खोरठा व्याकरण

खोरठा व्याकरण

खोरठा व्याकरण

 वर्ण

परिभाषा - जकर टुकड़ा नांञ करल जाहे, ओकरा वर्ण कहल जाहे । वर्ण भाषाक सोबले छोट भाग के मानल गेल है। वर्ण के अक्षर भी कहल जाहे। अक्षर कर माने जकर नाश नांग हेव है।

वर्ण के प्रकार - वर्ण कर दू गो परकार पावल जाहे -

1. सबर (स्वर) वर्ण

2. बेयंजन (व्यंजन) वर्ण

1. सबर (स्वर) वर्ण - जकर उच्चारण केकरो सहयोग से नांञ करल 1 जाहे, ओकर सबर वर्ण कहल गेल है। सबर वर्ण आपन में स्वतंत्र पावल जाहे ।

                                

खोरठा बेयाकरन में सबर वर्ण रूपे ई, ऊ, औ, अः कर परजोग नांञ करल जाहे। एकर माने खोरठा बेयाकरण में आठ (8) गो सबर वर्ण कर परजोग हेवे।

2. बेयंजन (व्यंजन) वर्ण - जकर उच्चारण दोसर वर्ण कर सहजोग से करल जाहे, ओकरा बेयंजन वर्ण मानल गेल है। बेयंजन वर्ण कर परजोग सबर वर्ण के सहजोग से पूरा हेव है।

             

                 

             ढ़

                 

                 

   

   

नोट - (I) खोरठा बेयाकरन में बेयंजन वर्ण कर रूप में ङ, ण, य, व, श, ष, क्ष, त्र, ज्ञ कर परजोग नांञ करल जाहे। एकर माने खोरठा बेयाकरन में सताइस (27) गो वर्ण मिल है।

नोट - (II) खोरठा भासा बेयाकरन में सोब मिलाइ - जुलाइ के (35) पैतीस गो वर्ण मिल है।

वयंजन वर्ण के प्रकार- खोरठा भाषा बेयाकरन में बेयंजन कर पाँच (5) परकार पावल जाहे। पाँचों बेयंजन कर गुन ऐसन अलग-अलग मिल है-

1. सपर्श वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन में जकर उचारन सपर्श से हेव हे, ओकरा सपर्श बेयंजन कहल जा-

क वर्ग - क            

च वर्ग - च                

ट वर्ग - ट                

त वर्ग - त                 

प वर्ग - प                 

नोट- 1 स्पर्श वर्ण के क वर्ग में ङ कर परजोग नांञ करल जाहे। एकर माने क वर्ग में चाइ (4) गो वर्ण मिल है।

2. स्पर्श वर्ण के च वर्ग में पांच (5) गो वर्ण पावल जाहे।

3. स्पर्श वर्ण के ट वर्ग में ण अक्षर कर परजोग नांञ करल जाहे। एकर माने ट वर्ग में चाइ (4) गो अक्षर परजोग करल जाहे।

4. स्पर्श वर्ण के त वर्ग में पांच (5) गो अक्षर परजोग हेव है।

5. स्पर्श वर्ण के प वर्ग में पांच (5) गो अक्षर परजोग हेव है।

6. स्पर्श वर्ण में ङ ण के छोइड़ के अठारह (18) गो अक्षर परजोग करल जाहे।

2. उस्म बेयंजन वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन के उसम बेयंजन वर्ण में ऐसन अक्षर मिल है, जकर सुनाइ में एक जैसन लाग है।

       

नोट- I) उस्म बेयंजन वर्ण में श आर ष कर परजोग नांञ करल जाहे ।

II.) उस्म बेयंजन वर्ण में कुल जामा दुइ ( 2 ) गो अक्षर कर परजोग करल जाहे ।

2. अंतःस्थ वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन में अंतःस्थ वर्ण दूगो (2) पावल जाहे। हामिन य, व कर परिजोग नांञ कर ही ।

        

4. संयुक्त वर्ण - खोरठा भासा बेयाकरन में संयुक्त वर्ण कर परजोग नांग करल जाहे।

नोट- खोरठा बेयाकरण में संयुक्त वर्ण परजोग नांञ हेव हे जकर खातिर व्यंजन वर्ण कर प्रकार नांग मानल गेल है।

5. द्विगुण वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन में द्विगुण वर्ण कर परजोग - करल जाहे । खोरठा में दुगो (2) द्विगुण वर्ण मिल है।

ड़       ढ़

नोट- खोरठा भाषा में द्विगुण वर्ण के रूप में ढ़ कर परजोग हेव है। उदाहरण कर रूप में रामगढ़, बिशुनगढ़ के राखल जाहे ।

6. अयोगवाह वर्ण- खोरठा भाषा बेयाकरन में अयोगवाह वर्ण कर रूप में एगो (1) परजोग करल जाहे। उदाहरण कर रूप में 'नांग' के राखल जाहे ।

 सबर (स्वर) वर्ण

खोरठा भाषा बेयाकरन में स्वर वर्ण के दरकिनार करले अक्षर ध्वनि, भाषा कर सपना पूरा नांग हेवे पारे । स्वर वर्ण कर कइगो परकार पावल जाहे

1. मूल स्वर वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन में स्वर वर्ण के मूल स्वर में ऐसन वर्ण कर परजोग कल जाहे जकर रूप स्वतंत्र मिल है। खोरठा भाषा में मूल स्वर पाँच (5) गो पावल जाहे -

                 

2. अमूल स्वर वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन के अमूल स्वर में ऐसन वर्ण के राखल जाहे जकर निर्माण मूल स्वर के सहजोग से हेव है। खोरठा बेयाकरन में छव (6) गो अमूल स्वर मिल हे-

अ + अ        

+           

अ + ए          

अ +उ         

अ + ओ        त्र

इ + इ          

उ + उ         

3. हस्व स्वर वर्ण - खोरठा भाषा व्याकरण में इस्व स्वर वर्ण के रूप में ऐसन स्वर वर्ण के राखल जाहे जकर उच्चारण जल्दी-जल्दी हेव हे। खोरठा बेयाकरण में हस्व स्वर चार (4) गो मिल हे-

             

4. दीर्घ स्वर वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन के दीर्घ स्वर वर्ण में ऐसन वर्ण के राखल गेल हे जकर उच्चारन करेक में जोर लगावेक पड़ है। खोरठा में दीर्घ स्वर वर्ण तीन (3) गो पावल जाहे -

         अं

5. संयुक्त स्वर वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन में संयुक्त स्वर में ऐसन - वर्ण के राखल जाहे जकर उच्चारन दूगो दोसर - दोसर स्वर के मिलल से बन है। खोरठा में संयुक्त स्वर तीन (3) पावल जाहे ।

+इ        

+        

+उ      

6. अग्र स्वर वर्ण - खोरठा भाषा के अग्र स्वर वर्ण में ऐसन वर्ण के - राखल जाहे जकर उच्चारन जीभ के आगु भाग से करल जाहे । खोरठा में अग्र स्वर वर्ण चाइ (4) गो पावल जाहे ।

             

7. मध्य स्वर वर्ण - खोरठा भाषा के मध्य स्वर वर्ण में ऐसन वर्ण के - राखल गेल हे जेकर उच्चारन जीभ के बीच भाग से करल जाहे। खोरठा में मध्य स्वर वर्णों की संख्या एगो (1) पावल जाहे 'अ' मध्य स्वर वर्ण में आव है।

8. पश्च स्वर वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन में पश्च स्वर वर्ण के रूप में ऐसन वर्ण के राखल जाहे जकर उच्चारन जीभ कर पीछु दने से हेव है। खोरठा में पश्च स्वर वर्ण की संख्या चार (4) गो पावल जाहे

        

1) अल्प प्राण व्यंजन वर्ण - खोरठा भाषा के अल्प प्राण में ऐसन वर्ण के - राखल गेल हे जकर उच्चारन में 'ह' ध्वनि नांग निकले है। मतलब सोब वर्ग के पहला, तीसरा आर पाँचवा वर्ण के अल्प प्राण व्यंजन वर्ण कहल जाहे । एकर संगे संगे अंतःस्थ व्यंजन वर्ण के मिलावल गेल है। खोरठा भाषा में अल्प प्राण व्यंजन वर्ण सत्रह (17) मिल है।

क वर्ग -               

च वर्ग -                

ट वर्ग -                  

त वर्ग -                

प वर्ग -                      

अंतःस्थ वर्ण -         

2) महाप्राण व्यंजन वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन के महाप्राण व्यंजन वर्ण में ऐसन वर्ण के राखल गेल हे, जकर 'ह' की ध्वनि निकले है। मतलब सोब वर्ग के दूसरा आर चौथा वर्ग महाप्राण लागे । एकर संगे संगे उष्म वर्ण के मेसावल गेल है। खोरठा भाषा में महाप्राण वर्ण में बारह ( 12 ) गो वर्ण सामिल है।

क वर्ग -               

च वर्ग -               

ट वर्ग -                 

त वर्ग -                 

प वर्ग -              

उस्म वर्ण-       

3) घोष व्यंजन वर्ण - खोरठा भाषा में प्रत्येक वर्ग कर तीसरा, चौथा आर पाँचवा वर्ग के घोष वर्ण मानल गेल है। एकर संगे संगे अंतःस्थ वर्ण आर उष्म व्यंजन वर्ण कर एगो अक्षर मिल है। घोष व्यंजन वर्ण कहल जाहे। घोष व्यंजन वर्ण में सोब जामा सोलह (16) वर्ण पावल जाहे ।

क वर्ग -              

च वर्ग -          

ट वर्ग -                

त वर्ग -           

प वर्ग -              

अंतःस्थ वर्ण-           

उस्म वर्ण-    

4) अघोष व्यंजन वर्ण - खोरठा भाषा बेयाकरन में अघोष व्यंजन वर्ण कर रूप में प्रत्येक वर्ग कर पहला आर दूसरा वर्ण के मेसावल गेल है। एकर संगे संगे उष्म वर्ण कर एगो वर्ण मिल है। अघोष व्यंजन वर्ण कहल जाहे । अघोष व्यंजन वर्ण में सोब मिलाइ के गारह (11) गो वर्ण मिल है।

क वर्ग - क       

च वर्ग - च       

ट वर्ग - ट       

त वर्ग - त       

प वर्ग - प       

उस्म व्यंजन वर्ण-   

वर्णों के प्रमुख उच्चारण स्थल- खोरठा भाषा बेयाकरन में परजोग में आवेक वर्ण कर उच्चारन मुह कर एक भाग से हेव है। आदमिक मुह के छव (6) भाग में खेचल जाहे, जकर आधारे भाषा उच्चारन के जगह मानल जाहे।

1. कंठ - खोरठा भाषा के उच्चारन के कंठ आर जीभ कर हेठ भाग कर स्पर्श से हेव है। एकर में क वर्ग, स्वर वर्ण के दूगो वर्ण आर उष्म व्यंजन के एगो अक्षर का उत्पति कंठ से हैव है। कंठ से सात (7) वर्णों के उच्चारन मेल हे।

क वर्ग -                 

स्वर वर्ण -     

उस्म वर्ण - ह

2. तालु - खोरठा बेयाकरन में उच्चारन तालु आर जीभ कर स्पर्श से हेव है। तालु से उच्चारन च वर्ग आर एगो स्वर वर्ण के हेव है। तालु से खोठाक छव (6) गो वर्ण कर उच्चारन करल जाहे।

च वर्ग -                 

स्वर वर्ण - 

3. मूर्द्धा - खोरठा भाषा में जकर उच्चारन मूर्द्धा आर जीभ कर स्पर्श से हेव हे। एकर में ट वर्ग कर अलावे दूगो आर व्यंजन वर्ण मिल है। मूर्द्धा में छ्व (6) गो वर्ण कर उच्चारन भेल हे।

ट वर्ग - ट              ढ़

व्यंजन वर्ण -     

4. दंत - खोरठा बेयाकरन में जकर उच्चारन दांत आर जीभ से मिलल से हेव हे। एकर में त वर्ग आर दूगो व्यंजन वर्ण कर उच्चारन हेव हे। दंत में सोब मिलाइ के सात (7) गो वर्ण पावल जाहे ।

त वर्ग - त                 

व्यंजन वर्ण- ल    

5. ओष्ठ - खोरठा भाषा में जकर उच्चारन दूयो आठ के मिलल से हेव हे। ओष्ठ में प वर्ग आर एगो स्वर वर्ण मेसाइल हे। ओष्ठ में सोब मिलाइ के छव (6) गो वर्ण पावल जाहे।

