CM SoE ANNUAL EXAMINATION (Session: 2023-24)
Class – XI Subject - Economics (030)
Exam Date - 20.03.2024
Time-3
Hours. Maximum Marks - 80
General
Instructions:
I.
All question in both sections is compulsory
II.
Question number 1 to 10 and 18 to 27 are multiple choice questions carrying 1
mark each
III.
Question number 11 to 12 and 28 to 29 are short answer questions carrying 3
marks each. Answer to them should normally not exceed 60 words each
IV.
Question number 13 to 15 and 30 to 32 are also short answer questions carrying
4 marks each. Answer to them should normally not exceed 70 words each.
V.
Question number 16 to 17 and 33 to 34 are long answer questions carrying 6
marks each. Answer to them should normally not exceed 100 words each.
VI.
Answer should be brief and to the point and the above word limits should be
adhered to as far as possible.
VII.
This paper contains 8 pages. Kindly check if there is any discrepancy in the
number of pages.
VIII.
Incase of any error in question statement, English language will be considered.
SECTION - A
1. Who divided economic activity in "micro" and
"macro"? (आर्थिक क्रिया को "व्यष्टि" एवं "समष्टि"
में किसने बांटा?) [1]
a) Ragnar Frish (रैगनर फिश)
b)
Stigler (स्ट्रगलर)
c)
Samuelson (सैम्यूल सन)
d)
Adam Smith (एडम स्मिथ)
2. Newspaper is a source of which type of data? (समाचार पत्र द्वारा
प्राप्त आंकड़ा है) [1]
a)
Primary data (प्राथमिक आंकड़ा)
b) Secondary data (द्वितीयक आंकड़ा)
c)
Both A and B (ए और बी दोनों)
d)
None of the above (इनमें से कोई नहीं)
3. The following diagram is known as: (निम्नलिखित चित्र को क्या जाना जाता है?) [1]
a)
Histogram (हिस्टोग्राम)
b)
Ogive (ओजाईव)
c)
Map (मानचित्र)
d) Pie diagram (पाई विश्लेषण)
4. With the help of an ogive curve we find: (ओजाईव वक्र की मदद से
हम क्या पाते हैं?) [1]
a)
Arithmetic Mean (अंकगणितीय माध्य)
b)
Mode (बहुलक)
c) Median (मध्यिका)
d)
None of These (इनमें से कोई नहीं)
5. The difference between upper limit and lower limit of a class
is known as (एक वर्ग के ऊपरी सीमा और निचली सीमा के बीच का अंतर किसे कहा जाता है?)
[1]
a)
Class Frequency (वर्ग आवृत्ति)
b)
Frequency Distribution (आवृत्ति वितरण)
c) Class Interval (वर्ग अंतराल)
d)
Class Limit (वर्ग सीमा)
6. The average pocket money (mean) of five children is Rs 300.
If the pocket money of the eldest 4 children is Rs 200, Rs 400, Rs 500, Rs 250
respectively. The pocket money of the youngest child is (पाँच बच्चों के औसत जेब
खर्च का पैसा (माध्य) Rs 300 है। यदि बड़े चार बच्चों की जेब खर्च का पैसा Rs 200,
Rs 400, Rs 500, Rs 250 है। तो सबसे छोटे बच्चे की जेब खर्च का पैसा कितना है) [1]
a)
Rs 350
b) Rs 150
c)
Rs 100
d)
Rs 200
उत्तर -पांच बच्चों के औसत जेब खर्च का पैसा (माध्य) Rs 300 है। इसका मतलब है
कि सभी बच्चों की जेब खर्च का योग 300 × 5 = Rs 1500 है।
बड़े चार बच्चों की जेब खर्च का योग 200 + 400 + 500 + 250 = Rs 1350 है।
सबसे छोटे बच्चे की जेब खर्च का योग 1500 - 1350 = Rs 150 है।
7. Calculate the mid-point of class interval 70-80 [1]
(वर्ग अंतराल 70-80 का मध्य बिन्दु निकालें)
a)
70
b) 75
c)
80
d)
85
8. If the value of mean and mode are 20 and 32 respectively.
Find the value of median (यदि माध्य और बहुलक का मान क्रमशः 20 और 32 हैं। तो मध्यिका
की मान निकालें) [1]
a)
12
b)
20
c) 24
d)
32
9. A diagram that shows the relationship between two variable is
called (दो चरों के बीच संबंध दिखाने वाला एक आरेख है) [1]
a)
Mean (माध्य)
b) Scatter diagram (विक्षेप चित्र)
c)
Map (मानचित्र)
d)
Median (मध्यिका)
10. What is the median of 3, 7, 9, 5, 1, 11, and 13? [1]
(3, 7, 9, 5, 1, 11, और 13 का मध्यिका क्या है?)
a)
5
b) 7
c)
13
d)
None of these (इनमें से कोई नहीं)
11. From the following data of Cement Production of a factory
(2014-2019). Construct a simple bar diagram. (निम्नलिखित आकड़े के आधार पर वर्ष
2014-2019 में एक कारखाने के सीमेंट उत्पादन का एक सरल बार आरेख चित्र बनाएं।) [3]
YEAR |
Production
in tonnes |
2014 |
125 |
2015 |
175 |
2016 |
260 |
2017 |
310 |
2018 |
450 |
उत्तर -
☞ वर्ष 2014 में उत्पादन सबसे कम था (125 टन)।
☞ वर्ष 2018 में उत्पादन सबसे अधिक था (450 टन)।
☞ उत्पादन में 2014 से 2018 तक लगातार वृद्धि हुई।
OR
What do you mean by Diagrammatic Representation of Data? (आंकड़ों
के चित्रमय प्रदर्शन से आप क्या समझते हैं?)
