12th History Model Set-3 2022-23

12th History Model Set-3 2022-23

12th History Model Set-3 2022-23

(समय: 3 घंटे 15 मिनट) पुर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए निर्देश :

1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है - खण्ड-अ एवं खण्ड-ब

2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह पर करें।

3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क, ख एवं ग है और कुल प्रश्नों की संख्या 19 है। प्रश्न- संख्या 1-7 अतिलघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 2 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न- संख्या 8-14 लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 3 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न- संख्या 15-19 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 5 अंक निर्धारित हैं।

4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्न पुस्तिका आप अपने साथ ले जा सकते हैं।

खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

प्रश्न- संख्या 1 से 40 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। 40 x 1 = 40

1. सिंधु वासियों के प्रमुख देवता कौन थे?

(1) इन्द्र

(2) विष्णु

(3) पशुपति महादेव

(4) गणेश

2. मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है?

(1) हिन्दी

(2) सिंधी

(3) उर्दू

(4) फारसी

3. हड़प्पा संस्कृति आधारित थी ?

(1) व्यापार पर

(2) कृषि

(3) पशुपालन पर

(4) शिकार

4. ऋग्वेद की रचना कब हुई ?

(1) 800 से 600 ई-पू०

(2) 600 से 200 ई.पू.

(3) 1000 से 800 ई०पू०

(4) 1500 से 1000 ई०पू०

5. वेदांग की संख्या क्या है?

(1) 5

(2) 4

(3) 6

(4) 7

6. गंगा पुत्र किसे कहा जाता है ?

(1) अर्जुन

(2) विदुर

(3) भीष्म

(4) पांडू

7. मनुस्मृति में कितने प्रकार के विवाह का उल्लेख है ?

(1) 4

(2) 6

(3) 8

(4) 9

8. आर्यों की सबसे प्रमुख पशु कौन था ?

(1) गाय

(2) बैल

(3) सांढ़

(4) घोड़ा

9. धर्म चक्र परिवर्तन क्या है?

(1) मोक्ष की प्राप्ति

(2) प्रथम उपदेश

(3) आचार संहिता

(4) संघ का संगठन

10. गौतम बुद्ध ने बौद्ध संघ की स्थापना कहाँ की थी?

(1) बनारस में

(2) सारनाथ में

(3) राजगृह

(4) चंपा में

11. इब्नबतूता की भारत यात्रा को जिस शताब्दी से संबंधित माना जाता है,वह थी

(1) ग्यारहवीं

2) बारहवीं

(3) चौदहवीं

(4) तेरहवीं

12. हुमायूँ के दरबार में कौन अफ्रीकी यात्री भारत आया ?

(1) अब्दुर्रज्जाक

(2) अलबरूनी

(3) बर्नियर

(4) इनमें से कोई नहीं

13. उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का आरंभ किस संत ने किया ?

(1) कबीर

(2) नानक

(3) रामानंद

(4) चैतन्य महाप्रभु

14. 'सुल्तान उल हिन्द' किसे कहा गया ?

(1) ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती

(2) शेख सलीम चिश्ती

(3) निजामुद्दीन औलिया

(4) फरीदउद्दीन गंज-ए-शकर

15. बंगाल के प्रसिद्ध संत कौन थे ?

(1) चैतन्य महाप्रभु

(2) गुरुनानक

(3) कबीर

(4) बाबा फरीद

16. विजयनगर के शासक किस देवता के नाम पर शासन करते थे ?

(1) विट्ठल देवता

(2) विरूपाक्ष देवता

(3) विरूपाक्ष देवता

(4) सूर्य देवता

17. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की गई थी

(1) चौदहवीं शताब्दी में

(2) तेरहवीं शताब्दी में

(3) पन्द्रहवीं शताब्दी में

(4) सोलहवीं शताब्दी में

18. अबुल फजल की जीवनी आइन-ए-अकबरी के किस भाग में वर्णित है।

(1) द्वितीय भाग

(2) चतुर्थ भाग

(3) तृतीय भाग

(4) पंचम भाग

19. किस ग्रंथ में कृषि, खेतों की जुताई, करों की वसूली, राज्य वज़मींदारों के संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है ?