ओष्ठ -                   

स्वर वर्ण -  

6. नासिक - खोरठाक वर्ण जकर उच्चारन नाक कर सहजोग से हेव है, नासिक वर्ण कहल जाहे। नासिक में क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग आर प वर्ग कर पाँचवा अक्षर सामिल करल गेल हे। नासिक वर्ण में सोब मिलाइ के तीन (3) गो वर्ण मिलल जाहे ।

क वर्ग -

च वर्ग - ञ

ट वर्ग - ०

त वर्ग - न

प वर्ग - म

 संगा (संज्ञा )

संइगा बइसन सबद के कहल जाहे, जकर से नाम कर बोध हेव हे। संइगा बेकति, बसतु, जगह आर भाब के नाम के बोलल जाहे / जइसे रामू मंगरा, दमराही, बालटी, रामगढ़, बोकारों, बुढ़ारी, सुनदराही आरो।

नाम - चरका, मंगरा, रामू, सोमरा, दसमी, भादबा, बुधनी, मंगरी, सुकरा, फगुआ, भोला, गोलू, बइजा, सुखना, दुखना, भूखना, कारी, पचुआ, अद्यना, कैला

बसतु - धान, चाउर, दाइल, गेहूम, किताब, पेन, झूला, लूगा, कुरसी, टेबुल, हाडी, डेकची, कराही, बालटी, कोडी, टानगा, हसुआ, फारसा, हार, फार, जुआठ, कारहा, सिकरी, साइकिल, गाडी, काड, कोरबा, धारना आरो।

जगह - रामगढ़, हजारीबाग राँची, धनबाद, बोकारो, देवघर, गोडा, दुमका, चतरा, गिरिडीह, पलामु गढ़वा, बालूमाथ चंदरपुरा, चंदनकिआरी, पटना, दिल्ली, इलाहाबाद, कानपुर, नागपुर, उड़ीसा, पंजाब, चंडीगढ़, बहादुरगढ़ आजमगढ़ आरो।

भाव - सुनदराहा, कनकन्नी, करकरी, फरफरी, लुइरगराही, पिनपिनाहा, कुचराहा, खबखबी, झगराहा, खोचाहा आरो।

संइगा के भेद - खोरठा भासा बेयाकरण में संइगा कर पांच गो भेद पावल जाहे ।

जइसे -

1. जाइत बाचक संइगा

2. बेगइत बाचक संइगा

3. गोठ बाचक संइगा

4. दरब बाचक संइगा

5. भाब बाचक संइगा

1. जाइत बाचक संइगा - जेकर से गोटे जाइत कर बोध करल जाहें, ओकरा जाइत बाचक संइगा कहल जाहे। जइसे गरू, छगरी, मुरगी, काड़ा, कुकुर, बाघ, भालू, हुनडार, सिंयार, पाहार, टुनगरी, कुरसी, चरइ, नदी, नाला, खेत, बारी, मछरी, खोखरा, बेनग, छउआ ।

2. बेगइत बाचक संइगा - जेकर से एगो खास बेगइत, बसतु, जगह कर नाम जानल जाहे, ओकरा बेगइत बाचक संइगा कहल गेल है। जइसे -

क) बेगइत का नाम - सोमरा, रामू, मंगरी, चरका, दसमी, गाना, बजिआ, सुकर, बुधनी कइला, सुखना, दुखना, हरिआ, करमी, फगुआ ।

ख) नदी कर नाम - भेडा, दामोदर, गंगा, जमुना, सबर्नरखा, कोयल, हुगली।

ग) गाँव कर नाम - बुढ़ा खुखरा, गंडके, गोडातु, इचातु, जरियों, जमिरा, चाहा, लोलो, कोरचे, सोसो, उर्सरा ।

घ) बरतनकर नाम - डेकची, कराही, डाटी, चटुआ, बइठी, हसुआ, थारी, डूभा, लोटा, गिलास, झंझरा ।

ङ) खेती-बारीक सामान कर नाम - हार, फार, जुआठ, कोडी, गैता, मेइर, कारहा, सिकरी, हसुआ, पइना ।

च) महिना कर नाम - चइत, बइसाख, जेठ, आसार, सावन, भादो, आसिन, कातिक, अघन, पुस, माघ, फागुन ।

छ) दिन कर नाम - सोमार, मंगर, बुध, बिरसपति, सुकर, सनिचर, एतवार ।

ज) पहार - टुंगरी कर नाम- पारसनाथ, महामाआ, लुगुटुंगरी, फासी, टुंगरी, डेली पइला, टुंगरी, गडके टुंगरी।

झ) परब कर नाम - करम, सरहुल, सोहराइ, जितिया, टुसु, फगुआ, बउडी, दसहरा,

ञ) आनदोलन कर नाम - मुंडा, संथाल, हो, टाना भगत, चेरो, तमाड ।

ट) भासा कर नाम - खोरठा, नागपुरी, कुरमाली, पंचपरगनिआ, संथाली, मुंडारी, कुडुख हो, खड़िया ।

ठ) दिसा कर नाम - पुरूब, पछिम, उत्तर, दछिन

3. गोठ बाचक संइगा - जेकर से गोटे गोठ कर बोध करल जाहे, ओकरा गोठ बाचक संइगा कहल जाहे । जइसे - जातरा, पेठिआ, बारात, सरात, बाधान, गोहाल, इसकूल कॉलेज, पचइती, बइठकीं

4. दरब बाचक संइगा - जेकर से नापे-जोखेक बोध करल जाहे, ओकरा दरब बाचक संइगा कहल जाहे। जइसे तेल, पानी, दूध, सोना, चांदी, लूगा, झूला, परवन, धान, चाउर

5. भाव वाचक संइगा - जेकर से भाव गुण कर बोध करल जाहे, ओकरा भाब बाचक संइगा कहल जाहे । जइसे सुनदराही, बुढ़ारी, पुरखोती, करकरी, झगराही ।

 सरबनाम (सर्वनाम)

सरबनाम बाइसन सबद के कहल जाहे जे संइगा कर बदले परजोग करल जाहे, ओकरा सरबनाम कहल जाहे। जइसे होय, तोञ, उ, जे, से, ते।

सरबनाम कर परकार - खोरठा भासा बेयाकरन में सरबनाम कर छब (6) गो परकार मिल हे।

1. पुरूष बाचक सरबनाम

2. निसचित बाचक सरबनाम

3. अनिसचित बाचक सरबनाम

4. नीज बाचक सरबनाम

5. रिसता बाचक सरबनाम

6. सबाल बाचक सरबनाम

1. पुरूस बाचक सरबनाम - जे सरबनाम पुरूस कर नाम के अउजी परजोग करल जाहे, ओकरा पुरूस बाचक सरबनाम कहल जाहे । खोरठा भासा बेयाकरन में पुरूस बाचक सरबनाम के तीन (3) गो रूप मिल हे -

1. उत्तम पुरूस

2. मइधम पुरूस

3. अइन पुरूस

उत्तम पुरूस

हिन्दी        -         खोरठा

मैं             -        हाम

हमलोग     -       हामिन

मइधम पुरूस

हिन्दी        -         खोरठा

तुम           -        तो

आप          -        तोहर

आपलोग     -       तोहीन

आपसभी     -      तोहीन

आप सभी     -     तोहीन

अइन पुरूस

हिन्दी        -         खोरठा

यह           -       

वह           -       

आप         -       तोहें

मैंने           -      ामें

यह सब     -     एखिन

वह सब     -      हामें

यह सब     -     ओखिन

वह सब     -     ओखरिन

2. निसचित बाचक सरबनाम - जे सरबनाम जे सरबनाम से निसचित कर बदले परजोग करल जाहे, ओकरा निसचित बाचक सरबनाम कहल जाहे । जइसे -

हिन्दी        -         खोरठा

यह           -       

वह          -       

वह         -       ओहे

         -      कर

वह         -    ओकर

3 अनिसचित बाचक सरबनाम - जे सरबनाम से कोनहों अनिसचित चिज कर बदले परजोग करल जाहे, ओकरा अनिसचित बाचक सरबनाम कहल जाहे । जइसे -

हिन्दी        -         खोरठा

कोई          -       कोइ

कोइ          -       केउ

कुछ         -       कोनहों

कुछ         -      कुछो

किसका     -    कहिआ

4. नीज बाचक सरबनाम - जे सरबनाम से नीज़ माने कि नझीक कर बदले परजोग करल जाहे, ओकरा नीज बाचक सरबनाम कहल जाहे। जइसे-

हिन्दी        -         खोरठा

अपना       -       आपन

हमारा       -      हमार

मैं             -       हाम

हम सब     -      हामरिन

हमलोग     -    हामरिन

अपने       -      आपने

स्वयं        -    आपने

5. रिसता बाचक सरबनाम - जे सरबनाम रिसता कर बदले परजोग करल जाहे, ओकरा रिसता बाचक सरबनाम कहल जाहें। जइसे -

जकर       -       तकर

एकर       -      ओकर

हामार       -    तोहर

हामिन     -      तोहिन

जइसन    -    इसन

जइसन    -     ओइसन

6. सबाल वाचक सरबनाम- जे सरबनाम सबाल कर बदले परजोग करल जाहे, ओकरा सबाल बाचक सरबनाम कहल जाहे । जइसे -

हिन्दी        -         खोरठा

क्या          -       का

क्या          -     

ौन         -     के

ैसा    -      इसन

िसका     -    ेकर

       -      हिया

 बिसेसन

बिसेसन ओकरा कहल जाहे जे संइगा कर बिसेसता बतावेक काम करहे, बिसेसन कहला हे। जइसे

करिआ कुकुर, चरका बकरा, गोली छगरी, लालचाहा मरद, गोरकी छोडी, कबरी पठरू, मोटका छोनडा, धीपल पानी, झगराही जनी

बिसेसन कर परकार - खोरठा भासा बेयाकरन में बिसेसन कर गोटे चाइर (4) गो परकार पावल जाहे -

1. गुन बाचक बिसेसन

2. संइखा बाचक बिसेसन

3. परिमान बाचक बिसेसन

4. सरबनामेक बिसेसन

1. गुन बाचक बिसेसन - जे सबद से संइगा के गुन-दोस कर बिसेसताक जानकारी मिल हे, ओकरा गुन बाचक बिसेसन कहल जाहे। जइसे -

1. ओकर चरका बकरा लागइ

2. तोहर झगराही मेहरार, लागो

3. डेली पइला बोड टुंगरी हके।

4. ऊ बढ़िया आदमी लागे

5. मसटरवा बेस पढ़ाबेक काम कर है।

6. ओकर छगरिआ करिआ हइ

7. तोहर लालचाहा मरद लागो

8. ओकर बहिन सुनदर हिक

9. एकर चाबाहा कुकुर लागई।

2. संइखा बाचक बिसेसन - जे सबद संगा के संइखा कर बिसेसताक जानकारी दे हे, ओकरा संइखा बाचक बिसेसन कहल जाहे। संइखा बाचक बिसेसन कर दूइ गो परकार मिल है -

1. निसचित संइखा बाचक बिसेसन

2. अनिसचित संइखा बाचक बिसेसन

1. निसचित संइखा बाचक बिसेसन - जेकर से निसचित संइखा कर बिसेसताक जानकारी मिल है, ओकरा निसचित संइखा बाचक बिसेसन कहल जाहे । जइसे -

चार पइला चाऊर

दस पइला कुरथी

दू हाथ डोरा

पांच किलो आम

सात लीटर तेल

तीन गो अरिसा रोटी

आठ गो जबान मरद

2. अनिसचित संइखा बाचक बिसेसन - जेकर से अनगिनत संइखा कर बिसेसताक जानकारी मिल हे, ओकरा अनिसचित संइखा बाचक बिसेसन कहल जाहे। जइसे -

तनी खुन तिअन दिहों

एक तनी नून लाना

3. परिमान बाचक बिसेसन - जे बिसेसन से चिज बसुत कर नाप, जोख करेक बिसेसता बताबल जाहे, ओकरा परिमान बाचक बिसेसन कहल जाहे।

परिमान बाचक बिसेसन कर दूगो परकार मिल हे-

1. निसचित परिमान बाचक बिसेसन

2. अनिसचित परिमान बाचक बिसेसन

1. निसचित परिमान बाचक बिसेसन - जे बिसेसन से निसचित नाप-जोख करेक बिसेसता मिल हे, ओकरा निसचित परिमान बाचक बिसेसन कहल जाहे । जइसे -

1. एक पइला चाउर

2. तीन किलो दाइल

3. सात सेर तेल

4. चार किलो दूध

5. आठ लिटर तेल

6. दस पइला धान

7. दूई किलो मसाला

2. अनिसचित परिमान बाचक बिसेसन - जे बिसेसन से अनिसचित नाप, जोख करेक बिसेसताक जानकारी मिल हे, ओकरा अनिसचित परिमान बाचक बिसेसन कहल जाहे। जइसे -

1. बोरा भइर आटा

2. तनी खुन मसाला

3. चुटकी भर नून

4. छटाक भइर गोल मरिच

5. ढइर से दूध

6. तनी खुन पानी

7. आर तनी भात

8. बढ़ाई के तियन

3. सरबनामेक बिसेसन - जे बिसेसन से संडगा कर पहिल परजोग करल सरबनाम के सरबनामेक बिसेसन कहल जाहे । जइसे -

1. कोन किताब बेस हे।

2. ऊ भउजी बढ़िया हिक ।

3. ई छगरी गंगाई लागल हिक।

4. ऊ मरद बेस नांञ लागे ।

5. ई छोड़ा नांऊ पढ़तइ ।

6. तोहिन रामु के आइज मारभाक

7. हामिन रामगढ़ मेला देखे जाइब ।

8. ऊ कुकुर भूके लागल हे।

 किरिआ (क्रिया)

किरिआ एसन सबद के कहल जाहे जेकर से काम काज करेक आर हेबेक पता चल है, ओकरा किरिआ कहल जाहे । जइसे खाइक, पिनधेक, ओढ़ेक, सुतेक, - बइठेक, गांबेक, सुतेक, ऊठेक, बोलेक आरो।

किरिआ कर परकार - खोरठा भासा बेयाकरन में काम-काज करेक बात के आधारे चाइर (4) परकार में बांटल जाहे -

1. असल किरिआ

2. बीतल किरिआ

3. उसकाबेक किरिआ

4. दोहरी किरिआ

1. असल किरिआ - जे किरिआ असली मूल धातु में बनल रह हे, ओकरा असल किरिआ कहल जाहे । असल किरिआ कोनों दोसर किरिआक बले नांऊ मिल हे। जइसे -

खोटेक  - पालग साग खोटेक।

सुतेक - घारेक जमीने सुतेक ।

सुनेक - खोरठा गीत सुनेका

बैठेक - खाटित्र बैठेका

डोनगेक - जामुन डोनगेका

मुरछेक - कोडीक बेट मुरछेक।

बोलेक - खोरठा भासा बोलेका।

फांकेक - फूंजल बुट फाकेका।

2. बीतल किरिआ - जे किरिआ से बीतल काम काज हेबेक जानकारी मिल हे, ओकरा बीतल किरिआ कहल जाहे । जइसे -

रोइन के - मंगरी धान रोइप के आइलिक

पइढ़ के -  गोती पइढ़ के आइलक

सुइन के - हाम खोरठा गीत सुइन के अइली

सुइत के - सोमरा सुइत के गेलक

खाइ के - दसमीं खाइके सुतलीक

रगइड़ के - बुधनी रगइड़ के नहइलिक

माइर के - सुकरा मछरी माइर के आइलक

मुंइद के - अद्यनी लाता मुंइद के गेलक

साइट के - फगुआ फोटो साइट के गेलक

3. उसकाबेक किरिआ - जे किरिआ से बतबइआ दोसर आर काम करबइआ दोसर लोग के जानकारी मिल हे, ओकरा उसकाबेक किरिआ कहल जाहे । ए.के. झा एकर छुलरवेक किरिआ कहले हथ। जइसे -

सुताइ दिएक

बइठाइ दिएक

सनाइ दिएक

बोइल दिएक

रागाइ दिएक

रोपाइ दिएक

सांठाइ दिएक

खिआइ दिएक

ललचाइ दिएक

4. दोहरी किरिआ - जे किरिआ से काम-काज करेक पीछु परतिअइ जोइर के चाहे मेसर केसर किरिआ बनबल जाहे ओकरा दोहरी किरिआ कहल जाहे। ए.के. झा दोहरी किरिआ के जोरल किरिआ कहले हथ। जइसे -

दरद  - दरदेक

पांग  - पांगेक

पढ  - पढ़ेक

सुन  - सुनेक

बोल - बोलेक

  - ढ़ेक

  - ठे

ोड  - ोडेक

बांध  - बांधेक

 कारक

जे संइगा आर सबरनामेक रूप के कारक कहल जाहे, जेकर से सबदेक मांझे नाता गोतर कर जानकारी मिल है, कारक कहल जाहे । खोरठा भासा बेयाकरन में आठ 8 गो कारक मिल हे।

कारकेक नाम               विभक्ति चिन्ह

1. करता      -         0, एं

2. करम       -        क के

3. करन        -       से

4. संपरदान     -    लागिन, खातिर

5. अपादान     -      से, ले

6. संबंध         -      क, कर, आक

7. अधिकरन    -   एं, आंञ

8. संबोधन       -     हे!, एहो!, अगे!

करता कारक    -    मंगरा चललइ

                           रामे चललइ

करम कारक    -    मंगरा रामेक मारलइ

                         राजू सोमराक मारलइ

                         बुधना दसमी के मारलइ

करन कारक    -    राजू कलम से लिखलक

                          फगुआ कोडी से कोडलक

                          बुधनी हसुआ से काटलिक

संपादन कारक -   रामू हामर लागिन गेलइ

                         सुकरा तोहर लागिन बोललक

                         मंगरी तोहर खातिर मोरलिक

                          पुसनी मोहन खातिर पढ़लिक

आपादान कारक -  फेड से आम गिरलक

                           छाइन से खपरा गिरलक

                            मुउ से चुइल गिरलक

संबंध कारक    -     हामर चेताक नोकरी लागल

                            रामकर बेटा लागे ।

                           सोमराक बेटीक नोकरी लागल

अधिकरन कारक   -   बितना नांञ पढतक

                               मंगरा घारें धान नांञ

                               राजू नामें काम नांञ

संबोधन कारक   -      हे छउवा सब !

                               हे आदमी लोग!

                              एहो बड़का तनी सुना !

                             एहो छोटकी संगे चला!

                             अगे मंगरी सिखली!

                              अगे छोडी सुनले!

नोट :

1. खोरठा भासा बेयाकरन के कारक कर करता कारक आर अधिकरन कारक में संइगा पावल जाहे।

2. अधिकरन कारक कर परजोग सोबसे बेसी करल जाहे ।

3. संबोधन कारक के बिभक्ति चिनह "अगे" स्त्रीलिंग कर बोध करहे।

 काल

किरिआक एइसन रूप जकर से समय कर बोध करल जाहे आर काम करेक जानकारी मिल है, ओकरा काल कहल जाहे । जइसे रामु पढे लागल हे, सोमरा पेठि गेलक, सुगनी पढेक सुरू करलीक ।

काल कर परकार - खोरठा भासा में काल कर तीनगो परकार पाबल जाहे-

1. बरतमान काल

2. भूत काल

3. भविसयत काल

1. बरतमान काल - किरिआक एसन रूप जकर से जानकारी मिल हे कि काम चइल रहल हे, ओकरा बरतमान काम कहल जाहे । जइसे -

1. मंगरा भात खाइ रहल है।

2. हाम किताब पढ़े लागल ही ।

3. दमसी घास काटे लागल हिक।

4. बड़का कांदे लागल हथ ।

5. मंगरी डहर देखे लागल हिक ।

6. सुकरा छगरी चरबे लागल हे।

7. अधना बारी जोते लागल हे।

8. फगुआ घारे सुतल हथ ।

बरतमान काल के परकार- खोरठा भासा में बरतमान काल कर तीन गो परकार मिल हे -

1. सामाइन बरतमान काल

2. तताताही बरतमान काल

3. सकाहा बरतमान काल

1. सामाइन बरतमान काल - जे किरिआ से बरतमान में काम हेवेक जानकारी मिल है, ओकरा सामाइन बरतमान काल कहल जाहे । सामाइन बरतमान काल में किरिआ कर पीछु हा, ही, है, हिअइ, हथिन, जोडल आहे। जइसे -

1. तोहरा देखो हि अइ

2. हामिन जा ही

3. तोञ बोल हे

4. अद्यना बोल हथिन

2. तताताही बरतमान काल - जकर से किरिआक बरतमान काल में चलते रहेक जानकारी मिल हे, ओकरा तताताही बरतमान काल कहल जाहे। एकर में किआक पीछु “लागल” जोइड़ के आखिर में हा, ही, हिअई, हथिन लिखल जाहे। जइसे -

1. रामू जाइ लागल हथिन

2. हामिन खाइ लागल ही

3. ओखिन सुते लागल हथिन

4. हामिन देखे लागल हिअइ ।

3. सकाहा बरतमान काल - जेकर से बरतमान काल में किरिआक हेबे - में "सक" मिलहे ओकरा सकाहा बरतमान काल कहल जाहे। एकर में किरिआक पीछु "इत" जोइड़ के आखिर में 'हबे', 'हेबइ', 'हेतक', 'हेबथिन' लिखल जाहे । जइसे -

1. तोहरा जाइत हेबइ।

2. मंगरा लिखइत हेतक।

3. तोञ खाइत हबे ।

4. बजिआ देखइत हेतक।

5. ओखिन खाइत हेबथिन ।

2. भूत काल - अइसन काल जकर से कोनहो किरिआक पूरा हेल कर माने कि सिराइ गेलक एकर जानकारी मिल है, ओकरा भूतकाल कहल जाहे। जइसे-

1. बुधना गेलक

2. रामू खाइलक

3. ओखिन गेलथिन

4. दसमी आइलिक

5. बजिआ बजइलक

6. सोमरा गेलथिन

भूतकाल कर परकार - खोरठा भासा में भूत काल कर छउ (6) गो परकार पाबल जाहे । जइसे-

1. सामाइन भूत काल

2. पूरा भूत काल

3. अध पूरबा भूत काल

4. सकाहा भूत काल

5. टटका - टटकी भूत काल

6. हेतु - हेतु मदभूत काल

1. सामाइन भूत काल- भूत काल कर अइसन रूप जकर से किरिआक हइ गेल एकर सामाइन जानकारी मिल हे, ओकरा सामाइन भूत काल कहल जाहे । एकरा कोनहो समइ सीमा में बांधल नांञ जाहे। जइसे -

1. ओखिन देखलथिन

2. तोत्र सुनले

3. हामिन बोलली

4. राजू गेलथिन

5. मंगरी कहलथिन

6. तोञ खाइले

2. पूरा भूत काल - भूत काल कर अइसन रूप जकर से किरिआक पूरा बेक जानकारी मिल है कि काम ढेइर पहिले खतम भइ गेल है। एकर में किरिआक पीछु 'ले', 'ला', 'अइ' जोडल जाहे । जइसे

1. तोहरा खइले हला।

2. राजू गेल हलइ ।

3. तोहिन सुनले हला।

4. हाम खइले हली।

5. ओखिन सुनले रहथिन ।

3. अध पूरबा भूत काल - अध पूरबा भूत काल में किरिआक सुरूआत, बहुत पहिले भेल रहे आर सिराइल कि नांञ एकर पता नांञ चलहे ओकरा अध पूरबा भूतकाल कहल जाहे । जइसे -

1. हामिन जाइत हली।

2. रामू सुनइत हला।

3. ओखिन खाइत हलथिन ।

4. हामिन बोलइत हलिअइ ।

5. मंगरी लिखइत हलथिन ।

4. सकाहा भूत काल- अइसन भूत काल जकर से भूत काल में काम बेक में सक जनम लेहक। एकर माने काम बहुत पहिले सुरू भेल आर पूरा भेल तकर जानकारी नांञ मिल हे। जइसे -

1. तोंञ गेल हेबइ।

2. ओखिन खइले हेबइ ।

3. सुकरा बोलले हतइ ।

4. सुखना सुतल हबथिन ।

5. दसमी खइले हबथिन।

5. टटका - टटकी भूत काल - भूतकाल कर अइसन रूप जकर से मालूम - हेब हे कि 'काम एखन टटका -टटकी तुरते सिराइल है, ओकरा टटका- टटकी भूत काल कहल जाहे । जइसे -

1. हामिन सुनले ही

2. हाम खइले ही

3. राजू बोलले हथ

4. बुधना देखले हथिन

5. सोमरी गेल हथ ।

6. हेतु - हेतु मद भूत काल - हेतु हेतु मद भूत काल में किरिआक पूरा हेबेक आर नांञ हेबेक दोनों कर बारे जानकारी मिल हे, ओकरा हेतु - हेतु मद भूत काल कहल जाहे । जइसे -

