प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11
अर्थशास्त्र (Economics)
7. पर्यावरण और धारणीय विकास
पाठ के मुख्य बिन्दु
*
पर्यावरण में सभी जैविक और अजैविक तत्व आते हैं।
*
सभी जीवित तत्व जैसे पशु, पक्षी, वन, मत्स्य आदि जैविक तत्व हैं।
*
हवा, पानी, भूमि, चट्टान और सूर्य किरण अजैविक तत्व के उदाहरण है।
*
नवीनीकरण योग्य संसाधन वे संसाधन जिनकी पूर्ति निरंतर बनी रहती है। उदाहरण स्वरूप वनों
में पेड़ समुद्र में मछलियां।
*
वैश्विक उष्णता पृथ्वी और समुद्र के वातावरण के औसत तापमान में वृद्धि को कहते हैं।
*
1997 में क्योटो, जापान में जलवायु परिवर्तन पर एक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ था।
*
ओजोन अपक्षय का अर्थ समताप मंडल में ओजोन की मात्रा की कमी है।
*
ओजोन अपक्षय के कारण पराबैंगनी विकिरण पृथ्वी की ओर आते हैं।
*
पराबैंगनी किरणों से मनुष्यों में त्वचा कैंसर होता है।
*
भारत के पर्यावरण पर दो प्रकार के संकट मंडरा रहे हैं-
(i)
गरीबी के कारण पर्यावरण का अपक्षय।
(ii)
साधन-संपन्नता तथा तेजी से बढ़ते हुए औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण।
*
कर्नाटक में अप्पिको आंदोलन वनों के संरक्षण हेतु किया गया था।
*
1974 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की स्थापना की गई।
*
धारणीय विकास का अर्थ- वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को इस प्रकार पूरा करना है की भावी
पीढ़ी भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में किसी समस्या का सामना ना करे।
*
प्राकृतिक संसाधनों के संवद्धर्ण, संरक्षण और पारिस्थितिक क्षमता को बनाए रखने और भावी
पीढ़ियों के लिए पर्यावरणीय संकटों के निवारण से ही धारणीय विकास संभव हो पाएगा।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. पर्यावरण में सम्मिलित हैं -
a.
सभी जैविक तत्व
b.
सभी अजैविक तत्व
c. (a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
2. निम्नांकित में अजैविक तत्व है -
a.
वन
b.
मत्स्य
c.
पशु
d. सूर्य किरण
3. रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर को ठंडा रखने के लिए किसका प्रयोग किया
जाता है -
a.
क्लोरोफिल
b.
कार्बन
c.
मीथेन
d. क्लोरोफ्लोरोकार्बन
4. ओजोन अपक्षय का अर्थ समताप मंडल में ओजोन की मात्रा में होती है
-
a. कमी
b.
वृद्धि
c.
समान
d.
इनमें से कोई नहीं
5. पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी के वायुमंडल में आने से रोकता है?
a.
क्लोरीन
b.
ब्रोमीन
c.
मीथेन
d. ओजोन
6. जानवरों की अपशिष्ट से कौन सी गैस निकलती है?
a.
कार्बन डाइऑक्साइड
b.
नाइट्रोजन
c. मीथेन
d.
ब्रोमीन
7. पृथ्वी और समुद्र के वातावरण के औसत तापमान में वृद्धि को कहते हैं?
a.
वैश्विक कुशलता
b.
औद्योगिकरण में वृद्धि
c. वैश्विक उष्णता
d.
ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि
8. भूमि के अपक्षय के लिए उत्तरदायी कारक है?
a.
वन विनाश
b.
लकड़ी और चारे का निष्कर्षण
c.
भूमि जल का अधिक निष्कर्षण
d. उपर्युक्त सभी
9. काली मिट्टी..... की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
a.
गन्ना
b.
जूट
c. कपास
d.
गेहूँ
10 …....की पूर्ति निरंतर बनी रहती है।
a.
जैविक तत्व
b. नवीकरणीय संसाधन
c.
अजैविक तत्व
d.
गैर नवीकरणीय संसाधन
11. …... निष्कर्षण और उपयोग से समाप्त हो जाते हैं।
a.
नवीकरणीय संसाधन
b. गैर नवीकरणीय संसाधन
c.
जैविक तत्व
d.
अजैविक तत्व
12. आजकल विश्व के सामने दो प्रमुख पर्यावरण समस्याएं हैं -
a.
जैविक तथा अजैविक तत्व
b.
वैश्विक उष्णता तथा नवीकरणीय संसाधन
c. वैश्विक उष्णता तथा ओजोन अपक्षय
d.
ओजोन अपक्षय तथा जैविक तत्व
13. पर्यावरण के कार्य हैं-
a.
संसाधनों की पूर्ति
b.
अवशेष को समाहित कर लेता है
c.
जीवन को पोषण देता है
d. उपर्युक्त सभी
14. ओजोन पाई जाती है -
a.
क्षोभ मंडल में
b. समताप मंडल में
c.
आयन मंडल
d.
बहिरमण्डल
15. ओजोन अपक्षय का कारण है-
a.
मीथेन
b.
क्लोरीन
c. क्लोरोफ्लोरोकार्बन
d.
कार्बन डाइऑक्साइड
16. त्वचा कैंसर का कारण हो सकता है -
a.
अल्फा किरणें
b.
बीटा किरणें
c.
गामा किरणें
d. पराबैंगनी किरणें
17. अप्पिको आंदोलन किस राज्य से संबंधित है?
a. कर्नाटक
b.
आंध्र प्रदेश
c.
केरल
d.
तमिलनाडु
18. अप्पिको का अर्थ है -
a.
गोद में उठा लेना
b. बाहों में भरना
c.
गोद में बैठना
d.
इनमें से कोई नहीं
19. जैविक कीटनाशक रसायन बनाए जाते हैं -
a.
आम से
b.
बबुल से
c.
इमली से
d. नीम से
20. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना भारत में कब की गई?
a. 1974
b.
1973
c.
1972
d.
1962
21. कंपोस्ट खाद बनाने में कौन सा जीव उपयोग किया जाता है?
a.
चूहा
b. केंचुआ
c.
मधुमक्खी
d.
तिलचट्टा
22. वैश्विक उष्णता का कारण है-
a. ग्रीन हाउस गैस में वृद्धि
b.
ध्रुवीय हिम का पिघलना
c.
उष्णकटिबंधीय तूफान
d.
उपर्युक्त सभी
23. 1997 में जापान के …….. में जलवायु परिवर्तन पर एक संयुक्त राष्ट्र
सम्मेलन हुआ था।
a.
क्यूशू
b. क्योटो
c.
होशू
d.
ओकिनावा
24. वैश्विक उष्णता के दीर्घकालीन परिणाम हैं -
a.
ध्रुवीय हिम का पिघलना
b.
पारिस्थितिक संतुलन के कारण प्रजातियों की विलुप्ति
c.
उष्णकटिबंधीय रोगों के प्रभाव में बढ़ोतरी
d. उपर्युक्त सभी
25. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल संबंधित है -
a.
जलवायु परिवर्तन से
b.
जीवन के संरक्षण से
c.
पर्यावरण से
d. ओजोन अपक्षय से
26. धारणीय विकास की अवधारणा का प्रतिपादन किसने किया -
a.
कोठारी कमीशन
b.
साइमन कमीशन
c. ब्रेटलैंड कमिशन
d.
वूड डिस्पैच
27. हरमन डेली थे -
a.
कल्याणवादी अर्थशास्त्री
b. पर्यावरणवादी अर्थशास्त्री
c.
प्रबंधकीय अर्थशास्त्री
d.
विकासात्मक अर्थशास्त्री
28. दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में ....... के ईंधन के रूप
में प्रयोग से वायु प्रदूषण बड़े पैमाने पर कम हुआ है।
a.
LPG
b.
थर्मल पावर प्लांट
c. CNG
d.
सौर ऊर्जा
29. क्लोरीन और ब्रोमीन के यौगिक रूप को कहते हैं -
a.
ब्रोमोफ्लोरोकार्बस
b.
मिथाइल क्लोरोफॉर्म
c. क्लोरोफ्लोरोकार्बन
d.
कार्बन टेट्राक्लोराइड
30. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने उद्योगों की कितने श्रेणियां
की पहचान प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के रूप में की है?
a.
12
b.
13
c. 17
d.
125
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. जैविक तत्व क्या है?
उत्तर-
सभी जीवित तत्व जैसे पशु, पक्षी, पौधे, वन, मत्स्य आदि जैविक तत्व हैं।
2. अजैविक तत्व क्या है?
उत्तर-
हवा, पानी, भूमि, चट्टान और सूर्य किरण अजैविक तत्व हैं।
3. नवीकरणीय संसाधन क्या है?
उत्तर-
वैसे संसाधन जिनकी पूर्ति निरंतर बनी रहती है, नवीकरणीय संसाधन कहलाती है। जैसे वनों
में पेड़ और समुद्र में मछलियाँ।
4. गैर नवीनीकरण संसाधन क्या हैं?
उत्तर-
वैसे संसाधन जो निष्कर्षण और उपयोग से समाप्त हो जाते हैं, गैर नवीनीकरण संसाधन कहलाते
हैं। जैसे - जीवाश्म ईंधन।
5. विश्व के सामने दो प्रमुख पर्यावरण समस्याएं क्या हैं?
उत्तर-
वैश्विक उष्णता तथा ओजोन अपक्षय।
6. 1997 में जलवायु परिवर्तन पर एक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन कहां संपन्न
हुआ था?
उत्तर-
क्योटो, जापान में।
7. भारत में कौन सा एक घाटी औद्योगिक क्षेत्र है जहां पर्यावरण संकट
उत्पन्न हो रहे हैं?
उत्तर-
दामोदर घाटी क्षेत्र
8. भारत अपनी विद्युत आवश्यकताओं के लिए किस पर निर्भर है?
उत्तर-
थर्मल और हाइड्रो पावर संयंत्रों पर।
9. भावी पीढ़ी (धारणीय विकास) को संरक्षित करने पर जोर किसने दिया?
उत्तर-
ब्रुटलैंड कमिशन ने।
10. जैविक कीट रसायन बनाए जाते हैं?
उत्तर-
नीम से।
लघु उत्तरीय प्रश्नोतर
1. पर्यावरण क्या है? पर्यावरण के कार्यों को बतलाइए।
उत्तर-
पर्यावरण को समस्त भूमंडलीय विरासत और सभी संसाधनों की समग्रता के रूप में परिभाषित
किया जाता है। इसमें वे सभी जैविक और अजैविक तत्व आते हैं, जो एक दूसरे को प्रभावित
करते हैं।
पर्यावरण
के कार्य- पर्यावरण चार आवश्यक कार्य करता है-
(i)
यह संसाधनों की पूर्ति करता है, जिसमें नवीकरणीय और गैर नवीकरणीय दोनों प्रकार के संसाधन
शामिल होते हैं। नवीकरणीय संसाधन वे हैं, जिनका उपयोग संसाधन के समाप्त होने की आशंका
के बिना किया जा सकता है, अर्थात संसाधन निरंतर बनी रहती है। जैसे वनों में पेड़, समुद्र
में मछलियाँ। गैर नवीकरणीय संसाधन वे हैं जिनके उपयोग से समाप्त हो जाते हैं उदाहरण
के लिए, जीवाश्म ईंधन।
(ii)
यह अवशेष को समाहित कर लेता है।
(iii)
यह जननिक और जैविक विविधता प्रदान करके जीवन का पोषण करता है।
(iv)
यह सौंदर्य विषयक सेवाएं भी प्रदान करता है, जैसे की कोई सुंदर दृश्य।
2. भारत में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है इस कथन के समर्थन में
तर्क दीजिये।
उत्तर-
भूमि की उच्च गुणवत्ता, सैकड़ों नदियों व उप नदियाँ, हरे-भरे वन, भूमि के सतह के नीचे
बहुतायात में उपलब्ध खनिज-पदार्थ, हिंद महासागर का विस्तृत क्षेत्र, पहाड़ों की श्रृंखला
आदि के रूप में भारत के पास पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन हैं। दक्षिण के पठार की काली
मिट्टी विशिष्ट रूप से कपास की खेती के लिए उपयुक्त है। इसके कारण ही इस क्षेत्र में
कपड़ा उद्योग केंद्रित है। अरब सागर से बंगाल की खाड़ी तक गंगा का मैदान है जो कि
विश्व के अत्यधिक उर्वरक क्षेत्रों में से एक है और विश्व में सबसे गहन खेती और घनत्व
जनसंख्या वाला क्षेत्र है। भारतीय वन वैसे तो असमान रूप से वितरित है फिर भी उसकी अधिकांश
जनसंख्या को हरियाली और उसके वन्य जीवन को प्राकृतिक आवरण प्रदान करते हैं। देश में
