Class 11 Economics अध्याय 3. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण: एक समीक्षा Question Bank-Cum-Answer Book

Class 11 Economics अध्याय 3. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण: एक समीक्षा Question Bank-Cum-Answer Book

Class 11 Economics अध्याय 3. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण: एक समीक्षा Question Bank-Cum-Answer Book

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

अर्थशास्त्र (Economics)

3. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण: एक समीक्षा

पाठ के मुख्य बिन्दु

* स्वतंत्रता के बाद भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था के ढांचे को अपनाया।

* 1991 में भारत को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।

* विदेशी मुद्रा रिजर्व 15 दिनों के लिए आवश्यक आयात का भुगतान करने योग्य भी नहीं बचा था।

* आर्थिक संकट की स्थिति में भारत ने विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का दरवाजा खटखटाया।

* उन दोनों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भारत को 7 बिलियन डॉलर का ऋण आर्थिक संकट से सामना करने के लिए मिला।

* ऋणों को पाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत पर शर्त रखी सरकार उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीति लायेगी।

* भारत सरकार ने 1991 में नई आर्थिक नीति की घोषणा की।

* भारत सरकार ने नई आर्थिक नीति में छः उत्पाद श्रेणियां को छोड़ सभी उद्योगों से लाइसेंस व्यवस्था समाप्त की।

* भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन उद्योगों को अपने पास आरक्षित रखा है।

* भारत में वित्तीय क्षेत्र का नियमन आरबीआई का दायित्व है।

* प्रत्यक्ष कर व्यक्तियों तथा व्यावसायिक उद्यमों पर लगाया जाता है।

* अवमूल्यन - अपने देश की मुद्रा के मूल्य को अन्य देश की मुद्रा के मूल्य की तुलना में कम करना।

* घाटे की वित्त व्यवस्था सरकार के व्यय का राजस्व से अधिक होना घाटे की वित्त व्यवस्था कहलाता है।

* बाह्य प्रापण - इसमें कंपनियाँ किसी बाहरी स्रोत (संस्था) से नियमित सेवाएँ प्राप्त करती हैं।

* एचसीएल (HCL) टेक्नोलॉजी भारत में शीर्ष पांच आईटी कंपनियों में से एक है।

* ओएनजीसी भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की सहायक तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम है।

* टाटा कंपनी एक निजी कंपनी है।

* विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना 1995 में हुई।

* विश्व व्यापार संगठन का उद्देश्य सेवाओं का सृजन और व्यापार को प्रोत्साहन देना है।

* सुधार कार्य में कृषि को कोई लाभ नहीं हुआ है। कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय विशेषकर आधारिक संरचना में काफी कमी आई है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत ने किस अर्थव्यवस्था को अपनाया था?

a. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था

b. निजी अर्थव्यवस्था

c. समाजवादी अर्थव्यवस्था

d. मिश्रित अर्थव्यवस्था

2. विश्व बैंक का दूसरा नाम क्या है?

a. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

b. संयुक्त राष्ट्र संघ

c. एशियाई विकासात्मक बैंक

d. अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक

3. भारत ने आर्थिक संकट के समय किन दो संस्थाओं से ऋण लिया था?

a. UNO, IMF

b. UNO, WTO

c. WTO, IBRD

d. IMF, IBRD

4. नई आर्थिक नीति की घोषणा कब की गई थी?

a. 1944

b. 1947

c. 1991

d. 1995

5. 1991 से आरंभ की गई आर्थिक नीति में कितने उद्योगों को लाइसेंस लेना अनिवार्य किया गया था?

a. 2

b. 4

c. 3

d. 6

6. सार्वजनिक क्षेत्र की कितनी पास आरक्षित रखी है? उद्योगों को सरकार अपने

a. 2

b. 3

c. 4

d. 6

7. भारत में वित्तीय क्षेत्र के नियमन का दायित्व किनका है?

a. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया

b. वित्त मंत्रालय

c. सरकार

d. रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया

8. बैंकों की पूँजी में विदेशी भागीदारी की सीमा कितनी प्रतिशत कर दी गई है?

a. 73

b. 74

c. 75

d. 76

9. निम्नांकित में से कौन सा कर-सुधार नहीं है

a. प्रत्यक्ष कर में सुधार

b. अप्रत्यक्ष कर में सुधार

c. धन का अवमूल्यन

d. निर्यात शुल्क को हटाना

10. वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (जीएसटी) कानून कब पारित किया गया?

a. 2005

b. 2006

c. 2016

d. 2017

11. वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (जीएसटी) कानून कब लागू हुआ?

a. 2016

b. 2017

c. 2005

d. 2006

12. भुगतान संतुलन की समस्या से निदान के लिए मुद्रा का प्रथम अवमूल्यन कब किया गया था?

a. 1980

b. 1990

c. 1991

d. 1993

13. निम्नांकित में से कौन से उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित नहीं है?

a. सिगरेट

b. परमाणु ऊर्जा उत्पादन

c. रक्षा उपकरण

d. रेलवे

14. अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) को और किस नाम से जाना जाता है-

a. विश्व व्यापार संगठन (WTO)

b. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

c. विश्व बैंक (WORLD BANK)

d. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO)

15. LPG का अर्थ है -

a. लाइसेंस, परमिट राजकोषीय नीति

b. उदारीकरण, उत्पादन और वैश्विक सहयोग

c. लाइसेंस, निजीकरण और वैश्वीकरण

d. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण

16. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों द्वारा जन सामान्य को इक्विटी की बिक्री कर निजीकरण करना क्या कहलाता है?

a. निवेश

b. विनिवेश

c. विनिर्माण

d. निर्माण

17. इनमें से निजी कंपनी कौन है?

a. HEC

b. बोकारो स्टील कंपनी

c. राउरकेला स्टील कंपनी

d. टाटा स्टील कंपनी

18. विश्व व्यापार संगठन की स्थापना कब हुई थी?

a. 1948

b. 1991

c. 1995

d. 1944

19. सरकार की कराधान एवं सार्वजनिक व्यय नीति कहलाती है-

a. आर्थिक नीति

b. मौद्रिक नीति

c. राजकोषीय नीति

d. व्यापार नीति

20. व्यक्तियों की आय पर लगाया गया कर है –

a. निगम कर

b. प्रत्यक्ष कर

c. अप्रत्यक्ष कर

d. उपर्युक्त सभी

21. भारत को आर्थिक संकट के समय IMF और IBRD (विश्व बैंक) ने कितना ऋण प्रदान किया था -

a. 10 मिलियन डॉलर

b. 15 बिलियन डॉलर

c. 7 मिलियन डॉलर

d. 7 बिलियन डॉलर

22. निम्नलिखित में से कौन नई आर्थिक नीति का एक अंग नहीं है

a. विकेंद्रीकरण

b. उदारीकरण

c. निजीकरण

d. वैश्वीकरण

23. GATT की स्थापना वर्ष है-

a. 1958

b. 1944

c. 1948

d. 1968

24. किसी देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण कहलाता है

a. शहरीकरण

b. विमुद्रीकरण

c. वैश्वीकरण

d. निजीकरण

25. ……. सरकार द्वारा निर्धारित प्रतिबंधों या बाधाओं को हटाना है।

a. निजीकरण

b. उदारीकरण

c. शहरीकरण

d. वैश्वीकरण

26. विदेशी विनिमय में सुधार लाया गया

a. मुद्रा की तुलना में रुपए का अवमूल्यन करके

b. विमुद्रीकरण के द्वारा

c. विदेशी मुद्रा की मांग और पूर्ति के आधार पर विनिमय दरों को निर्धारित करके

d. (a) तथा (c)

27. विदेशी ऋण क्या है?

