पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) स्थानिक आँकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाई देते हैं
(क) अवस्थितिक
(ख)
रैखिक
(ग)
क्षेत्रीय
(घ)
उपर्युक्त सभी स्वरूपों में।
(ii) विश्लेषक मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के लिए कौन-सा एक प्रचालन आवश्यक है
(क) आँकड़ा संग्रहण
(ख)
आँकड़ा प्रदर्शन
(ग)
आँकड़ा निष्कर्षण
(घ)
बफरिंग।
(iii) चित्ररेखापुंज (रैस्टर) आँकड़ा फॉरमेट का एक अवगुण क्या है
(क) सरल आँकड़ा संरचना
(ख)
सहज एवं कुशल उपरिशायी
(ग)
सुदूर संवेदन प्रतिबिम्ब के लिए सक्षम
(घ)
कठिन परिपथ चाल विश्लेषण।
(iv) सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फॉरमेट का एक गुण क्या है
(क)
समिश्र आँकड़ा संरचना
(ख)
कठिन उपरिशायी प्रचालन
(ग) सुदूर संवेदन आँकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता
(घ)
सघन आँकड़ा संरचना।
(v) भौगोलिक सूचना तंत्र कोट में उपयोग कर नगरीय परिवर्तन की पहचान
कुशलतापूर्वक की जाती है
(क)
उपरिशायी प्रचालन
(ख)
सामीप्य विश्लेषण
(ग)
परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) बफरिंग।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) चित्ररेखाएंज एवं सदिश (वेक्टर) आँकड़ा मॉडल के मध्य अंतर।
उत्तर:
चित्ररेखाएंज (रैस्टर) आँकड़े वर्गों के जाल के प्रारूप में आँकड़ों का ग्राफीय
प्रदर्शन करते हैं जबकि सदिश (वेक्टर) आँकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिन्दुओं
के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में करते हैं।
चित्ररेखापुंज (रैस्टर) आँकड़ा मॉडल |
सदिश (वेक्टर) आँकड़ा मॉडल |
1. आँकड़ा संरचना
सरल। |
1. आँकड़ा संरचना
सघन। |
2. अधिचित्रण सरल
और दक्ष। |
2. अधिचित्रण के
कठिन प्रचालन। |
3. उच्च स्थानिक
विचरणशीलता का दक्ष प्रतिनिधित्व। |
3. उच्च स्थानिक
विचरणशीलता का अदक्ष प्रतिनिधित्व। |
4. सुदूर संवेदन
प्रतिबिम्बों के साथ संगत। |
4. सुदूर संवेदन
प्रतिबिम्बों के साथ असंगत। |
5. प्रक्षेपण का
रूपान्तरण अदक्ष। |
5. प्रक्षेपण
रूपान्तरण में दक्ष। |
6. परिपथ जाल का
विश्लेषण कठिन। |
6. परिपथ जाल
विश्लेषण के लिए दक्ष। |
(ii) उपरिशायी विश्लेषण क्या है?
उत्तर:
भौगोलिक
सूचना तंत्र का प्रमाण चि उपरिशायी प्रचालन है। उपरिशायी प्रचालन का प्रयोग करके मानचित्रों
के बहुगुणी स्तरों का समन्वय एक महत्त्वपूर्ण विश्लेषण क्रिया है। अन्य शब्दों में,
भौगोलिक सूचना तंत्र उसी क्षेत्र के मानचित्रों के दो अथवा अधिक विषयक स्तरों का उपरिशायी
(अधिचित्रण) प्रचालन का प्रयोग करके नया मानचित्र स्तर प्राप्त करने को संभव बनाता
है। मानचित्र के उपरिशायी प्रचालन (अधिचित्रण) के अनेक अनुप्रयोग हैं। इनका प्रयोग
समय के दो भिन्न कालों में भूमि उपयोग में परिवर्तन के अध्ययन और भूमि के रूपान्तरण
का विश्लेषण करना है।
(iii) भौगोलिक सूचना तन्त्र में हस्तचलित विधि के गुण क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र में हस्तचलित विधि के गुण निम्नलिखित हैं
1.