(1) आइन ए अकबरी

(2) तबकात ए अकबरी

(3) हुमायूँनामा

(4) बाबरनामा

20. मुगल नाम व्युत्पन्न हुआ है।

(1) मध्य एशिया से

(2) मंगोल से

(3) मोगली नामक पुस्तक से

(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं

21. जिस पुस्तक के अनुवाद के लिए 'रज्मनामा' शब्द का प्रयोग कियागया है, वह है:

(1) महाभारत

(2) रामायण

(3) अकबरनामा

(4) बाबरनामा

22. किसके शासनकाल को मुगलकाल का स्वर्णयुग कहा जाता है ?

(1) बाबर

(2) अकबर

(3) जहाँगीर

(4) शाहजहाँ

23. रैयतवाड़ी व्यवस्था कितने प्रतिशत भूमि पर लागू था

(1) 31

(2) 41

(3) 51

(4) 61

24. राजमहल के पहाड़ियों के विषय में जानकारी किस अंग्रेज ने दिया ?

(1) एलफिस्टन

(2) रीड

(3) जेम्स मिल

(4) बुकानन

25. 1857 ई० के विद्रोह में शहीद होने वाला पहला व्यक्ति था

(1) तात्या टोपे

(2) मंगल पांडे

(3) नाना साहब

(4) बहादुरशाह

26. 1857 ई. के विद्रोह का कानपुर में नेतृत्व किसने किया था

(1) तात्या टोपे

(2) नाना साहब

(3) बहादुरशाह

(4) मंगल पांडे

27. 1857 के विद्रोह की शुरूआत कहाँ के सैनिकों ने की ?

(1) पंजाब

(2) पटना

(3) लखनऊ

(4) मेरठ

28. औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी किसे बनायी गई ?

(1) कलकत्ता

(2) बम्बई

(3) दिल्ली

(4) मद्रास

29. अंग्रेजों ने किस स्थान को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था ?

(1) दार्जिलिंग

(2) ऊटी

(3) देहरादून

(4) शिमला

30. ब्रिटिश काल में पहला हिल स्टेशन बना था

(1) सिमला (वर्तमान शिमला)

(2) दार्जिलिंग

(3) नैनीताल

(4) मनाली

31. चौरीचौरा की घटना संबंधित थी

(1) खिलाफत आंदोलन से

(2) असहयोग आंदोलन से

(3) सविनय अवज्ञा आंदोलन से

(4) भारत छोड़ो आन्दोलन से

32. सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हुआ

(1) 1929 में

(2) 1930 में

(3) 1935 में

(4) 1942 में

33. गाँधीजी किसे अपना राजनीतिक गुरु मानते थे?

(1) लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को

(2) दादाभाई नौरोजी को

(3) गोपालकृष्ण गोखले को

(4) लाला लाजपत राय को

34. मुस्लिम लीग का प्रथम अधिवेशन कहाँ हुआ ?

(1) ढाका में

(2) कराची में

(3) लाहौर में

(4) दिल्ली में

35. ब्रिटिश कैबिनेट ने अपना तीन सदस्यीय मिशन दिल्ली भेजा था

(1) मार्च से जून, 1946

(2) मई से नवम्बर, 1946

(3) मार्च से जून, 1942

(4) जनवरी से मार्च, 1941

36. सम्पत्ति का अधिकार अब एक

(1) कानूनी अधिकार है

(2) मौलिक अधिकार है।

(3) धार्मिक अधिकार है

(4) सामाजिक अधिकार है

37. संविधान निर्माताओं ने मौलिक अधिकार अधिकांशतः लिये हैं

(1) रूस के संविधान से

(2) अमरीका के संविधान से

(3) चीन के संविधान से

(4) कहीं से नहीं

38. संविधान के अनुसार भारत एक है ?

