प्रश्न :- सम उत्पाद वक्र से क्या समझते है? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें?
☞ समोउत्पादक वक्रो से आप क्या
समझते हैं, इनकी विशेषताओं का वर्णन करें
☞ सम उत्पाद रेखाएँ क्या है? इनकी प्रमुख विशेषताओं
की व्याख्या कीजिये ?
उत्तर :- अर्थशास्त्र में समोउत्पाद
रेखा की विवेचना करने वाले विद्वानों में प्रो. हिक्स, फ्रिश, बोल्डिंग,
स्नीडर आदि अर्थशास्त्रीयों
का प्रमुख स्थान है। इन अर्थशास्त्रियो ने उत्पादन के विभिन्न तत्वों के संयोग के सिद्धांत
को समोत्पाद वक्र की सहायता से वैज्ञानिक ढंग से समझाने का प्रयास किया है। सम
उत्पाद रेखा को कभी-कभी उत्पादन का तटस्थता वक्र भी कहा जाता है।
जिस प्रकार उदासीन वक्र दो वस्तुओं के उन संयोगों
को व्यक्त करता है जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टी प्राप्त होती है। उसी प्रकार समउत्पाद
वक्र उन दो
साधनों के विभिन्न संयोगों को बतलाता है, जिनसे समान मात्रा में उत्पादन होती
हैं।
जिस प्रकार उपभोग में कई वस्तुओं का एक साथ उपभोग किया
जाता है उसी प्रकार उत्पादन में भी विभिन्न साधनों का एक साथ प्रयोग किया जाता है।
इसी प्रकार दोनो स्थिति में समान संतुष्ट मिलती है। सुविधा के लिए हम केवल दो उत्पत्ति
के साधनों के विभिन्न संयांगों को लेते हैं, जो कि समान
उत्पादन प्रदान करते हैं, साधनों के ऐसे विभिन्न संयोग को जिन वक्र रेखाओ से व्यक्त किया जाता है, उन्हें सम उत्पाद की रेखाएं कहते
हैं।
सम उत्पाद रेखा का अर्थ
सम उत्पाद रेखा उत्पत्ति के दो साधनों के उन विभिन्न संयोगों को बतलाती है.
जिनमे एक फर्म उत्पादन की समान मात्रा उत्पादित करती हैं। सम उत्पाद की वक्र आगतो
के उनके विभिन्न संयोगो को बतलाती है जिनसे उत्पादन का समान स्तर प्राप्त किया जा
सके। तथा समत्पाद वक्र के माध्यम से उत्पादक, उत्पादन में साधनों को इस अनुपात
में लगाता है कि कम लागत पर अधिक लाभ हो सके। इस प्रकार सम उत्पाद रेखाओ को ISO
अर्थात Iso quant Curves भी कहते हैं। इसमे ISO का अर्थ बराबर तथा Quants का अर्थ
मात्रा है।
परिभाषा
Wickstead के अनुसार, "समउत्पाद वक्र उन दो साधनों के विभिन्न संयोग को
बतलाता है, जो समान मात्रा में उत्पादन को व्यक्त करते हैं।"
मान लिया कि 200 कलमो के उत्पादन की मात्रा श्रम तथा पुंजी के विभिन्न संयोगो
से प्राप्त किया जा सकता है।
संयोग |
श्रम की मात्रा |
पूँजी की मात्रा |
उत्पादन की ईकाई |
A |
1 |
20 |
200 |
B |
2 |
16 |
200 |
C |
3 |
13 |
200 |
D |
4 |
11 |
200 |
E |
5 |
10 |
200 |
तालिका से स्पष्ट है, कि A संयोग श्रम की 1 तथा पुंजी की 20
इकाई से
उत्पादन 200 कलम के बराबर हैं।
उसी प्रकार B संयोग, श्रम की 2 तथा पुंजी की 16, C संयोग श्रम
की 3 तथा पुंजी की 13 D संयोग श्रम की 4 तथा पुंजी की 11 तथा संयोग
E श्रम की 5 तथा पुंजी की 10 ईकाईयो से 200 कलमो का उत्पादन होता हैं।
सम उत्पाद रेखा को एक चित्र द्वारा व्यक्त कर सकते है।
उपर्युक्त रेखाचित्र में IQ सम उत्पाद रेखा है। इस रेखा पर
A,B,C,D विभिन्न संयोग है। A,B,C,D उत्पादन के दो साधन X तथा Y के
विभिन्न संयोग हैं, जो समान कुल उत्पादन 200 इकाईयां प्रदान करते हैं। उत्पादक इन संयोगों के प्रति तटस्थ रहता है। इसलिए सम उत्पाद रेखाओं को
उत्पाद तटस्थता वक्र के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यताएँ
1. माना
जाता है कि उत्पादन दो साधनो से संभवतः होता हैं।
2. तकनीकी
दशाएं स्थिर होती हैं।
3. उत्पादन के सभी साधन छोटी-छोटी ईकाईयो में विभाजित रहती है।
4. उत्पत्ति
के तकनीकी दशाओं के अंतगर्त प्रयुक्त किए जाने वाले पूर्ण कुशलता से दिखाये जाते
हैं।
समउत्पाद वक्र तथा उदासीन वक्र में अंतर
उदासीन वक्र |
समोउत्पाद |
1. इसमे
दो वस्तुओं के संयोग को बताया जाता है। |
1. इसमे दो साधनों के संयोग को बताया जाता है। |
2. इसमे
उपभोक्ता के व्यवहार को दिखाया जाता है। |
2. इसमे
उत्पादक के आचरण को बताया जाता है। |
3. इस
वक्र में जिस प्रकार उपभोक्ता सीमांत आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार व्यक्त