1. राजू अइतल तो हाम जइतली ।

2. मंगरा सुनतल तो मंगरी हंसतलीक।

3. ओखिन बोलतला तो हामिन जइतली ।

4. फगुआ अइतल तो बुधनी बोलतलाइ ।

5. रामु कहत तो हाम जाइब।

3. भबिसत काल - अइसन काल जकर से किरिआक पूरा हेबेक - जानकारी आगु आबेक दिन कर मिल हे, ओकरा भबिसत काल कहल जाहे । जइसे -

1. हाम जाइब

2. रामू खाइतक

3. राजू आइतक

4. मंगरा सुनतक

 वचन

खोरठा भासा बेयाकरन में बचन ओकरा कहल जाहे, जकर से एगो आर एगो से जाहे, वचन कहल जाहे । जइसे छगरी, कुकुर, मुरगिअइन, आदमि अइन। बचन कर परकार खोरठा भासा बेयाकरन में बेयाकरन में बचन कर - दूगो परकार पावल जाहे-

1. एक बचन

2. बहु बचन

1. एक बचन - जेकर से एगो नाम, बसतु कर बोध करल जाहे, ओकरा एक बचन कहल जाहे। जइस-

1. रामू पढ़े गेल है।

2. चरकी घार लिपे लागल टिक

3. सोमरा सुतल रहे।

4. पुसनी रूइस गेल टिक।

5. अधना कुदे लागल है।

2. बहुवचन - जेकर में एगो से बेसी लोगेक नाम, बसतु कर बोध करल जाहे, ओकरा बहुवचन कहल जाहे । जइसे -

1. छगरि अइन गगाई लागल हथिन ।

2. मुरगिअइन चरे लागल हथिन ।

3. कुकुरइन भूके लागल हथिन ।

4. छोड़बइन काम करे गेला ।

5. गाछबइन मोरे लागल है।

बहुबचन बनाबेक नियम - खोरठा भासा बेयाकरण में एक बचन से बहुबचन बनाबेक कइगो नियम मिल है। जईसे-

नियम 1. खोरठा भाषा बेयाकरन में एक बचन से बहुबचन बनाबेक पहिल नियम केकरो नाम कर पीछू "अइन" जोइड़ के बनवल जाहे-

एकबचन               बहुबचन

छगरी                 छगरिअइन

कुकुर                 कुकुरअइन

छुछुंनदर              छुछुनदरअइन

सिआर                सिआरअइन

लोहार                 लोहारअइन

गिदर                 गिदरअइन

डांगर                 डांगरअइन

मासटर               मासटअइन

गोबर                 गोबरअइन

नोकर               नोकरअइन

देखल                 देखलअइन

हुंडार                 हुंडारअइन

बारी                 बारीअइन

नियम-2 खोरठा भाषा बेयाकरन में एक बचन से बहुबचन बनाबे खातिर नाम कर पीछू "बइन" जोडल जाहे। जइसे-

एकबचन               बहुबचन

ेरु                 रूबइन

ाछ                गाछबइन

सोंटा              सोंटबइन

मोटा                मोटबइन

पठरू                 पठरूबइन

ेरू                 ेरूबइन

सेनढरू               सेनढरूबइन

ाडा               ाडाबइन

ेत                 ेतबइन

ोड़ा               ोड़बइन

ेरा                 ेराबइन

ोरा                 ोरबइन

ोखा                 ोखबइन

टांगा                 टागबइन

लूगा                 लूगबइन

झूला                 झूलबइन

पाइट                 पाइटबइन

नियम - 3 खोरठा भासा बेयाकरन में एक बचन से बहुबचन बनाबे खातिर शब्द के पीछु दने “गुला आर गुलीन" जोडल जाहे । जइसे

एकबचन               बहुबचन

ामन                 ामनगुला

ोबी                ोबीगुला

ीदर              ीदरगुला

ाछ                ाछ गुला

पठरू                 पठरू गुला

ाधु                साधु गुला

रमाली               रमाली गुला

हतो               हतो गुला

               मगुला

ामुन               ामुन गुला

ियार                 ियार गुला

ुंडार                 हुंडार गुला

ुकुर                 ुकुरगुला

ेरू                 ेरूगुला

ठकुराइन              ठकुराइन गुलीन

महतबाइन              महतबाइन गुलीन

बोकली               बोकलीगुलीन

मुरगी                 मुरगी गुलीन

गाई                 माइ गुलीन

चरई                 चरई गुलीन

चेंगना                चेंगना गुलीन

मासटरनी           मासटरनी गुलीन

छगरी                 छगरी गुलीन

बाछी                बाछी गुलीन

नियम - 4 खोरठा भासा बेयाकरन में एक बचन में बहुबचन बनाबे खातिर नाम कर पीछु "मन" जोडल जाहे । जइसे

एकबचन               बहुबचन

गीदर - गीदरमन

पठरू - पठरूमन

छगरी - छगरीमन

साधु - साधुमन

लेरू - लेरूमन

बेटा - बेटामन

नाती - नातीमन

नतनी - नतनीमन

जनी - जनीमन

छोड़ी - छोडीमन

मरद - मरदमन

डांगर - डांगरमन

घोड़ा - घोडामन

भालू - भालूमन

कुकुर - कुकुरमन

मुरगी - मुरगीमन

साढ - साढमन

सालो - सालीमन

बहिन - बहिनमन

काका - काकामन

काकी - काकीमन

मामा - मामामन

नाना - नानामन

नानी - नानीमन

भउजी - भउजीमन

दादा - दादामन

दीदी - दीदीमन

छउआ - छउआमन

दामाद - दामादमन

बहू - बहूमन

डांगर - डांगरमन

 लिंग

खोरठा भासा बेयाकन में जकर से संगा, सरबनाम आर किरिआ कर रूप में परजोग करेक पहर पुरूस बसुत आर भाब कर इसतिरी जाति अथवा जाति कर बोध करल जाहे, ओकरा लिंग कहल जाहे । जइसे रामू, अद्यना, फगुआ, दसमी, मंगरी, सुकरी, धार, दूरा, दुख, दरद, लाज, सरम आरो।

लिंग कर परकार :- खोरठा भासा बेयाकरन में लिंग कर दूगो परकार मिल हे- -

1. पुलिंग

2. इसतिरी लिंग

1. पुलिंग - जकर से संगा, सरबनाम किरिआ आर भाव कर पुरूस जाति कर बोध करल जाहे, ओकरा पुलिंग कहल जाहे । जइसे -

सजीव - रामू, राजू, काडा, बरद, बकरा

निरजीब - धार, दूरा, कुरसी, खिडकी, लोहा

भाव - दुख, दरद, अपनापन, मोहबत

2. इसतिरिलिंग - जकर से संगा, सरबनाम, किरिआ आर भाब कर इसतिरी जाति कर बोध करल जाहे, ओकरा इसतिरिलिंग कहल जाहे। जइसे-

सजीब - मेहरारू, छोड़ी, भइस, मुरगी, कुतिआ ।

निरजीब - खटिआ, रोटिआ, कोडी, काठी ।

भाब - लाज, सरम, डर, भअ, काठा, माआ, मोह।

पुलिंग से इसतिरिलिंग बनाबेक नियम : खोरठा भाषा बेयाकर में पुलिंग से इसतिरिलिंग बनाबेक कइगो नियम पाबल जाहे-

नियम -1 खोरठा भाषा में पुलिंग से इसतिरिलिंग बनाबेक खातिर नाम कर पीछू "बइन” जोडल जाहे। जइसे -

पुलिंग       इसतिरिलिंग

साधु - सधुबाइन

महतो - महतबाइन

गुरू - गुरुबाइन

साढु - साढुबाइन

नउबा - नउबाइन

बाबू  - बाबूबाइन

पटबा - पटबाइन

चोबे - चोबेबाइन

नियम - 2 खोरठा भाषा में पुलिंग से इतिरिलिंग बनाबेक खातिर नाम कर पीछू “अइन” जोडल जाहे । जइसे -

पुलिंग       इसतिरिलिंग

गत - भगताइन

ठाकुर - ठाकुराइन

ाहु - साहुआइन

निआ - निआइन

ोहार - ोहराइन

ादु  - ादुआइन

देबर - देबराइन

मिसरा - मिसराइन

मांझी - मांझीआइन

बेदिआ - बेदिआइन

सेठ - सेठाइन

दरोगा - दरोगाइन

मुंडा - मुंडाइन

पाहान - पाहनाइन

केबट - केबटाइन

तेली - तेलाइन

नियम - 3 खोरठा भाषा में पुलिंग से इसतिरिलिंग बनाबेक खातिर नाम कर पीछु "इन" जोडल जाहे । जइसे -

पुलिंग       इसतिरिलिंग

बाध - ाघिन

ांप - ापिन

ाग - ागिन

ेली - ेलिन

ठाकुर - ठाकुराइन

भगत - भगताइन

सुंडी - सुंडिन

सोनार - सोनारिन

सांढ - साढ़िन

कोइरी - कोइंरिन

बाद्य - बाधिन

नाती - तातिन

नियम - 4 खोरठा भासा में पुलिंग से इसतिरिलिंग बनाबेक खातिर नाम कर पीछु "ई" जोडल जाहे। जइसे-

पुलिंग - इसतिरिलिंग

राजा - रानी

मुरगा - मुरगी

बड़का - बड़की

छोटका - छोटकी

 समास

समास का अर्थ है, संक्षेप। कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ प्रकट करना समास का उद्देश्य है।

प्रसिद्ध वैयाकरण पंडित कामता प्र. गुरू के अनुसार- दोया दो से अधिक शब्दों का परस्पर संबंध बताने वाले शब्दों या प्रत्ययों का लोप होने पर इन दो या अधिक शब्दों से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है, उसे सामासिक शब्द कहते हैं और इन दो पदों के संयोग होने की प्रक्रिया समास कहलाता है।

इसकी निम्नलिखित विशेषताओं को चिन्हित किया जा सकता है -

1. समास में कम से कम दो पदों का योग होता है। दो पदो से अधिक पदों का भी समास होता है, किन्तु हिन्दी एवं खोरठा की प्रकृति दों पदों की है।

2. दो या दो से अधिक पद एक पद हो जाते है। जैसे - प्रति दिन प्रतिदिन, गंगा जल - गंगाजल

3. समास में समात्प होने वाले पदों का प्रत्यय या विभक्ति लुप्त हो जाता है

समास के भेद - समास के मुख्यतः सात भेद होते हैं

1. अव्ययी भाव

2. तत्पुरूष

3. कर्मधारय

4. द्विगु

5. नञ

6. बहुव्रीही

7. द्वन्द

1. अव्ययी भाव समास- जिसमें पहला पद प्रधान हो और समास्त या समासिक पद अव्यय हो जाय। इसमें प्रथम पद उपसर्ग जाति का अव्यय होता है।

जैसे - पइतदिन, पइतबद्दर, पतझन, पतझन, हरबछर हरसाल, विग्रह - दिन-दिन बछर - बछर, झन-झन बेलुरा, बेकामां, बेधड़क, निधड़क, निहुनर, बिफिकर, निखडक, निरबंस, परखउका, परजरूआ, जाइजिनगी, भइरपेट, हरबेइर, लिलज, निलज, निपुता, बेझकल,बेदाग,परजाइत

2. एक साथ ही किसी शब्द को दोबारा प्रयोग करने से भी अव्ययीभाव समास होता है।

जैसे करे - करे, गते - गते, धड़ा - धड़, मांझ - - मांझ, खन - खन, राइते- राइत, दिन - दिन, रसे - रसे, केरमे - केरमे, कटि- कटि, जरि - जरि, अलगे-अलगे, लचर -लचर, लझर-लझर, फचर- फचर

खोरठा में इस प्रकार के अनुकरणात्मक शब्दों की बहुत बड़ी संख्या है अर्थात्. प्रत्येक वर्ण से लगभग इस प्रकार के द्विरूक्त एवं अनुकरणात्मक ध्वन्यात्मक शब्द पाये जाते हैं। ये क्रियाविशेषण बोधक होते हैं। ये अव्ययीभाव समास है।

3. द्विरुक्त शब्दो के साथ ही, से, न तथा 'आ' हिन्दी के प्रभाव के कारण आ जाते हैं। जैसे-

• आपरूपी - आपसे आप

• मनेमन-मन ही मन

• कंधु नी कंधु-कंधी नी

• कंधी कहीं न कहीं

• अचेक्क - एकाएक

4. द्विरुक्त शब्दों के मध्य में उर्दू-फारसी का 'दर', शब्द आने पर भी अव्ययी भाव समास बनता है। जैसे- पुसुत दर पुसुत, साल दर साल, खुंटी दर खुंटी।

