12th आरोह 16. रजिया सज्जाद ज़हीर (नमक)

12th आरोह 16. रजिया सज्जाद ज़हीर (नमक)

12th आरोह 16. रजिया सज्जाद ज़हीर (नमक)

 पाठ के साथ

प्रश्न 1. सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?

उत्तर : सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि पाकिस्तान से भारत में नमक ले जाना गैर-कानूनी है तथा कस्टम के अधिकारी नमक की पुड़िया मिलने पर उसके सामान की चिंदी-चिंदी कर डालेंगे और पकड़े जाने पर उनकी बदनामी भी होगी।

प्रश्न 2. नमक की पुड़िया ले जाने के सम्बन्ध में सफिया के मन में क्या द्वन्द्व था?

उत्तर : नमक की पुड़िया ले जाने के सम्बन्ध में सफिया के मन में यह द्वन्द्व था कि वह उसे चोरी-छिपे ले जाये अथवा कस्टम अधिकारियों को दिखाकर ले जाये। सौगात एवं मुहब्बत का तोहफा चोरी से ले जाना ठीक नहीं है।

प्रश्न 3. जब सफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?

उत्तर : कस्टम आफिसर को उस समय अपने वतन की याद आ रही थी। साथ ही वे सफिया और सिख बीबी की मानवीय भावनाओं से अभिभूत थे। वे सोच रहे थे कि भारत-पाक का विभाजन होने पर भी लोगों के दिलों में कितनी आत्मीयता है और लोग अपनी जन्मभूमि के लिए कितने दुःखी होते हैं। अपने वतन की कुछ चीजों के प्रति कितना अपनत्व होता है।

प्रश्न 4. 'लाहौर अभी तक उनका वतन है' और 'देहली मेरा' या 'मेरा वतन ढाका है' जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं?

उत्तर : इस तरह के उद्गारों से इस सामाजिक यथार्थ की ओर संकेत किया गया है कि विस्थापन का दर्द व्यक्ति को जीवन-भर सालता है। राजनैतिक कारणों से बँटवारा हो जाने पर भी सीमा-रेखाएँ लोगों के मनों को विभाजित नहीं कर पाती हैं। जन्म-भूमि का लगाव सदा बना रहता है। विभाजन हुए काफी वर्ष हो जाने पर भी लोगों को भारत-पाक का विभाजन अस्वाभाविक और कृत्रिम लगता है।

प्रश्न 5. नमक ले जाने के बारे में सफिया के मन में उठे द्वन्द्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सफिया के चरित्र को निम्न विशेषताएँ व्यक्त होती हैं -

1. वादे की पक्की -सांफया सैयद है और सैयद कभी वायदा करके पीछे नहीं हटते हैं। वह अपना वायदा जरूर पूरा करगी।

2. पवित्र आचरण वाली-सफिया पहले तो चोरी-छिपे नमक ले जाने का विचार करती है, परन्तु बाद में वह मोहब्बत की सौगात को लुका-छिपाकर ले जाना गलत मानती है।

3. मानवीयता की पक्षधर-सफियां का मानवीय रिश्तों पर विश्वास रहता है। इसी बात पर वह अपने भाई को तर्क देकर चप करा देती है। रिश्तों के विश्वास पर ही वह सीमा पर कस्टम ऑफिसरों व वह सीमा पर कस्टम ऑफिसरों को अपने पक्ष में कर लेती है।

4. संवेदनशील-सफिया चतुर एवं संवेदनाशील है। वह मानवीय भावनाओं का पूरा आदर करती है।

प्रश्न 6. मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट नहीं जाती है-उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिये इसकी पुष्टि करें।

उत्तर : राजनैतिक कारणों से मानचित्र पर एक लकीर खींच देने से एक देश को दो भागों में बाँट दिया जाता है और कहा जाता है कि इससे जमीन और जनता का बँटवारा हो गया है। परन्तु यह कथन एक छलावा है, बँटवारा हो जाने पर भी लोगों का अपने मूल स्थान से लगाव बना रहता है तथा उनका अन्तर्मन ऐसे बँटवारे से व्यथित रहता है। उदाहरण के लिए भारत-पाक का विभाजन हो जाने से लाखों लोग इधर-से-उधर विस्थापित हुए, उन्हें अपना जन्मस्थान छोड़ना पड़ा, परन्तु आज भी वे उन स्थानों का स्मरण कर अपनत्व भाव प्रकट करते हैं।

प्रश्न 7. 'नमक' कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?

उत्तर : सन् 1947 में बँटवारा होने से अब भारत और पाकिस्तान दो अलग देश हैं। सफिया भारत की है तथा उसका भाई पाकिस्तान का नागरिक है। लेकिन इससे भाई-बहन का स्नेह खत्म नहीं हो जाता है। इसी प्रकार सिख बीबी एवं सफिया में, पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी, भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास में व्यवहारगत जो प्रेम-भाव दिखाया गया है, उससे स्पष्ट होता है कि भारत-पाक विभाजन होने पर भी दोनों देशों की जनता में प्रेम-मुहब्बत का नमकीन स्वाद आज भी मौजूद है। नमक तो उस मुहब्बत का प्रतीक है जो कि कहानी में घुला हुआ है।

क्यों कहां गया?

प्रश्न 1. क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?

उत्तर : जब सफिया के भाई ने पाकिस्तान का नमक भारत ले जाने पर कानूनी प्रतिबन्ध बताया, तब सफिया ने आवेश में कहा कि प्रेम, अपनत्व, इन्सानियत, शालीनता आदि ऐसे भाव हैं जो कि कानून के नियमों से परे होते हैं। एक सेर नमक ले जाना कोई स्मग्लिंग या ब्लैक मार्केटिंग नहीं है, यह तो मुहब्बत की सौगात है।

प्रश्न 2. भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी?

उत्तर : लाहौरी नमक ले जाने की बात पर अपने पुलिस अफसर भाई की दलीलें सुनकर सफिया भावुक हो गई थी। भाई ने नमक ले जाना गैर-कानूनी बताया। तब सफिया ने भावना को दबाकर बुद्धि से उपाय सोचा और नमक की पुड़िया पहले तो कीनुओं की टोकरी में तथा फिर अपने हैंडबैग में रख ली।

प्रश्न 3. मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।

उत्तर : सफिया नमक की पुड़िया पाकिस्तानी कस्टम ऑफिसर के सामने रखकर परिचय का सामान्य आदान-प्रदान करती है और उसे अपनी परेशानी बताती है. तब वह कस्टम अधिकारी कहता है कि मुहब्बत के सामने कस्टम के कानून भी प्रभावहीन हो जाते हैं। कानून मुहब्बत के आगे हार मान लेता है।

प्रश्न 4. हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है?