करता है कि अधिकतम संतुष्टी प्राप्त हो सके। |
3. इस वक्र में
उत्पादक, उत्पादन कार्य में साधनों को इस प्रकार लगाता है, कि कम लागत पर अधिक
लाभ हो सके। |
4. इस
वक्र में जिस प्रकार उपभोग में एक साथ अनेक वस्तुओं का उपयोग होता है। |
4. इस
वक्र में उत्पादन मे विभिन्न साधनों का एक साथ उपयोग होता हैं। |
विशेषता
1. सम-उत्पाद रेखाएँ ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है, तथा इसकी ढाल ऋणात्मक होती है :
Now, Q = ƒ (L,C)
`\frac{dQ_1}{dL}=ƒL(L,C)`
or, `dQ_1=ƒL(L,C)dL----(1)`
`\frac{dQ_2}{dC}=ƒC(L,C)`
or, `dQ_2=ƒC(L,C)dC----(2)`
`\therefore` इसलिए कुल उत्पादन
`dQ=dQ_1+dQ_2`
`or,dQ=ƒL(L,C)dL+ƒC(L,C)dC`
लाभ अधिकतम करने पर
`dQ=0`
`\therefore ƒL(L,C)dL+ƒC(L,C)dC=0`
`or,ƒL(L,C)dL=-ƒC(L,C)dC`
`\therefore Slope\frac{dC}{dL}=-\frac{ƒL(L,C)dL}{ƒC(L,C)dC}(Negative)`
सम उत्पाद रेखा की ढाल शुरू में तीखी होती है, परन्तु बाद में
चिपटी हो जाती है। इस तरह की आकृति के बनने के कारण तकनीकि प्रतिस्थापन ह्मसमान
समांतर होती हैं।
a. सम उत्पाद, रेखा लम्बत् नहीं हो सकती :- यदि यह मान लिया जाए कि सम उत्पाद रेखा लम्बत् है तो यह रेखा सम उत्पाद रेखा के अनुकूल आचरण नहीं करेंगी।
चित्र में, A and B are on IQ1
इसलिए OM of X + ON of Y = OM of X + ON1 of Y
इसलिए ON of Y = ON1 of Y
उपयुक्त रेखाचित्र में IQ सम उत्पाद रेखा है जिस पर A, B दो
विभिन्न संयोग है और दोनो संयोग में एक साधन X एक
ही अनुपात में प्रयोग होता है जो अनुचित हैं।
b. सम-उत्पाद वक्र क्षैतिज नहीं हो सकती :- यदि सम उत्पाद वक्र क्षैतिज हो तो यह सम उत्पाद रेखा के अनुकूल आचरण नहीं करेगी।
चित्र में, A and B are on IQ1
इसलिए OM of X + ON of Y = OM1 of X + ON of Y
इसलिए OM of X = OM1 of X
चित्र में A,B संयोग में साधन Y एक ही अनुपात में प्रयोग
हो रहा है, जो अनुचित हैं।
c. सम-उत्पाद वक्र बाएं से दाएं ऊपर की ओर उठती रेखा नहीं हो सकती :- यदि ऐसा हुआ तो वह रेखा समउत्पाद वक्र के जैसा आचरण नहीं करेगी।
चित्र में, A and B are on IQ1
इसलिए OM of X + ON of Y = OM1
of X + ON1 of Y
उत्पादक को अधिकतम संतुष्टि नहीं होगी क्योंकि
OM of X < OM1 of X और ON of Y < ON1 of Y1
चित्र में IQ समउत्पाद वक्र है, जो ऊपर की ओर जाती है, जो अनुचित हैं।
2. सम उत्पाद रेखा एक दूसरे को नहीं काटती :- अगर ऐसा हो तो प्राप्त निष्कर्ष गलत निकलेगा ।
माना सम उत्पाद वक्र एक दूसरे को A बिंदु
पर काटते हैं।
A तथा C
एक ही समउत्पाद वक्र पर है।
इसलिए P(A) = P(C) ----(1)
A तथा B एक ही समउत्पाद वक्र पर है।
इसलिए P(A) = P(B) ---(2)
समीकरण (1) तथा (2) से
P(C) = P(B) ---(3)
जबकि चित्र से स्पष्ट है, कि
P(B)> P(C)
अतः समीकरण (3) गलत इसलिए है क्योंकि यहाँ IQ1 और
IQ2 समउत्पाद एक एक दुसरे को A बिंदु पर काटते हैं।
3. सम उत्पाद वक्र किसी अक्ष को स्पर्श नहीं करते :-
इस चित्र में A साधन
का उपयोग एक संयोग में शून्य हो गया है, जो संभव नहीं
हैं।
4. सम-उत्पाद वक्र मूल्य बिंदु की ओर उन्नतोदर होती है :-
इसका रेखाचित्र में A > B इसलिए सम उत्पाद रेखा नतोदर नहीं हो सकती है यह
सामान्यतः उन्नतोदर होगी।
5. सम उत्पाद वक्र अनेक हो सकता है :- सम उत्पाद वक्र एक से अधिक हो सकती है क्योंकि प्रत्येक रेखा उत्पादन के अलग-अलग स्तर को बताती हैं। मूल बिंदु से जो भी सम उत्पाद वक्र जितनी दुरी पर होगी यह उत्पादन के उतने ही ऊंचे स्तर को बताता है।
इस रेखाचित्र में IQ1, IQ2,.....IQ4 सम उत्पाद वक्र है।
निष्कर्ष
इस प्रकार सम उत्पाद वक्र ऊपर से नीचे दाहिनी ओर गिरती है ,अक्ष को स्पर्श नहीं करती तथा यह अनेक प्रकार की हो सकती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था (INDIAN ECONOMICS)
व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics)
समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics)
अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade)