झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची
PROJECT RAIL CM SOE & Model School (04.08.2025)
SECTION - A (1x6=6) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. योगेश 35,500 डॉलर प्रति
माह के वेतन पर काम कर रहा है। उसे दो नौकरी के प्रस्ताव मिलते हैं: (i) 35,000
डॉलर प्रति माह के वेतन पर अकाउंटेंट के रूप में काम करना। (ii) 30,000 डॉलर प्रति
माह के वेतन पर सेल्स मैनेजर के रूप में काम करना। इस दिए गए मामले में, उसकी अवसर
लागत होगी :
(A)
$35,000
(B) $35,500
(C)
65,500
(D)
70,500
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें और निम्नलिखित में से सही विकल्प
चुनेंः
कथन
1: बहुवचन अर्थ में, 'सांख्यिकी' शब्द का अर्थ सांख्यिकीय विधियाँ हैं।
कथन
2: सांख्यिकीय नियम प्रकृति में संभाव्य होते हैं, सटीक नहीं होते।
(A)
दोनों कथन सत्य हैं
(B) दोनों कथन असत्य हैं
(C) कथन 1 सत्य है और कथन 2 असत्य है
(D) कथन 1 असत्य है और कथन 2 सत्य है
3. इनमें से कौन सा कथन 'उत्पादन संभावना वक्र' के बारे में सत्य है?
(A)
यह दो वस्तुओं के विभिन्न संयोजनों को दर्शाता है जो संतुष्टि का एक ही स्तर प्रदान
करते हैं।
(B) यह दो वस्तुओं के विभिन्न संयोजनों को दर्शाता है जो एक अर्थव्यवस्था
संसाधनों और प्रौद्योगिकी की एक निश्चित मात्रा के साथ उत्पादित कर सकती है।
(C)
यह दो वस्तुओं के विभिन्न संयोजनों को दर्शाता है जो एक अर्थव्यवस्था एक निश्चित बजट
के साथ उत्पादित कर सकती है। के साथ उत्पादित कर
(D)
यह दो वस्तुओं के विभिन्न संयोजनों को दर्शाता है जो एक अर्थव्यवस्था एक निश्चित समय
के साथ उत्पादित कर सकती है।
4. निम्नलिखित कथनों को पढ़ेंः अभिकथन (A) कारण (R)। सही विकल्पों में
से एक चुनें:
अभिकथन
(A): नमूनाकरण विधि एक किफायती विधि है।
कारण
(R): नमूनाकरण के तहत, डेटा का विश्लेषण जनसंख्या के केबल एक हिस्से तक ही सीमित है।
(A) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सत्य हैं और कारण (R), अभिकथन
(A) की सही व्याख्या है।
(B) अभिकथन
(A) और कारण (R) दोनों सत्य हैं और कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(C) अभिकथन (A) सत्य है लेकिन कारण (R) गलत है।
(D) अभिकथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है
5. निम्न में से कौन सी प्राथमिक डेटा एकत्र
करने की विधि है?
(A) अप्रत्यक्ष मौखिक जांच
(B) टेलीफोनिक साक्षात्कार
(C) संवाददाताओं द्वारा जानकारी संवाददात
(D) उपर्युक्त सभी
6. अर्थशास्त्र अध्ययन है:
(A) समाज अपने असीमित संसाधनों का प्रबंधन कैसे करता है
(B) अपनी इच्छाओं को तब तक कैसे कम किया जाए जब तक कि हम
संतुष्ट न हो जाएं
(C) समाज अपने सीमित संसाधनों का प्रबंधन कैसे
करता है
(D) अपनी सीमित इच्छाओं को पूरी तरह से कैसे संतुष्ट किया
जाए
SECTION - B (4x2=8) (Short Answer Type)
7. 'सांख्यिकी के प्रति अविश्वास' से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर - सांख्यिकी
के प्रति अविश्वास का अर्थ है सांख्यिकीय विधियों और कथनों में विश्वास की कमी। सांख्यिकी
द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बावजूद, इसकी विश्वसनीयता और उपयोगिता के संबंध
में लोगों के मन में काफी अविश्वास मौजूद है। इस अविश्वास का कारण बेईमान, गैर-जिम्मेदार,
अनुभवहीन और बेईमान व्यक्तियों द्वारा सांख्यिकीय उपकरणों का अनुचित उपयोग है।
8. नमूना, जनसंख्या और चर के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर - (i) किसी स्कूल में सभी छात्रों की औसत ऊंचाई के अध्ययन में,
जनसंख्या स्कूल के सभी छात्र होंगे, नमूना सर्वेक्षण के लिए चुने गए छात्रों की संख्या
होगी और चर छात्रों की ऊंचाई होगी।
(ii)
एक अन्वेषक एक शहर में 1000 परिवारों
के मासिक व्यय की जांच करने में रुचि रखता है। अन्वेषक ने साक्ष्य रिकॉर्ड करने के
लिए 120 परिवारों का चयन किया। दिए गए मामले में, 1,000 परिवार जनसंख्या है, चुने गए
120 परिवार नमूना हैं और मासिक व्यय चर है।
9. सकारात्मक और आदर्शात्मक अर्थशास्त्र के बीच अंतर करें। प्रत्येक
का एक उदाहरण दें।
उत्तर - सकारात्मक
अर्थशास्त्र अतीत, वर्तमान या भविष्य से संबंधित आर्थिक मुद्दों से संबंधित है, अर्थात
सकारात्मक अर्थशास्त्र बताता है कि दी गई परिस्थितियों में क्या था, क्या है या क्या
होगा। ये कथन कोई मूल्य निर्णय नहीं देते हैं। उदाहरण के लिए, भारत एक अति-जनसंख्या
वाला देश है या कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
आदर्शात्मक अर्थशास्त्र हमें बताता है कि 'क्या होना चाहिए'।
मानक अर्थशास्त्र इस बात से संबंधित है कि क्या होना चाहिए या आर्थिक समस्याओं को कैसे
हल किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, भारत एक अति-जनसंख्या वाला देश नहीं होना चाहिए
या कीमतें नहीं बढ़नी चाहिए।
10. प्राथमिक डेटा से आपका क्या अभिप्राय है? प्राथमिक डेटा एकत्र करने
की विभिन्न विधियों का उल्लेख करें।
उत्तर - प्राथमिक
डेटा वह डेटा है जिसे मूल रूप से किसी अन्वेषक या एजेंसी द्वारा किसी विशिष्ट उद्देश्य
के लिए पहली बार उसके मूल स्रोत से एकत्र किया जाता है।
प्राथमिक डेटा एकत्र करने की विभिन्न विधियाँ हैं। प्राथमिक
डेटा एकत्र करने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली विधियाँ हैं,
1. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत जाँच
2. अप्रत्यक्ष मौखिक जाँच
3. संवाददाताओं से जानकारी
4. मेल द्वारा भेजी गई प्रश्नावली विधि और
5. गणनाकर्ताओं द्वारा भरी गई प्रश्नावली।
SECTION - C (2x3=6) (Long Answer Type)
11. संक्षिप्त नोट लिखें: (i) भारत की जनगणना; (ii) राष्ट्रीय नमूना
सर्वेक्षण संगठन ।
उत्तर: भारत की जनगणना : भारत की जनगणना जनसंख्या का सबसे पूर्ण और निरंतर जनसांख्यिकीय
रिकॉर्ड प्रदान करती है। जनगणना आयोजित करने की जिम्मेदारी भारत सरकार के गृह मंत्रालय
के तहत रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त, भारत के कार्यालय पर है। भारतीय जनगणना जनसांख्यिकी,
अर्थशास्त्र, मानवविज्ञानी, समाजशास्त्र, सांख्यिकी और कई अन्य विषयों में विद्वानों
और शोधकर्ताओं के लिए डेटा का आकर्षक स्रोत रही है। जनगणना जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं
जैसे आकार, घनत्व, लिंग-अनुपात, साक्षरता, प्रवास, ग्रामीण-शहरी वितरण आदि पर जानकारी
एकत्र करती है। 1881 से हर 10 साल में नियमित रूप से जनगणना की जा रही है। आजादी के
बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी। भारत की सबसे हालिया जनगणना 2011 में की गई थी। यह
एक अखंड श्रृंखला में 15वीं जनगणना थी और 1947 में आजादी के बाद 7वीं थी भारत सरकार
ने भारत की 16वीं जनगणना के आयोजन को आधिकारिक रूप से अधिसूचित कर दिया है, जो
2027 में होगी। जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी,पहला चरण (हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग
सेंसस) 1 अक्टूबर 2026 को शुरू होगा और दूसरा चरण (जनसंख्या गणना) 1 मार्च 2027 से
शुरू होगा, जो पूरे देश के लिए होगा।
राष्ट्रीय
नमूना सर्वेक्षण संगठन : राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण 1950 में दिवंगत प्रोफेसर पीसी
महालनोबिस की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय आय समिति की सिफारिश पर स्थापित किया गया था।
एनएसएस की स्थापना का मूल उद्देश्य विशेष रूप से अर्थव्यवस्था के असंगठित घरेलू क्षेत्र
के संबंध में राष्ट्रीय आय समुच्चय की गणना के लिए सांख्यिकीय आंकड़ों में बड़े अंतराल
को भरना था। मार्च 1970 में एनएसएस को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के रूप में
पुनर्गठित किया गया एनएसएसओ साक्षरता, स्कूल नामांकन, शैक्षिक सेवाओं का उपयोग, रोजगार,
बेरोजगारी, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के उद्यम, रुग्णता, मातृत्व बाल देखभाल, सार्वजनिक
वितरण प्रणाली का उपयोग आदि का समय-समय पर अनुमान प्रदान करता है। एनएसएसओ ने उद्योगों
के वार्षिक सर्वेक्षण का क्षेत्र कार्य भी किया, फसल अनुमान सर्वेक्षण का संचालन किया,
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्याओं के संकलन के लिए ग्रामीण और शहरी खुदरा कीमतें एकत्र
कीं। एनएसएसओ तीन प्रकार के सर्वेक्षणों में शामिल है:
(i) सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण;
(ii) उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण; और
(iii) कृषि सर्वेक्षण।
एनएसएसओ संगठन में चार प्रभाग हैं:
1- सर्वेक्षण डिजाइन और अनुसंधान प्रभाग (एसडीआरडी)
2- फील्ड ऑपरेशन डिवीजन (एफओडी)
3- डाटा प्रोसेसिंग डिवीजन (डीपीडी)
4- समन्वय और प्रकाशन प्रभाग (सीपीडी) एनएसएसओ सांख्यिकी
मंत्रालय के अधीन काम करता था सरकार ने कहा कि एनएसओ का नेतृत्व सांख्यिकी कार्यान्वयन
मंत्रालय (एमओएसपीआई) करेगा।
12. "दुर्लभता और चुनाव एक साथ चलते हैं"।
टिप्पणी करें।
उत्तर - हम
समाज की दुनिया में रहते हैं। हम सभी बेहतर भोजन, कपड़े, आवास, शिक्षा, मनोरंजन आदि
चाहते हैं। लेकिन संसाधन हमारी सभी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
यहां तक कि सबसे अमीर अर्थव्यवस्था (जैसे अमेरिका) भी लोगों की सभी ज़रूरतों को पूरा
नहीं कर सकती। इसका मतलब है कि संसाधनों की कमी हर अर्थव्यवस्था की आम विशेषता है और
यह विकल्प की समस्या को जन्म देती है, यानी उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम संभव उपयोग
कैसे किया जाए। अगर संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते, तो विकल्प की कोई समस्या
नहीं होती। इसलिए, अर्थशास्त्र कमी की स्थिति में विकल्प की समस्या से संबंधित है।
PROJECT RAIL (06.10.2025)
