झारखण्ड अधिविद्य परिषद्
ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION - 2023
GEOGRAPHY (Optional) पूर्णांक : 70
कुल समय : 3 घंटे 20 मिनट पूर्णांक : 80
इस
प्रश्न पुस्तिका में दो भाग हैं – भाग- A तथा भाग -B.
भाग
- A में 35 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके उत्तर अलग से दिये गये OMR उत्तर पत्रक
पर चिह्नित करें | भाग - A के उत्तर पहले 2.00 अपराह्न से 3.35 अपराह्न तक हल करेंगे
एवं इसके उपरान्त OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को 3.35 अपराह्न पर लौटा देंगे ।
भाग-
B में 35 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं जिनके उत्तर अलग से दिये गये उत्तर पुस्तिका
पर हल करें। भाग-B के उत्तर के लिए समय 3.40 अपराह्न से 5.20 अपराह्न तक निर्धारित
है । परीक्षार्थी परीक्षा के उपरान्त प्रश्न पुस्तिका को ले जा सकते हैं ।
भाग- A
(बहुविकल्पीय आधारित प्रश्न )
वर्ग-12 |
विषय- भूगोल |
पूर्णांक-35 |
समय-1 घंटा 30 मिनट |
निर्देश
:
1.
सावधानी पूर्वक सभी विवरण OMR उत्तर पत्रक
पर भरें ।
2.
आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक पर दी गई जगह पर करें ।
3.
इस भाग में कुल 35 बहु-विकल्पीय प्रश्न हैं ।
4.
सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता
1 अंक निर्धारित है।
5.
गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं काटा जायेगा।
6.
OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके
अनुसार कार्य करें।
7.
प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिये गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त
उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें।
केवल नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है।
8.
OMR उत्तर पत्रक पर दिये गये निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन कीजिए अन्यथा आपका OMR
उत्तर पत्रक अमान्य होगा और उसका मूल्यांकन नहीं किया जायेगा ।
1. ग्रिफिथ टेलर द्वारा कौन-सी विचारधारा दी गई थी ?
(1)
नियतिवाद
(2)
संम्भववाद
(3) नव- नियतिवाद
(4)
इनमें से कोई नहीं
2. विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला महादेश है
(1)
ऑस्ट्रेलिया
(2)
उत्तरी अमेरिका
(3) एशिया
(4)
अफ्रीका
3. मानव विकास सूचकांक का मापक निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(1)
स्वास्थ्य
(2)
शिक्षा
(3)
संसाधनों तक पहुँच
(4) इनमें से सभी
4. निम्नलिखित में से किस प्रकार की कृषि में खट्टे रसदार फलों की कृषि
की जाती हैं ?
(1)
बाजारीय सब्जी कृषि
(2)
रोपण कृषि
(3) भूमध्यसागरीय कृषि
(4)
सहकारी कृषि
5. निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के
लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है ?
(1)
कुटीर उद्योग
(2)
छोटे पैमाने के उद्योग
(3) आधारभूत उद्योग
(4)
स्वच्छन्द उद्योग
6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तृतीयक क्रियाकलाप है ?
(1)
खेती
(2) व्यापार
(3)
बुनाई
(4)
आखेट
7. किस देश में रेलमार्गों के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है ?
(1)
ब्राजील
(2) संयुक्त राज्य अमेरिका
(3)
कनाडा
(4)
रूस
8. विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है ?
(1) जिनेवा में
(2)
वियना में
(3)
न्यूयार्क में
(4)
वाशिंगटन में
9. निम्नलिखित आर्थिक क्रियाओं में कौन-सा ग्रामीण अधिवासों से सम्बन्धित
हैं ?
(1) प्राथमिक क्रियाएँ
(2)
द्वितीयक क्रियाएँ
(
3 ) तृतीयक क्रियाएँ
(4)
इनमें से कोई नहीं
10. निम्नलिखित में कौन-सा धार्मिक नगर है ?
(1)
जमशेदपुर
(2) वाराणसी
(3)
भिलाई
(4)
राउरकेला
11. भारत में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य कौन-सा है ?
(1)
बिहार
(2)
पश्चिम बंगाल
(3) उत्तर प्रदेश
(4)
महाराष्ट्र
12. भारत में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत है
(1) 31%
(2)
41%
(3)
51%
(4)
61%
13. प्रवास के ये कारण जो विभिन्न स्थानों से लोगों को आकर्षित करते
हैं, है
(1)
आप्रवास
(2)
उत्प्रवास
(3) अपकर्ष कारक
(4)
प्रतिकर्ष कारक
14. वर्ष 2011 में भारत में किस राज्य में स्त्री साक्षरता उच्चतम रही
थी ?
(1)
तमिलनाडु
(2)
बिहार
(3) केरल
(4)
हिमाचल प्रदेश
15. भारत का सबसे बड़ा नगर
(1)
कोलकाता
(2)
दिल्ली
(3) मुम्बई
(4)
चेन्नई
16. भारत में हरित क्रांति की शुरूआत हुई
(1)
1950 के दशक में
(2) 1960 के दशक में
(3)
1970 के दशक में
(4)
1980 के दशक में
17. निम्नलिखित में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है ?