उत्तर : अमृतसर में नियुक्त बंगाली कस्टम अधिकारी सुनीलदास गुप्त ने सफिया से कहा कि मेरा वतन ढाका है। वहाँ का पानी कुछ अलग ही स्वाद देता है। इस तरह वह भावावेश में आकर अपनी जन्मभूमि के प्रति लगाव व्यक्त करता है। ऐसी भावनाएँ प्रत्येक देश के नागरिक में अपने देश के प्रति होती हैं।

समझाइए तो ज़रा

प्रश्न 1. फिर पलकों से कछ सितारे टटकर दधिया आँचल में समा जाते हैं।

उत्तर : यह कथन सिख बीबी के लिए कहा गया है जब सिख बीबी को अपनी जन्मभूमि लाहौर की याद आती है। तब वह भावावेश में आकर आँसू बहाती है। उसके अश्रुकण रूपी सितारे आँखों से टूटकर सफेद मलमल के आँचल में टपक पड़ते हैं।

प्रश्न 2. किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ।

उत्तर : भारत-पाक विभाजन पर मानवीय प्रतिक्रिया व्यक्त करती हुई सफिया अमृतसर के पुल पर चलती हुई सोचने लगी कि पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी का वतन इस तरफ दिल्ली है और भारतीय कस्टम अधिकारी का वतन उस तरफ ढाका है। राजनैतिक दृष्टि से ये अलग-अलग देश हैं, परन्तु भावनात्मक दृष्टि से इनमें जरा भी अन्तर नहीं है।

पाठ के आसपास

प्रश्न 1. 'नमक' कहानी में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान सन्दर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : 'नमक' कहानी में सफिया, सिख बीबी एवं दोनों देशों के कस्टम अधिकारियों के माध्यम से भारत पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं व संवेदनाओं को उभारा गया है। वस्तुतः ऐसी संवेदनाएँ मानवीय रिश्तों पर आधारित होती हैं। भारत-पाक का विभाजन होने पर भी सामान्य जनता आपसी सद्भाव बनाये रखना चाहती है। सरहद के दोनों ओर विवाह-सम्बन्ध हो रहे हैं, दोनों देशों की जनता को रेल एवं बस से यात्रा करने की सुविधा मिल रही है। तीर्थयात्री, खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी एवं कलाकार भी आ-जा रहे हैं। पाकिस्तान के कई बच्चों के भारत में सफल ऑपरेशन हुए हैं। इस तरह आम लोगों की संवेदनाओं में समानता है।

प्रश्न 2. सफिया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट सन्दर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफिया की जगह होते/होती तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सफिया को प्रस्तत कहानी में इंसानियत एवं अपनत्व रखने वाली. धार्मिक कटटरता से रहित, सिख बीबी के प्रति माँ के समान लगाव रखने तथा कठिन परिस्थितियों में भी वायदा निभाने वाली चित्रित किया गया है। यदि हम सफिया की जगह पर होते तो हमारी मनःस्थिति भी उसी के समान होती। हम लाहौर से नमक अवश्य लाते और कस्टम वालों के साथ मानवीय संवेदना का पक्ष सामने रखकर व्यवहार करते।

प्रश्न 3. भारत-पाकिस्तान के आपसी सम्बन्धों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान दे सकते/सकती हैं?

उत्तर : हम व्यक्तिगत रूप से इसमें यह योगदान कर सकते हैं कि

1. पाकिस्तान से आने वाले लोगों के प्रति आत्मीयता का भाव रखें।

2. भारत में खेलने आये खिलाड़ियों से भाईचारे का व्यवहार करें।

3. पाकिस्तान के कलाकारों से स्नेह-भाव रखें, उन्हें सम्मान दें।

4. इण्टरनेट एवं अन्य संचार माध्यमों से आपसी जान-पहचान बढ़ायें। 5. स्वयं भी पाकिस्तान की यात्रा पर जाकर उनके प्रति अच्छी धारणा रखें।

प्रश्न 4. लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफिया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?

उत्तर : सिख बीबी का जन्म लाहौर में हुआ था, वह विभाजन के समय सपरिवार यहाँ आ गयी थीं, जबकि सफिया के भाई आदि पाकिस्तान में चले गये थे। सफिया और सिख बीबी को विवाह के कारण विस्थापित नहीं होना -

सरहद - सीमा

अक्स - प्रतिच्छाया, प्रभाव

लबोलहजा - बोलचाल का ढंग

नफीस - सुरुचिपूर्ण

प्रश्न 5. विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमिकाएँ हो सकती हैं-रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे ताकतवर है और क्यों ?

उत्तर: विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं-रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से सबसे ज्यादा ताकतवर साहित्य व कला माध्यम हो सकता है। यह माध्यम भावनाओं पर आधारित है तथा यह पारस्परिक सौहाद्र को बढ़ाता है। रक्त-संबंधों का दायरा भी सीमित होता है। कलाकार व साहित्यकार पूरे समूह की पीड़ा, दुख-सुख आदि भावनाओं को व्यक्त करता है। इससे दूरियाँ समाप्त हो जाती हैं।

आपकी राय

प्रश्न 1. मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज़ ले जाना पसंद करेंगी/करेंगे और क्यों ?

उत्तर: यदि मुझे विदेश जाना पड़े तो अपने मित्र के लिए भारतीय मसाले ले जाना पसंद करूंगी/करूंगा ताकि मेरे मित्र को इनकी खुशबू आती रहे और उनका तन-मन इसमें रंग जाए। तन-मन रंगने से उसे न केवल मेरी बल्कि भारतीयता की याद भी आएगी। तब उसे भारतीयता का सही मायनों में पता चलेगा। हमारा देश अनेक प्रकार के मसालों को निर्यात करता है। अतः ऐसी स्थिति में इससे बढ़िया सौगात कोई हो नहीं सकती।

भाषा की बात

प्रश्न 1. नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए

(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।

ख) क्या सबै कानून हुकूमत के ही होते हैं?

सामान्यतः ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।

उत्तर: ‘ही’ का प्रयोग कर देने से वाक्य की अर्थवत्ता में वृद्धि होती है। साथ ही, इसका अर्थ किसी विशेषता का द्योतक होता

है। पहले वाक्य से ‘ही’ का प्रयोग यही अर्थ देता है कि हमारा वतन केवल लाहौर है कोई और नहीं। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में ‘ही’ से अभिप्राय है कि क्या कानून केवल हुकूमत के लिए बने हैं। अन्य बातें भी कानून के दायरे में आती हैं।

‘ही’ का प्रयोग

हम तो आपको ही जानते हैं।

आपने ही मुझे यह मौका दिया था।

तुम्हारे कारण ही मैं मरते-मरते बचा।

मैं ही मूर्ख था जो तुम्हें ईमानदार समझता था।

मुझे ही इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा गया है।

 

‘ही’ का प्रयोग (प्रश्नात्मक संदर्भ में)

क्या सब हुक्म के ही गुलाम होते हैं ?

क्या आपने कभी जानने की कोशिश ही की?

क्या वह तुम ही हो जिसे अज्ञात लोगों ने धमकी दी?

क्या मेरा ही फर्ज रह गया है?

क्या हर बार मैं ही खर्चा किया करूं?