5. वैसे क्रियाविशेषण शब्द जिसमें से पहला पद मुख्य होता है और दूसरा पद इसी के अनुकरण पर या ध्वयात्मक समानता के आधार पर बना होता है, अव्ययी भाव समास के अन्तर्गत आती हैं। जैसे-

लझर - पझर

 हदर - बदर

खटर - पटर

हडर - बडर

लचर - पचर

2. तत्पुरूष समास.... जिस समास में दूसरा या अंतिम पद प्रधान होता है, उसे तत्पुरूष समास कहते हैं।

जैसे-राजाघार, सोनचरञ, पइन कउआ, पइन डुबकी, पइन सोखा

इन उदाहरणों का विग्रह इस प्रकार होगा-

राजाक घार, सानोक चरयं, पानी में रहनेवाला कउवा, पानी में डुबकी लगवे वाला चरय, पानी के सोखे वाला इत्यादि ।

नियम - तत्पुरूष समास में पहला पद विशेषज्ञ की तरह होता है। इस शब्द के साथ कारक की विभक्तियां लगती है।

कारक की विभक्तियों के आधार पर इसके निम्नलिखित भेद होते हैं।

2.1 कर्मवाचक

द्वितीय तत्पुरूष - इसमें कर्म कारक की विभक्ति लगती है।

जैसे - पइन सोखा, पानी के सोखनिहार,

मइट कटा - माटी के काटेवाला

माछामारा / मछरमारा - मछरी के मारेवाला

घरभोरा - घरके भरवइया

मोटढोवा - मोटा के ढोवेवाला, मुहलुकवा, मुहचिकना, बातबनवा, बतचिकना, बतजोरा, घामगारा, चामसुखा, गातजारा, बतजोगा, बतजोरा, जांगरढाहा, हाड़तोरा, बारीओगरा, कपरफोरा, ढेकफोरा/ढेलफोरा, पइनभोरा, पइनभोरी, भतरखउकि, मरखडका, जहरमारा, बतनिंझा, बेटमारी, पगइरढाहा, झरग सिरजा, पतइरचट्टा, हांडीहुलका, धराफोरा, कठखोटकी, बतसुना, तेलचट्टा, पत्थर चट्ा, चरयमारा, खेतजोता, हरजोता, धरघुसकी, जहरमोरा, सरगफोरा, गुरमोरा

2: 2 तृतीय तत्पुरूष (करण कारक ) इसके प्रथम पद में करण कारक की विभक्ति ई ए आजअ बाज लगी होती हैं जो विग्रह करने पर सामने आती है।

जैसे - ढेंकीकुटा - ढंकी कुटल / ढेंकिए कुटल

मोदमताल - मोदे मातल

धनबुबुक - घनेबुबकल

नींदम - नींदे मातल

रउद जरा/रोदजारा, रोदें जरल रोडाढा-रोदें डाढल

रोदपाका - रोदें पाकल, रोदसीझा, पयमारा, पयें मारल, रोग से मारल, बजरमोरा, बजरे मोरल

2: 3 चतुर्थी तत्पुरूष (सम्प्रदान कारक ) इसके प्रथम पद पर सम्प्रदान कारक की चतुर्थी लेल / लाई /लागिन / खातिर विभक्ति लगती है। जैसे-

• डहरखरच - डहर लागिन खरच

• घरखरची - छटेकलागिन खर्च

• देसभगति - देसेक लागिन भगति

• हंथ कड़ी - हाथेक लागिन कड़ी

• डंड सिकरी - डंडाक सिकड़ी षष्ठी तत्पुरुष

• मंगटीका - मांगेक लागिन टीका षष्ठी तत्पुरुष मांग का टीका

• हथबोझा- हांथेक लागिन बोझा - षष्ठी तत्पुरूष, हाथ का बोझा

• बाजुबंद - बाजुक लागिन बंद षष्ठी तत्पुरुष ,हाथ का लोहा

• मंझडांग - मांझेक लागिन डांग  षष्ठी तत्पुरुष , बाजू का बंद - बाजूबंद

• बधजोबरा - बांधेक लागिन जोबरा

2:4. पंचमी पुरूष - इसके प्रथम पद में अपादान कारक 'की 'ले' विभक्ति लगी होती है, जो विग्रह करने पर दिखाई पड़ती है। जैसे-

• दूधटुल- दूध ले टुटल

• अलगडीहा - अलग हइ जे डीहले / डीह ले अलग

• दूधकटा - दूध ले कटल

• डहर छाडा - डहर ले छुटल/हटल

• नींद टुटा - नींद ले टुटल

• डाइर छुटा - डाइर ले छुटल

2:5. षष्ठी तत्पुरूष (संबंधकारक ) - उसके प्रथम पद में संबंध कारक की विभक्ति 'क' लगी होती है, जो विग्रह करने पर स्पष्ट होता है। जैसे-

• हंडीसार - हांडिक सार (शाला ) हेंठगढा,

• डंडसिकरी- डंडा का सिकरी

• बाहमनडीहा - बाहमनेक गांव

• कलसार - कलेक सार शाला

• गंगाजल - गंगगाक जल

• देवघर - देवेक घर

• बोनमानुस - बोनेक मानुस

• ननिहर - नानीक घर

• ममहर - मामाक घर

• अमचूर - 'आमेकचूर

• राजदरबार - राजाक दरबार

• राजमहल - राजाक महल

• दूधघर - दूधेक घर

• ढेकीसार - ढेकिक सार (घर)

• बोनमुरगी - बोनेक मुरगी

• कादोफूल - कादोक फूल

• घर भुतवा - घरेक भुतवा

• हवाई जहाज - हवाक जहाज

• पइन जहाज - पानीक जहाज

• ससुरार- ससुरक घर

• बध जोबरा - बाधेक जोबरा

• ससुरघर - ससुरेक घर

• कठघोड़ा - काठेक घोड़ा

• घोड़सार - घोड़ाक सार (घार)

• गोलपार - गोल चकरेक पार

• घड़सार - घड़ाक सार (घाट)

• पेटरवरिया - पेटरवारेक रहवइया

• परनदिया - नदी पारेक लोग

• अमझोरा - आमेक झोर

• घरबारी - घरेक बारी

2:6. सप्तमी तत्पुरूष (अधिकरण कारक ) - जिसके प्रथम पद में अधिकरण कारक की विभक्ति एं/यं/ वांय लगी होती है, जो विग्रह करने पर दिखाई पड़ती है। जैसे

पतलुका - पातें लुकाइल

गछपका - गाछें पाकल

घरढुकी - घारें ढुकेक

घरबइसु - घारे बइठल

उपरे बांध - उपर में बांध

3. कर्मधारय - जिस समास के दोनों पदं प्रधान होते हैं, उसे कर्मधारय समास या समानाधित समानाधि करण तत्पुरुष कहते हैं। जैसे -

• ललपनिया - लाल रंगेक पानी हइ जहाँ

• दूधमटिया - दूध रंगेक माटी हई जहाँ

• कारी पानी - करिया रंगेक पानी हइ जहाँ

• नील कमल - नीला रंगेक हइ जे कमल

• गांगानेरिया - गंगा नियर जोरिया हइ जहाँ

• कुकुर पेटा - कुकु नियर पेट हइ जेकर

• भालुक गोड़ा - भालू नियर गोड़ हइ जेकर

• कुकुरमुहा - कुकुर नियर मुहं हइ जेकर

• छगरी मुँहा - छगरी नियर मुंह हइ जेकर

• पतसुगी - पतइ नियर जे सुगा हइ

• कर्मधारय समास के दोनों पदों में विशेषण - विशेष्य एवं उपमान उपमेंव संबंध होता है।

4. द्विगु समास - जिस समास का पहला पद संख्यावाचक हो, उसे द्विगु कहा जाता है। जैसे- दुअनी, अठनी, तिमाही, छमाही, चरगोडिया, तीन कउड़िया, सतघरवा, सतकउड़िया, सतभतारी, बारहगंवा, बारहसिंघा, बरभतरी

5. नय् समास- इस समास का पहला पद नकारात्मक होता है यह अन, अ, बे, नि, निर आदि रूप में पाया जाता है। जैसे- अनठेकान, अनपथार, अनठेहरी, अनहोनी, अनगरजू, अनगिनति, अनदेख, अनचेत, अनिआय, अजोइग, अंदाव, अकाल, अचेत, बेहिसाब, बेफिकर, बुलुरा, बेकाया, बेहूदा, निफिकरा, निबंसा, निहुनरा, निगोड़ा, निपुता, निखडका, निरमुनिया, निरध निया, निरबंसा, निरलजा ।

6. बहुब्रीही - जिस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि अन्य पदार्थ या वस्तु प्रधान हो जाय या समास के विग्रह से किसी ऐसी वस्तु का बोध करा दे जो इसके लिए रूढ हो गया हो उसे बहुब्रीही समास कहते हैं। बहुब्रीही का अर्थ ही होता है किसी को उपाधि देना, सम्मानित करना, अर्थात् दो शब्दों के मिलने से एक तीसरे अर्थ की प्रतीति कराना ही बहुब्रीही है। खोरठा में एसे समासिक शब्द बहुत कम पाये जाते हैं। जैसे-अठगोड़वा-आठगो गोड़ हइ जेकर साधारण अर्थ होगा कि आठ पैर जिसका है। यह तो किसी भी आठ पैर वाले के लिए प्रयुक्त हो सकता है पर यह किसी विशेष प्रकार के कीड़े के लिए ही प्रयुक्त होता है।

• चउमुखा-चाइरगो मुंह हइ जेकर - एक विशेष प्रकार का परजीवी कीड़ा जो जानवरों की देह में चिपका रहता है।

• अठगोड़िया - आठ गो गोड़हइ जेकर। यह भी एक विशेष प्रकार का कीड़ा होता है, जो गंदे लोगों की देह में चिपका होता है।

• कठ खोटी/कटखोटका - जो काठ को खोदती है, वह विशेष चिड़ियाँ।

यह शब्द उस व्यक्ति के लिए प्रयुक्त हो सकता है, जो काठ खोदने का काम करता हो, किन्तु यह शब्द एक विशेष प्रकार की चिड़िया के लिए रूढ हो गया है, जो काठ को खोदकर अपना घोंसला बनाती है।

• दोसाला / दुसाला - एक प्रकार का चादर विशेष जो दो साल चले यह शब्द भी चादर विशेष के लिए रूढ हो गया है।

• दो बाट - एक स्थान विशेष जहां शवयात्रा के दौरान मध्य पड़ाव है, जहाँ शव को रखा जाता है और महिलाएँ उस स्थान से शवयात्रा से वापस आ जाती है।

व्यतिहारी बहुब्रीही - जिसके घात-प्रतिघात, सूचित हो, उसे व्यक्तिहार कहते हैं।

जैसे- मुक्का-मुक्की, पीटा-पीटी, धक्का धक्की, रगड़ा-रगड़ी, चौंथा - चोंथी, नोचा-नोची, मारामारी, लाठालाठी, कहासुनी, खीचाखींची, खीचातानी, ठेलाठेली, कांथाकांथी।

इस तरह के सामसिक शब्द खोरठा में बहुलता में प्रयुक्त होते हैं। इसके अतिरिकत हिन्दी के बहुत से सामास शब्द खोरठा में प्रयुक्त होने लगे हैं। जो निम्न प्रकार के है -

• लंबोदर - लंबा है, उदर जिसका - गणेश

• पीताम्बर - पीला है अंबर जिसका - विष्णु

• नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका - शिव

• अनंत - नहीं है अंत जिसका - ईश्वर

• पंचानन - पांच है आनन जिसके - ब्रहमा

• चर्तुभुर्ज - चार हैं भुजाएं जिसकी - विष्णु

• दशासन - दस है, आनन जिसके - रावण

• पतझड़ - पते झडते हैं जिस मौसम में

• अनमोल - नहीं है मोल जिसका

• हंसमुख - मुख में है हंसी जिसके

• खुश मिजाज - खुश है मिजाज जिसका

• मनचला - चंचल है मन जिसका

• टुटपुंजिया - टुट गयी है जिसकी पूंजी

• बड़भागी - बड़ा है भाग्य जिसका

7. द्वन्द्व समास - जिस समास में दोनों अर्थात सभी पद प्रधान हो उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। इस समास के विग्रह में और, आर, चाहे, बा संयोजक शब्दों का प्रयोग होता है। जैसे-

माई - बाप - माइ आर बाप

राम-लक्ष्मण - राम आर लछुमन

द्वन्द्व समास बनाने के नियम

1. प्रायः एक ही अर्थ के दो पदों के मेल से भी द्वन्द्व समास बनते हैं।

जैसे- बाल बच्चा, दिया बाती, कंकड - पत्थर, माइर - पीट, नोंचा - चोंथा, चाइल-चलन, टाइड - टिकुर, धन-दउलत

2. विरोधी अर्थ वाले पदों से भी द्वन्द्व समास बनता है। जैसे - आगू - पेछू, लेन-देन, हेंठ-उपर, चढ़ान - नामान, गिरान - उठान

3. ऐसे पदों के मेल से भी द्वन्द्व समास बनता है, जिनमें एक पद सार्थक और दूसरा पद निर्धारक या अप्रचलित होता है। जैसे

आमने-सामने, बात-चीत, अरोसिया-परोसिया, चाइल - ढाइल, पेठिया - पालो,

द्वन्द्व समास के भेद - इसके मुख्य तीन भेद होते हैं। 1. इतरेतर 2. समाहार 3. वैकल्पिक

1. इतरेतर- जिसमें दोनों खंडों की प्रधानता होते है

जैसे - माइ-बाप, भाइ-बहिन, नाक-कान, घटी-बढ़ी, लोटा - डोरी, दाइल-भात, दही-चूरा, तन-मन, जनी - मरद, बेटा-बेटी, छउवा-पुता, गाय - गरू, काड़ा - भंइस

2. समाहार - जिस समास के समूह, समुदाय, या इकठा होवे का भाव मिलता है।

जैसे - जीवगंत, चरंय- चिनगुन, रूपइया - पइसा, पइसा - कउड़ी, साग-भात, घास-फुस, चमक-दमक, भूत - परेत, संकार- पतार, काम-धंधा, हाथ-गोड़ (हगरदन तक हांथ जोड़ चले) अन-पानी (खायक पियेक अलावे आरो चीज) अंखरी - पिसरी ) सभे किसिम के कीड़ा-मकोरा ) घार-बार (घर गृहस्थी चले से संबंधित सभी बात )

3. वैकल्पिक जिस समास के दोनों पदों के बीच स्थित अव्यय का लोप होता है, उसे वैकपिक द्वन्द्व समास कहते हैं।

जैसे - बीस-पच्चीस (बीस चाहे पच्चीस )

दस- पांच (दस चाहे पांच)

दस-बारह

पंद्रह-बीस

 प्रकीर्ण साहित्य

क) मुहावरें (अड़गाही )

'अंगना कादा करा - बार-बार आना

अंगरीयें नचवा - अपने अधीन करना

अंठीयाइ जावा - नजर अंदाज करना / अधिक उम्र का होना

अछल-गदल लावा - पेट भर के खाना

अलगा होवा - बहिष्कृत होना

अड़खर दिया - युक्ति करना

'आंइख मारा - इशारा करना

आंखी-काने - किसी भी अंग में

आइग पानी करा - कठिन काम करना

इरखा इरखी करा - परस्पर दोष मढ़ना

इहां ऊंहा करा - पक्ष-विपक्ष करना

इकर उकर हवा - पक्ष-विपक्ष में होना

उठा उठी लागा - व्यस्त रहना

ऊपरी उठा - समर्थन करना

ऊँचा पीर्हा खोजा - मान-मर्यादा खोजना

एक से एकइस होवा - अधिक संतान का आशीष

एंडचाई करा - काम न करने का मन बनाना

एका-एकी होवा -अलग होना

औजरा भोरा - भरपूर

ओकताइ जावा - बेचैन होना / थक जाना

ओझराइ लिया - समाप्त करना

काना-कुनु सुना - अफवाह

कुकुर पेटा -  अति भोजी

काने तेल लेवा - अनसुना करना

कुलकुली दिया - हल्ला करना

काड़ाक कांइध - अति काला

कुंइथ- कांइथ करा - जबरदस्ती

कोरांय खेलवल - बचपन से जानकारी

कॉव-पेंच करा - हल्ला करना

कानी अंगरी बराबर -  न्यून समझना

काट-कुट करा - मंत्र-तंत्र करना

कउवा-काठी करा - झगड़ा लड़ना

कान भोरा - बहकाना

कापारे चढ़वा - अधिक लाड़ प्यार करना

खुंदुर -मुंदुर करा - माँगने के लिए जिद्द

खुनुस खोजा - बहाना ढूंढना

खुइन करा - हत्या करना

खुटखुटी गुचवा - शंका समाधान

गुड़ी दिया - दावा करना

गोड़ छांदा - आग्रह करना

गुंड़री घेरा - चक्रव्यूह रचना

घांटा घांटी करा - पढ़ना-लिखना

घाट करा - श्राद्ध का कर्म

घर फोरा - फूट डालना

घर-आंगना एक करा - बारम्बार आना

चुपकी सइतान - भीतरी बदमाश

चाँदे माड़इर बइसा - वर्षा का लक्षण

चाके बइसा - सूर्यास्त का प्रारंभ

चूल्हाक जुकुर - हल्का (कमजोर) समझना

चिरकुट मइल - अति कालापन / गंदा

चुल्हे मूता - बदमाशी करना

चलन बेंडा - कुमार्गी

जरल उपर नून छिटका - विपत्ति पर विपत्ति

जाइत करा - जमात में शामिल

जीउ पानी करा - तंग करना

झलका काना - कम देखना

झग्गर कुटवा - झगड़ालू

झनगा-झनगी हवा - फूट होना

झोइल बजवा - फुर्सत में होना

टांगा बजरवा - मुसीबत लेना

टंगे ढोल पीटा - आनन्द मंग्न

टोकाइर पारा - प्यार जताना / हाँ-हूँ करना

टपर गावा - बेरोजगारी

टोमड़ा-टोमड़ी करा - खोजना

ठोइक ठाइक करा - जाँच करना

ठोरा-ठोरी होवा - हल्का झगड़ा

 ठाँव- दिया - आश्रय देना

डांडा सोझ करा - विश्राम करना

डांडाक जोरे - क्षमता भर

डांडा सकतवा - मजबूत होना

ढनकल बुला - बिना काम का/ इधर-उधर जाना

ढनमनी दिया - चित करना

दुसमल चला - ठोकर खाते चलना

ढीढा उपर - बहाना खोजना

ढेलुवा झुका -  आनन्दित होना

ताय -ताय करा - बोलने सीखना

तेल हरदी करा - जन्म संस्कार

तर हायें रोवा - असंभव काम

थापाई थुपुइ चाला - चलने सीखना

थूकें साथी साना - अपर्याप्त सामग्री

थोरा-मोथ होवा - आनाकानी करना

दाँत पजवा - खाने की इच्छा करना

दाना मांजइर घुरा - चारों ओर घुमना

दहिनाइ दिया - छोड़ देना

धाने-कापासें करा - बेकार काम करना

धात डुबा - मरणासन्न

धकर-धकर करा - जल्दबाजी करना

नाठेक गुरु - बदमाशों का अगुवा

नाके नून कसा - मुसीबत में डालना

नाकार-नुकुर करा - इन्कार करना

पेटेक छउवा चीन्हा - बुद्धिमानी

पलक मारा - विश्राम करना

पोसल कुकुर काटे दउरे - कृतघ्न होना

फूला बांसी होवा - बेकामी

फफर दलाली करा - बीच में बोलना

फचका फँदाइ परा - संकट में पड़ना

फोरी फॅदा करा - षडयंत्र करना

बखरी जोरा - समाज उत्थान

बापक नायं भूलाइ दिया - जीत का दावा

बाहीक बल भांगा - समर्थन

भेसाइ दिया - चिढ़ाना/ नकल उतारना/गुस्सा दिलाना

भोरी भसका - अति भोज

भांगा कुंदा - बक बक करना

भाॅड़ा -भाॅड़ी करा - काम बिगाड़ना

मुंडे चढ़वा - अधिक लाड़-प्यार करना

मुँह बिचकवा - चिढ़ाना

मुँह फूलवा - गुस्सा होना

रकते धोवाइ जावा - घायल होना

राजी नामा होवा - समझौता

रद- बंद करा - जी-जान से लगना

लदफद होवा - प्रसव काल

लोलो-गोब्दो क़रा - बेकार की बातें

लाइत मारा - उपेक्षा करना

सरग जादा - निधन होना

सोझाक उपर बोझा - सरल व्यक्ति को अधिक काम

सुरका गांइठ देवा - सदा याद रखना

सांखा चुरी फोरा - विधवा होना

हॉठ - माड़ा दिया - अनशन करना

हरदी बोलवा - हार मनवाना

हाड़ें हरदी लागा - पाणिग्रहण (विवाह होना)

हाय काठ मारा - आश्चर्यचकित हो जाना

 अतिरिक्त मुहावरे

आइग टांगा - शरारत करना

आइगें मुता - अति करना

आइरे - गोहरें - जहाँ-तहाँ

आगें चढ़ाई फेड़े-छेव दिया - दगाबाजी करना

आइख देखवा - क्रोधित होकर बात करना

आंखी भेलवा परा - डाह करना

उपरा- उपरी होंवा - दलगत भावना

गांदर-गुंदूर करा - छिप कर बात-चीत (षड़यंत्र)

गाल मारा - बात-चीत करना

गाल बजवा - बात-चीत करना

खइरका दूँगा - सदा के लिए अलग होना / छोड़ देना

आँखी धुरा देवा - धोखा देना

आंइख मुंदा - मर जाना

आइग लगवा - झगड़ा करवाना

गोड़े गिरा - शरणापन्न होना

हाड़े हरदी लागा - अत्यधिक परिश्रम करना

डीडे हार घुरवा - सर्वनाश करना

दीपा ढहान करा - नाश करना

खाटी गता - बीमार होना

बइस जावा - रोजगार से मुक्ति

तीन मुड़िया होवा - बूढ़ा हो जाना

भरती गाते होवा - गर्भवती होना

मिसी भिना - युवावस्था में प्रवेश

आसापति हवेक - गर्भवती होना

बिहाक पानी लागा - विवाहोपरांत शारीरिक विकास

हरदी पानी करा - सगुन करना

नावां जनम होवा - प्रसव होना

सात काले एक काल ठेका - बूढापा

टिटकाइर दिया - उत्प्रेरित करना

लतें छुवा - सर्पदंशन

माछी मारा - बेकार होना

कारी घाम देवा - अत्यधिक परेशानी

खुइन गरम होवा - क्रोधित होना

कापार रांइग देवा - घायल करना

निसा फाइर देवा - होस में लाना

गात झइर जावा - दुबला होना / गर्भपात

हाथें धरा - जबानी/सहारा देना

गोड़ उठाइके चला - जल्दी चलना / संभलकर चलना

गुस्टिक सराध भूजा - सर्वनाश करना

काँध काठिक बेरा होआ - सॉझ होना

गातें घुन लागा - बीमारी का प्रवेश होना

 ख) लोकोक्तियाँ (लोक बाइन)

अंधरा में काना राजा - अकिंचन का महत्व

अंधराक जइसन दिन, तइसन राइत - समान रूप से

अंगरी घरइतें बांइह धरा - छोटे से बड़े तक की पहुँच

अघाइल बोकली पोंठी तीता - कुछ भी अति ठीक नहीं

अनकर चूका अनकर घी, पांडेक बापेक लागत कि - दूसरे की वस्तु स्वादिष्ट लगना

अजवाइर सुखें गधा मेलान - सुखानन्द

अरंडी बोने बिलाइर बाघ - अकिंचन का महत्व

अघन सुखें फूलल गाल, फइर बहुरिया ओहे हाल - सब दिन एक समान नहीं

अनकर धने बिकरम राजा - दूसरे की वस्तु पर अधिकार

आपन गाँवें कुकुर राजा - क्षेत्र विशेष पर अधिकार

अपने गेल तो गेल, नौं हाथेक पगहो लेले गेल -  एक के साथ दूसरे वस्तु को भी खाना

आपरूचि भोजन, पररुचि सिरिंगार - अपनी और परायी की रूची

आइझेक बनिया काइलेक सेठ - कम पूँजी से अधिक पूँजी बनाना

आपने भाड़ तो परोसियों भांड़ - अपने जैसे पड़ोसी

आरो गुडरी बेल तर - धोखा खाना

आगु नाथ न पेछु पगहा - बिना सहारा का

इंगितेक भाखा के बुझे - इशारा की भाषा

ईटा-उटा करल्हीं बेस - व्यस्त रहना

ईटा-सेटा कहा भार - बेकार की बात न बोलना

उठ छँउड़ी तोर बीहा - जम्दीबाजी काम करना

उखर गातें के देइ तेल - गरीबों को नहीं पूछना

उखर गातें तेल चप-चप - गरीबों की आवभगत

उगल सुरूज डुइब जाइ - सब दिन बराबर नहीं

उच्छिन्न लोकेक कहाँ बास - बदमाशों का ठौर ठिकाना नहीं

एगो के सुघों, एगो के दुहों - बराबर नजर नहीं

एका पुता चेंगा मुता - एकलौता पुत्र का अधिक लाड प्यार

एक आँख काजर, एक आँख कारी - भिना भेद करना

एक माघे जाड़ नांइ सिराइ - सब दिन बराबर नहीं

एक जोल्हांइ हाट नांइ - अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता

एक डारहा हरदी गोटे गाँव खोखी - दुर्लभ वस्तुओं की अधिक मांग

ओहरिक काम दोहरी - किसी काम को अनावश्यक रूप से दोबारा करना

कानी गायक भिनू बयान - दोषी आदमी का पृथक विचार

काम पियारा कि चाम पियारा - कर्मवाद की श्रेष्ठता

कुकुरेक पेटें घीव पोचे - एक की मांग दूसरे के लिए निरर्थक

काना आपन मन्हीं जाना - मन ही मन समझना

काड़ा बिनु हार नाई, बुढ़ा बिनु चार नाइं -  स्थानानुसार वस्तु की श्रेष्ठता

कानी गाय बाभन दान, बाभने कहे लये आन - मुफ्त का खाना

कखन जनमल सियार, कखन देखल बाइढ़ - कम उम्र में ही अधिक की इच्छा

खेत खाइ गधा, माइर खाइ जोल्हा - करे कोई भोगे कोई

खीस खाइ कापार, राग खाइ संसार - क्रोध से हानि

खपरी कि भुंजनाठी चिन्हें - स्थानानुसार वस्तु का नाश

खसर २ गात मुँह चिकन बात - चिकनी चुपड़ी बात

खैर खावा गरू, नाइ माने चेत - लोभी

गइयो हॉ, बरदो हॉ - हाँ और ना दोनों सही

गरीबा मोरे बुलते-चलते, अमीरा मोरे खुइन बोकलते - मेहनत कश का आरोगी होना

गरीबें कि करता परब, जघिये दाइल-भात तधिये परब - गरीबों के लिए कोई उत्सव नहीं

गाछें कठर होंठे तेल - दूर की इच्छा करना

गदर से झूझूने भारी - निरर्थक वस्तु की श्रेष्ठता

गुरा फुटल दुख बिसरल - विपत्ति समाप्त

घरेक मुरगी, दाइल बराबर - पास की वस्तु को महत्व न देना

घर फूटे तो गंवार लूटे- फूट से हानि

घुघू देखलों, घुघुक फॉद नांइ- ज्ञान की कमी

घरें भात तो बाहरों भात- घर में मान तो बाहर भी मान

घरें भूंजी भॉग नांइ, बीबी ढेकरे चीरा- अहंकारी होना

घरे हलई बेटाक बीहा, गेल हलइ साढुक बरियात- निरर्थक वस्तु की महत्ता

चले सादा, निभे बाप-दादा- सादा जीवन

चरे गेले ने चोंथाइ मोरे- अधिक परिश्रम

चोरिक धन, मंदरिक पइला- दूसरे की संपत्ति को हड़पना

चड़कल बदरी, बइरसे नांइ- बिखरे बादल बरसते नहीं

चटक मटक खाइ, जीउ बेंड़ाइ जाइ- बिना सोचे समझ कर खाना

छूछा के पूछा- निर्धन की पूछ नहीं

छोट मुँह, बोड़ बात- डिंग हाँकना

छगरिक गोड़े तेल, सेहे दसा भेल- अदना का महत्व देना

छपइल जाई आगरा, जइसन लोक नूमरा- कमजोर व्यक्तित्व तिनके की तरह

जकर बांदर ओहे नचावे- मालिकाना

जइसन हीराक चोर, तइसन खीराक चोर- सब चोरी बराबर

जकर नाम उँच, तकर काम बुच- ऊँची दूकान फीकी पकवान

जकर नून खाय, तकर गुन गाय- गुनगान करना

जनी- मरद राजी कि करे गाॅवेक पाजी- एक मत होना

झबरल गाते चेथरी टोना - समय के अनुसार वस्तु का महत्व

झरल पात बुढ़ा गात- जीर्ण पत्र और बुढ़ापा समान

झख माइर, गेली हाइर - परिश्रम का फल नहीं मिलना

झूरे-पाते टाका फाटे- बेशुमार दौलत

झूर हिलइलें बाघ डेराइ- डरपोक

 टकइत रानी कते पानी- धन का घमंडी

टटके रंधाइ, टटके खाइ- झट लाना कूट खाना

टनटन बोली, मोरन नाइ- आवाज की कद्रता

टसकलें दोरेक आस- संकल्प करना

ठक-ठेनाइ गेलो दिन, जिनगी भेलो छिन भिन- समय को व्यर्थ गंवाना

ठक बाजारी कते दिन- ठकदारी अधिक दिन तक नहीं

ठंडूवाइल लोकेक भीख नांइ- आलसी को भोजन नहीं

डढल उपर नून छिटका- विपत्ति पर विपत्ति

डढ़ल पेटें घाव- धोखेबाजी से सावधान

डकर-डकर ताइक, मुँहे नांइ बाइक - मुँह से बोलने की आवश्यक्ता

डोरा पोड़ल, पाक नांइ उधरल-  रस्सी जल गई ऐंठन नहीं गई

डारही- डारहीं तोर, पातें-पातें हमर- चौकन्ना रहना

ढेर भेड़ी पोकाइ मोरे- अति सर्वत्र वर्जयेत

ढोंड़ेक मंतर नांइ, आर खरीसें हाथ- अल्प ज्ञानी

ढ़ेकी मुड़साजलें धमसेक कि डर - दृढ़ संकल्प

ढकनिक, पानी डुइब मोर, जदि लुइर नखो तोर - अकलमंद की महत्ता

तेलगर मुंड़े तेल, उखर मुड़ें बेल- धनवान की पूछ

तेलेक नांद जाने हाल, सुधे घीवे केरे सवाल- डींग हाँकना

तलियाइल लोक, जइसन हवे जोंक- गरीबों को चूसना

तड़तड़िया माइर, खाइ नाइर-पाइर- हार जाने पर सजा भोगना

थमल पानी गांधाइ, जाइ- पुराने पंथी

थपड़ी माइर मूंहे चूमा- दोनो तरफ

चर गुने सकरकंदा- जैसा मूल वैसा फल

थोथ मुँह बोथ - आवाज की महत्ता

थलकुल नांइ पानी डुबले - समस्या का समाधान अनिवार्य

थके लोक, डहर नांइ थके - जिंदगी की राह का नाश नहीं

देखते छउड़ी समधिन - परिचित

दादाक भरोसे कातारी रोपा- दूसरों पर भरोसा

दुरेक बाजना, सुनइतें सोहान - दूर का ढोल सुहावन

धकर-पकर चोरेक जीउ- लोभी का मन

 छोज बोर कच्ची कनिआइ- बेमेल विवाह

घड़फडे़क काम गड़बड़- जल्द का काम शैतान का

धरा बांधा बीहा, मन सउदा सांधा- बिना राजी की शादी

नाम ऊँचा काम बुचा- ऊँची दूकान फीकी पकवान

नांइ मामाक काना मामा- सर्वाभाव में उपलब्ध वस्तु की महत्ता

नाई काम तो धाने कपासे सान- अकर्मण्यता

नंगटा नाचे फाटे कि ?, मेघ बइरसे भीजे कि ?- अमर्यादित व्यक्ति

नाम गहगह पेंचाराजा- नाम ऊँचा काम नीचा

नाड़हरा घाव आर दुवाइर तरेक साव- घाव और साव से दुख

पांडे गेलक घार, जने-तने हार - हलवाहा की मरजी

पइरकल बाभना, घुइर -घुइर अंगना - लोभी

परोसिया भागल, घार चाकर- मुफ्त की फैलाव जमीन

पोहनांइ चिन्हें बिहिन धान- अतिथि सत्कार

परेक धन चेंका सोवाद- परोपजीवी

फक फूलतें घाटरा पीठा- शीघ्रता की कुँजी

फझतें बखरी बेंडाइ- घर की फूट

फतेह जातरा आर कि बातरा- बिन मुहूर्त की यात्रा

फनफनाइ बुले नांगटा लोक- अहंकारी

बुढ़ कउवा पोस माने ?- बुढ़ा तोता नहीं सिखाया जाता

बाघेक अगुवा फेंकाइन - हानि का पूर्व संकेत

बेल पाकलें कउवाक बापेक कि? - आकाश कुसुम

बाप दादां चास नांइ, बेला मुंडे बास- जो पूर्वज नहीं कर सका

बापें पुत परापते घोड़ा, नांइ कुछ थोडम थोड़ा - वंश का गुण

बाप कहलें कि बनिये गुर देता - आलसी के लिए कुछ भी नहीं

भतरो मोठ, बेटवो मीठ- दोनो ओर तरफदारी

मोरलें बइद, बिकलें गहंकी- निरर्थक

मायें देखे पेटा, जनी देखी मोटा - माँ और पत्नी में अन्तर

मकरा आपन जाले, आपने बाझे - अपनी ही बुद्धि से नाश

मुदइ खोजे दाव, माछी खोजे घी -  दुश्मनी

रिन कइरके काने सोना- कर्ज लेकर ऐय्याशी

रगद बइर, साहस कइर- बैरी को परास्त करना

रकत गुने गियान बाढ़े- वंश का गुण

रांगल सियार बांचन भार- आडम्बरी की क्षणभंगुरता

रंगइनी काँटा, बइरिक लाठा-  काँटा और बैरता में समानता

लखपतिया बाप, बेटाक बिरताप- बाप की कमाई

लगन धरइलें, बीहा नांइ - कार्य सफल की सुनिश्चितता नही

सुमेक धन सइताने खाड़- कंजूस का धन का नाश

सरल गेलें,ढाकी पड़वा - निश्चितता नही

सइरसा फूल भूखें सुझइ - भूखा से रुखा

हुरसाक पीघना ढ़ीढ़ा उपर - दुश्मनी करने का बहाना

हम रहबो तोर आसे, तोइ अइबे माघ मासे- इंतजारी व्यर्थ

 कुछ अतिरिक्त लोकोक्तियाँ

परेक पेछउरी लेल हिंछरी- दूसरे के सामान को उपयोग में लेकर अपने अधिकार में करना

तेलगर मुंड़े तेल- धनी को ही धन गरीब को नहीं

निरधनिया धन देखे, दिने देखे तारा - अभाव ग्रस्त व्यक्ति का मालामाल होना

पोखइर के नामों नाइं, मगर के डेरा- बिना आधार की नींव

जोगीके बरद बलाइ- आवश्यकता नहीं

पेट भेलो भारी तो ककर बापेक धारी- विश्राम का क्षण

भूख तो छूछ कि नींद की खर्हन- सर्वाभाव में अतिरिक्त सुविधा की आवश्यकता नहीं

हंसुयें चिन्हे मेरंडा ? - सब बराबर

भोजेक पहर कोहड़ा रोपा साजतो - आवश्यकता पड़ने पर तत्क्षण साधन की खोज

कियारी बिनु बियारी नाइ- बिना खेत का अन्नाभाव

गाँवेक टुअर आर बोनेक सुअर- उपेक्षित

चोरें चिन्हें बिहीन धान- दूध की रखवाली बिल्ली

बोने राखे बाघ आर बाघ राखे बोन - परस्पर उपयोगी

जे गरजे से बइरसे नांइ - निरर्थक बकवास

मुसवाक मोरइन बिलरियाक खेल- एक की जिन्दगी तो दूसरे के लिए मौत

उपर बैंगन चाक चिकन, भीतर बैंगन काना- मूँह में राम बगल में छूरी

एरंडी बोने बिलाइर बाघ- उपेक्षित वस्तु की स्थानानुसार महत्ता

गोड़ नाइ चले कइरांक भार- अक्षमता

गॉवेक कनियाई सिंघन चटी- घर की मुर्गी दाल बराबर

 ग) पहेलियाँ (जानकहनी )

आइल गुंगु गेल. गुंगु

पानी देख डेराइल गुंगु - चमड़ा का जूता

 

एक बांधे चाँद गरगराइ- पीला का पकना

एक बुढ़ी बिहान भेल्हीं घसइर बुले - पोतन

एक बुढ़ी गोटे गात फुसरी - कटहल

एक थारी बरी गने नांइ पारी - तारे

 

उठुक डुबुक सुटुक साय

चाक डुब डुब माला नाय - केकड़ा

 

उपरे आइग हेंठे अघन - हुक्का

 

ओली ओली पंइखी गुली

बनियाक दोकाने उल्टीबाजी खाई - सिक्का पैसा

 

ओली ओली पंखी गुली

कुल्ही कुल्ही जाइ

सर्वांग छोइड़ के

सुधे- आंइख खाइ । - धुआं

 

काठेक गाय माटिक बाछुर

ओकरे में दूध जनमें परचुर

ओहे दूध मानुसे खाय

भाभइते - गुनइते छः भास जाय । - ताड़ी, चुका,गाछ

 

कांचाय लेब- लेब पाकले सिंदूर

जे नायं जाने हके इंदूर- कच्चा हॉड़ी

 

काठेक घोड़ा लोहाक सिंग

नाचे वरद, हिटिंग टिंग - ढेंकी

 

करिया बोने करिया सियार - केश और जूँ

 

करिया बोने रहेहे

लाल पानी पियेहे - केश और जूँ

 

ककरो घर पोड़े

आर केउ गुइल करे - हुक्का

 

करिया बुढी रोइज नहाई - घोआई कोठा उपर बइसी- भात पकाने की हॉड़ी

कांचें थीर पाकलें वीर- मिट्टी का घड़ा

खिवइ मुदा खाइ नाइ - गाछ

गौड़ नांय दोरल जाय, रगवें गेले काइट खाय- सॉप

गोल घरेक दुवाइरे नांय- तसर / अण्डा

गोटे पतइ पोइड गेल, खुड़ा बुढ़ा खइस गेल- पातपोड़ा रोटी

गोला गरू ओला खाय पानी पइलें मोइर जाय- आग

चेरका कूटे ललका उकसे - दाँत जीभ

चार गरम चाइर नरम चाइर झरा झरी

एक हरिन के बारह सींग चले हेरा-फेरी - साल

छोटे-मोटे डोभा दी, फूल फूटे सोभा टी - दिया और बत्ती

छोट मोट पंड़की, डुमइर तरि पेंट- सुपारी

जान कहनी जान, पूंछ धरी टान- सूई और सूता

घर हइ तो दुवाइर नांइ- तसर

जाइते वीर, घुरइते थीर- पैखाना जाना और आना

ठेपों चेरंइयाक मुंडेमास- भेलवा पाकल

धंसल घरें भूत नाचे- खाजारी भूँजा

पाँच मायेक एके अंगना- तलहथी

 

दादाइ देता हायें हाथ, हाम राखतो पातें पात

रे भाई भेलई कि २, दादा मांगले देबर कि ?- ओला

 

आंगराक झार फुटल कइसें, ई सर्गे फुलल कइसे

राजाक भंडारो नायं, पइसा देल्हू मिले नाय- बिचली का चमकना

नारइतें बरदा एगो, खोलइतें बरदा दूगो- दतवन

नायल छेगरी अंगने बुलइ- झाड़ू

बापे देलइ एक बेर, मायें लेही बेरे-बेर- सिंदूर

बापेक नाँव से पुताक नाम - ईख (कतारी)

बोन चेरइया चेरके खास, खाइ गेलें सुधे मास- मशरूम (खूखड़ी)

हांसे कहे हमर सुधे मांस- मशरूम

बोन से बहराइल टिया, टियांइ कहे हमर माथायं सिन्दूर किया- बनमूर्गा

 

बोन से बाहराइल हाथी, सुप रकम कान

सूँढ़ से गीदर भेल, लोक भेला अनजान- केला

 

भोरंत बाँध उपरे झूले, चेरक फूल सुधे फूले- आकाश और सितारे

 

रंगइनी रंगइनी कउन रंगइनी,

झींगा अइसन फूल फूटे सई रंगइनी- चाप रंगइनी

लाली गइया छाली खाय, पानी पीलें मोइर जाय- आग

खाइते मदरस उगलइते कपास- ईख

सुखल खेते बोक हड़बड़ाइ- मकई का लावा भूँजना

हकरदमा कोड़े माटी, दस टेंग तीन भोटी- हलवाहा और दो बैल

 

हाथ हइ गोड़ नायं, नायं तकर माथा

गोटे-गोटे मानुस खाय, असंभवेक कथा - कमीज

 

सिंदूरेक टहटह, काजरेक फोटा

जे नायं जाने, से बांदरेक बेटा- करजनी

 

संगे संगे रहे, केउ घरे नायं पारे- छाया

हेंठे पानी ऊपरे आइग, गुड़गुड़ पानी उड़े आइग- हुक्का

घर गुस्टिक गांइड़ एकेठीन- लहसून

लाल टिकली घासें चले - दीर वधूटी

पेट फटे पेट भोरे- गेहूँ

मारलें हांसे, बिन मारलें मोरे- मांदर

डूभी-हूभिक भीतर, बेटा बापेक ऊपर- नारियल

तीन कोनिया, भोरल दउना- औंधी पीठा

पोड़ल पीठ पेट छेंदा- पइनरइसका पीठा

पीठ करिया छाती उजर- पइनरइसका पीठा

राइत भइर करइ गइर - उड़ीस

राती गरु गोठाइ दिने गरू नांइ- तारे

 घ) मंत्र

आत्म रक्षा हेतु मंत्र

1. अजरे सिकल बजरे बाँधों, बजरे बांधो दस दुवाइर

दस-दस के सागर बाँधों, सरगे राजा इन्दर बाँधों

पाताले मासुकी बाँधों, दहिने बाँधों मेघेकाल, बादें

बांधों करिया तुफीन कहीरे केवार बांधों, दू विद्या

डाइन बाँधो, खुंटा ही दना बांधों । ई बजर के बांधे,

गुरु बांधे,गुरु अंगिया हम बांधे, ककर दोहाई

मां कामरु कामाच्छा के दोहाई

मंत्रित जल

2. जल-जल गंगा जल, जल-जल कुंवा जल, जल-जल जमुना जल, जल-जल जोरियाक जल, जल डाड़िक जल, डाड़िक जल गाछे, गाछेक जल डाइरें गिरे, डाइरेक जल फेड़े गिरे, फेड्रेक जल घइलाइ गिरे, घड़लाक जल डूर्भी, डूभिक जल उनाई, ई जलें छउवा जनइम जाइ। जोदि नांइ जनमें राम-सीताक माथा खइबें

भूत भगाने के लिए

3. भूत-भूतानी मारो, मारों जोगिक बेटी, पीर साहाब के हुकूम से भूत के मारों माटी । अल्ला-पीर के दोहाइ से भाग रे भाग, सई अदल के बदल ।

सर्प विष निवारण हेतु

4.. संग-सदा सिसिर खेदा, झारबो आपन मोने, जकर ऊपर चढ़ालो विष झारबो हाम कइसें । ऊ आवे एक सदा नटबर हरल गरल बिस पानी भई जन ।

कटान मंत्र

5. अरिया काटों, सड़िया कांटों, ससान काटों, मसान काटों, डाइन काटों, जोगिन काटों, भूत काटों, पिचास काटों, जाजोनकाटों, लागन काटों, नेधन कांटों, डेंगन काटों, लागान काटों, बाझान काटों के काटे गुरू काटे गुरू आज्ञा हम काटों, 'ककर दोहाइ, दोहाइ सिरी तुलसी जी के।

मनसा देवी मंत्र

6. आलंची-मालंची, तीन फूलें पूजा करी, हे माँइ मनसा तोंय ले फूलेक भार, हमरा दे मांइ बिद्याक भार । ई विद्याक लागौक मांइ सदाइ सर्वकाल, ककर दोहाड़ माइ मनसाक दोहाइ ।

स्वरक्षा हेतु

7. पुरूष चलते पुरूष बांधों, पछिम चलते पछिम बांधों

उत्तर चलते उत्तर बांधों, दखिन चलते दखिन बांधो

आपन गाँव बांधों, चउसटी जोगिन बांधों

भूत बांधों, प्रेत बांधों, कुदरा बांधों, कुदरी बांधों

किचिन बांधों, डाकिन बांधों, भूरा मसान बांधों

सिरी बड़ा वीर नरसिंहा कामरू कामाच्छा के दोहाई ।

8. डाइन छुड़ाने के लिए

तीन सइरसा तेरो राइ

हरेक गले मसाने छाइ

डानिक मंतर राइ छाइ

हमर मंतर आगु जाइ

जे पठइबें तकरा खाइ

दोहाइ माँ काली ।

9. भूत भगाने के लिए

धरम गुरु महा सिब

हम बांधों चाइरो दीप

गुनिया के गुन बांधों

ओझा के ओझाइ बांधों

गुनिया के चक्कर बांधों

आपन काया उचित माया

मुड़े पाग बांधों

दोहाइ माँ काली ।

10. भूत बांधने के लिए

भूत बांधों भूतानी बांधों

बांधों भूतेक बेटी

आठ हांथेक पिरथिबी बांधों

के बांधे, इस्सर बांधे

गुरू अगियां हम बांधों

बांधों सिरी बड़ा बीर

नरसिंघ गुरूक दोयहाइ ।

 खोरठा लोक गीत

क) विवाह सम्बन्धी

1. पतरी जे परि गेलइ ओराहीं ओरा

समधी बइसलइ जंघा जोरि, सखी जी

कुछु जे खइहा समधी, कुछ लेले जइहा

कुछ करिहा बहिनी सदेस, समधी जी

मंउगी जे हथुन समधी, अंगे आसापति

करि लिहा मउगी सदेस, समधी जी

 

2. जोवा रे गहूमा केरी उबटन

राइ सरिसा केरी तेल, पुता बइसल उबटन

उबटने आणी सोहाइ गेल

बावाँ हायें कंगना डोलावे, नैवा बोलावे

कि बइसल उबटन / उबटने मामी......।

हाथी दाँत कंकवा, नारायनी तेला

चिरहूँ-चिरहूँ लाम्बी केस

उबटने काकी सोहाइ गेल .... ।

 

3. नान्ही- नान्ही झिलिया मोटे मोटे उबटन

झिलिया खरकी भूयें लोटये, उबटन लावये हो

मंगिया संवारी बइसत, दुलरइता बाबु

उबटने आजी सोहागिनी हो.....।

 

4. कथिके आसन, कथिके बिछावन

कथिके परलइ बिछावन, नुनीक गातें उबटन हो 

रूपा के आसन, सोनाके सिंहासन

पटिया के परलइ बिछावन, नुनीक गातें उबटन

केहू जे गावये केहू बजावये

केहू चिरे लांबी केस, नुनीक गातें उबटन

 

5. कते निंदे सुतले पइन डुबी मइयो

जातरी छेंकलइ दुवाइर

तोहर पानी करबइ नेग जानी

राखबइ कुल के छेंवाइर ।

 

6. चला बहिन पानी सहे जाइब

बेरा-बेरी कलसा सजाइब गो, चला.....

कांखे कलस करी, सब कहे बेरा-बेरी

बड़की भउजिक सिथिया साजाइब, गो चला..

कुल्ही -कुल्ही जामवै, थपड़ी बजाइवें

बॉध घाटे कलसा डुबाइब गो...... चल.....

कदै गेलइ बरेक / कनियाइक माञ

लोइक लेतइ कलसा

कंदै गेला ........

लोइक लेतइ कलसा.....।

कतें दुखे भैया पानी सहलों गो

हामें लेबो भैया सोनाक टिकुली गो

आघा घुरे भैया बाघे टेकल गो

हामें लेबो भेया सोनाक चुरी गो

कते दुखे भैया कलस भरलों गो

हामें लेबो भैया हरिहर साड़ी गो ।

 

7. जोड़ले सुपरिया भैया भेजलों

तइयो न भैया आवलइ हे ।

अपने चुनरियें घीया ढारलो..

भैयाकं नावाॅ उठलइ हे ।

 

8. के तोरा आमा अइमलो रोपलो

कउने अइमलो पियतो हो ।

बाबा हमर आमा- अइमलो रोपलो

आजी अइमलों पियतो हो । ।

 

9. कुल्ही- कुल्ही ढोल बाजे, अंगना धमइस गेल

आवरे गुलगुलियाक जनमल, आव हमर अंगना

तरें-तरें अमवा मंजइर गेल

एहटा लागो दजबोरा हो

दाढ़ी- मिसी भंवरा गुंजइर गेल

एहटा..... हो

तोर मायें सेंकल हलों एंड़रीपातें

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