सोहान लागे रे.....
(खोरठा गीत एवं पहेली संकलन)
माँदइर बाजे रे बाँसी बाजे रे
माँदर
बाजे रे, बाँसी बाजे रे,
अखरें
गहदम झूमइर लागे रे ....2
जखन
आवइ करमा चाहे सोहराई
टुसू
के रंग भइया कहलो ना जाइ
डोहा
के सुरें झूमें बाँउड़ी पोरोब
सरहुल
आवइथीं गोटे झारखंड माताइ
माँदइर
बाजे....2
झींगा
फुले काँसी फुटे, भादो जखन आवे
करमा
के गीत गूंजे तखन गाँवे-गाँवे
जावाडाली,
बेलन्दरी, धान के पतइया
बहिन
कहे लाख बछर जिये हामर भइया,
चाँद
हाँसे रे, मंजूर नाचे रे
अखरें
गहदम झूमइर लागे रे ।
माँदइर
बाजे .....2
झारखंडें
जखन आवे, सोहराइ के दिना
घरे-घरें
माँदइर बाजे धांग- धातिंग-तिना
गोरू
- डाँगर मलक मारे, सिंघें सिंदुर माखे
बरदा
के मिरवें परीछे ढोले-ढाँकेँ,
धान
पाके रे, डाँगर नाचे रे
अखरें
गहदम झूमइर लागे रे
माँदर
बाजे......2
पूस
मासें मारो हइ, कनकनी अंगे-अंगे
बाँउड़ी
-टुस् काँधा जोइर आवइ एक संग
चिउरा-गुर,
लाइ- पीठा अछल-गदल घरें
दामुदरें
डोहा के जे हाँको हइ भिनसरें,
मेला
लागे रे, घेरा, बाजे रे
अखरें
गहदम झूमइर लागे रे
माँदर
बाजे .. .2
सरहूल
पोरोबेक राजा झारखंडें दादा
गाछें-
गाछें फूल फुटे लाल-पियर-सादा
मधु
चुवइ मन मातइ, माइत जा हइ हावा
परकिरति
कर-हइ सिंगार नावाँ - नावाँ
कोइल
कूके रे, भोरा गूँजे रे
अखरें
गहदम झूमइर लागे रे
माँदर
बाजे ......2
दिनेश दिनमणि
बोने पाकलइ सइयाँ कोइर
(पत्नी)
सइयाँ चला, चला ना हो बोने, पाकलइ सइयाँ कोइर-2
बाछी-बाछी
पाकल - पाकल-2, तोरब खोईंछा भोइर
सइयाँ
चाला चाला ना...
(पति)
बड़ी कठिन धनी बोना के डहरा
(पत्नी)
हाँसइते खेलते संगी बिततइ डहरा
गाला
मारबइ
सइयाँ-2
हामिन हिया भोइर
सइयाँ
चला....।।
(पति)
कोइरा तोरइतें जोदि काँटा गड़ल हाथें
(पत्नी)
काँटा काढबो सइयाँ हार्मे धरी दाँते
घावें
लगइबो सइयाँ-2 पीसी बोनेक जइर
सइयाँ
चला....।।
(पति)
बाघा हुँड़ारा धनी, बोना गाजारें
(पत्नी)
घात करले सइयाँ बिंधबइ काँड़े
पीटबद्द
कुरथीपीटा पारास ठेंगा तोइर
सइयाँ
चला....।।
(पति)
कोइरा खायलें धनी, लागतउ पियास
(पत्नी)
झरना केर हेमाल पानी मेटइबो पियास
दोना
टिपी पानी देबो-2
सरइ
पाता तोइर, सइयाँ चला....।।
(पत्नी)
बोना माँझइरे सइयाँ, नाना लेखे फूला
तोहर
लगी गाँधब पिया, अति सुंदर माला।
हाम्हूँ
गजब फूला, आपन खोपा भोइर,
सइयाँ
चला....2
बाछी
बाछी.....।।
सइयाँ
चला चला ना हो....।।
(पति)
धनी चालें - चालें ना गे
बोनें
तोर -बइ सइयाँ कोइर।
शांति भारत
सोहान लागे रे
सोहन
लागे रे... सोहान लागे रे
धरती
केर अँचरा सोहान लागे रे
सोहान
लागे रे....!