(1) अर्द्ध संघ

(2) परिसंघ

(3) राज्यों का संघ

(4) इनमें से कोई नहीं

39. प्लासी में अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाव में युद्ध हुआ था

(1) 1764 में

(2) 1805 में

(3) 1757 में

(4) 1856 में

40. राजस्थान और महाराष्ट्र दोनों प्रान्त भारत के जिस भाग में आते हैं, वे हैं

(1) पश्चिमी

(2) दक्षिणी

(3) पूर्वी

(4) उत्तरी

खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 2 x 5 = 10

1. अलेक्जेंडर कनिंघम कौन था ?

उत्तर- अलेक्जेंडर कनिंघम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक थे।

2. महाभारत की मूल कथा के रचयिता कौन माने जाते हैं?

उत्तर - महाभारत की मूल कथा के रचयिता भाट सारथी, जिन्हें 'सूत' कहा जाता था, माने जाते हैं।

3. पितृवंशिकता एवं मातृवंशिकता में क्या अन्तर है ?

उत्तर - पितृवंशिकता का अर्थ है वह वंश परम्परा जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, प्रपौत्र आदि से चलती है। मातृवंशिकता शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब वंश परम्परा माँ से जुड़ी होती है।

4. अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में कब व किसने मिलाया ?

उत्तर - अवध को 1856 ई० में लार्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया।

5. कुल और जाति में क्या अन्तर है ?

उत्तर- -संस्कृत ग्रन्थों में कुल शब्द का प्रयोग परिवार के लिए तथा जाति शब्द का प्रयोग बान्धवों (सगे-सम्बन्धियों) के एक बड़े समूह के लिए होता है।

6. संथाली विद्रोह का नेता कौन था?

उत्तर - संथाली विद्रोह का नेता सिद्ध मांझी था।

7. अवध के अधिग्रहण के पश्चात् 1856 ई० में कौन-सी ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था लागू की गई थी।

उत्तर - एकमुश्त बंदोबस्त भू-राजस्व व्यवस्था ।

खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3 × 5 = 15

8. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर -मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी हेतु हमारे पास साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों प्रकार के स्रोत हैं। साहित्यिक स्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज की इण्डिका विशाखदत्त की मुद्राराक्षस महत्त्वपूर्ण है तो पुरातात्विक स्रोतों में अशोक के शिलालेख, स्तंभलेख, कुम्हरार के अवशेष महत्त्वपूर्ण एवं विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।

9. चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य की उपलब्धियों का वर्णन करें।

उत्तर - समुद्रगुप्त के बाद उसका पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय सिंहासन पर बैठा। उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण किया। वह एक बहुत बड़ा विजेता था। उसने गुप्त साम्राज्य को सुदृढ़ बनाया और उसमें मालवा, गुजात और काठियावाड़ शामिल किए। उसने अपनी बेटी प्रभावती गुप्त का विवाह मध्य दक्कन के वाकाटक वंश के शासन रूद्रसेन द्वितीय के साथ किया। इस वैवाहिक संबंध से चन्द्रगुप्त को अपनी समस्त सेना को शकों के विरुद्ध इकट्ठी करने का अवसर मिल गया। प्रभावती वाकाटक राज्य की प्रभावशाली महारानी थी। चन्द्रगुप्त कई प्रकार के नये सिक्के जारी किए। उसके शासन काल में कला, साहित्य और विज्ञान का अभूतपूर्व विकास हुआ। कला साहित्य की प्रगति को देखते हुए इतिहासकारों ने उसके काल को स्वर्णकाल कहा है।

10. मनसबदारी की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर- 'मनसब' का मतलब है स्थान या पद । अकबर एक सुदृढ़ सशक्त और कुशल सेना की आवश्यकता से भली-भाँति परिचित था। वह अपने कर्मचारी वर्ग में, कार्यकुशलता और अनुशासन को सुनिश्चित करना चाहता था। उसने अपने साम्राज्य में सैनिक तथा असैनिक ढाँचे को एक नये ढंग से संगठित किया, जिसको मनसबदारी प्रणाली कहा जाता है। मुगल शासन व्यवस्था में मनसब, सरकारी अधिकारी का वह पद था, जो अधिकारी वर्ग में उसका दर्जा, उसका वेतन और दरबार में उसका स्थान निश्चित करता था । यह उस अधिकारी द्वारा रखे हुए सैनिकों, हाथियों, घुड़सवारों, छकड़ों आदि की संख्या के बारे में भी जानकारी देता था। यह याद रखना चाहिए कि मनसब किसी विशेष पद का प्रतीक नहीं था। कई बार वैद्यों, चित्रकारों तथा विद्वानों आदि को भी मनसब प्रदान किये जाते थे, जो सिर्फ उनकी आय के साधन मात्र थे । मनसब धारण करने वाला व्यक्ति, चाहे किसी विभाग में काम करता हो, सरकार का एक अधिकारी था। सैनिक और असैनिक नौकरियों में कोई निश्चित भेद नहीं था।

11. स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।

उत्तर - महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका में नस्लवादी नीति के मामलों को बहुत कुछ सुलझाकर जनवरी 1915 में भारत आये और गोपाल कृष्णगोखले ने उनकी ताकत पहचानी और उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित किया। शुरू में गाँधीजी ने अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास किया, परन्तु धीरे-धीरे कम्पनी की धूर्तता स्पष्ट होती गयी और गाँधीजी ने अंत में महसूस किया कि अंग्रेजों का अहिंसात्मक विरोध जबरदस्त हो और एक दिन देश की आजादी दिलाने में उनका सर्वस्व समर्पण कामयाब हुआ।

गाँधीजी ने 1919 के रौलेट एक्ट का विरोध किया जिसके तहत मात्र शंका के आधार पर किसी भी भारतीय को किसी समय बन्दी बनाकर अनिश्चित जगह बिना बताये भेदा जा सकता था। गाँधीजी ने चंपारण में नील उपजाने में किसानों का साथ दिया और सरकार को पीछे हटने को विवश किया। 1920 में खिलाफत आंदोलन में मुसलमानों और हिन्दुओं को एकजुट होकर लड़ने की प्रेरणा दी। बापू ने असहयोग आंदोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930), भारत छोड़ो आंदोलन (1942) आदि के द्वारा अंग्रेजों के भारत में शासन करने के मनसूबे को चकनाचूर कर दिया और देश को तभी आजादी मिली।

12. कांग्रेस में उग्रवादियों की भूमिका का परीक्षण करें।

उत्तर - 19वीं शताब्दी के अंतिम चरण और 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उग्रवादी आंदोलन का विकास हुआ। इस आंदोलन का केन्द्र बंगाल था, यद्यपि भारत के अन्य भागों में यह आंदोलन प्रभावशाली था। इस आंदोलन में अधिकांश शिक्षित मध्यम वर्ग के युवा शामिल थे।

महाराष्ट्र : उग्रवादी आंदोलन का आरंभ महाराष्ट्र से हुआ। 1896-97 में पुना में चापेकर बंध ने व्यायाम मंडल की स्थापना की। इसके सदस्यों ने रैंड और एमहर्स्ट नामक दो अंग्रेजों की हत्या की। इसके लिए चापेकर बंधुओं को फाँसी दे दी गयी। इस मुकदमे में तिलक भी गिरफ्तार किये गये। वी०डी० सावरकर ने अभिनव भारत नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, इस संस्था ने बंगाल के आतंकवादियों से सम्पर्क बनाया। विदेशों से अस्त्र-शस्त्र मंगाया और रूसी सहायता से बम बनाना सीखा। 1910 तक महाराष्ट्र उग्रवादी गतिविधियों का केन्द्र था।

13. अकबर को राष्ट्रीय शासक क्यों कहा जाता है ?