प्रयोक्ता प्रदर्शित किए जाने वाले स्थानिक लक्षणों के सम्बन्ध में प्रश्न पूछ
सकते हैं।
2.
गुण न्यास की जाँच करके अथवा विश्लेषण करके मानचित्र आलेखित किए जा सकते हैं।
3.
स्थानिक प्रचालकों का समन्वित सूचनाधार पर अनुप्रयोग करके सूचनाओं के नये समुच्चयन
उत्पन्न किए जा सकते हैं।
4.
विशेष आँकड़ों के विभिन्न आइटम एक-दूसरे के साथ अंश अवस्थिति कोड की सहायता से
जोड़े जा सकते हैं।
(iv) भौगोलिक सूचना तन्त्र के महत्त्वपूर्ण घटक क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के महत्त्वपूर्ण घटक हैं
1. हार्डवेयर : इसके अन्तर्गत प्रक्रमण, भंडार प्रदर्शन एवं निवेश तथा बहिर्वेश उपतत्र सम्मिलित होते हैं।
2.
सॉफ्टवेयर : इसके अन्तर्गत आँकड़ों की प्रविष्टि, संपादन व अनुरक्षण तथा विश्लेषण, रूपान्तरण व हेरफेर के अतिरिक्त आँकड़ों के प्रदर्शन एवं बहिर्वेश से सम्बन्धित सॉफ्टवेयर सम्मिलित हैं।
3.
आँकड़े : स्थानिक आँकड़े तथा सम्बन्धित तालिकारूपी आँकड़े भौगोलिक सूचना तंत्र की रीढ़ होते हैं।
4. लोग : भौगोलिक सूचना तंत्र की योजना बनाने, इसे कार्यान्वित करने एवं इससे तर्कसंगत निष्कर्ष निकालने के लिए लोगों की आवश्यकता होती है।
5. प्रक्रिया इसके अन्तर्गत आँकड़ों का प्रत्यानयन, तंत्र में निवेश, संचय, प्रबंध, रूपान्तरण विश्लेषण एवं तंत्र में बहिर्वेश आदि सम्मिलित हैं।
(v) भौगोलिक सूचना तन्त्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि क्या
हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि निम्नलिखित हैं
1.
आँकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक रूप में आँकड़े प्राप्त करना।
2.
विद्यमान अनुरूप ऑकड़ों का अंकीकरण करना।
3.
भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सर्वेक्षण करके।
(vi) स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर:
अधिकांश आँकड़ों जिनका हम आज प्रयोग करते हैं, वे स्थानिक घटक (अवस्थिति) होते हैं, जैसे किसी नगरपालिका का पता अथवा कृषि जोत की सीमाएँ आदि । इस प्रकार स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी का सम्बन्ध स्थानिक सूचना के संग्रहण, भण्डारण, पुनप्ति , प्रदर्शन, हेर-फेर, प्रबंधन और विश्लेषण में प्रौद्योगिकी निवेश के प्रयोग से है। यह सुदूर-संवेदन तंत्र, भौगोलिक सूचना तंत्र, वैश्विक स्थिति-निर्धारण तंत्र, आंकिक मानचित्र कला और सूचनाधार प्रबंध प्रणालियों का एक सम्मिश्रण है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए।
(i) चित्ररेखाएंज
(रैस्टर) एवं सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फार्मेट को उदाहरण सहित समझाइए।
कागज के एक
पुर्जे (टुकड़े) पर तिरछी खींची गई एक रेखा का विचार करें। एक चित्ररेखा- पुँज
फाइल इस प्रतिबिम्ब का प्रदर्शन कागज को उपविभाजित करके छोटी आयतों के समूह
जिन्हें 'सेल' कहा जाता है, के रूप में करेगी। ग्राफ पेपर की शीट की तरह आँकड़ा
फाइल में प्रत्येक सेल को एक स्थान प्रदान किया जाता है और उस स्थान के गुण के
आधार पर मूल्य दिया जाता है। इसकी पंक्तियों और स्तम्भों के निर्देशांक किसी भी