उत्तर - सांख्यिकीय आँकड़ों (समंकों) को रोचक एवं आकर्षक बनाने के लिए
ज्यामितीय आकृतियों; जैसे-रेखाचित्र, दण्ड-चित्र, वृत्त चित्र, आयत चित्र अथवा
मानचित्र के रूप में प्रदर्शित करने की क्रिया को आँकड़ों का चित्रमय प्रदर्शन
कहते हैं।”
आँकडों के चित्रमय प्रदर्शन का महत्त्व या लाभ उपयोगिता
आँकड़ों को जब चित्रों के माध्यम से निरूपित किया जाता है तब वे अधिक आकर्षक
तथा समझने में सरल हो जाते हैं। ठीक ही कहा गया है–“एक चित्र हजार शब्दों के बराबर
होता है।” रेखाचित्र द्वारा आँकड़ों के प्रदर्शन के महत्त्व या लाभ निम्नलिखित हैं
1. चित्र समंकों को सरल व सुबोध बनाते हैं – जब समंक लम्बे-चौड़े दिये होते हैं तब उन्हें समझना कठिन
होता है। बड़े-बड़े समंकों को देखकर मस्तिष्क परेशान हो जाता है तथा कोई भी
निष्कर्ष नहीं निकल पाता है। सांख्यिकीय आँकड़े चित्रों, आकृतियों व आलेखों द्वारा
निरूपित किये जाने से सरल तथा सुबोध हो जाते हैं।
2. अधिक समय तक स्मरणीय – समंकों को देखकर याद करना कठिन होता है, परन्तु चित्रों
की स्मृति मस्तिष्क में दीर्घकाल तक बनी रहती है।
3. विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं – सांख्यिकीय चित्रों को देखकर शिक्षित तथा सामान्य
शिक्षित व्यक्ति भी उनका अर्थ समझ जाते हैं। चित्रों को समझाने के लिए सांख्यिकी
के सूत्रों आदि का ज्ञान होना आवश्यक नहीं है।
4. समय व श्रम में बचत – चित्रों को समझने तथा उनसे निष्कर्ष निकालने में कम समय
व कम श्रम की आवश्यकता होती है। चित्रों को देखकर ही समंक पर्याप्त मात्रा में समझ
में आ जाते हैं।
5. आकर्षक एवं प्रभावशाली – रेखाचित्रे अपनी आकृति, सरलता वे सुन्दरता के कारण लोगों
को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं, जिसका स्थायी प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है।
6. तुलना करने में सहायक – सांख्यिकीय आँकड़ों को चित्रों, आकृतियों, आलेखों द्वारा
निरूपित करने से उनका तुलनात्मक अध्ययन सुविधाजनक हो जाता है। चित्रों को देखकर
विभिन्न समंकों की तुलना सरलतापूर्वक की जा सकती है। वास्तव में चित्रों का सबसे
अधिक महत्त्व समंकों की तुलना करने में ही दृष्टिगत होता है।
7. विज्ञापन में सहायक – सामान्यत: विज्ञापनों के साथ उपयुक्त चित्र बने होते
हैं, जिनके माध्यम से विज्ञापन अधिक आकर्षक तथा बोधगम्य हो जाते हैं। आज के
प्रतियोगिता के युग में विज्ञापनों का अत्यधिक महत्त्व है। रेखाचित्र विज्ञापन को
अधिक आकर्षण व सौन्दर्य प्रदान करते हैं।
8. जनसाधारण को लाभ – आज के वैज्ञानिक युग में आँकड़े प्रस्तुत करने के लिए
व्यापारी, अर्थशास्त्री, चिकित्साशास्त्री व सरकार रेखाचित्रों, विशेष रूप से
स्तम्भ चार्टी व बिन्दु चित्रों का अधिक उपयोग करते हैं, जिनका लाभ जनसाधारण को भी
मिलता है। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि सांख्यिकीय चित्रों की उपयोगिता
सार्वभौमिक है।
12. Elaborate on Census and Sampling methods? (जनगणना और नमूना/प्रतिदर्श
प्रणालियों पर विस्तार से चर्चा करें?) [3]
उत्तर -
1. जनगणना: जनगणना
एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी निश्चित समय अवधि में किसी समूह के सभी सदस्यों
की जानकारी एकत्र की जाती है। यह जानकारी जनसंख्या की विशेषताओं, जैसे कि आयु,
लिंग, शिक्षा, व्यवसाय, आदि के बारे में होती है।
जनगणना के लाभ:
☞ सटीक डेटा: जनगणना पूरी आबादी का डेटा प्रदान करती है, जो बहुत सटीक होता है।
☞ विभिन्न समूहों की तुलना: जनगणना डेटा का उपयोग विभिन्न समूहों की तुलना करने के
लिए किया जा सकता है।
☞ नीति निर्माण: जनगणना डेटा का उपयोग नीति निर्माण और योजना के लिए किया जा सकता
है।
जनगणना के नुकसान:
☞ समय लेने वाली: जनगणना एक समय लेने वाली और महंगी प्रक्रिया हो सकती है।
☞ गलतियों की संभावना: जनगणना में गलतियों की संभावना होती है, खासकर यदि डेटा संग्रह
ठीक से नहीं किया जाता है।
2. नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली: नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी समूह
के कुछ सदस्यों का चयन किया जाता है और उनके डेटा को पूरे समूह के डेटा का प्रतिनिधित्व
करने के लिए उपयोग किया जाता है।
नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली के लाभ:
☞ कम समय लेने वाली: नमूना/प्रतिदर्श
प्रणाली जनगणना की तुलना में कम समय लेने वाली और कम महंगी होती है।
☞ गलतियों की कम संभावना: नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली में गलतियों
की संभावना कम होती है, खासकर यदि नमूना सही तरीके से चुना जाता है।
नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली के नुकसान:
☞ कम सटीक डेटा: नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली जनगणना की तुलना में कम सटीक डेटा प्रदान
करती है।
☞ नमूना त्रुटि: नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली में नमूना त्रुटि की
संभावना होती है, जो कि नमूना पूरे समूह का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
जनगणना: यदि आपको पूरी आबादी के बारे में सटीक
जानकारी की आवश्यकता है, तो आपको जनगणना का उपयोग करना चाहिए।
नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली: यदि आपको कम समय और कम लागत में जानकारी
की आवश्यकता है, तो आप नमूना/प्रतिदर्श प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं।
13. What is the difference between Inclusive and Exclusive
Series? (समावेशी और अपवर्जी श्रेणी के बीच अंतर क्या है?) [4]
उत्तर -
समावेशी श्रेणी: समावेशी श्रेणी में श्रेणी की ऊपरी और निचली सीमा दोनों शामिल
होती हैं।
जैसे 10-20 समावेशी श्रेणी में 10 और 20 दोनों संख्याएं शामिल होंगी।
अपवर्जी श्रेणी:
अपवर्जी श्रेणी में श्रेणी की ऊपरी और निचली सीमा शामिल नहीं होती हैं।
जैसे 10-20 अपवर्जी श्रेणी में 10 और 20 दोनों संख्याएं शामिल नहीं होंगी।
उदाहरण:
मान लीजिए कि हम छात्रों के अंकों का डेटा विश्लेषण कर रहे हैं।
समावेशी श्रेणी:
☞ यदि हम 80-100 समावेशी श्रेणी का उपयोग करते हैं, तो इसमें 80 और 100 दोनों
अंक वाले छात्र शामिल होंगे।
☞ इस श्रेणी में 81, 82, 83, ...,
99, 100 अंक वाले छात्र भी शामिल होंगे।
अपवर्जी श्रेणी:
☞ यदि हम 80-100 अपवर्जी श्रेणी का
उपयोग करते हैं, तो इसमें 80 और 100 अंक वाले छात्र शामिल नहीं होंगे।
☞ इस श्रेणी में 81, 82, 83, ...,
98, 99 अंक वाले छात्र शामिल होंगे।
OR
Given below the marks obtained by 20 students in an examination
(एक परीक्षा में 20 छात्रों द्वारा प्राप्त अंक निम्नानुसार हैं)-
5, 16, 17, 20, 21, 22, 25, 25, 26, 26, 30, 31, 31, 34, 35, 42,
48
Construct a frequency distribution table (एक आवृत्ति वितरण सारणी
बनाएं)
उत्तर –
C.I |
Tally Mark |
ƒ |
0-10 |
I |
1 |
10-20 |
II |
2 |
20-30 |
|
7 |
30-40 |
|
5 |
40-50 |
II |
2 |
|
|
17 |
14. If the arithmetic mean of the data given below is 28. Find
out the missing frequency. (यदि नीचे दिए गए आंकड़ों का माध्य 28 है। निम्नांकित वितरण
से अज्ञात आवृत्ति का पता लगाएं।) [4]
X |
ƒ |
0-10 |
12 |
10-20 |
18 |
20-30 |
27 |
30-40 |
? |
40-50 |
17 |
50-60 |
06 |
उत्तर-
C.I |
ƒ |
MV
(x) |
ƒx |
0-10 |
12 |
5 |
60 |
10-20 |
18 |
15 |
270 |
20-30 |
27 |
25 |
675 |
30-40 |
F1 |
35 |
35F1 |
40-50 |
17 |
45 |
765 |
50-60 |
06 |
55 |
330 |
|
Σƒ = 80+F1 |
|
Σƒx = 2100+35F1 |
Mean=
or,
2240 + 28F1 = 2100 + 35F1
or,
2240 - 2100 = 35F1 - 28F1
or,
140 = 7F1
OR
What is meant by Central Tendency? Discuss the three main measures
of Central Tendency? (केंद्रीय प्रवृत्ति से क्या तात्पर्य है? केंद्रीय प्रवृत्ति
के तीन प्रमुख माप की चर्चा करें?)
