खोरठा लोककथा

खोरठा लोककथा

                                                                    

खोरठा लोककथा

लोककथा खँड़

सात भाइ एक बहिन

सात भायेक एगो दुलरइति बहिन हली सुगा माञ-बाप मोइर गेल हल्थिन । सातो भाइ दुलारें बहिनके पोसल हला। सातो भायेक बिहा भइ गेल हलइन । बहिन बाट बेसी टान देइख सातो भोजीक बड़ी पसपसी। ऊ सभेक सॉच हलइ जे बहिनेक पियारेक चलतें मरदइन जनीक बाट बेसी धेयान नाँइ दे हथ से लेल बाहर सें तो सब 'नुनी नुनी' कहतला मेनेक भितर-भितर कि तरि सुगा से छुटकारा पइता तकर उपाय सोचइत रहतला।

एक बेर सातो भाइ बनीजें (बेपार करे) बाहर जाइ लागला । जाइक सॅंवइ सातो भाई जनियइन के कहल्थि-

"सुगा हामनिक साधेक बहिन लागी । हामनिएँ ओकर माँय-बाप। ओकर जइसें कोन्हों दुख नाँइ हवेक चाही।" तकर बाद सातो भाइ घोड़ा चढ़ला आर बनिजें चइल गेला ।

बिन मरदेक घारें जनिए भेला मालिक। सातो गोतनिक हाँथें घार-कारना अइलइ । तो जइसन मन्त्र तइसन खाइ-पींधे लागला । मेंतुक मंझली तनी परसिनाही हलिक, काहे जे ओकर नइहराइ तनी बेसे चास-बारी आर चमक-दमक हलई । ऊ सभे गोतनिक उसकुवइते रहतलइन जे सुगिया के एते दुलार देले ऊ मुड़ें चढ़तो। आर लुइर नॉइ सिखलें ओकर ससुर घारेक लोकें सातो गोतनिक देंस लगाइकें गाइर देबथिन ।

एहे बुझा मता करल बादें सातो गोतनी खुनुस खोजे लागल्थिन । सातो खइतला-पितला, मेंतुक सुगाक खोज पुछाइर के करे। बेचारी सुगा खाइल-ही तो खाइल ही, भुखें ही तो भुखें ही। जे भउजी सब सुगा के 'नुनी-नुनी' कह-हल्थिन, से सब अबरी ओकराँ 'एह लो सुगिया कहे लागल्थिान ।

अइसने एक दिन सातो गोतनीं सुगा के एगो फुटल घइला दइकें पानी भोइर आने कहल्थिन -

"एहलो सुगिया, बाँध से भोइर घइला पानी लइ आन, तबे खुदी - चुनिक माँड़ ढुकचे ले देबउ ।"

बेचारी सुगा घइला लइकें बाँध गेलिक आर घाटें बइस फफइक-फफइक कांदे लागली-

"सुन गेऽ सुन चरइयाँ, हामर बड़ी दुख!

सातो भाइ बनिजें गेला,

सातो भोजी बड़ी दुख देला !

आवा रे बांधेक बेंग, सुगा कांदो हो ।"

सुगाक कांदना सुइनकें बांधेक बेंग सुगा ठिन आइके पुछे लागल्थिन - "नुनी तोंञ काहे कांदे हैं?"

सुगा आपन भूर घइला ऊ सभेक देखाइ के भोउजी सभेक कहल बात सुनाइ देली। तखन भुरकें-भुरकें बेंग बइस गेला आर सुगा पानी भोइरकें घार घुइर गेली ।

सातो गोतनी भोरल घइला देइखकें सुगा के खुदी-चुनिक माँड़ पीए देल्थिन । सुगा लोरो पोंछें आर माड़ो पीये।

दोसर दिन सातो गोतनी बिहान्हीं सुगा के कहल्थिन - "एहलो सुगिया, बइसल - बइसल खइलें तो नदिक बालिओ नाँइ जुटतबउ । आइज बोन सें बिन-बांधनाक एक बोझा काठ लइ आन। तबे खुदी - चुनिक माड़ देबउ ।"

फइर सुगा कांदल - कांदल बोन बाटें सोझइली । मेंतुक, बिन बांधनाक काठ लेगती तो लेगती कइसें! एहे सोंइच के बोनेक भीतर कांदे लागली-

सुन गे सुन चरँइया, हमर बड़ी दुख,

सातो भाय बनिजें गेला,

सातो भोजी बड़ी दुख देला ।

आवा रे बोनेक साँप, सुगा कांदो हो ।

करून कांदना सुइन बोनेक सभे जीउ-जंतु सुगा ठिन आइकें गोठाइ गेला । पुछल्थिन - "काहे कांदे हे सुगा?" तखन सुगा आपन भोउजी सभेक बात कही देली। तखन एगो लंबा धामना साँप काठें बेधाइ गेलइ आर कहलइ "आव सुगा ई बोझा उठाउ आर तनि - धिरे - धिरे हेंठें राखिहें ।"

सुगा बिन बांधनाक काठेक बोझा लइ घार घुरली । धिरे - धिरे बोझा आंगनाँइ राखली तखन साँप बोझा सें बाहराइ बोन घुइर आइल । भोउजी सब ननंदेक लुइर देइखकें मुँड़ें हाँथ लइ लेला । तकर बाद ओकरा खुदी - चुनिक माँड़ देल्थिन । सुगा सुरइप - सुरइप माँड़ पीए लागली ।

घुइर दिन बिहान्हीं सातो गोतनीं एगो जोतल बारी एक पइला सइरसा छिंटकें सुगाक कहल्थिन - "एहलो सुगिया, सब सइरसा बीच के पइला टा भोरे पारखें तो खुदी - चुनिक माँड़ देबो।"

सुगाक आँखिक आगुइँ आँधार बुझाइ लागलइ । सुगा जोतल बारी बइसकें कांदे लागली -

"सुन गे सुन चरइयाँ, हामर बड़ी दुख,

सातो भाइ बनिजें गेला,

सातो भोउजी बड़ी दुख देला ।

आवारे चरइँ-चुनगुनी,

सुगा कांदो हो!"

ओकर कांदना सुइनकें आकासें उड़वइया एक पाल पेरवा सुगा ठिन आइकें पुछल्थिन- हाँ नुनी तोंञ की दुखें कांदे हे ?" तखन सुगा आपन भोजीक सब बात सुनाई कहली जे एक पइला सइरसा ई-जोतल बारी से कइसें बिछब! तखन चाँड़ा-चाँड़ी सब पेरवा गोटे जोतल खेतें छिंटल सहरसा बीछ- बीछ पइला भोइर देलथ आर सब पेरवा उइड़ गेला ।

सुगा पइला लइकें घार घुरली । भोरल पइला देइखकें सातो गोतनी हाइचक ! अबरी करता तो करता की? सब बुधी बयाध भइ गेलइन । सुगा के खुदी-चुनीक माँड़ दिअल बादें सातो गोतनी एक - एकें माथा खटवे लागला, जे अबरी कि उपाय करल जितइ ।

अइसने सोंचइत - बुझइत कुछ दिन बित गेलइ । सुगाक मने भेलइ जे भउजी सब आर ओकराँ नाँइ सँतइबथिन । तखने एक दिन सातो गोतनी सुगा ठिन आइकें दुलार से कहल्थिन - "नुनी सुगा, हामि तोहरा जते बा दुख देलियो, सब भुइल जिहा आर दादा सब के नाँइ सुनाइ दिहाक । (तनी थाइम के) नुनी, बड़ी दिन से डुमइर तियन घारें नाँइ भेल हइ । चाला आइज डुमइर पारेले ।"

परेमेंक पियासल मानुस परेम पइलें गइल जाइ । तइसने सुगा आपन भउजी सभेक संग खावा- पिया करल बादें पछिया लइकें हाँसल-खेलल डुमइर पारे चलली ।

बोनेक भीतर एगो गाछें लुगदी रकम डुमइर फोरल हलइ । सातो गोतनी सुगा के ठेइल-धकइलकें डुमइर गाछें चढ़ाइ देल्थिन । जाउ ले सुगा डुमइर तोइर - तोइर गिरवे लागली, ताउ ले सातो गोतनीं गाछेक चाइरो बाटें कोइर काँटा, बाबला काँटा बोझाक-बोझा दइकें घोइर देल्थिन । सुगा देइखकें हाइचक !

सातो गोतनी हिलल - हिलल घार घुरला आर सुगा एकाइ डुमरइ गाछें रही गेलिक । नांभेक जिगिस्ता करली मेंनेक सब बेकार । तखन सइ अरून बोने सुगा कांदे लागली-

"सुन गे सुन चरइयाँ,

हमर बड़ी दुख,

सातो भाइ बनिजें गेला,

सातो भोउजी बड़ी दुख देला ।

आवा रे परदेसी दादा,

सुगा कांदो हो । "

सुगाक कांदना सुइन बोनेक चरइँ चुनगुनी, पसु पाखी सब कांदे लागला । ताउ ले राइत भइ गेलइ । गाछेक डारीं सुगा पाटाइकें कांदइते रहली ।

सइये राती ओहे डहरें सातो भाइ बनिज सें घुर हला । सातो झन सइ डुमइर गाछेक तरें साँथाइ लागला । तखन छोट भाएक गातें एक-दू टिपका लोर गिरलइ । ई बात जखन ऊ भाइ सभेक सुनउलइन तखन ऊ सब लुआठी जलाइ गाछ उपरें ताके लागल्थिन तो ताकते रहला । ऊ सब देखल्थिन जे डुमइरेक डारीं ऊ सभेक दुलरउति बहिन सुगा कांदS ही ।

चाँड़ें- चाँड़ें काँटा - झोंटा के उसब उखराइ फेंकल्थिन आर सुगा के नांभाइ एकें - एकें सब कइहनी सुनउल्थिन । सातो झन रागे काँपे लागलथ ।

झलफले सभीन घार अइलथ तो जनि सब बड़ी मान - खातिर करे लागल्थिन। सातो भायें सुगाक ठेकान पुछल्थिन तो जनी सब कहल्थिन जे 'नुनी' बाहर बाटें खेले गेल हथ ।

एतना सुनबाइ कि सातो भायेक राग नाँइ संभरलइ आर सातो जनिक दोमाठे लागल्थिन । सातो जनि 'माइ गो-बाप गो' कइरकें चिचिआइ लागल्थिन आर कहे लागल्थिन 'हामिन सोंचलो जे, सुगा पर - धार जिता, से ले उनखर लुइरेक परीखा कर-हलिए ।"

तावले, सुगा आइकें भोउजी सब के समरथन करलइन । तखन सातो भायें ऊ सभेक छाइड़ देल्थिन मारे ले।

कुछ दिन सभीन हाँसी-खुसी सें रहला । ताउ ले जोर-नार पाहार धारीं भेलइ। बिहाक दिने जखन सुगा बिदाइ भइकें ससुर घार जाइ लागलइ तखन सातो भाय आर सातो गोतनी भोंकइर - भोंकइर कांदे लागला।

***

धनेक धधइनि

एगो गाँवे एगो बुढ़ी हली । ओकर साधेक एगो बेटा हलइ चमटू । भूखें दुखें कोन्हों रकम दुइयो साग भाड़ें दिन काटऽहला । एक दिन बुढ़ी घमटू के रूपाक एगो टाका दइकें कहल-

"नुनू बाजार जउ आर कोन्हों बेपार कर नांय तो की कइर घार चलइबें ।"

रूपाक टाका लइकें चमटू हाट गेल । सारा दिन हाटें दोकान दारी देख के चमटू थइक गेल तावो कोन्हों चीज ओकरा पसिंद नाय भेलइ । बेचारा करत तो करत की ? छूछे हाथ घार घुरलें मायेक दून्दरनी सुने हतइ । तखन ढेइर बुझ - बाइझ के देखल आर घुरती बेरें पाटाइ- सोटाइ के एगो बांदर किनल आर मुँह अंधरे घर घुरल ।

बेटाक काम देइखकें बुढ़ी रागें चमटू के धमकावे लागलइ - "हाँ रे कुलंगार, हाइ भातवा. ई बांदर टा की करबें? एहे लुरीं तऽ बापा ढोकसा आधे दिने टिंगरलोउ । तोहूँ सइये डहर धरलें ?" एतना कही के छमइक भीतर बाटें दुकली।

बेचारा चमटू तो सुखाय गेल। एक तो सारा दिन भुखें - पियासें थइक - मोइर के कते हुबें एगो बांदर आनल, उपर से माएक बोली सुइन के अथिर भइ उठल । चमटू के कांदू-मांदू देइख के बंदर बुढ़ी ठिने गेल आर कहलइ-

“माय, चमटू के नाय धमकाहीं। हामें खुभे सोना - रूपा आइन देबोउ।"

दोसर दिन बांदर झलफले उठल आर बहुत धुर एगो राजाक महलें गेल । एगो गांइठें मनेक मतन सोना-रूपा बांधल आर घार आइन के बुढ़क दइ देल । बुढ़ी एते सोना- रूपा देइखकें गदगदाइ उठली । चमटू के तो चुमाक मारीं तड़े नाय आर बंदरो के "बेटा-बेटा " कहे लागली। वइसने बांदर कधियों रूपाक टाका आने लागल तो कधियो मूंगा - मोती ।

देखते-देखते बांदरेक परतापें चमटू राजा बइन गेल। पोंवार घारेक जघें बोड़- बोड़ गढ़-गुड़ा बइन के तइयार । लाखेक कारबार चले लागलइ । घोड़ा हाँथीं घार भोइर गेलइ । दूधेक बान बोहे लागलइ । गाँवेक कते -कते लोक चमटूक घारें मुनीस खटे खातिर हामागोड़ी दिये लागला । परेक खाइकें पइरकल पुरोहित गुलइन तो पूजा-पाठेक खातिर चमटू घारें नाकादोड़ी करे लागला । रसें- रंगें डुबल चमटू उदम साँढ़ रकम घुरे लागल। बुढ़िक सान तो देखइक नियर। बुढ़ी बांदरेक खातिर एगो रूपाक खाटी बनाइ देलइ आर दुलार - पियार सें ओकराँ खिवे - पिवे लागलइ । चमटू घरेक ताम-झाम देख के आस-पासेक लोक मुड़ें हाथ लइ लेला ।

कुछ दिन बीतल बादें, एक दिन बांदरें बुढ़ी के आपन ठिन डाइककें कहलाइ

"माय, अबरी दादाक बीहा दियेक चाही। काइल हामें एक ठिन कनियाइ देखे जिबउ । तनि झलफले जलपान कइर दिहें।"

दोसर दिन जलपान कइर के बांदर झलफले घार से बाहराइल आर बेरा चार्के बइसइते एगो राजें गेल । बांदर के खूब मान-सम्मान भेलइ । फलेक - फुलेक गादा लाइग गेल। बांदर पोगराइ - पोगराइ खाइ लागल आर चमटू राजाक बरतुपातेक कथा बारता करे लागल। बरतु पातेक कथा सुइन राजाक खुसिक ठेकान नाय ।

तकर बादें बिहाक दिन ठेकान धराइ के बांदर हाँसल-खेलल घार घुइर आइल। बुढ़ीं सुनली तो गरबें फुइल गेली। अबरी तो बुढ़ी बांदरेक गोड़ें तेलो मखवे लागली। दुलारेक तो कोन्हों सीमा नाय ।

आर एक दिन हाँसी-खुसी चमटूक बिहा भेलइ । बुढ़ियाक हाँथें सरगेक चाँद आइ गेलइ । दिन-राइत बहु-बेटाँइ डुबल रहे लागली । बांदरेक खेज- पूछाइर भला के करे ने चमटू कखनो बांदरेक टावान ले, ने चमटूक बहुहीं। उपर ले जोदि कखनो बांदरें चमटुक बहू के 'भउजा - भउजी" कहे तो ऊ बांदर के खखुवाइ देइ। बांदर ने हिंदेक रहल ने हुंदेक। गोठें गनाय ने पाघाँइ बांधाय ।

बांदरेक आँखी आर नींद नाय । तखन एक दिन बांदरें बुढ़ी के 1 डाइक के पुछलइ "माय, दादाक तो बिहा भइ गेलइ । अबरी हाम - जदि मोइर जाये तो तोंय कि करबें?"

तखन बुढ़ी कहलइ "हाँ बेटा, अइसन आव-खाव काहे बोकेंहें, तोंय मोरलें हामें खुभे कांदबोउ आर तोराँ चंदन कातें. पोड़इबोउ । आर फइर तोंय मोरलें हामें कि आर बाँचब बेटा ?"

दोसर दिन बांदर मोरेक टाटक करल । देखे खातिर कि ई सब कि करता। बिहानहीं जखन बुढ़ी देखली कि बांदर मोइर गेल तो तनि इधाइर –उधाइर उलटाय -पलटाय देखली । मेंतुक धनेक गरबें एको तनि कांदली नाँय | बांदर एकदम सुगुम । बुढ़ी नाकवा आरो दाइब के चमटू के डाकली आर कहली -

"एहे देखीं बेटा, बांदरा मोरलोउ रे । जोउ एगो पआर डोरांइ बांधकें खेत बाटें फेइक देभीं ने तो गमकतोउ।"

ई सब बात सुइन के बांदरेक गोड़ेक लहइर मगजें फुटल | मने करल "बाह गे बुढ़ी, ऊ गिला खाली छइब कर - हली! अच्छा अबरी बुझइबोउ ।"

दौड़ा-दौड़ी चमटू बांदरेक गोंड़ें डोरा बांधल आर टानल - घिसरवल खेत बाटें फेंइक आइल। बांदर कोन्हों रकम 'माइगो - बापगो' करी उठल । ताव तक मूँह आंधरा भइ गेल हल | बांदर एगो तितकी लइकें चमटुक गढ़ें आइग लागाइ देलइ । सभीन पोइड़कें मोइर गेला। बांदर आपन आँइख टेहना लइकें उ देस से पाराइ गेल ।

***

खूँटा भितर चियाँ गोटा

एगो कउआ कहीं से एगो तेंतइर चियाँ (गोटा) पाइल । तकराँ एगो खूँटा उपरें बहस के खा हल । कइसें - कइसें सइ चियाँ गोटा कउआकठोर से छइट के खूँटाक फाइटें समाइ गेलइ । कउआ बड़ी हाइनिसार भेल । कते साधेक चियां गोटा फाँरीं चइल गेल ।

मुदा कउआइँ हाइर नाँइ मानलइ । कोन्हों उपायें चियाँगोटवा बहराइके खइबे करबइ,मने-मन कउआ ठानल । कउआ आपन से ढेइर जिगिस्ता करलइ, मुदा कोनो फायदा नाइ । गोटवा खूँटवाक फाइटें ढेइरे हैंठ चइल गेल हलइ ।

सोइच भाइभ के कउआ एगो बढ़इ जुगुन गेल। बढ़इया के कहल -

"बढ़इ-बढ़इ खूँटा फार खूँटा मितर चियाँ गोटा ।" बढ़इ सब बिबरन सुइनके दुरदुराइके कहलइ" भाग रे कउआ, चललिअउ तोर खूँटा फारे।"

कउआ के बढ़इयाक बेबहार से बड़ी दुख भेलइ । ऊ पोहचल

राजाक पास बढ़इयाक सिकाइत करेले । राजाके कहलइ

"राजा-राजा बढ़इ बोलाव, बढ़इ नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।"

कउआक फरियाद राजाहूँ नाँइ सुनलइ । ओहोव दुरदुरावलइ । ' कउआ राइग के साँपेक पास चइल गेल। नाग साँप के नेहोअर करपलइ -

"साँप - साँप राजाक ढँस, राजा नाहीं बढ़इ बोलावे, बढ़ई नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँया गोटा ।"

साँपो कउआक नेहोइर नाइ सुनलइ तो कउआ चइल गेल डांग ठीन । कहलइ -

"डांग - डांग साँप भार ! साँप नाहीं राजा डँसे, राजा नाहीं बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।" मुदा डंगो कउआक बात नाइ मानलइ ।

कउआ राइग के आइगेक भीर चहँइट गेल। आइग से कहलइ-

"आइग-- आइग डांग पोड़ाव, डांग नाहीं साँप मारे, साँप नाहीं राजा डँसे, राजा नाहीं बढ़इ बोलावे, बढ़द्द नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।"

आइगो कउआक बातें कान नाँइ देलइ । गरगुरइले कउआ चइल गेल एगो गड़िया (पोखइर) ठीन पनियाक आपन दुखवास सुनाइ के नेहोइर करलइ-

"पानी-पानी आइग निझाव, आइग नाहीं डांग पोड़ावे, डांग नाहीं साँप मारे, साँप नाहीं राजां डँसे, राजा नाहीं बढ़ड़ बोलावे, बढ़इ नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।"

पानीहूँ कउआक हायनिसार करलइ । पानी कहलइ," आब चललों तोर खातिर आइग निंझावे ले.। " कउआ कुसकुसाइल पोटपोटाइल चइल गेल हाँथी जुगुन । हाँथी के नेहोइर कइर आपन फरियाद दोहरावल-

"हाँथी- हाँथी पानी घाँट, पानी नाहीं आइग निंझावे, आइग नाहीं डांग पोड़ावे, डांग नाँय साँप मारे, साँप नाँय राजाक ढँसे, राजा नॉय बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाँय खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा।"

भाला हाँथी कउआक बात कीले सुनत-लइ । कउआक ओहोव खेंकइर देलइ । चललियइ एकर चियाँ गोटाक दायें पानी घाँटे ले। कउआ मन माइर के हुआँ से चलल आर चहँइट गेल लुतीक पास। लुतियइनो से ओइसने नेहोइर करलइ-

"लुती - लुती हाँथी मार, हाँथी नाहीं पानी घाँटे, पानी नाहीं आइग निंझावे, आइग नाहीं डांग पोड़ावे, डांग नाइ साँप मारे, साँप नाइ राजाक डँसे, राजा नाँइ बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाइ खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।"

एत- एते झन केउ कउआक बात नाँय मानला तो आब लुती ओकर बात काहे माने । ई घरी कउआक रागा मुधइन चइढ़ गेलइ कि एतना छोट जीवो हामर आरहान नाइ सुनाल ? खखुवाइ के कहलइ " एह गे लुती ! डामर बात नाँइ सुन तो एक-एक बीछ के तोहनिये के खइबे!"

एत - एते झन केउ कउआक बात नाँय मानला तो आब लुती ओकर बात का माने। ई घरी कउआक रागा मुधइन चइढ़ गेलइ कि एतना छोट जीवो हामर आरहान नाइ सुनाल? खखुवाइ के कहलइ," एह गे लुती ! हामर बात नाँइ सुन तो एक-एकें बीछ के तोहनिये के खइबे !"

ई बतिया सुइन के लुतियइन डेराइ गेलथ आर कउआक बात माइन के कउआक पैछँइ-पेछँइ सइ हाथीक पास पहुँइच गेल्थिं । हँथियाँइ लुती सब के आपन दने आवइतें देख के पुछलइ," कहाँ जा हा तोहिन? लुतियइन कहलथिन जे तोरे सुँइढ़ें ढुइक के तोर परान लियेले जा हियउ । हथियाँइ डइर के तकर कारन पुछलइ तो कहल्थि जे कउआक काम काहे नाइ करल्हीं । एकर बात मान ने तो तोर आइज खइर नखउ | हँथिया अकबकाइ के कउआक संगे संगे पानीक पास पाहुँइच 1 गेल । पनियाइँ पुछलइ तो हँथियाँइ ओहे जबाब देला, तोरा हिड्डर के घिसट कर देबउ काहे कि तोंय कउआक बात काहे नाँय सुनल्हीं ।

पनियाइँ सुइन के हाँथी से रहम करे कहलइ आर कउआ से माफी माइंग के चलल आइगेक पास। आइग आपन दने पानी के आवइतें देख के डेराइ गेल। सब मामला बुझल बाद कउआक संग सोझाइ गेल डांगेक जुगुन । डांगो आइगेक डरें छमुवाइ गेल कउआक काम करेले । ऊ जखन सनसनाइले साँपेक पास गेल तो साँपो डइर के कउआक संगें मोहइड़ गेल राजाक घर बटे। आपने बटे राजाइ साँप के फेना काढले आवइते देइख साँप से कहलइ- "कहाँ जाहें रे साँप ?", "तोहरहीं ढँसे ले" साँप कहलइ । राजाँइ पूछलइ जे हामर की दोस? तखन साँप कहलइ -” तोहें कउआक फरियाद काहे नाँइ सुनलहाक?

साँपेक ई बतिया सुइन आर साँपेक संग कउआक देइख राजा बुझ गेलक । कउआ से सब बिरतांत फुरछाइकें सुनल बाद ओकर चियाँ गोटा खातिर करल ई जिमिरजिट जिगिस्ताक साबासी देलइ आर बढ़इ डाकाइ के कउआक काम करेले आर्हाइ देलइ ।

कउआ संग बढ़इ गेल आर सइ खुटवा के टांगा से फाइर देलइ । बढ़इ सुखल काठ लइकें घर घूरल आर कउआ चियाँ गोटा ठोरें लइ के खुसी खुसी उड़ढ़ गेल ।

***

बुढ़ी आर ओकर नाती

एगो गाँव एगो बुढ़ी रह- हली। ओकर बेटा-पुतोहु तो नाड़ रहथिन खाली एगो सोना लखें नाती रहइ । नातीक उमइर एहे छोउ - सात बछर हतइ । ऊ बुढ़ी रोड़ज बोन से पतइ-दोइतन झुरी-काठी आर बोन से कंद-मुल आनतली आर ओकरे सें गुजर-बसर कर- हली ।

एक दिन ऊ बोन गेली आर खूब झुरी-काठी जमा कर कोनो तरि बाँइध तो देली मुदा अलगावेहे नाँइ पारी घरी घरी कोरसिस करली मुदा हाइर गेली । ऊ डाक दइकें कहली- आवा रे जीव-जन्तु ! तनी मदद करा भाइ ! कठिया अलगाइ दा रे। बुढ़ीक डाक सुइन एगो बाघ आइ धमकल आर कहलइ-' ए बुढ़ी, हामें तोरा कठिया अलगाइ देबउ तो हमरा की देवें? "बुढ़ी हाँथ जोइर कहली - ए बाघ भाइ, हाम गरीब दुखी हों, से की दिये पारबउ ? बाघ फिन कहलइ- "अच्छा तोर घार कोन कोन हथुन ? " बुढ़ी बताओही जे हामर बेटा-बेटी कोइ नाइ हे, खाली एकेगो नाती हे। तखन बाघ कहलइ- अच्छा ठिक, नतीया देबे तो अलगाइ देउ । बुढ़ी बाघ के फरमाइस सुइन सकपकाइ गेली आर कहली - नाइ बाघ हामार एकेगो सोना लखें नाती हे तोराँ दइ देउ तो हमें की करब ? बाघ फिन कहलइ- नाँइ, तोरा नतिया दियेहे भेतउ आर नाँइ देबें तो तोरे खइबउ । हमराँ बड़ी जोर भूख लागल हे।

बुढ़ी तो फेरा में फांइस गेली। ने हां कहे पारी ने ना । ऊ सोचली एखन हां कही देहिअइ फिन मटियाइ देबइ | दरसन देबे नाइ करबई । कुछ दिन बाघ भुलाइ जाइत ताब बोन आवब। एहे सोइच ऊ बाघ के हां कही देली। बाघ काठी आलगाइ देलइ आर कहलइ - हामें कइसे बिसवास करियउ की तोंय नाती देवें? बुढ़ी कहलइ - बिसवास तो करेहे भेतउ बाघ । जखन सब सुइत जिता, हामें आपन नातीक तेल-उल लगाइके खाटीं सुताइ देबइ आर हूंवे दीया लइकें हम्हूं रहबउ तोंय आइ जिहें ।

बुढ़ी घार चइल गेली आर खाइ- पी चुपचाप घार भितर सुइत गेली । बाघ आइल, आस पहर देखल, जब भिंसोरिया होवे लागलइ तो गोसाइकें बोन घुइर जाहे ।

हफता दू हफता बाद बुढ़ी सोचली जे आब बाघ भुलाइ गेल हतक। ऊ फिन बोन गेली। बाघ ताक लगाइ-लगाइ हल । ऊ कूदले बुढ़ी जगुन आइ धमकल आर कहलइ- बाह बुढ़ी, तोंय तो हमरा बेस धोखा देलें । आब हामें तोराँ नाँइ छोड़बउ आइझ तो तोरां खइबे करबउ । बुढ़ी हाथ-गोड़ पकड़े लागली आर कहे लागली-हामें तोरा धोखा न देतलिय बाघ, थकल हारल हलों से कखने निंदाइ गेलों हाम्हूँ नाँइ जानों । तोंय आइज अइहों बाघ । हामें आपन नातीक तेल लगाइ सुताइ देले रहबउ । बाघ माईन गेल । कहलइ - ठिक हउ अबरी धांव छोड़ दे हियउ, अबरी धोखा देलें तो जहीं पइबउ हुवें खाइ जिबउ । एतना कही बाघ फइर काठी अलगाइ दे हे आर बुढ़ीक छोइड़ देहेइ।

बुढ़ी घार अइली आर खुब सोचे लागली - की करों? नाँइ देबइ तो हामरे खइतक, कोइ उपाय नाँइ सुझे । ताब ऊ नातीक तेल-उल माखाइ के खटीयें सुताइ देलइ आर वादाक मुताबिक दिया लइकें हूँवें बइस गेली। बाघ आइल आर चेंगाक खाटीये संग उठाइ बोन दने भागल। भागते-भागते खुब गाजार बोन घुइस गेल । आब एगो बोर गाछेक जइर भूँइ से सटइत रहे, बाघ बोर गाछेक निचु दइ गुजरल जा हले कि चेंगा जइर के पकइड़ के टंगाइ गेल । बाघ के पतो नाइ चले, ऊ छुछे खाटी लेले चइल चाहे !

चेंगा बिहान से सांझ ओहे बोर गाछे बिताइ देहे । सुरुज डूबे लागल लागल तो बोन-भंइसा आवे लागला आहे बोर गाछेक तर जेठिन ओखनिक बास रहे। इस के देइख चेंगा आर सपइट गेल । अँइस बइठला आर पागुर मारे लागला तो सुनाइ पड़लइ ककरो सिसकेक आवाज। ऊ साब मूंड़ उठाइ उपर ताके हथ तो देखो हा मानुस के चेंगा कांदे लागल है। ऊ साब चेंगाक हेंठें उतरे कहो हथ मुदा चेंगा डरे उतरे नाँइ । ऊ साब फिन कहला- हेंठें उतर बाबु, काहे डेरा हैं? हामिन कोनों नाँइ करबउ । हामनिक पिठिया बड़ी कडुआ हे से दूध खाली ओतने करिहें, जखन हामिन दह-तह में बइठब तखन पिठिया रगइद दिहं आर भुख लागतउ तो पतइ के दोना बानाइ हामिनेक दुही के पी लिहें। चेंगाक आब बिसवास भइ गेलइ कि भंइस सब कोना नाँइ करता । ऊ हेंठें नॉभल आर भंइस के दूध पी-पी के ओखनिक साथ रहे लागल |

समइ बितते गेल, चेंगाक रोंवा-पाँइख झारे लागलइ । भँइस के दूध पी-पी चेंगा लाल भइ गेलइ । देही भिसिंड लोहा तरी सकत भइ गेलइ। चुइल सोना लखें चमकें लागलइ । गते गते ऊ जुवान भइ गेल। एक दिन ऊ नदीं नहा हल से ओकर एगो चुइल टुइट गेलइ । आब ऊ चुइल के पतइ के बिरी में राइख बोहाइ देल । बिरी बोहते-बोहते नदीक दोसर धाइर चइल गेलइ जहाँ एगो राजाक बेटी नहा हली । ऊ बिरी के देइख के हाथें धरलइ आर खोलो ही । बिरी खुलल तो राजाक बेटी चुइल के देइख मोहित भइ जाही। चुइल सोना लखे खुब चमकइ। एते सुंदर चुइल केकर हइ भाइ ? एते सुंदर चुइल हे तो लड़का कते सुंदर हवत? ऊ केस लइके आपन बाप जगुन गेली आर केस देखाइ के कहली- "बाप ई केस जकर हतइ हामें ओकरे से बिहा करबइ।" राजा केस देइख के मोहित भइ जाहे । ओकरो बेटीक बियाह के चिंता रहे आर ऊ कतना जगह आपन ठाकुर के लड़का तबसे भेजबो करले हल | ऊ गोटे राइज में ढिंढोरा पिटवाइ देल कि ई केस कोन लड़का के हे ओकरा खोइज के निकाला। हामें ऊ लड़का संग आपन बेटीक बियाह देबइ आर आंधा राइजो दइ देबउ ।

राजाक आदमी चाइरो बटें पसइर गेला । कुछ गांव-गांव, कुछ बोने झारें । खोजते खोजते राजाक आदमी सइ बोर गाछ तर पोहचला जहां ऊ लड़का रह हलइ । आब लड़का के ऊ सब देख ले हथ । फि लड़का के सब बात बताइ दे हथिनं । लड़का कहलइ - देखा भाइ हमरा भंइस सब पोसले हथ। जदी ऊ सब इजाजत देता तो हमें बिहा कर लेबउ । से सब से हमरां राय लिये दा तबे हामें कोनो कहबउन । राजाक आदमी इस के राय सुने खतिर हुँवे बइठ जा हथ । सांइझ बेरा भंइस सब आओ हथ तो सब बात सुनाइ देल जाहे । भंइस सब राय - सलाह कर- हथ और कह हथ- हाँ, हाँ लड़काक जोड़ी लगाना जरूरी है, बेजोड़ा थोड़े रहत? से जउ बिहा कर ।

लड़का के राजदरबार में लानल जाहे । फिन राजा ओकर नाम ठेकान पुछो हे । ऊ सब कुछ बताइ देहे । फिन राजा आपन बेटी संग ओकर बियाह कइर देलइ आर घोड़ा - हाँथी में बारात के सजाइ के ढोल-ढाक के साथ आपन बेटी आर दामाद के बिदाइ करलइन । बारात पहुँचल लड़काक गाँव तो ओकर बुढ़ी आजी बिमार खाटी सुतल हली। लड़का आर ओकर जनी हाँथी से उतर - हथ आर दुइयो बुढीक गोड़ लागला। बुढ़ी खाटी से गते गते उठली आर उइठ के बइस गेली फिन कहो ही - तोंय के लागा राजा? आर हामें गरीब बुढ़ीक काहे गोड़ लागा-हा? हामर जगुन 'कुछ नाँइ हे बाबा। लड़का आपन आजी के अंकवाइर के पकड़ हइ आर कांइद-कांइद कह-हे- हामें तोर नाती लागीयो आजी। तोर नाती ! जेकरा बाघ लइकें भागल हलउ । आर ई हामर जनी लागी। बुढ़ी आपन नाती आर नातिन पुतोउ दुइयो के अँकवाइर ले ही। फिन तीनो हाँसी-खुसी रहे लागा- हथ ।

***

गुदुपुचु रानी आर कउआ

एगो गाछें कउआ रह हल। सइ गाछेक हॅठें एगो गुदुपुचु रानी (लाल रंगेक एगो पोका ) रह-हली । एक दिन गाछेक एगो कउआ गुदुपुचु के खाइ खातिर मने-मन कुरचे लागल। गुदुपुचु रानिक नजीकें जाइ के कहलइ-

"गुदुपुचु रानी, तोराँ हामें खइबर !"

कउआक खल मति सुइन के रानिक मने भाभना मेलइ । कउआक चॅटे खातिर रानीं एगो चाइल खेलली। ऊ कहलइ -

"तोंय जदि हामराँ खाइ खोजे हैं तबे हामर बात सुन तोंय तो बारह रकमेंक जिनिस खइहें। तोर ठौर टा जुठा भइ गेल हउ । जोउ आपन ठोर टा धोइ के अइबें, तकर बाद हामराँ खइहें।"

रानिक बात सुइन कउआ राजी भइ गेल । मने मन भाभल जे बइसें ठीके कह - ही । काहे नाँइ हामें आपन ठोर टा धोइ केहीं ओकरा खड़बड़ तो बेस सवाद लागतइ । एहे भाइब - गुइन के कउआ पानिक नजिक पहुँचल आर कहलइ

" देहूँ पनियाँ,

धोवब ठोरवा,

खाइब गुदुपुंचु रनियाँ।"

कउआक काथा सुइन पानी कहलइ - " कइसें देबउ ? हामर ठीन तो कोन्हों जोगाड़ नखउ। कुम्हार घार ले चुकरी आने पारबें तो पानी पइबें ।"

पानीक सल्हा सुइन के कउआ सोझे कुम्हार घार बाटें सोझाइल आर पहुँच के कहलइ -

" कुम्हरा देह चुकरी,

भोर पनियाँ,

धोवब ठोरवा,

खाइब गुदुपुचु रनियाँ ।"

कउआक कथा सुइन के कुम्हारें कहलइ - "सुन कउआ, हामर ठीन माटी नखरा । जोउ कुकुरेक सींग ले माटी कोइड़ के लइ आनरें ओकर बाद चुकरी बनाइ देबउ । सइ चुकरीं पानी लइ जिबें आर आपन ठोरवा धोइकें गुदुपुच रानिक खइभीं।"

कुम्हारेक बातें सइ कउआ कुकुर ठीन पोहँचल आर कहल -

कुकरा - कुकरा देहू सिंगला,

कोड़ब मटिया,

देबइ कुम्हराक

देतइ चुकरी,

भोरब पनियाँ,

घोवब ठोरवा,

खाइब गुदुपुचु रनियाँ ।"

एतना सुइन के कुकरें कहलइ-" हामें बहुत दिन सें भुखें हों । हामरा जदि दूध-भात खिवे पारबें तबे हामें आपन सींग देबउ । जोउ गाय ठीन से दूध लइ आनबें ।"

कुकुरेक कथा सुइन कउआ गायेक खोजाइरें चलल । कुछ धुरें एगो बुढ़ी गाय देखे पाइल । तखन ओहे गइया ठीन जाइ कें कहलइ-

" गइया - गइया देहु दुधवा,

देबइ कुकराक,

देतइ सिंगला,

कोड़ब मटिया,

देबइ कुम्हराक

देतइ चुकरी,

भोरव पनियाँ,

धोवद ठोरवा,

खाइब गुदुपुचु रनियाँ ।"

कउआक काथा सुइन के गायें कहलइ " ढेइरे दिन से भूखें हो। जदि तोंय हामरौँ हरिहर घाँस खिवे पारबें तवे भेलें हामें दूध दिये पारबउ ।"

गायेक कथा सुइन कउआ जहाँ खूने हरिहर घाँस रह - हलइ तही पोहइच गेल आर कहलइ

देहु घाँसा,

देबइ गइयाक,

देतिक दुधा,

देबइ कुकराक

देतइ सिंगला,

कोड़ब मटिया,

देबइ कुम्हराक

देतइ चुकरी

भोरब पनियाँ,

धोवब ठोरवा,

खाइब गुदुपुचु रनियाँ ।"

कउआक बात सुइन घाँसें कहलइ - " कइसें देबउ ? हामर ठीन काटइक जोगाड़ नखउ । जोउ कामार घार सें हँसुआ लइ आन तब घाँस दिए पारबउ ।”

कउआ मने तो गुदुपु रॉनिक खाइक हुचुक चढ़ल हलइ, जे बुइधें इसे - हे करबताओ गुदुपुचु रानिक खाई के रहब । तखन घाँसेक काथा सुइन के सइ कउआ कामार घार पोहुँचल आर कामार से कहलइ-

"कामरा देहू हँसूआ,

काटब घाँस,

देबइ गइयाक

देतइ दुधा,

कुकराक देबइ,

पाइब सिंगला,

कोड़ब मटिया,

देबइ कुम्हराक, देतइ चुकरी,

भोर पनियाँ, धोवब ठोरवा,

खइब इगुदुपुचु रनियाँ ।"

कउआ एके गो बातेक रट लागाइ देलइ । तखन कामार स लालचाहा कउआक मनेक बात जाइन ओकराँ माजा चखवे खातिर बुइध राँचल आर कहलइ-

"सुन कउआ, हँसुआ दू रकमेक हवइ, गरमा-गरम आर नरमा-नरम। कोन टा तोरा बनाइ देबउ ? लाल-लाल पारास फुल नियर गुदुपुचु रानिक खाइ खातिर कउआक तो छावाँइद भइ गेल हल से लेल कहलइ - "गरमा-गरम !"

कउआक बात सुइन के कामार मने-मन हाँसल आर कहल - " ठीक हइ! बइस एखनी बनाइ देबउ । एखन कामार चाँड़ा - चाँड़ी एगो हँसूआ तातल-तातल बनाइ के कउआक आगुँइ राइख देलइ आर कहलइ–“ हँसुआ बइन गेलउ ।"

एतना सुनबाइ आर कउआ दउड़ा-दउड़ी जाइकें हँसुआञ ठोर मारल हइ तइसीं ओकर ठोर हदइक उठल हइ । ओकर ठोर तो पोइड़ गेलइ आब गुदुपुचु रानिक कि खइतक ?

कउआ छटपटइले हुआँ से भागल आर दरदेक मारीं हिन्दे - हून्दे घुरइते रहल। साँझ भेलइ तखन सइ गाछेक डारीं आइकें डरडरान भारें बइसल ।

कउआक दुरदासा देइखके गुदुपुचु रानीं कहलई - "कि भेलउ कउआ? आपन ठोर धोइ के अइलें ?" कउआ रानिक बात सुइन के मने-मन लाजाइ गेल आर दोसर बाटे मुँह कइर के काँव-काँव करे लागल | हिन्दे गुदुपुचु रानी ओकर करनी टाक देइखके बइजक उठली " रे लालचाहा ! देखल्हीं आपन लोभेक फल !"

***

गोहाइल पोरब

बहुत दिनेक बात लागे ।

बराकर नदिक धाइरें रह-हलइ एगो बड़ी डागर चाकर बोन। बड़ी फइलगर, बड़ी ओसार। नदी धाइरें सइये बोनवाँ दिने माडल हा कुछ लोक ।

ओहे सभेक मइधें रहे एगो कमनिहार गोरखिया । एक दिन जखन ऊ नदी धाइरें रहे तखन देखलइन कुछ बोनेक डांगर के । ऊ डांगर गुलइनेक पोसवइया केउ नाँइ । बोन्हीं रहथ आर बोन्हीं चरथ। ऊ डांगर गुलइन संगे ले आर फेटाइन हथीन - सब भुसुरमुँड़ । गोड़ ले मुड तक आर वुकु ले बिसी तक धुरा माखल आर कादा लागल।

ऊ गोरखिया ऊ गुलइन के धोइ-धाइ के रगइद-हँसइत के एकदम सफा कर देलइन । सोब लेरू आर फेटाइन चिकचिकाइ-चमके लागला । फरीछ आर हलुक गात भेल में कुछ तो पिदके आर तारनायो लागला ।

ततके बोनवाँ ले ऊ लेरू - फेटाइन गुलइनेक माँइ गुलइन हमलइले नांभे लागलल्थिन । बोनेक गोरु-डांगर बड़ी मरखँड़ । पाछे झाइल मारब्थिन, ढूँसा हँसी करब्थिन । एहे भाइभ के गोइरखवा एगो गाछे चइघ के नुकाइ रहलक ।

सोब बोनेक डांगर आपन छउआ गुलइन के फिट, सफा आर सुन्दर देख के बड़ी खुस भइ गेला । गाछ उपरें बइसल गोइरखवा नललइ जे सब डांगर गुलइन हिंदे-हूंदे चाकार - चुकुर थनवे लागल हथिन । गोइरखवाक बुझइलइ जे के जान सब डांगरवइन खुसिक मारीं ओकरां देखे खोज - हथिन । के जान सब डांगर लेरू- गोरू ओकरा डाक-हथिन । के जान लेरू - फेटाइन गुलइन के सफा-सुफा करवइया टाक उपर डांगर गुलइन बहुत रीझ गेल हथिन ।

एहे गुलइन भाइभ - गुइन के गोइरखवा गछवा ले नांभलक । ओकराँ देखइथीं लेरू-तेरू गुलइन ओकराँ चाइरो धाइर ले खुसी मने बेर्हवे लागल्थिन । आर तबे बोड़ डांगरो गुलइन । जे रकम कि सभीन भिल के ओकर आबदार सवागतें माइत गेले हथ ।

तखन गोरखिया टाक हिमइत बाढ़लइ । सब डांगर के टेकले - टाकले ऊ लइ आनलइन आपन घार ।

गोइरखवा घरें आइल बाद सब डांगर गोहाइलें बड़ी मजा से रहे लागला । सुधे समइ - सिरें पात- पाल्हा, घाँस-पोंरा गोहाइलें दइ दे | रोइज बड़ी चनफने आर छलछली दूध दुहे आर हिंका ले खाय-पीए ।

पाँचें- सातें डांगर गुलइन के ढोढ़ा बांटें लइ जाइ। हुआँ सब डांगर छप छप छापइर खेलथ । जाउ ले आन डांगर गुलइन के गोइरखुवा रगइद-घँइस के नहवे, ताउले बाकी सब गुलइन पानी छापइर खेलथ ।

अइसने दिन - काल होते-होते भादरं मइहना सिराइ गेलइ । गोड़ा धानेक बाइल झलकलइ । तकर बादें धान पाकियो गेलइ ।

तखने ऊ गोरखिया- किसान धान काइट के बीड़ा बांधलक। तब . आपन खरिहानें आइन के माड़ा घुराइ कें, आखइने उटइक - पाटइक कें माड़ा खिजवल । तब धान धुइख - धाँइख के चाउर कुटल आर खीर बनवल। दुध-चारेक पीठो बनवल! मेनेक डांगर गुलइन के खाइ ले देलइन छुछे धानेक नारा आर पँवरा ।

तखन ऊ गोरखिया - किसानेक ई चाइल देइखके डांगर गुलइनेक भीतर टा चिरबिराइ उठलइन । ऊ सब करें-करें बोनवें बाटें डिहरे लागला आपन्हीं ।

गोरखिया- किसानेक बड़ी फरदवाइ । अब डांगर गुलइन के घुरवे जाइ तो घुरेहे नाँइ खोजथिन । पेछु बाटेले माटी-धुरा आखराइ के फोदी उड़ाइ देथिन | आगु बाटें गेलें तारनाइ के ढुँसे ले दउड़वथिन ।

तखन गोइरखवा बुझे पारलई डांगरवइनेक रागेक ओजह टा ऊ धड़फड़ाइ के घर घुइर अइलक । ऊ बुझ गेल जे ऊ सुधे आपन पेट- पोरोबे मनउलक । गोहाइल पोरोब नाँइ मनउलक । गरु -डांगरेक मदइतें आबाद उपजवल। मेनेक से फल एकाइ आपने तुबल। सइ ले डांगर राइग गेल हथिन ।

ऊ आरो कुछ खीर- पीठा बनवे ले घरें कहलइ । तबे चाँड़-चपट झालाक-झुलुक बाइल वाला बाइद खेंतें गेलक । हुआँ बाइल सहिते कुछ नारा चोंथल। आर सइ गुलइनें सुंदर-सुंदर, आब्गा- आब्गा मडुवइर बांधल। तब धुप-धुना, खीर- पीठा, गोरया आर मडूवइर लइकें दउड़ा-दउड़ी डांगर गुलइन ठीन गेलक । जाइके आगु बाटे गोरइया गाइड़ देलइ। आर सब डांगइरवइन के मडुवइर बांइध के, धुप-धुमना लइके धुइर - घुइर सबके खीर - पीठा खाइ देलइन । डांगरवइनो फइर तइसने कोऽड़ करे लागल्थिन । तखन ले बराबर घाटवार के डाइक के गोरया गाइड के सोहराइ नेग आर पोरोब मनवल जाहे ।

***

दू बीहाँइ दुरगति

एगो गाँवे रह-हलक एगो लोक। ऊ एकदम एकाइ रह-हलक । ना माइ ना आर केउ। मेनेक, ओकर खेत-बारी आर टॉइड़ दमे रह-हलइ। सइले ऊ तनी चाँड़ा-चाँड़िये बीहा कइर लेलक।

घरें बहु अइलइ ! तर्थं लोकेक टानाटानिये ! काम बेस-से सम्हरे नाँइ ! तखन ऊ आर एगो बीहा कइर लेलक ।

दूइयो बहु गुलइन पारी बाँइट के घरें आर बाहरे काम - पाइट सारे लागला। थोरना दिन बेसे भाभें काम चल-लइ । मेनेक चाँदी दुवे सइनिनेक मेका-मेकी, उल्खा - पँइचा सुरू भइ गेलइन ।

आर फइर, छोटकी बहु टी तनी बेसी चनफन आर चेठगर रह-हलइ। से-ले आंपरूपी मरदवाक तनी बेसी टान भइ गेलइ छोटकिक बाटे।

छोटकिक बाटें मरदेक बेसी टान टा भांइज के बड़की आरो पसपसी मोइर गेलिक । ऊ मने-मन भाभे लागलइ जे कि कइर के ऊ छोटकी के मरदवाक जीहेक बइरी बनाइ देतइ ।

भाभइत-भाभइत ओकराँ एगो चाइल सुझलइ । एकदिन, जखन छोटकी मरद टाक संग बाहर बाटे काम करे ले गेल हलइ, तखने बड़की टी बिन चार छोड़वल गुंदलीं तेल मेसाइ देलइ । ऊ भाभली जे तेलें सानाइल गुंदली टा हामर सइतिन कुटेहे नाँइ पारतिक । आर चार नाँइ बहरइलें भात रांधइतें देरी भइ जितइ । बस छोटकिक उपर मरदवा राइग जितइ आर बड़की तकर पेटेक भीतर आइ जितिक ।

आगुक दिने छोटकिक पारी रह-हलइ घरेक काम करइक । बड़की गेलिक मरद संग काम करेले। तो छोटकी बासी पाइट साइर के भात रांधेले गुंदलीक चार छोड़वे बइसइल । मेनेक ई की । कुटते कुटते ठाढ़ बसियान भइ अइलइ । मेंतुक गुंदली चार बहरइतें बाहराइ नाँइ खोजइ। तखन तर-हथवें उठाइके जइसी एक चुटकी गुंदली टाके मइस के देखलइ, छोटकी बुइझ गेलइ। तेल मखवल गुंदली ।

छोटकिक बुझइतें देरी नाँइ लागलइ जे ओकरा साथेने आक सइतिने ई कुटचाइल गुलइन करल हिक। बस, चट कर के ऊ दास घर ले पँइचा चार लइ आनलइ। मरदेक घर घुरेक आगवे राधा-बाँटा साइथ ।

रांधा-रांधिक सब काम निंघरल देइख बड़की आरी लडहर उठलइ । तखन दोसर कुटचाइल चलेक बतर भांजे लागलइ ।

तनी जिराइ के मरदवा ढोढ़ा बाटे गेलक नाहाइले। छोटकी गेलिक डाड़ी बाटे ले पानी आने।

तखने छोटकिक बॉटल मसालाले लुचइक के बड़की एगो झोर देल, तियन खुब मन दइके राँधाइल। तनी पालवा मेसाइ दइके माभइल जे ओकर राँधल ई तियनवें मरदवा अबरी ओकरे भइ जितइ सुघर - सोवादेक जोरें ।

नाहाइकें घुरलें छोटकी खाइक परइस देलइ आर पीर्हा-पानी कइर के खाइले देलइ । बड़की जिराइक निंग्सें तनी बीचें गड़गड़ा टाइन-टाइन के बइस रहलइ, मरदवाक बाठीं भाइल - भाइल के ।

खइते - खइते मरद टा बजइक उठलइ जे झोर देल तियन टा-ले तो भूंजले टा सवादगर लाग-हइ ।

एतना सुनबाइ आर बड़किक तो एड़ीक लहइर चाँदीं चाइप गेलइ । हुँका टानते-टानथीं ऊ गरइज उठइल, " हाँ छोटकी तो सब कमें तोर खातिर बेसी गुड़िया लागतउ ! हामे तो तीता - काँसा ! छोटकी गुड़िया! छोटकिक काम गुड़िया । ओकर सब कुछ गुनगर आर गुड़िया ।

छोटकी बतवा माठेक जिगिस्तें कह-लइ. "दीदी, अइसन छोट बात करे गेलें झागरा होवे । अइसन बादा-बादिक बात नाँइ कइर के सुगुमे रहेक चाही ।"

बड़कीं गुरगुराइ कें अबरी छोटकिको गुड़रलइ, "तोहुँ ओकरे पीठ उपरी उठबें। थाम तो तोराँ देखंहिअउ ।"

एतना कइह के हुँकवा थोसइर देलइ आर छोटकिक कसकसाइ के धइर के घिसरवे लागलइ । कहलइ जे ओकराँ आइज खेदा-बिदा दइए देतइ ।

मरदवें खइते-खइथीं माना करलइ, मेनेक ततके दुइयो सइतिन खेपचंडी! के जे आर मइ कहल सुने आर धातांग-पातांग राखे ! बांधल चुइल खुइज के पाथाइर गेलइन, लुगा-फाटा फाटे- फेंकाइ लागलइन, ताव धामड़ा-धामड़ी लागले हइ । सेसें बड़की बाप घार पाराइल | हिंदे ई बात सुइन के सभिन भाभला जे एके बिहाक परथा टा तोरल के दाएँ ई नाके नुन आर नाना-थाना ।

***

लुइरगर बेटी छउवा

एगो हलइ बेटी छउआ । तकर बाप बड़ी गरीब। मैनेक बेटी छउआटी खुब लुइरगर, चनफन! चाँड़-चपट कोनो काम के निंघरवे में ऊ सबले बीस। नाम रहइ चापु ।

गीदर टी आधडेरका उमइरेक हलड़ तखने ले तकर लुइर आर काम करेक चेठा देइख के लोकेक बड़ी बेस लागतलइन डेरका उमइरें गीदर टिक बीहा खातिर बात चले लागलइ। कइ गो बेटाक बापें आर कइ गो बेटा छउवें आपन्हूँ ओसरवला बिहाक बात। मेनेक बायें भामलइ जे जइसन लुइरगर बेटी, तइसने लुइरगर जामाइ जखन जुमतक जोहड़तक तखने हामें बेटी के बिहाक मत देबइ। गीदर टिको सइये मत। तो फइसला भइ गेलइ जे, जे बेटा छउवा बुइघेक हाराबाइदें चापक जुकुर पावल जीतइ सइ हतइ ओकर मनसइदाक बोर ।

अइसने एकबइर एगो बेटा छउवा बिहाक बात चलवेले अइल | तखन बाप टा गेल हलइ हर बनवेले आर काचरा आर झाँख काइट के मोहोर आने ले बोन | बेटा छउवा टाञ चापुक पुछलइ जे ओकर बाप कहाँ गेलेहइ ?

चापु कहलइ,' सोझ काठ के बेंकवेले गेले हे। आर सोहइला काठ आर सिंग- पूँइछवाला झाँपरा काठ के घिसरवे ले गेलेहे।"

बेटा छउवा टा कुछ बुझे हे नाँइ पारलइ । ऊ चोकाइ रहल। फइर ध--ऽर धइर के पुछलइ-" ऊ कखन ले अइतउ ?"

चापु कहलइ,–“ जदि अइतक तो अइतक। आर नाँइ तो, जदि 'नाँइ अइतक तो नाँइए अइतक ।"

गीदर टा अबरियो कुछ नाँइ बुझे पारलइ । तखन हाइनिसार भइ के घुइर गेलइ ।

दोसर बहर एगो दोसर बेटा छउवा अइलइ । ओहउ चापु संगे बीहा करेक बात ओसरउलइ । मेतुक चापुक बाप से दिन्हेँ घरे नाँइ रहइ। गीदरवा चापुक पुछलइ जे ओकर बाप कहाँ गेले हइ।

चापु जबाब देलइ, "डामर बाप काँटाक बारी काँटाक बेड़ बनवे गेलेहे।" एहोउ गीदरवा भेका तरी मुठान लइके घुइर गेलइ ।

तखन तेसर बइर एगो दोसर बेटा छउवा अइलइ ।' से दिन चापु हलिक दुरिए में आर ओकर माँ-बाप भीतर बाटे। गीदर टाञ चापुक माँ-बाप के दइकें पुछलइ ।

चापु कहलइ - "हामर माँइ एक ले दूइ करे गेलेहिक । हामर बाप गेले हे छुटु के बोड़ करे ले।"

ई जबाब सुइन के गीदरवा तो हाइकाठ! आखिर ओहर दाएँ पइर के घुरिए गेलइ ।

आब चाइरो बाटे सुनानी भइ गेलइ, जे थापु नामेक एगो बेटी छउवा बड़ी बुइधगर हइ । जे घरवें ऊ बहु बइन के जीतइ से घरबें बुझ्छेक आलो झकझकाइ जीतइ। मेनेक ऊ तकरे संग बीहा करतइ, जे बुइधें ओकर ले बीस, नाँइ तो कम से कम पटतइरियो होवे ।

कुछ दिन बादें आरो एगो बेटा छउवा अइलइ। सेवो बइर चापुखीं पइलइ दुवाइर तरें । ऊ पुछलइ जे चापुक माँ-बाप कहाँ गेलथिन ?

चापु तनी गिजइर के कहलइ, "माँइ एगो माँइ से तकर गीदरवइन के सिझवे लागल हड़ आर बाप आगु-पेछु होवे लागल हे।"

चापुक ई जबाब सुइन के गीदरवाक तो एकदमें आइ-बाइ ठेइक गेलइ ! कहाँ तो ऊ मनें करल हल, 'कइसे नाँइ हारतिक? तनी देखबइ चापुक । जुनजुनात हराइ छोड़बइ !" ऊ गीदर टा आपन के तनी बेस-बुजरूक, , बेसी बुझनगर बुझ-हलइ ।

ई गीदरवाको घुरल बाद आरो बेसी हुलमाइल भइ गेलइ । लोकें कहे लागल्थिन जे चापुक केउ हरवे नाँइ पारतइ।' बाह रे बेटी छउवा ?”

कुछ दिन बादें एके संगे दुगो बेटा छउआ सँपइर के गेला । कुल्हिक दुवाइरें डाक देथीं सेवो बइर चापुवे बाहराइल । ऊ बेटा छउआ गुलइन कहल्थिन जे उत्सव चायुक माँ-बाप संग बारे चापु ठेपो देखाइ के कहलइन जे ओकर माँ जादेखे-- हइ आर ओकर बाप चरका करिया करे।

दुवो बेटा छउआ गुलइने मने करल हला जे उसब जुनजुनात जीतता संपइर-संपदर के घुराइ उल्टाइ सवाल करथिन पारी पारी जकर सवालक जबाब चाप नौइ दिए पारतड़ ऑकरे जीत। मैनेक चायुक एके बहरेक जबाब दुवो छतमा गुलइन हाइचक नह गेला। घुहर के कोन्हों पुछेक हुबे नाँइ मेलइन। हरमट मेल तरी दु बेटा छउआ मुँड ऑलमाइ के घुइर गेला।

एकर बादें काना-कुनु अइसनो बात होवे लागलइ जे वायुवा आपन बतवइन के जबाब केजान नाँइ जानहिक। कुछ लोक कहे लागल्थिन जे चापु अनठेहरिए जे 5-सेऽ फड़इर देहद। ओकर खामखेयाली आर सरगबिंधा बतिअइनेक कोनो ओर पुथना नॉइ बुझाइ । सइले अबरी जमइक के जाइक चाही आर पुछाइस्-गाछाइर करल बाद पेछुक सभे सवाल गुलइनेक जबाब फरनवे ले कहक चाही। जबाब नाँइ फरनवें पारलें जकर संग हामिन कहबइ तकरे संग चापक बीहा दिए हतइ ।

तो जमइक के लोक पॉहइच गेला चापुक दुवाइरें। चापुक पुछल गेलइ जे ओकर बाप-माँइ कहाँ हथिन ?

चापु कहलइ. - "माँइ घहीं हिक बाप सरगेक पान ठेकाइड़ दिए लागल हे।"

चापुक बात सुइन के सब सुगुम ! सुधे जेटा-सेटा फासार- फुसुर आर गांदार - गुंदुरे सुनाइ लागलइ ।

ताउले चापुक बाप घर ले बहरइलइ। ऊ कहलइ.- “हामर बेटी आर तोहनिक मइथें जे बात--चीत भेलो. से सब हामें सुनलियो। जे-s जेsबिहाक बात लइकें एकर ठिन अइला, सब हारले गेला । सइले चापुक बिहाक सब खरच-बरच बोर घर के बोहे परतइ । बोरे घरेक खरचें आर बोरेक घरें बेंदकढ़ी बीहा हतइ । हामर बेटी जदि हाइर जीतइल तो हामें खरचाक भार गछतलो से आपने जो -ऽ भइर माँड़-कुंढ़ा, साग-पात, खावाइ के सवागत करतलिअइन । मेनेक अबे तो बरियात आइन के होवइया बीहा - चढ़ी बीहा- नाँइ साइर के बेंदकढ़ी बीहे सारे परतो। बोर बाटेक खरच- बरचें होवइया मनसइदाक बेंदकढ़ी बीहा"।

सभिन कहल्थिन जे चापुञ आपन जबाबें जे कहल हइ से सब बतिअइन फरनाइक चाही। जदि चापु सब जबाब गुलइन सही-सही देलेहइ, तो फरनाइ देलें चापुक बापेक बतवा माइन लेब्थिन उसब । आर तबें मनसइदाक बेंदकढ़ी बीहा हतइ। आर से नाँइ भेलें चापुक बाप-माँइ के एते लोक के हइरानी करल के हरजाना दिए परतइ ।

चापुक बापें ओकर कहल सभे बतिअइनेक माने फुरछवे लागलइ.-

-हामें हर आर हरेक बुटा बनवे गेल हलों सइले चापु कहले जे सोझ काठ के बँकवे गेले हे।

-सोहइल्ला-सोहइल्ला काचरा आर लतें दिएक झाँख-झखरी आनेक रहे गोहरें कइर के, सइले गीदरटीं कहलउ जे सोहइल्ला काठ आर सिंग-पुंछ वाला काठ के घिसरवे ले गेले हों।

-बइरसल हलइ पानी सइले हामर बेटीं कहलो जे आवोहो पारो बा नाइयो आवे पारो, किले ना भोरल नदीं आवे पारब ना नाँइ ।

-दोसर बइर हामें बइगन बारीं घोरेले गेल हलों, सइले सइटीके हामर बेटी कहलो काँटाक बारी बेड़ बनव-हो काँटा के।

-जखन चापुक माँइ खदिहन आर बिहीन धान दुवो के छिनगाइ के राख-हलइ, तखन ऊ कहलो जे ऊ एक ले दुइ करे लागल हइ । आर हामें रूआ धुन-हलों, माने छोट के बोड़ कर-हलो।

-ओकर माँइ लाहइर झटनीं लाहइर दाइल सिझव-हलइ से ऊ कहलो जे ओकर माइएँ, माए से छउआ के सिझा करने लागल हइ ।

-तकर बादें चापु कहलो जे हामें आगु आर पेछु होवे लागल हो । माने तखन हामें आइगेक झरक ले हलों जखन आइग टा दरदरा उठइ, तखन बेसी झरक लागे आर हामें पेछुवाइ जाउँ फइर जखन । झरक कम होवे तखन अगुवाइ के बइसों।

-तकरो बादें गीदरटीं कहलो जे ओकर माँइ बेजरियाक धात देखे लागल हइ। माने ओकर माँइ खाइक रांधऽ हलइ । आर खाइक रांधे में चिप-चाइप के पसिंद करे होवइ जे खाइक टा सिझलइ नानाँइ ।

—हामे जखन कारी-कागइजें कुछ उखरव-हलों तखन चापु । तोहनिक कहलो जे चरका के करिया करे लागल हों।

– सेसें जखन हामें आइज छाइन छार- हलों तखन चापु तोहनिक कहलो जे हामें सरगेक पानीं टेकाइड़ दिए लागल हो ।

सब जबाब गुलइन सुइन के सभिन बड़ी खुस भेला। तबे बोर घरेक खरचाहिं चापुक बंदकढ़ी बिहाक नेग सरलइ । मनसइदाक बेंदकढ़ी बीहा भेलइ |

***

छागइर गोरखिया आर केतकी फुल

एक समय के बात लागे, राज़ा नीलकमलेक राइजें एगो छागइर गोरखिया रह-हलक। ओकर नाम रहइ टेपा । मेंतुक ओकरां छागइर गोरखियाक नाम्हीं लोक जानथ।

एक दिन गोरखिया नदी धारीं गोरखी करइत - करतइ नदीं एगो फुल बोहाइल आइतें देखलइ। ओकर मन नाँइ मानलइ आर ऊ नदीं झॉप दइ फुलवा उठाइ लेलइ । ऊ केतकी फुल रहइ जे जेतना देखे में सुन्दर ओतने सुन्दर ओकर महक । टेपा दिन भईर ऊ फुल के संगें राखलइ मेंतुक तनिको मलिन नाँइ भेलइ । सांइझ प्रहर जखन घर घुरे लागल तखन फुलवा राजाक गोबर डींगें गाइड़ देइ । दोसर दिन बिहान्हीं डींगवें गोरखी जाइत समय ऊ फुलवा उठाइ लेइ। दिन भइर संगे राखल बाद सांइझ पहर घुरेक समय राजाक गोबर डींगवें फइर गाइड़ देइ ।

एक दिन ऊ फुल के राजाक गोबर डींगवें नाइ पाइल ऊ दिन राजाक नोकरानी टेपा से पहिले गोबर डींगवें गेली आर केतकी फुल के उठाइ लइ गेली। टेपाक फुल चोरीक कोन्हों पछोर नाइ । ऊ आपन कामे (गोरखि) करे चइल गेल ।

राजा केतकी फुल देइख मोहीत भइ गेल आर पुछलइ तो नोकरानी कही देली जे ई फुल हामें तोहर गोबर डींगवें पाइल हों। राजा सब लोक के एक-एक कर पुछल मेंतुक केउ नाइ कहला जे ऊ फुल के राखल हे। राजाक ठीन सब तो अइला मेंतुक टेपा नाँइ गेल हल। राजाक लोक टेपाक डाइक आनला तो टेपा कहलइ जे आहे केतकी फुल राखल रहे। राजा टेपाक कहलइ जे- जउ ई फुलेक जोड़ लइ आन । फुलेक जोड़ नाँइ आने पारलें तोरा राइज सें निकाइल देबउ, आर जोदि अइसने दोसर फुल आने पारबें तो आधा राइज दइ देउ आर आपन बेटी से बिहा देबउ। जोउ एक-दू पइला चिउड़ा लइ ले भंडार से रास्ता खरच खातिर।

टेपा राजाक हुकुम काटे नाँइ पारल आर ऊ चलल आहे नदीक धारीं धारीं । चलते-चलते एगो बोन पावाइल जहाँ पहरेदार ओकराँ जाइ ले रोइक देला । कहला जे आगु जाना खतरा हो। बोने एगो राकसिन ही जे तोरौँ खाइ जितोउ। टेपा कहलइ- हामरा मोरेक डर नखे । घुरब तो राजा नाँइ छोड़त एकर से बेस कामेक आगुक परया सें मोरों। एतना कही टेपा आगु बाइढ़ जाहे।

थोड़े धुर गेल परें एगो राकसिन डोका फाइर खाइले दउडल ही। टेपा राकसिन के कहलइ- मोसी हामें लागों, तोंय नाइ चिन्हें पारलें ? देख माय तोर खातिर चिउड़ा पठवल होउ। तखन राकसिन कहली- नाय चिन्हें पारलों बेटा हानें तो तोराँ चुम्मा लिये जा हलियउ।

एतना कहीकें ऊ चिउड़ाक गाँइठ उठाइ मुहें भोरे खोजो ही एतने में टेपा उठवल टांगा आर लगवल चोटवे राकसिनेक गरदन में आर राकसिन मोइर गेली । टेपा ओकर कानवां काइट लेलइ आर आगु चलल ।

जखन ऊ देसेक राजा राकसिन के मारल के खबर पाइल आर ई बिसवास भइ गेलइ जे राकसिन के टेपे हे मारल हे तखन ऊ खुस भइ आपन छोट बेटी से ओकर बिहा दइ देहे। टेपा बिदाइ नाइ लइ राजा से कहे हे जे हा केतकी फुल लइ घुरब तकर बाद बिदाइ लेब |

चलते-चलते एगो दोसर राइज पोंहचे हे तो देखे हे जे सब काइँद रहल हथ। ऊ राइजेक राजाक बेटा मोइर गेल हे । ढिंढोरा पिटाइ रहल हइ जे, जे केउ ओकर बेटा के बाँचाइ देतइ ओकराँ एक हिंसारा राइज देबइ आर आपन बेटी संग बिहा देबइ। आर नाँइ पारलें ऊ बइद के जान से माइर देल जितइ। टेपा सोंचल हामराँ तो मोरेके हे, हिंया मोरों चाहे आपन राजा मोरवे ! फेर परयास करलों नुकसान ऊ राजा के आपन जोजना बतवलइ आर से मोताबिक राज कुमार के । की। सोसान में तोइप देल जा है। टेपा एगो कांसाक डुभा आर एगो ठूठना लइ नुकाइ रहे हे।

आधा राती डाकिन- किचिन सब आव-हथ आर ऊ राजकुमार के गाढा से बाहराइ साफ-सुथर कइर एगो जड़ी सुंधाइ बचाइ दे हथ । ओकर से खेलल बाद फेर दोसर जड़ी सुंघाइ मोराइ फेर गाढ़ें तोइप दे हथ । टेपा नुकाइ कें दूनो जड़िया चोराइ ले हे। आर लगवे हे कांसाक डुभा जोर-जोर से बजवे । डाकिन-किचिन सब डरें भाइग जा हथ । टेपा राजकुमार के जीयाइ देहे। राजा खुस भइ आपन बेटी संग ओकर बिहा दइ देहे । तुक टेपा बिदाइ नाय ले हे आर आगु बाइढ़ जा है।

चलते-चलते एगो अड़कुजल बोनें पहूँइच जा हे । उहाँ देखे हें एगो सुन्दर बेटी छउवा ढेलवा झुंक-ऽ ही आर ओकरे ठिन केतकी फुल हइ । ऊ बुझे पारे हे जे ऊ बेटी छउवा राकसिनेक बेटी लागी। आब करत की आखिर ओकर मोरेक तो हइये हइ, चाहें ई राकसिन मोरवे चाहें आपन राजा । ऊ बेटी छउवा ठिन जाहे तो ऊ टेपाक देइख मोहित भइ जा ही आर ओकर सें बिहा करे खोजो ही।

राकस-राकसिन आव-हथ तखन ओकर बेटी गाहना -गुरिया सब लइ टेपाक संग भाइग जा ही। टेपा आपन बुधी सें दूइयो राकस - राकसिन के माइर देहे आर केतकी फुल संग राकसिन के सुन्दर बेटीक संग घुरे हे ।

राजाक बेटी ओकराँ सलाह देही जे ओकर बाप ठिन ए गो सोनाक मुंगरा हइ, सेटा बिदाइ समय मांइग लिहें। टेपा बिदाइ समय ओहे सोनाक मुंगरा मांगे हे आर बिदाइ कइर घुरे हे । फेर दोसर राजाक ठिन जा हे। ओकर बेटी कह-ही जे ओकर बाप ठिन एबो बाँडी हाथनी हइ आर एगो हाथिक खड़ग सेटा माइंग लिहें। टेपा ओइसने राजा सें बिदाइ समय बाँड़ी हाँथनी आर हाथिक खड़ग लइ चाइरो झन हथनिक उपर बइस आपन राइज घुर हथ । राजा केतकी फुल पाइ खुस हवे हे आर आपन बेटी संग बिहा दइ आधा राइज दइ दे हे। टेपा आपन बुधी- -बल आर हिम्मत से सब जघऽ सफल भेल जा हे। आर तीनों बहु संग हाँसी-खुसी रहे लागो हे।

***

करमेक लहइर

लाली पालकिया, लाली धोलकिया

लाली-लाली पड़लय ओहाइर

 रे करम चली आइल......

           मंमिएँ बइसले तोहें ससुर बढ़इता,

           दिहा ससुर बहिन बिदाय, रे करम...

हा नाय जानियइ, हामे नाय सुनिये

जाए पूछू भैंसुर आपन, रे करम....

         डंटा खेलतें तोहें भेंसुर बढ़इता,

         दिहा भेंसुर बहिन बिदाय, रे करम...

हामे नाय जानिये, हामे नाहीं सुनिये -

जाये पुछँ दीदी आपन, करम चलि ....

          भनसे दुकले तो दीदी दुलरइति,

          दिहा दीदी बहिन बिदाय, रे करम....

हामे नाय जानिये, हामे नाही सुनिये

जाए पूछँ बोहनइ आपन, रे करम चलि.....

           डंटा खेलइतें तोहें बोहनइ बढ़इता,

           दिहा बोहनइ' बहिन बिदाय, करम चलि....

धरबड़ माय मुंगरी तोड़बड़ माय टेंगरी

पुरी जितइ करमाक आस, रे करम चलि आइ...

02

कोना आमा हरियर, कोना आमा पियर

बलि ओगो, कोना आमा सिन्दुरे बरन ?

         काँचा आमा हरियर, गादर आमा पियर

         बलि ओगो पाकल आमा सिन्दुरे बरन ।

सेहो आमा बिछे गेली कनिया कुमारी

बलि ओगो, राजाक बेटाइँ,

राजाका बेटाइ धरलइ आँचइर।

           छाड़-छाड़ राजाक बेटा, हामार आँचरवा,

           बलि ओगो हामे लागों,

           हामे लागों कनिया कुमारी।

तोहें जे लागा कनिया कुमारी,

बलि ओगो हामें लागों,

हामे लागों राज कुमार ।

            जबे तोहें लाघे राज कुमार गों

            बलि ओगो चली जिहा,

            चलि जिहा बाबाक बखइर।

कइसे हमें चिन्हब जेठाक बखरीया

बलि ओगो कइसें चिन्हब बाबाक बाखइर ?

            जेठाक बखरीं घुरइ-

            हँसराजा घोड़वा, बलि ओगो

            बाबाक बखरी, बाबाक बखरी-

             घुरऽ हइ मंजुर !

खाटाप-खुटुप दउड़इ

हँसराजा घोड़वा,

बलि ओगो, दन-दन, दन-दनं

घुरs - हइ मेंजुर !

झुमइर

केधिक डरें में होथिन बोन समइलै?

केथिक डरे में होथिन कादौड़ लेटइलें ?

         माछिक डरें में हाँथिन बोन समइलें।

         लुतिक उरे से हाँथिन कादाई लेटइलें ।

के तोरा गे हाँथिन घास काटतउ ?

के तोरा गे हौंथिन पइन भरतउ ?

          राम-लखन में हाँथिन घास काठतउ ।

          सीता सांवइर गे हथिन पइन भरतउ ।

2

झिरी-झिरी नदिया सेंवाल बोहइ ना

हेरम, तहीं तो बंगालिन बेटी-

दाइल धोवइ ना ।

           घोड़े चढ़ल आवे राजाक बेटा ना

           हेरम, घोड़वें उतइर राजाइ दाइल मांगइ ना ।

कइसें हमें देबइ धोवल दलिया ना

हेरम, बाबाक कुलेक नाम डुबाइ देबइ ना ।

***

करमेक हुब

कर-मेकेर लह-लह! भइया लेगे आवे!

पर-लइ भादर मास, लाग-लइ नइहरेक आस!

करा गो सासु, करा गो सासु!

करा सासु हामर बिदाइ !

दिना चाइरेक!

सासु जाइ दे नइहरा गो!

दिना चाइरेक,

         तोहरो बिदाइ बहु हाम्हूँ ना जानो!

         पूछी गो लिहा, पूछी लिहा आपन ससुर !

दिना चाइरेक, ससुर जाइ दे नइहरा गो

दिना चाइरेक!

भोरल नदी-नाला, भोरल जोरिया गो

कइसें करि बेटी जइबें नइहरा गो

कइसें करि !

         आन-बइ सिमर पोहा

         गाँथ - बइ फुही गो

         फुही चघी, ससुर जइबइ नइहरा गो!

         दिना चाइरेक!

         ससुर जाइ दे नइहरा गो!

          दिना चाइरेक!

***

जावा जगवा

जावा माय जावा, किया - किया जावा

सेहो रे जावा एक पांता सइ रे ।

सुइया राजा राम-राम, हरि रामा भाइ रे

सराभरा दह के पनीया पीयाइब रे !

           सारा हाटें हटी गेलई कजराली पनीया

           गंगा बोही-बोही छेके मलीनीयाँ !

           गंगा हो गंगा मइया तोहरे नाम रे

           दुहिया लइ भइया पाअरा पाइब रे !

पहराहीं हथिं साठी मुनिस रे

साठी मुनिस के साइ बहू रानी

साइ बहू रानी - एक बहू कानी

कानी के देबइ, घइला भरी पानी!

           घइलवे से उइठ गेलइ गेहूमन साँप रे

           छाडू-छाडू गहूमन हमरिया बाट रे

           बाट छोड़िये बहिन किया फल पाइब रे

           पइबे भाय रे करम गोसांई रे ।

दिहा करम गोसांइ दिहा आसिस रे

मोर भइया जियतइ लाख बरिस रे

देलियो गो करमइति देलियो आसिस गे

तोर भइया जियतो लाख बरिस गे।

***

करमेक हुब -2

करमेक लह - लह भइया - लेगे आवे

बलि ओगो, करा सासु

करा सासु हमर बिदाय ।

        भोरल नदी नाला भोरल जोरिया

        बलि ओगो, कइसें करी

         कइसें करी जिबें नइहर ?

आनब सिमर काठ, गांथबइ फुही गो

बलि ओगो, फूहीं चढ़ी,

फुही चढ़ी जिबइ नइहर |

***

भोजीक ओलोहना

बांका रे बांका कुरथी,

भूंजे बइसल छोटकी नन्द ।

        भूंजइते- भूंजइते ननद पोड़ी गेल

        लाजे हूँ नाय जाय ससुर घार ।

जाइते रे सिमर सिटिका

घुरइते फुलें भोभोकाल ।

          तोरी लिहा हो नन्देसुआ

          ननदी के देबइ पहिराइ ।

बांका रे बांका कुरथी...

***

जावाक बिदाइ गीत

आइझु तो करम गोसाइ

घारें दुवाइरें गो, घारें दुवाइरें

काइल तो रे करम गोसांइ, कास नदी पार ।

       जाजा हो करम गोसांई,

       कांस नदी पार हो, कास नदी पार

       आवतइ भादर मास आनबो घुराइ - 2 !

***

मायेक बड़ाइ

के मोरा खायतइ पाकल पान गो -2

के मोरा खायतइ ऍडरी के टूसा ?

       भइया हामर खायतइ पाकल पान गो -2

       सँइया हामर खायतइ ऍड़री के टूसा !

के मोरा आवतइ इंद राजा संगें गो-2

के मोरा आवतइ चुरूप राजा संगें ?

         भइया मोरा आवतइ इंद राजा संगें गो-2

         सँइया मोरा आवतइ चुरूप राजा संगे ।

के हामर आइन देतइ दूइयो हाँथेक साँखा गो-2

के हामर आइन देतइ अइड़ि सइतिनी-?

         मइया हामर आइन देतइ दूइयों हाथक साँखा गो-2

         सँइया हामर आइन देतइ अइडि सइतिनी ।

हाँसी-हाँसी पिंधबड़ दूइयों हाथेक साँखा गो-2

कांदी - कांदी पइरछबड़ अइड़ि सइतिनी ।

***

करमेक आस 2

दूरी देसे करलें बाबा जोर नारवा हो,

कबहूँ न अइलें निहार!

        आगु पठइबो बेटी नउवा बाभनवाँ गे

         तबे पठइबो छोटो भाइ!

कहाँ हामे राखबइ नउवा बाभनवाँ गो

कहाँ राखब छोट भाइ ?

           गोहला हीं राखों नउवा बाभनवाँ गे

           भितरा महले छोटो भाइ ।

किया खियइबइ बाबा नउवा बाभनवाँ गो

किया खियइबइ छोटा भाइ ?

           घीया मूंगा दलिया बेटी नउवा बाभनवाँ गे

           दही दूध खियइहें छोटो भाइ ।

कहाँ पइबइ बाबा घीया मूंगा दलिया हो,

कहाँ पइबइ दही दूध ?

           लादी- पठइबर बेटी घीया मूंगा दलिया गे

           खेदी पठइबउ धेनु गाय ।

किया दये बोधबइ नउवा बाभनवाँ गो

किया दये बोधबइ छोट भाय ?

           चार- दाइल धोती दये नउवा बाभनवाँ गे

           छोटकी ननदी छोटो भाइ ।

***

करमइति सीता

ढर-ढर कांदे भाइ, सीता ठकुराइन रे !

बलि ओ.. रे ! बाम रे भेला

बाम भेला बिधि हामर !

      सुना-सुना करमं राजा हामर बचनवाँ

      बलि ओरे, मोर जे सइयाँ

      मोर सइयाँ गेलक परदेस !

जदि सइयाँ आनि देभे, करम गोसइयाँ

आवत भादर मासें, करमे के दिने

ढोल-ढाके आन-बो, माँझ बारी गाड़-बो !

बलि ओरे, घीवेके बातीं

घीवेक बाती लेबो जागाइ !

       आन-बइ सहियाक डाकि, बइसब धेयान धरि

       बलि ओरे, फुल रे दले !

       फुल दलें करबो सुसाइर !

हामर बापें अर-जे जे, सिखर साइल धनवाँ !

बलि ओ रे से हो रे धानेक

से हो धानेक देबो भिंजल चार !

***

करमेक आस 3

बाबा मोरे बीहा देलइ नदी के पार

बलि ओगो नदी नाला बोहइ बारsमास

        बाबा मोरे रहतलइ आना लेगा करतलइ

        बलि ओगो पइतो परबे परेक अधिन

सास देहइ ओलना ननद देहइ ठोलना

बलि ओगो कहाँ जाये रहबइ डाँड़ाइ

        ऊँचा- उँचा मंदिरवा पूरबे दुवाइर

        बलि ओगो हुवाँ जाये रहबइ डाँड़ाइ

माय मोरे मोसी जिये बहिन ससुराइर

बलि ओगो भोजी मोरा लेलइ लुलुवाइ !

       खाय जे देलइ माय अरवा के भात

       बलि ओगो आरो देलइ पालवाक झोर!

***

भोजीक साध

जेही रे देसे माय बोकली नाय चरे

सेही रे देसे देवरा गेलइ बनिजे हामर !

        जबे तोहें जिहा देवरा अनिजे-बनिज

       आनी दिहा· देवरा सिन्दुरा संदेस !

वहीं रे देसे भोजी सिसिरे बहुते

भींजी जितो सिन्दुरा संदेस !

        हमरी हो देसे देवरा पवन - बसाते

       सुखाइ लेबइ देवरा सिन्दुरा संदेस !

***

झुमइर

केकर बोने फुले, अरून लाता, बेरून लाता-

झींगा करेलवा ना

हे राम, ककर बोने फुले डुमइर फुला ना ?

         भइयाक बोने फुले अरून लाता, बेरून लाता-

         झींगा करेलवा ना

         हे राम, संइयाक बोने फुले डुमइर फुला ना ।

एका मन करे फुलवा तोइड़ लेबइ ना,

हे राम, दोसर मन करे मालवा गांइथ लेबइ ना ।

***

करमेक आस 4

भेजी दिहा हो भोजी लहर-लहर डलवा

भेजी दिहा, रे करम छोट भइयवा, भेजी दिहा ।

काहीँ पइभे हो नुनी लहर-लहर डलवा

काहाँ पइभा, रे करम छोट भइयवा काहाँ पइभा ?

      हाटे पइभे हो भोजी लहर-लहर डलवा,

      घारें पइभे हों करम छोट भइयवा घारे पइभा ।

      "भेजी दिहा हो भोजी लहर-लहर ओंकरी,

     भेजी दिहा हो करम बोड़ भइयवा, भेजी दिहा ।

काहाँ पाइब हो नुनु लहर-लहर ओंकरी,

काहाँ पाइब हो करमं बोड़ भइयवा, काहाँ पाइब ?

         दोकाने पइभा हो भोजी लहर-लहर ओंकरी

          घारें पइभा रे करम बोड़ भइयवा, घारे पइभा ।

         भेजी दिहा हो भोजी आइर-पाइर साड़ीया

         भेजी दिहा हो करम मंझला भइयवा, भेजी दिहा ।

काहाँ पड़बड़ हो नुनी आइर- पाइर साड़ीया

काहाँ पइबइ रे करम मंझला भइयंवा, काहाँ पइबइ ।

         माड़वारी घारै हो भोजी आइर - पाइर साड़ीया

         घारें पइभा, रे करम मंझला भइयवा, घारें पइभा ।

***

बहिनेक आस

भइया रे बइसलें नगरियाँइ

दिहें भइया डलवा संदेस।

         बहिन गे समे रे सॅलसता भेल

         एगे बहिन डलवा महंगा भेल ।

भइया रे हवे दे महंगीया,

तावो हामे मानब करम गोसाईं ।

        बहिन गे जाये दे महलंदा देस

        भेजी देबउ डलवे संदेश ।।

***

करमेक आस-5

बड़का दादाइँ कहइ, बहिन आने जाइब - 2

बड़की भोजी, भोजी कहइ आना दिना चाइर।

         नाहीं जे लेबो भोज, गाय महिसी हो-2

         खाय लेबो बासी भात जीबो ससूर घार।

(एहे तरि मंझला दादा आर छोटका दादा जोइड गाइल जा है)

***

करमेक आस -6

बड़का हो भइया मति लेगे अइहा

कहाँ पाइब पाकल पान हो, अरे हो.....

        मंझला हो भइया मति लेगे अइहा

        कहाँ पाइब बांधल खसिया, अरे हो.....

छोटका हो भइया तोहीं चली अइहा

कांदी -कांदी मांगने बिदाइ हो, अरे हो...!

         दीदी के कइर दे विदाइ हो, अरे हो.....

***

झुमइर

कांचि हो बांस के डलवा बुनवलों सिरि राम

सातो बहिन फुला लोरहे जाइब सिरि राम !

         एका फुला लोर- हलों, दुवा फुला-लोरहलो

         आइए गेला ससुर लेनिहार सिरि राम ।

         ससुर संगे हामे नाहिं जाइब सिरि राम

         चिलम चढ़उते दिन जाइत सिरि राम ।

एकाक भादो इंजोरिआँइ खेलहो नी पइली

आइए गेलइ भेंसुर लेनिहार सिरि राम ।

भेंसुर लेनिहरवा के देहू ना घुराइ गे मइया

घुघवा टानइते दिन जाइत सिरि राम ।

           एका फुला लोर - हलों दुवा फुला लोर- हलों

           आइए गेलइ देवर लेनिहार सिरि राम ।

           देवरा के संगे हामे नाहीं जाइब सिरि राम

           गुलिया खेलइते दिन जाइत सिरि राम ।

भदवा इंजोरिया खेलहू ना पइलि सिरि राम

आइए गेलइ पिया लेनिहार सिरि राम ।

पिया लेनिहरवा के देहू ना बइसाइ गे

हाँसइते बइजकइते घरा जाइब सिरि राम ।

***

करमेक आस-8

गोम -ती के धारी, फुट-लइ काँसी गे !

नुनी गे तोर मना, तोर मना नइहर चलि गेल!

काँसी फुला फुली गेल, आसा मोर बाढ़ि गेल !

           देखि देखि आँखिया टाँटाइ !

           रे भादर कुहकल आइ !

पर-लइ भादर मास, लागल नइहरेक आस!

कहि कहि भइया के पाठाइ,

रे भादर कुहकल आइ !

        काँसी फुला झरि गेल, आस मोर टुटी गेल!

        कांदि-कांदि छतिया धोवाइ,

        रे भादर चलल सिराइ !

कहे तो जे रूटवा, कइसे के बांधब हिया !

कांदि - कांदि छतिया धोवाइ,

रे भादर चलल सिराइ !

***

करम - सोहराइ

केहु तो सेवे, चइत - बइसाख मास !

केहु सेवे आसार मासा रे!

केहु सेवे धनि परथम भादर मास

तबे धनि फिरबें नइहरा गे।

           भाई तो सेवे चइत - बइसाख मास

           भँइसिया सेवे आसार मास!

           बहु-बेटी सेवथ परथम भादर मासा रे!

           करमें जे घुरता नइहरा रे!

किया लागिन सेवइ, चइत - बइसाख मास

किया लागिन सेवइ, आसार मासा रे!

किया लागिन सेवइ, रे परथम भादर गो!

किया लागिन सेवइ कारतिक मासा रे!

          रउदा लागिन सेवइ चइत - बइसाख मासा रे !

          घाँसा लागिन सेवइ आसार मासा रे!

          करम लागिन सेवइ चढ़ती भादर मास,

          सोह-राइ ले सेवइ, कारतिक मासा रे!

***

टुसू -भादू गीत

अरवा चारें, थापी माइ के

काँचा दुधें, पूजी गो!

छोउ मासें, बछर दिनें

माइ के मने करी गो!

          हामिन जे माँइ टुसू थापी

          अघन साँकराइतें गो!

          सइ माँइ के, फइर जे डाकि

          भादर मासें गो!

2

हामर टुसू पोथी पढ़े

गाजार बोनेक धाइरें गो!

कइसें जे माँइ, सुने जइबइ

जोड़ा नदीं, ढेउ उठे!

             बोड़ो नदिक हड़हड़ी रे,

             छोटों नदिक फेना गो!

            से फेना के छाँकइते गेलें

            हिले कानेक सोना गो!

***

झुमइर

टिल्हा - टुंगरिया में, बुनलों कपास

सुन साँवरी लो, फुलें- फरें झबरलइ डाइर।

           कोन्हो कपास फुटये, कोन्हों कपास फोरये

           साँवरी लो, कोन्हों कपास उड़-उड़ जाइ ।

बिछी-बिनि आनबइ, धुनकी से धुनबइ

साँवरी लो, सुता काटी सड़िया बुनाइब ।

           बातासें उड़ये फुटले कपास

           साँवरी लो, धइन कपास भरम बँचाइ ।

सोहराइ गीत

1

जागही न जागही गझ्या आजु केरी रतिया गो

तोरे जागलें जागतळ गोटे संसार!

जागहीं न जागही मीरा आजु करी रतिया हो

तोरे जागलें जागतो गोटे संसार।

           तोरे घारें देखा हउ आलो न बतिया हो

           तोरे घारें देखा हल आधार, बार ही न

           बारs हीं मीराइन घीया-मूंगा बतिया हो

           झकमक बरतच सारा राइत।

***

सोहराइ / 2

कुल्हीयाँइ - कुल्हीयाँइ हामें जा हलों

तोर बरदाँइ आनलउ घुराइ !

चालें हो चालें अहीरा हामर मीरा घर

जाइक चोटें करतउ बिदाइ !

           बइसें ले जे देलइ बाबु उँचा-नीचा मचिया

           खायले जे देलथ बीड़ा पान

           अइसने लागइ बाबु घरे के गिरहनियाँ

           सुपा भरी दइये देलइ धान!-

ककर लागइ बाबु उँचा-नीचा बखरिया

ककर जागहइ नाम

ककर लागइ बाबु उलारे-दुलारे गो

सोनाक डुभियें खा हइ दुध-भात

           बड़का के लागइ बाबु उँच-नीचा बखरिया

           मंझला केर जागइ नाम

           छोटका के लागइ बाबु उलारे-दुलारे गो

           सोनाक डुभियें खा हइ दुध-भात ।

***

सोहराइ / 3

ओही रे, किया बरन काड़वा तोरी आठो अंगा रे

बाबु हो, किया बरन दुयो सिंग !

           किया बरन काड़वा तोरी दुयो कान रे

           किया बरन दुयो आँइख, बोल ओही रे !

करिया बरन काड़वा तोरो आठो अंगा रे

बाबु हो, कँकुआ बरन दुयो सिंग

           सूपती बरन काड़वा तोरो दुयो कान रे,

           चाँद सुरूज दुयो आँइख !

कथीं सजइबोउ काड़वा तोरी आठो अंगा रे

बाबु हो, कथीं सजइबोउ दुयो सिंगा !

           कथीं सजइबोउ काड़वा तोरी दुयो आँइख

           रे, बोली ओही रे,

           गुँड़ी हीं सजइबोउ काड़वा तोरी आठ अंगा रे!

बाबु हो, सिंदुरें सजइबोउ दुयो सिंग

काजरे सजइबोउ काड़वा, तोरी दुयो आँइख!

***

सोहराइ / 4

ओही रे, कहाँ तोंय ओहिरोंइ गइया चरावे रे,

बाबु हो, कहाँ तोंय पानी रे पियाव ?

कहाँ तोंय ओहिराइ गाय गोठावँइ हो

कहाँ चढ़ी बांसी रे बाजाइ ?

           ओही रें, रने-बने ओहिराइ गइया चरावें ऐ

           बाबु हो, माला दहें पानी रे पियाव

           निकुंजल बने ओहिरा गाय गोंठावइ हो

           बार गाछें बांसी रे बाजाइ ।

ओ रे, नाभींहीं-नाभींहीं गइया मरत भूमि रे

बाबु हो मरत भूमे बड़ी हो सुख,

काटतों घास गइया, आनतों पानी गे,

बड़ी सुखें बीत - हइ जीवन,

           ओ. रे, आसिन मास सिरइलइ गइया

           कारतिक समय लइ रे, बाबु हो

           कांदे लागल, लाली धोली गाय,

           ना कांदू ना कांदू गइया

           तोरे सिंगे ढारब साँची तेल ।

***

सोहराइ / 5

बछरू जे पूछइ दइया मइया से हो

दइआ कहिया जे लागइ सोहराइ हो ?

           जहिया जे बाबु तोंय सिंगें तेल माखबें हो

           बाबु तहिया तो हतइ सोहराइ हो !

चारि हो बाती के चोमुख जे दिन बरतउ हो

बाबु से हे दिना हतइ सोहराइ हो !

***

सोहराइ / 6

डांगरेक हुब

रिमि झिमि मेघा बरसि गेलइ

रागे कुदे मुड़री गइया हो

धीरे चलु करे चलु मुंड़री गइया हो

गिरि जइतर खंपा के सिंदुरा हो !

           हाइ हाइ कांदे कफसे मुंड़री गइया

           मोर किसान गेल परदेसा रे !

           ना कांदे, ना कफसें. मुंड़री गइया

           सोना पाँखाइ पोंछ ले लोर हो

           ओहे सिंघे माखबें तेला हो !

***

सोहराई /7

कोना पाता उलट-पलटइ रे,

कोना पाता रहइ टिडुवाइ !

           कोना देसा से आनलही पुतहिया राम

           ठोंठवें देही बिचुकाय!

पीपर पाता उलटइ-पलटइ रे

बोर पाता रहइ टिड्डुवाइ!

           दूर देसा से आमल हों पुतहिया

           राम ठोंठवा देही बिचुकाइ !

सोहरायेक जोगान

अरे हो......!

ककर गुर्ने बरइ दिया-दपरा हो !

ककर गुर्ने बरइ बाती हो !

ककर गुर्ने बरइ तेल बरतना हो!

बर- हइएँ, अमाबइसाक रात हो !

           अरे हो.....!

           कुम्हरा के गुनें बरइ दिया-दपरा हो!

           जोल्हवा के गुर्ने बरइ बाती हो !

           तेली के गुर्ने बरइ, तेल बरतना हो !

           बर- हइ जे अमाबइसाक रात हो!

***

सोहराइ / 8

कँसिया के काटी - काटी, जोतिया बँटावलइ हो !

छोल-हइ अंड़री जुआँठी ।

           सनकापार्टी सोइल करल

           दूधी लतेक ओंधा रे !

           भेंड़री के बूटा, बनावलइ हो!

बेरिया उगइथीं, नार ये रे, भाइ रे!

खोले हरू बेरिया डुबाए रे!

           दिना हि दिना एक दिन,

           डांगर कहीं ले अइलइ.

           चलि गेलइ किसना हजूरे रे !

ऑडराइ-ऑड़राइ, डांगरा जन - वलइ

किसना के सुनाइ सुनाई रे! -

           बेरिया उगइथीं, हामराँ नारि देइ

           खोले मोके बेरिया डुबाई रे !

***

बिहा गीत

उबटन मूंजा

जोवा रे गहुमा केरे उबटन, जोवा रे गहूमा के

राइ सरिसा केरी तेल, सेहो भुंजे बइसल

उबटन दूलरइता ।।

उबटये काकी सोहागिनी

बाबा हाँथे कंगना डोलावे, नइनी बोलावे,

सेहो उबटये जेठी सोहागिनी,

बाबा हाँथें कंगना डोलावे नइनी बोलावे,

सेहो बइसल उबटन !

***

उबटल लगवेक (बेटा छउवाक)

नान्हीं नान्हीं झिलिया मोटे-मोटे उबटन-2

झिलिया खरकी भूँये लोरये उबटन लावये हो!

           मंगिया सँवारी के बइसल दुलरइता बाबु - 2

           उबटये आजी सोहागिनी उबटन लावये हो !

मुंहवां संवारी के बइसल दुलरइता बाबु-2

उबटये काकी सोहागिनी उबटन लावये हो!

           बहियां पसारी के बइसल दुलरइता बाबु -2

           उबटये बहिनी सोहागिनी उबटन लावये हो!

जंधिया पसारी बइसल दुलरइता बाबु -2.

उबटये भउजी सोहागिनी उबटन लावये हो!

***

उबटन लगवा (बेटी छड़वाक)

केथिके आसन केथिके सिंहासन

केथिके परलइ बिछावन नुनीक गातें उबटन हो।

           रूपा के आसन, सोने के सिंहासन

           पटिया के परलइ बिछावन,

           नुनीक गातें उबटन हे !

           केहू गावय केहू बजावय केहू चिरे लंबे केस

नुनीक गातें उबटन हे !

राधा गावय रूकमिनी बजावइ

पदमिनी चिरे लंबे केस

नुनीक गातें उबटन हे

***

पानीक कलस राखेक समइ

केते दुखें भइया पानी सहलों गो

हा लेबो भइया सोनाक टिकली गो!

           आधा धुरे भइया बाघे टेकल गो

           हामे लेबो भइया सोनाक सिकड़ी गो!

आधा धुरें भइया जोंकें धरल गो

हामे लेबो भइया सोनाके चूड़ी गो!

           केते दुखें भइया कलस भोरलों गो

           तोरे ठिने लेबउ सुन्दर साड़ी गो!

समधरी समझ

छोटे मोटे गुवा गो बाबा, बड़ी रे सवाद,

कोन छगरी चरवा संगे गो बाबा

लेलें अंकवाइर!

           कोन गाड़ी जोतवा संगें गो बाबा

           लेलें अंकवाइर!

कोन कुकुर मुहाँ संगें गो बाबा

लेलें अंकवाइर!

***

माड़वा तरें

केहू देतई साया साड़ी, केहू देतइ साल गे

केहू देतइ सिंथाइँ सिंदुर राखबें सांभाइर गे

           ससुर देत साया - साड़ी भेंसूर देतइ साल गे

           सँइया देतइ सिंथाइँ सिंदुर राखबे सांभाइर गे!

मोसी पिंधइ सोना-चांदी, सखी झाड़इ चुइल गे

सँझ्या पिंधइ दोलना, राखबें सांभाइर गे!

           ससुर देतइ घर बाड़ी, सासें माल-जाल गे

           सँइया देतइ मानिक रतन राखबें सांभाइर गे!

***

बेटी बिदाइ

बोनवाँ ही फुललइ धोवइया 'फुलवा

बोनावाँ इंजोइ भेलइ है!

           मइया के कोखें बेटिया जनमलइ

           घरवा इंजोर भेलइ है!

जेठ में झर हइ धोवइया फुलवा

बोनवाँ झाँझर भेलइ है!

           आवे बेटी चलल ससुरा घरा

           घरवा आधार भेलड़ है!

2

समधी बिदाइ मांगे पहिलियो सांझ

पहिलियो सांझ गे बेटी किरिन उगी गेल

उठू उठू उठूगे बेटी, खाहूँ दही भात।

           हामे कइसे खरियो हो बाबा, कोरा ना छोड़इ

           छोटका भइयवा गे बेटी, मायेक कोरें दे

           चढ़हू डोलिया गे बेटी, जइबे बड़ी घूर।

किनखर कांदलें हो बाबा, करेजवा साले मोर!

किनखर कांदलें हो बाबा, गमछिया भीजे मोर!

किनखर हांसलें हो बाबा, पलकिया हुलइस गेल !

           माइ के कादलें हो बाबा करेजवा साले मोर

           भइयाक कांदलें हो बाबा, गमछिया भीजे मोर

           भोजीक हांसलें हो बाबा, पलकिया हुलइस गेल ।

भला हो ननदोसिया, ननदिया लेले जाइ

तोहरा के घरें हे सरहज, ननदिया बइरिन भेल

हमरा घरे हे सरहज, भेली ठकुराइन ।

3

एका कोसा गेलें बेटी दुए कोसा गेलें गो!

तीने कोसें बिजु बोना हो!

टॉइड़ उपारें, ताके नइहर के लोगा गो!

बाबा कांदइ घरें बइसी, मइया कांदइ पिंड़े बइसी गो!

अबे बेटी भेलिक पोहना हो!

छोट भाइ-बहिन कांदथ, दीदी संगे जइबइ हामिन !

दीदी के नवाँ घरवा हो!

बेटी भइया के गलवा सपन होतो गे,

बेटी, सासु के गलवा आपन होतो गे,

बेटी, गोतनी के गलवा आपन होतो गे ... ।

***

दुवाइर लागला परेच्

तोर मायें सेंकल हलो एंडरी पातें,

हमें सेंकबो पान पातें रे / गे.... |

दुवाइर लागला परे - 2

घर ले बाहर भेलइ, आपन भइया!

दूरियाँ ही ठाढ़ भेलइ हो !

           पहिले चुमाइ लीहें, आपन पुतहिया !

           तबे भोजियाक जनम-ल हो !

           जकर भइया कातारी के चास करइ,

           तकर बइहनी गुड़वा के पात चाटइ हो !

पुरूष - पच्छिमा के जे अइलइ जहाज हो!

सेहो जहाज, लागलइ दुवारीं हो !

***

दुवाइर छेंका

नाञ जानु छोट भइया,

नाञ जानु बोड भइया रे,

ससुर घारेक चिन्हवा देखाइ दे,

तब तो दुवार छोइड़ देबउ,

तब तो दुवाइर छोइड़ देबउ रे ।

बिहाक बेराँइ गावे वाला अइन गीत

1

कहाँ सोभे कंगना, कहाँ सोभे खिलना

कहाँ से सोभे, रे हामर दिल मोहना, कहाँ रे सोभे ।

           हाथे सोभे कंगना, कंगने सोभे खिलना,

           पलंगे सोभे, रे हमर दिल मोहना, पलंगे सोने।

टूइट गेलइ कंगना, हेराइ गेलइ खिलना,

रूसी रे गेलइ रे हामर दिल मोहना, रूसी रे गेलइ ।

           बनाइ लेबइ कंगना, लगाइ लेबइ खिलना,

           मनाये लेबइ, रे हामर दिल मोहना, मनाये रे लेबइ ।

2

कोना तरे खटिया, कोना तरे मचिया,

कोना रे तरे सँइया जोड़लइ रे पिरितिया कोना रे तरे..!

           आमा तरे खटिया, निमा तरे मचिया,

           बोरे तरे, सँइया जोड़लइ रे पिरितिया, नेबो रे तरे

टूइट गेलइ खटिया, मसइक गेलइ मचिया,

रूसी रे गेलइ सँइया जोड़ल रे पिरितिया रूसी रे गेलइ !

           बनाइ लेबइ खटिया,बुनाइ लेबइ मचिया, मानाये लेबइ

           सँइया जोड़लइ रे पिरितिया, मनाये लेबइ ।

3

केकर बंधवे टलमल पनिया

केकर बंधनें सेंवाल लो!

केकर बंधवें रेहू मछलिया

खाये में लागइ सवाद लो!

           बाबा के बंधवें- टलमल पनियाँ

           भइया के बंधवें सेंवाल लो !

           सइयाँ के बंधवें रेहू मछरिया

           खाये में लागइ सवाद लो!

केकर बगीचें जुही- चमेली

केकर बगीचें गुलाब लो

केकर बगीचें फुलइ पिरितियां

जिनगी रहइ आवाद लो!

बाबाक बगीचें जुही चमेली

ससुरेक बगीचें गुलाब लो

पियाक बगीचवें फूलइ पिरितिया

जिनगी रहइ आबाद लो!

           कहाँ के पनिया तातल-तातल

           कहाँ के पनियाँ हेमाल लो !

           कहाँ के पनियाँ निमक मेसावल

           गिरले जीवन बेकार लो!

सुरूज कुंड के तातल पनियाँ

हुंडरू के पनिया हेमाल लो!

आँखि के पनियाँ निमक मेसावल

आँखि के पनियाँ निमुक मेसावल लो

गिरले जीवन बेकार लो!

4

लहके पुरवइया कि लरके बदरिया, रही रही।

मारे कनखी बिजुरिया, रही रही ।।

           बरिसे जे झरिया, तो चूवे अगरिया, भरी आनो ।

           कइसे खाली गगरिया, भरी आनो ।।

अमुआँ के डारी पर मोरे भिनसरिया, कुहू कुहू ।

बोले कारी कोयलिया, कुहू कुहू ।।

           जिया मोरा साले कि पिया परदेसिया ककरा सें ।

           खोले हिरदा के बतिया, ककरा सें ।।

अपन्हों ने आवे कि भेजइ निरमोहिया, चिठियो ने।

चिठियों ने भेजे, कि भुलले सुरतिया, चिठियों ने।।

           घरा पिछुवरियाँ निमिया बिरिछिया, डारीं डारीं।

           बुले पतरी नगिनिया, डारीं डारीं ।।

सपना जे देखलों, टुटी गेलइ निंदिया, घुरी-घुरी।

जागे मन में संदेहिया, घुरी -घुरी ।।

           देबो दूध-लावागे पतरी नगिनिया, घुरी आवे।

           मोरो पिया परदेसिया, घुरी आवें ।।

झांझन

सोना के खड़म पिंधी बइजकऽ हथ छोटका ददा

चलें गो-चलें गो मइया हामर घरा गो

अगे, मोर धनिया दरद से बेयाकुल गो!

           कइसे हमें जीबो बेटा तोहर घरवा हो

           एगो, तोर धनिया बइजको हउ -

           कुबोलिया रे ।।

सोना के खड़म पिंधी बइजकऽ हथ छोटका ददा

चलें ने चलें न भउजी हामर घरा हो

ए गो, मोर धनिया दरदें बेयाकुल गो

           कइसे हमें जीबो बाबु तोहर घरा हो

           अरे तोर धनिया बइजको हउ कुबोलिया रे बबुआ ।।

सोना के खड़म पिंधी बइजको हथ छोटका ददा

चला हो-चला हो दगरी हामर महलिया

अगे, मोर धनिया दरद से बेयाकुल भेली हे

           कइसे हाम जीबो बाबु तोहर घरा

           अरे तोर धनिया बइजको हउ कुबोलिया रे बबुआ ।।

चलें चलें दगरीन हमरो घरा

नाय तो दरद से मोइर जीते मोर धनिया

अगे, मोर धनिया दरद से बयाकुल भेल ही!

           जउ तोंय लइ आन गड़ीया रे बबुआ

           ताबे हाम जीबोउ तोर घरा रे बबुआ ।।

घेरा गीत

बारS बछर राम जी परलों बेजार हो,

केउ नाहीं करइ उतजोगा हो राम

मानुस जनम दिन चारी हो...

           चार पहर रातीं बिनिया डोलावइ राम

           भिनसरे दम छूटी गेल हो राम, मानुस ....

चारी जुवान मिली खटिया उठावइ राम

लइकें गेलथीन जमुनइ के तीर हो, मानुस ....

           टूटल खाटी राम जी फुटल भोरसिया

           दस-पाँच लोक बरियात रे भाय, मानुस ....

चंदन काठा केरी सरवा रचइलइ राम

बेल पतरी अगनी मुख देलइ रे भाय, मानुस ...

           सरवें लागलइ आइग सरगें ठेकइ घूँआ

           सरगेक लोक पूछइ किया आनले संदेसा हो,मा......

टूटल खाटी राम जी फुटल भोरसिया

केव नाहीं संग-संगतवा रे भाय, मानुस .....

           केउ कांदइ भाय, जनम जनम हो

           केउ कांदइ, छउ मास रे भाय

           केउ कांदई दिन चारी हो, मानुस ...

माइ कांदइ राम जी जनम-जनम हो

बहिन कांदइ छउ मासा रे भाय

तिरिया कांदइ दिन चारी हो, मानुस .....

बांदर नाचेक गीत

1

ओसना पातेक दोसना

कोरइया पातेक दोना

दोने दोने माड़ परसे

हिले कानेक सोना

चल दल-दल मांदल फुल

हिले दादा जाम फुल!

2

एह डींड़ा ओह डींडा

चल बांधेक पिंड़ा

आइन देबउ चीटा माटी

लेइस देबउ पिंड़ा ।।

3

रामगढ़ेक दाइल - चार,

बुची डाँड़क पानी ।

अलइग-अलइग भात राँधे,

खेमझइर के रानी ।।

साग रांधों साग रांधों,

गुही गांधारी ।

समधी के दूइयो माग,

दुइयो आंधारी ।

धान बुनो धान बुनो,

कोया कानारी ।

समधी के दूइयो माग,

दुइयो आंधारी ।।

4

नाच बांदर नाच रे

पइवें पहला पाँच रे!

पइसा ना कउड़ी

फुलोउड़ी मिलS तउ

आर नाँय नाचबें तउ

ठेपो मिलऽ तउ !!

***

हारा बदिया

बिना ओनवले मेघा बरिसलइ हो!

पाहार-ट्रंगरी डूबल जाइ!

           रे हाँथी-घोड़वा के खुरवो नाँइ डूबइ भाइ,

           असवारेक, चूंदी डूबल जाइ !

           (सीत)

खूँटीएँ जनम लेलइ, गुधु फु-चनु रे !

जकर छठवा-पूता, बगरल जाइ!

           रे! सभे छउआ-पूता के बीहा-दाना देलइन

           आपने तो, रह-लइ कुँआरे हो!

           (कुम्हारेक चाक)

2

पहिल साँझ रे दइया,

अउधाइले रे

मिनसरे गेलोउ रे बिआइ

एहो रे गइया के

दुहलो नाँइ पारलो

बिहाने तो गैलइ गभिनाइ रे ।

(महुआ)

पनिहारिन- बापैक नाम से पुतेक नाम,

नातीक नाम कुछ आर।

एहे कइहनियाँ कहिहा पाँड़े,

तबे उठइहा कोर।

पाँड़े-

गाछ झमेला पात आकास,

उपर पारे अंडा, एहे कहनियाँ कहिहा साँवइर,

तबे उठइहा भंडा ।

तेसर - जकर रसें नागर माते, कोल्हू लगावे धानी ।

तोहूँ पाँड़े कोर उठवा, लइ जा साँवइर पानी ।।

(महूआ )

***

रिझुवारी

अंबा मंजरे मधु मातलइ हो !

 रे तइसने, पिया मातल जाइ !

रे तइरसने, पिया मातल जाइ !

           लियन कराए पिया, हमरा ला-न-लें हो,

           रे आपने, पिया परदेस गेल !

           रे आपने पिया परदेस गेल !

आपनो ना आवे पिया, पतियो ना पठावे

कोना सइतिनी, पिया के बांधलइ

नाग-नागिनें, आँचुर छोड़-लड़ हो !

           रे तइसने, पिया छोड़ल जाइ !

           रे तइसने ........!

           अंबा मंजरे मधु मातल हो....!

आबादेक गुन

कोना मासे महुआ, कोना मासें केंदवा

कोना मासे, ऊ जे लागलतउ झुमरिया !

कोना मासे ?

           चइत मासें महुआ, बइसाखें जे केंदवा

           भादर मासें सांवर, लागतइ झुमरिया !

           भादर मासें !

किया लागिन महुआ, किया लागिन केंदआ !

किया लागिन भाइ, लाग-तइ झुमरिया !

किया लागिन ?

           तेल- लाडु ले महुआ, भाथी खातिर केंदवा!

           रीझा लागिन भाइ, खेल- बइ झुमरिया

           रीझा लागिन !

***

उधवा

आसा जे देलें साँवरों, देलें ना भरोसवा

           नीमा छाँहें राखलें डाँडाइ !

नीमा पतइ झरि गेल, भँउरा गुंजरि गेल,

           आबे सांवरो, नखो बिसवासे!

सोझ सिरें कहइतलें, दुइ-दुइ मन छाड़इ तलें

           पइतें-पड़तें, पोसाए पीरित!

आसा जे देलें.......!

***

पानिकेर टान आर सरू धान

छोटे-मोटे टोपरा, सरू धानेक चास रे...!

आर तथिं पानिक टान, कयुँ नाहिं भास रे, कयुँ नाहिं !

बुनली नान धान, धान देखि मन झान

रउदा देखि, चेतल किसान एसों के जान!

कि हतइ, कि हतइ, बाँचत कि परान...?

एसों के जान!

आइर चघी, माथा धरी, भाभ-हथ किसान !

एसों के जान !

छोटे-मोटे टोपरा, सरू धानेक चास रे!

आर तथिं पानिक टान, कयुँ नाहिं मास रे!

कथुं नाहिं !

***

रिझुवारी (उदासी)

काहे राजा, काहे राजा हो-ऽ !

रसिका मरावलें हो -ऽ !

आखरा जे सूना भइए गेल !

आखरा हिं रे दइया -ऽ रे ऽ ऽ !

           मकरा बियाए गेल !

           मंदराहिं घुना लागि गेल !

           निमवा के डरिएँ हो !

           भंउरा गुंजरि गेलइ !

           आबे रसिका के नखउ आस!

आसा जे देले राजा

देलें ना भोरोसवा!

नीमा छाँहि राखलें डाँडाइ !

रे रसिका के सेलें जीवा जाइ ।

2

कोना मासे फुले, झाँटी टोकटोयाँ रे!

कोना मासे, फुले धवइया !

           आसिन मासे फुले, झाँटी टोकटोयाँ रे

           चइत मासें फुलतउ धवइया !

कोना ठिनें रोपलइ झाँटी टोकटोयाँ रे

कोना ठिनें रोपले कोरोया!

           डाड़ी घाटें रोपलइ, झाँटी टोकटोयाँ रे

           बारी हॅठें रोपलों कोरोया!

फुले दे हो, फुले दे, झाँटी टोकटोयाँ रे!

दुवो कानें पिंधि, खेलब झुमरिया, दुवो कानें!

           उगे दे हो, उगे दे धप-धप इंजोरिया रे!

           बलि ओर, हाँ-सि, हाँ-सि के,

           हाँसि-हाँसि खेलब झुमरिया, हाँसि हाँसि !

***

(बाल गीत)

गीदर-मुला

खीर घाँटों खीर घाँटों

एकरों देलिये, ओकरों देलिये

कानी, मुनी, रेवा, रेपो

सब के देलियड

ठेपो के देलिये ठेपो धाराइ

घोड़वा चलले जाइ

दुध-भात खाइल जाइ

छल गुदू-छल गुदू ..!

2

ताय- ताय- ताय

नुनु मामु घार जाय

मामुक पिंडें छिछि करे

मामी पोंछे जाइ।

मामु मारे, ठाइ ! ठाइ !

अरसन परसन गोड़ परसन

बुढ़वा गेल हाट

हाट से आनल पात

दे दू हाँड़ी भात!

3

अकनी ढकनी पुरइन पात

राजा घरेक बेल पात

काली गइया हँकदल आवे

तकर दुधवा के खाय ?

हामर नुनू / नुनी खाय !

4

झिम झिमालो -झिमालो

सालुक लाता-पाता लो

मायें बापें खइलो,

हामरो नाय देला

कोन पेरवा झाँप देइ

गजर घुम पाटा थुम !

5

उदूम दूदूम दूम सुपाड़ी

कंगला मारे ताड़ा-ताड़ी!

रेल गाड़ी झमा-झम

पेटें फुले आलूक दम !

बाबु मांगे साबु दाना

गोला पती फूल!

6

घू-घू चूँ-2 पाँडूक चू

सासेक सुख पूतोक दूख

भाइग़ गेलें बड़ी दूख

सिसिक तेल माखाइ देल

लोहो लीली हो ओ लोहो लीली..!

( सामंती जमानाक छाप, हालेक गीत)

7

घुघुचू-घुघुचू घुमेलिया

अरवा चार के डेलिय

सास बइठल मिइचला में

ननद बइठल खटिया में

घुरा-धुरा भोजी घुरा हो

नाँइ घुरबो नूनू हो ।

हामर नइहर में चंदन के गाछा

झुकी झुकी देखबड़

मझ्याक आस!

8

घुघुचू - घुघुचू पांडुक बोले

एते राती केकर छउवा कांदे

छउवा के माय के लाजो नाञ लागे

दुवारीं बइस गाल मारे।

9

सुत मइवाँ सुत गे

बपा गेलउ हार जोते

मइया गेलउ भुंजा दिये

सुतमइवाँ सुत गे।

10

सुता -सुता रे बेटा होरीला

तोर बापा बांस काटे गेलउ

मइया उड़ीस मारे गेलउ !

11

चाँद मामु चाँद मामु

हँसुआ दाय!

सेहे हँसुआ काहे ले

घसीया कटावे ले

सेहे घसीया काहे ले

गइया के खियावे ले

सेहे गइया काहे ले

दूधवा दूहावे ले

सेहो दूधवा काहे ले

खिरिया पकावे ले

सेहे खिरिया काहे ले

बाबू के गुट-गुट खिलावे ले।

12

अटकन- चटकन दही चटाकन

बड़ फुले बरेला से

सावन मास करेला से

हे बेटी तोंय गंगा जउ

गंगा से कसइलि आन

कचा कचा नेर के दे

नेर बेचारा चोरिया

धर कान ममोरिया |

13

रोद पानी आँधी पानी

सियार केर बिहा

राम धनुक उइग गेलो,

देइख सुइन कें जिहा

पच्छिम बाटें पानी भेलो

पूरब बाटें धनुक,

आम झाइर कें चइल गेलो,

लेलें आवें झिनुक,

संगें तनीनुन मरिच लाल लाल दिहा ।

सियार केर बिहा केर भोज खाय लिहा ।

14

रोद पानी-रोद पानी

सियार के बिहा

एक चुटकी अन नाञ

कइसे देवइ बिहा!

***

विविध

डेढ बिताक बितन राय,

सवा हाथेक दाढी ।

नाचे लागल बितन राय,

हिले लागल दाढ़ी |

           बाजना ओकर मामु बाजाय,

           डुडुग-डुडुग दुचांग ।

           नाचे गीदर ताल धइर धइर,

           जइसन बंदरा उलंग।

मामू घरेक काड़ा टेका,

बितन रायेक ठिका ।

आरीं- गोहरें घुइर बुलइक,

भनु चाइर सिका ।

           चला खेलब सोरकाठी,

           गोरु काड़ा गोठाव

           डर तो खाली मामाक रे,

           आई सें ताका ।

काड़ाक पुइछ धइर -धइरकें चलल,

बितन भइगना एकाय

हेनो जोगें मॉझ कुलही, गोबरें गेल तोपाय !

***

ढेलुवा गीत

बाबा गो- बाबा गो

साडियो ना आनी दीहें

नाही जइबर ससुर घरवा गो!

 

माञ गो माञ गो

रोटियो ना छोंकी दीहें

नाहीं जइबर ससुर घरवा गो।

 

दादा रे दादा रे

पालकी ना साजाइ दीहें

नाही जड़बत ससुर घरवा रे !

 

भउजी हो भउजी हो

गहना ना पिंधाइ दीहा

नाहीं जइबर ससुर घरवा हो!

 

एखन हामर बाली उमरिया

खेलेके उमरिया

नाहीं जइबउ ससुर घरवा गो!

2

दादा गेल- दादा गेल

हार जोते गे माञ-2

भोजी गेली-भोजी गेली

कालवा लेइग दिए ।

 

कालवा लेगइत भोजी क

टेकलइ भालुकें

नाञ डेरइहा हो भोजी

तोहरे भाय लागो ।

3

दादा खाय-दादा खाय

सरू धानेक चिउरा गे माञ-2

भउजी खाय- भउजी खाय

तेंतर के पालवा, गे माञ -2

 

दादा सुतइ-दादा सुतइ

पालंक खाटीं गे माञ - 2

भउजी सुतइ भउजी सुतइ

सुअर के गोदरीं गे मा - 2

 

दादा माखइ-दादा माखइ

फुलेल के तेला गे माञ - 2

भउजी माखइ-2

ऍड़री के तेला गे माञ - 2

4

आम्बा तरें सुवलें रे दादा

नीम्बा तरें रे चोर

घेंचा केरी बिंदिया रे दादा

लइये गेलउ रे चोर।

5

सास कहि राखला -2

छोटके बिंटवा छुइहें गो-2

हामर मनवा भूइल गेल

बड़के बिंटवा छुवलों गो ।

 

सास कहि राखला -2

छोटके खसिया काटिहें गो-2

हामर मनवा भुइल भइ गेल

बड़के खसिया काटलों गो।

सास कहि राखला--2

छोटके हाँड़ियें राँधिहें गो-2

हामर मनवा भूइल भइ गेल

बड़के हाँड़ियें राँधलों गो ।

 

सास कहि राखला-2

छोटके थरियें बाँटिहें गो

हामर मनवा भूइल भइ गेल

बड़के थरियें बाँटलों गो ।

6

ढेलूआ झुकु रे,

ढेलूआ झुकु रे

पुरना मितिया गिरलतो हो

सम्हाल - सम्हाल !

7

दे दादा सिकी टी

जाइब कॅदोली

तोर बहुक आइन देबइ

सोनाक मादोली।

8

दादा रे भाय

अँड़री काठेक पाय

तॉय बहुके कही देभीं

तेल बेंचे जाय।

खेल गीत

(नुकनुकानी)

 इनी मीनी सीनी चोर

जे बहरइला से हे चोर

2

आटंग बाटंग टीटा टोइर

मीरा दोचा पारी मोर

संगी साथी हमर बटे

तॉय भेले चोर !

***

( डेंग पानी खेल में)

 

तोर पनिया में चुभुर- चुभुर

आव हमरा तनि छू !

आर दोसर खेल गीत

***

माछ धर-माछ धर

ठेपो धरलें बेंग

माछ धर-माछ धर

कानी, मुनी लेवा, लेपो

धस्लें भेतउ माछ

ठेपो धरलें बेंग!

***

कतना पानी ! घो-घो रानी !

कतना कादा! साहेब दादा !

 

एक डाँड़ा पानी ! घो- घो रानी !

सुपती भइर कादा! साहेब दादा !

***

अस्सी बुढ़वा मारे खस्सी

बुढ़िया लगावे झोर

झोर-झोर !

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