व्यक्तिगत पिक्सेल की पहचान कर सकते हैं।
आँकड़ों का
यह प्रदर्शन प्रयोक्ता को प्रतिबिंब के पुनर्गठन में सहायता करता है। सेलों के
आकार और उनकी संख्या के बीच के संबंध को चित्ररेखापुँज के विभेदन के रूप में
अभिव्यक्त किया जाता है। चित्ररेखाएंज (रैस्टर) फार्मेट में आँकड़ों पर के आकार के
प्रभाव को निम्न चित्र के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
चित्ररेखाएंज
(रैस्टर) फाइल फार्मेट का अधिकांश प्रयोग निम्नलिखित क्रियाओं के लिए किया जाता
है।
1. वायव
फोटोग्राफों, उपग्रहीय प्रतिबिंबों, क्रमवीक्षित कागजी मानचित्रों के आंकिक
प्रदर्शन के लिए।
2. जब
लागत को कम करना जरूरी हो।
3. जब
मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षण का विश्लेषण अपेक्षित न हो।
सदिश (वेक्टर) आँकडा फार्मेट-किसी तिरछी रेखा का सदिश (वैक्टर) प्रदर्शन केवल निर्देशांकों के आरम्भिक एवं अन्तिम बिन्दुओं को दर्ज कर रेखा की स्थिति को दर्ज करके होगा। प्रत्येक बिन्दु की अभिव्यक्ति दो अथवा तीन संख्याओं के रूप में होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रदर्शन द्वि-आयामी या अथवा त्रि-आयामी (3D) जिसे प्रायःX, Y अथवा X, Y, Z, निर्देशांकों द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। मापे गये बिंदुओं को मिलाने से सदिश का निर्माण होता है।
एक
सदिश (वेक्टर) आँकड़ा मॉडल अपने यथार्थ (पृथ्वी) निर्देशांकों द्वारा भंडारित बिंदुओं
का प्रयोग करता है। यहाँ रेखाओं और क्षेत्रों का निर्माण बिन्दुओं के अनुक्रम द्वारा
होता है। सदिश (वेक्टर) आँकड़ों के निवेश के लिए हस्तेन अंकीकरण सर्वोत्तम विधि है।
सदिश फाइलों का प्रयोग अधिकांशतः निम्नलिखित के लिए किया जाता है।
1.
उच्च परिष्कृत अनुप्रयोग।
2.
जब फाइलों के आकार महत्त्वपूर्ण हों।
3.
जब मानचित्र के प्रत्येक लक्षण का विश्लेषण आवश्यक हो।
4.
जब वर्णनात्मक सूचना का भंडारण करना आवश्यक हो।
(ii) भौगोलिक सूचना तन्त्र से सम्बन्धित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में
किस प्रकार किया जाता है? एक व्याख्यात्मक लेख प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र की क्रियाओं का अनुक्रम
भौगोलिक
सूचना तन्त्र से सम्बन्धित कार्यों का अनुक्रम निम्नलिखित है
1.
स्थानिक आँकड़ा निवेश-भौगोलिक सूचना तंत्र में स्थानिक सूचनाधार को
दो वर्गों में बाँटा जा सकता है।
(अ)
आँकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक आँकड़ा समुच्चय का प्रग्रहण-वर्तमान में आँकड़ा आपूर्तिदाता
आंकिक आँकड़ों को तैयार रूप में उपलब्ध कराते हैं, जो लघु मापनी मानचित्रों से लेकर
वृहत् मापनी प्लान तक होते हैं। क्रियात्मक रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए कि आँकड़े
अपने अनुप्रयोग के साथ संगत हैं, प्रयोक्ता को उनकी निम्न विशेषताओं का ध्यान रखना
चाहिए।
1.
आँकड़ों की मापनी।
2.
प्रयोग में लाई गई भौगोलिक सन्दर्भ प्रणाली। प्रयोग में लाई गई आँकड़ा संग्रहण की तकनीकें
और निदर्शन सामरिकी।
3.
एकत्रित आँकड़ों की गुणवत्ता।
4.
आँकड़ों का वर्गीकरण और प्रयोग में लाई गई अंतर्वेशन की विधियाँ।
5.
