क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

प्रश्न:- उपभोक्ता व्यवहार के क्रमवाचक उपयोगिता, विश्लेषण कहाँ तक संख्यावाचक उपयोगिता विश्लेषण से श्रेष्ठ है?

तटस्थता वक्र विश्लेषण कहाँ तक सीमांत उपयोगिता विश्लेषण से श्रेष्ठ है?

"नयी बोतल में पुरानी शराब"- उदासीनता वक्र प्रणाली के संदर्भ में यह कहना कहाँ तक सत्य है?

उत्तर :- प्रो. हिक्स ने उपयोगिता विश्लेषण की कठिनाइयों को दूर करने के लिए अपनी पुस्तक 'Value and Capital' में उदासीनता रेखा प्रणाली का प्रतिपादन किया और यह दावा किया कि उनकी प्रणाली उपभोक्ता के संतुलनवं मांग के सिद्धांत की व्याख्या में मार्शल की प्रणाली से श्रेष्ठ है। दूसरी ओर कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसे 'नयी बोतल में पुरानी शराब ' कह कर यह बताने की कोशिश की है कि उदासीनता रेखा प्रणाली मार्शल की प्रणाली की तरह है। अतः इत बातों की समीक्षा के लिए उदासीनता रेखा तथा उदासीनता रेखा प्रणाली के माध्यम से उप‌भोक्ता संतुलन की व्याख्या करनी होगी। तभी हम इस प्रणाली के गुण-अवगुण की जाँच कर सकेंगे

हिक्स एवं ऐलेन के अनुसार, घटते हुए प्रतिस्थापन की सीमांत दर पर जब प्रत्येक वस्तु की सीमांत उपयोगिता एवं मूल्य का अनुपात समान हो जाए तभी उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होती है।

MU = ƒ (X,Y ------) ----(1)

XPx + YP= M --------(2)

समीकरण (1) और (2) से,

`\frac{ƒ_x}{P_x}=\frac{ƒ_x}{P_y}`--------(3)

ƒ = MU

P = Price

`\frac{MU_x}{P_x}=\frac{MU_y}{P_y}`

अर्थात् प्रत्येक वस्तु की सीमांत उपयोगिता एवं मूल्य का अनुपात समान होना चाहिए।

मार्शल ने भी यही निष्कर्ष दिया था लेकिन उसका सिद्धांत अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित है।

प्रत्येक उदासीन वक्र उस वस्तु संयोगों का गमन पथ है जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टि मिलती है।

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

उदासीन वक्र पर

Y के बदलने से संतुष्टि में कमी = X के बढ़ने से संतुष्टि में वृद्धि

-∆Y . MUY = ∆X . MUX

`-\frac{\triangle Y}{\triangle X}=\frac{MU_x}{MU_y}`

Slope of I.C = `=\frac{MU_x}{MU_y}`

अतः उदासीन वक्र की ढाल X एवं Y के सीमांत उपयोगिता के अनुपात होता है।

Price Line मूल्य (आय, बजट,व्यय) रेखा - मूल्य रेखा उन वस्तु संयोगों का गमन पथ है जिनमें से किसी को भी क्रय करने से उपभोक्ता की सारी आय व्यय हो जाती है।

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

AB मूल्य रेखा है, उपभोक्ता अपनी सारी आय से X का OB या Y का OA इकाई क्रय कर सकता है।

X . Px + YPy = M

यह मूल्य रेखा का समीकरण है

रेखाचित्र से स्पष्ट है।

OA = PY . M ----(i)

OB = PX . M ----(ii)

समीकरण (i) एवं (ii) से

OA . PY = OB . PX

`\frac{OA}{OB}=\frac{P_x}{P_y}`

Slope of Price Line `=\frac{P_x}{P_y}`

रेखा चित्र द्वारा स्पष्टीकरण - हिक्स के उपभोक्ता संतुलन सिद्धांत को निम्नलिखित रेखा चित्र से स्पष्ट किया जा सकता है।

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

मान लीजिए उपभोक्ता का उपयोगिता फलन

U = ƒ (q1 , q2)