उत्तर - ऐसा तब होता है जब दो आंकड़े समूह वर्गीकृत अवस्था में दिए गए हो और
जब हम उसकी तुलना करें उसे केंद्रीय प्रवृत्ति कहते हैं।
क्रॉक्सटन क्रॉउडेन के अनुसार," समंको के
विस्तार में माध्य एक ऐसा अकेला मूल्य है जो श्रेणी के समस्त मूल्यों का प्रतिनिधित्व
करने हेतु प्रयुक्त किया जाता है। चूंकी माध्य समंको के विस्तार के अंतर्गत होता
है , इसलिए इसे कभी कभी केंद्रीय मूल्य का माप भी कहा जाता है।"
केंद्रीय प्रवृत्ति के माप निम्न प्रकार की होती है
1. समान्तर माध्य :- किसी श्रेणी के सभी पदों के योग को पदों की संख्या से
भाग देने पर जो मान प्राप्त होता है उसे समान्तर माध्य या अंकगणितीय माध्य कहते
हैं।
2. माध्यिका :- चाऊ के अनुसार," माध्यिका जैसा कि इसका नाम प्रकट करता है, श्रेणी के
मध्य पद का मूल्य होता है, जब मदो को उनके आकार के आधार पर व्यवस्थित किया गया
हो।"
3. बहुलक :-
केन्नी के अनुसार," चर का वह मूल्य जो एक वितरण में अत्यधिक बार आता है, उसे
बहुलक कहते हैं।
15. Calculate median from the following table (निम्नलिखित तालिका से मध्यिका
की गणना करें) [4]
Size |
ƒ |
0-30 |
40 |
30-60 |
10 |
60-90 |
4 |
90-120 |
2 |
120-150 |
1 |
उत्तर-
Size |
ƒ |
Cƒ |
0-30 |
40 |
40 |
30-60 |
10 |
50 |
60-90 |
4 |
54 |
90-120 |
2 |
56 |
120-150 |
1 |
57 |
Median lise between ( 0 – 30 ) in class interval
⸫ l1 = 0, l2 = 30, ƒ = 40, c = 0, m = 28.5
=
16. Construct Laspeyres's index number from the following data (निम्नलिखित
आंकड़ों से लेस्पेयर्स की विधि से सूचकांक ज्ञात कीजिए) [6]
items |
2010(base
year) |
2014(present
year) |
||
|
Price |
Quantity |
Price |
Quantity |
A |
5 |
60 |
6 |
100 |
B |
4 |
30 |
5 |
50 |
C |
3 |
40 |
3 |
60 |
D |
2 |
20 |
3 |
40 |
उत्तर-
वस्तुएं |
आधार
वर्ष 2010 |
चालू
वर्ष 2014 |
P0q0 |
P0q1 |
P1q0 |
P1q1 |
||
P0 |
q0 |
P1 |
q1 |
|||||
A |
5 |
60 |
6 |
100 |
300 |
500 |
360 |
600 |
B |
4 |
30 |
5 |
50 |
120 |
200 |
150 |
250 |
C |
3 |
40 |
3 |
60 |
120 |
180 |
120 |
180 |
D |
2 |
20 |
3 |
40 |
40 |
80 |
60 |
120 |
|
|
|
|
|
ΣP0q0=580 |
ΣP0q1=960 |
ΣP1q0=690 |
ΣP1q1=1150 |
OR
What is index number? Why is fisher's index number called an
ideal index number? (सूचकांक क्या होता है? फिशर के सूचकांक को क्यों आदर्श इंडेक्स
नंबर कहा जाता है?)
उत्तर- निर्देशांक के सूत्र भिन्न
भिन्न अर्थशास्त्रियों के अनुसार प्रतिपादित किया गया है। फिशर ने इन सूत्रों पर
विस्तृत शोध के बाद यह निष्कर्ष दिया की एक आदर्श निर्देशांक के सूत्र को निम्नलिखित
दो परिक्षणों पर खरा उतरना चाहिए। (1) समय उत्क्राम्यता परीक्षण (2) तत्त्व उत्क्राम्यता परीक्षण
फिशर के निर्देशांक इन दोनों परीक्षणों को संतुष्ट करता है। इसलिए इसे
आदर्श निर्देशांक कहा जाता है।
(1) समय उत्क्राम्यता परीक्षण (Time Reversal Test) :- निर्देशांक का यह पहला परीक्षण है। इसके अन्तर्गत निर्देशांक का सूत्र ऐसा होना चाहिए जो सापेक्षिक विचलन के दोनों समय बिन्दुओं के बीच एक नियत अनुपात व्यक्त करें अर्थात निर्देशांक के सूत्र को समय की दोनों दिशाओं में कार्यशील होना चाहिए।
P01 . P10 = 1
जहां P01 = आधार वर्ष की अपेक्षा जांच वर्ष में मूल्य अनुपात
P10 = जांच वर्ष की अपेक्षा आधार वर्ष में मूल्य अनुपात
फिशर के सूत्र में
P01 =
P10 =
P01 . P10 = 1
अतः फिशर का सूत्र समय उत्क्राम्यता परीक्षण (Time Reversal Test) को संतुष्ट करता है।
(2) तत्त्व उत्क्राम्यता परीक्षण (Factor Reversal Test) :- यह दूसरा सूत्र है।इसके अनुसार आधार मूल्य निर्देशांक को परिमाण निर्देशांक से गुणा किया जाए तो सम्बंधित कुल मूल्य निर्देशांक ज्ञात होना चाहिए।
P01 =
Q01 =
17. Calculate the coefficient of rank correlation between X and
Y and comment about the degree of correlation. (निम्न आकड़ों से X एवं Y के बीच कोटी
(Rank) सहसंबंध गुणांक ज्ञात करे एवं सहसंबंध की डिग्री के बारे में टिप्पणी करें।)
[6]
X |
Y |
35 |
24 |
20 |
35 |
49 |
39 |
44 |
48 |
30 |
45 |
उत्तर-
X |
Y |
Rx |
RY |
d
(Rx -Ry ) |
d2 |
35 |
24 |
3 |
5 |
-2 |
4 |
20 |
35 |
5 |
4 |
1 |
1 |
49 |
39 |
1 |
3 |
-2 |
4 |
44 |
48 |
2 |
1 |
1 |
1 |
30 |
45 |
4 |
2 |
2 |
4 |
|
|
|
|
|
Σd2
=28 |
Section-B
18. The consumer is in equilibrium at a point where the budget
line (उपभोक्ता उस बिंदु पर संतुलन में है जहां बजट रेखा). [1]
a)
Is above an indifference curve (एक उदासीनता वक्र से ऊपर है)
b)
Is below an indifference curve (एक उदासीनता वक्र के नीचे है)
c) Is tangent to an indifference curve (एक उदासीनता वक्र की स्पर्शरेखा
है।
d)
Cuts an indifference curve (एक उदासीनता वक्र को काटता है)
19. According to the Law of diminishing marginal utility,
satisfaction is obtained from the consumption of each successive unit (हासमान सीमान्त
उपयोगिता के नियम के अनुसार प्रत्येक क्रमिक इकाई के उपभोग से उपभोगता की संतुष्टि
में होती है) [1]
a)
Increase (वृद्धि)
b) Decrease (कमी)
c)
Remains same (वही रहता है)
d)
Either increases or decreases (या तो बढ़ता है या घटता है)
20. Mention the name of the curve that shows economic problem (आर्थिक
समस्या को दर्शाने वाले वक्र का नाम बताइए?) [1]
a)
Production curve (उत्पादन वक्र)
b)
Demand curve (मांग वक्र)
c)
Indifference curve (उदासीनता वक्र)
d) Production possibility curve (उत्पादन संभावना वक्र
21. Indian economy is (भारतीय अर्थव्यवस्था है): [1]
a)
Centrally planned economy (केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था)
b)
Market economy (बाजार अर्थव्यवस्था)
c) Mixed economy (मिश्रित अर्थव्यवस्था)
d)
None of these (इनमें से कोई नही)
22. According to whom, Economics is a science of human welfare (किसके
अनुसार, अर्थशास्त्र मानव कल्याण का विज्ञान है?) [1]
a) A Marshall (एक मार्शल)
b)
Paul Samuelson (पॉल सैमुएलसन)
c)
J. S. Mill (जे. एस. मिल)
d)
Adam Smith (एडम स्मिथ)
23. The government of India decided to produce 1,000 million
quintals of wheat this year. The decision regarding quantity of production is a
part of which central problem of the economy (भारत सरकार ने इस साल 1,000 मिलियन
क्विंटल गेहूं का उत्पादन करने का फैसला किया। उत्पादन की मात्रा के बारे में निर्णय
अर्थव्यवस्था की किस केंद्रीय समस्या का एक हिस्सा है?) [1]
a)
What to produce (क्या उत्पादन करना है)
b) How to produce (उत्पादन कैसे करें)
c)
For whom to produce (किसके लिए उत्पादन करना है)
d)
None of these (इनमें से कोई नहीं)
24. If quantity supplied increases by 60% due to 50% increase in
price, then elasticity of Supply is: (यदि कीमत में 50% की वृद्धि के कारण पूर्ति
की मात्रा में 60% की वृद्धि होती है, तो पूर्ति की लोच क्या है?) [1]
a)
(-) 1.2
b) (+) 1.2
c)
(-) 0.83
d)
(+) 0.83
25. Following figure shows (निम्नलिखित चित्र क्या दिखाता है):
a)
Perfectly Elastic Supply (पूर्णता लोचदार पूर्ति)
b) Perfectly Inelastic Supply (पूर्णता बेलोचदार पूर्ति)
c)
Elastic Supply (लोचदार पूर्ति)
d)
Inelastic Supply (बेलोचदार पूर्ति)
26. Price discrimination is found in which market (मूल्य विभेद किस
बाजार में पाया जाता है)?[1]
a)
pure competition (शुद्ध प्रतियोगिता)
b)
perfect competition (पूर्ण प्रतियोगिता)
c) monopoly (एकाधिकार)
d)
monopolistic (एकाधिकारात्मक)
27. In which market form demand is perfectly elastic (किस बाजार रूप
में मांग पूर्णतः लोचदार होती है)? [1]
a)
monopoly (एकाधिकार)
b)
monopolistic (एकाधिकारप्राप्त)
c) perfect competition (पूर्ण प्रतियोगिता)
d)
None of These (इनमें से कोई नहीं)
28. What do you mean by complementary goods or substitute goods.
Explain with example. (पूरक वस्तुओं अथवा स्थानापन्न वस्तुओं से आपका क्या आशय है?
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए) [3]
उत्तर-
स्थानापन्न वस्तुएं |
पूरक वस्तुएं |
स्थानापन्न
वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग या एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है जैसे- चाय के स्थान पर कॉफी |
पूरक या प्रतिपूरक वस्तुओं का प्रयोग एक दूसरे के साथ किया जाता है जैसे - चाय
के साथ दूध |
एक वस्तु के दाम में वृद्धि होने से दूसरी वस्तु की मांग में वृद्धि होती है
जैसे -कॉफी के दाम में वृद्धि होने पर चाय की मांग में वृद्धि |
एक वस्तु के दाम में वृद्धि होने से दूसरी वस्तु की मांग में कमी हो जाती
है जैसे चाय के दाम बढ़ने पर दूध की मांग में कमी |
29. What do you understand by elasticity of demand? Give one
method to calculate it. (माँग की लोच से आप क्या समझते हैं? इसकी गणना करने की एक
विधि दीजिए) [3]
उत्तर- प्रो.