प्रश्न 2. नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए। –

मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लबोलहजा, नफीस

उत्तर:

मुरौवत                –  भलमनसी, संकोच, लिहाज

आदमियत           –  इंसानियत

अदीब                 –  साहित्यकार, लेखक

साडी                  –  मेरा, हमारा

मायने                 –  अर्थ

सरहद                –  सीमा (देश की)

अक्स                  –  प्रतिबिंब

लबोलहज़ा          –  कहने का ढंग, बोलने का तरीका

नफीस                –  उत्तम, सुंदर, बढ़िया।

प्रश्न 3. पन्द्रह दिन यों गुजरे कि पता ही नहीं चला-वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही से युक्त) पाँच वाक्य बनाइए।

उत्तर :

1. चार वर्ष यों बीत गये कि पता ही नहीं चला।

2. पूरी रात यों ही मस्ती में बीत गई कि पता ही नहीं चला।

3. रमेश ने यों ही कह दिया कि आपका ही सम्मान होगा।

4. आप यों ही ऐसे काम करेंगे तो पता है कि बदनामी ही होगी।

5. वसन्त ऋतु यों ही निकल गई कि पता ही नहीं चला।

सृजन के क्षण

प्रश्न - 'नमक' कहानी को लेखक ने अपने नजरिये से अन्य पुरुष शैली में लिखा है। आप सफिया की नजर से/उत्तम पुरुष शैली में इस कहानी को अपने शब्दों में कहें।

उत्तर : उस सिख बीबी को देखकर मैं हैरान रह गई थी। उसका चेहरा-मोहरा, चाल-ढाल बिलकुल मेरी अम्मा जैसा था। वह दुपट्टा भी मेरी माँ की तरह ओढ़ती थी। जब मैंने उसे कई बार मोहब्बत भरी नज़रों से देखा तो उसने भी मेरे घर-बार के बारे में जानने की इच्छा जाहिर कर दी। हम दोनों में यूँ ही बातें होती रही। कब हम एक-दूसरे के गहरे परिचित बन गए, यह न मुझे पता चला न उसे। जब मैंने उससे कहा कि मैं अगले सप्ताह लाहौर जा रही हूँ तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसने कहा कि आते वक्त मेरे लिए लाहौरी नमक ले आना। मैं उसकी इस बात को मान गई। जब पंद्रह दिन लाहौर में रहकर मैं वापिस अपने वतन आने लगी तो मैंने नमक की पुड़िया बना ली।

इस पर मेरे भाईजान ने मुझसे कहा कि नमक (लाहौरी) ले जाना गैरकानूनी है। इस बात पर हम दोनों में तीखी नोंक-झोंक हुई। काफ़ी मशक्कत के बाद मैंने ठान लिया कि मैं अपनी अम्मी जान से किया वादा ज़रूर निभाऊँगी। मैंने कस्टम वालों (पाकिस्तानी) को सारी बात बता दी, इस बात पर वे राजी हो गए कि मैं नमक ले जा सकती हैं। यह तो प्रेम का तोहफा है। जब मैं हिंदुस्तान की सरहद को पार करके अमृतसर स्टेशन पर पहुँची तो वहाँ भी मैंने वही बात दुहराई। एक बाँग्ला अधिकारी मुझे वेटिंग रूम (प्रतीक्षालय) में ले गया। जब उसने एक पुलिस वाले को बुलाया तो मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने पुलिसवाले से दो चाये मँगवाई। हमने चाय पी और बातें की।

चलते वक्त उसने मेरा बैग उठा रखा था। इस तरह मैं तनाव से मुक्त हो गई। उसने चलते वक्त भी मुझसे बातें की। उसकी बातों से मैं जान गई कि वह ईस्ट बंगाल का है और यहाँ आकर नौकरी कर रहा है। उसने यह भी बताया कि ईस्ट बंगाल की जमीन और पानी बहुत उपजाऊ और निर्मल (साफ़) है। जब मैं अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तो सोचने लगी कि आखिर वतन है कौन-सा? किसका वतन है कहाँ? वतन वह है जो कस्टम से इधर है या फिर वह है जो उस तरफ। इस तरह सोचती-सोचती मैं अपने घर वापिस लौट आई। मेरा मन इस प्रश्न का उत्तर हूँढ़ता रहा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 'नमक' कहानी के प्रतिपाद्य या उद्देश्य पर प्रकाश डालिये।

उत्तर : 'नमक' कहानी का प्रतिपाद्य या उद्देश्य भारत-पाक विभाजन की त्रासदी का चित्रण करते हुए यह बताना है कि मजहबी आधार पर लोग विस्थापित हो चुके हैं, परन्तु इस तरह का विभाजन उनके अन्तर्मन को कचोटता है। अतः राजनीतिक सरहदें भावनात्मक स्तर पर अर्थहीन हैं। मानवीय प्रेम-भाव एवं भाईचारे का सम्बन्ध बना रहे, यही अपेक्षित है।

प्रश्न 2. 'नमक' कहानी के आधार पर समझाइए कि भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के निवासी आज भी प्रेम की अविच्छिन्न डोर से बँधे हुए हैं।

उत्तर : राजनीतिक स्वार्थ एवं मजहबी आधार पर यद्यपि भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के निवासी सरहदों में बँट गये हैं, परन्तु उनमें आज भी अपने वतन के प्रति प्रेम मौजूद है। सिख बीबी और सफिया में, भारत-पाकिस्तानी कस्टम अधिकारियों में परस्पर जो प्रेम-भाव दिखाया गय दखाया गया है, उससे यही सिद्ध होता है कि विस्थापित होने पर भी ये सब मानवीयता के नाते प्रेम की डोर से बँधे हुए हैं।

प्रश्न 3.'नमक' कहानी की मूल संवेदना क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : 'नमक' कहानी की मूल संवेदना यह है कि धर्म एवं राजनीति के आधार पर भले ही देश का विभाजन हो गया है, परन्तु सरहदों के आर-पार विस्थापित हुए लोगों की यह पीढ़ी अभी तक अपने जन्म-स्थानों को नहीं भूल पायी है। इसमें ऐसे विस्थापितों के प्रति मानवीय संवेदना व्यक्त की गई है।

प्रश्न 4. "उन सिख बीबी को देखकर सफिया हैरान रह गई थी"-इसका क्या कारण था?

उत्तर : सफिया की माँ की तरह सिख बीबी का भारी-भरकम जिस्म, छोटी-छोटी चमकदार आँखें, जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली चमक रही थी। वह मलमल का सफेद दुपट्टा ओढ़े हुए थी। सफिया की माँ भी मुहर्रम पर ऐसा ही दुपट्टा ओढ़ा करती थी। इस प्रकार सिख बीबी में अपनी माँ की हमशक्ल देखकर सफिया हैरान रह गई थी।

प्रश्न 5."आखिर कस्टम वाले भी इंसान होते हैं, कोई मशीन तो नहीं होते।" यह किसने, किससे और क्यों कहा?

उत्तर : यह सफिया ने अपने पाकिस्तानी पुलिस अफसर भाई से कहा। सफिया को उसके भाई ने पाकिस्तान से नमक ले जाना गैर कानूनी बताया। सफिया ने कहा कि वह उन्हें दिखाकर ले जायेगी। कस्टम वाले भी तो मुहब्बत और आदमियत वाले इंसान होते हैं। वे प्रेम की सौगात को ले जाने से नहीं रोकेंगे। पड़ा। परन्तु सामान्यतः विवाहिता को पति के साथ उसके देश में रहना पड़ता है। आज अनेक युवतियाँ पाकिस्तान, इंग्लैण्ड, अमेरिका, नेपाल आदि देशों के युवकों के साथ विवाह-बन्धन में बँधकर विस्थापित हो रही हैं। अतः हम उक्त कथन से सहमत हैं।

प्रश्न 6. विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं-रक्त सम्बन्ध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे ताकतवर है और क्यों?

उत्तर : इन सभी सम्बन्धों में रक्त-सम्बन्ध सर्वाधिक मजबूत और प्रभावी होते हैं। इसी कारण एक-दूसरे देश में रहने वाले ऐसे परिवार अपने लोगों से मिलने के लिए आते-जाते रहते हैं अथवा पत्र-व्यवहार एवं फोन आदि से सम्पर्क बनाये रखते हैं। साहित्य, विज्ञान तथा कला के सम्बन्ध से तो कुछ गिने-चुने लोग ही लाभान्वित होते हैं।

आपकी राय

प्रश्न 1. मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौनसी चीज ले जाना पसन्द करेंगे/करेंगी और क्यों?

उत्तर : यदि विदेश जाने का अवसर मिले, तो मैं अपने मित्र के लिए सौगात के रूप में ये वस्तुएँ ले जाऊँगा

1. मावे-मेवे की बढ़िया मिठाई

2. सांगानेरी प्रिन्ट की दो चादरें

3. हवामहल की प्रतिकृति

4. नटराज की मूर्ति और

5. उसकी इच्छा की अन्य चीजें। क्योंकि ऐसी चीजें सौगात अथवा यादगार रूप में ले जाने से प्रेम-भाव बढ़ता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए -

(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।

उत्तर : वाक्य में 'ही' का प्रयोग स्थान-विशेष पर बल लगाने के लिए हुआ है।

अन्य पाँच-पाँच वाक्य -

1. हमें तो दाल-रोटी ही चाहिए।

2. जाना तो स्कूल तक ही है।

3. शहर तो कल ही जा पाऊँगा।

4. मेरा जन्म-स्थान तो अजमेर ही है।

5. आप भोजन तो हमारे ही घर पर करें।

(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?

सामान्यतः 'ही' निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में 'ही' के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए।'ही' का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।

उत्तर : वाक्य में दो वस्तुओं में से किसी एक की अधिकता या श्रेष्ठता बताने के लिए 'ही' का प्रयोग हआ है।

1. क्या सारे कायदे-कानून आपके ही माने जायेंगे?

2. क्या सब तुम्हारा कहना ही मानेंगे?

3. क्या एक जगह खड़े रहने से ही लक्ष्य मिल जायेगा?

4. क्या शासन से उच्च जातियों को ही लाभ मिलेगा?

5. क्या सब कर्मचारी लेट-लतीफ ही होते हैं?

प्रश्न 2. नीचे दिए गए शब्दों के हिन्दी रूप लिखिए मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लवोलहजा, नफीस।

उत्तर :

मुरौवत - संकोच, उदारता

आदमियत - मानवता

अदीब - साहित्यकार

साडा - हमारा

मायने - अर्थ :

प्रश्न 6. "अगर सभी लोगों का दिमाग हम अदीबों की तरह घूमा हुआ होता तो"-इस कथन से सफिया ने क्या भाव व्यक्त किया?

उत्तर : इस कथन से सफिया ने यह भाव व्यक्त किया है कि अदीब अर्थात् साहित्यकार मानवीय संवेदनाओं से भरे होते हैं। वे संसार की यथार्थता एवं क्रूरता के बजाय भावनात्मकता एवं आदर्श इंसानियत रखते हैं। अगर संसार में सभी लोग अदीबों की तरह मानवीय प्रेम, करुणा, संवेदना एवं भावुकता रखते, तो फिर दुनिया का स्वरूप प्रेममय, सुन्दर और निर्मल बन जाता।

प्रश्न 7. सफिया ने पाकिस्तानी कस्टम अफसर को किस तरह अनुकूल बनाया?

उत्तर : सफिया मानवीय रिश्तों को महत्त्व देती थी। वह साहित्यकार होने से प्रेम, करुणा, संवेदना, मानवता आदि विशेषताओं से मण्डित थी। उसने निश्छलता एवं सहज भावना रखकर पाकिस्तानी कस्टम अफसर से उसका परिचय पूछकर कहा कि वह एक छोटा-सा मुहब्बत का तोहफा उस विस्थापित महिला के लिए ले जा रही है जो अभी भी लाहौर को बहुत याद करती है।

प्रश्न 8. सफिया ने नमक की पुड़िया टोकरी से निकाल कर हैण्डबैग में क्यों रखी?

उत्तर : जब सामान जाँच के लिए वेटिंग रूम से बाहर निकाला जा रहा था, तब अचानक सफिया ने सोचा कि प्यार के तोहफे को इस तरह चोरी-छिपे ले जाना ठीक नहीं है। वह इसे कस्टम वालों को दिखाकर और कह-सुनकर ही अपने साथ ले जायेगी। यही सोचकर उसने नमक की पुड़िया फलों की टोकरी से निकाल कर हैण्डबैग में रखी।

प्रश्न 9. पाकिस्तानी कस्टम अफसर ने सफिया को नमक ले जाने से क्यों नहीं रोका? कारण बताइये।

उत्तर : पाकिस्तानी कस्टम अफसर दिल्ली से विस्थापित होकर लाहौर में रहने लगा था। वह दिल्ली को अपना वतन मानता था। सफिया नमक को गलत इरादे से नहीं ले जा रही थी, वह प्यार का तोहफा और वायदा निभाने की बात कह रही थी। मानवता एवं जन्मभूमि-प्रेम से प्रभावित होकर कस्टम अफसर ने सफिया को नमक ले जाने से नहीं रोका।

प्रश्न 10. सिख बीबी, पाकिस्तानी कस्टम अफसर और भारतीय कस्टम अफसर में किस समानता का वर्णन हुआ है? 'नमक' कहानी के आधार पर बताइए।

उत्तर : 'नमक' कहानी में सिख बीबी, पाकिस्तानी कस्टम अफसर और भारतीय कस्टम अफसर में यह समानता वर्णित है कि तीनों अपनी जन्मभूमि से विस्थापित हैं, तीनों के हृदय में अपने देश के प्रति अगाध प्रेम है। इस कारण उनमें साम्प्रदायिक कट्टरता न होकर मानवता, उदारता एवं प्रेमभाव की प्रबलता है।

प्रश्न 11. सफिया और उसके भाई के विचारों में क्या अन्तर था? 'नमक' कहानी के आधार पर बताइए।

उत्तर : सफिया साहित्यकार होने से मानवतावादी, उदार, भावुक, आदर्शवादी और सरल स्वभाव की थी। वह प्रेम व्यवहार का महत्त्व अच्छी तरह समझती थी, जबकि उसका भाई पुलिस अफसर होने से कठोर विचारों वाला, कानून को सर्वोपरि मानने वाला, यथार्थवादी, अनुशासन रखने वाला था। इस प्रकार सफिया और उसके भाई के विचारों में उनके स्वभाव के अनुसार काफी अन्तर था।

प्रश्न 12. कस्टम अधिकारी सुनीलदास ने अपने वतन के बारे में क्या बताया?