हरियर
बोन सोभे, झरे कहीं झरना
झार
बोनें गीत गुंजे, गुँजे घर के अँगना
गाछें-पातें
जिनगी हाँसे, माँदइर बाजे रे -2
धरती
केर अँचरा सोहान लागे रे....!
सरगम
बरसे सोलहो सिंगारे
रिमझिम
रस चुवइ बागे - बहारें
खोपें
खोंसल सरइ फूल रूप साजे रे-2
धरती
केर अँचरा सोहान लागे रे....।
अखरें
आँकुर फुटी गीत बइन जाहे
बोली
फुइट मधुर-मधुर पिरित बइन जाहे
आधा
राती कोयल कूके रसिक जागे रे-2
धरती
केर अँचरा सेहान लागे रे
सेहान
लागे रे.... सेहान लागे रे
धरती
केर अँचरा सोहान लागे रे...2
दीपक सवाल,
कते सुंदर छोटानागपुर
ओ
दादा रे कते सुन्दर छोटानागपुर-2
छोइड़
के तोंय जाहें काहे दूर, ओ दादा रे-2
कते
सुन्दर छोटानागपुर....
हियाँ
कर बोली भासा, सुनी के माते हावा
बहिन
सब झूमे लागथ जखन आवे दुसू-जावा
गीत
गावथ सोधे सुरे-सुर ओ दादा रे-2
कते
सुंदर छोटानापुर.......
ओ
दादा रे.....।।
हियाँ
कर बोना-झारें, नाना रकम फूल-फल
एक
डारी सुगा मइना एक डारी कूके-कोयल
जोहार
करे हियाँक माटी- धूर, ओ दादा रे-2
कते
सुंदर छोटानापुर.......
ओ
दादा रे.....।।
हियाँ
कर माटी लागे, चाँदी हीरा आर सोना
हिया
हुलाइस उठे देखि के हियाँक बोना
झारखंड
ई देसवा के रूर, ओ दादा रे ।।2।।
छोड़ड़
के तोय.......
ओ
दादा रे....!
अंबुज कुमार 'अंबुज'
हामर भारत महान रे
सभ्यता
किरन फुटके जहाँ
पहिले
मेलइ बिहान रे-हाइरे..
दुनियाँक
गुरु रूपें जानाइल
हामर
भारत महान रे
दुनियाँक
गुरु रूपें जानाइल
हामर
हिंदुस्तान रे ।।
गौतम
गांधी हामर पुरखा
दुनियाइँ
पइला सम्मान रे-हाइरे...
मानुसेक
डहरें खातिर
सबके
करला आसन रे ।।
आजाद
सुभास भगत- बिरसा
देसेक
खातिर देला जान रे, हाइरे...
नेहरू-
अंबेदकर लड़के अइला
देसें
नावाँ बिहान रे ।।
बीर
नारी लक्ष्मीबाई
अरूणा
- इंदिरा महान रे, हाइरे...
कस्तूरबा
- कोयली - सरोजिनी
कतेक
करिये बखान रे।
हामर
मार्टी सोना झरे
हीरा
मोतिक हियाँ खान रे, हाइरे...
हियाहारी
हरियर परती
देइख
के चोकाइ जहान रे...
अइसन
देसें जनम हामर
काहें
नाइँ करों गुमान रे, हाइरे....
तिरंगा
नियर ऊँचा राखब
आपन
स्वाभिमान रे ||
मिली के रहिहा
भारतवासी
मिली के रहिहा रे...
भारतवासी
मिली के रहिहा रे.......
काँधा
जोरी सुख-दुख मिली के सहिहा रे....
भारतवासी
मिली के रहिहा रे...।
काशमीरेक
माटी आपन मुड़ें माखा चंदन रकम
कन्याकुमारिक
पानी अंजुरी भइर खा तोयं कसम
धरम-जाति
के नामें ना लड़िहा रे, भारतवासी.....।
भारत
माँय के रक्षा खातिर कते बीर शहीद भेला
रकतेक
नदी डेंगी आजादी के चेरँय पइला
ई
चेरेँय के बँचाय के राखिहा है, भारतवासी.......
भिनु
- भिनु लुगा-फटा, भिनु - भिनु भासा - बोली
दिवाली,
गुरु परब, ईद, क्रिसमस, फगुवा-होली
कते
फुले सोभो हइ बगिया रे, भारतवासी....।
देश
केर आँगने सोने परदेसेक टोना-टोना
रोजी-रोटी
पेट खातिर माइड़ लिहा कोन्हो कोना
एक
माँय केर कोरें तो बुझिहा रे, भारतवासी...।
साँझे हाँसइ झींगा फूल
गरजइ
बदरवा, नाचइ मेंजुरवा, भादर मासें!
हाय
रे, भादर मासें।
नदिया
उमड़इ दुइयो कूल रे, भादर मासें।
साजइ
अखरवा, बाजइ माँदरवा भादर मासें!
हाय
रे, भादर मासें!
साँझें
हाँसइ झींगा फूल रे! भादर मासें!
गाँथ
- बइ फूलवा, खोंसबइ खोंपवात्र, भादर मासें!
हाय
रे, भादर मासें!
रीझें
हिया बेयाकुल रे, भादर मासें!
पिया
परदेसवा, कुहकय करेजवा, भादर मासें!
हाय
रे, भादर मासें!
जीयें
होवइ हुलुसथुल रे! भादर मासें!
शिवनाथ प्रमाणिक
जय माँय जननी
हिमालयेक
मुकुट साजे बिस्वमोहिनी
जय
जय माँ भारत, जय माँ जननी ।रंग।
गोड़-धोवे
समुदरें, विंध मेखला कमअरें
कच्छ-
कामरुप सोभे माँयेक हाँथेक किंकिनी
जय
जय माँ भारत, जय माँ जननी। रंगा।
गंगा-काबेरिक
धारा, उत्तर-दखिन चहुँ ओरा
कसमीर
साजे माँयेक नाकेक नथुनी.
जय-जय
माँ भारत, जय माँ जननी। रंग।
सीधा-सादा
परिपाटी, जन-गनेक मनेक माटी
महिमा
अपार माँयेक सुबदनी.
जय
जय माँ भारत, जय माँ जननी । रंग।
बन-
परिधन साजे, नाना रंगेक पइंखी राजे
लहर-लहर
उड़े तिरंगा निसानी.
जय
जय माँ भारत, जय माँ जननी । रंग।
अनीता कुमारी,
बोन रक्षा जीवन रक्षा
कइसे
बाँचतर बोन - झार
सभिन
मिली करा अब बिचार... ए भाइ!
कइसे
बाँचतइ बोन झार
गाँव-गाँवे
करा सब परचार... ए भाइ
बोन
हय बचावे के दरकार... ए भाइ!
पानि'क
सोवा हेठ गेलइ, माघ मास' हीं जेठ मेलइ
बदरी
आब नाञ मँडराइ, आदरो अब हेराइ गेलइ ।
तीख
रउद झोला अपार... ए भाइ!
सब
मिली करा आब बिचार... ए भाइ
कइसे
बाँचतइ बोन झार... ए भाइ!
झूर-झार
गाछ-पात, धरतीक सिंगार हइ,
गाछेक
हवा रहल से, जीवन अपार हइ,
हवा
बिनु साँस ने संसार... ए भाई !
माँञ
के घुघा नाञ उघार... ए भाइ!
कइसे
बाँचतइ बोन झार... ए भाइ!
किना
खड़ता हाँथी - बाँदर, कहाँ जइता खेरहा सियार
पंछी
कहाँ खोंधा करता, कहाँ उड़ता पाँइख पसाइर
बिरिछ
खोजइत लेता जान माइर... ए भाइ!
निमुँहाक
घार नाम उजार.. ए भाइ|
कइसे
बाँचतइ बोन झार... ए भाइ
सुभद्रा कुमारी,
सेवाँतिक बाउँड़ी मेला
हाइरे
हामर सेवाँतिक मेला
चाइरो
दनेक लोक कुधाइ गेला,
हाइरे
हामर सेवाँतिक मेला ।
चढ़ते
नाभइते भाला
माझे-माझे
बहइ नाला,
नाला
देखी पियास लागी गेला
हाइरे
हामर सेवाँतिक मेला...
ठोनगी
उठाइ पानी पिला।
चढ़ते
गाड़ी ठेला
नाभइते
बेरेक देला
माझे-माझे
गाड़ी रोइक देला,
हायरे
हामर सेवाँतिक मेला...
सारड़
पतइ टिइप खाला
दिदी
बोहनइ बुँदिया लेला
छोउवा
पुता मिली सभीन खाइला,
हाइरे
हामर सेवाँतिक मेला
चाइरो
दनेक लोक कुधाइ गेला
हायरे हामर सेवाँतिक मेला।