बोर्डिंग के अनुसार,"
किसी वस्तु के मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी
मांग मात्रा में जो प्रतिशत परिवर्तन होता है
उसे मांग की लोंच कहते हैं।"
प्रतिशत प्रणाली :- प्रो.
फ्लक्स ने इस प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग किया
मांग
की लोंच = (-) मांग
में प्रतिशत परिवर्तन / मूल्य
में प्रतिशत परिवर्तन
यदि भागफल 1 आता है तो मांग की लोंच इकाई के बराबर होता है। यदि भागफल 1 से अधिक आता है तो मांग की लोंच इकाई से अधिक होती है और यदि भागफल 1 से कम आता है तो मांग की लोंच इकाई से कम होती है।
30. What is production function? Describe the assumptions of
production function. (उत्पादन फलन क्या है? उत्पादन फलन की मान्यताओं का वर्णन कीजिए।)
[4]
उत्तर-
उत्पादन फलन एक तकनीकी संबंध है
जो किसी उत्पादन प्रक्रिया में इनपुट (आगत) और आउटपुट (निर्गत) के बीच संबंध को
दर्शाता है। यह बताता है कि विभिन्न मात्रा में इनपुट (जैसे श्रम, पूंजी, भूमि) का
उपयोग करके कितना उत्पादन (जैसे वस्तुएं, सेवाएं) प्राप्त किया जा सकता है।
उत्पादन फलन का सामान्य रूप:
Q = f(L, K)
जहां:
Q: कुल उत्पादन
f: उत्पादन फलन
L: श्रम (Labour)
K: पूंजी (Capital)
उत्पादन फलन की मान्यताएं:
1.
तकनीकी स्थिरता: प्रौद्योगिकी
स्थिर रहती है, यानी उत्पादन की विधि नहीं बदलती है।
2.
कारकों की विभाज्यता: श्रम और
पूंजी को छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है।
3.
सकारात्मक सीमांत उत्पादकता:
यदि किसी इनपुट की मात्रा बढ़ाई जाती है, तो अन्य इनपुट की मात्रा स्थिर रहने पर,
कुल उत्पादन में वृद्धि होगी।
4.
घटती सीमांत उत्पादकता: यदि
किसी इनपुट की मात्रा लगातार बढ़ाई जाती है, तो अन्य इनपुट की मात्रा स्थिर रहने
पर, कुल उत्पादन में वृद्धि की दर धीमी होती जाएगी।
5.
अधिकतम उत्पादन: उत्पादन फलन का
एक अधिकतम स्तर होता है, जिसके बाद उत्पादन में कमी आने लगती है।
31.
Calculate the elasticity of supply for the following data. (निम्न लिखित डेटा से
आपूर्ति की लोच की गणना करें)
Price |
Quantity
supplied |
|
|
10 |
200 |
|
|
15 |
225 |
|
|
उत्तर
:-
आरंभिक
कीमत (P) = 10 रु.
नई
कीमत (P1) = 15
आरंभिक
मात्रा (Q) = 200
नई
मात्रा (Q1) = 225
ΔP
= P1 – P = 15 – 10 =5
ΔQ
= Q1 - Q
= 225 – 200
= 25
अतः पूर्ति की कीमत लोच इकाई से कम है।
OR
Find the total cost (TC) and average cost at each stage of
production
(उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर कुल लागत TC और औसत लागत (AC) ज्ञात कीजिए)
Quantity |
TFC |
MC |
TC |
AC |
0 |
120 |
0 |
120 |
- |
1 |
120 |
40 |
160 |
160 |
2 |
120 |
30 |
190 |
95 |
3 |
120 |
26 |
216 |
72 |
32. What do you understand by marginal cost and average cost? Show
the relationship between marginal cost and average cost with a diagram. (सीमांत
लागत और औसत लागत से क्या समझते है? सीमांत लागत और औसत लागत के संबंध को चित्र द्वारा
दर्शाए) [4]
उत्तर :- मूल्य सिद्धांत में AC तथा MC का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
कुल उत्पादन लागत को उत्पादित इकाइयों से भाग लेकर औसत लागत ज्ञात किया जाता है।
औसत लागत =
एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से लागत में जितनी वृद्धि होती है उसे उस इकाई विशेष की सीमांत लागत कहा जाता है।
MC = TCn – TCn-1
चित्र से स्पष्ट है कि AC वक्र गिरता है तथा MC वक्र एक सीमा तक गिरती है। किंतु एक अवस्था के बाद यह बढ़ना आरंभ करता है। जब AC वक्र निम्नतम होता है तब MC वक्र AC वक्र को निम्नतम बिंदु पर काटते हुए तीव्र गति से ऊपर बढ़ता है। अर्थात MC,AC वक्र से ऊपर होता है। MC वक्र AC वक्र को निम्नतम बिंदु पर काटती है।
इसे गणितीय विधि द्वारा सिद्ध किया जा सकता है -
Let, π = a+bx+cx2
Where π = कुल लागत , x = उत्पादन , a,b,c = स्थिरांक
लागत न्यूनतम करने पर =0
⸫ MC = AC
⸫ MC रेखा AC रेखा को निम्नतम बिंदु पर काटती है और बराबर होती है।
33. What is perfect competition? Explain the price determination
under perfect competition? (पूर्ण प्रतियोगिता बाजार से क्या समझते है? पूर्ण प्रतियोगिता
बाजार में मूल्य का निर्धारण कैसे होता है?) [6]
उत्तर-
बोल्डिग के शब्दों में,"
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु
के बहुत से क्रेता तथा विक्रेता होते हैं। विक्रेता समरूप वस्तु को एक समान कीमत पर
बेचते हैं। फर्म द्वारा कीमत निर्धारित नहीं की जाती बल्कि उद्योग द्वारा निर्धारित
होती है।"
मूल्य निर्धारण
पूर्ण
प्रतियोगिता बाजार में जहां मांग और पूर्ति बराबर होती है, मूल्य वही निर्धारित होता
है। मूल्य प्राय स्थिर रहती है।
चित्र में मांग (DD)तथा पूर्ति (SS) दोनों E बिंदु पर बराबर है। अतः मूल्य OP तथा मात्रा OQ निर्धारित होगी।
D = α – aP
S = β + bP
संतुलन करने पर
S = D
β + bP = α – aP
bP + aP = α – β
P ( b+ a ) = α – β
यही निर्धारित मूल्य है।
OR
What do you mean by market? What are the classifications of
market? (बाजार से क्या समझते हैं? बाजार के वर्गीकरण को बताए।)
उत्तर-
बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ खरीदार और विक्रेता वस्तुओं और
सेवाओं का आदान-प्रदान करते हैं। यह एक भौतिक स्थान हो सकता है, जैसे कि एक किसान
बाज़ार, या यह एक आभासी स्थान हो सकता है, जैसे कि ऑनलाइन मार्केटप्लेस। बाजार
में, खरीदार और विक्रेता एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और कीमतों पर सहमत होते
हैं।
बाजार
के प्रकार:
बाजारों
को विभिन्न मानदंडों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
1.
स्थान:
☞ स्थानीय बाजार: यह एक छोटा बाजार है जो एक
विशेष क्षेत्र में स्थित है।
☞ राष्ट्रीय बाजार: यह एक बड़ा बाजार है जो पूरे
देश में फैला हुआ है।
☞ अंतर्राष्ट्रीय बाजार: यह एक बाजार है जो कई
देशों को शामिल करता है।
2.
उत्पाद:
☞ उपभोक्ता बाजार: यह एक बाजार है जो अंतिम
उपभोक्ताओं को वस्तुओं और सेवाओं को बेचता है।
☞ औद्योगिक बाजार: यह एक बाजार है जो अन्य व्यवसायों
को वस्तुओं और सेवाओं को बेचता है।
3.
प्रतिस्पर्धा:
☞ पूर्ण प्रतियोगिता: यह एक बाजार है जिसमें कई
खरीदार और विक्रेता होते हैं और कोई भी व्यक्ति या समूह बाजार मूल्य को नियंत्रित नहीं
कर सकता है।
☞ अपूर्ण प्रतियोगिता: यह एक बाजार है जिसमें कुछ
खरीदार या विक्रेता होते हैं जो बाजार मूल्य को नियंत्रित कर सकते हैं।
4.
लेनदेन का प्रकार:
☞ स्पॉट मार्केट: यह एक बाजार है जहां वस्तुओं
और सेवाओं का तत्काल लेनदेन होता है।
☞ वायदा बाजार: यह एक बाजार है जहां वस्तुओं और
सेवाओं का भविष्य में लेनदेन होता है।
5.
स्वामित्व:
☞ सार्वजनिक बाजार: यह एक बाजार है जो सरकार द्वारा
संचालित होता है।
☞ निजी बाजार: यह एक बाजार है जो निजी व्यक्तियों
या व्यवसायों द्वारा संचालित होता है।
34. What is indifference curve? Explain the consumer equilibrium
with the help of indifference curve. (उदासीनता वक्र क्या है? उपभोक्ता संतुलन को
उदासीनता वक्र की सहायता से समझाइये) [6]
उत्तर-
उदासीनता वक्र दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों से सम्बन्धित
उपभोक्ता के व्यवहार की व्याख्या करता है। उपभोक्ता का व्यवहार उसकी उदासीनता
अनुसूची (Indifference Schedule) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उपभोक्ता को समान
सन्तुष्टि देने वाले दो वस्तुओं के विभिन्न संयोग उदासीनता अनुसूची (Indifference
Schedule) अथवा तटस्थता समूह (Indifference Set) बनाते हैं। इसी उदासीनता अनुसूची
को ग्राफ के रूप में प्रदर्शित करके उदासीनता वक्र प्राप्त किया जाता है।
वॉटसन के शब्दों में, "उदासीनता अनुसूची दो वस्तुओं के संयोगों की
अनुसूची है जिसको इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि उपभोक्ता उन संयोगों के
प्रति उदासीन होता है और किसी एक को अन्य की तुलना में वरीयता नहीं देता।"
उपभोक्ता के संतुलन को ज्ञात करने के लिए दो बातों को जानना आवश्यक
है -(1) तटस्थता मानचित्र तथा(2)कीमत रेखा
संतुलन के शर्त
संतुलन की दशा में उपभोक्ता का उदासीन वक्र कीमत रेखा को स्पर्श करेगा।
संतुलन बिंदु पर संतुष्टि अधिकतम तब होगी जब X वस्तु की Y वस्तु के लिए सीमांत प्रतिस्थापन
दर X वस्तु की कीमत और Yवस्तु की कीमत के बराबर हो जाए
अर्थात MRSxy=
Px/Py
तटस्थता वक्र मूल बिंदु के प्रति उन्नतोदर होना चाहिए अर्थात संतुलन बिंदु पर सीमांत प्रतिस्थापन दर घटती हुई होनी चाहिए।
रेखा चित्र में उपभोक्ता संतुलन E बिंदु पर होगा जहां कीमत
रेखा RS को उदासीन वक्र IC स्पर्श कर रही है।
OR
What is the law of supply? Draw a supply curve to demonstrate?
What are its assumptions and exceptions of law of supply? (पूर्ति का नियम क्या है?
पूर्ति वक्र दिखाए। पूर्ति की नियम की क्या मान्यताएं और अपवाद हैं?)
उत्तर- यदि अन्य बातें समान रहे तो किसी वस्तु की कीमत बढ़ने
से उसकी पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत घटने से पूर्ति भी घट जाती है, उसे
पूर्ति का नियम कहते हैं।
प्रो. डुली के शब्दों में," पूर्ति का नियम बताता है कि जितनी
कीमत अधिक होगी उतनी ही पूर्ति अधिक होती है और कीमत कम होने पर पूर्ति
कम हो जाती है।"
पूर्ति
के नियम को एक अनुसूची द्वारा दिखा सकते हैं
जिसे पूर्ति अनुसूची कहते हैं
वस्तु की कीमत |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
पूर्ति |
100 |
200 |
300 |
400 |
500 |
600 |
तालिका से स्पष्ट है कि मूल्य के बढ़ने पर पूर्ति भी बढ़ती जाती है।
चित्र में , मूल्य बढ़ने पर पूर्ति भी बढ़ती जाती है तथा मूल्य घटने पर पूर्ति भी घटती हैं। अतः मूल्य और पूर्ति के बीच सीधा संबंध होता है। मूल्य और पूर्ति बिन्दुओं को मिलाने से हमें S वक्र प्राप्त होता है जो पूर्ति वक्र को दर्शोता है।
मान्यताऐ
(1) उत्पादन के साधनों की पूर्ति तथा कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता (2) उत्पादन की तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होता (3 फर्म के उद्देश्य में परिवर्तन नहीं होता (4) अन्य वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता (5) भविष्य में वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने की संभावना नहीं है।
पूर्ति वक्र को प्रभावित करने वाले कारक
1. वस्तु की कीमत:- वस्तु की पूर्ति और कीमत के बीच सीधा संबंध होता है।
2. संबंधित वस्तुओं की कीमत:- अन्य वस्तुओं की कीमत में होने वाली वृद्धि के फलस्वरुप वे फर्मों के लिए अधिक लाभदायक हो जाएगी। इसके फलस्वरूप फर्म उनकी अधिक पूर्ति करेंगी । इसके विपरीत जिस वस्तु की कीमत में वृद्धि नहीं होती वह अपेक्षाकृत कम लाभदायक होगी। इसलिए फर्म उसकी पूर्ति कम करेगी।
3. फर्मो की संख्या:- किसी वस्तु की बाजार पूर्ति फर्मों की संख्या पर भी निर्भर करती है। फर्मों की संख्या अधिक होने पर पूर्ति अधिक होती है तथा संख्या कम रहने पर पूर्ति कम।
4. फर्म के उद्देश्य:- यदि फर्म का उद्देश लाभ को अधिकतम करना है तो केवल अधिक कीमत पर ही अधिक पूर्ति की जाएगी, इसके विपरीत यदि फर्म का उद्देश्य बिक्री या रोजगार को अधिकतम करना है तो वर्तमान पर भी अधिक पूर्ति की जाएगी।
5. तकनीक में परिवर्तन:- उत्पादन तकनीक में सुधार होने के फलस्वरूप प्रति इकाई उत्पादन लागत में कमी होती है तथा लाभ में वृद्धि होती है। इसके फलस्वरूप पूर्ति में वृद्धि होती है।
6. सरकारी नीति:- अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि होने के फलस्वरूप सामान्यत पूर्ति कम होती है। इसके विपरीत अनुदानो के कारण पूर्ति में वृद्धि होती है।
सीमाऐ ( अपवाद )
1. भविष्य में कीमतें:- जब विक्रेता को इस बात का भय हो कि वस्तु की कीमतों में भारी गिरावट आने वाली है तो वह कम कीमत पर ही अधिक वस्तु बेचने को तैयार होगी।
2. कृषि वस्तुऐ:- प्राय: कृषि की वस्तुओं के उत्पादन पर भी या नियम लागू नहीं होता, क्योंकि उनकी पूर्ति मूल्य बढ़ने पर एक दम नहीं बढ़ाई जा सकती।
3. पुराने स्टॉक की सफाई:- जब व्यापारी पुराने स्टॉक खत्म करके नई वस्तुओं का स्टॉक रखना चाहता है तो वह कीमत कम करके अधिक वस्तु बेचेगा।
4. कलात्मक वस्तुएं:- कलात्मक वस्तुऐ के संबंध में भी या नियम लागू नहीं होता। दुर्लभ चित्रों की कीमत बढ़ने पर भी पूर्ति नहीं बढ़ाई जा सकती।