हस्ताक्षर अनिवार्य नहीं है।

कर्मचारी सर्वप्रथम अपने हस्ताक्षर से डाक्यूमेंट्स को अपलोड करेंगे और अपलोड किए गए डॉक्यूमेंट का मूल प्रति अपने डीडीओ के पास जमा करेंगे डीडीयो हस्ताक्षर करने के उपरांत इसे जिला भविष्य निधि कार्यालय को भेज देंगे।

ख. नॉमिनी के गवाह के लिए सरकारी कर्मचारी का होना अनिवार्य नहीं है परंतु गवाह का पहचान स्पष्ट होना चाहिए यदि वह सरकारी कर्मचारी है तो वह अपना प्राण नंबर लिखे और यदि वह सरकारी कर्मचारी नहीं है तो वह अपने पहचान का कोई भी संख्या जैसे पैन नंबर अथवा आधार नंबर लिखेंगे।

ग. बेसिक पे एवं विभाग आदि का नाम अद्यतन करने की जिम्मेदारी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी तथा कोषागार पदाधिकारी की है, ऐसी स्थिति में यदि किसी भी पदाधिकारी अथवा उनके सहायकों के द्वारा इस कार्य के लिए किसी प्रकार के धन शोधन की बात संज्ञान में आती है तो संबंधित पदाधिकारी के विरूद्ध संबंधित विभाग, वित्त विभाग एवं माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय को कार्रवाई हेतु लिखा जाएगा।

प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के भ्रष्ट आचरण को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

घ. कुछ जिलों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि जिला शिक्षा अधीक्षक के द्वारा यह पत्र निकाला गया है की निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी, कर्मचारियों का फॉर्म उनके कार्यालय में जमा करेंगे।

यह सरकार द्वारा निर्धारित नियम के बिल्कुल विरुद्ध है। संबंधित जिला संयोजक ऐसे पदाधिकारियों से मिलकर उन्हें नियमों की जानकारी देंगे।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान केवल 3 ही स्टेप बनाए गए हैं पहला कर्मचारी, दूसरा निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी और तीसरा भविष्य निधि कार्यालय इसके अलाववे और कोई भी पदाधिकारी बेवजह विलंबित करने वाला कार्य ना करें यह NMOPS Team सुनिश्चित करेगी ।

 च. शपथ-पत्रों की राशि में असमानता को लेकर यह स्पष्ट किया गया कि यह राशि सामान्यता ₹100 से ₹150 के बीच होनी चाहिए।

इससे अधिक राशि की मांग करने वाले नोटरी से कोई भी कर्मचारी शपथ पत्र ना बनवाएं और संबंधित जिला बार एसोसिएशन से मिलकर गिरिडीह की भांति एक शुल्क निर्धारित करवा लें।

अंत में पेंशन योद्धाओं को दिनांक 15 नवंबर तक शत प्रतिशत कर्मचारियों के द्वारा फॉर्म अप्लाई करवाने का लक्ष्य दिया गया।

        🤝🤝

।। विक्रांत कुमार सिंह ।।

       प्रांतीय अध्यक्ष 

 एनएमओपीएस झारखंड

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