व्यक्तिगत मानचित्रण इकाइयों का आकार और आकृति।
6.
रिकार्ड की लम्बाई आदि।
(ब)
हस्तेन निवेश द्वारा आंकिक आँकड़ा समुच्चयों की रचना: भौगोलिक सूचना तंत्र में आँकड़ों
के हस्तेन निवेश की चार मुख्य अवस्थाएँ होती हैं।
1.
स्थानिक आँकड़ों की प्रविष्टि।
2.
गुण न्यास की प्रविष्टि। स्थानिक और गुण न्यास का सत्यापन और संपादन।
3.
जहाँ आवश्यक हो स्थानिक का गुण न्यास से योजन करना।
आँकड़ा
निवेश की हस्तेन विधियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि सूचनाधार की संस्थिति सदिश
(वेक्टर) है अथवा जाल सेल (चित्ररेखाएंजीय) वाली।
(2)
गुण न्यास की प्रविष्टि-प्रकाशित रिकार्डों, सरकारी गणनाओं, प्राथमिक
सर्वेक्षणों अथवा स्पैड शीटों जैसे स्रोतों से उपार्जित गुण न्यास को भौगोलिक सूचना
तंत्र सूचनाधार में या तो हस्तेन अथवा मानक स्थानांतरण फॉर्मेट का प्रयोग करते हुए
आँकड़ों का आयात करके निवेश किया जाता है।
(3)
आँकड़ों का सत्यापन और संपादन-आँकड़ों की शुद्धता को सुनिश्चित
करने हेतु त्रुटियों की पहचान और संशोधन के लिए भौगोलिक सूचना तंत्र में प्रग्रहित
आँकड़ों को सत्यापन की आवश्यकता होती है। स्थानिक आँकड़ों में त्रुटियों की जाँच करने
का सर्वोत्तम तरीका कम्प्यूटर का आलेख बनाना है। आँकड़ों का संपादन प्रायः त्रुटियों
से युक्त मानचित्र के भाग को कम्प्यूटर की स्क्रीन पर देखकर सॉफ्टवेयर के माध्यम से
संशोधन करके किया जाता है।
(4)
स्थानिक और गुण न्यास आँकड़ों की सहलग्नता-भौगोलिक सूचना तंत्र में स्थानिक
और गुण न्यास की सहलग्नता महत्त्वपूर्ण है। इसे सावधानीपूर्वक करना चाहिए। गुण न्यास
को असंबद्ध स्थानिक आँकड़ों से सहलग्न करने पर परम आँकड़ा विश्लेषण से अस्त-व्यस्तता
उत्पन्न हो जायेगी। इस प्रकार आँकड़ों के एक स्तर का दूसरे से सुमेलन भी सार्थक है।
(5)
स्थानिक विश्लेषण : भौगोलिक सूचना तंत्र की प्रबलता उसकी विश्लेषणात्मक
सामर्थ्य में निहित है। जो चीज भौगोलिक सूचना तंत्र को अन्य सूचना तंत्रों से अलग करती
है वह है इसकी स्थानिक विश्लेषण की क्रियाएँ। विश्लेषण क्रियाएँ यथार्थ विश्व से संबंधित
प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सूचनाधार में स्थानिक और गैर-स्थानिक गुणों का प्रयोग
करती हैं। भौगोलिक सूचना तंत्र का प्रयोग करते हुए स्थानिक विश्लेषण के कई प्रचालनों
को लिया जाता है; जैसे-अधिचित्रण विश्लेषण, बफर विश्लेषण, परिपथ जाल विश्लेषण व आंकिक
भू-भाग मॉडल आदि।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भौगोलिक सूचना तन्त्र के लाभ/महत्त्व/उपयोगिता का वर्णन
कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के मुख्य लाभ/महत्त्व/उपयोगिता निम्नलिखित हैं
1.
भौगोलिक सूचना तन्त्र की सहायता से भूगोलवेत्ता स्थानिक प्रतिरूपों और प्रक्रियाओं
की पहचान कर उनका विश्लेषण कर सकता है।
2.