उत्तर : अमृतसर में तैनात कस्टम अधिकारी सुनीलदास ने बताया कि हम भारत-विभाजन के समय यहाँ आ गये थे, वैसे हमारा वतन ढाका है। बचपन में हम लोग वहाँ पर नजरुल और टैगोर को साथ-साथ पढ़ते थे। हम कलकत्ता में रहे, नौकरी भी मिल गई, परन्तु वहाँ के डाभ, वहाँ के पानी और जमीन की बात ही कुछ और है।

प्रश्न 13. "तब पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास वे सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे?" यह किसके लिए कहा गया है और क्यों?

उत्तर : यह सफिया द्वारा अमृतसर में तैनात भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास के लिए कहा गया है। सफिया को मुहब्बत की सौगात-नमक की पुड़िया सौंपने के बाद सुनीलदास अपने वतन ढाका की याद में खो गया था। वह विभाजन से उत्पन्न मानवीय वेदना से भरकर चुपचाप खड़ा था।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. सिख बीवी के प्रति सफिया का क्या स्नेह-भाव था? 'नमक' पाठ के आधार पर बताइये।

उत्तर : सफिया ने जब पहली बार सिख बीवी को देखा तो उसे लगा जैसे उसकी माँ ही उसके सामने आ खड़ी हुई। बिल्कुल वही कद, भारी-भरकम शरीर, चमकदार आँखें, जिनमें नेकी और मुहब्बत भरी हुई थी। उनका चेहरा खुली किताब की तरह था, जिन पर आती-जाती भावनाओं को पढ़ना आसान था सिख बीबी ने सफेद मलमल का दुपट्टा ओढ़ रखा था जैसा सफिया की अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी। यही कारण था कि सफिया बड़े ही स्नेह भाव से सिख बीबी को निहार रही थी। यही एक कारण था जिसके लिए सफिया कानूनी नियम को तोड़ कर उनके लिए नमक लाना चाहती थी। वतनपरस्ती व अपनी माँ का प्रतिबिम्ब दोनों ही बातें अत्यन्त महत्त्वपूर्ण थीं और शायद इसलिए सफिया का प्रेम सिख बीबी के प्रति आकर्षित था।

प्रश्न 2. लाहौर और अमृतसर के कस्टम अधिकारियों ने सफिया के साथ कैसा व्यवहार किया और क्यों?

उत्तर : दोनों कस्टम अधिकारियों ने सामाजिक समरसता के अनुसार सद्भावनापूर्वक उनके नमक ले जाने के निर्णय को सम्मान दिया। साथ ही उन्होंने सफिया को बताया कि उनमें से एक देहली को अपना वतन मानते हैं जिनकी ड्यूटी लाहौर में लगी है तथा दूसरे जो अमृतसर में रहकर अपने वतन ढाका को याद करते हैं। इन दोनों अधिकारियों ने वतन के प्रति स्नेह-भाव को समझते हुए सफिया का साथ दिया। कानून का उल्लंघन करके भी नमक ले जाने दिया। अमृतसर वाले सुनील दास गुप्त तो उनका थैला लेकर आगे-आगे चले। जब तक सफिया ने अमृतसर का पुल पार नहीं किया वे निचली सीढ़ी पर सिर झुकाये खड़े रहे। इन अधिकारियों ने मानवीयता एवं सद्भावना का परिचय देते हुए यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी सरहद या कानून आपसी प्रेम-सौहार्द से बढ़कर नहीं है।

प्रश्न 3. नमक ले जाने के विषय में सफिया के अन्तर्द्वन्द्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : नमक सरहद के पार ले जाना गैरकानूनी कार्य माना जाता था। इस विषय में सफिया सिख बीबी के प्रति उपजे स्नेह भाव के कारण नमक ले जाना जरूर चाहती थी। उसके मन में कई विचार आते हैं कि नमक को छिपाकर ले जाये या कस्टम अधिकारियों को बताकर या दिखाकर ले जाये।

पहले वह कीनुओं से भरी टोकरी में नमक छिपाकर ऊपर तक कीनुओं से ढककर ले जाती है। फिर वह दृढ़ होकर निर्णय लेती है कि स्नेह से लिए हुए उपहार को वह चोरी से नहीं ले जाएगी। यही सोचकर वह नमक को टोकरी से बाहर निकाल लेती है और कस्टम अधिकारियों को दिखाकर तथा उन्हें सारी सच्चाई बताकर नमक साथ लाती है।

प्रश्न 4. सफिया को समझ नहीं आयां कि कहाँ लाहौर खत्म हुआ और कहाँ अमृतसर शुरू? ऐसा क्यों? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : पाकिस्तान से भारत आते समय जैसे ही अटारी आया, वहाँ से पाकिस्तानी पुलिस वाले उतर गये और हिन्दुस्तानी पुलिस वाले चढ़ गए। सफिया को यह समझ नहीं आया कि लाहौर और अमृतसर की सीमाएँ साथ लगती हैं। दोनों की भौगोलिक संरचना एक जैसी है। भाषा-बोलियाँ, जबान, लहजा, अंदाज सभी कुछ तो एक जैसा है। गालियाँ भी दोनों एक जैसी बोलते हैं। वेशभूषा में भी कोई अन्तर नहीं है। इसलिए सफिया समझ नहीं पाती है कि कहाँ लाहौर खत्म हुआ और कहाँ अमृतसर शुरू हो गया था।

प्रश्न 5. पाठ 'नमक' में नमक किस बात का प्रतीक है तथा 'वतन' शब्द किस भाव द्वारा दोनों तरफ के " लोगों को भावुक करता है?

उत्तर : 'नमक' कहानी में 'नमक' भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद इन अलग-अलग देशों में रह रहे लोगों के मध्य परस्पर प्रेम का प्रतीक है। जिस प्रकार नमक के बिना खाने में कोई स्वाद नहीं रह जाता उसी प्रकार इन दोनों देशों के मध्य प्रेम न रहने से आनन्द नहीं मिलता है। यही वो नमक वही आनन्द है जो विस्थापित और पुनर्वासित होकर भी एक-दूसरे के दिलों से जुड़े हैं।

उसी तरह "वतन' शब्द का भाव स्नेह, प्रेम, सौहार्द की चाशनी में लिपटा वह मधुर स्मृतियों का खजाना है जिसकी मीठी याद ही व्यक्ति को स्नेह व आनंद से सराबोर कर देती है। मेरा वतन, मेरी मिट्टी ये सभी मधुर वाक्य हृदय को मीठी स्मृतियों से भरकर अपनों के प्रति भावुक कर देते हैं। मानवीय भावनाएँ ही वह ज्वार है जो नियमों के बाँध को तोड़ देता है।

प्रश्न 6. 'नमक' कहानी के मल संदेश पर प्रकाश डालते हए इसका सारांश प्रस्तत कीजिए।

उत्तर : 'नमक' कहानी भारत और पाकिस्तान के विभाजन की अत्यन्त मार्मिक कहानी है। इसमें सरहद के इस पार और उस पार के लोगों के दर्द और भावनाओं का इजहार हुआ है। पाकिस्तान से विस्थापित हुई सिख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती है। वह उपहार के रूप में वहाँ से नमक लाने की फरमाईश करती है। पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी गैरकानूनी होते हुए भी नमक ले जाने की अनुमति देते समय देहली को अपना वतन बताता है।

इसी प्रकार भारतीय कस्टम अधिकारी ढाका को अपना वतन बताते हुए सफिया को चाय पिलाता है और दूर तक दौड़कर आता है। इस तरह यह कहानी भौगोलिक रूप से दो भागों में बँट गए देश के लोगों की भावनात्मक एकता की मार्मिक कहानी है। कहानी का संदेश भी अत्यन्त मार्मिक है कि राष्ट्र-राज्यों की नयी सीमा रेखाएँ खींची जाने के बावजूद भी ये सीमाएँ लोगों के अन्तर्मन को नहीं बाँट पाई हैं। आज भी एक-दूसरे के प्रति स्नेह का भाव मौजूद है।

रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1. लेखिका रजिया सज्जाद जहीर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : रजिया सज्जाद जहीर का जन्म 15 फरवरी, 1917 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था। इन्होंने एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त कर लखनऊ के गर्ल्स कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। 1965 में इनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। ये मूलतः उर्दू की कहानी लेखिका हैं। इन्होंने कहानी, उपन्यास व बाल साहित्य लिखा है। कहानी संग्रह 'जर्द गुलाब' है। सामाजिक यथार्थ व मानवीय गुणों का सहज सामंजस्य इनकी कहानियों की विशेषता है। इन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं जिनमें नेहरू पुरस्कार, लेखिका संघ अवार्ड, उर्दू अकादमी पुरस्कार आदि हैं। 18 दिसम्बर, 1979 को इनका निधन हो गया था।

नमक (सारांश)

लेखिका परिचय - मूलतः उर्दू कहानी की लेखिका रजिया सज्जाद जहीर का जन्म सन् 1917 ई. में अजमेर में हुआ। उन्होंने इलाहाबाद से उर्दू में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की और सन् 1947 में अजमेर से लखनऊ आकर वहाँ करामात हुसैन गर्ल्स कॉलेज में पढ़ाने लगीं। फिर उनकी नियुक्ति सन् 1965 में सोवियत सूचना विभाग में हुई।

आधुनिक उर्दू कथा - साहित्य में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने कहानी और उपन्यास के अलावा बाल-साहित्य भी लिखा है। रजियाजी की कहानियों में सामाजिक सद्भाव, धार्मिक सहिष्णुता और आधुनिक सन्दर्भो में बदलते हुए पारिवारिक मूल्यों को उबारने का सफल प्रयास हुआ है। सामाजिक यथार्थ और मनावीय गुणों का सहज सामंजस्य इनकी कहानियों की विशेषता है। इनका निधन सन् 1979 में हुआ।

रजिया सज्जाद जहीर की रचनाएँ इस प्रकार हैं-जर्द गुलाब (उर्दू कहानी-संग्रह)। उन्हें सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश, अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड का सम्मान-पुरस्कार प्राप्त हुआ।

पाठ-सार-रजिया सज्जाद जहीर की 'नमक' शीर्षक कहानी में भारत-पाक विभाजन के बाद-सरहद के दोनों तरफ के विस्थापित लोगों के दिलों को टटोलने वाली मार्मिक रचना है। इस कहानी का सार इस प्रकार है

1. सफिया की सिख बीबी से भेंट-सफिया अपने पड़ोसी सिख परिवार के घर कीर्तन में गई थी। वहीं पर एक सिख बीबी से उसकी भेंट हुई। वह उसकी माँ की हमशक्ल थी। सफिया ने कई बार उसकी तरफ प्रेम से देखा, तो

सिख बीबी ने उसके बारे में पूछा। तब उन दोनों में बातें होती रहीं। उसी प्रसंग में सिख बीबी ने बताया कि उसका वतन लाहौर है। सफिया ने कहा कि वह अपने भाइयों से मिलने लाहौर जा रही है। लाहौर की याद आने से सिख बीबी भावुक हो गई। उसने सफिया से थोड़ा-सा लाहौरी नमक लाने की इच्छा प्रकट की।

2. सफिया की लाहौर से वापसी - सफिया पन्द्रह दिन लाहौर में रही। उसे वहाँ पर अतिशय स्नेह मिला तथा शुभचिन्तकों व सम्बन्धियों ने ढेर सारे उपहार दिये। वह वापसी की तैयारी करने लगी। उसने एक किलो लाहौरी नमक ले लिया। वह अन्य सामान के साथ उसकी भी पैकिंग करने लगी थी।

3. पुलिस अफसर भाई से बात - सफिया का भाई बहुत बड़ा पुलिस अफसर था। सफिया ने उससे पूछा कि क्या यहाँ से नमक ले जाना गैर-कानूनी है? भाई ने उसे समझाया कि कस्टम वाले तलाशी लेंगे। यहाँ से भारत में नमक ले जाना गैर-कानूनी है। तब सफिया ने सिख बीबी के सम्बन्ध में बताया और कहा कि उसी के लिए यह नमक हर हालत में ले जाना चाहती हूँ। भाई ने ऐसा करना अनुचित कार्य बताया, परन्तु सफिया के आँसू देखकर वह चुप हो गया।

4. नमक ले जाने का उपाय - सफ़िया ने सामान की पैकिंग करते समय पहले तो नमक की पुड़िया कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख दी। जब सफिया का सामान सरहद पर कस्टम की जाँच के लिए निकाला जाने लगा, तब उसने फैसला किया कि वह इस सौगात को छिपाकर नहीं ले जायेगी। इसलिए उसने नमक की पुड़िया टोकरी से निकालकर हैंडबैग में रख दी। जब सामान की जाँच के बाद रेल की ओर गई तो उसने एक कस्टम अधिकारी से पूछा कि आप कहाँ के रहने वाले हैं? उसने अपना वतन देहली बताया।

सफिया ने स्वयं को लखनऊ की बताया। सफिया ने उसे अपनी समस्या बताई और नमक की पुड़िया हैंडबैग से निकाल कर उसके सामने रख दी। तब मुहब्बत की सौगात मानकर कस्टम अधिकारी ने वह पुड़िया सफिया के बैग में रख दी और कहा कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहियेगा।' अमतसर सीमा पर कस्टम-अमतसर सीमा पर कस्टम वालों ने सफिया के सामान की जाँच की। वहाँ पर एक बंगाली अफसर था।

सफिया ने उससे कहा कि मेरे पास थोड़ा-सा नमक है। नमक लाने का कारण बताने पर उस अधिकारी ने प्लेटफार्म के एक कमरे में ले जाकर अपना परिचय दिया कि मेरा वतन ढाका है। वे बँटवारे के समय यहाँ आये थे। उसने कलकत्ता के डाभ का स्मृति रूप में उल्लेख किया और भावुक हो गया। फिर नमक की पुड़िया सफिया के बैग में रखी तथा खुद उस बैग को लेकर आगे-आगे चलने लगा। जब सफिया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी, तो वह सोचती रह गई कि किसका वतन कहाँ है-"वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ।"

सप्रसंग महत्त्वपूर्ण व्याख्याएँ

1. अब तक सफिया का गुस्सा उतर चुका था। भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दें? लेकिन अगर कस्टमवालों ने न जाने दिया! तो मजबूरी है, छोड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था?

प्रसंग - प्रस्तुत अवतरण लेखिका रजिया सज्जाद जहीर द्वारा लिखित 'नमक' पाठ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने अपने वतन लाहौर से भेंटस्वरूप नमक लाने का वर्णन किया है।

व्याख्या - सफिया ने जब अपने भाई से सुना कि नमक ले जाना गैरकानूनी है तो वह गुस्से से भर उठी, क्योंकि वे नमक किसी के मँगाये जाने पर उपहारस्वरूप ले जा रही थी। भाई की बात तथा कानन की पेचीदगियों का गुस्सा अब सफिया के सिर से उतर चुका था। भावनाओं की तरंगों के स्थान पर बुद्धि अपना असर दिखाने लगी थी। वे सोचने लगी थी कि नमक की पुड़िया तो जरूर लेकर जानी है पर कैसे?

इसी उलझन में वे सोचती है कि नमक की पुड़िया को अपने ही हाथ में रखे और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसे ही रख दे तो? और अगर नमक को देख कस्टम वालों ने जाने नहीं दिया फिर। फिर तो नमक को वहीं छोड़ना मजबूरी होगी। सफिया फिर सोचती है कि नमक नहीं ले जा पाने पर उसके उस वादे का क्या होगा जो उसने अपनी माँ समान सिख बीबी से किया था। क्या उसे.अपना किया हुआ वादा तोड़ना होगा? इन्हीं उधेड़बुन में लेखिका मग्न है।

विशेष :

1. विस्थापितों का अपने वतन और उससे जुड़ी वस्तुओं के प्रति प्रेम-भाव दर्शाया गया है।

2. भाषा सीधी, सरल व अर्थपूर्ण है।

2. हम अपने को सैयद कहते हैं। फिर वायदा करके झुठलाने के क्या मायने? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कौन इसे देखेगा? और अगर देख लिया? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी किसी की नहीं देखी. जा रही थीं।

कठिन-शब्दार्थ :

सैयद = जाति विशेष।

मायना = अर्थ।

कीनू = फल।

प्रसंग - प्रस्तुत अवतरण लेखिका रजिया सज्जाद जहीर द्वारा लिखित 'नमक' पाठ से लिया गया है। साफिया पाकिस्तान से भारत आते समय सिख बीबी के लिए नमक लाना चाहती है उसी का प्रसंग यहाँ प्रस्तुत है।

व्याख्या - सफिया को जब अपने पुलिस भाई से पता चलता है कि नमक ले जाना गैरकानूनी है तो वह क्रोधित होती है। फिर सोचती है कि अगर नहीं ले जा पायी तो उसके वचन का क्या होगा जो उसने सिख बीबी को दिया था। सफिया कहती है कि वह सैयद है और सैयद अपने दिए गए वचन के पक्के होते हैं। वादा करके उसे तोड़ देने का क्या अर्थ रह जाता है फिर, सैयद अपने वादे कभी नहीं तोड़ते हैं।

जान भी देनी पड़े तो भी वह अपना वादा अवश्य पूरा करेगी, पर कैसे? इन्हीं विचारों में मग्न वह सोचती है कि अगर फलों की टोकरी में नमक को उनके नीचे रख दिया जाये तो फिर कीनुओं के ढेर में कोई भी अधिकारी इसे देख नहीं पायेगा और वैसे भी आते समय भी किसी ने भी फलों की टोकरी की जाँच नहीं की थी। सरहद के इस पार या उस पार आते-जाते समय मौसमी स्वादिष्ट फलों को ले जाने-लाने का रिवाज था और कोई उन्हें देखता भी नहीं था।

विशेष :

1. सफिया अपने साथ नमक किस प्रकार लाये इसी उधेड़बुन को प्रस्तुत किया है।

2. भाषा सरल-सहज व संक्षिप्त वाक्यों में है।

3. यह पाकिस्तान था। यहाँ उसके तीन सगे भाई थे। बेशुमार चाहने वाले दोस्त थे, बाप की कब्र थी, नन्हें-नन्हें भतीजे-भतीजियाँ थीं। जो उससे बड़ी मासूमियत से पूछते, "फूफीजान आप हिन्दुस्तान में क्यों रहती हैं, जहाँ हम लोग नहीं आ सकते।" उनके सबके और सफिया के बीच में एक सरहद थी और बहुत ही नोकदार लोहे की छड़ों का जंगला था, जो कि कस्टम कहलाता था। कल वह लाहौर से चली जाएगी हो सकता है सालभर बाद फिर आये। एक साल से पहले तो वह आ भी नहीं सकती है और यह भी हो सकता था कि अब कभी न आ सके।

कठिन-शब्दार्थ :

बेशुमार = अगणित, बेहिसाब।

सरहद = सीमारेखा (दो देशों के बीच)।

जंगला = खिड़कीनुमा।

प्रसंग - प्रस्तुत अवतरण लेखिका रजिया सज्जाद जहीर द्वारा लिखित 'नमक' पाठ से लिया गया है। लेखिका ने सफिया के पाकिस्तान में रहने वाले अपने मायके के लोगों के विषय में बताया है तथा साथ ही बार-बार मायके न जा पाने की विवशता भी बताई है।

व्याख्या - लेखिका बताती है कि साफिया का मायका पाकिस्तान में है जहाँ उनके तीन सगे भाई रहते हैं। खूब प्यार करने वाले दोस्त व सगे-संबंधी रहते थे। वहीं की जमीन पर उनके पिता की कब्र बनी हुई है। छोटे-छोटे भतीजे भतीजियाँ हैं, जो उनके मायके आने पर हमेशा एक ही सवाल पूछते हैं कि वह हिन्दुस्तान (भारत) में क्यों रहती हैं? ऐसा इसलिए नहीं कि उन्हें हिन्दुस्तान से नफरत है बल्कि वे वहाँ अपनी फूफी से मिलने जा नहीं पाते हैं।

सफिया इस बात को जानती है कि उन सबके और खुद के बीच कस्टम की दीवार है। और वह कस्टम की दीवार बहुत ही नोक वाले लोहे की छड़ों से बने मजबूत जंगलों की है। जहाँ से खिड़की के समान आर-पार तो दिखता है पर मनचाहे आ-जा नहीं सकते हैं। सफियां इसी उधेड़बुन में सोचती है कि कल वह यहाँ से (लाहौर) चली जायेगी। हो सकता है सालभर बीतने के बाद आये क्योंकि इससे पहले आने का नियम भी नहीं है और आगे जाने क्या हो, वह अब कभी नहीं आ सके।

विशेष :

1. लेखिका ने बताया है कि सफिया अपने परिवारजनों एवं वतन को याद करके काफी भावुक हो रही है।

2. भाषा सरल-सहज, वाक्य में भाव प्रेषणीय है।

4. जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जाने लगा तो उसे एक झिरझिरी-सी आई और एकदम से उसने फैसला किया कि मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं जाएगा, नमक कस्टमवालों को दिखाएगी वह। उसने जल्दी से पुड़िया निकाली और हैंडबैग में रख ली, जिसमें उसका पैसों का पर्स और पासपोर्ट आदि थे। जब सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ चला तो वह एक कस्टम अफसर की तरफ बढ़ी।

कठिन-शब्दार्थ :

झिरझिरी = शारीरिक संवेग।

प्रसंग - प्रस्तुत अवतरण लेखिका रजिया सज्जाद जहीर द्वारा लिखित 'नमक' पाठ से लिया गया है। पाकिस्तान से भारत की यात्रा के दौरान कस्टम जाँच का वर्णन प्रस्तुत किया गया है।

व्याख्या - लेखिका बता रही है कि जब भारत वापस आते समय सफिया का सामान कस्टम पर जाँच के लिए निकाला जाने लगा तो एक बार को वे थोड़ी डर गई। फिर अचानक से उन्होंने एक फैसला लिया कि प्रेम से ले जाया जाने वाला तोहफा या उपहार झूठ बोलकर या चोरी से छिपाकर नहीं ले जाया जाएगा। वह दृढ़ निश्चय कर लेती है कि वह यह नमक कस्टम वालों को दिखायेगी।

यह सोचते ही उन्होंने जल्दी से नमक की पुड़िया को फलों की टोकरी से निकालकर अपने हाथ में पकड़े बैग में रख ली, जिस बैग में उनके पैसे, पासपोर्ट तथा अन्य जरूरी सामान व कागजात रखे थे। जब बाकी सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ चला तो वह एक कस्टम अफसर की तरफ नमक की सच्चाई बताने के लिए बढ़ चली।

विशेष :

1. लेखिका ने सफिया की संवेदनशीलता एवं सच्चाई को व्यक्त किया है।

2. भाषा सुगम व भावपूर्ण है। हिन्दी-अंग्रेजी शब्द प्रयुक्त हुए हैं।

5. प्लेटफार्म पर उसके बहुत-से दोस्त, भाई, रिश्तेदार थे, हसरत भरी नजरों, बहते हुए आँसुओं, ठंडी साँसों और भिंचे हुए होंठों को बीच में से काटती हुई रेल सरहद की तरफ बढ़ी। अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतरी, हिन्दुस्तानी पुलिस सवार हुई। कुछ समझ में नहीं आता था कि कहाँ से लाहौर खत्म हुआ और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया। एक जमीन थी, एक जबान थी, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबोलहजा, और अंदाज थे, गालियाँ भी एक ही-सी थीं जिनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दूसरे को नवाज रहे थे। बस मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भरी हुई बंदूकें दोनों के हाथों में थीं

कठिन-शब्दार्थ :

हसरत = आशा, इच्छा।

लिबास = वेशभूषा।

लबोलहजा = बोलचाल, भाषा।

अंदाज = लहजा, तरीका।

नवाजना = देना।

प्रसंग - प्रस्तुत अवतरण लेखिका रजिया सज्जाद जहीर द्वारा लिखित 'नमक' पाठ से लिया गया है। सफिया जब अपने भाई-बहनों से मिलकर वापस भारत लौट रही थी तब उसे विदा करने आये रिश्तेदारों का तथा भारत-पाकिस्तान की विभाजित सरहद का वर्णन प्रस्तुत हुआ है।

व्याख्या - सफिया जब वापस आ रही थी तब उन्हें विदा करने उनके कई रिश्तेदार व दोस्त आए थे। सभी उन्हें बड़ी आशापूर्ण नेत्रों से देख रहे थे कि पता नहीं अब फिर कब आना हो? रेल बहते आँसुओं, रुलाई को रोकते भिंचे होठों बीच से निकल कर सरहद की तरफ बढ़ती चली जा रही थी। अटारी स्टेशन पर पाकिस्तानी पुलिस उतर गई और हिन्दुस्तानी पुलिस रेल में चढ़ गई। लेखिका कहती है कि सफिया को यह सब देखकर कुछ समझ नहीं आता है कि कहाँ पर पाकिस्तान के लाहौर की सीमा खत्म हुई और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया।

जबकि देखने पर एक ही जमीन है, एक ही बोली, एक-सी सूरतें और कपड़े, एक जैसी ही बोलचाल व लहजा है। आपस में गालियाँ भी एक जैसी ही देते हैं, फर्क तो बस वही दिखता है कि दोनों तरफ की पुलिसों के हाथों में भरी हुई बंदूकें रहती हैं। लेखिका बड़े ही उदास मन से भारत-पाकिस्तान की समानता व उनके दुश्मनी रवैये को प्रस्तुत करती है।

विशेष :

1. लेखिका ने भारत-पाक विभाजन से उत्पन्न दर्द व बेबसी को प्रस्तुत किया है।

2. भाषा हिन्दी-उर्दू शब्दों की बहुलता से पूर्ण है। किन्तु साथ ही मजहबी एकता को प्रकट करती है।

6. उन्होंने चाय की प्याली सफ़िया की तरफ़ खिसकाई और खुद एक बड़ा-सा घूट भरकर बोले,"वैसे तो डाभ कलकत्ता में भी होता है जैसे नमक यहाँ भी होता है, पर हमारे यहाँ के डाभ की क्या बात है! हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है!" जब सफिया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तब पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास वे सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। सफिया सोचती जा रही थी। किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ!

काठन-शब्दार्थ :

डाभ = कच्चा नारियल, जिसमें पानी भरा रहता है, नारियल पानी।

प्रसंग - प्रस्तुत अवतरण लेखिका रजिया सज्जाद जहीर द्वारा लिखित 'नमक' पाठ से लिया गया है। लेखिका भारत आने के दौरान सफिया की कस्टम अफसर से मिलने की घटना का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - सफिया ने कस्टम अफसर को जैसे ही बताया कि स्नेह व प्रेम के कारण वह किसी के लिए उपहारस्वरूप लाहौर से नमक लेकर जा रही है तो उस अफसर ने बुलाकर उन्हें चाय पिलाई और स्वयं के विषय में बताया। कस्टम अफसर दास ने लेखिका को कमरे में बिठाया तथा चाय की प्याली पकडाते हए तथा स्वयं चाय पीते हए कहा कि वैसे तो डाभ (नारियल) कलकत्ता में भी होता है जैसे नमक यहाँ (अमृतसर) होता है, पर हमारे यहाँ (ढाका) के डाभ की बात कुछ अलग है अर्थात् उसका स्वाद अनूठा है।

हमारी जमीन, हमारा पानी और वहाँ का आनन्द ही सबसे अलग होता था। यह कहते हुए नमक की पुड़िया को सफिया के बैग में रख देता है। जब सफिया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तब पुल की सबसे निचली सीढ़ी पर सिर झुकाए वह अफसर खड़े थे। ऐसे समय में सफिया सोचती है कि किसका वतन कहाँ है? वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ? लेखिका ने उन विस्थापितों का दर्द इस वाक्य से प्रस्तुत कर दिया कि सभी अपनी जगह से उखड़े हुए हैं तथा अपनी डयूटी निभाते हुए आज भी दिल में अपने वतन की यादों को संजोये हुए हैं।

विशेष :

1. लेखिका ने भावपूर्ण वर्णन किया है। सीमाएँ जमीन बाँट सकती हैं, लेकिन दिलों में व्याप्त प्रेम को नहीं बाँट सकती हैं।

2. भाषा सरल व भावपूर्ण है।

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