उत्तर- अकबर इतिहास में महान की उपाधि से विभूषित हैं और इसकी महानता का मुख्य कारण है इसका विराट् व्यक्तित्व। साम्राज्य की सुदृढ़ता, साम्राज्य में शांति स्थापना तथा मानवीया भावनाओं से उत्प्रेरित अकबर ने न सिर्फ गैर मुसलमानों को राहत दिया, राजपूतों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया बल्कि एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था भी प्रदान किया। धार्मिक सामंजय के प्रतीक के रूप में उसका दीन-ए-इलाही प्रशंसकीय है।

14. 1857 ई० में क्रांति के प्रभाव पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- - 1857 का विद्रोह असफल रहा तथापि इसके दूरगामी परिणाम निकले। - ग्रिफिन के अनुसार “भारत में 1857 ई. के विद्रोह से बढ़कर कोई भाग्यशाली घटना नहीं घटी। उसमें भारतीय आकाश के बादलों को हटा दिया। उसने एक सुस्त एवं पेटू सेना को भंग कर दिया। उसने एक अनुन्नत स्वार्थी एवं व्यापारिक शासन-व्यवस्था के स्थान पर एक उदार एवं व्युत्पन्न शासन-व्यवस्था की स्थापना की। सरकार और दत्त के शब्दों में भी, ” गदर ने भारतवर्ष में East India company के शासन के मरण " की घंटी बजा दी।

खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5 × 3 = 15

15. सिन्धु घाटी सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर- सिन्धुघाटी की सभ्यता अपनी नगर योजना तथा भवन निर्माण कला के लिए प्रसिद्ध थी। सभी बड़े नगर एक सुनिश्चित योजना के आधार पर बने थे। नगरों का अपना-अपना दुर्ग था जिसमें शासक वर्ग के लोग रहा करते थे। नगर नदी के किनारे बसा हुआ था तथा इसमें बड़े पैमाने पर पकाई गई ईंटों का प्रयोग किया गया था। खुदाई में प्राप्त भग्नावशेषों से नगर निर्माण योजना की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं।

दो-स्तरीय नगर : सिन्धु सभ्यता में 'स्तरीय नगरों के निर्माण का प्रमाण मिलता है- दुर्ग और निचला शहर। दुर्ग में शासक और नीचले शहर में साधारण लोग रहते थे।

सड़कों का प्रबंध : आवागमन की सुविधा के लिए सड़कों की समुचित व्यवस्था की गई थी। संपूर्ण नगर में सड़कों एवं नालियों का जाल-सा बिछा हुआ था। सड़क एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।

नालियों का प्रबंध : नगर निर्माण की एक अन्य विशेषता गन्दे जल के निकास की सुन्दर व्यवस्था थी गन्दे जल की निकासी के लिए सारे नगर में नालियों का जाल-सा बिछा हुआ था।

भवन तथा सार्वजनिक स्थान : सिन्धु सभ्यता के नगरों में छोटे-बड़े सभी प्रकार के घर मिलते हैं। भवन निर्माण में पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया था।

सार्वजनिक स्नानागार : मोहनजोदड़ो का सबसे महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्थान विशाल स्नानागार था। इसकी लम्बाई 12 मीटर, चौड़ाई 7 मीटर, गहराई 2.5 मीटर थी। इसमें उतरने के लिए सिढ़ियाँ बनी हुई थीं। इस स्नानागार का प्रयोग संभवतः विशेष अवसरों पर सार्वजनिक स्नान के लिए किया जाता था।

अन्नागार : सिन्धुघाटी सभ्यता में अन्नागार का विशिष्ट महत्त्व है। इस अन्नागार में उत्पादन या कर के रूप में वसूला जाने वाला अनाज सुरक्षित रखा जाता था। इस प्रकार अन्न भण्डार सिन्धुघाटी सभ्यता की एक अपनी विशेषता थी।

'उपर्युक्त विवरण से पता चलता है कि सिन्धुघाटी की सभ्यता बड़े नगरों की सभ्यता थी । सुन्दर सड़कों, नलियों एवं गलियों की साफ-सफाई से इस बात का संकेत मिलता है कि यहाँ कोई नियमित शासन व्यवस्था थी।

16. स्थायी बन्दोवस्त से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ एवं का वर्णन करें।

उत्तर- कार्नवालिस ने 1790 ई० में यह योजना पेश की कि जमींदारों को भू-स्वामी स्वीकार कर निश्चित लगान के बदले निश्चित अवधि के लिए उन्हें जमीन दे दी जाए। संचालकों की अनुमति से 1790 ई० में बंगाल के जमींदारों के साथ 'दससाला' प्रबंध स्थापित किया गया। बाद में 1793 ई. में बंगाल और बिहार में इस व्यवस्था को चिर स्थायी व्यवस्था या स्थायी व्यवस्था के नाम से घोषित किया गया।

इस व्यवस्था के अनुसार जमींदार भू-स्वामी बन गए। उनका अधिकार पैतृक हो गया। किसानों की स्थिति रैयतमात्र की रह गई। उसकी भूमि संबंधी तथा अन्य परंपरागत अधिकारों को छीन लिया गया। जमींदारों के विस्तृित अवधि के भीतर वसूल किए गए लगान का 10/11 हिस्सा कंपनी को देना था और 1/11 भाग अपने खर्च के लिए रखना था। लगान की राशि निश्चित कर दी गई। निश्चित समय पर लगान नहीं चुकाने पर जमींदार की जमींदारी नीलाम कर देने की भी व्यवस्था की गई।

कार्नवालिस की यह व्यवस्था गुण दोषों से भरपूर थी। स्थायी प्रबंध से कंपनी और किसान दोनों को ही लाभ हुए। किसानों को निश्चित राशि लगान के रूप में देनी थी। अतः अतिरिक्त उत्पादन कर वे अपनी स्थिति सुधारने का प्रयास करने लगे। इसके चलते बंगाल में कृषि, उद्योग-धंधों एवं व्यापार को प्रोत्साहन मिला। कंपनी की भी आय निश्चित हो गई उसे योजनाएँ बनाने में सहूलियतें हुईं। लगानवसूली के झंझट एवं खर्च से भी उसे मुक्ति मिल गई। सबसे बड़ी बात तो यह हुई कि इस व्यवस्था के चलते अंग्रेज भक्त जमींदारों का एक ऐसा वर्ग तैयार हुआ जिसने भारतीय हितों के विपरीत तन, मन और धन से अंग्रेजों की सेवा की। इस व्यवस्था में अनेक दोष भी थे। इसके तात्कालिक परिणाम जमींदारों के लिए हानिप्रद एवं विनाशकारी सिद्ध हुए। रैयतों के अधिकारों और हितों की उपेक्षा की गई। किसानों पर जमीदारों के अत्याचार बढ़ गए।

17. विजयनगर साम्राज्य की उपलब्धियों की जानकारी दें।

उत्तर- मध्यकालीन दक्षिण भारत के इतिहास में विजयनगर साम्राज्य के सांस्कृतिक योगदान का विशेष महत्त्व है। दो शताब्दियों से कुछ अधिक समय तक विजयनगर का राज्य दक्षिण की राजनीति में अपना प्रभाव बनाए रखा। इस राज्य के शासकों ने सांस्कृतिक जीवन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया । हिन्दू शासकों की सत्ता के अधीन होने के कारण यह राज्य हिन्दू धर्म और संस्कृति का केन्द्र रहा। विजयनगर के शासकों ने विशेषकर हिन्दू धर्म और संस्कृति को प्रोत्साहन दिया। इस कारण कुछ इतिहासकार विजयनगर के शासकों को हिन्दू पुनरोत्थान का श्रेय भी देते हैं। विजयनगर के शासकों ने साहित्य, स्थापत्यकला, चित्रकला और संगीत आदि को प्रोत्साहन दिया और विजयनगर साम्राज्य को सांस्कृतिक गतिविधियों का उत्कृष्ट केन्द्र बना दिया इसकी पुष्टि तत्कालीन साहित्यिक रचनाओं, अभिलेखों और विदेशी यात्रियों के वृतांत से होती है।

विजयनगर का महानतम शासक कृष्णदेव राय एक उत्कृष्ट कवि और लेखक था, जिसे संस्कृत और तेलगू भाषाओं में प्रवीणता प्राप्त । उसकी तेलगू रचना 'आमुक्ता मालयदम' थी जो तेलगू भाषा के पाँच महाकाव्यों में एक है। कृष्णदेव राय के दरबार में अनेक कवियों का प्रश्रय मिला। इनके दरबार में तेनाली राम एक प्रसिद्ध व्यक्ति था। जिसकी तुलना अकबर के प्रसिद्ध दरबारी राजा बीरबल से की जाती है।

इसके अलावे विजयनगर के शासकों ने स्थापत्यकला के विकास में भी प्रशंसनीय योगदान दिया। दक्षिण भारत में मंदिर निर्माण शैली का चरमोत्कर्ष विजयनगर शासकों के काल में ही प्राप्त हुआ। संगीत को भी विजयनगर के शासकों ने प्रोत्साहन दिया।

18. 1857 के विद्रोह के परिणामों की विवेचना करें। क्या यह भारत में राष्ट्रवाद के उदय के लिए उत्तरदायी था ?

उत्तर- 1857 विद्रोह ने ईस्ट इंडिया कंपनी के लगभग सौ वर्ष के शासन का अंत कर दिया। साथ ही इसने भारत से मुगल सत्ता को भी समाप्त कर दिया। भारत का शासन ब्रिटिश मुकुट के अधीन किया गया। 1858 के भारत सरकार अधिनियम से महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया। भारत का शासन भारतीय राज्य सचिव के हाथ में दिया गया जो संसद का सदस्य होता था। सचिव का इंगलैंड में अपना ऑफिस भारत परिषद (इंडिया कौंसिल) में स्थापित किया गया। यह 15 सदस्यों की सलाहकार समिति थी।

भारत का शासन मुकुट के प्रतिनिधि वायसराय तथा उसकी कार्यकारिणी परिषद को दिया गया। वायसराय को भारत का प्रशासनिक प्रधान बनाया गया तथा अन्य प्रांतीय गवर्नर उसके अधीन हुए।

महारानी विक्टोरिया ने 1858 में एक घोषणा-पत्र द्वारा विस्तारवादी तथा साम्राज्यवादी नीति को समाप्त करने, भारतीयों की प्रशासन में भागीदारी तथा देशी राजाओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों का सम्मान करने की घोषणा की। भारतीयों को सरकारी नौकरियाँ उपलब्ध हों, इसके लिए भारतीय नागरिक सेवा अधिनियम पास किया गया।

भारतीय सेना में परिवर्तन हुआ। सेना अब मुकुट के अधीन हो गईं। सेना में भारतीय सैनिकों के स्थान पर यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई। आंतरिक सुरक्षा अब यूरोपीय सैनिकों को दिया गया। भारतीय सैनिकों को ज्यादातर देश के बाहर, युद्ध में भेजने की व्यवस्था की गई। रेजिमेंट का गठन इस प्रकार किया गया जिससे भारतीय संगठित न हो सकें।