लौह अयस्क, कोयला और प्राकृतिक गैस के भारी भंडार हैं। केवल भारत में ही विश्व के समस्त
लौह अयस्क भंडार का 20% उपलब्ध है। हमारे देश के विभिन्न भागों में बॉक्साइट, तांबा,
क्रोमेट, हीरा, सोना, सीसा, भूरा कोयला मैंगनीज, जिंक, यूरेनियम इत्यादि भी मिलते हैं।
3. वर्तमान पर्यावरण संकट का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत के पर्यावरण को दो तरफ से खतरा है एक तो गरीबी के कारण पर्यावरण का अपक्षय और
दूसरा साधन संपन्नता और तेजी से बढ़ते हुए औद्योगिक क्षेत्रक के प्रदूषण से है। भारत
की अत्यधिक गंभीर पर्यावरण समस्याओं में वायु प्रदूषण, दूषित जल, मृदा-क्षरण, वन्य
कटाव और वन्य जीवन की विप्ति है। इनमें से ये प्रमुख हैं - भूमि अपक्षय, जैविक विविधता
की हानि, शहरी क्षेत्रों में वाहन प्रदूषण से उत्पन्न वायु प्रदूषण, ताजा पानी का प्रबंधन
और ठोस अपशिष्ट प्रबैधन।
4. नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों की अवसर लागत उच्च क्यों होती है?
बतलाइए।
उत्तर-
अवसर लागत अर्थात एक सर्वश्रेष्ठ अवसर को प्राप्त करने के लिए दूसरी सर्वश्रेष्ठ अवसर
का त्याग करना होता है। विकास के क्रम में नदियां और अन्य जल स्रोत प्रदूषित हुए हैं
और सुख गए हैं। इससे जल एक आर्थिक वस्तु बन गया है। इसके साथ ही नवीकरणीय और गैर नवीकरणीय
संसाधनों के गहन और विस्तृत निष्कर्ष से अनेक महत्वपूर्ण संसाधन विलुप्त हो गए हैं
और हम नए संसाधनों की खोज में प्रौद्योगिकी व अनुसंधान पर विशाल राशि व्यय करने के
लिए मजबूर हैं। पर्यावरण अपक्षय की गुणवत्ता की स्वास्थ्य लागत। जल और वायु की गुणवत्ता
की गिरावट से साँस और जल- संक्रामक रोगों की घटनाएँ बढ़ी हैं। परिणामस्वरुप व्यय भी
बढ़ता जा रहा है। वैश्विक पर्यावरण मुद्दों जैसे वैश्विक उष्णता और ओजोन क्षय ने स्थिति
को और भी गंभीर बना दिया है, जिसके कारण सरकार को अधिक धन व्यय करना पड़ा। अतः इससे
स्पष्ट है कि नकारात्मक पर्यावरण प्रभाव की अवसर लागत बहुत अधिक है।
5. भारत में भू-अपक्षय के लिए उत्तरदायी कारकों की पहचान कीजिये।
उत्तर-
भारत में भूमि का अपक्षय विभिन्न मात्रा और रूपों में हुआ है, जो की मुख्य रूप से अस्थिर
प्रयोग और अनुपयुक्त प्रबंधन कायै प्रणाली का परिणाम है।
भूमि
के अपक्षय के लिए उत्तरदायी कुछ प्रमुख कारण-
(i)
वन विनाश के फलस्वरुप वनस्पति की हानि ।
(ii)
लकड़ी और चारे का निष्कर्षण
(iii)
खेती-बारी
(iv)
वन-भूमि का अतिक्रमण
(v)
वनों में आग और अत्यधिक चराई
(vi)
भू संरक्षण हेतु समुचित उपाय को न अपनाया जांना
(vii)
अनुचित फसल चक्र
(viii)
कृषि - रसायन का अनुचित प्रयोग जैसे रासयनिक खाद और कीटनाशक
(ix)
सिंचाई व्यवस्था का नियोजन तथा अविवेकपूर्ण प्रबंधन
(x)
कृषि पर निर्भर लोगों की दरिद्रता।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. धारणीय विकास क्या है? धारणीय विकास की रणनीतियों को बताइए।
उत्तर-
पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं और एक दूसरे के लिए आवश्यक
है अतः आवश्यकता है ऐसे विकास की जो भावी विकास को जीवन की संभावित औसत गुणवत्ता प्रदान
करे, जो कम से कम वर्तमान पीढ़ी के द्वारा उपभोग की गई सुविधाओं के बराबर हो। धारणीय