SECTION - A (6x1=6) (Objective questions)
Q 1) माँग वक्र का सामान्यतः ढाल होता है-
(A)
बायें से दायें ऊपर की ओर
(B) बायें से दायें नीचे की ओर
(C)
X अक्ष के समानान्तर
(D)
लम्बवत्
Q 2) मूल्य वृद्धि से 'गिफिन' वस्तुओं की माँग-
(A) बढ़ जाती है
(B)
घट जाती है
(C)
स्थिर रहती है
(D)
अस्थिर हो जाती है
Q 3) यदि किसी वस्तु के मूल्य में 40% परिवर्तन के कारण माँग में
60% परिवर्तन हो तो माँग की लोच है-
(A)
0.5
(B) -1.5
(C)
1
(D)
0
Q4) खण्डित चरों के लिए अधिक उपयुक्त वर्गान्तर है-
(A)
अपवर्जी
(B) समावेशी
(C)
दोनों
(D)
इनमें से कोई नहीं
Q 5) वर्गीकृत आँकड़ों में सांख्यिकी परिकलन आधारित होता है-
(A)
प्रेक्षणों के वास्तविक मानों पर
(B)
उच्च वर्ग सीमाओं पर
(C)
निम्न वर्ग सीमाओं पर
(D) वर्ग के मध्य बिन्दुओं पर
Q 6) परास का अर्थ है-
(A) अधिकतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों के बीच अन्तर
(B)
न्यूनतम एवं अधिकतम प्रेक्षणों के बीच विभाजन
(C)
अधिकतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों का औसत
(D)
अधिकतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों का अनुपात
SECTION - B (4x2=8) (Short answer questions)
Q 7) सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर - सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता
के बीच महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। दोनों में सम्बन्ध दर्शाने वाले बिन्दु हैं-
(i)
प्रारम्भ में कुल उपयोगिता तथा सीमान्त उपयोगिता दोनों धनात्मक होती हैं।
(ii)
वस्तु की उत्तरोत्तर इकाइयों का उपभोग करने पर कुल उपयोगिता में घटती हुई दर से वृद्धि
होती है। कुल उपयोगिता तब तक बढ़ती है जब तक सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है।
(iii)
सीमान्त उपयोगिता क्रमशः घटती जाती है, एक सीमा पर पहुँचकर शून्य हो जाती है और फिर
ऋणात्मक होने लगती है।
(iv)
जब सीमान्त उपयोगिता शून्य हो जाती है, तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है। यही पूर्ण
सन्तुष्टि का बिन्दु (Point of Saturation) कहलाता है।
(v)
जब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है, तब कुल उपयोगिता घटने लगती है।
Q 8) माँग की कीमत लोच से क्या समझते हैं?
उत्तर
- माँग की कीमत लोच किसी वस्तु की
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा उस वस्तु की माँग में होने वाले प्रतिशत
परिवर्तन का अनुपात है।
माँग की लोच = माँगी गई मात्रा में आनुपातिक परिवर्तन /
कीमत में आनुपातिक परिवर्तन
Q 9) सारणीयन एवं वर्गीकरण में अन्तर कीजिए।
उत्तर - वर्गीकरण
i. वर्गीकरण में आँकड़ों को उनके गुणो के आधार पर वर्गीकृत
किया जाता है। वर्गीकरण, सारणीयन पर आधारित नहीं है।
ii. वर्गीकरण में आँकड़ों को उनकी समानता और असमानता के
अनुसार विभिन्न वर्गों में बाँटा जाता है।
iii. वर्गीकरण सांख्यिकीय विश्लेषण की एक विधि है।
iv. वर्गीकरण के अन्तर्गत ऑकड़ों को वर्गों व उपवर्गों में
बाँटा जाता है।
v. वर्गीकरण में प्रतिशत, अनुपात आदि नहीं दिखाये जाते है।
सारणीयन
i. वर्गीकरण के बाद आँकड़ों का सारणीयन किया जाता है।
सारणीयन, वर्गीकरण पर आधारित है।
ii. सारणीयन में वर्गीकृत वर्गों को रेखाओं द्वारा विभिन्न
स्तम्भों व पंक्तियों में प्रस्तुत किया जाता है। इस दृष्टि से सारणीयन वर्गीकरण
की यन्त्रात्मक प्रक्रिया है।
iii. सारणीयन आँकड़ों को प्रस्तुत करने की एक प्रक्रिया है।
iv. सारणीयन के अन्तर्गत आँकड़ो को शीर्षकों व उपशीर्षकों
में प्रस्तुत किया जाता है।
v. सारणीयन में प्रतिशत, अनुपात आदि को दिखाया जा सकता है
Q 10) सीमान्त प्रतिस्थापन दर क्या है?
