मूल्यवर्धन कर (Value Added Tax-VAT) मूल्यवर्धन
कर (Value Added Tax-VAT) अर्थ • मूल्यवर्धन कर एक ऐसा
उत्पादन कर है, जो सदैव बाजार मूल्य के 'उत्पादन' पर लगाया जाता है. और इस कारण एक
विचाराधीन वस्तु की बाजार मूल्य में वृद्धि पर ही आरोपा एवं आंका जाता है। • मूल्यवर्धन कर 'वस्तुपरक' (specific)
न होकर सदैव मूल्यपरक (ad valorem) होता है। • चूँकि मूल्यवर्धन आंकने की
कई विधियाँ हैं अतः उनके तद्नुरूप मूल्यवर्धन कर के भी कई प्रकार हैं। • प्रशासनिक सुविधा के लिए
किसी विचाराधीन वस्तु/सेवा पर मूल्यवर्धन कर एक अथवा एक से अधिक चरणों में वसूला
जा सकता है। ऐसी व्यवस्था में प्रत्येक चरण की कर देयता केवल उसी चरण में होने
वाली मूल्यवृद्धि पर तय की जाती है। • परिणामस्वरूप इसकी वसूली
के चरण जितने भी हों, इसका कुल कराधार तथा इसकी कुल कर-देयता के अनुमानों में
अन्तर नहीं पड़ता। • केवल बाजार-मूल्य में वृद्धि
पर आरोपित होने के कारण स्वभोग (self-consumption) के लिए उत्पादित 'मूल्य' अथवा 'उपयोगिता'
कर-मुक्त रहते हैं। • प्रशासनिक सुविधा के दृष्टिकोण
से एक उत्तम मूल्यवर्धन कर-प्रणाली वह है जिसमें यह कर सभी वस्तुओं और सेवाओं पर …