इसकी सहायता से भौगोलिक तत्त्वों के बीच पाए जाने वाले अन्तर्सम्बन्धों की
व्याख्या की जा सकती है। उदाहरणतः शुष्क प्रदेशों में नहरी जल की व्यवस्था के बीच
अन्तर्सम्बन्ध।
3.
इसमें परिवहन तन्त्र और नगरों के विकास के अध्ययन में सहायता मिलती है।
4.
इससे कम समय और कम लागत से भौगोलिक विश्लेषण सम्भव होता है।
5.
इससे समाज के गरीबी रेखा के नीचे बसर कर रहे लोगों के सम्बन्ध में विश्वसनीय
जानकारी हासिल हो सकती है।
6.
वर्तमान में G.I.S. का उपयोग पर्यावरण, कृषि, भूमि उपयोग, नियोजन, आपदा प्रबन्धन,
परिवहन तन्त्र, जनांकिकीय विश्लेषण तथा नगरीय सुविधाओं के क्षेत्र में बढ़ रहा है।
7.
भौगोलिक सूचना तन्त्र का एक और उपयोग पुराने पड़ गए मानचित्रों को आधुनिक बनाना
है। उदाहरणत: जलीय क्षेत्रों, नगरीय क्षेत्रों तथा वन क्षेत्रों को दिखाने वाले
मानचित्रों में एक निश्चित समय अन्तराल के बाद संशोधन करना अनिवार्य होता है।
प्रश्न 2. चित्ररेखाएंज संरचना के गुण व दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चित्ररेखाएंज संरचना के गुण चित्ररेखाएंज संरचना के गुण निम्नलिखित हैं
1.
इसे समझना व कार्यान्वित करना सरल होता है।
2.
प्रत्येक सेल का अपना गुण होता है, जिससे भूमि उपयोग तथा मृदा के प्रकार जैसे
समीपस्थ लक्षणों को प्रदर्शित करने में सहायक होता है।
3.
उच्च स्थानिक परिवर्तनशीलता को आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है।
4.
प्रिन्टर, प्लॉटर जैसे अधिकांश उत्पादक उपकरण चित्ररेखापुँज में उपलब्ध होते हैं।
5.
उपग्रह दूर संवेदन तथा अंकीय वायुचित्र से सीधे ही चित्ररेखाएंज में आँकड़े
प्राप्त हो जाते हैं और आँकड़ों के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती।
चित्ररेखा{ज
संरचना के दोष चित्ररेखाएंज संरचना के दोष निम्नलिखित हैं
1.
प्रत्येक सेल केवल एक गुण का ही भण्डारण करता है।
2.
आँकड़ों के भण्डारण में उच्च कोटीय स्मृति व्यवस्था होती है और आँकड़ों के संपीडन
की आवश्यकता होती है।
3.
नेटवर्क संबंधों को सुचारु रूप से प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
4.
मिश्रित सेलों की स्थिति में अशुद्धियाँ आ जाती हैं।
5.
सेलों के खुरदरेपन से छोटे-छोटे लक्षण छूट जाते हैं।
प्रश्न 3. भौगोलिक सूचना तन्त्र क्या है? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
–
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र-भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.) एक ऐसा सूचना तन्त्र है जिसे
भौगोलिक अथवा स्थानिक आँकड़ों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए बनाया गया है। यह
वास्तव में एक आँकड़ा संचय तन्त्र है जिसमें भौगोलिक आँकड़ों को शामिल करने के
साथ-साथ उनके संसाधन और विश्लेषण की क्षमता भी होती है।
भौगोलिक
सूचना तन्त्र के प्रकार
स्थानिक
उपग्रहों के भण्डारण और विश्लेषण की तकनीक के आधार पर भौगोलिक सूचना तन्त्र
निम्नलिखित दो प्रकार का होता है
1.
रेखाएंज- यह मानचित्रों, फोटोग्राफों तथा अन्य दो आयामी वितरण को अंक रूप में भण्डारित
करने की एक पद्धति है। यह पद्धति स्थान के अनुसार निरन्तर बदलने वाली परिघटनाओं को
हैण्डल करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। यही कारण है कि पर्यावरण विज्ञानों में रेखाएंज
पद्धति का उपयोग निरन्तर बढ़ रहा है।
2.