तथा उसका बजट प्रतिबंध है।

Y = P1q1 + P2q2

या, `q_2=\frac{Y-P_1q_1}{P_2}`

q2 के मान को उपयोगिता फलन में रखने पर

`U=ƒ\left[q_1,\frac{Y-P1q1}{P_2}\right]`

उपयोगिता अधिकतम करने पर

`\frac{dU}{dq_1}=0`

पर्याप्त शर्त

`\frac{d^2U}{d^2q_1}<0`

उपर्युक्त उपयोगिता फलन को q1 के सापेक्ष अवकलन कर उसका मूल्य शून्य के बराबर करने पर।

`\frac{dU}{dq_1}=ƒ_1+ƒ_2\left(\frac{-P_1}{P_2}\right)=0`

या, `ƒ_1=+ƒ_2\left(\frac{P_1}{P_2}\right)`

`\frac{ƒ_1}{ƒ_2}=\frac{P_1}{P_2}`

चूंकि `\left(\frac{ƒ_1}{ƒ_2}\right)` प्रतिस्थापन की सीमांत दर है अतः उपभोक्ता उस बिन्दु पर संतुलन में होगा जहां MRS कीमतों के अनुपात के बराबर होंगी।

उपर्युक्त रेखाचित्र में उदासीन वक्रो की संख्या 6 है। उपभोक्ता IC1, IC2 रह सकता है IC3 रेखा बजट रेखा AB को बिंदु पर स्पर्श करता है जहां वह का OQ एवं Y का OP इकाइयों पर भी है इसलिए उपभोक्ता की सारी आय खर्च हो जाती है। बिंदु उपभोक्ता संतुलन का बिंदु है।

उदासीनता रेखा प्रणाली की श्रेष्ठता

उदासीनता रेखा प्रणाली द्वारा उपभोक्ता के संतुलन की व्याख्या मार्शल की व्याख्या से वस्तुतः भिन्न है, जबकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसे मार्शल की व्याख्या की तरह ही माना है। मार्शल के सिद्धांत से इसकी श्रेष्ठता कई बातो से स्पष्ट झलकती है। यथा -

(1) सुविधाजनक एवं वास्तविक :- मार्शल ने उपभोक्ता के व्यवहार की व्याख्या इस आधार पर की थी कि उपयोगिता को उसी प्रकार मापा और जोड़ा जा सकता है जिस प्रकार पदार्थ की लम्बाई और वजन को नापा और जोड़ा जा सकता है। अतः मार्शल के अनुसार उपयोगिता को संख्या में मापा जा सकता है। आलोचकों ने इसे गलत माना है। उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है जिसे संख्या में नही व्यक्त किया जा सकता है। एक ग्लास पानी पीने पर 10 इकाई उपयोगिता ही मिलती है, 11 इकाई नहीं, यह कोई निश्चित पूर्वक नहीं कह सकता है।

उदासीनता रेखा प्रणाली उपयोगिता के तुलनात्मक माप या क्रम माप पर आधारित है। अत: यह ज्यादा वास्तविक है और श्रेष्ठ भी । यहाँ केवल यह जानने की आवश्यकता होती है कि कौन सी उदासीनता की रेखा अधिक ऊपर है और कौन कम पर है। कितना कम या कितना अधिक यजानने की जरूरत यहाँ नहीं होती।

(2) अवास्तविक मान्यता से छुटकारा :- मार्शल ने उपभोक्ता के व्यवहार के विश्लेषण में यह मान लिया था कि मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर रहती है। इसके पक्ष में मार्शल ने यह कहा था कि उपभोक्ता किसी एक वस्तु पर अपनी आय का एक छोटा सा अंश खर्च करता है। उस छोटे अंश की सीमांत उपयोगिता स्थिर रहती है।

हिक्स को मार्शल की तरह मुद्रा की सीमांत उपयोगिता को स्थिर मानने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह हिक्स के सिद्धांत को श्रेष्ठ बना देता है।

(3) आय प्रभाव एवं प्रतिस्थापन प्रभाव की स्पष्ट व्याख्या :- उदासीनता रेखा की श्रेष्ठता इस बात से भी स्पष्ट होती है कि यह आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव की व्याख्या करता है। मार्शल ने यह बताया था कि कीमत के कम होने पर वस्तु की मांग बढ़ती है। ऐसा केवल प्रतिस्थापन प्रभाव के कारण होता है। हिक्स ने उदासीनता रेखा प्रणाली के माध्यम से यह दिखलाया है कि मूल्य के कम होने पर मांग में वृद्धि दो कारणों से होती है- य प्रभाव तथा प्रतिस्थापन के कारणहिक्स की व्याख्या की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव को अलग-अलग करके दिखला दिया। इसे इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है -

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

रेखाचित्र में वस्तु x की क्रय मात्रा पर विभिन्न प्रभाव इस प्रकार है

कीमत प्रभाव = MN

प्रतिस्थापन प्रभाव = MK

आय प्रभाव = KN

चित्र में MN = MK + KN

अथवा, कीमत प्रभाव = प्रतिस्थापन प्रभाव + आय प्रभाव

(4) महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं के विश्लेषण में सक्षम :- मार्शल यह मान लेता है कि एक वस्तु की उपयोगिता केवल इसी वस्तु पर निर्भर करती है, दूसरी वस्तु से वह प्रभावित नहीं होती है। मार्शल ने अपने को केवल एक पदार्थ वाले विश्लेषण तक सीमित रखा। वे किसी बहु-पदार्थ उदाहरण का ठीक-ठीक विश्लेषण नहीं कर सके। अत: वे प्रतिस्थापन एवं पूरकता के सम्बन्ध की व्याख्या ठीक-ठीक नहीं कर सके है। तटस्थता वक्र विश्लेषण इन समस्त अवस्थाओं का संतोषजनक उत्तर देता है।

(5) पूर्व मान्यताओं का न्यूनतम आश्रय :- उदासीनता रेखा प्रणाली की एक विशेषता यह है कि यह हमें उपभोक्ता संतुलन की उसी शर्त पर पहुंचा देती है जिस पर मार्शल पहुंचता है, परन्तु इस परिणाम पर पहुंचने में उदासीनता रेखा प्रणाली को कम मान्यताओं अथवा पूर्वधारणा‌ओं का आश्रय लेना पड़ता है। मार्शल की तरह इनकी पूर्वधारणाये अयथार्थ नहीं है।

(6) व्यापक सिद्धांत :-  उदासीनता रेखा प्रणाली पर आधारित माँग सिद्धांत मार्शल के माँग सिद्धांत से अधिक व्यापक है। उदासीनता रेखा प्रणाली से ये तीन स्थितियां स्पष्ट होती है -

(a) जब आय प्रभाव धनात्मक होता है तो कीमत के घटने पर माँग बढ़ती है।

(b) जब ऋणात्मक आय प्रभाव प्रतिस्थापन प्रभाव से कम होता है तो भी कीमत के कम होने पर मांग बढती है।

(c) जब ऋणात्मक आय प्रभाव प्रतिस्थापन प्रभाव से अधिक होता है तो कीमत के घटने पर मांग कम हो जाती है।

इस तीसरी स्थिति की कल्पना मार्शल ने नहीं की थी।

(7) गिफेन विरोधाभास का संतोषजनक उत्तर :- गिफेन विरोधाभास को मार्शल ने माँग के सिद्धांत का अपवाद मान लिया था। मार्शल गिफेन पदार्थों की निराली स्थिति का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके । उनके लिए तो यह एक पहेली या विरोधाभास बना रहा। हिक्स का इस सम्बन्ध में यह स्पष्टीकरण है कि ऋणात्मक आय प्रभाव इतना शक्तिशाली है कि वह धनात्मक प्रतिस्थापन प्रभाव को पछाड़ देता है। इसलिए जब किसी गिफिन पदार्थ की कीमत कम होती है तो उसकी मांग भी कम हो जाती है

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

उपर्युक्त रेखाचित्र में एक गिफन वस्तु के लिए अनधिमान वक्रों IC1IC2, और IC3 तथा विभिन्न बजट रेखाओं PL1, PL2तथा PL3  जो कि वस्तु की विभिन्न कीमतों को व्यक्त करती है को खींचा गया है। गिफन पदार्थ का कीमत उपभोग वक्र PCC पीछे को मुड़ता हुआ होता है।

चित्र के ऊपरी भाग को देखने पर ज्ञात होता है कि जब बजट रेखा PL1 है (कीमत P1) तो उपभोक्ता कीमत उपभोग वक्र PCC के बिन्दु Q1 पर संतुलन में है और वस्तु की OM1 मात्रा खरीद रहा है। कीमत के P1 से गिरकर P2 हो जाने और फलस्वरूप बजट रेखा के PL1 से PL2 को सरक जाने पर उपभोक्ता बिन्दु Q2 पर संतुलन में हो जाता है और अब वह वस्तु की OM2 मात्रा को क्रय करता है। चित्र से स्पष्ट है कि OM2 मात्रा OM1 की अपेक्षा कम है। अतः यहाँ पर वस्तु की कीमत के P1 से घट कर P2 हो जाने पर वस्तु की मात्रा भी घट गई है। इसी प्रकार जब वस्तु की कीमत और घट कर P3 तक पहुंच जाती है जिससे बजट रेखा PL3 हो जाती है तो उपभोक्ता बिंदु Q3 पर संतुलन में है और इस पर वस्तु की OM3 मात्रा खरीदता है जो OM2 से कम है।

इन विभिन्न कीमतों पर क्रय-मात्राओं की जानकारी से हम चित्र के निचले भाग में मांग वक्र बनाते हैं। चित्र के निचले भाग से स्पष्ट होगा कि गिफन पदार्थ का मांग वक्र ऊपर को चढ़ता हुआ है जो कि यह दर्शाता है कि वस्तु की मांग-मात्रा उसकी कीमत में परिवर्तन की दिशा में बदलती है अर्थात्‌ जब कीमत बढ़ती है तो उसकी माँग मात्रा भी बढ़ती है और जब कीमत घटती है तो उसकी माँग मात्रा भी घटती है।

माँग अनुसूची

बजट रेखा

वस्तु X की कीमत

वस्तु की क्रय मात्रा

PL1

`\frac{OP}{OL_1}` or P1

OM1

PL2

`\frac{OP}{OL_2}` or P2

OM2

PL3

`\frac{OP}{OL_3}` or P3

OM3


गणितीय विश्लेषण

Dt = α + apt --------(1)

St = β + bpt --------(2)

For equilibrium

Dt = St =`\overline X`

`\overline X` = α + apβ + bpt

or, α + apβ + bpt

or, α – β = bpt - apt

or, α – β = pt (b – a)

or, `p_t=\frac{\alpha-\beta}{b-a}`

Putting the value of Dt

`D_t=\alpha+\frac{a\left(\alpha-\beta\right)}{b-a}`

`D_t=\frac{\alpha\left(b-a\right)+a\left(\alpha-\beta\right)}{b-a}`

`D_t=\frac{b\alpha-a\alpha+a\alpha-a\beta}{b-a}`

`D_t=\frac{b\alpha-a\beta}{b-a}` {Demand}

we know that slope of demand curve we obtain first derivative eqution (1)

`\frac{d\left(D_t\right)}{dp_t}=a`

अतः गिफिन वस्तुओ की माँग वक्र की ढाल धनात्मक होते है।

आलोचनात्मक समीक्षा

हिक्स की व्याख्या मार्शल से श्रेष्ठ है, लेकिन हिक्स की श्रेष्ठता को प्रो. रॉबर्टसन, प्रो नाइट, आर्मस्ट्रांग, सैम्युलसन आदि अर्थशास्त्रियों ने अस्वीकार किया है।

प्रो. नाइट ने कहा है, "मांग का उदासीनता रेखा विश्लेषण आगे उठा कदम नहीं है बल्कि वस्तुतः पीछे की ओर उठा एक कदम है।"