a. विदेशी संस्थानों से एक उद्योग द्वारा लिया गया ऋण

b. विदेशी संस्थानों से एक व्यक्ति द्वारा लिया गया ऋण

c. विदेशी संस्थानों से सरकार द्वारा लिया गया ऋण

d. इनमें से सभी

28. कंपनियों के दवारा किसी बाहरी स्रोत से नियमित सेवाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या कहलाती है

a. उदारीकरण

b. बाह्य प्रापण

c. निवेश

d. निजीकरण

29. भारत में नई आर्थिक नीति से लाभान्वित नहीं होने वाला एक क्षेत्र है

a. दूरसंचार

b. आधारिक संरचना

c. सूचना प्रौद्योगिकी

d. वित्तीय क्षेत्र

30. निम्नलिखित में से कौन सा कथन नई आर्थिक नीति के बारे में सही नहीं है -

a. नई आर्थिक नीति देश में निजीकरण को शुरुआत की

b. नई आर्थिक नीति देश में उदारीकरण की नीति की शुरुआत की

c. नई आर्थिक नीति देश में शहरीकरण की शुरुआत की

d. नहीं आर्थिक नीति देश में वैश्वीकरण की शुरुआत की।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. मुद्रास्फीति किसे कहते हैं?

उत्तर- वस्तुओं की कीमतों में होने वाली वृद्धि को मुद्रास्फीति कहते हैं।

2. नई आर्थिक नीति क्या है?

उत्तर- नई आर्थिक नीति अर्थात् उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण है।

3. आई.बी.आर.डी.का पूर्ण रूप क्या है?

उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक

4. उदारीकरण क्या है?

उत्तर- आर्थिक नीतियों के प्रतिबंधों को दूर कर अर्थव्यस्था के विभिन्न क्षेत्रों को मुक्त करने की नीति उदारीकरण कहलाती है।

5. सार्वजनिक क्षेत्र में कौन-कौन से उद्योग आरक्षित रखे गए हैं?

उत्तर- सार्वजनिक क्षेत्र में आरक्षित रखे गए उद्योग हैं -

(i) प्रतिरक्षा उपकरण

(ii) परमाणु ऊर्जा उत्पादन तथा

(iii) रेल परिवहन

6. घाटे की वित्त व्यवस्था किसे कहते हैं?

उत्तर- सरकार के व्यय का राजस्व से अधिक होना घाटे की वित्त व्यवस्था कहलाती है।

7. भारत में वित्तीय क्षेत्रक का नियमन का दायित्व किनका है?

उत्तर- रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया

8. राजकोषीय नीति क्या है?

उत्तर- सरकार की कराधान और सार्वजनिक व्यय नीतियों को सामूहिक रूप से राजकोषीय नीति कहा जाता है।

9. अवमूल्यन क्या है?

उत्तर- अन्य देशों की मुद्रा की तुलना में अपने देश की मुद्रा का मूल्य कम करना अवमूल्यन कहलाता है।

10. विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य क्या है?

उत्तर- विश्व व्यापार संगठन का उद्देश्य सेवाओं के सृजन और व्यापार को प्रोत्साहन देना है, ताकि विश्व के संसाधनों का इष्टतम स्तर पर प्रयोग हो सके और पर्यावरण का भी संरक्षण हो सके।

लघु उत्तरीय प्रश्नोतर

1. नई आर्थिक नीति में औद्योगिक क्षेत्रक का विनियमीकरण कैसे किया गया? बताइए।

उत्तर- 1991 से पहले भारत में नियमन प्रणालियों को अनेक प्रकार से लागू किया गया था जैसे-

(i) औद्योगिक लाइसेंस की व्यवस्था थी, जिसमें उद्यमी को एक फर्म स्थापित करने, बंद करने या उत्पादन की मात्रा का निर्धारण करने के लिए किसी न किसी सरकारी अधिकारी की अनुमति प्राप्त करनी होती थी।

(ii) अनेक उद्योगों में तो निजी उद्यमियों का प्रवेश ही निषिद्ध था।

(iii) कुछ वस्तुओं का उत्पादन केवल लघु उद्योग ही कर सकते थे।

1991 के बाद से आरंभ हुई सुधार नीतियों ने इनमें से अनेक प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया। अल्कोहल, सिगरेट, जोखिम भरे रसायन, औद्योगिक विस्फोटकों, इलेक्ट्रॉनिकी, विमानन तथा औषधी-भेषज इन छः उत्पाद श्रेणियों को छोड़ अन्य सभी उद्योगों के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया।

सार्वजनिक क्षेत्र के लिए तीन उद्योगों प्रतिरक्षा उपकरण, परमाणु ऊर्जा उत्पादन और रेल परिवहन को ही आरक्षित रखा गया है।

2. भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र में नियंत्रक की भूमिका से अपने को सुविधा प्रदाता की भूमिका अदा करने में क्यों परिवर्तित किया?

उत्तर- वित्तीय क्षेत्रक सुधार नीतियों का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि रिजर्व बैंक को वित्तीय क्षेत्रक के नियंत्रक की भूमिका से हटाकर उसे वित्तीय क्षेत्रक के सहायक की भूमिका तक सीमित कर दिया जाए। इसका अर्थ है कि वित्तीय क्षेत्रक रिजर्व बैंक से सलाह के बिना ही कई मामलों में अपने निर्णय लेने में स्वतंत्र हो जाएंगे। सुधार नीतियों ने ही वित्तीय क्षेत्र में भारतीय और विदेशी निजी बैंकों को भी पदार्पण करने का अवसर दिया। बैंकों की पूँजी में विदेशी भागीदारी की सीमा 74% कर दी गई। कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करने वाले बैंक अब रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना ही नई-नई शाखाएं खोल सकते हैं तथा पुरानी शाखाओं के जाल को अधिक युक्तिसंगत बना सकते हैं। यदद्यपि बैंकों को अब देश- विदेश से और अधिक संसाधन जुटाने की भी अनुमति है पर खाताधारकों और देश के हितों की रक्षा के उद्देश्य से कुछ नियंत्रक शक्ति अभी भी रिजर्व बैंक के पास ही हैं।

3. भारत सरकार की नवरत्न नीति सार्वजनिक उपक्रमों के निष्पादन को सुधारने में सहायक रही है कैसे? बताइए।

उत्तर- नवउदारवादी वातावरण में सार्वजनिक उपक्रमों की कुशलता बढ़ाने उनके प्रबंधन में व्यवसायीकरण लाने और उनकी स्पर्धा क्षमता में प्रभावी सुधार लाने के लिए सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों का चयन कर उन्हें महारत्न, नवरत्न और लघुत्न घोषित कर दिया। कंपनी के कुशलतापूर्वक संचालन और लाभ में वृद्धि करने के लिए प्रबंधन और संचालन कार्यों में स्वायत्तता प्रदान कर दी गयी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना का उद्देश्य आधारभूत सुविधाओं का विस्तार और प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन करना था ताकि जनसामान्य तक उनके उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पादन नाममात्र लागत पर पहुंचाया जा सके। इस प्रकार इन कंपनियों को सभी पणधारियों के प्रति उत्तरदायी बनाया गया था। इस नाम के अलंकरण के बाद से इन कंपनियों के निष्पादन में निश्चय ही सुधार आया है।

4. सिरिसिला त्रासदी के बारे में बताइए?

उत्तर- नई आर्थिक नीति के समय आधारिक संरचना की पूर्ति अपर्याप्त ही रही। विद्युत क्षेत्र में सुधार बहुत से भारतीय राज्य में नहीं हुए थे। अनुदानित दरों पैर बिजली की पूर्ति नहीं की जा रही थी। बल्कि बिजली की दरों में बढ़ोतरी ही हई। इसका प्रभाव लघु उद्योगों में काम कर रहे मजदूरों पर पड़ा। इसका एक उदाहरण आंध्र प्रदेश का हथकरघा उदयोग है। इन उद्योगों में काम कर रहे बुनकरों की मजदूरी बने गए कपड़े की मात्रा पर आधारित होती थी। अतः बिजली में कटौती के कारण बनकर कम मात्रा में कपड़े बन पाते थे, जिस कारण मजदूरी में कटौती की जाती थी। इससे बुनकरों की आजीविका ही संकट में पड़ गई। आंध्र प्रदेश के छोटे से कस्बे सिरिसिला में विद्युत करों में काम करने वाले 50 बुनकरों को आत्महत्या करने को बाध्य होना पड़ा।

5. स्थायित्वकारी उपाय तथा संरचनात्मक सुधार से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- स्थायित्वकारी उपाय- स्थायित्वकारी उपाय अल्पकालिक होते हैं इनका उद्देश्य (i) भुगतान संतुलन में आ गई त्रुटियों को दूर करना अर्थात् पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखना है। (ii) मुद्रास्फीति का नियंत्रण करना था अर्थात् बढ़ती हुई कीमतों पर अंकुश लगाना।

संरचनात्मक सुधार - संरचनात्मक सुधार दीर्घकालिक उपाय हैं, जिनका उद्देश्य (i) अर्थव्यवस्था की कुशलता को सुधारना तथा (ii) अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की अनम्यताओं को दूर कर भारत की अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्धा क्षमता को संवर्धित करना है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. बाह्य प्रापण भारत के लिए अच्छा है कैसे? विकसित देशों में इसका विरोध क्यों हो रहा है?

उत्तर- बाह्य प्रापण में कंपनियों किसी बाहरी स्रोत या संस्था अधिकांशतः अन्य देशों से नियमित सेवाएँ प्राप्त करती है बाह्य प्रापण भारत के लिए लाभदायक है -

(i) कानूनी सलाह, कंप्यूटर सेवा, विज्ञापन, सुरक्षा आदि पहले देश के अंदर ही मिलती थी अब यह सेवा अन्य देशों से प्राप्त कर सकते हैं या उन्हें हम दूसरे देशों को दे भी सकते हैं अर्थात् रोजगार के नये अवसरों का सृजन हुआ है।

(ii) सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार ने आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ने में मदद की है।

(iii) बाह्य प्रापण शिक्षा, प्रशिक्षण के द्वारा मानव पूँजी के निर्माण तथा विकास में मदद करती है।

(iv) बैंकिंग सेवा, संगीत की रिकॉर्डिंग, फिल्म संपादन, पुस्तक शब्दांकन, चिकित्सा संबंधी परामर्श जैसी सेवाएं विकसित देश भारत की छोटी-छोटी संस्थाओं से प्राप्त कर रहे हैं इन सबसे भारत में निवेश को बढ़ावा मिल रहा है।

(v) भारत में मजदूरी दर निम्न है तथा कुशल श्रम शक्ति की उपलब्धता है। इससे विकसित देश भारत में आने के लिए प्रेरित होते हैं क्योंकि उनको कम लागत पर ही कुशल श्रम शक्ति मिल जाती है।

(vi) बाह्य प्रापण के कारण ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा विदेशी विनिमय रिजर्व में तेजी से वृद्धि हुई है। 2011 में भारत विदेशी विनिमय रिजर्व का सातवां सबसे बड़ा धारक माना जाता है।

(vii) अब भारत वाहन, कल-पुर्जो, इंजीनियरी उत्पादों, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों और वस्त्रादि के एक सफल निर्यातक के रूप में विश्व बाजार में जम गया है।

विकसित देशों में इसका विरोध हो रहा है क्योंकि सस्ते लागत में कुशल श्रम शक्ति की उपलब्धता के कारण विदेशी निवेश तथा फंड भारत में लगाए जा रहे हैं। बहराष्ट्रीय कंपनियां भी उन स्थानों में अपने कारखाने स्थापित करते हैं जहां सस्ता माल, श्रम एवं कच्चा माल जैसे संसाधन मिल सके जिससे उन्हें अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो।

2. सुधार प्रक्रिया से कृषि क्षेत्र दुष्प्रभावित हुआ लगता है? क्यों? समझाइए।

उत्तर- सुधार कार्यों से कृषि को कोई लाभ नहीं हो पाया है और कृषि की संवृद्धि दर कम होती गई है।

(i) कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय विशेषकर आधारिक संरचना अर्थात् सिंचाई, बिजली, सड़क निर्माण, बाजार संपर्कों और शोध-प्रसार आदि पर व्यय में काफी कमी आई है। re

(ii) उर्वरक सहायिकी की समाप्ति ने भी उत्पादन लागतों को बढ़ा दिया है। इसका छोटे और सीमांत किसानों पर बहुत ही गंभीर प्रभाव पड़ा है।

(iii) कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती, न्यूनतम समर्थन मूल्यों की समाप्ति और इन पदार्थों के आयात पर परिमाणात्मक प्रतिबंध हटाए जाने के कारण इस क्षेत्रक की नीतियों में कई परिवर्तन हए। इसके कारण भारत के किसानों को विदेशी स्पर्धा का भी सामना करना पड़ा है जिसका उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