उत्तर - सीमान्त प्रतिस्थापन दर उपभोक्ता के सन्तुष्टि स्तर को समान
बनाये रखने के लिए एक वस्तु की उत्तरोत्तर इकाइयों का दूसरी वस्तु की इकाइयों से
विनिमय स्पष्ट करती है। उदासीनता वक्र के अन्तर्गत उपभोक्ता विभिन्न संयोगों में
एकसमान सन्तुष्टि स्तर बनाये रखने के लिए जब एक वस्तु की इकाइयों को उत्तरोत्तर
बढ़ाता जाता है तो उसे दूसरी वस्तु की इकाइयों का परित्याग करना पड़ता है। किसी
वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता दूसरी वस्तु की जितनी
इकाइयों को छोड़ता है, उसे सीमान्त प्रतिस्थापन दर कहा जाता है।
SECTION - C (2x3=6) (Long answer questions)
Q 11) माँग की कीमत लोच को प्रभावित करने तत्वों को समझाइए।
उत्तर - माँग की लोच निम्नांकित घटकों द्वारा प्रभावित होती है-
(i) वस्तु की प्रकृति (Nature of the Goods) प्रकृति के आधार पर वस्तुएँ तीन
प्रकार की होती हैं-
(a) आवश्यक वस्तु (Necessaries), (b) आरामदायक वस्तु
(Comfortable), (c) विलासिता वस्तु (Luxury) |
आवश्यक वस्तुओं (जैसे नमक, गेहूँ आदि) की माँग लोच बेलोचदार
होती है क्योंकि कीमत घटने अथवा बढ़ने का इन वस्तुओं की माँग पर कोई प्रभाव नहीं
पड़ता। आरामदायक वस्तुओं की माँग लोच साधारण लोचदार (Moderate Elasticity) होती
है। विलासिता की वस्तुओं की माँग लोच अधिक लोचदार होती है।
(ii) स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता (Availability of Substitutes) यदि किसी वस्तु के अन्य
स्थानापन्न उपलब्ध हैं, तब ऐसी वस्तु की माँग की लोच अत्यधिक लोचदार होगी क्योंकि
जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उसके स्थान पर अन्य स्थानापन्न वस्तुओं का
प्रयोग होने लगता है। इसी प्रकार वस्तु की कीमत में कमी होने पर अन्य स्थानापन्न
वस्तुओं के स्थान पर इसका प्रयोग होने लगता है।
(iii) वस्तु के वैकल्पिक प्रयोग (Alternative Uses)- यदि किसी वस्तु का केवल एक प्रयोग ही
सम्भव हो तो उसकी माँग बेलोच होगी और यदि उसके कई प्रयोग सम्भव हों तो माँग लोचदार
होगी।
(iv) उपभोग स्थगन (Postponement of Consumption)-यदि किसी वस्तु का उपभोग
कुछ समय के लिए स्थगित किया जा सकता है तो उसकी माँग लोचदार होती है।
(v) व्यय की राशि (Expenditure Amount)- जिन वस्तुओं पर आय का अधिक भाग व्यय
किया जाता है. उनको माँग अधिक लोचदार होती है तथा जिन वस्तुओं पर उपभोक्ता अपनी आय
का अत्ति सुक्ष्म भाग व्यय करता है. उसकी माँग प्रायः बेलोच होती है।
(vi)
आय स्तर (Income Level)- आय स्तर भी माँग की लोच को
प्रभावित करता है। धनी व्यक्ति के लिए माँग की लोच प्रायः बेलोचदार होती है क्योंकि
वस्तुओं की कीमत बढ़ने का धनी व्यक्ति पर कोई विशेष प्रभाव नहीं होता, जबकि गरीब व्यक्ति
के लिए वस्तु की माँग अत्यधिक लोचदार होती है क्योंकि उनकी माँग कीमतों में वृद्धि
से अत्यधिक प्रभावित होती है।
(vii)
कीमत स्तर (Price Level) माँग की लोच सम्बन्धित वस्तु
के कीमत स्तर पर भी निर्भर करती है। कीमत के ऊँचे स्तर पर माँग की लोच अधिक होगी और
कीमत के नीचे स्तर पर माँग की लोच कम होगी।
(viii)
समय अवधि (Time Period) अल्पकाल में किसी वस्तु की माँग
प्रायः कम लोचदार होती है, जबकि दीर्घकाल में अपेक्षाकृत अधिक लोचदार होती है।
(ix)
संयुक्त माँग अथवा वस्तुओं की पूरकता
(Joint Demand or Complementarity of Goods)- कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनकी माँग
के साथ दूसरी वस्तु की माँग की जाती है। ऐसी वस्तुएँ पूरक कहलाती हैं। ऐसी वस्तुओं
की माँग लोच बेलोचदार होती है।
(x)
स्वभाव एवं आदत (Nature & Habit)- यदि उपभोक्ता किसी
वस्तु विशेष का अभ्यस्त हो चुका है तो वस्तु की कीमत बढ़ने पर भी वह उसका उपभोग कम
नहीं करेगा। ऐसी दशा में वस्तु की माँग बेलोच हो जाती है।
Q 12) माँग वक्र बायें से दायें नीचे क्यों गिरता है?
उत्तर - माँग वक्र की यह ऋणात्मक प्रवृत्ति निम्नांकित कारणों से
उत्पन्न होती है-
(i) घटती सीमान्त उपयोगिता नियम (Law of Diminishing Marginal Utility) - माँग का नियम
घटती सीमान्त उपयोगिता नियम पर आधारित है। इस नियम के अनुसार उपभोक्ता द्वारा
वस्तु की अतिरिक्त इकाइयों का उपभोग करने पर वस्तु की सीमान्त इकाइयों की उपयोगिता
क्रमशः घटती जाती है। सीमान्त इकाइयों की घटती उपयोगिता के कारण उपभोक्ता वस्तु की
अतिरिक्त इकाइयों की कम कीमत देना चाहता है।
(ii) क्रय-शक्ति में वृद्धि अर्थात् आय प्रभाव (Increase in Purchasing Power or Income Effect) - वस्तु
की कीमत में कमी होने पर उपभोक्ता की वास्तविक आय (अर्थात् क्रय शक्ति) में वृद्धि
होती है जिसके कारण उपभोक्ता को अपनी पूर्व उपभोग स्तर बनाये रखने के लिए पहले की
तुलना में कम व्यय करना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, वस्तु की कीमत में कमी होने
के कारण उपभोक्ता पहले किये जाने वाले कुल व्यय में ही अब वस्तु की अधिक मात्रा
खरीद सकता है।
(iii) प्रतिस्थापन प्रभाव (Substitution Effect) वस्तु की कीमत एवं माँग के विपरीत
सम्बन्ध (अथवा ऋणात्मक सम्बन्ध) का कारण प्रतिस्थापन प्रभाव है। जब एक ही आवश्यकता
की पूर्ति दो या अधिक वस्तुओं से सम्भव होती है, तब अन्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर
रहने की दशा में एक वस्तु की कीमत का परिवर्तन मूल वस्तु के उपभोग में इसलिए
परिवर्तन कर देता है क्योंकि उपभोक्ता मूल वस्तु एवं स्थानापन्न वस्तु के प्रयोग
अनुपात में परिवर्तन कर देता है। यही प्रतिस्थापन प्रभाव (Substitution Effects)
है।
(iv) उपभोक्ता की संख्या में परिवर्तन (Change in Number of Consumers) वस्तु की कीमत का परिवर्तन उपभोक्ता की संख्या को भी प्रभावित करता है। जब किसी वस्तु की कीमत में कमी होती है तो उस वस्तु का कुछ ऐसे उपभोक्ता भी उपभोग करने लगते हैं जो आरम्भ में ऊँची कीमत के कारण उपभोग करने में असमर्थ थे। ऐसी दशा में वस्तु की माँग बढ़ जाती है। इसके विपरीत, जब किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो अनेक उपभोक्ता अपनी सीमित आय के कारण उस वस्तु का उपभोग बन्द कर देते हैं जिसके कारण वस्तु की माँग घट जाती है। यही माँग का नियम है।