(1)
रबड़
(2)
चाय
(3)
कॉफी
(4) मक्का
18. भारत की दो अत्यधिक प्रदूषित नदियाँ हैं।
(1)
नर्मदा व ताप्ती
(2)
महानदी व गोदावरी
(3) गंगा व यमुना
(4)
कृष्णा व कावेरी
19. हल्दिया तेल शोधन कारखाना अवस्थित है
(1)
ओडिशा में
(2) पश्चिम बंगाल में
(3)
झारखण्ड में
(4)
बिहार में
20. झरिया क्षेत्र किसके लिए प्रसिद्ध है ?
(1) कोयला
(2)
ताँबा
(3)
बॉक्साइट
(4)
अभ्रक
21. बोकारो इस्पात केन्द्र है
(1)
निजी क्षेत्र
(2) सार्वजनिक क्षेत्र
(3)
संयुक्त क्षेत्र
(4)
इनमें से कोई नहीं
22. निम्नलिखित में से किस शहर को 'भारत का मैनचेस्टर' कहा जाता है
?
(1)
चेन्नई
(2) अहमदाबाद
(3)
पंजाब
(4)
महाराष्ट्र
23. भारत का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग है
(1)
NH-19
(2) NH-44
(3)
NH-22
(4)
NH-26
24. उत्तर-दक्षिण गलियारा जोड़ता है।
(1)
जम्मू को चेन्नई से
(2)
वाराणसी को चेन्नई से
(3) श्रीनगर को कन्याकुमारी से
(4)
वाराणसी को कन्याकुमारी से
25. भारत की प्रथम रेलवे लाइन किन नगरों के मध्य निर्मित की गई थी
?
(1)
मुम्बई - गोवा
(2)
मुम्बई - पुणे
( 3 ) मुम्बई - थाणे
(4)
मुम्बई - अहमदाबाद
26. कोलकाता बंदरगाह स्थित है
(1)
केरल में
(2) पश्चिम बंगाल में
(3)
ओडिशा में
(4)
मुम्बई में
27. 'धारावी बस्ती' कहाँ अवस्थित है ?
(1) मुम्बई में
(2)
कोलकाता में
(3)
दिल्ली में
(4)
चेन्नई में
28. निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है ?
(1)
जल प्रदूषण
(2)
भूमि प्रदूषण
(3)
ध्वनि प्रदूषण
(4) वायु प्रदूषण
29. 'ज्योग्राफिया जेनरलिस' किसने लिखी ?
(1)
विडाल डी ला ब्लाश
(2) बर्नहार्डस वेरेनियस
(3)
फ्रांसिस बेकन
(4)
चार्ल्स डार्विन
30. निम्नलिखित में से जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक कौन
से हैं ?
(1)
जलवायु
(2)
मृदा
(3)
जल की उपल्बधता
(4) इनमें से सभी
31. विश्व में निम्नलिखित में से किस देश का न्यूनतम लिंग अनुपात हैं
?
(1)
इरान
(2)
पाकिस्तान
(3) सऊदी अरब
(4)
इराक
32. पर्वतीय प्रदेशों में किस प्रतिरूप के अधिवास पाये जाते हैं ?
(1)
आयताकार
(2) सीढ़ीनुमा
(3)
पंखानुमा
(4)
तारानुमा
33. बुशमैन प्रजाति समूह कहाँ पाए जाते हैं ?
(1)
अमेरिका
(2) अफ्रीका
(3)
यूरोप
(4)
एशिया
34. दामोदर घाटी परियोजना (DVC) स्थित है
(1)
महाराष्ट्र में
(2) झारखण्ड में
(3)
ओडिशा में
(4)
उत्तराखण्ड में
35. बिटुमिनस किस खनिज का प्रकार है ?
(1)
लोहा
(2)
अभ्रक
(3) कोयला
(4)
बाॅक्साइट
भाग -B
(विषयनिष्ठ आधारित प्रश्न )
वर्ग - 12 |
विषय- भूगोल |
पूर्णांक -35 |
समय - 1 घंटा 30 मिनट |
निर्देश
:
1.
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।
2.
इस प्रश्नपत्र में तीन खण्ड - A, B एवं C हैं । कुल प्रश्नों की संख्या 19 है ।
3.
खण्ड - A में प्रश्न संख्या 1-7 अति लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर
दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 30 शब्दों में दीजिए
। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक निर्धारित है ।
4.
खण्ड-B – प्रश्न संख्या 8 - 14 लघु उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के
उत्तर दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न
की अधिमानता 3 अंक निर्धारित है ।
5.
