झारखण्ड की भाषा एवं साहित्य (Language and Literature of Jharkhand)

झारखण्ड की भाषा एवं साहित्य (Language and Literature of Jharkhand)
झारखण्ड की भाषा एवं साहित्य (Language and Literature of Jharkhand)
झारखण्ड की भाषा एवं साहित्य झारखण्ड राज्य की भाषा एवं बोली का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। भाषा के आधार पर झारखण्ड की भाषाओं व साहित्य को तीन वर्गों में बाँटा गया है 1. मुण्डारी भाषा (ऑस्ट्रो-एशियाटिक) परिवार 2. द्रविड़ भाषा (द्रविडयन) परिवार 3. इण्डो-आर्यन भाषा परिवार मुण्डारी भाषा परिवार इस भाषा परिवार के अन्तर्गत राज्य की सन्थाली, मुण्डारी, हो, करयाली, खड़िया, भूमिज, महाली, बिरजिया, असुरी कोरबा आदि भाषाएँ आती हैं। कुछ प्रमुख भाषाओं का विवरण इस प्रकार है सन्थाली भाषा > राज्य में सन्थाल जनजाति द्वारा बोली जाने वाली भाषा सन्थाली कहलाती है। यह सन्थाल परगना के सम्पूर्ण क्षेत्र में बोली जाती है । > सन्थाली भाषा कुछ अन्य क्षेत्रों – बिहार, बंगाल, उड़ीसा असम और बांग्लादेश में भी बोली जाती है। > सन्थाल भाषा को होड़ रोड़ अर्थात् होड़ लोगों की बोली भी कहा जाता है। > यह भाषा संख्या की दृष्टि से राज्य में बोली जाने वाली द्वितीय भाषा है। > सन्थाली भाषा राज्य में सर्वाधिक बोली जाने वाली जनजातीय भाषा है। > सन्थाली भाषा के लिए रघुनाथ मुर्मू द्वारा वर्ष 1941 में ओलचिकी लिपि का आविष्कार किया गया। &g…