सदिश- इस पद्धति में सभी वस्तुओं का अंकन बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र के रूप में किया
जाता है। अंकीकरण की इस पद्धति में ‘X’, ‘Y निर्देशांकों का उपयोग किया जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रेखाएंज भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
रेखाएंज भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ (गुण) निम्नलिखित हैं
1.
इसमें भौगोलिक सूचनाओं को कोष्ठिकाओं के माध्यम से दिखाया जाता है।
2.
यह पर्यावरण और भौतिक विज्ञानों के अध्ययन के लिए उपयोगी है।
3.
इसमें एक-दूसरे से पृथक् वस्तुओं के अंकन में सुविधा होती है।
4.
यह पद्धति बताती है कि “प्रत्येक स्थान पर क्या है?”
प्रश्न 2. सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ निलिखित हैं
1.
इसमें भौगोलिक सूचनाओं, बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र (बहुभुज) का उपयोग किया जाता
है।
2.
सामाजिक सुविधाओं, उद्योगों के मानचित्रण और भौगोलिक रूप से वितरित सुविधाओं के
अंकन में सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र उपयोगी है।
3.
इसमें सड़कों के अंकीकृत जाल से दो बिन्दुओं के मध्य यात्रा समयावधि का अनुभव किया
जा सकता है।
4.
यह पद्धति बताती है कि “प्रत्येक वस्तु कहाँ है?”
प्रश्न 3. हस्तेन विधियों की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हस्तेन विधियों की सीमाएँ निम्नलिखित हैं
1.
मानचित्रीय सूचना एक विशेष ढंग से प्रक्रमित और प्रदर्शित की गई होती है।
2.
एक मानचित्र एक अथवा. एक से अधिक पूर्व-निर्धारित विषय-वस्तुओं को दर्शाता है।
3.
मानचित्रों में चित्रित सूचना में परिवर्तन करने पर एक नया मानचित्र आलेखित करना
पड़ता है।
प्रश्न 4. चित्ररेखापुँज फाइल फॉर्मेटों का अधिकतर प्रयोग किन
क्रियाओं में किया जाता है?
उत्तर:
चित्ररेखा(ज फाइल फॉर्मेटों का अधिकतर प्रयोग निम्नलिखित क्रियाओं में किया जाता
है
1.
वायव फोटोग्राफी, उपग्रहीय प्रतिबिम्बों, क्रमवीक्षितं कागजी मानचित्रों के आंकिक
प्रदर्शन और अत्यधिक ब्यौरेवार प्रतिबिम्बों वाले अन्य अनुप्रयोग के लिए।
2.
जब लागत का कम करना आवश्यक हो।
3.
जब मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षण का विश्लेषण अपेक्षित न हो।
4.
जब ‘बैकड्रॉप’ मानचित्रों की आवश्यकता हो।
प्रश्न 5. सदिश फाइलों का प्रयोग किन परिस्थितियों में किया जाता
है?
उत्तर:
सदिश फाइलों का प्रयोग मुख्यत: निम्न परिस्थितियों में किया जाता है
1.
उच्च परिष्कृत अनुप्रयोग की आवश्यकता हो।
2.
फाइलों के आकार महत्त्वपूर्ण हों।
3.
मानचित्र के प्रत्येक लक्षण का विश्लेषण आवश्यक हो।
4.
वर्णनात्मक सूचना का भण्डारण अनिवार्य हो।
प्रश्न 6. सदिश संरचना के गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सदिश संरचना के गुण निम्नलिखित हैं
1.
यह सांस्कृतिक लक्षणों को प्रदर्शित करने के लिए अधिक उपयोगी है।
2.
ग्लोबल पोजीशनल सिस्टम (GPS) तथा टोटल स्टेशनों से आँकड़े सीधे ही प्राप्त हो सकते
हैं।
3.
इसमें कम स्मृति की आवश्यकता होती है।
4.