विकास की अवधारणा पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UNCED) नै बल दिया
जिसने परिभाषित किया ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को भावी पीढ़ियां की
आवश्यकताओं की पूर्ति क्षमता का समझौता किये बिना पूरा करें।
धारणीय
विकास की रणनीतियाँ
(i)
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों का उपयोग-
भारत अपनी विद्युत आवश्यकताओं के लिए थर्मल और हाइड्रो पावर संयंत्रों पर बहुत अधिक
निर्भर है। इन दोनों का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वायु शक्ति और सौर किरणें
पारंपरिक ऊर्जा के अच्छे उदाहरण है जिनका विकास किया जा सकता है।
(ii)
ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी गोबर गैस ग्रामीण
क्षेत्रों में वन विनाश, हरित क्षेत्र में कमी, मवेशियों के गोबर का अप्रत्यय और वायु
प्रदूषण जैसे अनेक प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए सहायिकी
के दवारा कम कीमत पर तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त
गोबर गैस संयंत्र से भी गैस का उत्पादन किया जा रहा है।
(iii)
शहरी क्षेत्र में उच्च दाब प्राकृतिक गैस (CNG)- दिल्ली
में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में CNG के ईंधन के रूप में प्रयोग से वायु प्रदूषण बड़े
पैमाने पर कम हुआ है।
(iv)
वायु शक्ति जिन क्षेत्रों में हवा की गति तीव्र होती है,
वहां पवन चक्की से बिजली प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा का यह स्रोत पर्यावरण पर कोई
प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं डालता। हवा के साथ-साथ टरबाइन घूमते हैं और बिजली पैदा होती
है।
(v)
फोटोवोल्टीय सेल द्वारा सौर- शक्ति फोटोवोल्टिक सेलों की
मदद से सौर ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तन किया जा सकता है।
(vi)
लघु जलीय प्लांट पहाड़ी इलाकों में लगभग सभी जगहों में
झरने मिलते हैं। मिनीहाइडल प्लांट इन झरनों की ऊर्जा से छोटी टरबाइन चलाते हैं। टरबाइन
से बिजली का उत्पादन होता है।
(vii)
जैविक कंपोस्ट खाद पिछले पांच दशकों में कृषि
उत्पादन बढ़ाने की कोशिश में कंपोस्ट खाद की अवहेलना की गयी और रासायनिक खाद का उपयोग
अधिक किया गया जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। रासायनिक
प्रदूषण से जैल व्यवस्था विशेषकर भूतल जल प्रणाली, दूषित हई। अब भारी संख्या में पूरे
देश में जैविक खादों को प्रयोग किया जा रहा है। केंचुआ तीव्रता से जैविक वस्तुओं को
कंपोस्ट में बदल सकते हैं।
(viii)
जैविक कीट नियंत्रण हरित क्रांति के आगमन के बाद
पूरे देश में रासायनिक कीटनाशकों का अधिकाधिक प्रयोग होने लगा जिससे इसका प्रतिकूल
प्रभाव दिखने लगा। मृदा, जलाशय, यहां तक की भूतल जल भी कीटनाशकों के कारण प्रदूषित
हो गए। दूध, माँस और मछलियाँ भी दूषित पाई गई। इस चुनौती का सामना करने के लिए अब जैविक
कीट नियंत्रक तरीकों को बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में नीम के पेड़ काफी
उपयोगी साबित हुई जिससे कीट नियंत्रक रसायन बनाए जा रहे हैं।
2. वैश्विक उष्णता क्या है? वर्तमान समय में वैश्विक उष्णता एक गंभीर
पर्यावरण मुद्दा क्यों है?