खण्ड - C - प्रश्न संख्या 15-19 दीर्घ उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों
के उत्तर दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए । प्रत्येक
प्रश्न की अधिमानता 5 अंक निर्धारित है ।
खण्ड - A
( अति लघु उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं पाँच
प्रश्नों के उत्तर दें। 1 x 5 = 5
1. "प्रवास" को परिभाषित करें ।
उत्तर
: किसी एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का एक स्थान से दूसरे स्थान में जाकर बसने
की प्रक्रिया को प्रवास कहते हैं। इसके पीछे सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनैतिक या अन्य
कारण उत्तरदायी हो सकते हैं।
2. 'कर्तन और दहन' कृषि को परिभाषित करें ।
उत्तर
: आदिकालीन जीविका निर्वाह कृषि को ही कर्तन दहन खेती कहते हैं। इस कृषि में सबसे पहले
जमीन के झाड़ियों एवं पेड़ों को काटा जाता और फिर उसे जला दिया जाता है। वनस्पति को
जलाने से राख बनती है, उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है। उसके बाद फसल उगाई जाती है।
3. द्वितीयक क्रियाकलाप से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
: ऐसे क्रियाकलाप जो कच्चे माल या पदार्थ को परिवर्तन या संशोधन कर उसके मूल्य में
बढ़ोतरी कर देते हैं, द्वितीयक क्रियाकलाप कहलाते हैं। जैसे- कपास से सूती वस्त्र का
निर्माण करना।
4. पर्यटन क्या है ?
उत्तर
: पर्यटन एक प्रकार की यात्रा है, जो मनोरंजन या फुरसत के पलो का आनंद उठाने के उद्देश्यों
से की जाती है। छुट्टियों के दौरान भ्रमण, व्यापार या व्यावसायिक दौरा करना पर्यटन
का ही एक हिस्सा होता है।
5. परिवहन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर
: वस्तुओं तथा यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की प्रक्रिया को परिवहन
कहते हैं। परिवहन के लिए मनुष्य, पशुओं तथा विभिन्न प्रकार के वाहनों का प्रयोग किया
जाता है। आधुनिक युग में परिवहन किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास को सुदृढ़ आधार प्रदान
करते हैं।
6. ग्रामीण बस्तियाँ क्या हैं ?
उत्तर
: ग्रामीण बस्तियाँ, जिनकी अधिकांश आबादी कृषि, पशुपालन, मछली पकड़ने, खनन आदि जैसे
प्राथमिक गतिविधियों में शामिल होती है। ग्रामीण बस्तियाँ में जनसंख्या का आकार, जनसंख्या
घनत्व एवं भौगोलिक क्षेत्र अपेक्षाकृत छोटा होता है।
7. कोई भी एक लौह - खनिज का नाम लिखें।
उत्तर
: वैसे धात्विक खनिज जिनमें लोहा होता है, लौह खनिज कहलाते हैं। उदाहरण: लौह अयस्क
।
खण्ड - B
(लघु उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दें। 3 x 5 = 15
8. कुटीर उद्योग के किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख करें ।
उत्तर
: वैसे उद्योग जिनमें उत्पाद एवं सेवाओं का सृजन अपने घर में ही किया जाता है, न कि
किसी कारखाने में कुटीर उद्योग कहलाता है।
कुटीर
उद्योगों की तीन विशेषताएँ निम्न हैं:-
•
कुटीर उद्योगों की स्थापना में न्यूनतम पूंजी निवेश होता है, एवं कम कीमत की मशीनों
व उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
•
वस्तुओं के निर्माण में प्रायः पूरा परिवार का सहयोग होता है।
•
कुटीर उद्योगों में प्रायः स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है तथा वस्तु के उत्पादन
में स्थानीय तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
9. सड़क परिवहन के तीन लाभ लिखिए ।
उत्तर
: वैसा परिवहन जो लोगों एवं माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए सड़क
का उपयोग करता है, सड़क परिवहन कहलाता है।
सड़क
परिवहन के तीन लाभ निम्नलिखित हैं :-
•
सड़कों के लिए रेलवे की अपेक्षा पूँजी निवेश की आवश्यकता कम होती है। अर्थात रेल परिवहन
से ये सस्ते होते हैं।
•
इनका निर्माण बहुत ऊँचे स्थानों या दुर्गम क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
•
सड़क परिवहन में देखभाल की लागत कम होती है एवं यह सुविधाजनक तथा साधारण व्यक्ति की
पहुँच के अन्दर होता है।
10. गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर
:
>
सौर ऊर्जा : यह नवीकरणीय ऊर्जा का एक आवश्यक स्रोत है। वास्तव में
यह सूर्य से ऊर्जा प्राप्त होने वाली ऊर्जा है। यह प्रकाश की किरणों तथा धूप के रूप
में अर्जित की जाती हैं। यह पर्यावरण का सबसे अनुकूल ऊर्जा स्रोत हैं।
>
पवन ऊर्जा : पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। यह स्वच्छ एवं सुरक्षित
होता है। पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में अधिकांश दिनों में तीव्र गति से हवाएँ चलती हैं,
वहां पवन चक्कियों को लगाकर पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
>
बायोगैस : यह मानव एवं पशुओं के मल, घरेलू कार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों,
खरपतवारों, जंगल के कच्चे माल, लकड़ी उद्योग के गौण उत्पादन आदि से प्राप्त किया जाता
है।
>
बायोडीजल बायोडीजल पारंपरिक या जीवाश्म डीजल के स्थान पर एक वैकल्पिक
ईंधन है। शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बायोडीजल का प्रयोग बढ़ाना
बहुत जरूरी है। बायोडीजल सीधे वनस्पति तेल, पशुओं के वसा आदि से उत्पादित किया जा सकता
है।
>
ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा इस प्रकार की ऊर्जा ज्वारीय तरंगों तथा
महासागरीय धाराओं से उत्पन्न किया जाता है। इस ऊर्जा का उत्पादन प्रायः ज्वारनदमुख
अथवा सक्रिय सागरीय कार्यों पर किया जाता है। जहां जल को टरबाइन पर तीव्र गति से डालकर
विद्युत उत्पन्न की जाती है।
>
भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के आंतरिक भागों में मैग्मा या रेडियोधर्मी
तत्वों के विखंडन से जब वहां का तापक्रम अधिक बढ़ जाता है तो वह सत्तह के ठीक नीचे स्थित
चट्टानें भी गर्म हो जाती है। इन चट्टानों द्वारा जो ऊर्जा निकलता है उसे भूतापीय ऊर्जा
कहा जाता है।
>
जैव ऊर्जा : जैव पदार्थों जैसे कृषि अवशेष, नगरपालिका औद्योगिक व अन्य
अपशिष्ट से प्राप्त उर्जा को जैव ऊर्जा कहा जाता है। इन जैविक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा,
ताप ऊर्जा तथा खाना पकाने वाली गैसों के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
11. वर्षा जल संरक्षण की किन्हीं तीन विधियाँ बताइए
।
उत्तर
: वर्षा के बाद जल का उत्पादक कामों में इस्तेमाल के लिए इकट्ठा करने को वर्षा जल संग्रहण
कहा जाता है।
वर्षा
जल संरक्षण की तीन विधियां निम्नलिखित हैं-
>
टांका: यह वास्तव में वर्षा जल को संग्रहण करने के लिए एक ढकी
हुई भूमिगत टंकी होती है, जिसका निर्माण घर में या घर के पास वर्षा जल को एकत्रित करने
के उद्देश्य से किया जाता है।
>
तालाब एवं झील ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत रूप से वर्षा
जल संग्रहण के लिए धरातलीय संरचनाएं जैसे तालाब एवं झील का उपयोग किया जाता है, इसके
अतिरिक्त कुआं एवं चेक डैम तथा सर्विस कूपों को निर्मित कर वर्षा जल संग्रहण किया जाता
है।
>
रिचार्ज पिट एवं रिचार्ज ट्रेंच द्वारा वर्षा जल का संग्रहण
: रिचार्ज पिट का निर्माण जलोढ़ मिट्टी वाले क्षेत्रों में उपयोगी होता है। इस विधि
में घर से 8 से 10 मीटर की दूरी पर धरातल के समीप से 2 मीटर चौड़ा तथा 2 से 3 मीटर
गहरा गड्डा या 1 रिचार्ज पिट बना दिया जाता है और घर की छत से पाइप का संपर्क रिचार्ज
पिट से कर दिया जाता है।
12. भारत में हरित क्रान्ति की तीन मुख्य उपलब्धियों का वर्णन कीजिए
।
उत्तर
: 1960 के दशक में खाद्यात्र के उत्पादन में वृद्धि के लिए जो क्रांति हुई, उसे हरित
क्रांति के नाम से जानते हैं।
इसकी
तीन प्रमुख उपलब्धियां निम्न है:-
1.
उन्नत किस्म के बीज: भारत में 1960 के दशक में खाद्यान फसलों के
उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अधिक उत्पादन देने वाली नई किस्मों के बीज किसानों
को उपलब्ध कराये गये। किसानों को अन्य कृषि निवेश भी उपलब्ध कराये गए, जिसे पैकेज प्रौद्योगिकी
के नाम से जाना जाता है। जिसके फलस्वरूप पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश,
गुजरात राज्यों में खाद्यात्रों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
2.
सिंचाई की सुविधा हरित क्रांति की महत्वपूर्ण उपलब्धि के अंतर्गत
सिंचाई की व्यवस्था बड़े बांधों के अतिरिक्त छोटे नहरों तथा तालाबों से भी की गई। इस
कार्यक्रम के अंतर्गत नलकूप, छोटी नहरे तथा तालाब आदि बनाने का कार्य किया गया। लोगों
को भी सिंचाई के साधनों के निर्माण में सहायता दी गई। प्रथम योजना काल से लेकर वर्ष
1993-1994 तक 3000 लाख हेक्टेयर भूमि को लघु सिंचाई योजनाओं से जल प्राप्त हुआ। वर्तमान
में भारत की कुल क्षमता 140 मिलियन हेक्टेयर है।
3.
आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी का विकास भारत में फसल उत्पादन की मात्रा
में वृधि करने के लिए रासायनिक उर्वरकों एवं उन्नत प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पड़ी.
जिसके कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी का तीव्रता से प्रसार
हुआ। कीटों के द्वारा अत्यधिक मात्रा में फसल बर्बाद हो जाते थे। पिछले 40 वर्षों में
रासायनिक उर्वरकों की खपत में 15 गुना वृद्धि हुए क्योंकि उत्तम बीज की किस्मों में
कीट प्रतिरोधक क्षमता कम होती है अतः उस में कीटनाशक दवाओं का भी प्रयोग महत्त्वपूर्ण
हो गया।
13. गुच्छित बस्तियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर
: गुच्छित बस्तियाँ वे होती हैं, जिनमें मकान एक दूसरे के समीप बनाए जाते हैं। इस तरह
की बस्तियों का विकास नदी घाटियों के सहारे या उपजाऊ मैदानों में होता है। यहां रहने
वाला समुदाय आपस में मिलकर रहता है एवं उनके व्यवसाय भी समान होते हैं।
गुच्छित
बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
>
ये बस्तियाँ प्रायः खेतों के मध्य किसी ऊंचे और बाढ़ आदि से सुरक्षित स्थानों पर बसी
होती हैं।
>
इनमें सभी मकान एक-दूसरे के समीप बनाए जाते हैं।
>
गुच्छित बस्तियाँ एक स्थान पर संकेन्द्रित होती हैं।
>
इन बस्तियों में रहने वालों लोग सुख-दुःख में एक-दूसरे की सहायता करते हैं एवं कृषि
कार्यों में एक दूसरे की मदद करते हैं।
14. वाणिज्यिक पशुधन पालन की किन्हीं तीन विशेषताओं
का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर
:आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से किया जाने वाला व्यवस्थित एवं पूंजी प्रधान पशुपालन ही
वाणिज्यक पशुपालन कहलाता है। वाणिज्यिक पशुधन पालन की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित है-
1.
बड़े आकार का फार्म: वाणिज्य पशुधन पालन एक निश्चित स्थान पर विस्तृत
फार्म पर किया जाता है और उनके चारे की व्यवस्था स्थानीय रूप से की जाती है। वाणिज्य
पशुधन पालन अधिक व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान है।
2.
पशुपालन के वैज्ञानिक तरीके वाणिज्य पशुधन पालन में पशुओं की देखभाल
वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है। इसके अंतर्गत उन विशेष पशुओं को पाला जाता है, जिसके
लिए वह क्षेत्र अत्यधिक अनुकूल होता है। इसमें पशुओं के प्रजनन, जनांकिकी सुधार, बीमारियों
पर नियंत्रण तथा स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
3.
वाणिज्यिक पशुधन के क्षेत्र वाणिज्यिक पशुधन के : क्षेत्र मुख्यतः
नई दुनिया में प्रचलित है। विश्व में न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, अर्जेंटाइना, युरुग्वे,
संयुक्त राज्य अमेरिका में वाणिज्य पशुधन पालन किया जाता है।
खण्ड C
( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दें। 5 x 3 = 15
15. विश्व में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारकों
की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर
: किसी भी देश का वास्तविक धन, जन अर्थात लोग
होते हैं। यह देश का महत्वपूर्ण संसाधन है तथा देश के अन्य संसाधनों का विवेकपूर्ण
उपयोग कर राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करता है। 21 वीं शताब्दी में विश्व की
जनसंख्या 6 अरब से अधिक दर्ज की गई है। इस विशाल जनसंख्या का विश्व में असमान वितरण
पापा जाता है। असमान वितरण के संदर्भ में जार्ज बी. क्रेसी की टिप्पणी है। एशिया में
बहुत अधिक स्थान पर कम लोग और कम स्थान पर बहुत अधिक लोग रहते हैं।" मोटे तौर
पर विश्व की 90% जनसंख्या, केवल 10% स्थल भाग में निवास करते हैं। इस तथ्य से स्पष्ट
होता है कि विश्व में जनसंख्या का वितरण और घनत्व असमान है।
जनसंख्या
के असमान वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
(क)
जल की उपलब्धता- मानव के लिए जल जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण
संसाधन है। मानव के विभिन्न क्रियाओं में जल की आवश्यकता पड़ती है जैसे घरेलू उपयोग,
पेयजल, कृषि में सिंचाई, पशुओं तथा औद्योगिक कार्यों के लिए जल की आवश्यकता होती है।
शुष्क प्रदेशों एवं जल की कमी वाले क्षेत्रों में जनसंख्या विरल होती है अतः जिन क्षेत्रों
में जल आसानी से उपलब्ध होते हैं, उन क्षेत्रों में लोगों का घना बसाव पाया जाता है।
प्राचीन काल से ही नदी घाटियों में सघन बसाव मिलते हैं। गंगा नदी घाटी ब्रह्मपुत्र
नदी घाटी और सिंधु नदी घाटी में जनसंख्या के सघन बसाव पाए जाते हैं।
(ख)
भू-आकृति- हमारे पृथ्वी के धरातल पर पर्वत, पठार, मैदान पाए जाते
हैं। विश्व की जनसंख्या का 1 / 10 भाग ही उच्च पर्वतीय एवं पठारी भागों में निवास करता
है । पर्वत एवं पठारी क्षेत्रों में मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा कृषि कार्यों, परिवहन
आदि में दिक्कते होती हैं अतः इन क्षेत्रों में एकाकी बस्तियां दिखाई पड़ती है। हिमालय,
आल्प्स, रॉकीज, एंडीज पर्वत तथा मध्य एशिया के पहाड़ी भाग जनशून्य है। विश्व के बहुत
ही थोड़े नगर पहाड़ी भागों में बसे हैं। विश्व की 90% जनसंख्या एवं प्रायः सभी बड़े-बड़े
नगर औद्योगिक एवं व्यापारिक केंद्र जो वास्तव में घनी जनसंख्या के जमाव मैदानी क्षेत्रों
में स्थित हैं। मैदानी क्षेत्रों में कृषि उत्पादन, सड़क निर्माण, बस्तियों के निर्माण
कार्य सहज होते हैं, फलस्वरूप मैदानी क्षेत्रों में घने बसाव पाये जाते हैं। गंगा का
मैदान, राइन और सेंट लॉरेंस के मैदान मानव आवास से परिपूर्ण है।
(ग
) जलवायु- जनसंख्या के वितरण पर जलवायु का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता
है। मनुष्य उन्हीं भागों में रहना पसंद करते हैं, जहां की जलवायु उनके स्वास्थ्य तथा
कृषि एवं उद्योग के लिए अनुकूल होते हैं। यही कारण है कि सबसे पहले मानव मध्य अक्षांशीय
क्षेत्रों अर्थात 20 डिग्री से 40 डिग्री अक्षांशों के बीच में बसा । विषम जलवायु अर्थात
अत्यधिक ठंड एवं अत्यधिक गर्म दोनों ही क्षेत्रों में निवास करना अत्यंत कठिन है ऐसे
क्षेत्रों में कृषि एवं वानिकी भी बहुत मुश्किल होती है, फलस्वरूप ध्रुवीय क्षेत्रों
एवं विषुवत रेखीय प्रदेशों में जनसंख्या का बसाव निम्न है। समकारी जलवायु क्षेत्रों
में अर्थात मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में घना बसाव पाया जाता है।
(घ)
मृदा / मिट्टी:- उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्रों में व्यक्ति
सघन कृषि एवं विकसित पशुपालन करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं। कृषि के द्वारा परिश्रम
से सफलतापूर्वक जीवन निर्वाह हो सकता है। उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्रों में फसल की अधिक
उत्पादकता लोगों को आकर्षित करती है। किसान कृषि कार्य के लिए उपजाऊ, समतल मैदानी क्षेत्रों
का चुनाव करते हैं, अतः ऐसे क्षेत्र सघन बसे होते हैं। विश्व के नदी घाटी क्षेत्र में
घने बसाव पाए जाते हैं। जैसे- भारत में गंगा का मैदान।
उपयुक्त
भौगोलिक दशाएँ विश्व में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती हैं।
16. ग्रामीण अधिवास के किन्हीं पाँच प्रतिरूपों की
विवेचना कीजिए ।
उत्तर
: वैसे अधिवास जहां के लोग प्राथमिक आर्थिक क्रियाकलापों में अत्यधिक संलग्न होते हैं
ग्रामीण अधिवास कहलाता है।
ग्रामीण
अधिवास अथवा बस्तियों को उनकी आकृति के आधार पर निम्नलिखित प्रतिरूपों में विभक्त किया
जाता है:-
(क)
रैखिक प्रतिरूप : ऐसी बस्तियों का विकास सड़को, नदियों, नहरों,
रेल लाइनों के किनारे अथवा तटबंधों के साथ-साथ होता है। इस प्रकार के ग्राम भारत में
उड़ीसा व आंध्र प्रदेश के तटीय भागों में गुजरात के कक्ष सौराष्ट्र सूरत जिलों में
तथा दक्षिणी राजस्थान और तमिलनाडु में मिलते हैं । उत्तराखंड के देहरादून जिले में
नहरों के किनारे इस प्रतिरूप में गांव बसे हैं, इन्हें फीता या डोरी प्रतिरूप भी कहते
हैं।
(ख
) आयताकार प्रतिरूप : ऐसी बस्तियों का विकास ऐसे स्थानों पर होता
है, जहां सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती है। इस प्रकार के गांव सामान्यता मरुस्थलीय
क्षेत्रों में तथा मैदानी भागों में पाए जाते हैं। तालाब या किसी अन्य जल स्रोत के
सहारे चौकोर गांव बसे होते हैं, इनकी गलियां एक दूसरे को समकोण पर काटती है।
(ग)
तारक प्रतिरूप : कभी-कभी कई सड़क मार्ग विभिन्न दिशाओं से
आकर एक बिंदु पर मिलते हैं, ऐसे स्थानों पर बसे गांव सभी दिशाओं से आने वाली सड़कों
के किनारे बने होते हैं, वहां तारे के आकार की बस्तियां विकसित हो जाती है।
(घ)
वृत्ताकार प्रतिरूप ऐसी बस्तियां मुख्य रूप से किसी : तालाब या
झील के चारों और विकसित हो जाते हैं। इसके दो उपविभाग होते हैं :-
>
नाभिक जिसका केंद्र बसा होता है और इसके चारों ओर कागांव खुला होता है, जैसे मुखिया
का घर या कोई धार्मिक स्थान नाभिक के समान होता है।
>
निहारिकीय इसका केंद्र खाली होता है और उसके चारों और गांव बसा होता है।
(ड.) टी-आकृति प्रतिरूप: ऐसी बस्तियां वहां विकसित होती है, जहां कोई सड़क मुख्य सड़क से आकर मिलती है और वहीं समाप्त हो जाती है। ऐसे स्थानों पर सड़कों के किनारे बने मकानों से टी आकृति की बस्ती विकसित हो जाती है।
17. किसी उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या
कीजिए ।
उत्तर
: किसी उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक हैं:-
>
कच्चे माल की निकटता- निर्माण उद्योग की सबसे पहली आवश्यकता कच्चे
माल की उपलब्धता होती है, जिसे परिष्कृत एवं संश्लेषित कर विनिर्मित किया जाता है।
विनिर्माण की प्रक्रिया द्वारा वस्तुएं अधिक मूल्यवान हो जाती हैं। अतः जहां पर कच्चे
माल की निकटता होगी विनिर्माण उद्योगों का स्थानीयकरण भी वहीं पर होगा।
>
पूंजी की सुलभता- किसी भी उद्योग को चलाने के लिए पर्याप्त पूंजी
की आवश्यकता होती है अतः पूंजी की सुलभता विनिर्माण उद्योगों के स्थानीयकरण में महत्वपूर्ण
स्थान रखती है।
>
शक्ति के साधनों की निकटता- वर्तमान समय में समस्त निर्माण उद्योग
किसी न किसी शक्ति के साधन पर निर्भर रहते हैं। जैसे कोयला खनिज तेल, प्राकृतिक गैस,
जल विद्युत आदि शक्ति के साधन है क्योंकि ऊर्जा के बिना किसी भी उद्योग को संचालित
नहीं किया जा सकता है। अतः शक्ति के साधनों की निकटता आवश्यक है।
>
परिवहन के साधनों की उपलब्धता- कच्चे माल को फैक्ट्री तक
लाने के लिए और निर्मित माल को बाजार तक पहुंचाने के लिए सस्ते और तीव्र परिवहन औद्योगिक
विकास के लिए आवश्यक है। अतः वर्तमान समय में उद्योगों के स्थानीयकरण में परिवहन के
साधनों की उपलब्धता अनिवार्य है। जैसे औद्योगिक क्षेत्रों का रेल, सड़क, हवाई - मार्ग
से जुड़ा होना आवश्यक है।
>
बाजार की निकटता- बाजार से निकटता वाले औद्योगिक क्षेत्रों में
उत्पादित वस्तुओं की खपत अधिक होती है, क्योंकि वैसे क्षेत्रों में अधिक संख्या में
उपभोक्ता आसानी से उपलब्ध होते हैं। अतः निर्मित वस्तुओं के खपत हेतु बाजार की निकटता
होनी आवश्यक है।
>
अनुकूल जलवायु- किसी भी उद्योग की स्थापना के लिए अनुकूल जलवायु
का होना एक महत्वपूर्ण कारक है। अतः उद्योग ऐसे स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं, जहां
की जलवायु अनुकूल हो। किसी उद्योग को विशेष जलवायु की आवश्यकता होती है। जैसे सूती
वस्त्र उद्योग के लिए आर्द जलवायु क्योंकि इस जलवायु में धागा महीन तथा कम टूटता है।
अतः सूती वस्त्र उद्योग को आर्द जलवायु में ही स्थापित किया जाता है।
>
कुशल और सस्ते श्रमिक- कुशल एवं सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता वाले
क्षेत्र उद्योगों की अवस्थिति के लिए अनुकूल होते हैं। जैसे-
अलीगढ़
में ताला निर्माण उद्योग एवं महाराष्ट्र में सूती वस्त्र उद्योग का विकास।
>
सरकारी संरक्षण- देश में उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए
संरक्षण प्रदान किया जाता है। सरकार की ओर से अधिक प्रोत्साहन दिए जाते हैं, जिससे
अनेक उद्योगों के स्थानीयकरण में सहायता मिलती है। जैसे-
भारत
में चीनी उद्योग, लोहा इस्पात और सूती कपड़ों के विकास के लिए तत्कालीन सरकार ने सरक्षण
की नीति अपनाई थी।
18. भारतीय कृषि की समस्याओं की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर
: भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के अधिकांश जनसंख्या कृषि कार्यों पर ही निर्भर
करती है। कृषि पारिस्थितिकी और विभिन्न प्रदेशों की ऐतिहासिक अनुभवों के अनुसार भारतीय
कृषि की समस्याएं भी विभिन्न प्रकार की हैं।
भारतीय
कृषि की समस्याएं मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार की है-
>
अनियमित मानसून पर निर्भरता - भारत में कृषि क्षेत्र का
केवल एक तिहाई भाग ही सिंचित है, शेष कृषि क्षेत्र मानसून पर निर्भर है। भारत में दक्षिण
पश्चिम मॉनसून की अनिश्चितता और अनियमितता से कृषि के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता
है। भारत का उत्तर पूर्वी भाग और पश्चिमी घाट अधिक मानसून प्राप्त करता है अर्थात अधिक
वर्षा वाला क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्यधिक वर्षा से बाढ भी आ जाते हैं
तथा फसल डूब कर बर्बाद हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर राजस्थान जैसे उत्तर पश्चिमी क्षेत्र
में वर्षा काफी कम प्राप्त होती है, यहां फसल को पर्याप्त जल ना मिलने से फसल नष्ट
हो जाते हैं। इस तरह अनिश्चित और अनियमित वर्षा की आपूर्ति होने से कृषि में काफी अधिक
समस्या होती है, इससे फसल उत्पादन बेहतर नहीं हो पाता है।
>
फसलों की निम्न उत्पादकता- अंतरराष्ट्रीय स्तर की अपेक्षा भारत में
फसलों की उत्पादकता कम है। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस तथा जापान जैसे विकसित राष्ट्रों
की तुलना में भारत में उत्पादित की जाने वाली अधिकांश कृषि फसलों का उत्पादन प्रति
हेक्टेयर कम है। इसका प्रमुख कारण देश के शुष्क तथा अन्य क्षेत्रों में वर्षा पर निर्भर
रहने वाली कृषि फसल है। देश के विस्तृत शुष्क क्षेत्रों में अधिकतर मोटे अनाज, दाले
तथा तिलहन की खेती की जाती है तथा यहां इनकी उत्पादकता बहुत कम है।
>
वित्तीय संसाधनों की बाध्यता तथा ऋणग्रस्तता- आधुनिक कृषि कार्य
में लागत अधिक आती है, जिससे सीमांत और छोटे किसानों को कृषि कार्य में कठिनाइयां का
सामना करना पड़ता है। भारत में सीमांत और छोटे कृषक पूंजी की कमी के कारण कृषि कार्यों
में उन्नत तकनीकी तथा वैज्ञानिक पद्धति पर पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते हैं । कभी-कभी
विविध वित्तीय संस्थाओं तथा महाजनों से ऋण लेकर वे कृषि कार्य करते हैं, परंतु पर्याप्त
लाभ नहीं होने के कारण वे ऋण ग्रस्त हो जाते हैं।
>
भूमि सुधार व्यवस्था का अभाव- भूमि के असमान वितरण के कारण भारतीय किसान
लंबे समय से शोषित रहे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भूमि सुधार को प्राथमिकता
दी गई, लेकिन कुछ कारणों से यह सुधार पूर्णतः फलीभूत नहीं हो पाए। अधिकतर राज्य सरकारों
के द्वारा राजनीतिक रूप से शक्तिशाली जमींदारों के खिलाफ कठोर निर्णय नहीं लिया गया।
भूमि सुधार नियम के लागू ना होने के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य भूमि का असमान वितरण
आज भी जारी है, जिससे कृषि कार्य के विकास में बाधा आती है।
>
छोटे-खेत तथा विखंडित जोत- बढ़ती जनसंख्या के कारण भू जोतों का औसत
आकार और भी सिकुड़ रहा है। इसके अतिरिक्त भारत में अधिकतर भू-जोत छोटे और बिखरे हुए
हैं। कई राज्यों में एक बार भी चकबंदी नहीं हुई है, वहां पुनः चकबंदी की आवश्यकता है
क्योंकि अगली पीढ़ी में भूमि बंटवारे की प्रक्रिया से भूजोतों का दुबारा विखंडन हो
गया है। विखंडित तथा छोटे भु-जोत आर्थिक दृष्टि से हानिकारक है।
>
वाणिज्यीकरण का अभाव- भारत में अधिकतर किसानों के पास कृषि भूमि
कम है। वे अपने जरूरत एवं स्वयं उपभोग की फसल उगाते हैं। कृषक अपने परिवार के भरण पोषण
के लिए खाद्यान्नों के उत्पादन पर प्राथमिकता देते हैं। इन किसानों के पास अपनी जरूरत
से अधिक उत्पादन के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते हैं। वर्तमान में देश के कुछ सिंचित
भागों में कृषि का आधुनिकीकरण होने से वाणिज्यीकरण भी हो रही है।
>
कृषि भूमि का निम्नीकरण- वर्तमान समय में भू-संसाधनों का निम्नीकरण
एक गंभीर समस्या है, जो सिंचाई और कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों के कारण उत्पन्न
हुई हैं। भारत के सिंचित क्षेत्रों में कृषि भूमि का एक बड़ा भाग जलाक्रांतता, लवणता
तथा मृदा क्षारपीता के कारण बंजर हो गई है। कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से मिट्टी में
जहरीले तत्वों का जमाव हो गया है। भूमि की उर्वरता प्राप्त करने की जो प्राकृतिक पद्धति,
परती भूमि व्यवस्था थी, वह बहुफसलीकरण में बढ़ौतरी के कारण प्रभावित हुई है। उष्णकटिबंधीय
तथा अर्ध शुष्क कृषि क्षेत्र में मानवीय क्रियाकलापों के कारण मृदा तथा वायु अपरदन
की समस्या बढ़ रही है, जिसके कारण भूमि निम्नीकरण की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा
है।
>
अल्प बेरोजगारी की समस्या- भारतीय कृषि मॉनसून आधारित होती है, असिंचित
क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अल्प रोजगारी पाई जाती है। वर्ष के कुछ महीने ही कृषक
कृषि कार्यों में संलग्न होते हैं। भारत के अधिकांश भागों में होने वाले कृषि कार्यक्रम
में गहन श्रम की आवश्यकता नहीं पड़ने के कारण, कृषि में कार्यरत किसान को वर्ष पर्यंत
कार्य करने के अवसर प्राप्त नहीं होते हैं, अतः उनमें अल्प बेरोजगार की समस्या होती
है।
19. प्रदत्त संसार के मानचित्र में निम्नलिखित को दिखाइए :
(a)
कनाडा
(b)
चीन
(c)
रूस
(d)
सऊदी अरब
(e) कोलकाता ।