स्थालाकृतियों को दर्शाने तथा उनके विश्लेषण में अधिक शुद्धता होती है।
प्रश्न 7. चित्ररेखापुंज (रैस्टर) मॉडल की हानियों का उल्लेख
कीजिए।
उत्तर:
चित्ररेखापुंज (रैस्टर) मॉडल की हानियाँ निम्नलिखित हैं
1.
कम्प्यूटर भण्डारण का अदक्ष प्रयोग होता है।
2.
इसके परिमाप और आकृति में त्रुटियाँ होती हैं।
3.
परिपथ जाल का विश्लेषण कठिन होता है।
4.
प्रक्षेपण का रूपान्तरण अदक्ष वृहत् सैलों का प्रयोग करते समय सूचना का ह्रास होता
है।
5.
कम परिशुद्ध मानचित्र होता है।
प्रश्न 8. सदिश (वेक्टर) मॉडल की हानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सदिश (वेक्टर) मॉडल की हानियाँ निम्नलिखित हैं
1.
इसकी आँकड़ा संरचना जटिल होती है।
2.
अधिचित्रण में कठिन प्रचालन होता है।
3.
उच्च स्थानिक विचरणशीलता का अदक्ष प्रतिनिधित्व होता है।
4.
यह सुदूर संवेदन प्रतिबिंबों के साथ असंगत होता है।
प्रश्न 9. भौगोलिक सूचना तन्त्र को किन स्रोतों से आँकड़े प्राप्त
होते हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र को निम्नलिखित स्रोतों से आँकड़े प्राप्त होते हैं
1.
भारतीय सर्वेक्षण विभाग के स्थलाकृतिक मानचित्र तथा वायुचित्र।
2.
उपभोक्ताओं द्वारा एकत्रित प्राथमिक आँकड़े।
3.
भारतीय जनगणना विभाग के विशाल आँकड़े और मानचित्र।
4.
राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेन्सी, हैदराबाद।
5.
राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध प्रणाली, बंगलुरु।
6.
महानगरों के विकास प्राधिकरण।
7.
राज्यों और जिलों के सांख्यिकीय विभाग। .
8.
राष्ट्रीय विषयक मानचित्र संगठन, कोलकाता।
मौखिक प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1. स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से तात्पर्य किसी क्षेत्र से सम्बन्धित सूचनाओं का
कम्प्यूटर में संचयन, संगणना, भण्डारण और उपयोग से है।
प्रश्न 2. भौगोलिक सूचना तन्त्र में किसी वस्तु या वाहन की स्थिति
कैसे प्रदर्शित की जाती है?
उत्तर:
अक्षांशों व देशान्तरों के माध्यम से स्थिति प्रदर्शित की जाती है।
प्रश्न 3. भौगोलिक सूचना तन्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र एक आँकड़ा संचय तन्त्र है जिसमें भौगोलिक आँकड़ों का संचयन,
संगणना और विश्लेषण किया जाता है।
प्रश्न 4. सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र में आँकड़ों का प्रदर्शन कैसे
किया जाता है?
उत्तर:
बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र के रूप में।
प्रश्न 5. सहलग्नता क्या है?
उत्तर:
सहलग्नता में एक भौगोलिक सूचना तन्त्र में विभिन्न प्रकार के आँकड़ों को जोड़ने की
क्षमता होती है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी में शामिल है
(a)
सुदूर संवेदन
(b)
भौगोलिक सूचना तन्त्र
(c)
वैश्विक स्थिति-निर्धारण तन्त्र
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 2. कितने प्रकार के आँकड़े भौगोलिक सूचना प्रदान करते हैं
(a) दो
(b)
तीन
(c)
चार
(d)
पाँच।
प्रश्न 3. स्थानीय आँकड़ों का प्रकार है
(a)
बिन्दु
(b)
रेखा
(c)
क्षेत्र
(d) ये सभी।
प्रश्न 4. स्थानिक सूचना तन्त्र का घटक है
(a)
हार्डवेयर
(b)
सॉफ्टवेयर
(c)
आँकड़े
(d) ये सभी।
प्रश्न 5. आँकड़ा संरचना के प्रकार हैं
(a) दो
(b)
तीन
(c)
चार
(d) पाँच।