प्रो. रॉबर्टसन ने उदासीनता रेखा प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रणाली मार्शल की प्रणाली की तरह है। इस विश्लेषण‌ में नया कुछ भी नहीं है। यह 'नयी बोतल में पुरानी शराब' वाली कहावत को दुहराता है। यह मार्शल के सिद्धान्त का रुपान्तर मात्र लगता है। देखा जाय तो मार्शल का उपयोगिता विश्लेषण एवं उदासीनता रेखा प्रणाली ही आटे की बनी बनायी रोटियाँ है। यदि कोई अन्तर है तो वह सिर्फ शब्दो का है। जैसे उपयोगिता के स्थान पर अधिमान या पसन्दगी मार्शल ने उपयोगिता को मापने के लिए 1, 2, 3 --- सख्यात्मक क्रम को अपनाया जबकि हिक्स ने इसके स्थान पर प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय क्रम संख्याओं का प्रयोग किया है। इसी प्रकार सीमांत उप‌योगिता तथा सीमांत उपयोगिता ह्मस नियम के स्थान पर उदासीनता रेखा प्रणाली में क्रमशः प्रतिस्थापन की दर तथा घटती हुई प्रतिस्थापन सीमान्त दर का प्रयोग किया गया है। इसी तरह उपभोक्ता के संतुलन की दशा में भी समानता है। मार्शल के समीकरण-

`\frac{MU\of\X}{Price\of\X}=\frac{MU\of\Y}{Price\ofY}=\frac{MU\of\Z}{Price\of\Z}`

के स्थान पर इस समीकरण का प्रयोग किया गया है।

`MRS_{xy}=\frac{P_x}{P_y}`

इन दोनो समीकरणों में कोई अन्तर नही है।

प्रो. रॉबर्टसन ने यह भी बताया कि हिक्स की सीमांत प्रतिस्थापन दर के विश्लेषण में उपयोगिता का संख्यात्मक माप निहित है। जैसे जैसे किसी वस्तु की मात्रा हमारे पास बढ़ती जाती है, उसके लिए हम दूसरी वस्तु का कम त्याग करते है अर्थात् जब मात्रा बढ़ती है तो सीमांत उपयोगिता घटती जाती है और इसी के बराबर हम त्याग करते हैं। इसीलिए हिक्स तथा एलेन ने एक जगह स्वीकार भी किया - "घटती हुई सीमांत प्रतिस्थापत दर सिद्धांत उतना ही निश्चित या अनिश्चित है जितना कि सीमांत उपयोगिता ह्मस नियम"

पुनः यह कहना कि प्रत्येक उपभोक्ता इतना समझदार होता है कि वह उदासीनता मानचित्र को समझ लेता है तथा विभिन्न संयोगों एवं कीमत रेखा की समझ उसको रहती है, गलत होगा। हिक्स ने इसे स्वीकार किया और लिखा, "यह पूर्वमान्यता इतनी अवास्तविक है कि उपभोक्ता संतुलन की व्याख्या में बाधक बनना ही था।"

Prof. आर्मस्ट्रांग ने यह बताया है कि उपभोक्ता विभिन्न संयोगों के प्रति उदासीन रहता है इसका कारण उसकी अज्ञानता है। प्रो. आर्मस्ट्रांग के अनुसार जब विभिन्न संयोग बहुत निकट रहते है तो एक सामान्य उपभोक्ता उनमें अन्तर ही नहीं कर पाता है।

क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण की श्रेष्ठता (Superiority of Ordinal Utility Analysis)

A, B, C तीन संयोग है जिनमें अन्तर करना कठिन हो जाता है।

प्रो. शुम्पीटर ने उदासीनता रेखा प्रणाली को अधूरा कहा है। यह प्रयोग द्वारा जाँचे गये संख्यात्मक डाटा पर आधारित नहीं है, बल्कि यह काल्पनिक प्रयोग पर आधारित है।

प्रो. सैम्युल्सन ने उदा‌सीनता रेखा प्रणाली को आत्म निरीक्षण माना है। इसके विकल्प में उन्होने व्यवहारवादी सिद्धांत का प्रतिपादन किया है।

निष्कर्ष

उदासीनता रेखा प्रणाली के विश्लेषण, उसके गुण एवं उसकी आलोचनाओं को देखने के बाद हम इस निष्कर्ष पर आते हैं कि यह उपयोगिता विश्लेषण की तुलना में कहीं अधिक उपयुक्त तथा श्रेष्ठ है। इसे 'नई बोतल में पुरानी शराब' नहीं कह सकते है। वास्तव में यह सम्पूर्ण उपयोगिता विश्लेषण पर एक सुधार है। हिक्स की यह बात पूर्ण सत्य लगती है- "यह उपभोक्ता मांग सिद्धांत में एक रचनात्मक परिवर्तन है।"

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