(iv) दूसरी तरफ उत्पादन व्यवस्था निर्यातोन्मुखी हो रही है आंतरिक उपभोग की खाद्यान्न फसलों के स्थान पर निर्यात के लिए नकदी फसलों पर बल दिया जा रहा है। इससे देश में खाद्यान्नों की कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है।

इन सब कारणों से कृषि दुष्प्रभावित हुआ है।

3. सुधारकाल में औद्योगिक क्षेत्रक तथा राजकोषीय नौतियों के निराशाजनक निष्पादन के क्या कारण रहे हैं? समझाइए।

उत्तर- औद्योगिक क्षेत्रक सुधारकाल में औद्योगिक संवृद्धि के दर में कुछ शिथिलता आई है। यह औद्योगिक उत्पादों की गिरती हुई माँग के कारण है। माँग में गिरावट के कई कारण है जैसे –

> सस्ते आयात, आधारिक संरचना में अपर्याप्त निवेश आदि।

> वैश्वीकरण की व्यवस्था में विकासशील देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित देशों की वस्तुओं और पूँजी प्रवाहों को प्राप्त करने के लिए खोल देने को बाध्य हुए हैं तथा उन्होंने अपने उद्योगों का आयातित वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा का खतरा मोल ले लिया।

> सस्ते आयातों ने घरेलू वस्तुओं की माँग को प्रतिस्थापित कर दिया है निवेश में कटौती के कारण बिजली सहित आधारिक संरचनाओं की पूर्ति अपर्याप्त ही बनी हुई है इसी कारण विदेशियों के माल में बेरोक-टोक आवागमन को सहज बनाकर स्थानीय उद्योगों और रोजगार की संभावनाओं के लिए वैश्वीकरण पूरी तरह से बर्बाद करने वाली परिस्थितियों की रचना कर रहा है।

> भारत को अभी विकसित देशों में विद्यमान उच्च उच्च अप्रशुल्क अवरोधकों के कारण उनके बाजारों में प्रवेश के उपयुक्त अवसर भी नहीं मिल पा रहे हैं। यद्यपि भारत में वस्त्र परिधान आदि के व्यापार से सभी कोटा आदि प्रतिबंध हटा दिए हैं पर अभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत से उनके आयातों से अपना कोटा प्रतिबंध नहीं हटाए हैं।

राजकोषीय नीतियाँ- आर्थिक सुधारों ने सामाजिक क्षेत्रकों में सार्वजनिक व्यय की वृद्धि पर विशेष रूप से रोक लगा दी है।

> इस अवधि में कर घटाकर और करवंचना नियंत्रित कर राजस्व संग्रह बढ़ाने की नीतियों के सकारात्मक प्रभाव भी नहीं मिल पाए हैं।

> सीमा शुल्क दरों में कटौती तो सुधार कार्यों का आवश्यक अंग है। अतः उन दरों को बढ़ाकर अधिक राजस्व जुटाने का मार्ग बंद हो चुका है।

> विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए निवेशकों को कई प्रकार के कर प्रोत्साहन दिए गए हैं इससे भी कर राजस्व को बढ़ा पाने की संभावनाएँ क्षीण हो गई हैं। इन सब का विकास और जनकल्याण आदि पर होने वाले कुल व्यय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। 

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

क्र०स०

अध्याय का नाम

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी

1.

परिचय

2.

आँकड़ों का संग्रह

3.

आँकड़ों का संगठन

4.

आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

5.

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप

6.

सहसंबंध

7.

सूचकांक

8.

सांख्यिकीय विधियों के उपयोग

भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास

1.

स्वतंत्रता के पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

2.

भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90)

3.

उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण एक समीक्षा

4.

भारत में मानव पूँजी का निर्माण

5.

ग्रामीण विकास

6.

रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे

7.

पर्यावरण और धारणीय विकास

8.

भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

Jac Board Class 11 Economics (Arts) 2023 Answer key

Jac Board Class 11 Economics (Sci._Comm.) 2023 Answer key

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