12th आरोह 6. शमशेर बहादुर सिंह (उषा) कविता के साथ प्रश्न 1. कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषा'
कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है? उत्तर : प्रस्तुत कविता में प्रात:कालीन धुंधले-नीले आकाश को राख से
लीपा हुआ चौका बताया गया है। फिर उसे लाल केसर से धुली हुई बहुत काली सिल और स्लेट
पर लाल खड़िया चाक के समान बताया गया है। लीपा हुआ चौका अर्थात् रसोईघर, काली सिल अर्थात्
मिर्च-मसाला पीसने का सिलबट्टा तथा स्लेट आदि उपमान गाँव के परिवेश से लिये गये हैं।
नगरों में इस तरह की चीजें नहीं दिखाई देती हैं। 'किसी की गौर झिलमिल
देह' का उपमान भी ग्रामीण परिवेश से सम्बन्धित है। इस तरह इस कविता में गाँव की सुबह
का गतिशील शब्द-चित्र उपस्थित किया गया है। प्रश्न 2. भोर का नभ राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है) नयी कविता में कोष्ठक, विराम-चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान
भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से क्या विशेष अर्थ पैदा
हुआ है? समझाइए। उत्तर : यह कविता प्रयोगवादी शैली की रचना है। इसमें भाषा-शिल्प के
स्तर पर हर नये प्रयोग से अर्थ की अभिव्यक्ति की जाती है। लेखन में कोष…