1857 के विद्रोह के कारण अँगरेजों ने सुधार-कार्य के स्थान पर प्रतिक्रियावादी नीति अपनाई तथा रंग-भेद, वर्गभेद और हिंदू-मुस्लिम विभेद को बढ़ावा दिया। उन्होंने उच्च वर्ग, पूँजीपतियों जैसे वर्गों का समर्थन प्राप्त किया। इससे किसानों एवं श्रमिकों का शोषण जारी रहा।

ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रियावादी तथा हिंदू-मुस्लिम विभेद से असंतोष उत्पन्न हुआ। 1857 के विद्रोह से भारतीयों को यह सीख मिली कि अँगरेजों का विरोध करने के लिए उनमें एकता का होना आवश्यक है। परिणामस्वरूप, आगे चलकर भारतीयों ने क्षेत्रवाद या धार्मिक मतभेद को त्यागकर राष्ट्रवादी सिद्धांत को अपनाया। 1857 के विद्रोह ने यह स्पष्ट कर दिया था कि साहस एवं शक्ति के साथ एकता का होना जरूरी है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि 1857 का विद्रोह भारत में राष्ट्रवाद के उदय के लिए एक महत्त्वपूर्ण कारण था ।

19. गाँधीजी के जीवन एवं कार्यों का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर- गाँधीजी के जीवन : भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में जितना योगदान गाँधीजी का था, निश्चित रूप से किसी अन्य भारतीय का नहीं था। यदि गाँधीजी को स्वाधीनता संघर्ष की धुरी कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। सन् 1919 से 1947 तक वे भारत की राजनीति पर इस प्रकार छाये रहे कि बहुत से इतिहासकारों ने इस काल को 'गाँधी युग' का नाम दिया है। देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेते हुए उन्होंने अन्य नेताओं का मार्गदर्शन भी किया। उन्होंने अहिंसा की नीति अपनाकर शांतिपूर्ण ढंग से शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार को झुका दिया। गाँधीजी नेअसहयोग आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन, सविनय आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन आदि बड़े शांतिपूर्ण ढंग से चलाये।

गाँधीजी के कार्य-

(i) असहयोग आंदोलन (Non-Co-operation Movement) : जब कभी भी अंग्रेजी सरकार ने भारत के लोगों के हितों की अनदेखी की, गाँधीजी ने सदैव लोगों को कहा कि वे अंग्रेजों को सहयोग न दें। उनका विचार था कि यदि भारतीय अंग्रेजों का साथ नहीं देंगे तो अंग्रेजी सरकार यहाँ कैसे टिक सकेगी। उनके कहने पर अनेक भारतीयों ने चाहे वे क्लर्क थे, वकील थे या कारीगर सबने अपना काम करना छोड़ दिया।

(ii) सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) : 1928 में साइमन कमीशन भारत आया। भारतीयों के विरोध के बावजूद कमीशन ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। इस पर गाँधीजी ने निराश होकर सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ कर दिया। गाँधीजी ने नमक कानून को तोड़ा, इस पर गाँधीजी को अपने सहयोगियों के साथ जेल जाना पड़ा। सन् 1934 में यह आंदोलन समाप्त हो गया।

(iii) भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) : सन् 1942 गाँधीजी ने 'भारत छोड़ो' आंदोलन चलाया। अंग्रेजों ने इसे दबाना चाहा परन्तु वह भारतीय जनता की आवाज को न दबा सके।

(iv) स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) : अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए महात्मा गाँधीजी ने एक अन्य हथियार निकला। यह हथियार था स्वदेशी आंदोलन। वे अच्छी तरह जानते थे कि अंग्रेज एक व्यापारिक जाति है और वे भारत में व्यापारी बनकर ही आए थे। यदि उन्हें भारत में व्यापारिक लाभ नहीं रहेगा तो वह स्वयं ही भारत छोड़ जाएँगे। इसलिए महात्मा गाँधी ने अपने देशवासियों को बाहरी माल का बहिष्कार करने की सलाह दी।

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