उत्तर-
वैश्विक उष्णता पृथ्वी और समुद्र के वातावरण के औसत तापमान में वृद्धि को कहते हैं।
वैश्विक उष्णता औद्योगिक क्रांति से ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के परिणाम स्वरुप
पृथ्वी के निचले वायुमंडल के औसत तापमान में क्रमिक बढ़ोतरी है। वर्तमान में और आने
वाले दिनों में वैश्विक उष्णता में अधिकांश मानव उत्प्रेरित है। यह मानव द्वारा वनविनाश
तथा जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस की वृद्धि के कारण
होता है।
वर्तमान
समय में वैश्विक उष्णता एक गंभीर मुद्दा बना है क्योंकि, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड,
मिथेन गैस तथा दूसरी गैसें वातावरण में मिलने से हमारे भूमंडल की सतह गर्म होती जाएगी।
पिछली शताब्दी में वायुमंडलीय तापमान में 1.1f(0.60C) की वृद्धि हुई है और समुद्र तल
कई इंच ऊपर उठ गया है।
वैश्विक
उष्णता के कुछ दीर्घकालीन परिणाम हैं -
(i)
ध्रुवीय हिम का पिघलना जिसके परिणाम स्वरुप समुद्र स्तर में वृद्धि और बाढ़ का प्रकोप
।
(ii)
हिम पिघलाव पर निर्भर पेयजल की पूर्ति में पारिस्थितिक असंतुलन के कारण प्रजातियों
की विलुप्ति।
(iii)
उष्णकटिबंधीय तूफानों की बारंबारता और उष्णकटिबंधीय रोगों के प्रभाव में बढ़ोतरी।
वैश्विक
उष्णता में योगदान करने वाले अन्य तत्व हैं कोयला व पेट्रोल उत्पाद का प्रज्वलन, वन
विनाश जो कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि करता है। जानवरों
की अपशिष्ट से निकलने वाले मिथेन गैस और पशु की संख्या में वृद्धि जो की वन विनाश मिथेन
उत्पाद और जीवाश्म ईंधन के प्रयोग में योगदान करती है।
3. पर्यावरण की अवशोषी क्षमता से क्या तात्पर्य है? पर्यावरण की अवशोषी
क्षमता में गिरावट का क्या प्रभाव होगा?
उत्तर-
पर्यावरण की अवशोषी क्षमता का अर्थ पर्यावरण की अपक्षय को सोखने की योग्यता से है अर्थात्
संसाधनों का निष्कर्षण उनके पुनर्जन्न की दर से अधिक नहीं है और उत्पन्न अवशेष पर्यावरण
की समावेशन क्षमता के भीतर है।
पर्यावरण
की अवशोषी क्षमता में गिरावट आने से पर्यावरण संकट पैदा होता है। पूरे विश्व में आज
यह स्थिति है विकासशील देशों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकसित देशों के समृद्ध
उपभोग तथा उत्पादन मानकों ने पर्यावरण के कार्यों पर भारी दबाव डाला है, अनेक संसाधन
विलुप्त हो गए हैं। विकास के क्रम में नदियां और अन्य जल स्रोत प्रदूषित हुए हैं और
सूख गए हैं। इसने जल को एक आर्थिक वैस्तु बना दिया है। इसके साथ ही नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय
संसाधनों के गहन और विस्तृत निष्कर्षण से अनेक महत्वपूर्ण संसाधन विलुप्त हो गए हैं।
जनसंख्या विस्फोट और जनसंख्या की बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए औद्योगिक क्रांति
के आगमन से स्थिति बदल गई। परिणामस्वरुप उत्पादन और उपभोग के लिए संसाधनों की मांग
संसाधनों की पुनः सर्जन की दर से बहुत अधिक हो गई, पर्यावरण की अवशोषी क्षमता पर दबाव
बुरी तरह से बढ़ गया। इस तरह से पर्यावरण की गुणवत्ता के मामले में मांग-पूर्ति संबंध
पूरी तरह से उलट गए हैं अब हमारे पर्यावरण संसाधनों और सेवाओं की मांग अधिक है, लेकिन
उनकी पूर्ति सीमित है। इसलिए प्रदूषण के पर्यावरण मुद्दे आजकल बहुत गंभीर हो गए हैं।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
क्र०स० | अध्याय का नाम |
अर्थशास्त्र में सांख्यिकी | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |